विशेषतः ‘अंतराळ-विज्ञान‘ हा सहजपणे न समजणारा विषय आपल्या सुबोध शैलीमुळे सोप्पा करून त्याची तपशीलवार माहिती आपल्या वाचकांना उपलब्ध करून देणारे आपल्या समूहातील लेखक म्हणजे श्री. राजीव पुजारी हे होत. नुकतेच त्यांनी लिहिलेले “अंतराळवेध“ हे असेच उपयुक्त माहितीपूर्ण पुस्तक प्रकाशित झाले आहे. यासाठी श्री. पुजारी यांचे आपल्या अभिव्यक्ती समूहातर्फे हार्दिक अभिनंदन, आणि पुढील अशाच यशस्वी साहित्यिक वाटचालीसाठी मनःपूर्वक शुभेच्छा.
श्री प्रदीप केळुसकर
💐अ भि नं द न 💐
आपल्या अभिव्यक्ती समूहासाठी वेगवेगळ्या विषयांवरच्या सुरेख कथा नियमितपणे सादर करणारे कथाकार श्री. प्रदीप केळुसकर यांच्या बक्षिसपात्र ठरलेल्या सतरा कथांचा संग्रह “माणिकमोती“ या शीर्षकांतर्गत नुकताच प्रकाशित झाला आहे. त्याबद्दल आपल्या सर्वांतर्फे श्री. केळुसकर यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन, आणि लोकप्रिय अशा विपुल साहित्य निर्मितीसाठी हार्दिक शुभेच्छा.
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
“हिंदी साहित्य में प्रभु श्रीराम” विषय पर “महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी” द्वारा “राष्ट्रीय संगोष्ठी “का सफल आयोजन
वसंत पंचमी एवं निराला जयंती पर सम्मानित हुये सुधी साहित्यकार
महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी मुंबई एवं महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा पुणे के संयुक्त तत्वावधान में वसंत पंचमी के अवसर पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसमें साहित्य में प्रभु राम, माँ सरस्वती एवं निराला जयंती पर सुधी वक्ताओं ने अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत किये।
मीरा जोगलेकर द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना एवं अतिथियों के सत्कार के उपरान्त म .रा. हि. सा .अकादमी के कार्यकारी सदस्य श्री अजय पाठक ने राम मंदिर निर्माण और एतद् विषयक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को विस्तार से समझाया।साथ ही राम कथा में कैकेयी की भूमिका को सर्वथा नूतन पार्श्व दिये।
मुख्य वक्ता हेमलता मिश्र मानवी ने रामचरितमानस, वाल्मीकि रामायण को केन्द्र में रखते हुये मैथिलीशरण गुप्तजी की पंक्तियों से वक्तव्य समाप्त किया—राम तुम्हारा नाम स्वयं ही काव्य है।कोई कवि बन जाये सहज संभाव्य है।
ओजस्वी युवा कवयित्री श्रद्धा शौर्य ने अपनी जोशीली कविताओं से समां बाँध दिया।
मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार इन्दिरा किसलय ने कहा कि निराला को समग्रतः समझने के लिये निराला होना पड़ता है।लपट की तासीर जानने को लपट होना पड़ता है।
सूर्यकान्त मणि को रत्नराज कहा जाता है।निराला साहित्य जगत में यही स्थान रखते हैं।
विशेष अतिथि रा .तु .म. विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ मनोज पाण्डेय ने प्रभु राम एवं निरालाजी पर सारगर्भित विचार रखे।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय वर्धा के अधिष्ठाता प्रो .कृष्णकुमार सिंह ने मानस की सरस भावाकुल व्याख्या की।हिंदी साहित्य में प्रभु राम कई भावों में चित्रित, वर्णित एवं अलौकिक रूप में हैं।ऐसे सत् साहित्य को जन जन तक पहुँचाना चाहिए।
म. रा .हिंदी साहित्य अकादमी के सदस्य श्री जगदीश थपलियाल भी मंच को शोभित कर रहे थे।विनोद शर्मा ने”मेरी चौखट पर चलकर प्रभु श्री राम आये हैं” भजन गाकर श्रोताओं में भक्ति रस का संचार किया।
हिंदी की उत्कृष्ट सेवा हेतु”हिंदी सेवा सम्मान 2024″ से साहित्यकार सर्व– रीमा दीवान चड्ढा,सतीश लाखोटिया,तन्हा नागपुरी,अमिता शाह,माधुरी मिश्रा मधु,मीरा जोगलेकर,डाॅ राम मुळे, टीकाराम साहू आजाद,संकेत नायक,माधुरी राऊलकर,एवं विनोद शर्मा को स्मृति चिह्न शाॅल एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।
संगोष्ठी का कुशल साहित्यिक/संयोजन संचालन श्री विनोद नायक तथा आभार प्रदर्शन संजय सिन्हा ने किया।
इस अवसर पर सुनील नायक,अजय पाण्डेय,कृष्णकुमार तिवारी,कमलेश चौरसिया,डाॅ शारदा रोशनखेड़े,निर्मला पाण्डेय,सुबोध शाह,नीरजा नायक, रूबी दास अरु,रीता नायक,स्नेहा शर्मा,आशु लाखोटिया,दक्षेश नायक,प्रमोद गोडे,शिवेश नायक,किशन विश्वकर्मा,चन्द्रकान्त बिल्लोरे,भाविका रामटेके,मंदा बागडे,एवं सुरेन्द्र हरडे आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
साभार – सुश्री इंदिरा किसलय
नागपुर, महाराष्ट्र
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
रचनाएँ आमंत्रित – साप्ताहिक स्तम्भ – कहां गए वे लोग?
आपकी अपनी प्रिय वेब पत्रिका ‘ई-अभिव्यक्ति’ जिसे हिन्दी, मराठी और अंग्रेजी के लाखों पाठक प्रतिदिन पढ़ते और पसंद करते हैं में इस सप्ताह से प्रत्येक सोमवार को साप्ताहिक स्तम्भ – कहाँ गए वे लोग? का प्रकाशन प्रारम्भ किया गया है। इस स्तम्भ को हमारे प्रबुद्ध पाठकों का अभूतपूर्व प्रतिसाद मिल रहा है।
इस ऐतिहासिक स्तम्भ में हम अपने आसपास की ऐसी महान हस्तियों की जानकारी प्रकाशित करते हैं जो आज हमारे बीच नहीं हैं किन्तु, उन्होने देश के स्वतंत्रता संग्राम, साहित्यिक, सामाजिक या अन्य किसी क्षेत्र में अविस्मरणीय कार्य किया है।
इस संदर्भ में आपसे अनुरोध है कि आपअपने क्षेत्र की ऐसी महान हस्तियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर उनके उल्लेखनीय कार्यों का विवरण लिखकर उनकी एक फोटो के साथ हमें वाट्स अप नंबर 9977318765 पर प्रेषित करें। साथ ही अपना परिचय और फोटो भी प्रकाशनार्थ प्रेषित कीजिये।
संपर्क – श्री जय प्रकाश पाण्डेय, संपादक ई-अभिव्यक्ति (हिन्दी), मोबाइल न – 9977318765)
416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
🙏 💐 वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ अनंत में विलीन – विनम्र श्रद्धांजलि 💐🙏
जबलपुर। प्रतिष्ठित साहित्यकार, लगभग 40 कृतियों के रचयिता, पाथेय साहित्य कला अकादमी के संस्थापक कविवर डॉ. राजकुमार तिवारी सुमित्र का कल दिनांक 27 फरवरी 2024 को रात्रि 10 बजे 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
आप डॉक्टर भावना तिवारी, श्रीमती कामना, एवं चिरंजीव डॉ. हर्ष कुमार तिवारी के पिता, बाल पत्रकार बेटी प्रियम के पितामह एवं हम सब साहित्य अनुरागियों तथा नए युवा साहित्यकारों के प्रेरणा स्रोत अब हमारी स्मृतियों में शेष रहेंगे।
70 के दशक से सतत गुरुवर का मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद मेरे लिए अविस्मरणीय है। ई-अभिव्यक्ति में आपके “साप्ताहिक स्तम्भ – सुमित्र की लेखनी से” को अब विराम मिल गया।
डॉ. सुमित्र ने अनेक समाचार पत्रों में सम्पादकीय सेवाएं दी ।आप प्रदेश ही नही, सम्पूर्ण देश की साहित्यिक धारा के संवाहक रहे। लगभग 6 दशक उन्होंने साहित्य की अप्रतिम सेवा की।
– हेमन्त बावनकर, पुणे
🙏 मैं पीढ़ा का राजकुंवर हूँ… के सृजनकर्ता सुमित्र जी का महाप्रयाण – श्री गिरीश बिल्लोरे मुकुल 🙏
70 के दशक में अगर किसी महान व्यक्तित्व से मुलाकात हुई थी तो वे थे डॉ. राजकुमार तिवारी “सुमित्र” जी।
सुमित्र जी के माध्यम से साहित्य जगत को पहचान का रास्ता मिला था। गौर वर्णी काया के स्वामी, मित्रों के मित्र, और राजेश पाठक प्रवीण के साहित्यिक गुरु डॉक्टर राजकुमार सुमित्र जी के कोतवाली स्थित आवास में देर रात तक गोष्ठियों में शामिल होना, अपनी बारी का इंतजार करना उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता था उनके व्यक्तित्व से लगातार सीखते रहना। स्व. श्री घनश्याम चौरसिया “बादल” के माध्यम से उनके घर में आयोजित एक कवि गोष्ठी में स्वर्गीय बाबूजी के साथ देर रात तक हुई बैठक में लगा कि यह कवि गोष्ठी नहीं बल्कि कवियों को निखारने की कार्यशाला है।
धीरे-धीरे कभी ऐसी घरेलू बैठकों की आदत सी पड़ चुकी थी। वहीं शहर के नामचीन साहित्यकारों से मुलाकात हुआ करती थी। उनके कोतवाली के पीछे वाले घर को साहित्य का मंदिर कहना गलत न होगा।
तट विहीन तथाकथित प्रगतिशील कविताओं के दौर में गीत, छंद, दोहा सवैया, कवित्त, आदि के अनुगुंजन ने लेखन को नई दिशा दी थी।
गेट नंबर 2 के पास स्थित नवीन दुनिया प्रेस में बतौर साहित्य संपादक सुमित्र जी द्वारा नारी-निकुंज औसत रूप से सर्वाधिक बिकने वाला संस्करण हुआ करता था।
हमें भी दादा अक्सर पूरे अंक में लिखने की छूट देते थे। कविता के साथ कंटेंट क्रिएशन की शिक्षा शशि जी और सुमित्र जी से ही हासिल की है।
अभी-अभी पूज्य सुमित्र जी के महाप्रयाण का समाचार राजेश के व्हाट्सएप संदेश के जरिए मिला।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.राजकुमार तिवारी सुमित्र का निधन जबलपुर के साहित्यिक समाज के लिए एक दुखद प्रसंग है। नए स्वर नए गीत कार्यक्रम की श्रृंखला प्रारंभ कर पूज्य गुरुदेव सुमित्र जी ने सार्थक सृजन को दिशा प्रदान की है। वे अक्सर कहते थे कि-“उससे बड़ा सौभाग्यशाली कोई नहीं जिसके घर में साहित्यकारों के चरणरज न गिरें।”
अपने आप को पीड़ा का राजकुमार कहने वाले दादा ने ये भी कहा – ” दर्द की जागीर है, बाँट रहा हूँ प्यार।”
गायत्री कथा सम्मान के संस्थापक सुमित्र जी नगर के हर एक रचना कार्य और साहित्य साधकों के केंद्र बिंदु हुआ करते थे। उनकी साहित्यिक सक्रियता से शहर जबलपुर साहित्य साधना का केंद्र था। सृजनकर्ता को दुलारना,उसे मजबूती देना, यहां तक की प्रकाशित करना भी उनका ही दायित्व बन गया था। हम तो उनके आजीवन ऋणी है।
जबलपुर ही नही प्रदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकार, लगभग 40 कृतियों के रचयिता, पाथेय साहित्य कला अकादमी के संस्थापक कविवर डॉ. राजकुमार तिवारी सुमित्र का आज दिनांक 27 फरवरी 2024 को रात्रि 10 बजे 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया ।
सुमित्र जी डॉक्टर भावना तिवारी, श्रीमती कामना , एवं चिरंजीव डॉ. हर्ष कुमार तिवारी के पिता, बाल पत्रकार बेटी प्रियम के पितामह एवं हम सब साहित्य अनुरागीयों तथा नए युवा साहित्यकारों के प्रेरणा स्रोत अब हमारी स्मृतियों में शेष रहेंगे।
डॉ. सुमित्र ने अनेक समाचार पत्रों में सम्पादकीय सेवाएं दी ।
आप प्रदेश ही नही. देश, प्रदेश की साहित्यिक धारा के संवाहक रहे। यूरोप में भी भारतीय साहित्य का परचम लहराने वाली इस शख्सियत ने लगभग सात दशक साहित्य की अप्रतिम सेवा की है।
– श्री गिरीश बिल्लोरे मुकुल, जबलपुर
🙏 ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ जी को विनम्र श्रद्धांजलि 🙏
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट की बाल साहित्य लेखन प्रतियोगिता 2023 में बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ पुरस्कृत – अभिनंदन ☆
नई दिल्ली, 15 फरवरी 2024: चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट (सीबीटी) ने अपनी वार्षिक बाल साहित्य लेखन प्रतियोगिता 2023 के पुरस्कारों की घोषणा की है। प्रतियोगिता में विभिन्न वर्गों में 100 से अधिक पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।
प्रथम वर्ग उपन्यास में ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को उनके उपन्यास “किले के रहस्यमय रहस्य” के लिए द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें ₹20,000 का नकद पुरस्कार और उनकी पुस्तक का सीबीटी द्वारा प्रकाशन भी होगा। जबकि इस वर्ग में प्रथम पुरस्कार किसी को नहीं दिया गया है। इस हिसाब से श्री क्षत्रिय को सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किया गया है।
ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ एक प्रसिद्ध बाल साहित्यकार हैं जिन्होंने कई पुरस्कार विजेता पुस्तकें लिखी हैं। उनकी पुस्तकें बच्चों में लोकप्रिय हैं और उन्हें उनकी रोचक कहानियों और सरल भाषा के लिए जाना जाता है।
चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संगठन है जो बच्चों के लिए पुस्तकों का प्रकाशन और वितरण करता है। यह संगठन बच्चों में साहित्यिक रुचि को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी करता है।
सीबीटी की बाल साहित्य लेखन प्रतियोगिता बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। यह प्रतियोगिता नए लेखकों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करती है।
यह पुरस्कार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह पुरस्कार उनके लेखन कौशल को दर्शाता है और बच्चों के लिए उनकी प्रतिबद्धता को स्वीकार करता है।
सीबीटी सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता है और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता है।
यह पुरस्कार बच्चों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत होगा और उन्हें अपनी रचनात्मकता को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट बच्चों को पढ़ने की आदत विकसित करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह संगठन बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली पुस्तकों को प्रकाशित करने और वितरित करने के लिए अपना काम जारी रखेगा।
💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी को इस विशिष्ट उप्लब्धि के लिए हार्दिक बधाई 💐
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
विश्व योग दर्शन केंद्र, मिरज या संस्थेतर्फे आयोजित योग निबंध स्पर्धेत आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका सौ.पुष्पा प्रभुदेसाई यांना प्रथम पुरस्कार प्राप्त झाला आहे.
💐 ई-अभिव्यक्ती समुहातर्फे त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा.💐
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ अग्ग दी इक बात यानी बात अमृता प्रीतम की— कमलेश भारतीय ☆
अमृता प्रीतम एक ऐसी आग जिसने साहित्य के क्षेत्र में अपना नाम बनाया । जितना अमृता का साहित्य चर्चित था, उतनी ही उसकी ज़िंदगी भी चर्चा में रही । फिर चाहे वह प्रसिद्ध शायर और फिल्मी गीतकार साहिर लुध्यानवी हों या फिर इमरोज़ यानी इंदर ! यह बात तो खुद अमृता प्रीतम ने अपनी पुस्तक ‘रसीदी टिकट’ में स्वीकार की है कि वह साहिर लुध्यानवी से बेहद प्यार करती थीं और उनके जाने के बाद साहिर के सिगरेट के बचे हुए टुकड़े खुद पीती थीं । फिर साहिर फिल्म नगरी मुम्बई चले गये और अमृता प्रीतम की ज़िंदगी में आये इमरोज़, जो एक पेंटर आर्टिस्ट थे और अमृता की पत्रिका ‘नागमणि’ के डिजाइन में सहयोग ही नहीं करते थे बल्कि अपना जीवन ही अमृता को अर्पण कर दिया । साहित्य के क्षेत्र में पंजाबी में अमृता प्रीतम पहली लेखिका थीं, जिसे अकादमी अवार्ड मिला और जिसे विदेशों में महिला लेखन का प्रतिनिधित्व करने भेजा गया ! अमृता प्रीतम पंजाब के नये लेखकों को भी मंच देने के साथ साथ उन्हें तराशने का काम भी कर रही थीं ।
जहां अमृता प्रीतम के साहित्य में इतने चर्चे थे, वहीं उसके निजी जीवन को लेकर समाज में उसकी बुराई-निंदा की जा रही थी लेकिन अमृता प्रीतम अपने मन के अनुसार जीती रही और इमरोज़ ने अमृता को उदास पलों में हौंसला दिया । इमरोज़ जैसा समर्पण आज एक अनुपम उदाहरण बन गया है । क्या कोई ऐसे भी अपनी ज़िंदगी का मकसद किसी दूसरे को अर्पण कर देता है तो ? इमरोज़ ने भी कविता लिखनी शुरू कर दी थी अमृता के संग साथ के रंग में रंग जाने पर ! सचमुच ही अमृता प्रीतम आग की इक बात ही तो थी ! उसी की बात उसके जीवन पर आधारित इस नाटक में बहुत ही शानदार तरीके से की गयी है।
अमृता प्रीतम इमरोज़ से कहती है कि मेरा पता है, जहां आज़ाद रूह मिल जाये ! इस तरह अमृता एक आज़ाद रूह थी और महिला लेखन को और महिला को बहुत ऊंचाई दी ।
अमृता प्रीतम की भूमिका पंजाब 🎓, चंडीगढ़ के इंडियन थियेटर विभाग की अध्यक्षता व थियेटर आर्टिस्ट डाॅ नवदीप कौर ने निभाई जबकि साहिर लुध्यानवी व इमरोज़ के दोनों रूपों में टीकम जोशी ने बखूबी निभाये और नाटक का निर्देशन भी दोनों ने संयुक्त रूप से किया । थियेटर विभाग के कुछ छात्रों ने बैक स्टेज में अपना योगदान दिया !
अंत अमृता प्रीतम की कविता’ मैं तैनूं फेर मिलांगी’ के साथ होता है, जो अमृता ने इमरोज़ के लिए लिखी थी जबकि उसकी बहुचर्चित कविता ‘ इक रोई सी धी पंजाब दी, तू लिख लिख मारे वैन, अज्ज लक्खां धीयां रोंदियां….
सच, यह प्रस्तुति याद रहने लायक है और दसवें रंग आंगन नाट्योत्सव की एक यादगार प्रस्तुति कही जायेगी । बहुत प्रभावशाली !
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी’ की कहानी “बग की आत्मकथा” कक्षा छठी की पुस्तक में सम्मिलित – अभिनंदन ☆
रतनगढ़ (निप्र)। एमिटी यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित जागृति हिंदी पाठमाला कक्षा 6 की पुस्तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के नीति निर्देशन के तहत प्रकाशित की गई। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की पाठ्यचर्या के निर्देश अनुसार कठिन मापदंडों की कसौटी पर खरी पाए जाने पर इसमें विभिन्न रचनात्मक पाठ्य सामग्री को सम्मिलित करते हुए इस पुस्तक को कई दौर की कसौटी पर कसने के उपरांत तैयार किया गया है।
इस पुस्तक में हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं के बीच ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ की रचना पाठ्यक्रम में प्रकाशित की गई हैं। प्रसिद्ध साहित्यकारों के बीच ओमप्रकाश क्षत्रिय की रचना प्रकाशित होना बहुत बड़ी बात है।
इस पुस्तक में डॉ रामकुमार वर्मा, हरिकृष्ण प्रेमी, निरंकार देव सेवक, जयशंकर प्रसाद, मैथिलीशरण गुप्त, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, सियाराम शरण गुप्त, महावीर प्रसाद द्विवेदी, हरिवंश राय बच्चन, भगवत शरण उपाध्याय, आरके नारायण, विष्णु शर्मा के बीच कक्षा छठी की पुस्तक के हिंदी पाठ्यक्रम में ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ की कहानी- बग की आत्मकथा सम्मिलित की गई है। इन्हीं के साथ डॉक्टर प्रमिला चोपड़ा सहित साहिर लुधियानवी, बेढंग बनारसी, भदंत आनंद कौशल्यायन की रचना भी सम्मिलित की गई है।
आपकी इस उपलब्धि पर साहित्यकार साथियों और ईष्ट मित्रों ने हार्दिक बधाई दी है।
💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी को इस विशिष्ट उप्लब्धि के लिए हार्दिक बधाई 💐
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
प्रणेता साहित्य न्यास द्वारा श्रीमती एवं श्री खुशहाल सिंह पयाल स्मृति सम्मान 2024 हेतु प्रकाशित काव्य संग्रह आमंत्रित
प्रणेता साहित्य न्यास द्वारा श्रीमती एवं श्री खुशहाल सिंह पयाल स्मृति सम्मान 2024 हेतु जनवरी 2020 से 31 दिसंबर 2023 तक प्रकाशित सभी पद्य रचनाओं की कृति आमंत्रित हैं।
1. रचनाएँ काव्य के किसी भी रूप (कविता, हाइकु, दोहे, खण्ड काव्य, महा काव्य, गीत, आदि) में हो सकती हैं।
2. इस सम्मान हेतु कृपया प्रणेता साहित्य न्यास के सदस्य ही अपनी कृति प्रेषित करें। जिन साहित्यकारों की सदस्यता नहीं है और इस सम्मान हेतु अपनी कृति प्रेषित करना चाहते हैं, वे संस्थान की सदस्यता ग्रहण करने के उपरांत अपनी कृति प्रेषित कर सकते हैं। इस हेतु वे संस्थान के महासचिव अथवा अध्यक्ष से सम्पर्क कर सकते हैं।
3. पुरस्कार प्राप्ति हेतु रचनाकार की उपस्थिति अनिवार्य है।
4. पुरस्कृत रचनाकार को प्रथम पुरस्कार के रूप में 2100/- व द्वितीय पुरस्कार के रूप में 1500 और तृतीय पुरस्कार के रूप में 1100 धनराशि, अंग वस्त्र तथा सम्मान पत्र से सम्मानित किया जाएगा।
5. दिल्ली या दिल्ली से बाहर के रचनाकारों को किसी प्रकार का यात्रा-भत्ता एवं निवास-स्थान संस्था द्वारा उपलब्ध नहीं करवाया जाएगा।
6. प्रत्येक कृति की दो प्रतियों के साथ, साहित्यकार का साहित्यिक परिचय, दो पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ पुस्तक के साथ भेजना अनिवार्य है।
7. प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि 31 मार्च, 2024 है।
8. प्रविष्टि भेजने का स्थान – अध्यक्ष, प्रणेता साहित्य संस्थान, 1654 – टाइप 4, दिल्ली आवासीय परिसर, गुलाबी बाग़, दिल्ली-110007