श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”
(आज “साप्ताहिक स्तम्भ -आत्मानंद साहित्य “ में प्रस्तुत है नव वर्ष पर स्वागत गान “नवसंवत्सर के स्वागत”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य – स्वागत गान – नवसंवत्सर के स्वागत में …. ☆
नई उमंगे नई तरंगे,
नये गीत है राग नया।
नव जीवन अंगड़ाई लेता,
नये सुरों के साज सजा।
नई सुबह का सूरज निकला,
उम्मीदों का लिए पिटारा।
आशाओं की कोंपल फूटी,
जीवन में छाया उजियारा।
नई सुहानी भोर खड़ी है,
आंखों में अनुराग लिए।
नवसंवत्सर के स्वागत में,
आशाओं के दीप जले ।।1।।
शीतल मन्द सुगन्ध पवन,
तन मन पावन कर जाती है।
मंदिर की घंटी की रूनझुन
व्याकुल मन को भाती है।
अमराई में बैठी कोयल,
पंचम सुर में गाती है।
बंसवारी के झुरमुट से चिड़ियां,
जीवन संगीत सुनाती हैं।
प्यार से सबको गले लगाओ,
भूल के सारे शिकवे गिले।
।। नव संवत्सर के स्वागत में …. ।।2।।
वन में टेशू पलाश फूले,
गेंदा गुलाब बगिया महके।
पीली पीली सरसों फूली,
घर की मुंडेर मैनां चहके।
फगुआ के सुर लय ताल सजे,
चौपालों में ढोलक झांझ बजे।
नटुआ नाचे नव स्वांग रचे,
जीवन में नव उत्साह बसे।
दुश्मन को भी मीत बना लो,
उससे भी अब मिलों गले।
।।नव संवत्सर के स्वागत में ….।।3।।
© सूबेदार पांडेय “आत्मानंद”
संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈