डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 43 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
हमने तो अब कर लिया, जीवन का अनुवाद।
पृष्ठ – पृष्ठ पर लिख दिया, दुख,पीड़ा, अवसाद।।
तेरा-मेरा हो गया, जन्मों का अनुबंध।
मिटा नहीं सकता कभी, कोई यह संबंध।।
रात चाँदनी कर रही, अपने प्रिय से बात।
अंधियारी रातें सदा, करतीं बज्राघात।।
दर्शन बिन व्याकुल नयन, खोलो चितवन-द्वार।
बाट पिया की देखती, विरहिन बारंबार।।
रात चाँद को देखकर, होता मगन चकोर।
नैन निहारे रात भर, निर्निमेष चितचोर।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब 9278720311 ईमेल : [email protected]