सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा
(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । हम आपकी रचनाओं को अपने पाठकों से साझा करते हुए अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर (सिस्टम्स) महामेट्रो, पुणे हैं। आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी कविता “दो लफ़्ज़ों की कहानी”। )
साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 6
☆ दो लफ़्ज़ों की कहानी ☆
दो लफ़्ज़ों की ही ये कहानी होती
कितनी आसान ये जिंदगानी होती
न ही कोई ग़म, न ज़ख्म होता
कितनी खूबसूरत ये रवानी होती
यूँ ही ख़ुशी गले से लिपट जाती
मासूम सी ज़िंदगी की कहानी होती
ये सितारे हरदम झिलमिलाते रहते
रात कितनी हसीं और सुहानी होती
हाँ, मुहब्बत भी अमर हो जाती
शाम की कहकशां आशिकानी होती
© नीलम सक्सेना चंद्रा
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