ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (11 नवंबर से 17 नवंबर 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (11 नवंबर से 17 नवंबर 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

आज मैं आपको आने वाले सप्ताह के राशिफल के बारे में बताऊंगा। 11 नवंबर से 17 नवंबर 2024 अर्थात विक्रम संवत 2081 शक संवत 1946 के अगहन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल को लेकर उपस्थित हुआ हूं।

सबसे पहले इस सप्ताह में जन्म लेने वाले बालक और बालिकाओं के भविष्यफल के बारे में बताता हूं।

इस सप्ताह के प्रारंभ से 11 नवंबर की रात 11:02 PM तक के बच्चों की राशि कुंभ होगी। इनका एक अच्छा जीवनसाथी प्राप्त होगा। 11:02 पीएम के बाद से 14 नवंबर के 1:30AM तक जन्म लेने वाले बच्चों की चंद्र राशि मीन होगी। ये बच्चे भाग्यशाली होंगे। भाग्य उनका साथ देगा। इस समय से लेकर 16 तारीख को 3: 53AM तक जन्म लेने वाले बच्चों की जन्म राशि मेष होगी। इनके पास धन अच्छी मात्रा में आएगा। इस समय के उपरांत 18 नवंबर के 7:28 प्रातः तक जन्म लेने वाले बच्चों की राशि वृष होगी। यह बच्चे अपने जीवन भर अच्छी सुख सुविधाओं का उपयोग करेंगे।

आईए अब हम आपको राशिवार राशिफल बताते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह भाग्य से आपको मदद मिल सकती है। धन आएगा परंतु उसके रुकने की उम्मीद कम है। आपके सुख और प्रतिष्ठा में कमी आएगी, परंतु 14 और 15 नवंबर को आपके सुख और प्रतिष्ठा में थोड़ी वृद्धि हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 14 और 15 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए उत्तम है। 16 और 17 तारीख को भी आपके पास धन आ सकता है। 12 और 13 तारीख को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह उड़द का दान करें और शनिवार को शनि मंदिर में जाकर पूजा करें सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

वृष राशि

अगर आप पेट के रोग से पीड़ित है तो इस सप्ताह आपको उसमें लाभ हो सकता है। भाई बहनों के साथ तनाव होगा। सुख में वृद्धि होगी। पिताजी को कष्ट हो सकता है। कार्यालय के कार्यों में सचेत रहें। शत्रुओं और मानसिक कष्ट से आपको बचकर रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 11 और 16 तथा 17 नवंबर किसी भी कार्य को करने के लिए अनुकूल है। 14 और 15 नवंबर को आपको सचेत रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन प्रातः काल स्नान करने के उपरांत तांबे के पत्र में जल अक्षत और लाल पुष्प लेकर भगवान सूर्य को जल अर्पण करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके खर्चों में कमी आएगी। कचहरी के कार्यों में थोड़ी सफलता मिल सकती है। धन आने की मात्रा में कमी होगी। आपके संतान को कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 12 और 13 नवंबर किसी भी कार्य को करने के लिए अनुकूल है। 16 और 17 नवंबर को अगर आप सावधानी पूर्वक कार्य करेंगे तो आपको सफलता मिल सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपको व्यापार में लाभ हो सकता है। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपका और आपके माता जी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। भाग्य से आपको कोई विशेष मदद नहीं मिल पाएगी। संतान के स्वास्थ्य के बारे में भी सचेत रहें। इस सप्ताह आपके लिए 14 और 15 नवंबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 16 और 17 नवंबर को अगर आप प्रयास करेंगे तो आपको धन लाभ हो सकता है। 11 नवंबर को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का प्रतिदिन अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या आ सकती है। कार्यालय में आपकी स्थिति में बदलाव होगा। भाई बहनों के साथ तनाव कायम रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 11 और 16 तथा 17 नवंबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। ‍‍12 और 13 नवंबर को आपको सावधान रहकर के ही कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आप थोड़े से प्रयास में अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। भाग्य आपका साथ देगा। भाई बहनों के साथ संबंध तनावपूर्ण बने रहेंगे। माता और पिताजी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। शत्रु शांत नहीं रहेंगे। धन आने की मात्रा में वृद्धि होगी। इस सप्ताह आपके लिए 12 और 13 नवंबर उत्साहप्रद है। इस सप्ताह के 11, 14 और 15 नवंबर को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

अगर आप मानसिक रूप से त्रस्त हैं तो इस सप्ताह आपको उसमें लाभ हो सकता है। धन आने की मात्रा में कमी आएगी। सामान्य रूप से आपका आपके जीवनसाथी का और आपके माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा कार्यालय में आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 14 और 15 नवंबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सावधान रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका आपके जीवनसाथी का और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके सुख में थोड़ी कमी आएगी। भाग्य आपका साथ देगा। संतान से आपको लाभ प्राप्त नहीं होगा। इस सप्ताह आपके लिए 11 तथा 16 और 17 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए लाभदायक है। 16 और 17 तारीख को आप सभी कार्यों में सफल रहेंगे। 14 और 15 तारीख को आपको कोई भी कार्य देखभाल कर करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें और बृहस्पतिवार को रामचंद्र जी या कृष्ण भगवान के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

अगर आप अविवाहित हैं तो इस सप्ताह आपके पास विवाह के प्रस्ताव आएंगे। कचहरी के कार्यों में आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको धन लाभ होगा। इस सप्ताह आपके लिए 12 और 13 नवंबर उत्साहप्रद हैं। 16 और 17 नवंबर को आपको कोई भी कार्य सावधानी से करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। लंबी यात्रा का योग है। इस सप्ताह आपके लिए 14 और 15 नवंबर कार्यों के लिए लाभदायक हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी और माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भाग्य के सहारे कोई भी कार्य न करें। इस सप्ताह आपके लिए 11, 16 और 17 नवंबर फलदायक है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपको अपने भाई बहनों से सहयोग प्राप्त हो सकता है। आपके संतान को कष्ट हो सकता है। कार्यालय में आपकी स्थिति सामान्य रहेगी। भाग्य आपका साथ देगा। इस सप्ताह आपके लिए 12 और 13 नवंबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त हैं। 11 नवंबर को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको किसी अच्छे ज्योतिषी से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (4 नवंबर से 10 नवंबर 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (4 नवंबर से 10 नवंबर 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

समय की गति बहुत तीव्र होती है इसलिए गुजरे समय को कोई पकड़ नहीं सकता है। गुजरा हुआ समय और नींद में  देखा गया स्वप्न एक समान होते हैं जो की आपको सिर्फ याद रहते हैं। आने वाला समय जो बाद में गुजरा  समय हो जाएगा उसको अच्छा रखने के लिए मैं पंडित अनिल पाण्डेय आपको 4 नवंबर से 10 नवंबर 2024 अर्थात विक्रम संवत 2081 शक संवत 1946 के कार्तिक शुक्ल पक्ष की तृतीया से कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तक के  सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल को आपको बताने जा रहा हूं। परंतु साप्ताहिक राशिफल से पहले मैं आपको इस सप्ताह जन्म लेने वाले बच्चों के भविष्य के बारे में बताना चाहता हूं।

सोमवार 4 नवंबर से 5 नवंबर के 8:08 दिन तक पैदा होने वाले बच्चे की राशि वृश्चिक होगी। इन बच्चों का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। 5 नवंबर की 8:08 दिन से लेकर 7 नवंबर को 3:07 दिन तक पैदा होने वाले बच्चों की राशि धनु रहेगी। बच्चों के पास भविष्य में बहुत अच्छा धन लाभ होगा। 7 नवंबर को 3:07 दिन से 9 नवंबर के 7:53 रात तक जन्म लिए बच्चों की राशि मकर होगी यह बच्चे उच्च पदस्थ अधिकारी बनेंगे। 7:53 रात से 10 तारीख के किसी भी समय पैदा होने वाले बच्चों की राशि कुंभ होगी।

आइये अब हम आपको इस सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में बताते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपको अपने कार्यालय में अच्छा सम्मान प्राप्त हो सकता है। भाग्य से कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। आपका क्रोध में वृद्धि हो सकती है। धन आने की उम्मीद कर सकते हैं। माता जी का और जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। इस   सप्ताह आपके लिए 8 और 9 नवंबर किसी भी कार्य को करने के लिए उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान सूर्य को प्रतिदिन जल अर्पण करें सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

वृष राशि

अगर आप पेट के रोगी हैं तो इस सप्ताह आपके स्वास्थ्य में सुधार होगा। मानसिक परेशानियों  में कमी आएगी। आपके जीवनसाथी को 4 नवंबर को कष्ट हो सकता है। कार्यालय में आपको परेशानी हो सकती है। भाई बहनों के साथ संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए रविवार का दिन लाभदायक है। आपको चाहिए कि आप 5 , 6 और 7 को नवंबर को कोई भी कार्य सावधानी पूर्वक करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मिथुन राशि

अविवाहित जातकों के पास इस सप्ताह विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। आपको अपने संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई उत्तम  चलेगी। शत्रुओं से आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। 4 नवंबर को आप अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। 5, 6 और 7 नवंबर आपके लिए लाभदायक है। 8 और 9 नवंबर को आप कोई भी कार्य सावधानी पूर्वक करें। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मंदिर में जाकर गरीब लोगों के बीच में चावल का दान दें तथा शुक्रवार को पुजारी जी को सफेद वस्त्रो का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपके जीवन साथी का स्वास्थ ठीक रहेगा। आपके सुख में वृद्धि होगी। माता और पिता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। धन आने की मात्रा में वृद्धि होगी। भाग्य से कोई मदद नहीं मिल पाएगी। इस सप्ताह आपके लिए 8 और 9 नवंबर मंगलदायक होंगे। सप्ताह के बाकी दिन आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। कोई भी कार्य सावधानी के साथ करें। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन  उड़द का दान करें। शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर पूजन करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आप अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सकती है। माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। भाइयों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए चार और 10 नवंबर शुभ फलदायक है। 4 नवंबर को आपके सुख में वृद्धि हो सकती है। 8 और 9 नवंबर को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन  गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आप अपने शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं। आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है। धन प्राप्त होने की उम्मीद है। भाग्य से कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। भाई बहनों के साथ तनाव हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 5,  6 और 7 नवंबर फलदायक हैं। 10 नवंबर को आपको सावधान रहकर  कार्य करना चाहिए। 4 नवंबर को आपको अपने भाई बहनों के साथ  तनाव बचाने का प्रयास करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। इस सप्ताह आपके लिए 8 और 9 नवंबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 4 नवंबर को आपको धन की प्राप्ति हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन लाल मसूर की दाल का दान करें और मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपको भाग्य से मदद मिल सकती है। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। माता जी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। संतान से आपको कोई सहायता नहीं मिल पाएगी। इस सप्ताह आपके लिए 10 नवंबर हितवर्धक है। 4 नवंबर को आपको स्वास्थ्य की परेशानी हो सकती है। आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

अगर आप अविवाहित हैं तो इस सप्ताह आपके पास विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं इस सप्ताह आपके पास धन आने की उम्मीद है कचहरी के कार्यों में रिस्क ना लें पेट की परेशानी कम होगी दुर्घटनाओं से आप बचेंगे 5 6 और 7 तारीख को आपके कार्य सफल रहेंगे। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जब करें सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

मकर राशि

आपके पास इस सप्ताह थोड़ी मात्रा में धन आने का योग है। संभवत यह धन आपको 4 नवंबर को मिल सकता है। आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा परंतु आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य में समस्या आ सकती है। कार्यालय में आपको लाभ प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए 8 और 9 नवंबर मंगल दायक हैं। 5, 6 और 7 नवंबर को आपको सावधानीपूर्वक कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी। व्यय में कमी होगी। धन सामान्य रूप से ही आएगा। उसमें कोई विशेष वृद्धि नहीं होगी। इस सप्ताह आपको भाग्य से बहुत कम मदद प्राप्त होगी। इस सप्ताह आपके लिए 10 नवंबर लाभदायक है। 8 और 9 नवंबर को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। 4 नवंबर को आपको कार्यालय के कार्यों में  सावधानी रखना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपको धन प्राप्त हो सकता है। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेगा। माता और पिता जी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक-ठाक रहेगी। इस सप्ताह आपके लिए 5, 6 और 7 नवंबर किसी भी कार्य को करने के लिए अनुकूल हैं। 10 नवंबर को आपको कोई भी कार्य बहुत सोच समझ कर करना चाहिए। 4 नवंबर को भाग्य आपकी मदद कर सकता है। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको किसी अच्छे ज्योतिषी से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

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यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ श्राद्ध पक्ष विवरण ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। आज प्रस्तुत है आज से प्रारम्भ होने वाले श्राद्ध पक्ष संबंधी आवश्यक जानकारी ) 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ 🙏 श्राद्ध पक्ष विवरण🙏 ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

सन्—2023 (पिंगल नाम संवत् -2080)

दिनाँक-29 सितम्बर-2023 ( शुक्रवार ) – पूर्णिमा एंव प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध प्रोष्टपदी-महालय श्राद्ध प्रारम्भ

दिनाँक-30 सितम्बर-2023 ( शनिवार ) – द्वितीया तिथि का श्राद्ध

दिनाँक-01 अक्टूबर-2023 ( रविवार ) – तृतीया तिथि  का श्राद्ध

दिनाँक-02 अक्टूबर-2023 ( सोमवार ) – चतुर्थी तिथि का श्राद्ध  { भरणी श्राद्ध }

दिनाँक-03 अक्टूबर-2023 ( मंगलवार ) – पंचमी तिथि का श्राद्ध

दिनाँक-04 अक्टूबर-2023 ( बुधवार ) – षष्ठी तिथि  का श्राद्ध

दिनॉंक-05 अक्टूबर-2023 ( गुरूवार ) – सप्तमी तिथि का श्राद्ध

दिनाँक-06 अक्टूबर-2023 ( शुक्रवार ) – अष्टमी का श्राद्ध

दिनाँक-07 अक्टूबर-2023 ( शनिवार ) – नवमी तिथि का श्राद्ध-सौभाग्यवतीनां श्राद्ध,{ सौभाग्यवती स्त्री का श्राद्ध सर्वदा नवमी में किया जाता है,भले ही उसकी मृत्युतिथि कोई भी हो }

दिनाँक-08 अक्टूबर-2023 ( रविवार ) – दशमी तिथि का श्राद्ध

दिनाँक-09 अक्टूबर-2023 ( सोमवार ) – एकादशी तिथि का श्राद्ध

दिनाँक-10 अक्टूबर-2023 ( मंगलवार ) – मघा श्राद्ध { किसी तिथि का श्राद्ध नहीं होगा }

दिनाँक-11 अक्टूबर-2023 ( बुधवार ) – द्वादशी तिथि का श्राद्ध ( संन्यासीनां श्राद्ध-संन्यासी का श्राद्ध हमेशा द्वादशी में ही किया है,भले ही उसकी मृत्युतिथि कोई भी क्यों न हो॥}

दिनाँक-12 अक्टूबर-2023 ( गुरूवार ) – त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध

दिनॉंक-13 अक्टूबर-2023 ( शुक्रवार ) – चतुर्दशी तिथि को शस्त्र,विष,दुर्घटनादि ( अपमृत्यु ) से मृतकों का श्राद्ध किया जाता है।उनकी मृत्यु चाहे किसी भी तिथि मे हुई हो।चतुर्दशी तिथि मे सामान्य स्वाभाविक मृत्यु-  वालो का श्राद्ध भी अमावस्या मे करने का शास्त्रों मे विधान है }

दिनॉंक-14 अक्टूबर-2023 ( शनिवार ) – चतुर्दशी/अमावस्या तिथि का श्राद्ध / अज्ञात तिथि वालो का श्राद्ध/सर्व पितृ श्राद्ध (पितृ विसर्जन-श्राद्ध सम्पन्न)

दिनॉंक-15 अक्टूबर-2023 ( रविवार ) – { विशेष :- नाना/नानी ( मातामह ) श्राद्ध }

🚩धर्म की जय हो🚩

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ आलेख – ब्रह्मांड एवं पृथ्वी – वैज्ञानिक एवं ज्योतिषीय गणना ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? आप समय समय पर ज्योतिष विज्ञान संबंधी विशेष जानकारियाँ भी आपसे साझा करते  रहते हैं । इसी कड़ी में आज प्रस्तुत है आपका विशेष आलेख ब्रह्मांड एवं पृथ्वी – वैज्ञानिक एवं ज्योतिषीय गणनाआपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ ब्रह्मांड एवं पृथ्वी – वैज्ञानिक एवं ज्योतिषीय गणना ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆  

वैज्ञानिक पृथ्वी पर हुई घटनाओं की गणना चार प्रकार से करते हैं। पहली गणना परतदार चट्टानों के निर्माण की गति से की जाती है। इस गणना के अनुसार पृथ्वी की आयु 5 करोड़ 42 लाख वर्ष होती है जिसे कि वैज्ञानिकों ने बाद में अमान्य कर दिया।

दूसरी प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी के तापमान को आधार  बना करके पृथ्वी की आयु निकाली गई और यह 10 वर्ष करोड़ वर्ष प्राप्त हुई। इसे भी वैज्ञानिकों द्वारा अमान्य कर दिया गया।

तीसरी प्रक्रिया के अनुसार रेडियो सक्रिय तत्वों के विघटन के आधार पर पृथ्वी की आयु निकाली गई है वर्तमान में इसे प्रमाणिक माना जा रहा है। इसके अनुसार पृथ्वी के पहले योग जिसे हैडियन युग कहा जाता है 4.53 Ga वर्ष पहले हुआ था। हैडियन युग में ही पृथ्वी का एक भाग अंतरिक्ष में उछल गया और वह चंद्रमा कहलाया। हेडियन युग के दौरान पृथ्वी की सतह पर लगातार उल्कापात होता रहा और बड़ी मात्रा में उष्मा के प्रभाव तथा भू-उष्मीय अनुपात के कारण ज्वालामुखियों का विस्फोट हुआ और जर्कान कण बने। इस युग का अंत 3.8 Ga के आस पास हुआ। रेडियोएक्टिव पदार्थों के अर्धवार्षिक आयु के गणना से पृथ्वी की आयु 4.54 अरब वर्ष पहले हुई। चंद्रमा की आयु 4.52 या 4.48 अरब वर्ष मानी जाती है।

पृथ्वी पर जीवन का प्रारंभ लुका कोशिका द्वारा 3.5 अरब वर्ष पहले माना जाता है। इसका अर्थ है पहला जीवन लुका कोशिका का था जो कि 3.5 अरब वर्ष पहले हुआ था। यह लुका कोशिका आज के पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवित पदार्थों का पूर्वज है।

इसके उपरांत प्रोटेरोज़ोइक युग आया। यह युग 2.5 अरब वर्ष से 54.2 करोड़ वर्ष तक चला। इस समयावधि में पृथ्वी पर दो भीषण हिमयुग आए और पृथ्वी पर ऑक्सीजन का वातावरण निर्मित हुआ। जीवन की गति प्रारंभ हुई। इसके उपरांत निम्नानुसार जीवन की गति बढ़ी।

  1. 54.2 से 48.8 करोड़ वर्ष के बीच में जीवन की उत्पत्ति अत्यंत तीव्र गति  से हुई और मछली की तरह के किसी जन्तु का प्रादुर्भाव हुआ।
  2. 38.0 से 37.5 करोड़ों वर्ष के बीच चतुर प्राणी का विकास हुआ।
  3. 36.5 करोड़ वर्ष पर वनस्पतियां बनी।
  4. 25.0 से 15.7 करोड़ वर्ष के बीच डायनासोर बने।
  5. 60 करोड़ से  20 करोड़ वर्ष के बीच वानर से मानव का विकास हुआ।
  6. 200000 वर्ष पूर्व वर्तमान मानव अस्तित्व में आया।

अब हम विभिन्न धर्मों के अनुसार पृथ्वी के आयु के बारे में चर्चा करते हैं।

ईसाई धर्म के अनुसार आदम से लेकर ईसा मसीह तक समस्त ईश्वर के पैगंबर की उम्र की गणना अगर की जाए तो 3572 वर्ष + 2022 वर्ष पूर्व आदम इस धरती पर आए थे। इसके अलावा ईसाई धर्म के अन्य विचारधारा के अनुसार 7200 वर्ष पूर्व पैगंबर आदम इस धरती पर आए थे। अर्थात मानव 7200 वर्ष पहले धरती पर आया था।

इस्लाम धर्म में सीधे-सीधे कहीं भी नहीं लिखा गया है कि पृथ्वी कितने साल पुरानी है।

अब हम हिंदू धर्म के अनुसार पृथ्वी के आयु के बारे में चर्चा करेंगे और विज्ञान से इसकी तुलना करेंगे।

भारतीय ज्योतिष विज्ञान के अनुसार समय की गणना एक महत्वपूर्ण कार्य है। किसी भी हिंदू आयोजन में सबसे पहले संकल्प किया जाता है जिसमें संकल्प का समय एवं स्थान आदि पूर्णतया परिभाषित होता है। संकल्प लेने का यह कार्य  वैदिक परंपरा के प्रारंभ से ही हो रहा है। संकल्प निम्नानुसार होता है।

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:। श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्यैतस्य ब्रह्मणोह्नि द्वितीये परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे युगे कलियुगे कलिप्रथमचरणे भूर्लोके भारतवर्षे जम्बूद्विपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तस्य ………… क्षेत्रे ………… मण्डलान्तरगते ………… नाम्निनगरे (ग्रामे वा) श्रीगड़्गायाः ………… (उत्तरे/दक्षिणे) दिग्भागे देवब्राह्मणानां सन्निधौ श्रीमन्नृपतिवीरविक्रमादित्यसमयतः ……… संख्या -परिमिते प्रवर्त्तमानसंवत्सरे प्रभवादिषष्ठि -संवत्सराणां मध्ये ………… नामसंवत्सरे, ………… अयने, ………… ऋतौ, ………… मासे, ………… पक्षे, ………… तिथौ, ………… वासरे, ………… नक्षत्रे, ………… योगे, ………… करणे, ………… राशिस्थिते चन्द्रे, ………… राशिस्थितेश्रीसूर्ये, ………… देवगुरौ शेषेशु ग्रहेषु यथायथा राशिस्थानस्थितेषु सत्सु एवं ग्रहगुणविशेषणविशिष्टायां शुभपुण्यतिथौ ………… गोत्रोत्पन्नस्य ………… शर्मण: (वर्मण:, गुप्तस्य वा) सपरिवारस्य ममात्मन: श्रुति-स्मृति-पुराणोक्त-पुण्य-फलावाप्त्यर्थं ममऐश्वर्याभिः वृद्धयर्थं।

संकल्प में पहला शब्द  द्वितीये परार्धे आया है। श्रीमद भगवत पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी की आयु 100 वर्ष की है जिसमें से पूर्व परार्ध अर्थात 50 वर्ष बीत चुके हैं तथा दूसरा परार्ध प्रारंभ हो चुका है। त्रैलोक्य की सृष्टि ब्रह्मा जी के दिन प्रारंभ होने से होती है और दिन समाप्त होने पर उतनी ही लंबी रात्रि होती है। एक दिन एक कल्प कहलाता है।

यह एक दिन 1. स्वायम्भुव, 2. स्वारोचिष, 3. उत्तम, 4. तामस, 5. रैवत, 6. चाक्षुष, 7. वैवस्वत, 8. सावर्णिक, 9. दक्ष सावर्णिक, 10. ब्रह्म सावर्णिक, 11. धर्म सावर्णिक, 12. रुद्र सावर्णिक, 13. देव सावर्णिक और 14. इन्द्र सावर्णिक- इन 14 मन्वंतरों में विभाजित किया गया है। इनमें से 7वां वैवस्वत मन्वंतर चल रहा है। 1 मन्वंतर 1000/14 चतुर्युगों के बराबर अर्थात 71.42 चतुर्युगों के बराबर होती है।

यह भिन्न संख्या पृथ्वी के 27.25 डिग्री झुके होने और 365.25 दिन में पृथ्वी की परिक्रमा करने के कारण होती है। दशमलव के बाद के अंक को सिद्धांत के अनुसार दो मन्वन्तर के बीच के काल के अनुसार  जिसका परिमाण 4,800 दिव्य वर्ष (सतयुग काल) माना गया है। इस प्रकार मन्वंतरों का काल=14*71=994 चतुर्युग हुआ।

हम जानते हैं कि कलयुग 432000 वर्ष का होता है इसका दोगुना द्वापर युग 3 गुना त्रेतायुग एवं चार गुना सतयुग होता है। इस प्रकार एक महायुग 43 लाख 20 हजार वर्ष का होता है।

71 महायुग मिलकर एक मन्वंतर बनाते हैं जोकि 30 करोड़ 67 लाख 20 हजार वर्ष का हुआ। प्रलयकाल या संधिकाल जो कि हर मन्वंतर के पहले एवं बाद में रहता है 17 लाख 28 हजार वर्ष का होता है। 14 मन्वन्तर मैं 15 प्रलयकाल होंगे अतः प्रलय काल की कुल अवधि 1728000 *15 = 25920000 होगा। 14 मन्वंतर की अवधि 306720000 * 14 = 4294080000 होगी और एक कल्प की अवधि इन दोनों का योग 4320000000 होगी। जोकि ब्रह्मा का 1 दिन रात है। ब्रह्मा की कुल आयु (100 वर्ष) = 4320000000 * 360 * 100 = 155520000000000 = 155520 अरब वर्ष होगी। यह ब्रह्मांड और उसके पार के ब्रह्मांड का कुल समय होगा। वर्तमान विज्ञान को यह ज्ञात है कि ब्रह्मांड के उस पार भी कुछ है परंतु क्या है यह वर्तमान विज्ञान को अभी ज्ञात नहीं है।

अब हम पुनः एक बार संकल्प को पढ़ते हैं जिसके अनुसार वैवस्वत मन्वन्तर चल रहा है अर्थात 6 मन्वंतर बीत चुके हैं सातवा मन्वंतर चल रहा है। पिछले गणना से हम जानते हैं की एक मन्वंतर 306720000 वर्ष का होता है। छह मन्वंतर बीत चुके हैं अर्थात 306720000 * 6 = 1840320000 वर्ष बीत चुके हैं। इसमें सात प्रलय काल और जोड़े जाने चाहिए अर्थात (1728000 * 7) 12096000 वर्ष और जुड़ेंगे इस प्रकार कुल योग  (1840320000 + 12096000) 1852416000 वर्ष होता है।

हम जानते हैं एक मन्वंतर 71 महायुग का होता है जिसमें से 27 महायुग बीत चुके हैं। एक महायुग 4320000 वर्ष का होता है इस प्रकार 27 महायुग (27*4320000) 116640000 वर्ष के होंगे। इस अवधि को भी हम बीते हुए मन्वंतर काल में जोड़ते हैं (1852416000+116640000) तो ज्ञात होता है कि 1969056000 वर्ष बीत चुके हैं।

28 वें महायुग के कलयुग का समय जो बीत चुका है वह (सतयुग के 1728000 + त्रेता युग 1296000+ द्वापर युग 864000) = 3888000 वर्ष होता है। इस अवधि को भी हम पिछले बीते हुए समय के साथ जोड़ते हैं (1969056000 + 3888000 ) और संवत 2079 कलयुग के 5223 वर्ष बीत चुके हैं।

अतः हम बीते गए समय में कलयुग का समय भी जोड़ दें तो कुल योग 1972949223 वर्ष आता है। इस समय को हम 1.973 Ga वर्ष भी कह सकते हैं।

ऊपर हम बता चुके हैं कि आधुनिक विज्ञान के अनुसार पृथ्वी का प्रोटेरोज़ोइक काल 2.5 Ga से 54.2 Ma वर्ष तथा और इसी अवधि में पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई है। इन दोनों के मध्य में भारतीय गणना अनुसार आया हुआ समय 1.973 Ga वर्ष भी आता है। जिससे स्पष्ट है कि भारत के पुरातन वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर जीवन के प्रादुर्भाव की जो गणना की थी वह बिल्कुल सत्य है।

आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य 4.603 अरब वर्ष पहले अपने आकार में आया था। इसी प्रकार पृथ्वी 4.543 अरब वर्ष पहले अपने आकार में आई थी।

हमारी आकाशगंगा 13.51 अरब वर्ष पहले बनी थी। अभी तक ज्ञात सबसे उम्रदराज वर्लपूल गैलेक्सी 40.03 अरब वर्ष पुरानी है। विज्ञान यह भी मानता है कि इसके अलावा और भी गैलेक्सी हैं जिनके बारे में अभी हमें ज्ञात नहीं है। हिंदू ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मा जी की आयु 155520 अरब वर्ष की है जिसमें से आधी बीत चुकी है। यह स्पष्ट होता है कि ज्योतिषीय संरचनाओं ने  77760 अरब वर्ष पहले आकार लिया था और कम से कम इतना ही समय अभी बाकी है।

आपसे अनुरोध है कि कृपया इस पर अपनी प्रतिकृया अवश्य दें ।  इस पर अगर आपको कोई  संदेह है तो कृपया आवश्यक रूप से बताएं जिससे उसे दूर किया जा सके।

जय मां शारदा।

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ वार्षिक राशिफल 2023 ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆ – शीघ्र प्रकाश्य 

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ धन्वंतरी जयंती या धन त्रयोदशी ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ धन्वंतरी जयंती या धन त्रयोदशी ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

भारतीय परंपरा का पावन त्यौहार धन्वंतरी जयंती या धन त्रयोदशी निकट है । आज मैं आप सभी को इसके महत्व के बारे में बताऊंगा।

दीपावली पांच पर्वों का समूह है जोकि धनतेरस  से प्रारंभ होता है ।

धनतेरस को धनत्रयोदशी धन्वंतरि जयंती या यम त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है । 

धनतेरस को मनाने के लिए के बारे में दो अलग-अलग कथाएं हैं ।

पहली कथा के अनुसार इसी दिन समुंद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत लेकर प्रकट हुए थे । अर्थात इस दिन मानव जाति को अमृत रूपी  औषध प्राप्त हुई थी । इस औषध की एक बूंद ही व्यक्ति के मुख में जाने से  व्यक्ति की कभी भी मृत्यु नहीं होती है । अगर हम आज के संदर्भ में बात करें एक ऐसी वैक्सीन की खोज हुई थी जिसके एक बूंद में  मात्र से व्यक्ति को कभी कोई रोग नहीं हो सकता है ।

दूसरी कथा के अनुसार यमदेव ने एक चर्चा के दौरान बताया है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रात्रि के समय  पूजन एवं दीपदान को विधि पूर्वक पूर्ण करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है । इसमें दीपक और पूजन का महत्व बताया गया है । अगर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यम देव ने संभवत एक ऐसे तेल का आविष्कार किया था जिसका दीप बनाकर प्रयोग करने  से उस दीप की लौ से निकलने वाले गैस को ग्रहण करने से अकाल मृत्यु से व्यक्ति को छुटकारा मिलता था ।  अगर हम ध्यान दें तो इन दोनों कथाओं का संबंध व्यक्ति के स्वास्थ्य से है ।

अगर हम इस त्योहार को सामान्य दृष्टिकोण से देखें तो हम पाते हैं कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तक वर्षा ऋतु समापन पर आ जाती है और इस दिन भी प्रकार की पूजा पाठ करने से तथा दीपक जलाने से विभिन्न प्रकार के कीट पतंगों का जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हैं नष्ट करने में हमें मदद मिलती है।

जैन आगम में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

 धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूँकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनियाँ के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं। धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है । लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी, गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।

आप सभी को यह जानकर प्रसन्नता होगी की धनतेरस को भारत सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मान्यता दी है।

धनत्रयोदशी रात्रि का त्यौहार है इस वर्ष जबलपुर के भुवन विजय पंचांग के अनुसार त्रयोदशी 22 अक्टूबर को सायंकाल 4:04 से प्रारंभ हो रही है और अगले दिन अर्थात 23 तारीख को दिन के 4:35 तक रहेगी । इससे यह स्पष्ट है दीपदान हेतु समय 22 अक्टूबर को सायंकाल 4:04 के बाद ही प्रारंभ होगा । उज्जैन के पुष्पांजलि पंचांग के अनुसार त्रयोदशी 22 तारीख को सायंकाल 5:56 से प्रारंभ हो रही है जो अगले दिन 23 तारीख को सायंकाल 5:58 तक रहेगी । जबलपुर के समय के अनुसार 23 तारीख को 4:30 से 4: 33 रात्रि अंत तक भद्रा रहेगी । 22 तारीख को सायंकाल का मुहूर्त ही उपयुक्त है । धनतेरस की खरीदारी 22 तारीख को सायंकाल उज्जैन के समय के अनुसार सायंकाल 5:56 से 7:29 तक तथा इसके उपरांत रात्रि 9:03 से रात्रि के 25:46  अर्थात रात्रि 1:46 तक  की जा सकती है।

पूजन मुहूर्त की गणना निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार की गई है।

मां शारदा से प्रार्थना है कि आप सभी को सुख समृद्धि और वैभव प्राप्त हो। जय मां शारदा।

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

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ज्योतिष साहित्य ☆ नवरात्रि विशेष – नवरात्रि त्योहार ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ नवरात्रि विशेष – नवरात्रि त्योहार  ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

इस बार मैं आपको नवरात्र त्यौहार क्या है इसे क्यों मनाते हैं और इसकी आराधना किस तरह से करें, इस संबंध में आपको बताने का प्रयास करूंगा ।

नवरात्र शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है पहला नव और दूसरी रात्रि । अर्थात नवरात्रि पर्व 9 रात्रियों का पर्व है ।

9 के अंक का अपने आप में बड़ा महत्व है । यह इकाई की सबसे बड़ी संख्या है । भारतीय ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की संख्या भी नौ है ।

9 का अंक एक ऐसी वस्तु का द्योतक है जिसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता । क्योंकि 9 के अंक को चाहे जिस अंक से गुणा किया जाए प्राप्त अंको का योग भी 9 ही होगा ।
हमारे शरीर में 9 द्वार हैं। 2 आंख ,  दो कान , दो  नाक , एक मुख ,एक मलद्वार , तथा एक मूत्र द्वार। नौ द्वारों को सिद्ध करने हेतु पवित्र करने हेतु नवरात्रि का पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्रि में किए गए पूजन अर्चन तप यज्ञ हवन आदि से यह नवो द्वार शुद्ध होते हैं।

नवरात्रि दो तरह की होती है एक प्रगट नवरात्रि और दूसरी गुप्त नवरात्रि।

हम यहां केवल प्रगट नवरात्रि की ही चर्चा करेंगे। दो प्रगट नवरात्रि होती हैं । पहली नवरात्रि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होती है । इसे वासन्तिक नवरात्रि भी कहते हैं ‌। यह 2 अप्रैल 2022 से थी।

 

दूसरी नवरात्रि अश्वनी महासके शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होती है । इसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं । यह इस वर्ष 26 सितंबर से प्रारंभ हो रही है।

दोनों नवरात्रि में नवरात्रि पूजन प्रतिभा का सीन प्रतिपदा से नौमी पर्यंत किया जाता है प्रतिपदा के दिन घट की स्थापना करके नवरात्रि व्रत का संकल्प करके गणपति तथा मातृका पूजन किया जाता है । इसके उपरांत पृथ्वी का पूजन कर घड़े में आम के हरे पत्ते दूर्वा पंचामृत पंचगव्य डालकर उसके मुंह में सूत्र बांधा जाता है । घट के पास में गेहूं अथवा जव का पात्र रखकर वरुण पूजन करके भगवती का आह्वान करना चाहिए । नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है ।

विभिन्न ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि पूजन के कुछ नियम है, जैसे :-

देवी भागवत के अनुसार अगर अमावस्या और प्रतिपदा एक ही दिन पड़े तो उसके अगले दिन पूजन और घट स्थापना की जाती है।

विष्णु धर्म नाम के ग्रंथ के अनुसार सूर्योदय से 10 घटी तक प्रातः काल में घटस्थापना शुभ होती है।

रुद्रयामल नाम के ग्रंथ के अनुसार यदि प्रातः काल में चित्र नक्षत्र या वैधृति योग हो तो उस समय घट स्थापना नहीं की जाती है अगर इस चीज को टालना संभव ना हो तो अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना की जाएगी।

देवी पुराण के अनुसार देवी की देवी का आवाहन प्रवेशन नित्य पूजन और विसर्जन यह सब प्रातः काल में करना चाहिए।

निर्णय सिंधु नाम के ग्रंथ के अनुसार यदि प्रथमा तिथि वृद्धि हो तो प्रथम दिन घटस्थापना करना चाहिए।

नवरात्र के वैज्ञानिक पक्ष की तरफ अगर हम ध्यान दें तो हम पाते हैं कि दोनों प्रगट नवरात्रों के बीच में 6 माह का अंतर है। चैत्र नवरात्रि के बाद गर्मी का मौसम आ जाता है तथा शारदीय नवरात्रि के बाद ठंड का मौसम आता है। हमारे महर्षि यों ने शरीर को गर्मी से ठंडी तथा ठंडी से गर्मी की तरफ जाने के लिए तैयार करने हेतु इन नवरात्रियों की प्रतिष्ठा की है। नवरात्रि में व्यक्ति पूरे नियम कानून के साथ अल्पाहार  एवं शाकाहार  या पूर्णतया निराहार व्रत रखता है । इसके  कारण शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है।अर्थात शरीर के जो भी विष तत्व है वे बाहर हो जाते हैं । पाचन तंत्र को आराम मिलता है । लगातार 9 दिन के  आत्म अनुशासन की पद्धति के कारण मानसिक स्थिति बहुत मजबूत हो जाती है ।जिससे डिप्रेशन माइग्रेन हृदय रोग आदि बिमारियों  के होने की संभावना कम हो जाती है।

देवी भागवत के अनुसार सबसे पहले मां ने महिषासुर का वध किया । महिषासुर का अर्थ होता है ऐसा असुर जोकि भैंसें के गुण वाला है अर्थात जड़  बुद्धि है । महिषासुर का विनाश करने का अर्थ है समाज से जड़ता का संहार करना। समाज को इस योग्य बनाना कि वह नई बातें सोच सके तथा निरंतर आगे बढ़ सके।

समाज जब आगे बढ़ने लगा तो आवश्यक था कि उसकी दृष्टि पैनी होती और वह दूर तक देख सकता ।अतः तब माता ने धूम्रलोचन का वध कर समाज को दिव्य दृष्टि दी।

धूम्रलोचन का अर्थ होता है धुंधली दृष्टि। इस प्रकार माता जी माता ने धूम्र लोचन का वध कर समाज को दिव्य दृष्टि प्रदान की।

समाज में जब ज्ञान आ जाता है उसके उपरांत बहुत सारे तर्क वितर्क होने लगते हैं ।हर बात के लिए कुछ लोग उस के पक्ष में तर्क देते हैं और कुछ लोग उस के विपक्ष में तर्क देते हैं । जिससे समाज की प्रगति अवरुद्ध जाती है । चंड मुंड इसी तर्क और वितर्क का प्रतिनिधित्व करते हैं ।माता ने चंड मुंड की हत्या कर समाज को बेमतलब के तर्क वितर्क से आजाद कराया।

समाज में नकारात्मक ऊर्जा के रूप में मनो ग्रंथियां आ जाती हैं ।रक्तबीज इन्हीं मनो ग्रंथियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिस प्रकार एक रक्तबीज को मारने पर अनेकों रक्तबीज पैदा हो जाते हैं उसी प्रकार एक नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने पर हजारों तरह की नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। जिस प्रकार सावधानी से रक्तबीज को मां दुर्गा ने समाप्त किया उसी प्रकार नकारात्मक ऊर्जा को भी सावधानी के साथ ही समाप्त करना पड़ेगा।

शारदीय नवरात्र में प्रतिपदा को माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है । उसके उपरांत द्वितीया को ब्रह्मचारिणी त्रितिया को चंद्रघंटा चतुर्थी को कुष्मांडा पंचमी को स्कंदमाता षष्टी को कात्यायनी सप्तमी को कालरात्रि अष्टमी को महागौरी और नवमी को सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है ।

नवरात्रि के दिनों में हमें मनसा वाचा कर्मणा शुद्ध रहना चाहिए। किसी भी प्रकार के मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए । नवरात्र में लोग बाल बनवाना दाढ़ी बनवाना नाखून काटना पसंद नहीं करते हैं । शुद्ध रहने के लिए आवश्यक है कि हम मांसाहार प्याज लहसुन आदि तामसिक पदार्थों का त्याग करें । तला खाना भी त्याग करना चाहिए ।

अगर आपने नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित किया है या अखंड ज्योत जला रहे हैं तो आपको इन दिनों घर को खाली छोड़कर नहीं जाना चाहिए ।

नवरात्र में प्रतिदिन हमें साफ कपड़े साफ और झूले हुए कपड़े पहनना चाहिए । एक विशेष ध्यान देने योग्य बात है कि इन 9 दिनों में नींबू को काटना नहीं चाहिए । क्योंकि अगर आप नींबू काटने का कार्य करेंगे तो तामसिक शक्तियां आप पर प्रभाव जमा सकती हैं।

विष्णु पुराण के अनुसार नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोना निषेध है।

अगर आप इन दिनों मां के किसी मंत्र का जाप कर रहे हैं पूजा की शुद्धता पर ध्यान दें ।जाप समाप्त होने तक उठना नहीं चाहिए।

इन दिनों शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।

नवरात्रि में रात्रि का दिन से ज्यादा महत्व  है ।इसका विशेष कारण है। नवरात्रि में हम व्रत संयम नियम यज्ञ भजन पूजन योग साधना बीज मंत्रों का जाप कर सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। राज्य में प्रचलित के बहुत सारे और रोज प्रकृति स्वयं ही समाप्त कर देती है। जैसे कि हम देखते हैं अगर हम जिनमें आवाज दें तो वह कम दूर तक जाएगी परंतु रात्रि में वही आवाज दूर तक जाती है दिल में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों को रेडियो तरंगों को आज को रोकती है अगर हम दिन में रेडियो से किसी स्टेशन के गाने को सुनें तो वह रात्रि में उसी रोडियो से उसी स्टेशन के गाने से कम अच्छा सुनाई देगा और संघ की आवाज भी घंटे और शंख की आवाज भी दिन में कम दूर तक जाती है जबकि रात में ज्यादा दूर तक जाती है। दिन में वातावरण में कोलाहल रहता है जबकि रात में शांति रहती है। नवरात्रि में  सिद्धि हेतु रात का ज्यादा महत्व दिया गया है ।

नवरात्रि हमें यह भी संदेश देती है की सफल होने के लिए सरलता के साथ ताकत भी आवश्यक है जैसे माता के पास कमल के साथ चक्र एवं त्रिशूल आदि हथियार भी है समाज को जिस प्रकार  कमलासन की आवश्यकता है उसी प्रकार सिंह अर्थात ताकत ,वृषभ अर्थात गोवंश , गधा अर्थात बोझा ढोने वाली  ताकत , तथा पैदल अर्थात स्वयं की ताकत सभी कुछ आवश्यक है।

मां दुर्गा से प्रार्थना है कि वह आपको पूरी तरह सफल करें ।आप इस नवरात्रि में  जप तप पूजन अर्चन कर मानसिक एवं शारीरिक दोनों रुप में आगे के समय के लिए पूर्णतया तैयार हो जाएं।

जय मां शारदा 🙏🏻

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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