श्री सुजित कदम
(श्री सुजित कदम जी की कवितायेँ /आलेख/कथाएँ/लघुकथाएं अत्यंत मार्मिक एवं भावुक होती हैं. इन सबके कारण हम उन्हें युवा संवेदनशील साहित्यकारों में स्थान देते हैं। उनकी रचनाएँ हमें हमारे सामाजिक परिवेश पर विचार करने हेतु बाध्य करती हैं. मैं श्री सुजितजी की अतिसंवेदनशील एवं हृदयस्पर्शी रचनाओं का कायल हो गया हूँ. पता नहीं क्यों, उनकी प्रत्येक कवितायें कालजयी होती जा रही हैं, शायद यह श्री सुजितजी की कलम का जादू ही तो है! आज प्रस्तुत है एक तीन मराठी “मराठी क्षणिकाएं ” )
☆ साप्ताहिक स्तंभ – सुजित साहित्य #33☆
☆ मराठी क्षणिकाएं ☆
लेकराला कुशीत घेतल्यावर
मिळणार सुख हे
कित्येक वेळा
निःशब्द करून जातं…..!
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माझ्या
कमावत्या हातात
जेव्हा मी .. .
लेकराचा इवलासा
हात पकडतो ना.. .
तेव्हा खरंच
श्रीमंत झाल्यासारखं वाटतं….!
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हल्ली हल्ली शब्दांचाही
विसर पडू लागलाय
हे आयुष्या तुला संभाळता संभाळता….,
अक्षरांचा हात सुटू लागलाय..
© सुजित कदम, पुणे
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