(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक पूर्णिका – राह लंबी हो भले ही।)
विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ?
☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (31 मार्च से 6 अप्रैल 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆
जिंदगी एक यात्रा है जिसको आत्मा शरीर रूपी वाहन के माध्यम से चलकर पूरा करती है। इस प्रकार वाहन आपका है। समय आपका है। यात्रा आपकी है और शरीर भी आपका है। आपको अपने पर विश्वास कर इस यात्रा को पूर्ण करना है। 31 मार्च से 6 अप्रैल 2025 तक के सप्ताह की यात्रा में आपको सफल बनाने के लिए मैं पंडित अनिल पांडे इस सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के माध्यम से अच्छे और बुरे समय के बारे में आपको बताऊंगा।
इस सप्ताह सूर्य और शनि मीन राशि में है। इनके अलावा वक्री बुध बक्री राहु और बक्री शुक्र भी मीन राशि में भ्रमण कर रहे हैं। मंगल ग्रह मिथुन राशि में है परंतु 2 तारीख के 9:42 रात से कर्क राशि में प्रवेश कर जाएगा। गुरु पूरे सप्ताह वृष राशि में रहेगा। आईये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।
मेष राशि
इस सप्ताह आपका, आपके जीवनसाथी का आपके माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। संतान का स्वास्थ्य भी ठीक रहने की उम्मीद है। छठे भाव पर मंगल की दृष्टि के कारण आपको थोड़ा बहुत रक्त संबंधी बीमारी हो सकती है। दूसरे भाव में बैठे चंद्रमा के कारण धन आने की उम्मीद है। कचहरी के कार्यों में और ऋण संबंधी व्यवसाय में सतर्क रहें। इस सप्ताह आपके लिए 31 मार्च 1 और 6 अप्रैल किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त हैं। दो और तीन अप्रैल को अगर आप प्रयास करेंगे तो आपके पास धन आ सकता है। सप्ताह के बाकी दिन सामान्य है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।
वृष राशि
इस सप्ताह आपका आपके जीवनसाथी का आपके माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य पिछले सप्ताह जैसा ही रहेगा। लाभ के भाव में स्थित सूर्य के कारण इस सप्ताह आपके पास धन आएगा परंतु इसी भाव में वक्री शुक्र, वक्री बुध और बक्री राहु के होने के कारण धन आने में बहुत सारी बाधाएं भी हैं। धन भाव में शत्रु क्षेत्री मंगल भी है जिसके कारण भी धन आने के मार्ग में बाधा रहेगी। इस सप्ताह आपके लिए दो और तीन अप्रैल किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त हैं। 31 मार्च और 1 अप्रैल को आपको कोई भी कार्य सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन चावल का दान दें और शुक्रवार को मंदिर में जाकर पुजारी जी को सफेद वस्त्रो का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
मिथुन राशि
यह सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए उत्तम रहेगा। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। माताजी और पिताजी के स्वास्थ्य में उच्च नीच चलती रहेगी। मित्र राशि में स्थित सूर्य के कारण कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक रहेगी। परंतु आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। आपके द्वादश भाव का स्वामी शुक्र उच्च का वक्री होकर कर्म भाव में बैठा हुआ है। अतः आपको कचहरी के कार्यों में सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए चार और 5 अप्रैल किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त हैं। दो और तीन अप्रैल को आपको सोच विचार कर कार्य को करना चाहिए। 6 अप्रैल को आपके पास धन आ सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काली उड़द का दान करें और शनिवार को शनि मंदिर में जाकर शनि देव का पूजन करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
कर्क राशि
इस सप्ताह आपके पास समान्य धन आने की उम्मीद है। आपका आपके जीवनसाथी का, आपके माता-पिता जी का और आपकी संतान का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप अपने परिश्रम पर विश्वास करें। परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि भाग्य इस सप्ताह आपका साथ नहीं देगा। भाग्य भाव में स्थित सूर्य आपको भाग्य के कारण लाभ दिलवाएगा परंतु बक्री बुध शुक्र शनि और राहु के कारण भाग्य से लाभ की मात्रा बहुत ज्यादा नहीं रहेगी। इस सप्ताह आपके लिए 31 मार्च और 1 अप्रैल तथा 6 अप्रैल कार्यों को करने हेतु अनुकूल हैं। चार और पांच अप्रैल को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। दो और तीन अप्रैल को आपके पास धन आ सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।
सिंह राशि
इस सप्ताह आपके पूरे परिवार का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। दुर्घटनाओं से आपको इस सप्ताह सावधान रहना चाहिए। लाभ भाव में स्थित मंगल के कारण इस सप्ताह अगर आप दुर्घटनाग्रस्त होते हैं तो भी आपको ज्यादा चोट नहीं आएगी। थोड़े धन आने की उम्मीद की जा सकती है। इस सप्ताह आपके लिए दो और तीन अप्रैल कार्यों को करने के लिए लाभदायक है 6 अप्रैल को आपको सावधानीपूर्वक कार्यों को करना चाहिए। दो और 3 अप्रैल को आपकी कुंडली के गोचर में गजकेसरी योग बन रहा है जिसके कारण दो और तीन को किए गए कार्यों में आपको शत-प्रतिशत सफलता मिल सकती है। इस सप्ताह आपको आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
कन्या राशि
इस सप्ताह आपके माता जी का, आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य ठीक रह सकता है। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है। सप्तम भाव में बैठे शुक्र के कारण अविवाहित जातकों के विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। नीच के बुध के बक्री होने के कारण व्यापार ठीक चलेगा। इस सप्ताह आपके लिए चार और पांच अप्रैल कार्यों को करने हेतु फलदायक हैं। 31 मार्च और 1 अप्रैल को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। दो और तीन अप्रैल को भाग्य आपका विशेष रूप से साथ दे सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
तुला राशि
इस सप्ताह आपके परिवार के लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना पड़ेगा क्योंकि शत्रु क्षेत्री मंगल आपके भाग्य भाव में विराजमान है। छठे भाव में बैठे वक्री ग्रहों के कारण आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए। परंतु मजबूत सूर्य आपको शत्रुओं से बचाएगा। कचहरी के कार्यों में आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 31 मार्च और 1 अप्रैल तथा 6 अप्रैल कार्यों को करने के लिए परिणाम दायक है। दो और तीन अप्रैल को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
वृश्चिक राशि
इस सप्ताह आपका आपके माता जी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। जीवन साथी के साथ में थोड़ी तकलीफ हो सकती है। नवम भाव में बैठे नीच के मंगल के कारण इस सप्ताह आपको अपने परिश्रम पर यकीन करना पड़ेगा। आपको भाग्य से कोई विशेष मदद नहीं मिल पावेगी। पंचम भाव में मित्र राष्ट्र में सूर्य बैठा हुआ है। इस कारण आपको अपने संतान से मदद मिल सकती है। छात्रों के लिए यह सप्ताह बड़ा उलझन भरा रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए दो और तीन अप्रैल किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। सप्ताह के बाकी दोनों में आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
धनु राशि
इस इस सप्ताह आपका और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके जीवन साथी को रक्त संबंधी कोई समस्या हो सकती है। माता जी को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आपको भी पेट में कोई तकलीफ हो सकती है। आपकी प्रतिष्ठा इस सप्ताह बढ़ेगी। कार्यालय के कार्यों में आपकी उत्साह में वृद्धि होगी। इस सप्ताह आपके लिए चार और पांच अप्रैल कार्यों को करने के लिए उपयुक्त है। 2, 3 और 6अप्रैल को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।
मकर राशि
इस सप्ताह आपका, आपके पिताजी और माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। सप्तम भाव में नीच के मंगल के कारण आपके जीवन साथी के स्वास्थ्य में थोड़ी बहुत समस्या हो सकती है। पंचम भाव में बैठा गुरु छात्रों की पढ़ाई को ठीक ढंग से कराएगा तथा आपको अपने संतान से सहयोग भी दिलवाएगा। भाग्य से आपके सहयोग मिल सकता है। लंबी यात्रा हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 31 मार्च, 1 अप्रैल और 6 अप्रैल कार्यों को करने के लिए उपयुक्त है। चार और पांच अप्रैल को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
कुंभ राशि
इस सप्ताह आपको धन की प्राप्ति हो सकती है। थोड़ा सा प्रयास करने पर भी आपको अधिक धन की प्राप्ति होगी। परंतु यह सब धन आपको गलत रास्ते से ही आता हुआ प्रतीत होता है। आपका, आपके पिताजी का और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए दो और तीन अप्रैल लाभदायक है। 6 अप्रैल को आपको कोई भी कार्य बड़े सोच समझ कर करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन लाल मसूर की दाल का दान करें और मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।
मीन राशि
इस सप्ताह मंगल पंचम भाव में नीच भंग राजयोग बना रहा है। जिसके कारण छात्रों की शिक्षा उत्तम चलेगी। आपको अपने संतान से सहयोग भी प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लग्न भाव में पांच ग्रह हैं जिसके कारण आपको इस सप्ताह काफी उथल-पुथल का सामना करना पड़ सकता है। इन ग्रहों में बुध और शुक्र अस्त हैं अतः इनका कोई खास प्रभाव नहीं रहेगा। राहु के कारण सूर्य भी कोई विशेष प्रभाव नहीं दिखा पाएगा। इस सभी कारणों से आपको कोई चिंता करने की विशेष आवश्यकता नहीं है। इस सप्ताह आपके लिए चार और पांच अप्रैल किसी भी कार्य को करने के लिए परिणाम दायक हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहले रोटी गौ माता को दें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।
(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब) शिक्षा- एम ए हिंदी , बी एड , प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । यादों की धरोहर हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह -एक संवाददाता की डायरी को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से कथा संग्रह-महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित – “कविता – आदमी जिये नित आदमी के लिये…” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे.।)
☆ काव्य धारा # 218 ☆
☆ शिक्षाप्रद बाल गीत – आदमी जिये नित आदमी के लिये… ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
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जाति में धर्म में भिन्नता हो भले,
भिन्न परिवेश हों और व्यवस्था अलग
हो पढ़ा या अनपढ़ हो गुणी-अवगुणी
आदमी कोई किसी से रहे न विलग ।
ऊपरी भेद दिखते अनेकों भले,
भीतरी पर कहीं कोई अन्तर नहीं
हैं वही भावनाएँ, वही सोच सब
बातें वैसी ही, वैसा ही व्यवहार भी ॥
रूप रंग साजसज्जा तो हैं बाहरी मन के,
भावों का अन्दर है एक-सा चलन एक-सी जिंदगी,
एक-सी आदतें, एक-सी लालसा एक जीवन-मरण।
स्वार्थ है हर जगह आपसी वैर भी, प्रेम का भाव भी
द्वेष भी द्वन्द भी इसी से प्रीति की बेल पलती नहीं,
(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जीद्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों/अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं में आज प्रस्तुत है एक विचारणीय रचना “सुख सौभाग्य…”। इस सार्थक रचना के लिए श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को सादर नमन। आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आलेख # 236 ☆सुख सौभाग्य… ☆
प्रकृति ने पूरी सृष्टि को नियमों के दायरे में रखा है, जब इनका उल्लंघन होता है तभी आकस्मिक घटनाएँ देखने को मिलती हैं। अक्सर किसी को कुछ सिखाने के लिए हम स्वयं भी वही गलती करते हैं जिससे सामने वाले को अहसास हो और वो सुधर जाए किन्तु परिणाम इसके विपरीत होता है। जैसे ही हमने जानबूझकर गलती की वैसे ही दूसरे लोग अनुगामी बन वही करने लगते हैं। इस प्रक्रिया से बात बनने के बजाय बिगड़ जाती है।
सर्वसुलभ यदि कुछ है, तो वो केवल सलाहकार होता है, जो बिन माँगे अपने अनुभवों की पिटारी से नुस्खे देता जाता है। भले ही वो अपनी समस्याओं का हल खोजने में अक्षम हो पर आपकी उलझन चुटकियों में सुलझा सकता है ऐसा उसका दावा है।
सबसे सहज और सरल मार्ग शुभाशीष का है, जिसके ऊपर गुरुजनों का आशीर्वाद होता उसे सौभाग्य अर्थात अच्छा भाग्य, कुशल, मंगल जीवन, सुख, प्रसन्नता, खुशहाली का वातावरण सहजता से मिलने लगता है।
(डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ एक प्रसिद्ध व्यंग्यकार, बाल साहित्य लेखक, और कवि हैं। उन्होंने तेलंगाना सरकार के लिए प्राथमिक स्कूल, कॉलेज, और विश्वविद्यालय स्तर पर कुल 55 पुस्तकों को लिखने, संपादन करने, और समन्वय करने में महत्वपूर्ण कार्य किया है। उनके ऑनलाइन संपादन में आचार्य रामचंद्र शुक्ला के कामों के ऑनलाइन संस्करणों का संपादन शामिल है। व्यंग्यकार डॉ. सुरेश कुमार मिश्र ने शिक्षक की मौत पर साहित्य आजतक चैनल पर आठ लाख से अधिक पढ़े, देखे और सुने गई प्रसिद्ध व्यंग्यकार के रूप में अपनी पहचान स्थापित की है। तेलंगाना हिंदी अकादमी, तेलंगाना सरकार द्वारा श्रेष्ठ नवयुवा रचनाकार सम्मान, 2021 (तेलंगाना, भारत, के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के करकमलों से), व्यंग्य यात्रा रवींद्रनाथ त्यागी सोपान सम्मान (आदरणीय सूर्यबाला जी, प्रेम जनमेजय जी, प्रताप सहगल जी, कमल किशोर गोयनका जी के करकमलों से), साहित्य सृजन सम्मान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों से और अन्य कई महत्वपूर्ण प्रतिष्ठात्मक सम्मान प्राप्त हुए हैं। आप प्रत्येक गुरुवार डॉ सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – चुभते तीर में उनकी अप्रतिम व्यंग्य रचनाओं को आत्मसात कर सकेंगे। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी विचारणीय व्यंग्य रचना चाय की चुस्की में जिंदगी।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ चुभते तीर # 45 – चाय की चुस्की में जिंदगी ☆ डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’☆
(तेलंगाना साहित्य अकादमी से सम्मानित नवयुवा व्यंग्यकार)
सुबह का सूरज अभी आंखें मल रहा था, और मैं, एक अदना-सा चायवाला, अपनी टपरी पर खड़ा था—हाथ में चूल्हा, मन में सपने, और आंखों में धुआं। “ए भैया, एक कटिंग चाय देना,” एक साहब बोले, सूट-बूट में लिपटे, गाड़ी से उतरते हुए जैसे कोई फिल्म का हीरो हो। मैंने चाय का गिलास थमाया, और वो बोले, “कितना हुआ?” मैंने कहा, “दस रुपये, साहब।” वो हंसे, जेब से सौ का नोट निकाला और बोला, “बाकी रख ले, मेहनत की कमाई है।” मैंने मन ही मन सोचा, “अरे, मेहनत तो मेरी है, पर कमाई आपकी जेब में क्यों?” फिर भी, चुप रहा—आखिर ग्राहक भगवान होता है, और भगवान को गाली कौन देता है? पास में कुत्ता भौंक रहा था, शायद मेरी किस्मत पर हंस रहा था। साहब चाय पीते हुए बोले, “बड़ा स्वाद है, बेटा। मेहनत का फल मीठा होता है।” मैंने सोचा, “तो फिर मेरे हिस्से का मीठा आपके गिलास में क्यों घुल गया?” पर मुस्कुरा दिया—जिंदगी का पहला सबक: हंसते हुए रोना। चाय की भाप उड़ रही थी, और मेरे सपने भी उसी भाप की तरह हवा में गायब हो रहे थे। साहब गाड़ी में बैठे, और मैं फिर चूल्हे के सामने—धुआं, पसीना, और एक टूटी चप्पल। “चलो, एक और दिन कट गया,” मैंने खुद से कहा, पर दिल से एक आह निकली—काश, मेरी चाय की तरह मेरी जिंदगी में भी कोई स्वाद डाल जाता।
दोपहर ढल रही थी, और टपरी पर भीड़ बढ़ रही थी। एक बाबूजी आए, फटी कमीज़, झोला लटकाए, बोले, “भैया, चाय पिलाओ, पैसे कल दूंगा।” मैंने गिलास थमा दिया, सोचा, “कल तो सूरज भी नहीं देखता मेरी टपरी को, आपकी जेब क्या देखेगी?” वो चाय पीते हुए बोले, “बेटा, मैं क्लर्क था, रिटायर हो गया। पेंशन नहीं मिली, घर चलाना मुश्किल है।” मैंने कहा, “बाबूजी, मेरे पास भी तो कुछ नहीं, फिर भी चाय पिला रहा हूं।” वो हंसे, “हां, दुनिया ऐसी ही है—जो पास नहीं, वो पास रहता है।” उनकी आंखों में आंसू थे, मेरी आंखों में धुआं। पास में एक बच्चा गुटखा थूक रहा था, शायद मेरी जिंदगी का मजाक उड़ा रहा था। “अरे, बाबूजी, आपकी पेंशन कहां गई?” मैंने पूछा। बोले, “ऊपर वालों ने खा ली, बेटा।” मैंने सोचा, “और मेरी कमाई को नीचे वाले खा रहे हैं—क्या खूब इंसाफ है!” चाय खत्म हुई, बाबूजी चले गए, और मैंने गिलास धोया—उनकी कहानी मेरे हाथों में चिपक गई। “चलो, एक और ग्राहक का दुख सुन लिया,” मैंने खुद को तसल्ली दी, पर मन में सवाल उठा—क्या मेरी टपरी सिर्फ चाय बेचती है, या लोगों के आंसुओं का ठिकाना है?
शाम का धुंधलका छा रहा था, और टपरी पर एक नया मेहमान आया—एक स्कूल का बच्चा, किताबें लिए, बोला, “चाचा, एक चाय देना, मम्मी ने पैसे नहीं दिए।” मैंने चाय बनाई, गिलास थमाया, और पूछा, “स्कूल में क्या सीखा आज?” वो बोला, “मैम ने कहा, मेहनत करो, बड़ा आदमी बनो।” मैं हंसा, “बेटा, मेहनत तो मैं भी करता हूं, पर बड़ा आदमी कहां बना?” वो चाय पीते हुए बोला, “चाचा, आपकी चाय अच्छी है, पर आप गरीब क्यों हैं?” मेरे सीने में कुछ चुभा, पर मैंने कहा, “बेटा, गरीबी मेरी दोस्त है, छोड़ती नहीं।” वो चुप रहा, चाय खत्म की, और चला गया। मैंने सोचा, “कितना सच बोला—स्कूल में मेहनत सिखाते हैं, पर जिंदगी में धोखा देते हैं।” पास में एक गाना बज रहा था, “सपने बिकते हैं बाजार में…” मैंने मन में कहा, “हां, और मेरे सपने इस चूल्हे में जल रहे हैं।” बच्चे की मासूमियत मुझे काटने लगी—उसकी आंखों में भविष्य था, और मेरी आंखों में सिर्फ धुआं। “चलो, एक और दिन बीत गया,” मैंने खुद को समझाया, पर दिल से चीख निकली—काश, मेरी मेहनत का फल कोई बच्चा न चुराए।
रात गहरा रही थी, और टपरी पर एक आखिरी ग्राहक आया—एक औरत, साड़ी फटी हुई, बोली, “भैया, चाय दे दो, भूख लगी है।” मैंने चाय के साथ एक बिस्किट भी दे दिया। वो बोली, “पैसे नहीं हैं, माफ कर दो।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, दीदी, भूख को पैसे नहीं चाहिए।” वो चाय पीते हुए रोने लगी, “मेरा बेटा बीमार है, दवा के लिए पैसे नहीं।” मैंने पूछा, “काम क्यों नहीं करतीं?” बोली, “काम किया, पर मालिक ने पैसे नहीं दिए।” मैंने सोचा, “अरे, ये तो मेरी कहानी है—काम करो, और फिर भी खाली हाथ रहो।” उसकी आंखों में आंसू थे, मेरे मन में गम। पास में कौआ कांव-कांव कर रहा था, शायद मेरी बेबसी का गाना गा रहा था। “दीदी, सब ठीक हो जाएगा,” मैंने कहा, पर खुद पर हंसी आई—ठीक तो कुछ होता नहीं। वो चाय पीकर चली गई, और मैंने चूल्हा बुझाया। “चलो, एक और रात कट गई,” मैंने कहा, पर दिल से सिसकी निकली—क्या मेरी टपरी सिर्फ चाय नहीं, बल्कि दुखों का अड्डा बन गई है?
सुबह फिर आई, और मैं फिर टपरी पर खड़ा था। एक साहब आए, बोले, “चाय दे, जल्दी।” मैंने चाय थमाई, वो बोले, “पांच रुपये में चाय मिलती थी, अब दस क्यों?” मैंने कहा, “साहब, महंगाई बढ़ी है, चूल्हा भी तो जलाना पड़ता है।” वो हंसे, “अरे, तू तो बड़ा बन गया, चायवाला!” मैंने सोचा, “हां, साहब, बड़ा तो बन गया, पर जेब अभी भी छोटी है।” वो चाय पीकर चले गए, और मैंने गिलास धोया। पास में एक भिखारी बैठा था, बोला, “भैया, मुझे भी चाय दे दो।” मैंने दे दी, वो बोला, “तू अच्छा आदमी है।” मैं हंसा, “हां, अच्छाई की सजा तो भुगत रहा हूं।” उसकी मुस्कान में मेरी हार दिखी। “चलो, एक और सुबह शुरू हुई,” मैंने कहा, पर मन में ठंडी हवा चली—क्या ये जिंदगी बस चाय के गिलासों में सिमट गई? हर ग्राहक एक कहानी छोड़ जाता था, और मैं हर कहानी में खुद को पाता था—हंसता हुआ, रोता हुआ, और फिर भी खड़ा हुआ।
दोपहर का सूरज चढ़ रहा था, और टपरी पर एक नया तमाशा शुरू हुआ। एक नेता जी आए, बोले, “चाय पिलाओ, हम तुम्हें बड़ा बनाएंगे।” मैंने चाय दी, और पूछा, “कैसे, साहब?” बोले, “वोट दो, हम गरीबी हटाएंगे।” मैंने कहा, “साहब, वोट तो दिया, पर गरीबी मेरे साथ सोती है।” वो हंसे, “अरे, धैर्य रखो, बदलाव आ रहा है।” मैंने सोचा, “हां, बदलाव तो आया—पांच रुपये की चाय दस की हो गई।” वो चाय पीकर चले गए, और मैंने चूल्हे में लकड़ी डाली। पास में एक कुत्ता पूंछ हिला रहा था, शायद मेरी उम्मीदों का मजाक उड़ा रहा था। “चलो, एक और वादा सुन लिया,” मैंने खुद से कहा, पर मन में चुभन हुई—क्या ये नेता मेरी चाय से ज्यादा कड़वे नहीं? हर बार वही ढोल, वही गाना—और मैं वही चायवाला, उसी टपरी पर। जिंदगी एक फिल्म बन गई थी, और मैं उसका वो किरदार जो हर सीन में हार जाता है।
शाम फिर ढली, और टपरी पर सन्नाटा छा गया। एक बूढ़ा आया, बोला, “बेटा, चाय दे, थक गया हूं।” मैंने चाय दी, वो बोला, “मैंने जिंदगी भर मेहनत की, पर कुछ नहीं बचा।” मैंने कहा, “बाबा, मेरे पास भी तो बस ये टपरी है।” वो रोने लगे, “बेटा, मेरे बेटे ने मुझे छोड़ दिया।” मेरे गले में कुछ अटक गया, मैंने कहा, “बाबा, मेरे पास भी कोई नहीं।” वो चाय पीते हुए बोले, “जिंदगी एक धोखा है।” मैंने सोचा, “हां, और मैं उस धोखे का चायवाला हूं।” वो चले गए, और मैंने टपरी समेटी। पास में हवा सनसना रही थी, शायद मेरी कहानी को सुन रही थी। “चलो, एक और दिन खत्म,” मैंने कहा, पर आंखों से आंसू टपके—क्या ये टपरी मेरी जिंदगी है, या मेरी जिंदगी की कब्र? हर गिलास में एक दर्द था, हर चुस्की में एक आह।
रात फिर आई, और मैं टपरी बंद कर घर लौटा—एक कमरा, एक चटाई, और एक टूटा सपना। चूल्हे का धुआं मेरे पीछे आ गया था, मेरी सांसों में बस गया था। मैंने सोचा, “ये चाय की टपरी मेरी जिंदगी बन गई—हर दिन एक नया ग्राहक, हर ग्राहक एक नया दुख।” बाबूजी की पेंशन, बच्चे की मासूमियत, औरत की भूख, बूढ़े की थकान—सब मेरे गिलासों में घुल गए थे। “क्या मैं चाय बेचता हूं, या लोगों के आंसुओं को?” मैंने खुद से पूछा, पर जवाब नहीं मिला। बाहर बारिश शुरू हो गई थी, और मेरे कमरे की छत टपक रही थी। मैंने चटाई सरकाई, पर आंसू नहीं रुके। “चलो, एक और रात बीत गई,” मैंने कहा, और बिस्तर पर लेट गया। पर दिल से एक चीख निकली—काश, मेरी चाय की तरह मेरी जिंदगी में भी कोई गर्माहट होती। पर नहीं, ये चाय की चुस्की नहीं—ये जिंदगी का जहर था, जो हर घूंट में मुझे मार रहा था।
(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है एक आलेख – “सुनीता विलियम्स की धरती पर वापसी यात्रा…” ।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 343 ☆
आलेख – सुनीता विलियम्स की धरती पर वापसी यात्रा… श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अदभुत रिकॉर्ड बनाए हैं। उनकी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा, जो मूल रूप से 10 दिनों की थी, तकनीकी जटिलताओं के कारण नौ महीने तक बढ़ गई। अंततोगत्वा 19 मार्च 2025 को, सुनीता विलियम्स और उनके साथी नासा अंतरिक्ष यात्री बैरी “बुच” विल्मोर सफलतापूर्वक धरती पर लौट आए। उनकी वापसी की यह यात्रा न केवल एक मानवीय उपलब्धि थी, बल्कि अंतरिक्ष तकनीक और सहनशक्ति की एक जटिल, प्रेरक कहानी भी है।
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने 5 जून 2024 को बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान के पहले मानवयुक्त परीक्षण उड़ान (क्रू फ्लाइट टेस्ट) के तहत आईएसएस के लिए उड़ान भरी थी। यह मिशन नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य बोइंग के स्टारलाइनर को नियमित मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए प्रमाणित करना था। मूल योजना के अनुसार, यह मिशन 8 से 10 दिनों का होना था, लेकिन स्टारलाइनर के साथ तकनीकी समस्याओं ने इसे एक लंबी मानवीय और तकनीक की परीक्षा में बदल दिया।
आईएसएस पर पहुंचने के बाद, स्टारलाइनर में हीलियम रिसाव और थ्रस्टर (प्रणोदन प्रणाली) की खराबी की समस्याएं सामने आईं। हीलियम रिसाव अंतरिक्ष यान के प्रणोदन तंत्र को प्रभावित कर सकता था, जो इसकी कक्षा को नियंत्रित करने और सुरक्षित वापसी के लिए आवश्यक है। इसके अलावा, कई थ्रस्टर्स के अप्रत्याशित रूप से बंद होने से नासा और बोइंग के वैज्ञानिकों के समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई। इन समस्याओं के कारण स्टारलाइनर को अंतरिक्ष यात्रियों के साथ वापस लाने को जोखिम भरा माना गया तथा नासा ने फैसला किया कि स्टारलाइनर को बिना चालक दल के धरती पर वापस लाया जाए, जो सितंबर 2024 में न्यू मैक्सिको में सफलतापूर्वक उतरा।
स्पेसएक्स की भूमिका और क्रू ड्रैगन
स्टारलाइनर के असफल होने के बाद, सुनीता और बुच की वापसी के लिए नासा ने स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर भरोसा किया। स्पेसएक्स, जो पहले से ही नासा के लिए नियमित क्रू रोटेशन मिशन संचालित कर रहा था, इस स्थिति में एक विश्वसनीय विकल्प साबित हुआ। क्रू-9 मिशन, जो सितंबर 2024 में शुरू हुआ, में केवल दो अंतरिक्ष यात्री- नासा के निक हेग और रूस के रोस्कोस्मोस के अलेक्जेंडर गोर्बुनोव- शामिल थे, ताकि सुनीता और बुच के लिए वापसी की जगह बनाई जा सके। हालांकि, उनकी वापसी को फरवरी 2025 में निर्धारित किया गया था, लेकिन क्रू-10 मिशन की तैयारी में देरी के कारण यह मार्च 2025 तक टल गया।
क्रू-10 मिशन 12 मार्च 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए लॉन्च हुआ। इसमें चार अंतरिक्ष यात्री- नासा की ऐनी मैकक्लेन और निकोल आयर्स, जापान के तकुया ओनिशी, और रूस के किरिल पेस्कोव- शामिल थे। यह टीम आईएसएस पर क्रू-9 की जगह लेने के लिए पहुंची। क्रू ड्रैगन “एंड्योरेंस” ने 16 मार्च को आईएसएस के हार्मनी मॉड्यूल से सफलतापूर्वक जुड़ाव किया। इसके बाद, दो दिनों के हैंडओवर पीरियड के दौरान, सुनीता और बुच ने अपनी जिम्मेदारियों को नए क्रू को सौंपा।
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की वापसी क्रू ड्रैगन “फ्रीडम” अंतरिक्ष यान के जरिए हुई, जो क्रू-9 मिशन का हिस्सा था। यह अंतरिक्ष यान 18 मार्च 2025 को आईएसएस से अलग हुआ और 19 मार्च को फ्लोरिडा के तट पर अटलांटिक महासागर में पैराशूट की सहायता से सुरक्षित रूप से उतरा। वापसी की प्रक्रिया में अनडॉकिंग के बाद क्रू ड्रैगन ने आईएसएस से अलग होने के बाद अपनी कक्षा को धीरे-धीरे कम करने के लिए कई नियंत्रित “बर्न” किए। यह प्रक्रिया अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के लिए सही स्थिति में लाने के लिए आवश्यक होती है।
पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान अंतरिक्ष यान ने लगभग 3, 000 डिग्री फारेनहाइट (1, 650 डिग्री सेल्सियस) के तापमान का सामना किया। इसका हीट शील्ड, जो सिरेमिक सामग्री से बना था, इस भीषण गर्मी से चालक दल की रक्षा करने में सक्षम था। आपको याद होगा कि कल्पना चावला को लेकर लौट रहा यान इसी प्रक्रिया में जलकर राख हो गया था।
पुनर्प्रवेश के बाद, क्रू ड्रैगन ने चार पैराशूट सफलता पूर्वक खोल दिए जिससे इस कैप्सूल की गति को धीमा कर नियंत्रित किया। इसके बाद यह फ्लोरिडा के तट पर समुद्र में उतरा, जहां नासा और स्पेसएक्स की रिकवरी टीमों ने अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला।
इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 17 घंटे लगे, जो रूस के सोयुज अंतरिक्ष यान की तुलना में अधिक समय था, जो केवल 3। 5 घंटे में वापसी करता है। क्रू ड्रैगन की डिजाइन में सुरक्षा और आराम पर जोर दिया गया था, जिसके कारण यह धीमी और नियंत्रित प्रक्रिया अपनाई गई।
सुनीता विलियम्स की वापसी में कई तकनीकी चुनौतियां थीं। पहली चुनौती स्टारलाइनर की असफलता थी, जिसने नासा को एक वैकल्पिक योजना अपनाने के लिए मजबूर किया। दूसरी चुनौती क्रू रोटेशन का समयबद्ध समन्वय था। क्रू-10 के नए ड्रैगन अंतरिक्ष यान की तैयारी में देरी के कारण लॉन्च को स्थगित करना पड़ा, जिसने सुनीता और बुच की वापसी को प्रभावित किया। इसके अलावा, मौसम की स्थिति और समुद्री परिस्थितियों ने स्प्लैशडाउन के लिए सही समय का चयन करना आवश्यक बना दिया।
नासा और स्पेसएक्स ने इन चुनौतियों का समाधान सावधानी पूर्वक तकनीकी विशेषज्ञता के साथ किया। क्रू ड्रैगन की विश्वसनीयता, जो पहले नौ मानवयुक्त मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा कर चुका था, ने इस वापसी मिशन को संभव बनाया।
सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से वापसी की यह यात्रा तकनीकी दृष्टिकोण से जितनी महत्वपूर्ण थी, उतनी ही मानवीय दृष्टि से भी प्रेरणादायक रही। लगभग 286 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने के बाद, उन्हें और बुच को अब पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में फिर से ढलने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में लंबे समय तक रहने से हड्डियों का घनत्व कम होना, मांसपेशियों का क्षय, और संतुलन की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। नासा की चिकित्सा टीम उनकी रिकवरी में सहायता कर रही है।
इस मिशन ने अंतरिक्ष यात्रा में बैकअप योजनाओं की महत्ता को रेखांकित किया। बोइंग के स्टारलाइनर की असफलता ने यह दिखाया कि अंतरिक्ष मिशनों में अप्रत्याशित जोखिमों से निपटने के लिए लचीलापन और विविधता आवश्यक है। स्पेसएक्स की सफलता ने निजी अंतरिक्ष कंपनियों की बढ़ती भूमिका को भी स्थापित किया।
सुनीता विलियम्स की धरती पर वापसी एक तकनीकी चमत्कार और मानव संकल्प की जीत सिद्ध हुई। यह यात्रा नासा, स्पेसएक्स, और अंतरिक्ष यात्रियों की टीमवर्क का परिणाम थी। भविष्य में, यह अनुभव अंतरिक्ष मिशनों को और सुरक्षित और कुशल बनाने में मदद करेगा। सुनीता की यह कहानी न केवल विज्ञान की प्रगति को दर्शाती है, बल्कि मानव की जिज्ञासा और साहस को भी प्रेरित करती है।
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “गुलदस्ता …“।)
अभी अभी # 639 ⇒ गुलदस्ता श्री प्रदीप शर्मा
गुलदस्ता (BOUQUET)
गुलदस्ता कहें, बुके कहें, अथवा पुष्प गुच्छ, बात तो एक ही है। गुलशन से कुछ फूल चुन लिए, उनका गुलदस्ता बनाया, और पेश कर दिया। खुशी का इज़हार है गुलदस्ता, प्रेम का उपहार है गुलदस्ता। जहां आमंत्रण में स्पष्ट हिदायत होती है, प्रेम ही उपहार है, वहां खाली हाथ तो नहीं जाया जा सकता।
हमारे शहर में एक पद्मश्री समाजसेवी थे, बाबूलाल जी पाटोदी, उनकी तो केवल उपस्थिति और आशीर्वाद ही मंगल प्रसंग की गरिमा में चार चांद लगा देता था। वे कभी खाली हाथ आशीर्वाद नहीं देते थे, एक, दो रुपए का कड़क नोट उस जमाने में किसी अमूल्य निधि से कम नहीं था। हर अमीर गरीब उनका मुरीद था, एक एक दिन में दर्जनों विवाह प्रसंग और स्वागत समारोह। लेकिन उन्होंने कभी किसी को निराश नहीं किया।।
वैसे भी वह जमाना दो, पांच, और ग्यारह रुपए का ही था। तब अधिकांश समाजों में दो रुपए का ही रिवाज था। लिफाफा देते वक्त अपनी ही नहीं, सामने वाले की हैसियत का भी ख्याल रखना पड़ता था। ग्यारह, इक्कीस, इक्कावन और अधिकतम एक सौ एक तक आते आते, हमारी हैसियत जवाब दे जाती थी।
कुछ लोग उपहार में नकद के बजाए गिफ्ट देना पसंद करते हैं। रंगीन गिफ्ट पैक में लिपटा हुआ उपहार जितना बड़ा और भारी भरकम होता, उतना ही सामने वाले पर अधिक प्रभाव पड़ता। अंदर क्या है, की जिज्ञासा हमेशा बनी रहती थी। बड़ी बड़ी वाटर बॉटल और किचन कैसरोल अथवा मिल्टन के टिफिन बॉक्स का बड़ी तादाद में लेन देन होता था। तेरा तुझको अर्पण। सस्ती, कम बजट की क्वार्ट्ज दीवार घड़ियां समस्या को आसान कर देती थी। अब किसने क्या टिकाया, ये अंदर की बात है।।
हम सामाजिक प्राणी हैं, जन्मदिन, शादी की सालगिरह, गोल्डन और सिल्वर जुबली, सगाई हो अथवा शादी, समारोह तो धूमधाम से ही होता है।
करीबी रिश्तेदार, अड़ोस पड़ोस और इष्ट मित्रों, सहयोगियों से ही तो आयोजन की शोभा बढ़ती है। गृह प्रवेश तो ठीक, आजकल शासकीय सेवा निवृत्ति के अवसर पर भी शादियों जैसा भव्य समारोह संपन्न होता है।
नकद और उपहारों को तो बड़े करीने से सहेज लिया जाता है, लेकिन बेचारे गुलदस्तों और हार फूलों की तो चार दिन की भी चांदनी नहीं होती। कुछ गुलाब की पंखुड़ियां पांव तले बिछाई जा रही हैं, और उन पर चरण पादुका सहित चलकर मानो उनका उद्धार किया जा रहा हो।।
करीने से पारदर्शी कवर में लपेटा खूबसूरत गुलदस्ता कब तक अपनी किस्मत पर इतराएगा। इस हाथ से उस हाथ जाएगा, तस्वीर में भी कैद हो जाएगा, शायद एक दो दिन किसी के ड्राइंग रूम की शोभा भी बढ़ाएगा, लेकिन उसके बाद तो वह सिर्फ सूखा और गीला कचरा ही रह जाएगा।
जब तक एक फूल गुलशन में खिल रहा है, उसे इतराने का अधिकार है। भंवरे और तितलियां उसके आसपास मंडराएंगी, लेकिन जहां किसी माली ने उसे तोड़ा, उसकी किस्मत बदल जाएगी। कोई नेहरू उसे जैकेट में लगाएगा तो कोई वैजयंतीमाला उसे अपने जूड़े में सजा इतराएगी। वही फूल किसी गुलदस्ते का हिस्सा भी बनेगा, लेकिन कब तक, जब तक वह मुरझाता नहीं। यह खुदगर्ज जमाना तो उसे सूंघकर, सजाकर बाद में फेंक देगा, कुचल देगा। शायद यही इस दुनिया का दस्तूर है। फूल हो या कोई गुलदस्ता, तुम्हारा जीवन, कितना सस्ता।।