हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 212 ☆ # “कहीं देर ना हो जाए…” # ☆ श्री श्याम खापर्डे ☆

श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता कहीं देर ना हो जाए…” ।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 212 ☆

☆ # “कहीं देर ना हो जाए…” # ☆

ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठे हैं हम

किस सोच में पड़े हैं हम

कहीं यह पल निकल ना जाये

कहीं देर ना हो जाए

 

बारुद अंदर धधक रही है

आग हर पल भभक रही है

कहीं आशियाना जल ना जाये

कहीं देर ना हो जाए

 

भरोसा हर दिन टूट  रहा है

सब्र धीरे धीरे छूट रहा है

धैर्य कहीं छल ना जाये

कहीं देर ना हो जाए

 

सपने टूट रहे हैं

घरौंदे लुट रहे हैं

समय कालिख ना मल जाये

कहीं देर ना हो जाए

 

दिन गर्मी से तप रहा है

तम अंधेरे में छुप रहा है

कहीं मौसम बदल ना जाये

कहीं देर ना हो जाए

 

रिश्ते पल पल छल रहे हैं

मां-बाप हाथ मल रहे हैं

कहीं रिश्ते स्वार्थ मे ना जल जाए

कहीं देर ना हो जाए

 

प्रेम, स्नेह, अपनापन

अब नजर नहीं आता है

कहीं यह कड़वाहट इन्सान को निगल ना जाये

कहीं देर ना हो जाए

 

तिरस्कार कहीं घर ना कर जाए

आंखों का पानी मर ना जाए

फिर मानवता को खल ना जाये

कहीं देर ना हो जाए

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  ≈

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हिन्दी साहित्य – कविता ☆ हौसला… ☆ श्री राजेन्द्र तिवारी ☆

श्री राजेन्द्र तिवारी

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी जबलपुर से श्री राजेंद्र तिवारी जी का स्वागत। इंडियन एयरफोर्स में अपनी सेवाएं देने के पश्चात मध्य प्रदेश पुलिस में विभिन्न स्थानों पर थाना प्रभारी के पद पर रहते हुए समाज कल्याण तथा देशभक्ति जनसेवा के कार्य को चरितार्थ किया। कादम्बरी साहित्य सम्मान सहित कई विशेष सम्मान एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा वार्ताएं प्रसारित। हॉकी में स्पेन के विरुद्ध भारत का प्रतिनिधित्व तथा कई सम्मानित टूर्नामेंट में भाग लिया। सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहा। हम आपकी रचनाएँ समय समय पर अपने पाठकों के साथ साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण कविता हौसला…।)

☆ कविता – हौसला… ☆ श्री राजेन्द्र तिवारी ☆

तुमने राह में दीप जलाकर,

ज्योतिर्मय पथ कर दिया,

दूर अंधेरा हुआ राह को,

सुगम पथ कर दिया,

माना कि लम्हे खुशियों के,

होते हैं बहुत कम,

पर तुम जीवन में आए,

जीवन खुशमय कर दिया,

वो हमसफर जो साथ दे,

सुख में, दुख में,

हाथ पकड़ कर, छोड़े न,

साथ हमारा कर लिया,

राज की एक बात है,

राज न रह पाएगी,

रास्ता उनसे पूछकर,

मिलने का हौसला कर लिया.

© श्री राजेन्द्र तिवारी  

संपर्क – 70, रामेश्वरम कॉलोनी, विजय नगर, जबलपुर

मो  9425391435

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ परिहार जी का साहित्यिक संसार # 282 ☆ व्यंग्य – गंगा-स्नान और भ्रष्टाचार-मुक्ति का नुस्खा ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार ☆

डॉ कुंदन सिंह परिहार

(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय  डॉ  कुन्दन सिंह परिहार जी  का साहित्य विशेषकर व्यंग्य  एवं  लघुकथाएं  ई-अभिव्यक्ति  के माध्यम से काफी  पढ़ी  एवं  सराही जाती रही हैं।   हम  प्रति रविवार  उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते  रहते हैं।  डॉ कुंदन सिंह परिहार जी  की रचनाओं के पात्र  हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं।  उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल  की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय व्यंग्य – ‘गंगा-स्नान और भ्रष्टाचार-मुक्ति का नुस्खा‘। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार  # 281 ☆

☆ व्यंग्य ☆ गंगा-स्नान और भ्रष्टाचार-मुक्ति का नुस्खा

कुंभ की गहमा-गहमी है। सब तरफ आदमियों के ठठ्ठ दिखायी पड़ते हैं। जनता- जनार्दन और वीआईपीज़, वीवीआईपीज़ के घाट अलग-अलग हैं। जनता के घाटों पर भारी भीड़ है। वीआईपीज़ के घाटों पर भीड़ कम है, वहां गाड़ियां आराम से दौड़ रही हैं। वीआईपीज़ को कुछ लोग घेर कर सुरक्षित स्नान करा रहे हैं।  कुछ भगवाधारी भी वीआईपीज़ को घेर कर उन पर चुल्लू से पानी डाल रहे हैं। शायद ये वे महन्त होंगे जिनके अखाड़े में वीआईपीज़ जजमान हैं। इन वीआईपीज़ को धरती पर तो स्वर्ग हासिल हो चुका, अब सन्त महन्त उन्हें ऊपर वाले स्वर्ग में जगह दिलाने की कोशिश में लगे हैं। महन्तों के द्वारा अपने देशी-विदेशी चेलों की सुविधा का पूरा ख़याल रखा जा रहा है। वीआईपी- घाटों पर पुलिस की व्यवस्था चाक-चौबन्द है। मीडिया वाले सब तरफ पगलाये से दौड़ रहे हैं— कभी फोटो के लिए तो कभी श्रद्धालुओं के बयान के लिए।

अचानक घाटों से कुछ काले  काले थक्के तैरते हुए आने लगे। लोग कौतूहल से उन्हें देखने लगे। थक्कों ने श्रद्धालुओं को छुआ तो उनके शरीर में जलन होने लगी। उनसे अजीब बदबू भी निकल रही थी।

खबर फैली कि ये पाप के थक्के थे जो तैर कर आ रहे थे। अधिकारियों और पुलिस वालों में भगदड़ मच गयी। जल्दी ही पानी में रबर की चार-पांच नावें उतरीं और थक्कों को समेट कर जल्दी-जल्दी पॉलिथीन के थैलों में डाला जाने लगा। जनता-घाटों पर लोग ठगे से इन थक्कों को देख रहे थे।

थोड़ी देर में घाटों पर कुछ अधिकारी ध्वनि-विस्तारक लिये हुए पहुंच गये। घोषणा होने लगी कि  जनता भ्रम में न पड़े, ये थक्के पाप के नहीं, पुण्य के थे। यह भी कहा गया कि थक्कों से बदबू नहीं, ख़ुशबू निकल रही थी। शायद ठंडे पानी में स्नान के कारण लोगों पर ज़ुकाम का असर हो गया होगा, इसीलिए वे ख़ुशबू को बदबू समझ रहे थे।

एक युवक घाट के पास सिर लटकाये बैठा था। एक अधिकारी उसके पास पहुंचा, पूछा, ‘स्नान हो गया?’

युवक ने जवाब दिया, ‘हो गया।’

अधिकारी बोला, ‘तो अब आगे बढ़िए। यहां क्यों बैठे हैं?’

युवक कुछ सोचता सा बोला, ‘जाता हूं।’

अधिकारी ने फिर पूछा, ‘क्या बात है? कुछ परेशानी है?’

युवक बोला, ‘सर, हमें बताया जा रहा है कि यहां 60 करोड़ से ज्यादा लोग डुबकी लगा गये, पापमुक्त हो गये। लेकिन मैंने आज ही अखबार में पढ़ा है कि 2024 के भ्रष्टाचार सूचकांक में हमारा देश 180 देशों में 93 नंबर से खिसक कर 96 पर पहुंच गया, यानी तीन सीढ़ी नीचे खिसक गया। एक तरफ पाप धुल रहे हैं, दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के मामले में हमारी जगहंसाई हो रही है।’    

अधिकारी हंसा, बोला, ‘वाह महाराज! काजी जी दुबले क्यों, शहर के अंदेशे से। आपके पाप तो धुल गये? चलिए, आगे बढ़िए।’

युवक चलते-चलते बोला, ‘सर, मैं यह सोचकर परेशान हो रहा हूं कि कहीं पाप धोने की सुविधा मिलने का गलत असर तो नहीं हो रहा है। अपराधी प्रवृत्ति के लोग सोचने लगें कि अपराध करके भी पाप-मुक्त हुआ जा सकता है। यानी पाप धोने की सुविधा से कहीं अपराधों को प्रोत्साहन तो नहीं मिल रहा है?

‘दूसरी बात यह कि अपराधी के पाप तो गंगा-स्नान से धुल जाएंगे, लेकिन इससे उनको क्या मिलेगा जिनके प्रति अपराध हुआ है? अपराधी तो कुंभ-स्नान करके पवित्र और स्वर्ग का अधिकारी हो जाएगा लेकिन जिसकी हत्या हुई है या जिसके साथ बलात्कार हुआ है या जिसके  घर चोरी-डकैती हुईं है उसे क्या मिलेगा? क्या यह न्याय-संगत है कि पाप करने वाला निर्दोष और पवित्र हो जाए और उसके सताये हुए लोग उसके दुष्कर्मों का परिणाम भोगते रहें?’
अधिकारी कानों को हाथ लगाकर बोला, ‘बाप रे, तुम्हारी बातें तो बड़ी खतरनाक हैं। मेरे पास इनका जवाब नहीं है।’

युवक बोला, ‘सर, मेरे खयाल से हमें ऐसी दवा की ज़रूरत ज़्यादा है जिसको लेने से हमारे दिमाग में पाप और अपराध की इच्छा पैदा ही न हो। पोलियो वैक्सीन की तरह बचपन में ही सभी को इस दवा की डोज़ दे दी जाए। तभी हम भ्रष्टाचार और अपराध की बीमारी से बच पाएंगे।’

अधिकारी हाथ जोड़कर बोला, ‘भैया, हम छोटे आदमी हैं। हमें ये सब बातें मत बताओ। किसी ने सुन लिया तो हमारी पेशी हो जाएगी।’

© डॉ कुंदन सिंह परिहार

जबलपुर, मध्य प्रदेश

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – कथा कहानी ☆ ≈ मॉरिशस से ≈ – लघुकथा – कोना कोई और… – ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

श्री रामदेव धुरंधर

(ई-अभिव्यक्ति में मॉरीशस के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर जी का हार्दिक स्वागत। आपकी रचनाओं में गिरमिटया बन कर गए भारतीय श्रमिकों की बदलती पीढ़ी और उनकी पीड़ा का जीवंत चित्रण होता हैं। आपकी कुछ चर्चित रचनाएँ – उपन्यास – चेहरों का आदमी, छोटी मछली बड़ी मछली, पूछो इस माटी से, बनते बिगड़ते रिश्ते, पथरीला सोना। कहानी संग्रह – विष-मंथन, जन्म की एक भूल, व्यंग्य संग्रह – कलजुगी धरम, चेहरों के झमेले, पापी स्वर्ग, बंदे आगे भी देख, लघुकथा संग्रह – चेहरे मेरे तुम्हारे, यात्रा साथ-साथ, एक धरती एक आकाश, आते-जाते लोग। आपको हिंदी सेवा के लिए सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम (2003) में सम्मानित किया गया। इसके अलावा आपको विश्व भाषा हिंदी सम्मान (विश्व हिंदी सचिवालय, 2013), साहित्य शिरोमणि सम्मान (मॉरिशस भारत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 2015), हिंदी विदेश प्रसार सम्मान (उ.प. हिंदी संस्थान लखनऊ, 2015), श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान (जनवरी 2017) सहित कई सम्मान व पुरस्कार मिले हैं। हम श्री रामदेव  जी के चुनिन्दा साहित्य को ई अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों से समय समय पर साझा करने का प्रयास करेंगे।

आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय एवं सशक्त लघुकथा “– कोना कोई और… –” ।

~ मॉरिशस से ~

☆ कथा कहानी  ☆ — कोना कोई और…  — ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

जो भी प्राणी धरती पर जन्म ले उसे साँस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और खाने के लिए भोजन मिल ही जाता है। न मिलता है तो संतोष। राजा के महल में जन्म लेने वाले बालक का मन धूल में खेलने के लिए मचलता है। उसे संभाल कर महल में बंद किया जाता है और सिखाया जाता है कि धूल से खतरनाक और कुछ नहीं। धूल में तरह – तरह के कीटाणु होते हैं जो अनेक रोगों के जन्म दाता होते हैं। पर बालक को इस दलील से संतोष नहीं होता, लेकिन महल में बंद हो जाने पर भागने के लिए कोई चारा न होने से उसे मन मार कर वहीं रह जाना पड़ता है।

उधर एक बालक होता है जो गरीब माँ – बाप के धूल धूसरित घर में जन्म लेता है। वह महल का स्वप्न देखता है, लेकिन उसे समझाया जाता है धूल ही उसकी सुबह है, धूल ही उसकी शाम। अत: धूल से संतोष करना वह सीखे। धूल से भागे तो भागता ही रहेगा, लेकिन उसे हर मोड़ पर धूल ही मिलेगी, महल नहीं। तो क्यों न पहले कदम पर ही धूल का संतोष कर ले, तब भागने की तृष्णा ही मिट जाएगी।

एक बालक हुआ जिसने पूरे संसार के लोगों के असंतोष का प्रतिनिधित्व किया। पूरा संसार होने से बालक का दायरा धरती से ले कर आकाश तक विस्तृत हुआ। उस बालक ने धूल में जन्म लेने पर संतोष नहीं किया और किसी तरह आगे बढ़ कर महल तक पहुँचा। पर महल में उसे संतोष नहीं हुआ, क्योंकि वह असंतोष की परिभाषा जानता ता। उसने अब ऊपरी आकाश की ओर रुख किया और वहाँ पहुँच कर रहा। वहाँ न धूल थी, न महल था। पर वह मनुष्य था इसलिए आकाश में भी उसके साथ असंतोष निबद्ध हुआ।

असंतोष की वजह से और आगे बढ़ने पर वह तारों के जमघट में खो गया। तारों की अपनी समझ यह हुई उसकी यही मंजिल थी, अत: यहाँ खो जाना ही उसके जीवन का सार तत्व हुआ। यदि तारों को मनुष्य के अनंत असंतोष की परिभाषा मालूम होती तो उसे अपने में विलय करने की अपेक्षा अभयदान देते कि वह अपनी यात्रा जारी रखे और संतोष की कामना में ब्रह्मांड के किसी और कोने के लिए कूच करे।

 © श्री रामदेव धुरंधर

15 – 03 — 2025

संपर्क : रायल रोड, कारोलीन बेल एर, रिविएर सेचे, मोरिशस फोन : +230 5753 7057   ईमेल : [email protected]

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 281 – उड़ गई गौरैया… ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है। साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 281 ☆ उड़ गई गौरैया… ?

तोता उड़, मैना उड़, चिड़िया उड़.., सबको याद तो होगा बचपन का यह खेल। विडंबना देखिए कि खेल में गौरैया उड़ाने वाले मनुष्य ने खेल-खेल में चिड़िया को अनेक स्थानों से हमेशा के लिए उड़ा दिया।

आज विश्व गौरैया दिवस है। अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझती गौरैया पर औपचारिकतावश विमर्श नहीं अपितु  यथासंभव जानकारी एवं जागृति इस आलेख का ध्येय है।

पर्यावरणविदों  के अनुसार भारत में गोरैया की 5 प्रजातियाँ मिलती हैं। एक समय था कि गौरैया हर आँगन, हर पेड़, हर खेत में बसेरा किये मिलती थी। पिछले तीन दशकों में विशेषकर महानगरों में गौरैया की संख्या में 70% से 80% तक कमी आई है। महानगरों में  बहुमंज़िला गगनचुंबी इमारतों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इन इमारतों की प्रति स्क्वेयर फीट की ऊँची कीमतों ने औसत 14 सेंटीमीटर की चिड़िया के लिए अपने पंजे टिकाने की जगह भी नहीं छोड़ी।

गौरैया फसलों पर लगने वाले कीड़ों को खाती हैं। अब खेती की ज़मीन बेतहाशा बिक रही है। जहाँ थोड़ी-बहुत बची है, वहाँ फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव हो रहा है।  घास का बीज चिड़िया का प्रिय खाद्य रहा है। घास भी हमने कृत्रिम कर डाली। छोटे झाड़ीनुमा पेड़ चिड़िया के बसेरे थे, जो हमने काट दिए। सघन वृक्ष काटकर डेकोरेटिव पेड़ खड़े किए। हमने केवल अपने लिए उपयोगी या अनुपयोगी का विचार किया। हमारी स्वार्थांधता ने प्रकृति के अन्य घटकों को दरकिनार कर दिया।

सुपरमार्केट और मॉल के चलते पंसारी की दुकानों में भारी कमी आई है। खुला अनाज नहीं बिकने के कारण चिड़िया को दाना मिलना दूभर हो गया। चिड़िया जिये तो कैसे जिये? और फिर मोबाइल टॉवर आ गये। इन टॉवरों के चलते दिशा खोजने की गौरैया की प्रणाली प्रभावित होने लगी। साथ ही उनकी प्रजनन क्षमता पर भी घातक प्रभाव पड़ा। अधिक तापमान, प्रदूषण, वृक्षों की कटाई और मोबाइल टॉवर के विकिरण से गौरैया का सर्वनाश हो गया।

कदम-कदम पर दिखनेवाली गौरैया के विलुप्त होने के संकट का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अनेक महानगरों में इनकी संख्या दो अंकों तक सीमित रह गई है।

हमारे पारम्परिक जीवनदर्शन की उपेक्षा ने भी इस संकट को बढ़ाया है।  हमारे पूर्वजों की रसोई में गाय, और कुत्ते की रोटी अनिवार्य रूप से बनती थी। हर आँगन में पंछियों के लिए दाना उपलब्ध था। हमने उनका भोजन छीना। हमने कुआँ, तालाब सब पाट कर अपने-अपने घर में नल ले लिये पर चिड़िया और सभी पंछियों के लिए पानी की व्यवस्था करना ज़रूरी नहीं समझा।

घर के घर होने की एक अनिवार्य शर्त है गौरैया का होना। गौरैया का होना अर्थात पंख का होना, परवाज़ का होना। गौरैया का होना जीवन के साज का होना, जीवन की आवाज़ का होना।

पंख, परवाज़, साज, आवाज़ के लिए सबका साथ वांछनीय है। अनुरोध है कि साल भर चिड़ियों के लिए अपनी बालकनी या टेरेस पर दाना-पानी की व्यवस्था करें। अपने परिसर में चिड़ियों के घोंसला बना सकने लायक वातावरण बनाएँ। यदि पौधारोपण संभव है तो भारतीय प्रजाति के पौधे लगाएँ।

स्मरण रहे कि गौरैया को उड़ाया हमने है तो उसे लौटा लाने का दायित्व भी हमारा ही है।

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆ 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 15 मार्च से आपदां अपहर्तारं साधना आरम्भ हो चुकी है 💥  

🕉️ प्रतिदिन श्रीरामरक्षास्तोत्रम्, श्रीराम स्तुति, आत्मपरिष्कार मूल्याकंन एवं ध्यानसाधना कर साधना सम्पन्न करें 🕉️

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of social media # 228 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of social media # 228 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 228) ?

Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.

Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.

He is also an IIM Ahmedabad alumnus.

His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..! 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 228 ?

☆☆☆☆☆

क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज

हाल हमारा पूछ कर…

हाल  हमारा  वही  है

जो तुमने बना रखा है..

 ☆☆

Why d’you embarrass me everyday

By inquiring about my condition…

My condition  is  the   same only

As to what you have made me of

☆☆☆☆☆

सब्र तहजीब है…

मोहब्बत की साहब

और तुम समझते हो

कि बेजुबां  हैं  हम…

 ☆☆

O’ dear! Reticence is an

etiquette of endearment

And you think that

I  am  speechless …

 ☆☆☆☆☆

न जाहिर हुई तुमसे…

और न ही बयाँ हुई हमसे

बस सुलझी हुई आँखो में

उलझी रही मोहब्बत…

 ☆☆

Neither it was expressed by you

Nor was it ever revealed by me

Love just remained  entangled

Explicitly in the unravelled eyes!

 ☆☆☆☆☆

एहसास सच्चे हों

तो वही काफी है

यकीन तो लोग

सच पर भी नहीं करते…

☆☆

If the feelings are true

That itself  is enough

People don’t even

Believe in  the truth…!

☆☆☆☆☆

~ Pravin Raghuvanshi

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 227 – अपराजिता ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक कविता – अपराजिता)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 227 ☆

☆ अपराजिता ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

ओ मेरी अपराजिता! तुमको पा जग-जयी मैं

.

जड़ माटी में जमाकर

हुईं अंकुरित-पल्लवित।

धूप-छाँव हँसकर सहे-

हँस भव-बाधा की विजित।

ओ मेरी अपराजिता! तुमको पा निर्भयी  मैं

श्वेत-नील छवि मुग्धकर

सुख देती; दुख दग्ध कर।

मुस्कातीं मन मोहतीं-  

बाँहों में आबद्ध कर।

ओ मेरी अपराजिता! तुमको पा तन्मयी मैं

हरि-भरी आशा-लता

हर लेती हर आपदा।

धनी न मुझ सा अन्य है-

तुम मम अक्षय संपदा।

ओ मेरी अपराजिता! तुमको पा सुहृदयी मैं

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

 

१५.३. २०२५

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (24 मार्च से 30 मार्च 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (24 मार्च से 30 मार्च 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

जय श्री राम

तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान

भीला लूंटी गोपियां, वही अर्जुन वहां वाण।

हम सभी जानते हैं कि समय अद्भुत रूप से बलवान होता है और आपका समय इस सप्ताह कितना बलवान रहेगा यह बताने के लिए मैं पंडित अनिल पांडे आपके सम्मुख उपस्थित हूं। आज हम आपसे 24 मार्च से 30 मार्च 2025 तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में चर्चा करेंगे।

इस पूरे सप्ताह सूर्य, वक्री बुध, वक्री शुक्र और वक्री राहु मीन राशि में गोचर करेंगे। मंगल मिथुन राशि में रहेगा। इसी प्रकार गुरु वृष राशि में भ्रमण करेंगे।

आई अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह भाग्य भाव को मंगल मित्र दृष्टि से देख रहा है अतः भाग्य आपका साथ देगा। इसी मंगल के कारण कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आपके माता-पिता जी का और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। धीरे-धीरे कर पैसा भी आएगा। कचहरी के कार्यों में आपको अत्यंत सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 24, 25 और 26 के दोपहर तक का समय कार्यों को करने हेतु अनुकूल है 29 और 30 मार्च को आपको सावधान रहना चाहिए इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मंदिर पर जाकर गरीब लोगों के बीच में चावल का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपका आपके पिताजी का और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। चौथे भाव पर शनि की दृष्टि होने के कारण माता जी को कुछ परेशानी हो सकती है। एकादश भाव में बैठे सूर्य के कारण इस सप्ताह आपके पास धन आने का योग है। कार्यालय में इस सप्ताह आपकी स्थिति ठीक रहेगी। इस सप्ताह आपके लिए 26 के दोपहर से लेकर 27 और 28 तारीख कार्यों को करने हेतु उत्साहवर्धक है। बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके माताजी पिताजी और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। दशम भाव का सूर्य कार्यालय में आपकी इज्जत को बढ़ाएगा। नवम भाव के मजबूत होने के कारण आपको भाग्य से थोड़ी बहुत मदद मिल सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 मार्च किसी भी कार्य को करने के लिए अनुकूल हैं। 24, 25 और 26 के दोपहर तक का समय सावधान रहने का है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मसूर की दाल का दान करें तथा मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर में कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपका, आपके माता जी और पिताजी का तथा आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह पंचम भाव पर गुरु की दृष्टि के कारण आपको अपने संतान से सहयोग मिल सकता है। नवम भाव के सूर्य के कारण आपको अपने भाग्य से भी मदद मिलेगी। शत्रु क्षेत्र में मंगल के होने के कारण कचहरी के कार्यों में आपको सावधान रहना चाहिए। 24, 25 और 26 की दोपहर तक का समय लाभदायक है। 26 के दोपहर के बाद से 27 और 28 तारीख को आपको सचेत रहकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक रहेगी। दुर्घटनाओं से आप बच सकते हैं परंतु उनसे आपको सावधान रहना चाहिए। शत्रु क्षेत्री मंगल के कारण आपको धन लाभ में कमी आएगी। परंतु इसी के कारण आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए 26 के दोपहर के बाद से 27 और 28 तारीख कार्यों को करने के लिए अनुकूल है। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सावधान रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। सप्तम भाव में चार ग्रहों के होने के कारण जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। इस सप्ताह आपके शत्रु शांत रहेंगे परंतु उनसे आपको सावधान भी रहना चाहिए। भाग्य से सामान्य मदद मिलेगी। आपको ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मामले में सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 मार्च शुभ है। 26 के दोपहर के बाद से तथा 27 और 28 मार्च को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रति दिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपके पूरे परिवार का स्वास्थ्य पिछले सप्ताह जैसा ही रहेगा। इस सप्ताह आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना पड़ेगा। भाग्य भाव में कमजोर मंगल के कारण भाग्य के सहारे आपको नहीं रहना चाहिए। अपने शत्रुओं से आपको सतर्क रहना चाहिए। संतान से आपके सहयोग प्राप्त हो सकता है। 24, 25 और 26 के दोपहर तक का समय फल दायक है। 29 और 30 मार्च को आपके कार्यों को सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। पंचम भाव में बैठे सूर्य के कारण धन आने की उम्मीद है। संतान भाव में बैठे चार ग्रहों के कारण इस सप्ताह आपको अपने संतान का ध्यान रखना चाहिए। छात्रों की पढ़ाई में थोड़ी बहुत बाधाएं आयेंगी परंतु अगर वे सावधान रहेंगे तो पढ़ाई अच्छी चलेगी। भाई बहनों से संबंध ठीक रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 26 के दोपहर के बाद से 27 और 28 तारीख लाभप्रद है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। जनता में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। इस सप्ताह मंगल अपने शत्रु बुध के घर में बैठा हुआ है जिसके कारण कार्यालय में आपको सावधान रहना चाहिए। धन भाव पर मंगल की दृष्टि होने के कारण इस सप्ताह आपके पास धन आने की उम्मीद की जा सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 तारीख कार्यों को करने हेतु लाभकारी हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपका, आपके माता जी और पिताजी का तथा आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य पिछले सप्ताह जैसा ही रहेगा। आपके संतान को पेट की थोड़ी समस्या हो सकती है। छात्रों की पढ़ाई ठीक-ठाक चलेगी। लंबी यात्रा का योग बन सकता है। आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना चाहिए क्योंकि भाग्य भाव पर वक्री ग्रहों की दृष्टि है। सामान्य धन आने की उम्मीद की जा सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 24, 25 और 26 के दोपहर तक का समय कार्यों को करने हेतु उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का योग है। धान भाव में चार ग्रहों की होने के कारण धन के मामले में आपको सावधान भी रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके संतान को कष्ट हो सकता है। कचहरी के कार्यों में आपको सावधान रहना चाहिए। दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करना चाहिए। आपके जीवनसाथी के कमर और गर्दन में दर्द हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 26 के दोपहर के बाद से 27 और 28 तारीख कार्यों को करने के लिए अनुकूल है। 24, 25 और 26 के दोपहर तक आपको सावधान होकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गायत्री मंत्र की तीन माला का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपको अपने भाग्य से मदद मिल सकती है। अगर आप परिश्रम करेंगे तो आपको अपने कार्यों को करने में आसानी रहेगी। आपके लग्न में तीन बक्री ग्रह बैठे हुए हैं, जिसके कारण आपको स्वास्थ्य की परेशानी हो सकती है। परंतु मेरे विचार से केवल मानसिक परेशानी ही होगी। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। आपकी प्रतिष्ठा में थोड़ी कमी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 मार्च प्रतिष्ठा दायक हैं। 26 के दोपहर के बाद से 27 और 28 तारीख को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें तथा साथ में रुद्राष्टक का पाठ भी करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  ≈

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हिन्दी साहित्य – यात्रा संस्मरण ☆ इतिहास के पन्ने पलटते तीन दिन! ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी , बी एड , प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । यादों की धरोहर हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह -एक संवाददाता की डायरी को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह-महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

☆ यात्रा संस्मरण – इतिहास के पन्ने पलटते तीन दिन! ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

जब भी कभी यात्रा का या कहीं घूमने का संयोग बनता है तब तब निर्मल वर्मा मेरे कान में कह रहे होते हैं – यात्रायें न केवल हमें बाहर ले जाती हैं बल्कि अपने मन के कोनों में झांकने का अवसर भी प्रदान करती हैं ! इस बार संयोग बना हिसार प्रेस क्लब के उन्नीस साथियों के साथ आगरा, फतेहपुर सीकरी, वृंदावन व सोहना (हरियाणा) में तीन दिन की यात्रा का ! पहले बैठक हुई, मित्रों की इच्छा जानी गयी और फिर तैयारियां शुरू हो गयीं -वीडियो कोच, आगरा व वृंदावन में कहां  रात्रि के समय ठहराव होगा और  दो महिलायें बिंदू और नव प्रीत भी साथ चलेंगीं तो उनके मान-सम्मान का पूरा ख्याल रखना होगा, आदि आदि । इधर बहुत बरसों से कभी अकेले कहीं यात्रा पर नहीं गया तो नीलम कुछ अनमनी सी थी और कह रही थी कि इस उम्र में तबीयत बिगड़ गयी तो कौन संभालेगा ? और यह उम्र राम राम करने की है तो मैंने भी मज़ाक में कहा कि वृंदावन में राधे राधे ही तो करने जा रहा हूं  ! ऊपर से बेटी रश्मि ने मां को समझाया कि पापा का शौक है यात्राओं का, जा लेने दीजिये ! इस तरह घर से हरी झंडी मिलते ही कुछ तैयारी की मैंने भी और  एक रात पहले ही अटैची तैयार कर लिया । एक कंधे पर लटकाने वाले थैले में रवींद्र कालिया की ‘गालिब छुटी शराब’ की प्रति और अपनी ‘यादों की धरोहर’ की दो प्रतियां भी रख लीं क्योंकि आगरा में सविता शर्मा का पुलिस पर आधारित ‘खाकीवर्दी’ संकलन आया है, जिसमें मेरी रचना भी शामिल है तो फोन पर बात हुई कि होटल में बेटा यह संकलन मुझे देने आ जायेगा तो मैं उसे खाली हाथ नहीं लौटाऊंगा बल्कि अपनी ‘यादों की धरोहर’ संस्मरणात्मक पुस्तक उपहार में दूंगा ! इस तरह मेरी तैयारी चलती रही ।

आखिर हम दूसरी सुबह 20 नवम्बर को  हिसार प्रेस क्लब के कार्यालय में सभी एक एक कर एकत्रित होते गये, सबका सामान पीछे डिक्की में एहतियात से ड्राइवर रखता गया । फिर एक एक कप चाय और बिस्किट लेने के बाद लगभग छस बजे यात्रा शुरू हुई ।  क्लब के अध्यक्ष राज पाराशर भाई ऐसे एक थैला गले में लटकाये हुए थे जैसे बारात चलने पर दूल्हे का पिता पैसों से भरा थैला लटकाये चलता है ! इंतज़ाम में इनका साथ दे रहे थे आकाशवाणी वाले सतबीर और इकबाल सिंह ! अभी कुछ लोगों को रास्ते में पिकअप करना था जैसे हिसार कैंट के पास, हांसी शहर के अंदर और फिर पलवल के पास, इस तरह बढ़ते बढ़ते काफिला बनता गया तब पता चला कि एक सीट कम पड़ रही है तो पलवल से पहले हरियाणवी मूढ़ा खरीद कर अतिरिक्त सीट की व्यवस्था की गयी ! हांसी व नारनौंद से शामिल होने वाले साथी लाल वीर लाली बहुत बढ़िया मिठाई के  तीन डिब्बे लेकर आये‌ और सबका मुंह मीठा करवाया ! सुबह से चले और केएमपी हाईवे पर पहुंचे और पलवल के निकट नाश्ता किया ! फोटोज का दौर भी चल पड़ा । एक वाट्सएप ग्रुप बना दिया आगरा टूर के नाम से कि सब फोटो इसमें पोस्ट करते जाइये ! वैसे मोबाइल ने सचमुच क्रांति ला दी है फोटोग्राफी की दुनिया में ! इधर खींचो, उधर देख लो ! जो पसंद आये वह रख लो, जो पसंद न आये वह डिलीट कर दो ! केएमपी हाइवे काफी व्यस्त हाइवे है जो कुंडली, मानेसर व पलवल कहलाता है और उत्तर प्रदेश के साथ झट मिला देता है ! हम भी इसी हाइवे की कृपा से दो बजे आगरा के लाल किले की पार्किंग में वीडियो कोच लगा चुके थे और हमारी यात्रा का पहला पड़ाव यहीं निर्धारित था । सबसे खुशी की बात जब टिकटें लेने लगे तब पढ़ा एक बोर्ड कि कल यानी 19 नवम्बर से विश्व धरोहर सप्ताह मनाया जा रहा है ! इस तरह हम विश्व की धरोहर देखने का सुअवसर पा गये थे ! लम्बी लम्बी लम्बी कतारें, देसी कम विदेशी ज्यादा ! जैसे जैसे हम लम्बी कतार को पार कर अंदर पहुंच ही गये !

वैसे इससे पहले मैं दो बार विदेश में बसीं नीलम की बहनों कांता व सरोज के साथ आगरा घूम चुका हूं पर वे सन् 1984 व 1986 की बातें हैं और इसी किले की जानकारी देने वाले रतन गाइड की बर्णन की भाषा के लहजे में एक कहानी ‘देश दर्शन’ भी लिखी थी, जो मेरे ‘महक से ऊपर’ कथा संग्रह में शामिल है। निश्चय ही वे विदेशी संबंधी भी याद आये एक बार तो ! लाल पत्थर से बने किले में बादशाह शाहजहां को बेटे औरंगजेब ने कैद कर रखा था और यहीं शाहजहां ने अंतिम सांस लेने से पहले बेटी जेबुनिस्सा को बता दी थी आखिरी इच्छा कि मुझे मुमताज के पास ही सुपुर्दे खाक किया जाये ! शाहजहां अंतिम दिनों वे एक झिल्ली में से ताजमहल को बड़ी हसरत से देखा करते थे, यह रतन गाइड की भाषा थी, जो आज तक याद है और यह अंदाज भी कि बादशाह यहां शतरंज खेला करते थे जबकि खूबसूरत बांदियां हर चाल पर नाचतीं आगे बढ़ती थीं ! हर बार बेगम जीतती थी क्योंकि बादशाह तो उसके मस्त नैनों में खोये रहते थे ! है न गाइड की कमाल की कल्पना ? तब मात्र पांच रुपये में गाइड हो गया था ! अब न तो कोई गाइड दिखा, न ही कोई फोटोग्राफर और न ही कोई छोटी छोटी पुस्तिकायें बेचने वाले दिखे कि किले के बारे में इतिहास जान सकें ! इस तरह मोबाइल ने इनकी रोज़ी छीन ली ।

बस, अपनी ही मस्ती में किले में घूमते रहे, फोटोज खींचते रहे, ग्रुप में शेयर करते रहे, जब थक गये तब पहले से निर्धारित तारा होटल पहुच गये्, जो ताज परिसर के पास ही है, यहां से ताजमहल का पैदल रास्ता है ! विदेशियों की लम्बी लम्बी कतारें दिख रही थीं !

खैर, हम दो दो लोगों ने एक एक कमरे में डेरा जमाया जबकि मेरे साथी बने इकबाल, हम दोनो पंजाब के मूल‌ निवासी, जिनका अब हिसार में बरसों से डेरा है ! कुछ देर थकावट उतारने के बाद तीन चार ऑटो कर मीना बाज़ार देखने गये और वहीं शाम की चाय की चुस्कियां लीं ! लैदर मार्केट देखी । रंग बिरंगे पर्स और खूबसूरत जूते देखे और पंजाबी गाने की पंक्तियां याद आईं-आओ लोको हस्स के, मीना बाज़ार देक्खो नस्स के ! मीना बाज़ार से फिर होटल और रात का खाना ! इसी बीच होटल में सविता मिश्र का बेटा अमित ‘खाकीवर्दी’ लघुकथा संकलन देने आ पहुंचा और मैंने भी ‘यादों की धरोहर’ की प्रति उपहार में दी और बेटे को भी रात्रिभोज में प्यार भरे आग्रह से शामिल कर लिया । फिर उसे समय पर लौटने को कहा क्योंकि रात के साढ़े नौ बज गये थे और उसे अठारह किलोमीटर दूर जाना था । फिर सब थोड़ा थोड़ा टहलने निकले ! ताजमहल परिसर के चलते सड़क बहुत खूबसूरत बनी हुई है, खासतौर खूबसूरत गुलाबी टाइल्स लगी हैं ! सड़क के दोनों ओर खूबसूरत लाइट्स हैं । दिन जैसा लगता है ! बस, वहीं राह में एक प्याली चाय के बाद अपने अपने कमरों में लौटे और दिन भर की थकावट के चलते नींद ने अपनी बाहों में ले लिया ! इस तरह पहले दिन की यात्रा संपन्न हुई ।

दूसरे दिन सुबह नहा धोकर सभी नाश्ते पर इकट्ठे हुए और पूरी सब्ज़ी का लुत्फ उठाया, वैसे हल्का फुल्का पोहा भी था। सबने सामान वीडियो कोच में रखा और पैदल ही  ताजमहल की ओर बढ़ चले। विश्व धरोहर के तीसरे दिन हम सबसे बड़े प्रेम उपहार ताजमहल के अंदर थे ! बड़े बड़े हरे भरे बाग और खिली धूप ने हमारा स्वागत् किया ! सामने ताजमहल के दीदार हो रहे थे, लगातार फोटोज और   हंसी मज़ाक के बीच डेढ़ घंटा कब निकल गया पता ही नहीं चला !

फिर यात्रा शुरू हुई फतेहपुर सीकरी की ओर लेकिन रास्ते भर में कल से पढ़ रहे थे-पेठा और दालमोठ ! बस, एक दुकान पर कोच रोक कर सबने अपने अपने सामर्थ्य भर ये सौगातें खरीदीं परिवारजनों के लिए! यह भी पता चल गया कि दालमोठ, अंगूरी पेठा और लैदर का सामान यहां प्रमुख तोर पर बिकता है । पूरे देश में आगरा का पेठा ऐसे ही मशहूर‌ नहीं है ! कुछ बात तो है इसमें !

फिर पहुंचे फतेहपुर सीकरी, वहां सबने एक गाइड कर लेने पर सहमति जताई और गाइड मिला सौरभ ! एमबीए और टूरिज्म तक पढ़ा लिखा लेकिन गाइड बनना पसंद किया क्योंकि नित नये लोगो़ं से मिलना बहुत अच्छा लगता है सौरभ को ! उसने बताया कि जब अकबर के संतान नहीं हो रही थी तो वे अजमेर शरीफ गये चादर चढ़ाने तो किसी ने बताया कि फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती के पास जाओ और अकबर आगरा से पैदल श्रद्धापूर्वक फतेहपुर सीकरी पहुंचा और शेख सलीम ने अकबर को संतान सुख का आशीर्वाद दिया तो बेटे का नाम भी अकबर ने ‘सलीम’ ही रखा, जो बाद में  बादशाह जहांगीर बना ! अकबर ने फतेहपुर सीकरी को ही राजधानी बना लिया और यहीं शेख सलीम की दरगाह भी बनवाई और जामा मस्जिद भी ! गुजरात की जीत के बाद गुजरात की ओर एक बुलंद दरवाजा बनवाया जिसकी साल के सप्ताह की तरह बावन सीढ़ियां हैं और ऊपर तेरह झरोखे क्योंकि अकबर ने तेरह साल की उम्र में राजकाज बैरम खा़ं की देखरेख में संभाला था और बेगम जोधाबाई का महल भी खूबसूरत है। कितनी फिल्मों की शूटिंग यहां होने की जानकारी दी सौरभ ने, जिनमें जोधा अकबर, परदेस व कुछ धारावाहिक भी शामिल हैं ! जोधाबाई राजपूत संतान थी । बाद में शेख सलीम के कहने पर अकबर ने फिर आगरा को राजधानी बनाया ! मैं कभी इतिहास का छात्र नहीं रहा, मैंने सिर्फ चार भाषाओं में ही ग्रेजुएशन की तो मेरा इतिहास का ज्ञान कम है, फिर भी पत्रकारिता के चलते रूचि बहुत है इतिहास में ।

फतेहपुर सीकरी असल में सिकरवार राजपूतों के कारण सीकरी कहलाता है और यहां पत्थर का काम ज्यादा होता है। हमारा गाइड सौरभ भी राजस्थान से है और राजपूत है पर सीकरी में परिवार बसा हुआ है ।  बुलंद दरवाजे की ऊंचाई पर खड़े होकर दूर सीकरी कस्बा भी दिखता है ! हमने पत्थर की बनी मालायें खरीदीं और फतेहपुर सीकरी की दरगाह में नंगे पांव ही जा सकते हैं क्योंकि यह एक पूजास्थल है और अंदर अनेक कब्रें बनी हुई हैं । यहां से दो घंटे बाद अगली यात्रा पर निकले -वृंदावन की ओर ! रास्ते में लंच का समय नहीं बच रहा था तो केले, अमरूद व आगरा का पेठा खिलाया गया !

 वृंदावन प्रसिद्ध रचनाकार श्रीमती ममता कालिया का मायका है और मैंने फोन कर यह बात उन्हें बताई कि आज आपके मायके जा रहा हू़ं, वे बहुत खिलखिलाते बोलीं कि क्या बात है !

हमारा वृंदावन में रहने का ठिकाना भी पहले से तय था-श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आश्रम, जिसके ट्रस्टियों में से एक हैं हिसार के ही सुभाष डालमिया, जो सन् 2017 तक हिसार की राजगुरु मार्केट में ही बिजनेस करते थे फिर दिल्ली शिफ्ट हुए और वहां से वृंदावन आ गये ! बेटा साहिल जरूर दिल्ली में ही बिजनेस चला रहा है। इनसे सम्पर्क साधा तो उन्होंने सहर्ष व्यवस्था कर देने का विश्वास दिलाया और हम उनके आश्रम में पहुंच गये ! वे हिसार की मिट्टी के प्रेम के चलते हमें तुरंत मिलने आ पहुचे और बढ़िया खाना खिलाने के आदेश भी दिये मैस वालों को, फिर हमें अपनी कार में बांके बिहारी मंदिर के दर्शन करवाने चल‌ दिये, बाकी साथी ऑटो में पहुंच गये और सबको वीआईपी दर्शन करवाने के बाद प्रसाद के साथ साथ गर्मागर्म समोसे भी खिलाये ! बांके बिहारी मंदिर कुंज गलियों की याद दिलाता है और अंदर बहुत भीड़ उमड़ रही है, कोई कतार नहीं, कोई व्यवस्था नहीं । बस, एक दूसरे को धकेलते आगे या पीछे बढ़ते रहो । इसी धक्कमपेल में दर्शन किये बांके बिहारी के ! वैसे मैं चार साल पहले परिवार के साथ वृंदावन आया था, तब तीन दिन रहा था और सब मंदिर देख रखे थे । गोवर्धन परिक्रमा पहले लोग पैदल करते थे लेकिन अब ऑटो पर करते हैं। हमने भी की थी । वह तुलसी वन भी देखा, जहां कृष्ण रास रचाया करते थे और इसे रात में‌‌ कोई नहीं देख सकता, ऐसी मान्यता है। रात को यह बंद रहता है । इस्काॅन मंदिर की खिचड़ी के प्रसाद का दो दिन आनंद‌‌ लेते रहे !

बांके बिहारी मंदिर से फिर वापसी कुछ मित्रों की वही ऑटो पर हुई तो डालमिया हमें अपने साथ कार में घर ले गये !  वहां उनकी धर्मपत्नी ने स्वागत् किया और उन्होंने गौशाला से आये दूध के गिलास भर भर कर पिलाये, मेवे के साथ ! डालमिया ने पड़ोस में प्रसिद्ध भजन गायक स्वर्गीय विनोद अग्रवाल का अंतिम बसेरा भी दिखाया, जो अब उनको ही समर्पित है और अंदर हाल में उनका कटआउट भी लगा है। वहां उनके रिकार्डिड भजन सुनाये जाते हैं, वैसे यहां बाइस कमरे हैं लेकिन मैस की व्यवस्था नहीं है ! इसलिए हमारी रहने की व्यवस्था यहां नहीं की। यह डालमिया ने बताया  ।

इस तरह दूसरे दिन की यात्रा बांके बिहारी मंदिर के दर्शनों के साथ संपन्न हुई । अपने अपने कमरों में कुछ देर विश्राम के बाद मैस में खाना खाया, कुछ टहले और फिर वही सोने चल‌ दिये !

तीसरा दिन लौटने का दिन होने के साथ साथ अरावली की पहाड़ियों का दिन था । जैसे ट्रस्टी सुभाष शाम को मिलने आये थे, वैसे भी विदा करने भी आने वाले थे, उन्होंने वृंदावन के पेड़े बढ़िया जगह से मंगवा दिये पहले ही और हमने पैसे दे दिये । सब आश्रम के मुख्य द्वार पर उनका इंतजार कर रहे थे और वे आ पहुंचे ! हमारे बीच तीन तीन प्रोफैशनल फोटोग्राफर थे-प्रवीण सोनी, प्रेम और बलवान ! तीनों‌‌ ने अलग अलग एंगल से विदाई के फोटोज खींचे, जिसमें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आश्रम भी आ जाये ! जिस तरह सुभाष डालमिया का मिट्टी से नाता नहीं टूटा, उसी तरह उनका यह प्यार का नाता भी नहीं टूटेगा ! जब जब वतन से चिट्ठी आयेगी, वे ऐसे ही दौड़े चले आयेंगे ! यह आश्रम न्यू वृंदावन में मुख्य हाइवे पर ही स्थित है।

अब वीडियो कोच चली सोहना(मेवात) की ओर, जहां एक शिव मंदिर बताया गया, जिसमें गर्म पानी के दो कु़ड हैं, जो चर्मरोग के लिए बहुत गुणकारी बताये जाते हैं । मंदिर से पहले खूब भीड़भाड़ वाला बाज़ार है, जिसके चलते कोच वहां नहीं जा सकता था। इसलिए कहीं दूर इसको वटवृक्षों की छांव में खड़ी कर हम मंदिर की ओर बढ़ते गये । मंदिर बिल्कुल बाज़ार के अंत में स्थित है । सबने जूता घर में जूते चप्पलें जमा करवाईं और अंदर पहुंचे ! दो कुंड तो थे लेकिन पानी नहीं था । लोग टूटी के पानी से नहा जरूर रहे थे, जो गर्म पानी ही था ! इस तरह हमारे फोटोग्राफर मित्र अपनी कुशलता दिखाते रहे । इसके बाद बाहर ब्रेड पकोड़े की दुकान देखकर सबके मुंह में पानी आ गया तो अध्यक्ष राज पाराशर ने तुरंत गर्मागर्म पकोड़ों का ऑर्डर दे दिया । सबने मज़े से, स्वाद‌ व चटखारे लेकर ब्रेड पकौड़े खाये और फिर पहुंचे कोच में । वहां से रास्ते में दिखीं अरावली की पहाड़ियां पर अब चूंकि निकट आ पहुचे थे तो सब ओर से ‘चलो चलो’ की आवाजें आने लगीं तब कहीं रास्ते में एक सुखदेव नाम का ढाबा दिखा और चाय के लिए रुक गते, यह हमारी यात्रा का अंतिम पड़ाव रहा ।  फिर हांसी में बरवाला और हांसी वाले मित्रों को विदा कर हम सब सायं छह बजे हिसार प्रेस क्लब ऑफिस सुरक्षित और आनंद‌‌‌ में पहुंच गये ! सबके चेहरे दमक रहे थे और जल्द फिर मिलने का वादा कर विदा ली एक दूसरे से ! मैं सबका आभारी हूं कि उम्र और वरिष्ठता के नाते सबने मेरा सम्मान लगातार बनाये रखा! फिर कभी और यात्रा पर मिलेंगे दोस्तो! पर विदा पर हिसार प्रेस क्लब ने एक एक खूबसूरत अटैची गिफ्ट में भेंट किया, यादें समेटते हुए घर लौटे !

दिल ढूंढता है फिर वही

फुरसत के रात दिन !

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क : 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा – भाग-१८ ☆ श्री सुरेश पटवा ☆

श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। आज से प्रत्यक शनिवार प्रस्तुत है  यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा)

? यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा – भाग-१८ ☆ श्री सुरेश पटवा ?

अगली तीन आदतें परस्पर निर्भरता यानी, दूसरों के साथ काम करने के साथ उनसे अंतरसंबंधों से संबंधित हैं।

आदत 4: “परस्पर लाभप्रद समाधान के बारे में सोचें” (Think win-win)

अपने रिश्तों में पारस्परिक रूप से लाभप्रद समाधान या समझौते की तलाश करें। सभी के लिए “लाभ” की तलाश करके लोगों को महत्व देना और उनका सम्मान करना अंततः एक बेहतर दीर्घकालिक समाधान है। पारस्परिक लाभप्रदता, मानवीय संपर्क और सहयोग के लिए एक भावनात्मक मज़बूती देती है। इससे टीम का निर्माण होता है। हनुमान इसी विधि से सेना को तैयार करते हैं।

आदत 5: “पहले समझने की कोशिश करो, फिर समझाने की” (First seek to understand then to be understood)

अधिकांश लोग अपनी बातें दूसरों कों समझाते रहते हैं। जबकि टीम बनाने के लिए दूसरों को भी समझने की ज़रूरत होती है। जिसके बग़ैर समूह की सक्रियता नहीं बन सकती। किसी व्यक्ति को वास्तव में समझने के लिए सहानुभूतिपूर्वक सुनने का उपयोग करें। यह उन्हें प्रतिक्रिया देने और प्रभावित होने के लिए खुले दिमाग से काम करने के लिए मजबूर करता है। लंका उड़ान पूर्व हनुमान प्रतिक्रिया दिए बग़ैर साथियों को सुनते हैं।  इससे परस्पर सौहार्द, देखभाल और सकारात्मक समस्या-समाधान का वातावरण बनता है।

आदत 6: तालमेल बिठाना (Synergy)

समूह में तालमेल बिठाने के तीन आयाम हैं। भावनात्मक बैंक खाता की देखभाल, अन्य व्यक्तियों के साथ भावनात्मक रिश्तों का भरोसा और तार्किक आधार देना। बैंक खाते की तरह रिश्तों में भी भावनात्मक जमा-नामे प्रविष्टियाँ होती हैं। किसी की सराहना जमा और आलोचना नामे प्रिविष्टि होती है। आपसी बातचीत में इनका ध्यान रखा जाना चाहिए ताकि भावनात्मक खातों में अधिविकर्ष ना होने पाये। लेखक का आह्वान है कि सकारात्मक टीम वर्क के माध्यम से लोगों की शक्तियों को संयोजित करें, ताकि उन लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके जिन्हें कोई भी अकेले प्राप्त नहीं कर सकता। हनुमान इसी टेक्नीक का प्रयोग करके वानर सेना को एक टीम के रूप में तैयार करते हैं।

आदत 7: “निरंतर साधना का व्रत” (Sharpen the saw)

एक स्थायी, दीर्घकालिक, प्रभावी जीवनशैली बनाने के लिए किसी को अपने संसाधनों, ऊर्जा और स्वास्थ्य को संतुलित और नवीनीकृत करते रहना चाहिए। वह मुख्य रूप से शारीरिक नवीनीकरण के लिए व्यायाम, प्रार्थना और मानसिक नवीनीकरण के लिए नियमित अध्ययन से प्राप्त किया जाता रह सकता है। आध्यात्मिक नवीनीकरण के लिए समाज की सेवा का भी उल्लेख किया है।

जीवन संग्राम में हमारा स्वास्थ्य एक अस्त्र की तरह प्रयोग में आता है। स्वास्थ्य के चार आयाम हैं- शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक। नियमित व्यायाम से शरीर, अध्ययन से बुद्धि, भावनात्मक बैंक खाता रखरखाव और आध्यात्मिक भक्ति से स्वास्थ्य अस्त्र को हमेशा पैना रखा जा सकता है। तभी आप जीवन संग्राम में खरे उतर सकते हैं। हनुमान जी के संपूर्ण जीवन से यही शिक्षा मिलती है कि उन्होंने कभी भी स्वास्थ्य के नियमों में ढिलाई नहीं बरती।

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हनुमान जी एक बेहतरीन प्रबंधक भी रहे हैं। वे ना सिर्फ अपने लक्ष्यों को हासिल करना जानते हैं बल्कि मानव संसाधनों का किस तरह प्रयोग करना है, ये बात भी उन्हें अच्छी तरह मालूम है।

हनुमान जी हर काम को योजनाबद्ध (Planning) तरीके और बड़ी आसानी से कर सकते थे। हनुमान जी स्वामी श्री राम के प्रति समर्पण, अनुशासन, दृढ़ संकल्प और वफादारी के लिए जाने जाते थे। मन, कर्म और वाणी पर संतुलन यह हनुमान जी से सीखने वाले गुण हैं। ज्ञान, बुद्धि, विद्या और बल के साथ ही उनमें विनम्रता भी अपार थी। इसके साथ जिस काम को लिया उसका समय पर करना उनकी खासियत थी।

हनुमान जी ज्ञान लेने के लिए सूर्य के पास गए। वो सूर्य को अपना गुरु बनाना चाहते थे। तब सूर्य ने कहा शिक्षा के लिए मुझे रुकना पढ़ेगा जो संभव नहीं है, इससे संसार का चलन बिगड़ जायेगा तुम किसी और को गुरु बना लो। हनुमान जी ने सूर्य को कहा कि आप चलते-चलते ज्ञान दीजिये मैं आपके साथ साथ चलता जाऊंगा और ज्ञान प्राप्त करूँगा। सूर्य इस बात के लिए मान गए इस तरह हनुमान जी ने सूर्य से ज्ञान प्राप्त किया। इस घटना से आप ये बात सीख़ सकते हैं कि जब हमें किसी से कुछ भी सीखना हो या ज्ञान लेना हो तो उसके हिसाब से अपने आप में बदलाव लाएँ।

जब हनुमान जी को लंका जा रहे थे, तब रास्ते में मेनाक पर्वत जो समुद्र के कहने पर ऊपर आया और उसने हनुमान जी से कहा की आप थोड़ा विश्राम कर के चले जाइएगा, हनुमान जी ने मेनाक पर्वत को छुआ और कहा कि मैंने आपकी बात रख ली है परन्तु मुझे जो काम सौंपा गया है वो मेरे विश्राम से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है, मैं विश्राम नहीं कर सकता। इस घटना से हमें ये शिक्षा मिलती है कि  जब भी हमें काम दिया जाये तो काम की समाप्ति तक विश्राम न किया जाए। हमें काम की सामयिक महत्ता को समझना चाहिए। यही सतत सक्रियता (Proactive ness) है।

जब हनुमान जी मेनाक पर्वत से आगे गए तब उनको सुरसा नाम की राक्षसी ने रोक लिया और हनुमान जी को निगलने के लिए आगे आई। हनुमान जी ने उसे समझाया पर वो न मानी। हनुमान जी ने अपना विशाल रूप धारण कर लिया, सुरसा ने भी अपना मुँह बड़ा कर लिया। जैसे ही उसका मुँह बड़ा किया हनुमान जी ने बिना समय गवायें अपना रूप बहुत छोटा कर लिया और उसके मुँह में जाकर वापिस आ गए। हनुमान जी ने सुरसा से कहा “माँ मैंने आपकी बात को रख लिया है अब मुझे जाने दो” इस बुद्धिमानी से सुरसा प्रसन्न हुईं और हनुमान जी को जाने दिया। यहाँ हनुमान का चातुर्य और विनम्रता गुण काम आता है।

इस घटना में हमने ये सीखा कि कई बार हमें समय खराब और लक्ष्य से भटकाने वाले लोग मिलते हैं जिनको हम प्यार से या बुद्धिमानी से अपने रास्ते से हटा सकते हैं और अपना लक्ष्य पा सकते हैं। कई बार हमें लक्ष्य हासिल करने के लिए कभी-कभी झुकना भी पड़ता है

 हनुमान जी लंका में प्रवेश हुए लेकिन लंका बहुत बड़ी थी, हनुमान जी माँ जानकी को ढूंढ़ते थोड़ा निराश हुए और बैठ गए और विचार किया की इतनी दूर मैं निराश और असफल होने के लिए नहीं आया हूँ। उन्होंने प्रभु राम का स्मरण किया और फिर से प्रयास किया और उन जगहों पर गए जहाँ उन्होंने नहीं ढूंढा था। आखिर वो अशोक वाटिका पहुंचे, जहाँ उन्हें माँ सीता मिल गईं।

 कई बार हम नई जगह जाते हैं तो वहां हमें कुछ समझ नहीं आ रहा होता है और बार बार प्रयास करने के बावजूद असफल हो रहे होते हैं, लेकिन अगर अपने आप पर पूर्ण विश्वास करके निरंतर प्रयास करते हैं तो आपको सफलता ज़रुर मिलेगी।

 जैसे-जैसे ताक़त आती है, सफलता मिलती जाती है तो घमंड अपने आप प्रवेश कर लेता है। हनुमान जी के पास अविश्वसनीय और अनंत शक्तियां थीं। हर काम को वो अपनी ताकत के ज़ोर से बड़ी आसानी से कर सकते थे, लेकिन इसके साथ साथ उनमे बुद्धिमानी और विनम्रता भी थी। जिससे वे साथियों/ अनुयायियों के ईर्षा भाजन न होकर उनके प्रिय होते थे।

आभार प्रदर्शन उपरांत महोत्सव का समापन हुआ। रात्रिभोज करके दूसरे दिन सुबह नौ बजे आंजनेय पर्वत भ्रमण हेतु बस में सवार होने के निर्देश सहित

निंद्रामग्न ही गए। खूब थके थे, खूब अच्छी गाढ़ी नींद ने खूब जल्दी दबोच लिया।

क्रमशः…

© श्री सुरेश पटवा 

भोपाल, मध्य प्रदेश

*≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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