डॉ. रामवल्लभ आचार्य
( ई- अभिव्यक्ति का यह एक अभिनव प्रयास है। इस श्रंखला के माध्यम से हम हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकारों को सादर नमन करते हैं।
हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार जो आज भी हमारे बीच उपस्थित हैं और जिन्होंनेअपना सारा जीवन साहित्य सेवा में लगा दिया तथा हमें हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं, उनके हम सदैव ऋणी रहेंगे । यदि हम उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को अपनी पीढ़ी एवं आने वाली पीढ़ी के साथ डिजिटल एवं सोशल मीडिया पर साझा कर सकें तो निश्चित ही ई- अभिव्यक्ति के माध्यम से चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लेने जैसा क्षण होगा। वे हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत भी हैं। इस पीढ़ी के साहित्यकारों को डिजिटल माध्यम में ससम्मान आपसे साझा करने के लिए ई- अभिव्यक्ति कटिबद्ध है एवं यह हमारा कर्तव्य भी है। इस प्रयास में हमने कुछ समय पूर्व आचार्य भगवत दुबे जी, डॉ राजकुमार ‘सुमित्र’ जी, प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘ विदग्ध’ जी एवं श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आलेख आपके लिए प्रस्तुत किया था जिसे आप निम्न लिंक पर पढ़ सकते हैं : –
इस यज्ञ में आपका सहयोग अपेक्षित हैं। आपसे अनुरोध है कि कृपया आपके शहर के वरिष्ठतम साहित्यकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से हमारी एवं आने वाली पीढ़ियों को अवगत कराने में हमारी सहायता करें। हम यह स्तम्भ प्रत्येक रविवार को प्रकाशित करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारा प्रयास रहेगा कि – प्रत्येक रविवार को एक ऐसे ही ख्यातिलब्ध वरिष्ठ साहित्यकार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से आपको परिचित करा सकें।
आपसे अनुरोध है कि ऐसी वरिष्ठतम पीढ़ी के अग्रज एवं मातृ-पितृतुल्य पीढ़ी के व्यक्तित्व एवम कृतित्व को सबसे साझा करने में हमें सहायता प्रदान करें।
☆ हिन्दी साहित्य – डॉ. रामवल्लभ आचार्य ☆ व्यक्तित्व एवं कृतित्व ☆
(आज ससम्मान प्रस्तुत है वरिष्ठ हिन्दी साहित्यकार डॉ. रामवल्लभ आचार्य जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विमर्श श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘ विनम्र ‘ जी की कलम से। मैं श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘ विनम्र ‘ जी का हार्दिक आभारी हूँ ,जो उन्होंने मेरे इस आग्रह को स्वीकार किया। विविध पृष्ठभूमि के साथ अपने बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी डॉ रामवल्लभ आचार्य जी हम सबके आदर्श हैं। )
(संकलनकर्ता – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ )
चार मार्च उन्नीस सौ तिरेपन के दिन भोपाल में जन्में डा. वल्लभ आचार्य जी के पिताजी शहर के प्रतिष्ठित संस्कृतज्ञ,ज्योतिषी व कर्मकांडी विद्वान् थे तथा श्री राधा वल्लभ मंदिर के पुजारी एवं शासकीय शिक्षक थे।
आपने बी. एस. सी. तथा बी. ए. एम. एस.(बेचलर ऑफ आयुर्वेद विथ मॉडर्न मेडिसिन एंड सर्जरी) की उपाधि अर्जित की तथा १९७८ से चिकित्सा व्यवसाय में संलग्न हैं ।आप नेशनल. इन्टीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन के जिला शाखा सचिव, प्रांतीय सचिव, कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव, एवं अनेक प्रांतीय व राष्ट्रीय समितियों के सदस्य, संयोजक व चेयरमेन रहे हैं। अनेक चिकित्सा शिविरों के आयोजन, धर्मार्थ चिकित्सा केन्द्रों के संचालन तथा समाज सेवा की अन्य गतिविधियों में संलग्न रहे डा. आचार्य को राज्य स्तरीय धन्वन्तरि सम्मान, डा. व्ही. पी. शर्मा मेमोरियल गोल्ड मेडल अवार्ड तथा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किये गये । आप वर्ष १९९९ से पारिवारिक मासिक स्वास्थ्य पत्रिका “आरोग्य सुधा” का संपादन एवं प्रकाशन कर रहे हैं।
छात्र जीवन से ही डा. आचार्य की रुचि साहित्य और पत्रकारिता में रही। आपने राष्ट्र का अह्वान, गोरा बादल, महाकौशल तथा जागरण के संपादकीय विभागों में कार्य किया तथा आपके धर्म, आध्यात्म, विज्ञान, साहित्य एवं संस्कृति संबंधी लेखों तथा कविता, गीत, व्यंग्य, कहानी, साक्षात्कार तथा अन्य रचनाओं का प्रकाशन धर्मयुग, हिन्दुस्तान, सरिता, मुक्ता, चंपक, बाल भारती, कल्याण, नव भारत, नई दुनिया, भास्कर, जागरण सहित अनेक पत्र पत्रिकाओं में हुआ ।
आप आकाशवाणी एवं दूरदर्शन द्वारा अनुमोदित गीतकार हैं । आपके लिखे गीतों, संगीत रूपकों, नाटक-प्रहसन, टेलिफिल्म व धारावाहिकों का प्रसारण आकाशवाणी व दूरदर्शन के विभिन्न केन्द्रों, राष्ट्रीय व विदेश प्रसारण सेवा द्वारा किया गया। आपने फिल्म “अहिंसा के पुजारी” के लिये गीत तथा अनेक नाटकों व धारावाहिकों के लिए शीर्षक गीत भी लिखे । प्रसिद्ध गायकों यथा- हरि ओम शरण, अनूप जलोटा, अनुराधा पौड़वाल, उदित नारायण, रूप कुमार राठौर, कल्याण. सेन, घनश्याम वासवानी, राजेंद्र काचरू, शेवन्ती सान्याल, प्रभंजय चतुर्वेदी, प्रकाश पारनेरकर, आदि के स्वरों में आपके भक्तिगीतों के कैसेट्स व सीडीज वीनस, टी सीरीज, ई एम आई आदि कंपनियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी किये। आपके भजनों को साध्वी ऋतंभरा सहित अनेक प्रवचनकारों और भजनमंडलियों द्वारा गाया जाता है। आपके देशभक्ति गीत व सरस्वती वंदना का गायन अनेक विद्यालयों में किया जाता है । राष्ट्रीय स्वतंत्रता के इतिहास पर लिखे आपके संगीत रूपक “मुक्ति का महायज्ञ” की दृश्य-श्रव्य प्रस्तुति भारत भवन सहित देश के अनेक मंचों पर की जा चुकी है।
डॉ. आचार्य की प्रकाशित पुस्तकें हैं – “राष्ट्र आराधन”, “गीत श्रंगार”, “सुमिरन”, गाते गुनगुनाते”, “अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो” तथा “पांचजन्य का नाद चाहिये” (सभी गीत संकलन)। “शब्दायन” व “गीत अष्टक” (द्वितीय) सहित अनेक संकलनों में भी आपकी रचनायें प्रकाशित हुई। आपको “अभिनव शब्द शिल्पी”, ” राष्ट्रीय नटवर गीत सम्मान”, ” साहित्य श्री”, “तुलसी साहित्य सम्मान”, “जहूर बख्श बाल साहित्य सम्मान”, “चन्द्र प्रकाश जायसवाल बाल साहित्य सम्मान”, “राजेन्द्र अनुरागी बाल साहित्य सम्मान”, “विशिष्ट साधना सम्मान” एवं “भारत भाषा भूषण” सहित अन्य सम्मान प्राप्त हुए हैं । साहित्य सागर पत्रिका द्वारा आप पर विशेषांक का प्रकाशन किया गया। आप भोपाल की प्रथम साहित्यिक संस्था “कला मंदिर” के अध्यक्ष, अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन के जिलाध्यक्ष, प्रांतीय महामंत्री एवं राष्ट्रीय सचिव के दायित्व का निर्वाह कर चुके हैं तथा सम्प्रति मध्य प्रदेश लेखक संघ के प्रादेशिक अध्यक्ष हैं।
संकलन – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’