☆ डॉ कुँवर प्रेमिल जी को प्रदेश स्तरीय – लघुकथा रत्न सम्मान – अभिनंदन ☆
क्षितिज संस्था द्वारा वर्ष 2023 के सम्मान घोषित
इंदौर | वर्ष 7983 से लघुकथा विधा के संवर्धन के लिए कार्यरत साहित्यिक संस्था क्षितिज के द्वारा वर्ष 2023 के लिए सम्मान घोषित कर दिए गए हैं।
डॉ. उमेश महादोषी (बरेली, उत्तर प्रदेश) को क्षितिज लघुकथा शिखर सम्मान 2023, डॉ. सत्यवीर मानव (हुड्डा, नारनौल, हरियाणा) को (क्षितिज लघुकथा समालोचना सम्मान 2023, प्रदेश स्तरीय क्षितिज लघुकथा समग्र सम्मान 2023 श्री पवन जैन एवं श्रीमती मधु जैन (जबलपुर), क्षितिज लघुकथा नवलेखन सम्मान 2023 श्री विजय जोशी शीतांशु (महेश्वर) को 29 अक्टूबर 2023 को होने वाले वार्षिक कार्यक्रम में प्रदान किए जाएंगे।
प्रदेश स्तर पर सर्वश्री कुंवर प्रेमिल, जबलपुर, हनुमान प्रसाद मिश्र अयोध्या, प्रभाकर शर्मा उज्जैन, आर एस माथुर इंदौर को लघुकथा रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त देश/ प्रदेश के कुछ प्रमुख साहित्यकारों को उनके साहित्यिक अवदान के लिए भी सम्मानित किया जाएगा।
ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ कुंवर प्रेमिल जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
प्रलेस के महा-अधिवेशन में डॉ कुंदन सिंह परिहार जी की पुस्तक ‘खोया हुआ कस्बा’ लोकार्पित साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
20 से 22 अगस्त, 2023 को जबलपुर में प्रगतिशील लेखक संघ का 18वाॅं राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित हुआ, जिसमें देश भर से आए पांच सौ से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी हुई। 20अगस्त को उदघाटन सत्र में परसाई जी पर केंद्रित अट्टहास पत्रिका का विमोचन हुआ।
21अगस्त को विचार विमर्श सत्र के दौरान ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार एवं कथाकार डॉ कुंदन सिंह परिहार द्वारा लिखित कहानी संग्रह ‘खोया हुआ कस्बा’ का विमोचन देश भर से जुटे नामी-गिरामी साहित्यकारों की उपस्थिति में हुआ।
यह मेरा सातवाँ कथा-संग्रह और बारहवीं किताब है। पाँच व्यंग्य-संकलन हैं। यह शायद मेरा आखिरी कथा-संग्रह हो क्योंकि कथा लेखन अब बहुत कम हो गया है। कारण यह है कि जिन पत्रिकाओं ने मेरी लगभग डेढ़ सौ कहानियाँ छापीं, वे अब नहीं हैं। अखबारों ने भी साहित्य छापना बन्द कर दिया है। नयी पीढ़ी साहित्य के प्रति उदासीन हुई है, जिसका कारण ढूँढ़ा जाना चाहिए। इसके लिए केवल पाठक को दोष नहीं दिया जा सकता। संपूर्ण वातावरण में तात्विक परिवर्तन हुआ है।
– डॉ कुंदन सिंह परिहार
कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी दूरदर्शन के रिट. डीडीजी श्री राजीव शुक्ल ने किया। मंच पर देश के दिग्गज साहित्यकार सर्वश्री नरेश सक्सेना, प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव श्री सुखदेव सिंह सिरसा, श्री विभूति नारायण राय, श्री नथमल शर्मा, श्री वीरेन्द्र यादव, श्री कुलदीप सिंह दीप, श्री प्रियदर्शन मालवीय जैसे नामी-गिरामी लेखक उपस्थित थे। महान साहित्यकार और साहित्य के संसार में जबलपुर की सर्वाधिक प्रखर पहचान हरिशंकर परसाई के जन्मदिन और जन्मशती के साथ यह सम्मेलन रांगेय राघव, शंकर शैलेन्द्र, हबीब तनवीर, मृणाल सेन और गीता मुखर्जी की स्मृति को भी समर्पित था।
साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
प्रलेस के महा-अधिवेशन में ‘अंतरात्मा का जन्तर मन्तर’ का हुआ लोकार्पण साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस ) का शीर्ष व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को समर्पित अट्ठारहवां राष्ट्रीय सम्मेलन में चप्पे चप्पे पर परसाई छाए हुए थे। हरिशंकर परसाई नगर में आयोजित त्रिदिवसीय समारोह में परसाई जी छाए हुए थे। दीवारों से लेकर मंच तक परसाई के चित्रों, उनके व्यंग्य वचनों के पोस्टर सजे हुए थे। देश और विदेशों से समारोह में आये साहित्यकारों की जबान पर परसाई का ही नाम था। मंच के बाहर पंडाल में लगे स्टालों पर परसाई और राहुल सांस्कृत्यायन, प्रेमचंद, नागार्जुन की पुस्तकें धड़ाधड़ बिक रहीं थीं। आलम यह था कि अट्टहास का परसाई विशेषांक दो घण्टे में ही बिक गया। इसके बाद परसाई विशेषांक को पुनः पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का आश्वासन देना पड़ा।
20 से 22 अगस्त, 2023 को जबलपुर में प्रगतिशील लेखक संघ का 18वाॅं राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित हुआ, जिसमें देश भर से आए पांच सौ से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी हुई।
20अगस्त को उदघाटन सत्र में परसाई जी पर केंद्रित अट्टहास पत्रिका का धूमधाम से विमोचन हुआ, 21अगस्त को विचार विमर्श सत्र के दौरान ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार,कवि, एवं चर्चित अट्टहास पत्रिका के प्रधान संपादक श्री अनूप श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक ‘अंतरात्मा का जन्तर मन्तर’ का विमोचन देश भर से जुटे नामी-गिरामी साहित्यकारों की उपस्थिति में हुआ।
कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी दूरदर्शन के रिट. डीडीजी श्री राजीव शुक्ल ने किया एवं मंच पर देश के दिग्गज साहित्यकार सर्वश्री नरेश सक्सेना, प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव श्री खुखदेव सिंह सिरसा, श्री विभूति नारायण राय,डॉ कुंदन सिंह परिहार,नथमल शर्मा, श्री वीरेन्द्र यादव, कुलदीप सिंह दीप, श्री प्रियदर्शन मालवीय, जैसे नामी-गिरामी लेखक उपस्थित थे।
महान साहित्यकार और साहित्य के संसार में जबलपुर की सर्वाधिक प्रखर पहचान हरिशंकर परसाई के जन्मदिन और जन्मशती के साथ यह सम्मेलन रांगेय राघव, शंकर शैलेन्द्र, हबीब तनवीर, मृणाल सेन और गीता मुखर्जी की याद को भी समर्पित था, क्योंकि इन विभूतियों की जन्मशताब्दी भी चल रही है। यह भी एक सुखद संयोग था कि 20 अगस्त को महान प्रगतिशील कवि त्रिलोचन की जयंती थी। 21 अगस्त को उर्दू की सबसे बेबाक और हिम्मती लेखिकाओं में एक इस्मत चुग़ताई की और 22 अगस्त को परसाई जी के साथ हिन्दी के महत्वपूर्ण कवि गिरिजा कुमार माथुर की भी जयंती थी। पुस्तक विमोचन स्थल पर पंकज दीक्षित, बालेंदु परसाई और राजेश दुबे द्वारा निर्मित परसाई जी की सूक्तियों पर आधारित पोस्टरों और कार्टून पोस्टरों का प्रदर्शन इस आयोजन की एक और बड़ी उपलब्धि थी।
साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ‘अंतरराष्ट्रीय लघु कथा प्रतियोगिता’ में पुरस्कृत – अभिनंदन ☆
रतनगढ़, 30 अगस्त, 2023। रतनगढ़ निवासी श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी को अंतरराष्ट्रीय लघु कथा प्रतियोगिता सीजन 2 में 11वां स्थान प्राप्त हुआ है। यह प्रतियोगिता स्टोरी मिरर द्वारा आयोजित की गई थी। श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ने अपनी लघुकथा “भिखारी कहीं का” के लिए यह सम्मान प्राप्त किया है।
श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ने बताया कि उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए अपनी लघुकथा पोस्ट की थी, लेकिन उसे प्रसारित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं था कि उनकी लघुकथा का चयन होगा। हालांकि, पाठकों की पसंद के आधार पर श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी की लघुकथा को 52 सर्वश्रेष्ठ लघुकथाओं में से 11वां स्थान प्राप्त हुआ। इसके लिए उन्हें एक सम्मानित प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया।
श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ने कहा कि यह सम्मान उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने कहा कि वह भविष्य में भी लेखन के क्षेत्र में काम करना जारी रखेंगे।
विस्तृत विवरण:
श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी की लघुकथा “भिखारी कहीं का” एक विकलांग युवक की कहानी है जो गरीबी और अभाव से जूझ रहा है। लघुकथा में परिवार के संघर्ष और उनके जीवन के संघर्षों को दिखाया गया है।
श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ने अपनी लघुकथा को लिखने के लिए विकलांग युवक की कहानियों से प्रेरणा ली है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी लघुकथा में विकलांग युवक की वास्तविक जिंदगी को दिखाने की कोशिश की है।
श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी का कहना है कि वह भविष्य में विकलांग युवक की कहानियों पर आधारित लघुकथाएँ लिखना जारी रखेंगे।
💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी को इस विशिष्ट सम्मान के लिए हार्दिक बधाई 💐
– श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
प्रलेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में परसाई छाए रहे! साभार – श्री अनूप श्रीवास्तव ☆
अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस ) का शीर्ष व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को समर्पित अट्ठारहवां राष्ट्रीय सम्मेलन में चप्पे चप्पे पर परसाई छाए हुए थे। हरिशंकर परसाई नगर में आयोजित त्रिदिवसीय समारोह में परसाई जी छाए हुए थे। दीवारों से लेकर मंच तक परसाई के चित्रों, उनके व्यंग्य वचनों के पोस्टर सजे हुए थे। देश और विदेशों से समारोह में आये साहित्यकारों की जबान पर परसाई का ही नाम था। मंच के बाहर पंडाल में लगे स्टालों पर परसाई और राहुल सांस्कृत्यायन, प्रेमचंद, नागार्जुन की पुस्तकें धड़ाधड़ बिक रहीं थीं। आलम यह था कि अट्टहास का परसाई विशेषांक दो घण्टे में ही बिक गया। इसके बाद परसाई विशेषांक को पुनः पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का आश्वासन देना पड़ा।
भारत के केंद्र बिन्दु पर बसी संस्कारधानी जबलपुर में अखिल भारतीय प्रलेस के 18 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में व्यंग्य को समर्पित ‘अट्टहास पत्रिका’ के ‘परसाई विशेषांक’ का ऐतिहासिक विमोचन हुआ। खचाखच भरे मानस भवन सभागार में आयोजित समारोह में साहित्यकार एवं भारत सरकार योजना आयोग की पूर्व सदस्य पदमश्री सैयदा हमीद, प्रलेस राष्ट्रीय महासचिव डॉ सुखदेव सिंह सिरसा, इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष विभूति नारायण राय, ख्यातिलब्ध कवि नरेश सक्सेना, अट्टहास के प्रधान संपादक अनूप श्रीवास्तव, क्यूबा के राजदूत अलेक्जेंड्रा, प्रलेस अध्यक्ष डॉ सेवाराम त्रिपाठी, राजेन्द्र शर्मा, राजेन्द्र राजन, प्रलेस आयोजन अध्यक्ष डॉ कुंदन सिंह परिहार, महासचिव तरूण गुहा नियोगी, परसाई विशेषांक के अतिथि सम्पादक जय प्रकाश पाण्डेय के अलावा देश विदेश से बड़ी संख्या मेंआये प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति में परसाई विशेषांक के साथ कई अन्य पुस्तको और पत्रिकाओं का विमोचन हुआ। लेकिन केवल परसाई पर समर्पित परसाई अंक ही प्रमुख था।
आमजन की बेहतरी एवं जन पक्षधर व्यवस्था निर्माण की चेतना जगाने वाले व्यंग्य पितामह हरिशंकर परसाई जी की जन्मशती के अवसर पर आयोजित इस समारोह में देश भर से जुटे लेखकों ने लोकतंत्र, समानता, भाईचारा की आवाज को बुलंद किया और मानवता प्रेम, भाईचारा, शान्ति के नारे के साथ 500 लेखकों ने रैली निकाली। सभी लेखकों का मत था कि दुनिया के महान व्यंग्यकारों में बड़ा नाम परसाई का है। उनके लेखन की विशेषता रही है कि उन्होंने जो लिखा वह इतना दूरगामी व व्यंग्यपूर्ण है कि वह हमारी धरोहर के रूप में रहेगा। परसाई का स्मरण करते हुए आयोजन स्थल पर जगह-जगह परसाई की रचनाओं पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी लगाईं गई और विभिन्न सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। ‘अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे व संविधान की सुरक्षा और संवर्धन की चुनौतियों’ पर बोलते हुए लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नवशरण कौर ने कहा कि हमारे रंगकर्मी, लेखकों, किसानों व बुद्धिजीवियों ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि लोगों की तकदीर संवाद से बदली जाती है आतंक से नहीं। उन्होंने लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलने की कोशिश पर निशाना साधा।
आलोचक वीरेंद्र यादव ने कहा कि परसाई ने जिस ठिठुरते गणतंत्र की बात कही थी आज वह दिख रहा है, आज जिन हालातों में लेखक समागम हो रहा है ऐसी परिस्थिति कभी नहीं थीं। भगवान सिंह चावला ने कहा कि आज हमारे सामने स्वतंत्रता, समता जैसे मूल्यों को बचाने की चुनौती है हमें मिलकर इन मूल्यों की रक्षा करना चाहिए। इतिहासकार एवं प्रखर वक्ता राम पुण्यानी ने कहा कि वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाला ज्यादा से ज्यादा लेखन करने की आवश्यकता है, आज के नेताओं की चमड़ी ज्यादा मोटी हो गई है। कार्यक्रम में एक ही मंच पर तेलुगू, पंजाबी, हिंदी, तमिल सहित देश की अलग-अलग भाषाओं की लिखी पुस्तकों के विमोचन भी हुए। अट्टहास पत्रिका के विमोचन पश्चात् हरिशंकर परसाई की रचना पर आधारित नाटक निठल्ले की डायरी का शानदार मंचन विवेचना रंगमंडल के कलाकारों ने किया। छत्तीसगढ़ नाचा गम्मत के कलाकारों ने परसाई की रचना टार्च बेचने वाला की नाट्य प्रस्तुति दी। देश भर से आए लेखकों के बीच अट्टहास के परसाई विशेषांक की खूब चर्चा हुई, अधिकांश लेखकों का विचार था कि परसाई पर केंद्रित यह ऐतिहासिक अंक शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी रहेगा, अट्टहास पत्रिका के प्रधान संपादक श्री अनूप श्रीवास्तव एवं अतिथि सम्पादक जय प्रकाश पाण्डेय ने सभी लेखकों का आभार माना
प्रलेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन अन्य साहित्यिक अधिवेशनों से अलग दिख रहा था। सत्यरक्षा होटल में बसा हरिशंकर परसाई नगर में लेखक अपने खर्चे पर आए थे। होटल से लेकर आवागमन तक का खर्चा उन्होंने स्वयम उठाया था। जिन्हें जगह नही मिली उल्लास पूर्वक जमीन पर बिछी दरी पर पसरे हुए थे। समारोह में लेखकों के लिए स्वादिष्ट नाश्ते, भोजन की व्यवस्था थी। बिना रोक टोक, भोजन पर्ची के कतार में लेखक लगे थे।
श्री अनूप श्रीवास्तव
प्रलेस के राष्ट्रीय समारोह में जो लेखक। आकर्षण के मुख्य केंद्र थे उनमें वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना, वीरेन्द्र यादव, राकेश वेदा, फारूकी अफरीदी, अलका आग्रवाल सिगतिया, डॉ संजय श्रीवास्तव, रमेश सैनी, जयप्रकाश पांडे, और अट्टहास के परसाई अंक के चलते अनूप श्रीवास्तव प्रमुख थे।
एक दिलचस्प दृश्य उस समय दिखा जब वरिष्ठ साहित्यकार कुछ देर से नाश्ता करने पहुंचे तो उन्हें यह कहकर नाश्ता देने से मना कर दिया गया-सब खत्म हो चुका है, कृपया काउंटर पर जाइये, अब यहां कुछ नही मिलेगा इस स्थिति में आड़े आई बम्बई से पधारी अलका सिगतिया। उन्होंने नरेश जी से आगे बढ़कर पूछा-क्या दो पराठे खाना आप पसन्द करेंगे/नरेश सक्सेना ने पूछा -कुछ अचार भी है। हाँ। नरेश जी के लिए अलका ने कार से नाश्ते का डिब्बा मंगवाया। नाश्ता पाकर नरेश सक्सेना ने कहा- अलका ने मेरे शरीर मे जान डाल दी।
प्रलेस का तीन दिवसीय समारोह कई सत्रों में बंटा था। इन सबसे अलग सत्र भी हुए। संगठन सत्र में अगले अध्यक्ष, महा सचिव, राज्यो के पदाधिकारियों के चयन की खींचा तानी भी चली लेकिन गुपचुप। नरेश सक्सेना का भी राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्विरोध बनने का भी प्रस्ताव आया जिसे नरेंश जी ने मना कर दिया अन्ततः राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर पी लक्क्ष्मी नारायण और महा सचिव सुखदेव सिंह सिरसा चुने गए।
समारोह के अगले दिन शाम को कोकिला रेसॉर्ट में रमेश सैनी, जय प्रकाश पांडे, राजस्थान सरकार के मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी फारूक अफरीदी, विनोद भरद्वाज और व्यंग्यकार और पत्रकार अनूप श्रीवास्तव आदि के बीच विशद परिचर्चा भी हुई जिसमे साहित्य के बिंदुओं पर लंबी बात चीत हुई। सुबह की संगोष्ठी में बम्बई की अलका सिगतिया भी जुड़ीं।
संगोष्ठी का निष्कर्ष था साहित्य वह है जो बेचैनी पैदा करे अनूप जी ने प्रेम चंद का उल्लेख करते हुए कहा भाषा साधन है, साध्य नही। अब हमारी भाषा ने वह रूप प्राप्त कर लिया है। वह भाषा जिसके आरम्भ में बागों बहारऔर बैताल पचीसी की रचना ही सबसे बड़ी साहित्य सेवा थी। अब इस योग्य हो गई है कि उसमें शास्त्र और विज्ञान की भी विवेचना की जा सके। यह सम्मेलन इस सच्चाई की स्पष्ट स्वीकृति है। फारूक अफरीदी का कहना था कि हमारी साहित्यिक रुचि तेजी से बदल रही है। साहित्य केवल मन बदलाव की चीज नही है। जय प्रकाश पांडे का मानना था कि कुछ समालोचको ने साहित्य को लेखक का मनोवैज्ञानिक जीवन चरित्र कहा है। रमेश सैनी ने कहा साहित्य मशाल दिखाते हुई चलने वाली सचाई है।
कुल मिलाकर हर समारोह की तरह प्रलेस के समारोह में संगति के साथ् विसंगति भी दिखी-परसाई की स्मृति के ताम झाम के साथ समारोह पर परसाई जी के तीन दिन तक पोस्टर लगे रहे, स्टालों पर परसाई का साहित्य बिकता रहा लेकिन मंच पर परसाई पर कोई सत्र कब कहाँ चला, किसने उन पर कब कहाँ बोला इसकी जानकारी अन्ततः नही मिल सकी।
साभार – श्री अनूप श्रीवास्तव, संपादक अट्टहास
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
🍁 ।। “राहुल-कविता की संवेदना का संसार सघन है” ।। — प्रा. डॉ. मनोहर🍁
“साहित्य अकादेमी” के केंद्रीय कार्यालय, दिल्ली में दिनांक 23.08.2023 को एक सादे समारोह में अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवास राव जी के कर-कमलों द्वारा प्रा. डॉ. मनोहर जी द्वारा संपादित तथा स्वराज प्रकाशन, दिल्ली द्वारा प्रकाशित हिंदी के कवि-आलोचक डॉ. राहुल जी की चयनित कविताओं का संकलन “शब्द साक्षी है” का विमोचन संपन्न हुआ. समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पंजाबी कवि, लेखक व अनुवादक श्री राजेंद्र ब्याला जी उपस्थित थे तथा समारोह के अध्यक्ष पद को डॉ. ओम निश्चल जी ने विभूषित किया.
समारोह का प्रास्ताविक डॉ. राहुल जी ने किया. उन्होंने अपने प्रास्ताविक में कहा कि यह सुखद – संयोग है कि प्रो. मनोहर जी द्वारा संपादित मेरी चयनित कविताओं का संग्रह “शब्द साक्षी है” के विमोचन के अवसर अकादेमी के यशस्वी सचिव डॉ. के. श्रीनिवास राव जी तथा डॉ. ओम निश्चल जी की गरिमामयी उपस्थित अति विशिष्ट है.
डॉ. मनोहर जी ने संपादकीय मनोगत प्रस्तुत किया. उन्होंने अपने मनोगत में कहा, “राहुल जी की कविताओं में सामाजिक-राजनीतिक विसंगतियों और विद्रूपताओं के प्रति जो आक्रोश व्यक्त हुआ है, वह साठोत्तरी व्यवस्था-विरोधी स्वर से मेल खाता है. हिंदी कविता में नयी कविता से जो अलग मोड़ आया था, डॉ. राहुल जी की कविता में उससे पृथक नयेपन का आभास होता है. राहुल जी की कविताएं भारतीयता और जीवन-मूल्यों, मानवता के प्रति असीम आस्था से भरपूर लगती हैं. उनकी कविताओं का कैनवास व्यापक है. कला-वैविध्य के साथ-साथ स्वागत कथन-शैली-रूपों में रचित ये कविताएं मनोवैज्ञानिक ढंग से जड़ता को मिटाती हैं. घटना का विन्यास बुनने का कौशल कवि में है. इसलिए राहुल जी की कविता और उसकी संवेदना का संसार सघन है.”
डॉ. के. श्रीनिवास राव जी ने डॉ. राहुल जी के सृजन-कर्म की सराहना करते हुए उनका अभिनंदन किया और उनके आगामी प्रकल्प तथा साहित्यिक लेखन कार्य के लिए शुभकामनाएं प्रदान की. डॉ. ओम निश्चल जी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि, “डॉ. राहुल जी जमीन से जुड़े कवि हैं. उनमें भारतीयता की गंध है. समकालीनता के साक्षी हैं ये शब्द. शब्दों की बुनावट बहुत बारीक है.”
श्री कुमार अनुपम जी ने समारोह का कुशल संचालन तथा सुश्री आशा रानी जी ने आभार ज्ञापित किया. इस अवसर पर “शब्दसृष्टि” प्रतिष्ठान की न्यासी व सचिव तथा पत्रिका की संपादक सुश्री आशा रानी जी ने उनके द्वारा संपादित ग्रंथ “विजयिता” (डॉ. विजया का चुनिंदा रचना-संसार) की एक प्रति डॉ. के. श्रीनिवास राव जी को भेंट की. समारोह में विशेष रूप से प्रकाशक अजय मिश्रा जी तथा अजय कुमार शर्मा जी, आदि उपस्थित थे. अंत में, डॉ. राहुल जी ने सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की.
साभार – डॉ. प्रेरणा उबाळे
सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर, पुणे ०५
☆ प्रलेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में अट्टहास का ‘परसाई विशेषांक’ विमोचित ☆
भारत के केंद्र बिन्दु पर बसी संस्कारधानी जबलपुर में अखिल भारतीय प्रागितिशील लेखक संघ (प्रलेस) के 18 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में व्यंग्य को समर्पित ‘अट्टहास’ पत्रिका के परसाई विशेषांक का विमोचन हुआ। जबलपुर के ठसाठस भरे मानस भवन, सभागार में आयोजित समारोह में प्रतिष्ठित लेखिका एवं भारत सरकार योजना आयोग की पूर्व सदस्या पदमश्री सैयदा हमीद, प्रलेस राष्ट्रीय महासचिव डॉ सुखदेव सिंह सिरसा, इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष विभूति नारायण राय, ख्यातिलब्ध कवि नरेश सक्सेना,अट्टहास के प्रधान संपादक अनूप श्रीवास्तव, क्यूबा के राजदूत अलेक्जेंड्रा, प्रलेस अध्यक्ष डॉ सेवाराम त्रिपाठी, राजेन्द्र शर्मा, राजेन्द्र राजन, प्रलेसआयोजन अध्यक्ष डॉ कुंदन सिंह परिहार, महासचिव तरूण गुहा ,परसाई विशेषांक के अतिथि सम्पादक जय प्रकाश पाण्डेय के अलावा देश विदेश से आये 500 प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति में परसाई विशेषांक का विमोचन हुआ।
आमजन की बेहतरी एवं जन पक्षधर व्यवस्था निर्माण की चेतना जगाने वाले व्यंग्य पितामह हरिशंकर परसाई जी की जन्मशती के अवसर पर आयोजित इस समारोह में देश भर से जुटे लेखकों ने लोकतंत्र, समानता, भाईचारे की आवाज को बुलंद किया और मानवता प्रेम, भाईचारा, शान्ति के नारे के साथ 500 लेखकों ने रैली निकाली। अट्टहास पत्रिका के विमोचन के पश्चात् हरिशंकर परसाई जी की रचना पर आधारित नाटक निठल्ले की डायरी का शानदार मंचन विवेचना रंगमंडल के कलाकारों ने किया। छत्तीसगढ़ नाचा गम्मत के कलाकारों ने परसाई जी की रचना टार्च बेचने वाला की नाट्य प्रस्तुति दी।
साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ डॉक्टर लालित्य ललित को अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की ओर से हरिशंकर परसाई स्मृति सम्मान – अभिनंदन ☆
भोपाल, हिंदी भवन में देश की राजधानी दिल्ली के व्यंग्यकार डॉक्टर लालित्य ललित को अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की ओर से हरिशंकर परसाई स्मृति सम्मान दिया गया। इस अवसर पर यह सम्मान वरिष्ठ व्यंग्यकार गिरीश पंकज एवम हिंदी भवन के अध्यक्ष श्री रास बिहारी गोस्वामी के साथ संस्था की अध्यक्ष कथाकार संतोष श्रीवास्तव ने प्रदान किया।
इस मौके पर डॉ लालित्य ललित ने अपने अनुभव भी साझा किए और उन्होंने यह भी बताया कि विसंगतियां मनुष्य के साथ साथ चलती है वह कहीं बाहर से नहीं आती।ललित ने महिलाओं के संदर्भ में उनकी मेहनत की तुलना विसंगतियों के आदर्श रूप से की तो महिलाओं ने करतल ध्वनि से उनका आदर सत्कार करके अपने आमंत्रित अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर जयपुर से राजेंद्र मोहन शर्मा,राजेश श्रीवास्तव,दिल्ली से डॉक्टर संजीव कुमार सहित शहर के अनेक गण्यमान्य विद्वान मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में आमंत्रित कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ भी किया और शाम को सुमधुर बना दिया।
💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की और से डॉक्टर लालित्य ललित जी को इस विशिष्ट सम्मान के लिए हार्दिक बधाई 💐
☆ FeedSpot की श्रेष्ठ 90 मराठी ब्लॉग सूची में ई-अभिव्यक्ती (मराठी) एवं अन्य विशिष्ट उपलब्धियां ☆ हेमन्त बावनकर ☆
प्रिय मित्रो,
सर्वप्रथम ई-अभिव्यक्ति के सभी एवं प्रबुद्ध लेखकगण तथा पाठकगण के आत्मीय स्नेह के लिए हृदय से आभार।
इस वर्ष अक्तूबर २०२३ में आपकी प्रिय वैबसाइट के सफल५ वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं एवं १५ अगस्त २०२३ को ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ने अपने सफल ३ वर्ष पूर्ण कर लिए हैं।
अगस्त माह हम सब के लिए कई विशिष्ट उपलब्धियां ले कर आया है। मुझे इन उपलब्धियों को आपसे साझा करने में अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।
यह ई-अभिव्यक्ती(मराठी) के संपादक मण्डल के सतत प्रयासों एवं प्रबुद्ध लेखकगण एवं पाठकगण के आत्मीय स्नेह का ही परिणाम है कि आपकी प्रिय वेबसाइट को FeedSpot की श्रेष्ठ 90 मराठी ब्लॉग सूची में स्थान प्राप्त हुआ है। FeedSpot के संस्थापक श्री अनुज अग्रवाल जी के ईमेल संदेश के अनुसार आपकी प्रिय वेबसाइट का चयन उनकी स्वतंत्र समिति के सदस्यों द्वारा किया गया है, जिसे आप इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं 👉 Top 90 Marathi Blogs
FeedSpot की श्रेष्ठ 90 मराठी ब्लॉग सूची में ई-अभिव्यक्ति (मराठी) के लेखक एवं सुप्रसिद्ध मराठी व्यंग्यकार श्री अमोल अनंत केळकर के व्यक्तिगत ब्लॉग माझी टवाळखोरी !!!! ….. को भी स्थान मिला है।
ई-अभिव्यक्ती (मराठी) के निम्नलिखित साहित्यकारों को तितिक्षा इंटरनॅशनल संस्था द्वारा साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए राष्ट्रीय ग्रंथ पुरस्कार २०२३ श्रेणी में सम्मानित किया गया है।
डाॅ.सोनिया कस्तुरे – सर्वोत्कृष्ट काव्यसंग्रह : नाही उमगत ती अजूनही.
सुश्री वीणा रारावीकर – उत्कृष्ट काव्यसंग्रह : गुजगोष्टी शतशब्दांच्या.
श्री रवींद्र सोनवणे – गझलसंग्रह : प्रथम पुरस्कार : जाणीवांची आवर्तने.
श्री विश्वास विष्णु देशपांडे – विशेष प्रेरणादायी व्यक्तीकथा: अष्टदीप.
स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर ई-अभिव्यक्ति (अँग्रेजी) के संपादक एवं प्रतिष्ठित साहित्यकार कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी को प्रतिष्ठित ग्लोबल राइटर्स एकेडमी द्वारा बेस्ट पोएट (श्रेष्ठ कवि) के सम्मान से सम्मानित किया गया।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर ई-अभिव्यक्ति (हिन्दी) के संपादक एवं प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी को प्रतिष्ठित १०० अंतरराष्ट्रीय साहित्यकारों की सूची राही रेंकिंग २०२३ में स्थान देकर सम्मानित किया गया ।
हिन्दी आंदोलन परिवार, पुणे द्वारा हिन्दी उत्सव २३ अप्रैल २०२३ को वर्ष २०२२ के हिन्दीश्री सम्मान से मुझे अलंकृत किया गया। इसके लिए हिन्दी आंदोलन परिवार के अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज जी का हार्दिक आभार।
इन पंक्तियों के लिखे जाते तक 18,340 रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं एवं 5,23,300 से अधिक विजिटर्स आपकी प्रिय वैबसाइट www.e-abhivyakti.com पर विजिट कर चुके हैं।
इन सभी उपलब्धियों से ई-अभिव्यक्ति परिवार गौरवान्वित अनुभव करता है। आप सभी का यह अपूर्व आत्मीय स्नेह एवं प्रतिसाद इसी प्रकार हमें मिलता रहेगा।
आपसे सस्नेह विनम्र अनुरोध है कि आप ई-अभिव्यक्ति में प्रकाशित साहित्य को आत्मसात करें एवं अपने मित्रों से सोशल मीडिया पर साझा करें।
आपके विचारों एवं सुझावों की हमें प्रतीक्षा रहेगी।
एक बार पुनः आप सभी का हृदय से आभार ।
सस्नेह
हेमन्त बावनकर
पुणे (महाराष्ट्र)
१९ अगस्त २०२३
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
💐 The GLOBAL WRITERS ACADEMY has awarded Captain Pravin Raghuvanshi the BEST POET. 💐
It’s a great pleasure to share with you all that Capt. Pravin Raghuvanshi ji has been awarded the Best Poet by the Global Writers Academy. Shri Biswananda Sinha, President, Global Writers Academy, announced this great news on the occasion of the 77th Independence Day celebrations of our beloved country India.
Captain Pravin Raghuvanshi—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.
Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc. Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.
Capt. Raghuvanshi ji is the Editor (English) of this popular e-magazine, www.e-abhivyakti.com.
💐 The e-abhivyakti family congratulates Capt. Pravin Raghuvanshi ji for this great achievement. 💐