☆ सूचनाएँ/Information ☆
(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ साहित्यिक गोष्ठियों का सिलसिला ☆
साहित्यिक गोष्ठियों का अलग अलग शहरों में सिलसिला जारी है जिससे संवाद और विचार विमर्श होने से लेखक अपनी रचना को और खूबसूरत बना सकते हैं। ये गोष्ठियां अपने ही खर्च और कोशिश से की जाती हैं। मुझे हरियाणा में कैथल की साहित्य सभा की गोष्ठियों का सफर याद है जो चालीस वर्ष से ऊपर होने जा रहा है। जालंधर में पंकस अकादमी पिछले छब्बीस वर्ष से वार्षिक साहित्यिक समारोह व सम्मान देती आ रही है। इसी प्रकार गाजियाबाद में कथा रंग संस्था प्रतिमाह कथा गोष्ठी का आयोजन करती है तो इलाहाबाद में कहकशां भी ऐसे आयोजन करती रहती है। शिमला में हिमालय मंच और परिवर्तन संस्थायें सक्रिय हैं। पंचकूला के पास साहित्य संगम संस्था चल रही है। इस तरह अनेक शहरों में अनेक संस्थायें साहित्य को गोष्ठियों के माध्यम से आगे बढ़ा रही हैं ।
डाॅ अजय शर्मा की औपन्यासिक यात्रा : त्रिवेणी साहित्य अकादमी, जालंधर के तत्वावधान में डॉ अजय शर्मा के उपन्यास ‘शंख में समंदर‘ पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। डा. अजय शर्मा वर्तमान में पंजाब के ही नहीं भारत के प्रमुख उपन्यासकारों में से एक हैं। डॉ तरसेम गुजराल ने उनकी रचना प्रक्रिया पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी और उनकी औपन्यासिक यात्रा की यात्रा के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा, यह एक प्रयोगधर्मा उपन्यास है। प्रो. सरला भारद्वाज ने शिल्प विधा की मौजूदा स्थितियों की व्याख्या का उल्लेख करते हुए कहा, डा अजय ने इस उपन्यास में सभी विधाओं का प्रयोग करते हुए एक नई परंपरा को जन्म दिया है। डा विनोद शर्मा ने उपन्यास के नए कलेवर की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उपन्यास पर चर्चा की। इस तरह की गोष्ठियों का आयोजन गीता डोगरा ने शुरू किया है। उन्होंने बताया कि डाॅ अजय शर्मा पंजाब के ऐसे साहित्यकार हैं जो देश, काल परिस्थिति के अनुरूप लिखते हैं। प्रो. बलवेन्द्र सिंह, प्रो. रमण शर्मा, रीतू कलसी , डाॅ कुलविंद्र कौर , कैलाश भारद्वाज और लुधियाना से आई सीमा भाटिया ने भी उपन्यास पर अपने विचार रखे ।
सृजन कुंज सेवा संस्थान : श्रीगंगानगर ( राजस्थान) में सन् 2014 से सृजन कुंज सेवा संस्थान सक्रिय है जो प्रतिमाह ‘लेखक से मिलिये’ कार्यक्रम का आयोजन करता है। अब तक इसके सौ से ऊपर आयोजन हो चुके हैं। इसके साथ ही साहित्य कुंज नाम से पत्रिका प्रकाशन भी किया जा रहा है। इसके संयोजक डाॅ कृष्ण कुमार आशु ने बताया कि प्रतिवर्ष विविध विधाओं में नौ पुरस्कार भी दिये जाते हैं। लेखक से मिलिये कार्यक्रम में किसी भी लेखक को रिपीट नहीं किया जाता। यह संस्था साहित्य की अनुपम सेवा कर रही है। इसके लिये डाॅ कृष्ण कुमार आशु को सलाम तो बनता है ।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈