☆ 76 वें जन्मदिवस के अवसर पर डॉ कुंवर प्रेमिल जी का लघुकथा संग्रह “रोटी” विमोचित – बधाई एवं अभिनंदन ☆
‘गीत पराग’ पत्रिका की सम्पादिका डॉ गीता गीत जी द्वारा वरिष्ठतम साहित्यकार डॉ कुंवर प्रेमिल जी के 76 वें जन्मदिवस पर उनके आवास में एक सादे कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। डॉ राजेश पाठक ‘प्रवीण’ एवं संस्कारधानी के गणमान्य साहित्यकारों की उपस्थिति में डॉ कुंवर प्रेमिल जी के सद्य प्रकाशित लघुकथा संग्रह ‘रोटी’ का विमोचन किया गया।
डॉ कुंवर प्रेमिल जी को विगत 50 वर्षों से लघुकथा, कहानी, व्यंग्य में सतत लेखन का अनुभव हैं। अब तक 450 से अधिक लघुकथाएं रचित एवं बारह पुस्तकें प्रकाशित। 2009 से प्रतिनिधि लघुकथाएं (वार्षिक) का सम्पादन एवं ककुभ पत्रिका का प्रकाशन और सम्पादन। आपने लघु कथा को लेकर कई प्रयोग किये हैं। आपकी लघुकथा ‘पूर्वाभ्यास’ को उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय, जलगांव के द्वितीय वर्ष स्नातक पाठ्यक्रम सत्र 2019-20 में शामिल किया गया है। वरिष्ठतम साहित्यकारों की पीढ़ी ने उम्र के इस पड़ाव पर आने तक जीवन की कई सामाजिक समस्याओं से स्वयं की पीढ़ी एवं आने वाली पीढ़ियों को बचाकर वर्तमान तक का लम्बा सफर तय किया है, जो कदाचित उनकी रचनाओं में झलकता है। हम लोग इस पीढ़ी का आशीर्वाद पाकर कृतज्ञ हैं।
ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ कुंवर प्रेमिल जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
सुश्री इन्दिरा किसलय को “महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी” का “सुब्रमण्यम भारती हिन्दी सेतु विशिष्ट सेवा पुरस्कार”– अभिनंदन
“जय जय महाराष्ट्र माझा–गर्जा महाराष्ट्र माझा”– इस राज्यगीत की प्रचंड उर्जा एवं महाराष्ट्र के सांस्कृतिक वैभव तथा साहित्यिक गौरव की ध्वजवाहक “महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी” द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार “सुश्री इन्दिरा किसलय” को “राज्य स्तरीय सम्मान -जीवन गौरव पुरस्कार” के अन्तर्गत, “सुब्रमण्यम भारती हिन्दी सेतु विशिष्ट सेवा पुरस्कार”, प्रख्यात अभिनेता लेखक“आशुतोष राणा “के हस्ते प्रदान किया गया। इसमें इक्यावन हजार की राशि,स्मृति चिह्न तथा प्रशस्ति पत्र का समावेश है।
मुंबई (बांद्रा) के “रंगशारदा ऑडिटोरियम” में संपन्न इस गौरवशाली आयोजन में संपूर्ण महाराष्ट्र के विजेता शामिल रहे।
कोरोनाकाल में अकादमी की गतिविधियां स्थगित रहीं।अतः तीन वर्षों के पुरस्कार 23 मार्च 2023 के आयोजन में प्रदान किये गये।
स्वनामधन्य साहित्यकार “चित्रा मुद्गल,”सुख्यात अभिनेता आशुतोष राणा को (रामराज्य) को अखिल भारतीय जीवन गौरव पुरस्कार (एक लाख की राशि) से अलंकृत किया गया। फिल्मी गीतकार मनोज मुन्तशिर, गायक अनूप जलोटा एवं अभिनेता मनोज जोशी भी गौरवशाली पुरस्कारों से नवाज़े गये।
समग्रतः एक सौ चौबीस, पुरस्कारों में अखिल भारतीय ,राज्य स्तरीय तथा विधा पुरस्कारों ने स्थान पाया।
इस साहित्यिक अभिजात्य के साक्षी बने अनेक गणमान्य जन। खचाखच भरे हुये सभागार में अकादमी सचिव “सचिन निंबालकर” के शानदार संचालन ने सुन्दर वातावरण की रचना की। संयोजन में अकादमी के कार्याध्यक्ष “शीतलाप्रसाद दुबे जी” का संरचनात्मक सौरभ व्याप्त रहा।
अपनी शुद्ध हिन्दी के लिये चर्चित अभिनेता आशुतोष राणा ने अपनी ओजस्वी वाणी में राष्ट्रकवि दिनकर की रश्मिरथी सुनाकर महफिल लूट ली। सदन में अभूतपूर्व शौर्य का संचार कर दिया।
मध्यप्रदेश राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष- विकास दवे ने बाल साहित्य सृजन की ओर साहित्यकारों का ध्यान आकृष्ट किया। ऐसी लागी लगन गाकर भजन सम्राट अनूप जलोटा ने भक्ति साहित्य के कुछ पृष्ठ अनावृत्त किये। माननीय श्री शेलार ने साहित्य की महत्ता पर प्रकाश डाला। आयोजन में पधारे देशभर के लघुकथाकारों का लघुकथा पाठ हुआ। कार्यक्रम के अंत में शशि बंसल ने आभार प्रकट किया।
एक गुरुतापूर्ण सरस आयोजन ने हमेशा के लिये स्मृति में जगह बना ली।
धन्यवाद महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी।
ई-अभिव्यक्ति की ओर से इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए सुश्री इंदिरा किसलय जी एवं सभी सम्मानित साहित्यकारों का अभिनंदन एवं हार्दिक बधाई
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ विश्व कविता दिवस की धूम ☆
सन् 1999 से विश्व कविता दिवस मनाया जा रहा है । इसका मुख्य उद्देश्य कविता व कवियों को सम्मान देना है । कवियों को सुना जाये और अच्छे से उनकी कृतियों को पढ़ा जाये, यही उद्देश्य है । हिसार के गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय के हिंदी विभाग ने इस दिवस पर एक काव्य गोष्ठी आयोजित की । पहले तो विज्ञान व तकनीकी विश्विद्यालय में हिंदी विभाग का होना ही बहुत खुशी की बात है । इसके नवनियुक्त विभागाध्यक्ष प्रो एन के बिश्नोई ने कविता दिवस मनाने का संकेत विभाग को दिया । हिंदी विभाग को अस्तित्व में आये चार साल हो चुके हैं और इसके पहले अध्यक्ष प्रो किशना राम बिश्नोई अब सेवानिवृत होने जा रहे हैं लेकिन हिदी विभाग की स्थापना के लिये उन्हे याद किया जायेगा । वे भी इस अवसर पर मौजूद रहे । छात्र शिवा ने अच्छे से संचालन किया और कम से कम एक दर्जन छात्र छात्राओं ने काव्य पाठ किया । विभाग की ओर से डाॅ गीतू धवन, अनीता, कल्पना, कोमल व अन्य ने इसे सफल बनाने में खूब सहयोग दिया । एक अन्य कार्यक्रम भी हिसार मे विश्व कविता दिवस की पूर्व संध्या पर हुआ जिसमें प्रसिद्ध नवगीतकार सतीश कौशिक, विनोद मेहता, तिलक सेठी, ऋतु कौशिक, कमलेश भारतीय, सुरेंद्र छिंदा, सौरभ ठकराल, रश्मि, सरोज श्योराण आदि ने काव्य पाठ किया ।
चित्रा मुद्गल को सम्मान दर सम्मान: वरिष्ठ व चर्चित लेखिका चित्रा मुद्गल को सम्मान दर सम्मान मिल रहे हैं । उनकी सबसे नवीनतम कृति है – नकटौरा । उपन्यास जो सामयिक प्रकाशन से आया है । चित्रा मुद्गल को महाराष्ट्र साहित्य अकादमी और इंडियानेटबुक्स की ओर से सर्वोच्च सम्मान देना बहुत ही श्रेय की बात है । चित्रा मुद्गल को इनसे पहले भी व्यास सम्मान सहित अनेक सम्मान मिल चुके हैं । नये लेखकों को वे प्रोत्साहित करने में आगे रहती हैं ।
जालंधर से हिंदी पुस्तकें : पंजाब के सांस्कृतिक केंद्र जालंधर की चर्चा पहले की गयी तो बहुत से सुझाव आये और बहुत से नाम स्मरण करने की बात कही गयी । इनमें सुदर्शन फाकिर, जगदीश चंद्र वैद , गजल गायक जगजीत सिंह , विजय निर्बाध, भूमिका , आलोचक डाॅ विनोद शाही , डाॅ सेवा सिंह और भी अन्य अनेक । वैसे कोई चाहे तो पूरी किताब जालंधर पर लिख सकता है । अब भी पंजाब के जालंधर के लेखक हिंदी लेखन में सक्रिय योगदान दे रहे हैं । इन दिनों डाॅ तरसेम गुजराल , डाॅ अजय शर्मा व डाॅ विनोद कालरा की नयी पुस्तकें प्राप्त हुई हैं जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक मिठास लिये हुए हैं । सिमर सदोष पंकस अकादमी की स्मारिका के प्रकाशन में डूबे हैं । इन दिनों गीता डोगरा भी पंजाब के हिंदी लेखन के सितारे पुस्तक के संपादन में जुटी है । निधि शर्मा भी पत्रकारिता पर पुस्तक प्रकाशन की ओर अग्रसर है ।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
नेपाल भारत साहित्य महोत्सव दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र के साथ संपन्न – डा विजय पंडित प्रस्तुति – डॉ निशा अग्रवाल
विराटनगर, नेपाल में तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव का चतुर्थ संस्करण दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र के साथ संपन्न ।
राम जानकी सेवा सदन में महानगर पालिका बिराटनगर नेपाल और क्रांतिधरा साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में 450 से अधिक नेपाली व भारतीय साहित्यिक व सामाजिक, पत्रकार बंधुओं की सहभागिता रही ।
आयोजन के प्रथम दिवस के मुख्य अतिथि कोसी प्रदेश के पूर्व प्रदेश प्रमुख डा गोविन्द सुब्बा रहे, अध्यक्ष के रूप में विराटनगर महानगरपालिका के मेयर नागेश कोईराला और विशिष्ट अतिथि के रूप में दधिराज सुबेदी, विवश पोखरेल, गंगा सुबेदी , डा बलराम उपाध्याय, भीष्म उप्रेती , विभा रानी श्रीवास्तव, जनार्दन अधिकारी धडकन रहे सत्र संचालन डा देवी पंथी और गोकुल अधिकारी द्वारा किया गया।
द्वितीय सत्र नेपाल भारत साहित्यिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व ऐतिहासिक संबंधी परिचर्चा रही।
तृतीय सत्र लघुकथा को समर्पित रहा जिसका संचालन सुविख्यात लघुकथाकार डा पुष्कर राज भट्ट ने किया और विभा रानी श्रीवास्तव, नीता चौधरी, सीमा वर्णिका, राजेन्द्र पुरोहित, हेमलता शर्मा ‘भोली बेन’ आदि ने लघुकथा वाचन के साथ विधा पर विमर्श किया। जिसमें से कुछ लघुकथा जो प्रमुख रूप से दर्शकों द्धारा पसंद की गयी यहां प्रकाशित है…
पटना से विभारानी श्रीवास्तव की लघुकथा : कोढ़
कई दिनों पहले से अनेक स्थलों पर बड़े-बड़े इश्तेहार लग गए… ‘नए युग को सलामी : खूँटे की नीलामी’
तय तिथि और निर्धारित स्थल पर भीड़ उमड़ पड़ी थी।
एक बैनर पर लिखा हुआ था… “जो खूँटा रास्ते की रुकावट बने, उस खूँटे को उखाड़ फेंकना चाहिए।”
नीलामी में विभिन्न आकार-प्रकार के सजे-सँवरे खूँटे थे और सब पर अलग-अलग तख्ती लटकी हुई थी और लिखा था
नए युग की सलामी : पर्दा उन्मूलन के खूँटे की नीलामी
नए युग की सलामी : भ्रूण हत्या के उखड़े खूँटे की नीलामी
नए युग की सलामी : बाल विवाह के उजड़े खूँटे की नीलामी
नए युग की सलामी : देवदासी पुनर्वास के खूँटे की नीलामी
नए युग की सलामी : नारी शिक्षा के खूँटे की नीलामी
नए युग की सलामी : विधवा विवाह के खूँटे की नीलामी
इत्यादि..!
लेकिन एक बड़े खम्भेनुमा मजबूत भुजंग खूँटे पर तख्ती लटकी हुई थी। जिस पर लिखा था, “अभी नीलामी का समय नहीं आया है..।”
“ऐसा क्यों ?” भीड़ ने पूछा।
“तख्ती पलट कर देख लो!” आयोजक ने कहा
तख्ती के पीछे लिखा था,
‘बलात्कार व भ्रष्टाचार का खूँटा’ ,
इंदौर से हेमलता शर्मा की लघुकथा ‘योग्यता पर भरोसा’
रोज की तरह दूर से आती मधुर संगीत की कर्णप्रिय ध्वनि आज माधवी को बिल्कुल नहीं भा रही थी … पता नहीं लोग 24 घंटे क्यों संगीत सुनते रहते हैं?… उसके बेटे का चयन जो नहीं हुआ था- संगीत प्रतियोगिता में… योग्यता की कोई कद्र ही नहीं है… उसे चुन लिया जिसे संगीत की कोई समझ नहीं… बड़े बाप का बेटा जो ठहरा… एक कड़वाहट-सी उसके भीतर घुलकर उसके शरीर को कसैला बना रही थी… तभी महरी की आवाज ने उसे चौंका दिया- “बीबी जी हमार बचवा का एडमिशन बड़े स्कूल में हो गया है ! वो मोहल्ला के स्कूल वालों ने तो भर्ती च नी किया था…पर मेरे को उसकी योग्यता पे भरोसा था…” कहकर अपने काम में लग गई, लेकिन अनजाने ही माधवी को योग्यता पर भरोसा रखने का संदेश दे गई । अब माधवी का मन हल्का हो गया था । उसे अब वह संगीत की ध्वनि पुनः मधुर लगने लगी थी ।
मीरा प्रकाश, पटना, बिहार की लघुकथा : मातृशक्ति
रेखा ऑटो लिए यात्रियों के इंतजार में चौराहे पर खड़ी सोच रही थी, अब अंतिम फेरा लगाकर, राजेश की दवा लेकर घर को चलूँ।
घर पहुंचते ही राजेश ने लंगड़ाते हुए दरवाजा खोला। और मन ही मन सोचा, अगर रेखा ने जिद करके रिक्शा चलाना नहीं सीखा होता, तो आज दुर्घटना में उसके पाँव टूटने के बाद उसके घर का खर्च कैसे चलता।
लो जी! अपनी दवा! और हां कल प्लास्टर कटवाने अस्पताल चलना है। कहते हुए रेखा ने घर में प्रवेश किया। राजेश ने हंसकर कहा तुमने इस सोच को गलत साबित कर दिया कि स्त्रियां केवल चौका बर्तन करती, घर में ही अच्छी लगती है।
प्रथम दिन का चतुर्थ सत्र कवि सम्मेलन का रहा जिसमें भारत के सभी प्रदेशों से पधारे हुए अतिथियों ने कविता पाठ किया ……
रंजिशें हृदय की,
ख्वाहिशें नयनों से अवलोकन की,
इबारतें ख़ुदा की,
जलालतें मानवता की,
नहीं भूलते, करते, सहते हैं सब
आख़िर यह सब क्यों? और कब तक।
अर्पणा आर्या ( ध्रुव ) प्रयागराज ,
याद रखना, शांति प्यार इंसानियत है राह तुम्हारा।
जिस पर चल तुम हो परमेश्वर से एक।
पर जब-जब भटके हो तुम,
विवश हो सिखाना पड़ा है मुझे ये मार्ग तुम्हें।
सीमा सैनी, जमशेदपुर, झारखण्ड ,
हिंदी है नाम मेरा हिंदुस्तान धाम है।
गीत, ग़ज़ल, दोहे और छंद को प्रणाम है।
कोमल प्रसाद राठौर, रायपुर, छत्तीसगढ़,
हे नेटेश्वर बाबा आप कहां चले गए ।
हमे निराश करके करके आप कहां चले गए।।
न खाना – खाने को मन करता है ।
न कोई काम करने को मन करता ।।
रात-दिन तेरी यादो मे मुझे तड़पाता है।
अच्छी खासी आदमीयो को भी मदहोश बना देता है ।।
दस सेकेन्ट गुल हो जाए तो दश बर्ष सा लगाता है ।
सपनो मे भी अन्लाईन जैसा लगाता है।
सागर सापकोटा, असम
जानवर क्या करे बेचारा
जब इंसान ही
खा जाए उसका चारा
इंसानियत को आती नही
रत्ती भर भी शरम
तो मेरे काठ के उल्लू
आइस क्रीम क्यों
नही हो सकती गरम
आइस क्रीम क्यों
नही हो सकती गरम
हरीश रवि, देहरादून, उत्तराखंड
“इक हसीन महफ़िल की सौगात तुम ले आओ ,
मै गीत लिख दूंगा, साज तुम ले आओ।
मेरे कत्ल के लिए असले और बारुद की जरुरत नही दोस्तों ,
बस अपने चेहरे पर इक हसीन मुस्कुराहट आज तुम ले आओ ।
डॉ जयप्रकाश नागला , नांदेड, महाराष्ट्र
दिल्ली को दर्द हो तो, दिखता नेपाल में
कोई गैर यू ही चप्पल, घिसता नेपाल में
दौलत नहीं हमारी, न शोहरत नई नई है
रोटी का और बेटी का, रिश्ता नेपाल से। ….
ओंकार शर्मा कश्यप, नवादा, बिहार
यह उम्र पचास की
बड़ी परेशान करती है ,
जवानी तो गुजर जाती है
बुढ़ापे को अस्वीकार करती है
यह उम्र पचास की
बड़ी परेशान करती है।
नीता चौधरी , जमशेदपुर , झारखण्ड
हूं मालवा की छोरी म्हारे संगे मालवी टोली,
म्हारो देस भारत हे, हूं विराटनगर से बोली ।
हेमलता शर्मा इंदौर, मध्यप्रदेश
शीशे के द्वार को खोलकर
स्वागत करता गार्ड था
स्वर्ण आभूषणों की उस बड़ी दुकान में
बेटी के साथ अंदर जाती
सकुचाती हुई माँ थी, डॉ अर्चना तिर्की , रांची
वसंत ऋतु के आते ही, भंवरे कलियां मुस्काते है।
ऐसे ही मानव जीवन में ,यौवन के दिन आते है।।
जैसे ही यौवन आता, अंग प्रस्फुटित हो उठता।
मुख आभान्वित, कजरारी आंखें ,अंग अंग दमक उठता।।
डा निशा अग्रवाल, जयपुर, राजस्थान
राह तकते हर पल रहती है मां।
रब जाने कब कैसे सोती है मां।
याद उसे मेरी जब आती है
हाथ दुआ के लिए उठाती है मां।
डॉ अलका वर्मा,सुपौल, बिहार
“देवभाषा की जाया हूँ,
संस्कृत की बिटिया,
भारत-माँ के भाल की
सुशोभित बिन्दिया,
हाँ, मैं हिन्दी हूँ!
भारत की हिन्दी हूँ!!”
पूनम (कतरियार) पटना , बिहार
जीवन का संचार करो
हिंदुस्तान सा देश नहीं,ना हिंदी जैसी और भाषा हैं
कामकाज हो हिंदी में,सुरेश छोटी सी अभिलाषा हैं
भारत वासियों से आशा हैं,मातृभाषा का सत्कार करो।
सुरेश कुमार सुलोदिया ‘भिल्ला’, हरियाणा
साथ मिलता है जब तेरा
फिर तो डर नहीं लगता।
तेरी यादों के साथ लिए
आगे बढ़ता रहता हूँ।
तेरे साथ अपने आपको को भी
चाहने लगता हूँ।
डॉ अकेला भाई , सिवान
हौले हौले हाथों से, फिसले रेत सी जिंदगी।
खाली खाली आँखों में, भरे अनजानी तिश्नगी।
सुहाने सपने दिखाए, उम्मीद दिल में जगाए।
कोई पुकारे दूर से।
अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’, प्रयागराज
मैं कविता यहां सुनाऊं।
तो किस-किसको सुनाऊं?
यहां तो सभी वक्ता बैठे हैं।
एक से एक कवि हैं।
जहां न पहुंचे रवि हैं।
ब्रह्मा बन कर लेटे हैं।
यहां तो सभी वक्ता बैठे हैं।
ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश, रतनगढ़, (मध्यप्रदेश)
आते-जाते, आना-जाना जान गये
हम तेरे दिल का तहखाना जान गये
तेरी बोझिल पलकों से ये लगता है
हम भी शायद नींद उड़ाना जान गये,
डॉ0 अंजनी कुमार सुमन , मुँगेर (बिहार)
जब- तक जीवित रहती है ,
हमारी तन्हाइयाँ ।
तब- तक बजती रहती है,
प्यार की शहनाइयाँ ।।
जो जीते हैं दिलों की ,
अपनी जिन्दगानियाँ ।
छोड़ जाते हैं वो,
अपनी मोहब्बत की निशानियों ।।
नूतन सिन्हा , पटना , बिहार
साहित्य के हीरों को
नेपाल ने दिल से बुलाया है,
साहित्य महोत्सव आयोजित कर
सब को रिझाया है,
सगा भाई भारत का
धरा पर है अगर कोई,
सिवाय नेपाल के दूसरा,
हो सकता नहीं कोई
समर बहादुर ( सरोज ) ,एडवोकेट हाई कोर्ट , इलाहबाद।
आओ अखबार पढ़ते हैं
जो लिखा है, वही पढ़ते हैं
सुख को सुख और दु:ख को दु:ख पढ़ते हैं
खबरें गली, मुहल्ले और शहर की पढ़ते हैं,
हाल नगर नगर, देश विदेश का पढ़ते हैं
पाठक की चिट्ठी पत्तरी
खबरों का विश्लेषण,
लेखक के विचार और सुविचार पढ़ते हैं
आओ अखबार पढ़ते हैं |
कमल किशोर कमल
कवि सम्मेलन का संचालन काठमांडू की पौडेल विमुन्श द्वारा किया गया ।
द्वितीय दिवस में प्रथम सत्र पुस्तक विमोचन व पुस्तक समीक्षा सत्र रहा जिसमें ममता शर्मा अंचल, लक्ष्मी कांत शर्मा, अंबिका खरेल उप्रेती की पुस्तकों का विमोचन किया गया जिसका सञ्चालन डॉ विजय पंडित द्धारा किया गया।
द्वितीय सत्र साक्षात्कार सत्र मे भारत के वरिष्ठ बाल साहित्यकार Rajkumar Jain Rajan राजकुमार जैन ‘राजन’ ने साक्षात्कार सत्र की अध्यक्षता करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे आयोजन मैत्री सम्बन्धों को मजबूत करते हैं और एक दूसरे देश के साहित्य, संस्कृति, और परम्पराओं को समझने में सहयोग करते हैं। भारत -नेपाल का रिश्ता दो भाइयों जैसा है।
तृतीय सत्र मुशायरा /गज़ल / चारू / राग विराग को समर्पित रहा संचालन डॉ देवी पंथी द्वारा किया गया ।
राग
जम्बू दीपम्!, आर्यवर्तम्! , हिंद! ओ! माँ भारती।
आन की अरु शान की माँ!, ओढ़नी तू धारती।
ये हिमालय, है मुकुट माँ!, तेरे उन्नत भाल का।
अरु उदिध उत्तल तरंगे, पग को उर में धारती।
जाति,मजहब, प्रांत,भाषा वाद यह सब भूलकर।
राष्ट्रवादी-दीप बन माँ, हम उतारें आरती।
हम सदा बलिदान करते, शीष तेरे वास्ते।
नग्न पांवों दौड़ पड़ते, मातु! जब तू पुकारती।
सरफरोशी की तमन्ना, दिल में थी बिस्मिल के जो।
वह तमन्ना, हर ह्रदय में,भर दे ओ! माँ भारती।
दीपक गोस्वामी ‘चिराग’, बहजोई (सम्भल)
“दो अल्हड़ दीवाने घूम रहे कहीं दूर वीराने,
दीन दुनिया से दूर बेखबर अपने में ही मगन,
एक दूजे में सिमटे फिर भी उड़ते आसमान में,
लगी थी उनको अपने अल्हड प्यार की लगन,
मिले थे जब पहली बार ऐसे ही दौरान ए बारिश,
बाहर भी बारिश थी और अंदर दिलों में भी बारिश,
आंखों की आंखों ही आंखों में कब पहचान हुई
आंखों ने आंखों में देखा आंखों आंखों में बात हुई
राव शिवराज सिंह, जयपुर, राजस्थान
तृतीय दिवस में प्रथम सत्र साहित्य में अनुवाद : एक विमर्श परिचर्चा हुई जिसका संचालन डा विजय पंडित ने किया और वक्ता के रूप में डॉ घनश्याम परिश्रमी, राजेन्द्र गुरागाईं, विभा रानी श्रीवास्तव, राजेन्द्र पुरोहित, डा पुष्कर राज भट्ट, ओंकार शर्मा कश्यप, डॉ अंजनी कुमार सुमन रहे अपने विचार रखने के साथ साथ दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों के साहित्य में अनुवाद संबंधित प्रश्नों का उत्तर भी दिया।
दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र सभी के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें डॉ विजय पंडित, डा देवी पंथी, राधा पांडेय , ममता शर्मा अंचल, अभय श्रेष्ठ, विभा रानी श्रीवास्तव, ओंकार शर्मा कश्यप, हेमलता शर्मा, डॉ अंजनी कुमार सुमन शामिल रहे।
राव शिवराज सिंह के शोध पत्र वाचन के साथ समापन समारोह आयोजित किया गया । जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में विराट नगर महानगर पालिका के मेयर नागेश कोईराला जी रहे और विशिष्ट अतिथियों में गंगा सुबेदी जी , दधिराज सुवेदी जी , कार्यक्रम अध्यक्ष विवश पोखरेल जी रहे, मिन कुमार नवोदित जी , डा. हनीफ, ज्योतिष शिरोमणि डॉ बलराम उपाध्याय रेग्मी पोखरा, डा घनश्याम परिश्रमी, गोकुल अधिकारी और विष्णु भंडारी असम और सिक्किम से राधा पांडे रहे। झारखंड प्रीति सैनी, तनुश्री लेंका, भागलपुर से डा अंजनी कुमार सुमन, दिल्ली से इंदुमती सरकार, कानपुर से सीमा वर्णिका, हरियाणा से डा त्रिलोक चंद फतेहपुरी ,
जयपुर से डॉ निशा अग्रवाल, जोधपुर से राजेन्द्र पुरोहित, प्रेमलता सिंह राजपूत, रंजना सिंह, मीरा प्रकाश और इंदौर से शीतल शैलेन्द्र सिंह राघव देवयानी, नागपुर से रीमा दिवान चड्ढा, राजस्थान से डा दिनेश व्यास ललकार, मध्य प्रदेश से रमा निगम, डा जयप्रकाश नागला महाराष्ट्र सहित उत्तर पूर्व राज्य असम से हेमप्रभा हजारिका, रूनुदेवी बरूआ, लक्ष्मी कांत शर्मा , दुर्गा प्रसाद ढकाल, मनमाया गुरूंग, छविलाल ओझा, पंडित केशव खनाल, चक्रपाणि भट्टराई, टोमादेवी पौडयाल, अनीता गुरुंग जैसी जानी मानी साहित्यिक व सामाजिक विभूतियों की सहभागिता रही।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि महानगरपालिका के मेयर नागेश कोईराला ने अपने उद्बोधन में दोनों देशों की साझा संस्कृति, कला व साहित्य को आगे बढ़ाने के लिए भरपूर सहयोग करने का आश्वासन दिया और सभी अतिथियों को सम्मानित भी किया ।
तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के चतुर्थ संस्करण में संयोजन के रूप में चारू साहित्य प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डा देवी पंथी और सह संयोजक के रूप में वरिष्ठ पत्रकार वरूण मिश्रा व माला मिश्रा रहे।
तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के चतुर्थ संस्करण में सह आयोजक महानगर पालिका विराटनगर, मुख्य सलाहकार व मार्गदर्शक Ganesh Lath गणेश लाठ जी व सहयोगी दीपक अग्रवाल जी, राजेन्द्र गुरागांई जी, करुणा झा जी व शैलेन्द्र मोहन झा जी , महेश सोनी जी , अम्बिका खरेल उप्रेती जी , राधा भटराई जी, सबीना श्रेष्ठ जी, सहित अन्य सभी सहयोगियों का हम आभार व्यक्त करतें हैं। आयोजन की सफलता में आप सभी ने स्नेहिल सहयोग व हमारा मार्गदर्शन किया है वास्तव में हमारे लिए बहुमूल्य है।
दोस्तों .. साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं अपितु दीपक का भी काम करता है जो समाज को एक नई दिशा दिखाता है और हम साहित्यिक महोत्सव के माध्यम से नेपाल और भारत के मध्य एक साहित्यिक सेतु का निर्माण कर रहे हैं ।
वसुद्धैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ हम दोनों देशों के बीच प्रेम, सद्भाव, एकता, परस्पर सहयोग व साहित्य के दायरे का विस्तार करने के साथ वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में नवोदित व गुमनाम कलमकारों को एक अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध करा रहे हैं ।
डा विजय पंडित
नेपाल भारत साहित्य महोत्सव, विराटनगर, नेपाल
साभार – डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर ,राजस्थान
☆ (ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका) ☆ एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री ☆
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई यांची दोन पुस्तके नुकतीच प्रकाशित झाली आहेत.‘दुसरी बाजू’ हा नवा कथासंग्रह व ‘आभाळमाया’ या पुस्तकाची दुसरी आवृत्ती प्रकाशित झाली आहे.
ई मराठी समुहातर्फे श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई यांचे साहित्यसेवेबद्दल मनःपूर्वक अभिनंदन
संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती (मराठी)
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार – जयपुर से – डॉ निशा अग्रवाल
नेपाल भारत साहित्य महोत्सव संपन्न
देश का प्रतिनिधित्व कर लौटी डॉ निशा अग्रवाल – भारत नेपाल मैत्री और साहित्यिक साहचर्य बढ़ाने पर चर्चा
भारत नेपाल मैत्री को मजबूत करने पर दोनों देशों के बीच साहित्यिक साहचर्य को बढ़ाने के लिए नेपाल के विराटनगर में दोनों देशों के करीब 300 चुनिंदा साहित्यकार पहुंचे थे। इसमें जयपुर की डॉ निशा अग्रवाल भी शामिल हुई थी। डॉ निशा ने भारत के तरफ से इसमें हिस्सा लेते हुए अपनी रचना के साथ ही विभिन्न सत्रों में अपनी सहभागिता निभाई। इस अंतर्राष्ट्रीय आयोजन के दौरान नेपाल भारत साहित्य महोत्सव आयोजन समिति की ओर से उन्हें प्रमाण पत्र, प्रतीक चिन्ह और अंग वस्त्र देकर सम्मानित भी किया गया। बता दें कि प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ विजय पंडित की अगुआई में हर साल नेपाल में यह आयोजन किया जाता है और दोनों देशों के प्रमुख साहित्यकार शामिल होते हैं। इस बार यह कार्यक्रम 17 से 19 मार्च तक विराट नगर में हुआ। इसमें शामिल होने के लिए उन्हें नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में आमंत्रित किया गया था ।
इस कार्यक्रम के दौरान भारत नेपाल के प्रसिद्ध शिक्षाविद, कवि, लेखक, समीक्षक, आलोचक के अलावा नेपाल के जनप्रतिनिधि और अन्य गणमान्य लोग भी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ नेपाल भारत के ऐतिहासिक सम्बन्ध को मजबूत बनाना है और एक साहित्य सेतु का निर्माण करना है। साथ ही महाभारत कालीन ऐतिहासिक शहर विराटनगर को दुनिया के आगे सार्वजनिक करना, रामायण और बुद्ध सर्किट को महाभारत सर्किट से जोड़ने नवोदित व गुमनाम कलमकारों को वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में एक अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करने की कोशिश हुई। वे बताते हैं कि भारत और नेपाल का संबंध ना सिर्फ मां सीता और बौद्ध कालीन अवशेषों से है बल्कि द्वापर युग में भी यह अत्यंत प्रगाढ़ था। विराटनगर जैसे महाभारत कालीन नगर इसकी निशानी है।
साभार – डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर ,राजस्थान
☆ (ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका) ☆ एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री ☆
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार – नेपाल से – डॉ निशा अग्रवाल
चतुर्थ इंडो-नेपाल त्रिदिवसीय साहित्यिक महोत्सव आयोजित
नेपाल महानगरपालिका विराटनगर और क्रांतिधरा साहित्य अकादमी मेरठ भारत के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चतुर्थ इंडो-नेपाल त्रिदिवसीय साहित्यिक महोत्सव में राव शिवराज पाल सिंह (इनायती) और डॉ निशा अग्रवाल का सम्मानित
नेपाल विराटनगर महानगरपालिका और क्रांतिधरा साहित्य अकादमी मेरठ भारत के संयुक्त तत्वावधान में बिराटनगर नेपाल में त्रिदिवसीय साहित्यिक महोत्सव दिनांक 17, 18 और 19 मार्च 2023 को आयोजित किया गया जिसमें भारत और नेपाल के 350 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम के संयोजक विराटनगर निवासी डॉ देवी पंथी एवं आयोजक मेरठ निवासी डॉ विजय पंडित रहे। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि विराटनगर महानगरपालिका मेयर नागेश कोइराला , विशिष्ट अतिथिगंगा सुबेदी, दधिराज सुबेदी,कार्यक्रम अध्यक्ष विवश पोखरेल की मौजूदगी में हुआ। कार्यक्रम पांच सत्र में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र का संचालन नेपाल के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ देवी पंथी ने किया। समारोह के प्रथम दिवस को आयोजित कविता वाचन सत्र की अध्यक्षता नेपाल के प्रोफेसर तेजप्रकाश ने की जिसमें मुख्य अतिथि जयपुर के राव शिवराज पाल सिंह तथा विशिष्ट अतिथि डॉ निशा अग्रवाल एवं अन्य रहे। इस सत्र का मुख्य आकर्षण जयपुर की डॉ निशा अग्रवाल का प्रभावशाली कविता वाचन रहा। इस सत्र का उद्बोधन राव शिवराज पाल सिंह के शब्दों के साथ हुआ। राव शिवराज ने कहा कि- “हिंदी और नेपाली भाषा संस्कृत से निकली भाषाएं है। एक भाषा, दूसरी भाषा का विकास करती है और हमें एक दूसरे के साहित्य को पढ़ते रहना चाहिए।”
साहित्य में अनुवाद की महत्ता विषय पर परिचर्चा और शोधपत्र वाचन सत्र का संचालन कार्यक्रम आयोजक और अच्छे साहित्यकारों में शुमार मेरठ के डा विजय पंडित ने कहा कि- “साहित्य समाज का दर्पण के साथ एक दीपक का भी काम करता है जो समाज को एक नई दिशा दिखलाता है और साहित्यिक महोत्सव के माध्यम से हम दोनों देशों के बीच एक मजबूत साहित्यिक सेतु का निर्माण करने का प्रयास कर रहे हैं। ” डॉ निशा ने अपने वक्तव्य में कहा कि- “साहित्य भावनाओं की वह त्रिवेणी है जो जनहित की धरा के साथ उच्चादर्शों की दिशा में प्रवाहित होती है। ” राव शिवराज ने कहा कि- “साहित्य के बिना समाज गूंगा है और समाज के बिना साहित्य मात्र कोरी कल्पना।” अतः साहित्य और समाज एक दूसरे के पूरक हैं। वक्ताओं ने कहा कि- “भारत नेपाल के मध्य साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने हेतु यह सफल और शानदार वैश्विक मंच हैं। ” कार्यक्रम में नेपाल के वरिष्ठ एवं नवोदित साहित्यकार के साथ साथ भारत के विभिन्न राज्यों से आए गजलकार अशोक श्रीवास्तव प्रयागराज, कवि हरीश देहरादून, ओंकार कश्यप पटना, अंजनी सुमन भागलपुर, राजकुमार चित्तौड़गढ़, प्रीति सैनी जमशेदपुर , हेमलता शर्मा इंदौर, राधा पांडे सिक्किम , नूतन सिन्हा बिहार,रीमा दीवान चढ़ा नागपुर, डॉ त्रिलोकचंद फतेहपुरी, अर्चना तिर्की रांची एवं अन्य वरिष्ठ एवं नवोदित साहित्यकारों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। सभी कलमकारों की लघु कथाओं और बहुभाषी कवि सम्मेलन ने कार्यक्रम में शमां बांध दिया।
समारोह में राव शिवराज पाल सिंह और डॉ निशा अग्रवाल को सम्मान पत्र और ट्रॉफी भेंट कर सम्मानित किया गया।
साहित्यकारों के इस विशाल कुंभ के व्यवस्थित आयोजन और सफल संचालन के पीछे भारत से डॉ विजय पंडित और नेपाल से डॉ देवी पंथी की मुख्य भूमिका रही।
राव शिवराज और डॉ निशा ने कार्यक्रम के संयोजक,आयोजक, व्यवस्थापक टीम के साथ समस्त आगंतुक विद्वतजनों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए सभी को बधाई दी।
साभार – डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर ,राजस्थान
☆ (ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका) ☆ एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री ☆
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
नेपाल-भारत साहित्य महोत्सव में श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” को नेपाल- भारत सहित्य सेतु सम्मान – अभिनंदन
विराट नगर। नेपाल की औद्योगिक नगरी विराट नगर में 17 मार्च से तीन दिवसीय नेपाल-भारत साहित्य महोत्सव आयोजित किया गया हैं। इस आयोजन के प्रथम दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर रतनगढ़ के साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए नेपाल-भारत सहित्य सेतु सम्मान से सम्मानित किया गया। आप की अब तक 38 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसी के साथ आप कई रचनाएं विभिन्न प्रदेशों के पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित की गई। एक पुस्तक प्रकाशन विभाग, सूचना प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भी प्रकाशित की गई हैं।
आपने प्रथम दिवस के द्वितीय सत्र के अध्यक्षता करते हुए अपने उद्बोधन में कहा है कि- “इस तरह के कार्यक्रम से साहित्यिक एवं मैत्रिक संबंध मजबूत होते हैं। इससे हमें एक-दूसरे के साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं परंपरागत रीति-रिवाजों को जानने-समझने का मौका मिलता है। इससे हमारे आपसी संबंधों को मजबूती मिलती हैं।”
क्रांति धरा एवं विराट नगर महापालिका के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित नेपाल भारत साहित्यिक महोत्सव, रामजानकी मंदिर, विराट नगर (नेपाल) में आयोजित किया गया हैं। जिसमें प्रमुख अतिथि भूतपूर्व प्रदेश प्रमुख (गवर्नर) कोसी प्रदेश नेपाल के श्री गोविंद सुब्बाजी, विशिष्ट अतिथि विराटनगर के महानगर पालिका प्रमुख (मेयर) श्री नागेश कोइरालाजी, प्रज्ञा प्रतिष्ठान मधेश प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. राम भरोसे कापड़ी (पोखरा), पूर्व सांसद खेम नेपाली, विधायक किशोरचन्द्र दुलार, आयोजक डॉ. विजय पण्डित, देवी पंथी, गजलकार पूजा बहार, नेपाल भारत मैत्री संघ के अध्यक्ष शैलेन्द्र मोहन झा एवं भारत-नेपाल से आमंत्रित 300 से अधिक साहित्यकारों ने सहभागिता की है।
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ माधव कौशिक साहित्य अकादमी अध्यक्ष ☆
यह हमारे लिये बड़े गौरव व खुशी की बात है कि माधव कौशिक देश की साहित्य अकादमी के अध्यक्ष बने । वे मूलतः हरियाणा की छोटी काशी कहे जाने वाले भिवानी से संबंध रखते हैं और काफी समय से चंडीगढ़ ही रहते हैं । एक सशक्त साहित्यकार और हरियाणा साहित्य अकादमी से अनेक बार पुरस्कृत । चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष भी हैं । पहले वे काफी वर्षों से साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे । अब वे विधिवत साहित्य अकादमी के अध्यक्ष बन गये । हमारी ओर से बधाई ।
कुरूक्षेत्र में ओमप्रकाश ग्रेवाल को याद किया : कुरूक्षेत्र के कैलाश नगर स्थित डॉ.ओम प्रकाश ग्रेवाल अध्ययन संस्थान द्वारा एक ऐतिहासिक महत्व का अविस्मरणीय व्याख्यान करवाया गया जिसका विषय था – ‘ देश विभाजन : तब और अब’ व्याख्यान देने के लिए विख्यात विद्वान, देश और दुनिया की अनेक सर्वोत्तम उच्च शिक्षा संस्थाओं में रहे वर्तमान में अमेरिका की ओहायो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एमेरिटस डॉ. अमृतजीत सिंह विशेष रुप से कुरुक्षेत्र आमंत्रित थे । अमृतजीत सिंह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और डॉ. ग्रेवाल के विद्यार्थी रहे हैं । उन्होंने डॉ ग्रेवाल के साथ अपनी बहुत सी स्मृतियों को साझा किया। व्याख्यान शुरू करते हुए उन्होंने बताया कि सन् 1947 में देश की आजादी के साथ विभाजन की त्रासदी भी घटित हुई। इस समय हुए दंगे-फसादों में दस लाख से ऊपर निरपराध लोग मारे गए और एक करोड़ से ऊपर विस्थापित हुए । उस समय के दर्दनाक वृत्तांत बहुत हैं जिनमें हिंसा और नफरत है लेकिन उतने ही किस्से मोहब्बत, इन्सानियत, एक-दूसरे की हिफाज़त करने के भी हैं ।
डॉ सिंह ने कहा कि विभाजन दिल और दिमाग में जब तक खत्म नहीं होता तब तक यह निरंतर चलता रहेगा । उन्होंने कहा विभाजन 1984 में भी हुआ था 1994 में भी हुआ था 2002 में भी हुआ था और दिलों में तो यह अब भी जारी है। भीष्म साहनी और पाकिस्तानी लेखक इंतजार हुसैन के साहित्य का उदाहरण देकर उन्होंने विभाजन को खत्म करने के लिए कुछ सूत्र दिए । हमें नए सिरे से बेहतर भविष्य बनाने के लिए काम करना पड़ेगा उन्होंने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए कहा कि वह देश आर्थिक व्यवस्था में हमसे बेहतर काम कर रहा है क्योंकि उसने विभाजन की राजनीति को छोड़ दिया है ।
बहस में सुरेन्द्र पाल सिंह ने लखविंदर पाल सिंह ग्रेवाल, प्रिंसिपल सहेमराज शर्मा, ओम सिंह अशफ़ाक, डॉ.टी.आर.कुण्डू, डॉ.दिनेश दधीचि, डॉ. रामेश्वर दास,दीपक वोहरा, विकास शर्मा,शशि प्रकाश,सुशील, डॉ. रविन्द्र गासो,मुरथल यूनिवर्सिटी से जसमिन्द्र,राहुल मलिक आदि ने गंभीर प्रश्न खड़े किए ।
इंडिया नेटबुक्स सम्मान : नोएडा में इंडिया नेटबुक्स के संचालक डाॅ संजीव कुमार ने पिछले रविवार लेखकों को सम्मानित प्रदान किये । सर्वोच्च सम्मान वरिष्ठ लेखिका चित्रा मुद्गल व प्रताप सहगल को प्रदान किया गया । इनके अतिरिक्त देश भर से पचपन लेखकों /संपादकों को सम्मानित किया गया जिसमें जनसत्ता के संपादक मुकेश भारद्वाज उल्लेखनीय हैं । किसी भी प्रकाशन संस्थान द्वारा लेखकों को सम्मानित करना एक अच्छी परंपरा है जिसे संजीव कुमार निभा रहे हैं । इनके साथ डाॅ प्रेम जनमेजय भी एक सलाहकार की तरह जुटे हैं । पंजाब , चंडीगढ़ से लेकर छत्तीसगढ़, राजस्थान तक से लेखक इसमें भाग लेने आये । भव्य समारोह के लिए डाॅ संजीव कुमार को बधाई । पर सम्मान के लिए इतनी लम्बी सूची थोड़ी कम की जानी चाहिए जिससे इनकी गरिमा बनी रह सके ।
हिसार मे रंग आंगन नाट्योत्सव : हिसार में पिछले नौ वर्ष से रंगकर्मी मनीष जोशी अभिनय रंगमंच की ओर से रंग आंगन नाट्योत्सव का आयोजन करते हैं । इस फिर भी दस से सत्रह मार्च तक यह नाट्योत्सव आयोजित किया गया । इसमें मुम्बई से प्रसिद्ध एक्टर राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी अपने नाटक -जीना इसी का नाम है के साथ हिसार आये । तुलसी सभागार में इसका प्रभावशाली मंचन हुआ । दोनों कलाकार बाद में बाल भवन में लोगों से खूब सहजता से मिले और नाटक भी देखा । इस नाट्योत्सव में असम , दिल्ली , पंजाब व हरियाणा से अनेक नाट्य दल अपनी नयी प्रस्तुतियां मंचित करने आये । इसमें एक दिन बच्चों के लिये कठपुतली शो भी रखा जाता है और प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना राखी जोशी भी अपनी छात्राओं को साथ एक शो देती हैं । इस नाट्योत्सव का अब हर साल हिसारवासियों को बेसब्री से इंतजार रहता है ।
दिल्ली में नट सम्राट : दिल्ली की नाट्य संस्था नट सम्राट के संस्थापक व रंगकर्मी श्याम कुमार ने नट सम्राट नाट्योत्सव का आयोजन किया । इसमें एक दर्जन साहित्यकारों व रंगकर्मियों को नट सम्राट सम्मान प्रदान किये गये जिनमें क्रिटिक अवाॅर्ड मुझे भी मिला । ये नाट्य संस्थायें नाटक की मशाल को जलाये हुए हैं
इसके लिये इनके जज्बे को सलाम ।
चित्रा मुद्गल और शशि पुरवार को सम्मान : मुम्बई निवासी सशक्त रचनाकार शशि पुरवार को महाराष्ट्र साहित्य अकादमी की ओर से नभदेव सम्मान दिये जाने की घोषणा हुई है । इसी अकादमी ने चित्रा मुद्गल को सर्वोच्च सम्मान देने की घोषणा भी की है ।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈