साहित्यिक गतिविधियाँ ☆ भोपाल से – सुश्री मनोरमा पंत
(विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
युवा अपनी ऊर्जा देश को नई दिशा, नई गति देने में लगाए
नेहरू युवा केन्द्र द्वारा युवा संसद आयोजित की गई। युवाओं ने समसामयिक विषयों के साथ G-20 तथा Y-20 पर भी विचार व्यक्त किये। मुख्य अतिथि थे समाजसेवी तथा भोपाल विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लिली अग्रवाल। प्रतिभागी पुरू शर्मा, देवेश शर्मा, अंकित सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये। राज्य निदेशक डॉ. सुरेन्द्र शुक्ला ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारतीय युवाओ की ओर उम्मीद से देख रही है।
कर्मयोगी यशस्वी पत्रकार पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर का जन अभिनंदन
कर्मयोगी यशस्वी पत्रकार पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर का जन अभिनंदन हिन्दी भवन में किया गया। माधवराव सप्रे संग्रहालय के संस्थापक पद्मश्री विजयदत्त के सम्मान समारोह में उद्गार संबोधन श्री विजय मोहन तिवारी ने किया। उन्होंने कहा – भोपाल गैस त्रासदी जैसी भीषण त्रासदी का दस्तावेज केवल सप्रे संग्रहालय में ही है और कहीं नहीं। प्रतिनिधि वक्तव्य सुखदेव प्रसाद दुबे, अध्यक्ष हिन्दी भवन न्यास ने दिया। श्रीधर जी का सम्मान हिन्दी भवन, मानस भवन, गांधी भवन, लेखक संघ, लेखिका संघ, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश उर्दु अकादमी द्वारा किया गया।
दो दिवसीय वनमाला कथा का वार्षिक समारोह सम्पन्न
रविन्द्र भवन में वनमाली सृजन पीठ, आईसेक्ट पब्लिकेशन और रविन्द्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय वनमाला कथा का वार्षिक समारोह सम्पन्न हुआ। प्रथम दिवस पर अमित मलिक एवं नितिन मंगरोले द्वारा सांगीतिक प्रस्तुति के पश्चात वनमाली कथा के नवीन अंक तथा नवलेखन अंक के दूसरे संस्करण का लोकार्पण हुआ। प्रथम सत्र में अनुराग अनन्त, मुदित श्रीवास्तव, कैफी हाशमी सबाहत आफरीन ने कहानी पाठ किया।
समारोह के दूसरे दिन पुस्तक एवं चित्र प्रदर्शनी के पश्चात शिवमूर्ति, मुकेश वर्मा, अल्पना मिश्र द्वारा कहानी पाठ हुआ। शाम को रवीन्द्र भवन में हिंमाशु जोशी द्वारा दास्तान गोई का आयोजन हुआ।
समारोह में ममता कालिया, दिव्यप्रकाश, अल्पना मिश्र, मुकेश वर्मा एवं सिद्धार्थ चतुर्वेदी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
दो दिवसीय राजभाषा कार्यशाला संपन्न
राजभाषा हिन्दी विषय पर एयर पोर्ट एथारिटी आफ इंडिया द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें वरिष्ठ अधीक्षक महिमा सोनी ने राजभाषा नीति नियम विषय पर प्रकाश डाला।
बरकतउल्लाह विश्व विद्यालय के कुलपति एस के जैन ने अपनी वेशभूषा, खानपान के साथ अपनी मातृभाषा केंद्रीकरण पर जोर दिया।
गुजराती समाज ने नई पीढ़ी की मातृभाषा के प्रयोग के प्रति रूचि कम होने से चिंतित होकर निःशुल्क गुजराती भाषा सिखाने का निर्णय लिया।
प्रो. राजाराम की स्मृति में समारोह आयोजित
सुप्रसिद्ध साहित्यकार विनय राजाराम के पति कलाकार गुरू और कला आलोचक प्रो. राजाराम की स्मृति में आयोजित समारोह में कुलाधिपति प्रकाश बरतुनियाअम्बेडकर विश्वविद्यालय ने कहा – कला और साहित्य अभिव्यक्ति के माध्यम हैं, इनके भाव एक हैं।
साभार – सुश्री मनोरमा पंत, भोपाल (मध्यप्रदेश)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है । देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ सांस्कृतिक साहित्यिक शहर जालंधर की बात – कमलेश भारतीय☆
इस बार पंजाब के सांस्कृतिक व साहित्यिक शहर जालंधर की बात करने को मन उमड़ आया है। वैसे मेरी साहित्यिक यात्रा भी यहीं से शुरू हुई। यहां सभी भाषाओं के समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं -हिंदी, पंजाबी और उर्दू। आकाशवाणी केंद्र और दूरदर्शन केंद्र भी यहां हैं। बताया गया कि कभी आकाशवाणी केंद्र के निदेशक प्रसिद्ध फिल्मकार राजेंद्र सिंह बेदी भी यहां रहे। यहीं रहे रामानंद सागर जिन्होंने दूरदर्शन को रामायण देकर कोरोना काल में भी झंडे गाड़ दिये। हफीज जालंधरी जैसे शायर जिन्होंने बाद में पाकिस्तान का कौमी तराना लिखा और दीपक जालंधरी जो व्यंग्यकार रहे। वैसे शुरूआत में उपेंद्रनाथ अश्क यहां से खूब चर्चित रहे। फिर इलाहाबाद बस गये। इनके बेटे नीलाभ ने भी कविता में और बीबीसी में नाम कमाया। इसी तरह रवींद्र कालिया भी जालंधर से इलाहाबाद बसे और जालंधर का नाम खूब रोशन किया। गालिब छुटी शराब संस्मरणात्मक किताब और अनेक कहानियां चर्चित हैं। इनकी पत्नी ममता कालिया भी आज देश की वरिष्ठतम रचनाकार हैं। मोहन राकेश ने भी जालंधर के डी ए वी काॅलेज में प्रोफैसरी की और रवींद्र कालिया कहते हैं कि क्लास काॅफी हाउस में लगती थी! मोहन राकेश के ठहाके आज भी जालंधर में कहीं गूंजते सुनाई देते होंगे! अफसोस कभी डी ए वी काॅलेज ने इनकी स्मृति में कोई कार्यक्रम नहीं रखा होगा।
अभी जालंधर इसलिये याद आया कि हिंदी लेखक संघ ने रविवार को दिलजीत दिव्यांशु के कविता संग्रह पर विरसा विहार में कार्यक्रम रखा। इसमें जयप्रकाश और राकेश प्रेम ने दिलजीत की कविताओं पर आलेख प्रस्तुत किये। बाद में काव्य गोष्ठी भी हुई जिसमें डाॅ सरला भारद्वाज, डाॅ कैलाश भारद्वाज, डाॅ तरसेम गुजराल और अन्य अनेक कवियों ने काव्य पाठ किया।
जालंधर में कभी विचारधारा संस्था सक्रिय थी जिसमें मैं नवांशहर से भाग लेने आता था। जनवादी लेखक संघ की इकाई रही जिसे डाॅ रमेश कुंतल मेघ और डाॅ रीटा बाबा ने चलाया। यहां भी मैं कार्यकारिणी में रहा और जालंधर आना जाना रहा।
आजकल वरिष्ठ लेखक सिमर सदोष पंकस अकादमी चला रहे हैं और हर वर्ष अकादमी अवाॅर्ड देते चले आ रहे हैं। ऐसा करते करते छब्बीस साल हो गये सिमर को! स्मारिका भी प्रकाशित करते हैं। इनके जज्बे को सलाम! इसी तरह यहां गीता डोगरा त्रिवेणी साहित्य अकादमी संस्था चला रही हैं और इनके कार्यक्रम भी आयोजित होते रहते हैं। कभी हिमाचल भी ले जाती है त्रिवेणी को! अनेक संकलन संपादित किये हैं। मोहन सपरा यहां से आस्था प्रकाशन चला रहे हैं जो संभवतः दीपक पब्लिकेशन के बाद दूसरा प्रकाशन है पंजाब में! सबसे बड़ी बात यहां प्रेस क्लब है जिसमें आमतौर पर साहित्यिक आयोजन होते रहते हैं। हमारे मित्र सतनाम माणक और लखविंद्र जौहर जैसे इसके अध्यक्ष रहते है। डाॅ कृष्ण कुमार रत्तू दूरदर्शन जालंधर में रहे। पुनीत सहगल जो पहले रंगकर्मी रहे और बाद में आकाशवाणी, दूरदर्शन में! रमेश बत्तरा का जन्म जालंधर में हुआ और उसके लेखन को आधार दिया जालंधर में सिमर सदोष ने! अंतिम दिन भी बिताये जालंधर में! जालंधर में डाॅ अजय शर्मा और डाॅ तरसेम गुजराल उपन्यास क्षेत्र में चर्चित नाम हैं और उपन्यास लेखन की परंपरा का अच्छी तरह निर्वाह कर रहे हैं। बहुत याद आते हो जालंधर क्योंकि पुराने नाता है कोई, यूं ही नहीं दिल लुभाता कोई!
पुस्तक मेला शुरू : दिल्ली का पुस्तक मेला शुरू हो गया और देश भर से रचनाकार अपनी अपनी पुस्तकों के विमोचन के लिये पहुंचने शुरू हो गये हैं। यह बहुत खुशी और उल्लास का अवसर है हर लेखक के लिये। बस। पुस्तक खरीदने की संस्कृति भी फैलनी चाहिए!
राजुरकर राजू नहीं रहे :दुष्यंत संग्रहालय के लिए चर्चित राजुरकर राजू नहीं रहे। दुष्यंत संग्रहालय को एक छोटे से कमरे से शुरू कर देश भर में चर्चित करने में भूमिका निभाने वाले राजुरकर राजू को नमन्!
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार – जयपुर से – डॉ निशा अग्रवाल
म्हारो तो वेलेंटाइन बस म्हारो भारत – किशोर पारीक
19 फरवरी 2023 को समरस साहित्य सृजन जयपुर इकाई एवं जकासा की मासिक काव्य गोष्ठी दुर्गापुरा स्थित स्टूडियों में जयपुर इकाई अध्यक्ष वरिष्ठ कवि श्री लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला एवं मुख्य अतिथि से. नि. प्रशासनिक अधिकारी श्री श्याम सिंह राजपुरोहित जी के द्वारा दीप प्रज्वलन एवं वैद्य भगवान सहाय पारीक द्वारा ढूंढाड़ी में सरस्वती वंदना के साथ प्रारंभ हुई।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय कवि वरुण चतुर्ववेदी एवं वरिष्ठ साहित्यकार राव शिवराज पाल सिंह ने होली पर रचना सुना फाल्गुनी माहौल बना दिया, जकासा के संस्थापक ने “म्हारो वेलेंटाइन तो बस म्हारो भारत, कवि श्री सुशील पारीक ने महाभारत में कृष्ण-अर्जुन संवाद, डॉ निशा अग्रवाल, डॉ एन.एल. शर्मा, मशहूर शायर विजय मिश्र ‘दानिश, श्री सुबोध पारीक, अरुण ठाकर, एवं कई कवियों ने प्रकृति के अदभुत रंग, प्रेम रंग, श्रंगार एवं भक्ति रस से सराबोर कर देने वाली कविताएं रहीं।
अंत में अध्यक्षता कर रहे श्री लड़ीवाला की शिव वन्दना में खुशहाली की प्रार्थना के साथ गोष्ठी का समापन हुआ । कार्यक्रम का प्रभावी संचालन जयपुर इकाई की महासचिव डॉ निशा अग्रवाल के द्वारा किया गया।
साभार – डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर ,राजस्थान
☆ (ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका) ☆ एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री ☆
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
साहित्यिक गतिविधियाँ ☆ भोपाल से – सुश्री मनोरमा पंत
(विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
केन्द्र के प्रतिनिधि होगें गोस्वामी
मप्र राष्ट्र भाषा समिति के कार्यकारी मंत्री संचालक सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भाग लेने प्रस्थान किया।जहाँ वे ‘,भाषाई ज्ञान परम्परा का वैश्विक संदर्भ और हिन्दी विषय पर एक सत्र में संबोधित करेगे।
अठारवीं शरद व्याख्यान माला एवं सम्मान समारोह सम्पन्न
हिन्दी भवन में अठारहवीं शरद व्याख्यान माला एवं सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ। व्याख्यान माला का विषय था -भारतीय ज्ञान परम्परा -युवापीढ़ी और सम्प्रेषण की समस्या। इस विषय पर श्री रामेश्वर मिश्र पंकज,प्रो.संजय द्विवेदी,,श्री मनोज श्रीवास्तव ,डाॅ.चारूदत्त पिंगले,प्रो.के.जी.सुरेश और प्रो.सुधीर कुमार (चण्डीगढ़ से आनलाइन) के व्याख्यान हुए।इस समारोह में श्री अग्निशेखर,डाॅ.कुसुम लता केडिया,प्रभा पारीख,,डाॅ,प्रभा पारीक ,डाॅ आनंदकुमार सिंह,श्रीमती रीता वर्मा,सुश्री अमिता नीरव तथा सुश्री सुषमा मुनीन्द्र को सम्मानित किया गया अंत में श्री अग्निशेखर ने सम्मानित की ओर से उत्तर दिया। समारोह का संचालन श्रीमती जया केतकी ने किया।
‘उत्कर्ष पाठशाला ‘ आयोजित
‘उत्कर्ष पाठशाला ‘ में अनुराधा शंकर ने कहा – युवा वही जिसमें ऊर्जा के साथ जानने के साथ जानने सीखने की भी ललक हो।
‘सप्रे संग्रहालय द्वारा पत्रकारिता की नई पीढ़ी के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य के लिये महिने के दूसरे शनिवार को ‘उत्कर्ष पाठशाला ‘का आयोजन किया जाता है।गाँधीवादी विचारक के अलावा जैव विविधता विशेषज्ञ बाबूलाल दहिया तथा करियर संचालक अभिषेक खरे ने भी बच्चों का मार्गदर्शन किया।
‘आधुनिक समस्याओं का मनोदार्शनिक समाधान’ विषय पर वार्ता
‘मनोर्दाशनिक समाधान ‘विषय पर डा. हरि सिंह गौर विवि सागर के दर्शनशास्त्र और मनोविज्ञान विभाग के एचओडी डाॅ.अम्बिका दत्त शर्मा ने शासकीय हमिदिया कालेज में ‘आधुनिक समस्याओं का मनोदार्शनिक समाधान’ विषय पर वक्तव्य दिया ‘हम जैसा ज्ञान उत्पादित करते हैं,वैसी हमारी दुनियां बनती है।’
राष्ट्रीय अलंकरण समारोह एवं कवि गोष्ठी का आयोजित
अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन एवं श्रीमती सुमन चतुर्वेदी मेमोरियल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अलंकरण समारोह एवं कवि गोष्ठी का आयोजन दिनांक 17 फरवरी को किया गया।जिसके मुख्य अतिथि थे- श्री विश्वास सारंग जी माननीय मंत्री,चिकित्सा शिक्षा एवं राहत पुनर्वास विभाग, मध्य प्रदेश। सारस्वत अतिथि थे डॉ. यतीन्द्र नाथ राही, वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि एवं विशिष्ठ अतिथि डॉ. रामवल्लभ आचार्य,वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि थे। अध्यक्षता डॉ. वीरेंद्र सिंह,राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन द्वारा की गई।
तुलसी साहित्य अकादमी की काव्यगोष्ठी सम्पन्न
तुलसी साहित्य अकादमी की काव्यगोष्ठी रविवार को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई जिसमें बडी संख्या में कवि कवयित्रियों ने भाग लिया
डॉ जवाहर कर्नावट को भारत सरकार का विश्व हिन्दी सम्मान
भोपाल के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ जवाहर कर्नावट को भारत सरकार का विश्व हिन्दी सम्मान फिजी में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रदान किया गया।यह सम्मान वैश्विक स्तर पर हिन्दी को समृद्ध करने एवं 25देशों की 120वर्षो की हिन्दी पत्रकारिता पर गहन शोध करने के लिए दिया गया।
‘अच्छी कविता हमेशा लोकतान्त्रिक मूल्यों के साथ खड़ी रहती है – राजेश जोशी
मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन में कवि लेखक राजेश जोशी ने जनवादी लेखक संघ द्वारा आयोजित ‘उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश कविता की जमीन दो ‘के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा -‘अच्छी कविता हमेशा लोकतान्त्रिक मूल्यों के साथ खड़ी रहती है।
‘कविता में उत्तर प्रदेश ‘ विषय पर केन्द्रित अपने शोधपरक वक्तव्य में प्रो.नलिन रंजन सिंह ने उत्तर प्रदेश की गौरवशाली काव्य परम्परा में समय और समाज की आवाज की विवेचना की।
‘यंग थिंकर्स फोरम ‘के रीडर्स क्लब द्वारा पुस्तक चर्चा
‘यंग थिंकर्स फोरम ‘के रीडर्स क्लब द्वारा विक्रम संपत की पुस्तक ‘सावरकर ‘तथा जय नंद कुमार की पुस्तक ‘लोक बिंयोन्ड फोक ‘पर बरकततुल्ला यूनिवर्सिटी की सहायक अध्यापिका सविता सिंह भदोरिया द्वारा समीक्षा की गई।बाद में समूह परिचर्चा भी की गई।
धर्मपाल शोधपीठ द्वारा व्याख्यान आयोजित
स्वराज वीथि में धर्मपाल शोधपीठ द्वारा विचारक एवं इतिहास विद धर्मपाल जी की जयंति पर व्याख्यान आयोजित किया गया जिसका विषय था ‘धर्मपाल की दृष्टि :वर्तमान राष्ट्रीय परिवेश में ‘।विषय के विभिन्न पहुलुओं पर प्रो.रामेश्वर मिश्र ‘पकंज ‘ ने अपना वक्तव्य दिया।
हिन्दी लेखिका संघ द्वारा काव्य गोष्ठी आयोजित
हिन्दी लेखिका संघ द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई जिसमें बडी संख्या में लेखिका संघ की सदस्याओं ने कविता पाठ किया l गोष्ठी की अध्यक्षा जया आर्य ने की।मुख्य अतिथि श्री चरणजीत सिंह कुकरेजा तथा विशिष्ट अतिथि गोकुल सोनी थे।यह गोष्ठी महर्षि दयानंद सरस्वती एवं छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित थी।
इस गोष्ठी का शुभारंभ संघ की अध्यक्षा कुमकुम गुप्ता के स्वागत भाषण से हुई।संचालन कमल चन्द्रा द्वारा किया गया
सलैया में बनेगा ‘पर्यावरण साहित्य केन्द्र
सलैया में बनेगा ‘पर्यावरण साहित्य केन्द्र ‘इसकी घोषणा पर्यावरण शिक्षा एवं संरक्षण समिति के अध्यक्ष आनंद पटेल ने की।इस केन्द्र का फायदा विद्यार्थियो को होगा जहाँ वे पर्यावरण से संबंधित पत्र पत्रिकाएं एवं पुस्तकें पढ़ सकेगे।
वरिष्ठ नागरिक मंच की भोपाल इकाई द्वारा आनलाइन मासिक काव्यगोष्ठी सम्पन्न
वरिष्ठ नागरिक मंच की भोपाल इकाई द्वारा आनलाइन मासिक काव्यगोष्ठी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। जिसके मुख्य अतिथि गणेशदत्त बजाज तथा विशिष्ट अतिथि मोहन तिवारी थे। मंच की अध्यक्षा जया आर्य के स्वागत भाषण के बाद बीज वक्तव्य संतोष श्रीवास्तव द्वारा दिया गया।गोष्ठी का सुदंर संचालनजनक कुमारी ने किया।
न्यू साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था द्वारा काव्य गोष्ठी सम्पन्न
न्यू साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था ने हिन्दी भवन में संस्था प्रमुख रमेशनंद के नेतृत्व में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें राजुरकर राज को श्रध्दांजलि दी गई।गोष्ठी की अध्यक्षता रीवा के अवध बिहारी पांडेय अवध ने की।मुख्य अतिथि डाॅ.रामसरोज द्विवेदी थे। संचालन आजम खान ने किया।
राजुरकर राज जी को विनम्र श्रद्धांजलि
रविवार को दुष्यन्त संग्रहालय में राजुरकर राज को भारी संख्या मे उनके प्रशंसकों ने श्रंद्धाञ्जली अर्पित की। प्रशंसकों में बुद्धिजीवियों के अतिरिक्त समाज के सभी वर्गो के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
मध्यप्रदेश लेखक संघ का उन्नतीसवा साहित्यकार सम्मान समारोह सम्पन्न
रविवार को मध्यप्रदेश लेखक संघ का उन्नतीसवा साहित्यकार सम्मान समारोह मानस भवन में हुआ,जिसमें चौबीस साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।समारोह की अध्यक्षता पूर्व सासंद रघुनन्दन शर्मा द्वारा की गई।मुख्य अतिथि थे टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे तथा सारस्वत अतिथि के रूप में सप्रे संग्रहालय के संस्थापक,वरिष्ठ पत्रकार विजयदत्त श्रीधर।
मंचपर प्रदेशाध्यक्ष डाॅ.रामवल्लभ आचार्य ,राजेन्द्र गट्टानी,कवि ऋषि श्रंगारी,प्रभुदयाल मिश्र तथा सुनील चतुर्वेदी भी उपस्थित रहे।सम्मान समारोह में प्रादेशिक संयुक्त सचिव डाॅ..प्रीति प्रवीण खरे कीउपस्थित उल्लेखनीय रही।
साभार – सुश्री मनोरमा पंत, भोपाल (मध्यप्रदेश)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है । देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
राजकमल प्रकाशन की ओर से पांच दिवसीय किताब उत्सव और साहित्यिक विचार चर्चा – चंडीगढ़ मे राजकमल प्रकाशन की ओर से पांच दिवसीय किताब उत्सव और साहित्यिक विचार चर्चा का आयोजन किया गया। इसमें एक दिन बहुत ही विचारोत्तेजक विचार चर्चा की गयी जिसका विषय रहा –आजादी किस मोल पर ! इसमें प्रतिभागी रहे – तरसेम गुजराल, बलवंत कौर, गुरुदेव सिंह, सुमेल सिंह सिद्धू और कृष्ण कुमार। यह बात सामने आई कि – आजादी के समय विभिन्न हमारी मजबूरी रही लेकिन उसके बाद कितनी कीमत हमने चुकाई है या चुकानी होगी ? तब विभाजन एक था, अब विभाजन अनेक हैं और अनेक तरह के हैं, अनेक रूप हैं विभाजन के !
राजकमल प्रकाशन का यह किताब उत्सव सराहनीय प्रयास कहा जा सकता है जिसके माध्यम से शहर दर शहर पुस्तक संस्कृति से स्कूली छात्रों को भी जोड़ा जा रहा है। एक जानकारी के अनुसार किताबें भी खूब बिकीं। आखिर चंडीगढ़ की बात ही कुछ और है !
इंडिया नेटबुक्स एवं बीपीए फाउंडेशन की ओर से पुरस्कारों की घोषणा –चित्रा मुद्गल को शिखर सम्मान
साहित्य में पुरस्कारों का मौसम आया है। इंडिया नेटबुक्स एवं बीपीए फाउंडेशन की ओर से पुरस्कारों की घोषणा की गयी है। इसमें वेदव्यास शिखर सम्मान प्रसिद्ध कथाकार चित्रा मुद्गल को दिये जाने की घोषणा की गयी है।
पुरस्कारों के चयन के लिए इस वर्ष की चयन समिति में श्रीमती ममता कालिया, सर्वश्री हरिसुमन विष्ट, प्रेम जनमेजय, राजेश कुमार, लालित्य ललित, प्रभात शुक्ला, डा. मनोरमा आदि शामिल थे, जिसने इन पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। पुरस्कारों के संयोजक डॉ संजीव कुमार ने बताया कि इस वर्ष का शिखर सम्मान-वेद व्यास सम्मान-श्रीमती चित्रा मुद्गल को दिया जायेगा और वागीश्वरी सम्मान के लिए श्री प्रताप सहगल को नामित किया गया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न सम्मान हैं। जिनमें साहित्य विभूषण सम्मानों के लिए
सर्वश्री फारुक अफ़रीदी, गिरीश पंकज, राहुल देव, मुकेश भारद्वाज और प्रबोध कुमार गोविल का चयन किया गया है।
ये दुख का विषय है कि समाज रत्न पुरस्कार के लिए चयनित राजूरकर राज को दिये जाने की घोषणा की गयी लेकिन वे इस दुनिया से विदा हो गये। सम्मान समारोह नोएडा में 12 मार्च को आयोजित किया जायेगा।
ग्रामोद्योग महोत्सव , हिसार – ग्रामोद्योग में गांधी ही नदारद। हरियाणा के हिसार में ग्रामोद्योग महोत्सव का आयोजन किया गया। हर तरफ खादी, कुटीर उद्योग के स्टाॅल लगे लेकिन नहीं मिले तो गांधी जिनका बीज मंत्र ही ग्रामोद्योग का आधार है। कोई गांधी साहित्य नहीं ! क्या इस तरह ग्रामोद्योग महोत्सव की कल्पना की जा सकती है ? आयोजकों के इस रवैये पर हैरानी हो रही है।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
इंडिया नेटबुक्स एवं बीपीए फ़ाउंडेशन पुरस्कार – अभिनंदन
वेदव्यास शिखर सम्मान चित्रा मुद्गल को-
इंडिया नेटबुक्स, बीपीए फ़ाउंडेशन, और अनुस्वार के संयुक्त तत्वावधान में प्रत्येक वर्ष पंडित भगवती प्रसाद अवस्थी की जयंती पर मार्च में चयनित रचनाकारों को सम्मानित किया जाता है। वर्ष २०२२ के लिये चयन समिति (श्रीमती ममता कालिया, सर्वश्री हरिसुमन विष्ट, प्रेम जनमेजय, राजेश कुमार, लालित्य ललित, प्रभात शुक्ला, डा. मनोरमा) ने इन पुरस्कारों की घोषणा कर दी हैं।
पुरस्कारों के संयोजक डॉक्टर संजीव कुमार ने बताया कि इस वर्ष का शिखर सम्मान-वेद व्यास सम्मान-श्रीमती चित्रा मुद्गल को दिया जायेगा और वागीश्वरी सम्मानके लिए श्री प्रताप सहगल को नामित किया गया है
लघुकथा रत्न पुरस्कारके लिए श्री कमलेश भारतीय।
साहित्य विभूषण सम्मानों के लिए सर्वश्री फारुक अफ़रीदी, गिरीश पंकज, राहुल देव, मुकेश भारद्वाज और प्रबोध कुमार गोविल का चयन किया गया है।
साहित्य भूषण पुरस्कारके लिये विवेक रंजन श्रीवास्तव,अरूण अर्णव खरे, धर्मपाल महेंद्र जैन (कनाडा), उर्मिला शिरींष, श्याम सखा श्याम, हरिप्रकाश राठी, अनिता कपूर (यूएसए) संध्या सिंह (सिंगापुर), वीना सिन्हा (नेपाल), मंजू लोढ़ा, राजेंद्र मोहन शर्मा (जयपुर) को चुना गया है ।
साहित्य रत्न पुरस्कार अंजू खरबंदा, स्वाति चौधरी, सीमा चडढा, अपर्णा, चार्वी अग्रवाल, प्रदीप कुमार (मनोरमा ईयर बुक} आलोक शुक्ला, सुषमा मुनीन्द्र, यशोधरा भटनागर, अनिता रश्मि, मनोज अबोध, जयराम जय, धरमपाल साहिल,रोहित कुमार हैप्पी (न्यूजीलैंड), गंगााराम राज़ी, बलराम अग्रवाल, कमलेश भारतीय, देवेंद्र जोशी , राम अवतार बैरवा, शैलेंद्र शर्मा, सुभाष नीरव एवं पारूल तोमर को दिये गये है ॥
समाज सेवा में संलग्न सेवियों को समाज रत्न पुरस्कारदिए गए- आलोक शुक्ला, संजय मिश्रा, रिंकी त्रिवेदी, सुधीर आचार्य, वरुण महेश्वरी और प्रेम विज।
ये दुख का विषय है कि समाज रत्न पुरस्कारके लिए चयनित राजूरकर राज को भी दिया गया है किंतु यह सूचना मिली है कि उनका देहावसान हो गया है। हमारी टीम उन्हें कोटि-कोटि श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
सभी सम्मान व पुरस्कारों का अलंकरण 12 मार्च 2023 को दिन में 11 बजे से होटल क्राउन प्लाज़ा, मयूर विहार फेज़-1 एक्सटेंशन, दिल्ली में प्रदान किया जाएगा।
साभार – Dr Sanjeev Kumar ji के फेसबुक वाल से
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
भोपाल। कल 15 फरवरी को मध्यप्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार और दुष्यंत कुमार संग्रहालय (भोपाल ) के निदेशक राजुरकर राज जी का दुखद निधन हो गया। राजुरकर राज जी ने 25 वर्ष पूर्व हिन्दी के अप्रतिम कवि और कथाकार दुष्यंत कुमार की स्मृतियों को सँजोये रखने का कार्य प्रारम्भ किया एवं आजीवन आजीवन मूर्त रूप देने में सतत लगे रहे। उनका दुखद निधन साहित्य जगत की अपूर्व क्षति है।
🙏🏻 ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🏻
☆ राजुरकर राज ☆
ना पकड़ा हाथ ना ही दामन छू सका कोई,
करीब से उठकर अचानक चला गया कोई।
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जाना सभी को एक न एक दिन जहाँ से,
वक्त-ए-रुख़सत दिल में समा गया कोई।
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जाने का ग़म रहेगा हमें नफ़स दर नफ़स,
वो जो देखते-देखते नज़र फिरा गया कोई।
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हँस-हँस के बतियाता था मोहक अन्दाज़ में,
मुसकाते-मुसकाते ही दिल लुभा गया कोई।
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आरज़ू है उसकी यादों में ज़िंदगी बसर हो,
वो जो बातों-बातों में अब्र सजा गया कोई।
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जब महफ़िल में ज़िक्र होगा उस हबीब का,
‘आतिश’ के सामने अश्क़ बहा गया कोई।
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– सुरेश पटवा “आतिश”
वरिष्ठ साहित्यकार, भोपाल मध्यप्रदेश
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🙏🏻 विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🏻
दुष्यन्तकुमार स्मृति संग्रहालय के संस्थापक संचालक, शब्दशिल्पियों के आसपास पत्रिका के संपादक, आकाशवाणी भोपाल के पूर्व उद्घोषक तथा “शब्द-साधक” कृति (1500साहित्यकारों की विवरणिका) के संपादक राजुरकर राज जी का असमय निधन साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है।
अत्यन्त मिलनसार, हँसमुख,कर्तव्यदक्ष,अहंशून्य तथा समदर्शी व्यक्तित्व के धनी राज जी अपने पीछे हार्दिक स्मृतियां छोड़ गये हैं। सारा साहित्यिक समाज शोक विह्वल है। कहते हैं बेहद ख्यातनाम शिखरस्थ और प्रचंड बुद्धिमान होने से भी अधिक श्रेयस्कर है मानवीय गुणों से परिपूर्ण होना। सुख दुःख में साथ निभाना। इस दृष्टि से राज जी विलक्षण थे।
उन्हें नवोदित प्रवाह परिवार अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे। हरिॐ।
– इंदिरा किसलय, नागपुर
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☆ राजुरकर राज निदेशक दुष्यंत संग्रहालय का जाना… मेरी व्यक्तिगत क्षति, गहन शोक ☆
वे सारे जीवन साहित्यकारों को परस्पर जोड़ने में निरत रहे।
१९९४ तार सप्तक अर्ध शती समारोह, भवभूति कक्ष साहित्य अकादमी, मेरी किताब आक्रोश का विमोचन था। तब उनसे पहली भेंट हुई थी, वे “हस्ताक्षर” परिचय पुस्तिका हेतु उपस्थित लोगों से पते, बायो एकत्रित कर रहे थे। मैं तब मंडला में था, फिर हम सतत संपर्कों में बने रहे। भोपाल शिफ्ट होने पर लगा कोई है यहां अपना पुराना।
विवेक रंजन श्रीवास्तव
वरिष्ठ समीक्षक तथा व्यंग्यकार
≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है । देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
फिर चली बात , बात किताबों की – कमलेश भारतीय
ये दिन साहित्य के दिन हैं । साहित्य में रमने के दिन हैं । साहित्य के बहाने आपस में मिलने मिलाने ही नहीं बतियाने के दिन हैं यानी पुस्तक मेले के दिन हैं । बस । दिल्ली का पुस्तक मेला आने ही वाला है । प्रकाशक तैयारियों में जुटे हैं तो लेखक इंतज़ार में कि इस बार पुस्तक मेले में तो उसकी किताब आ ही जाये ! दिल्ली का पुस्तक मेला लेखकों के मिलन का भी बहाना है । दूर दराज से लेखक इसी आशा से आते हैं कि सबसे मिलना हो जायेगा । दो तीन वर्ष तो कोरोना ने यह मिलना मिलाना भी जैसे अभिशप्त कर दिया था । बड़ी मुश्किल से यह अभिशाप खत्म हुआ । पुस्तक मेले में दुनिया भर की पुस्तकें और हर तरह की पुस्तकें आती हैं । लेखक एक दूसरे की नयी पुस्तक का हाथों हाथ विमोचन कर देते हैं । यह ऐसी दुनिया जिसका इंतज़ार साल भर रहता है । आइए पुस्तक मेले में चलें । वैसे अब दिल्ली के अलावा भी अन्य बड़े शहरों में पुस्तक मेले लगने लगे हैं जो बहुत ही सुखद बात है । चंडीगढ़ के पुस्तक मेले में भी अब खूब मुलाकातें होती रही हैं लेखकों से ।
पुस्तक पखवाड़ा :भोपाल के लघुकथा के परिंदे ग्रुप की ओर से ऑनलाइन पुस्तक पखवाड़ा आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न प्रदेशों के लेखकों को इसमें आमंत्रित कर पुस्तकों पर चर्चा की गयी । यह भी एक अच्छा प्रयोग रहा । बधाई ।
हिसार का फिल्म महोत्सव : इस सप्ताह हिसार के गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय के रणबीर सभागार व सेमिनार हाल में दो दिवसीय हरियाणवी फिल्म महोत्सव संपन्न हुआ । हरियाणा भर से रंगकर्मी जुटे और हरियाणवी फिल्मों के लिए विचार विमर्श हुआ । पचास से ऊपर शाॅर्ट फिल्में दिखाई गयीं विभिन्न विश्वविद्यालयों के जनसंचार विभाग के छात्र छात्राएं जुटे । स्टेज एप की खूब वाहवाही हुई । इस सबके बावजूद इस फिल्म महोत्सव में कलाकारों ने हिसार दूरदर्शन के चंडीगढ़ शिफ्ट किये जाने पर कोई चर्चा नहीं की और न ही इसे वापिस लाये जाने का कोई प्रस्ताव पारित किया गया । आखिर कलाकार ही दूरदर्शन की मांग नहीं उठायेंगे तो कौन उठायेगा ?
वीरेंद्र वीर को सम्मान : हिमाचल की ऊना की संस्था हिमोत्कर्ष की ओर से वीरेंद्र शर्मा वीर को सम्मानित किये जाने की घोषणा की गयी है । हिमाचली संस्कृति के लिये वीर के प्रयासों को देखते हुए यह सम्मान दिया जा रहा है । बधाई ।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
साहित्यिक गतिविधियाँ ☆ भोपाल से – सुश्री मनोरमा पंत
(विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
लालजी राम मीना ने सहरिया जाति पर दिया व्याख्यान
भोपाल के जनजाति एवं अनुसंधान विशेषज्ञ लालजीराम मीणा ने शिवपुरी जिले के पिछोर में सहरिया जाति की उत्पत्ति,निवास क्षेत्र,देवी देवताओं एवं देवलोक से संबंधित धार्मिक मान्यताओं पर विशद व्याख्यान दिया। विश्व बैंक परियोजना एवं आइएएसके संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में जीवाजी विश्व विद्यालय के कुलपति श्री अविनाश तिवारी सहित कई विद्वान उपस्थित रहे।
हिन्दी भवन में राष्ट्रीय दिव्यांग साहित्य समागम
हिन्दी भवन में आठ फरवरी को राष्ट्रीय दिव्यांग साहित्य समागम हुआ जिसमें देश भर के दिव्या आदित्यनाथ और कवि शामिल हुए।यह समागम समारोह एलएलबी कालेज के सहायक अध्यापक डॉ राधेश्याम पानवरिया की ओर से किया गया।इसकी अध्यक्षता कथाकार उर्मिला शिरीष ने की और मुख्य अतिथि गीतकार ऋषि शृंगारी तथा विशिष्ट अतिथि गीतकार और आलोचक डा.सुधीर शर्मा थे।
साहित्य और भाषा पर अंतर महाविद्यालयीन प्रतियोगिताएं आयोजित
संत हिरदाराम कन्या महाविद्यालय की लिटरेचर कमेटी ने साप्ताहिक फेस्ट लिटरेरियों का आयोजन किया इसका मुख्य उद्देश्य छात्राओं में साहित्य और भाषा के प्रति रूचि जागृत करना था।इस आयोजन में अंतर महाविद्यालयीन स्तर पर तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता,,काव्यपाठ,वाद विवाद,सोलो एक्ट,स्टेटस अप कामेडी, एवं निबन्ध प्रतियोगिता की गई। इस आयोजन में योगीराज योगेश वरिष्ठ पत्रकार, डा.राना लोधी, प्राचार्य नारायण ई टेक्नो स्कूल,अमिता दुबे परमार समाचार वाचिका दूरदर्शन, संस्था के निदेशक हीरो ज्ञान चंदानी, प्राचार्य डालिमा पारवानी सहित अनेक शिक्षाविद उपस्थित रहे।
प्रो.के जी श्रीवास्तव को मिला काशी सम्मान
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय विश्व विद्यालय के प्राचार्य प्रो. के जी श्रीवास्तव को काशी -वाराणसी साहित्य महोत्सव में ‘काशी सम्मान’ से विभूषित किया गया।गौरतलब है कि प्रो. त्रिवेदी द्वारा विश्वविद्यालय में शिक्षा के क्षेत्र में अनूठे प्रयोग थ्योरी के साथ प्रेक्टीकल पर अधिक ध्यान देकर किये।
भोजपाल साहित्यिक संस्थान की साहित्य गोष्ठी सम्पन्न
भोजपाल साहित्यिक संस्थान के अध्यक्ष श्री प्रियदर्शन खैरा, कार्यकारी अध्यक्ष श्री सुदर्शन सोनी और श्री संजय सरस के मुख्य आतिथ्य में एक अत्यंत गरिमामय वातावरण में वर्ष 2023 की प्रथम साहित्यिक गोष्ठी आयोजित सम्पन्न हुई। जिसका सफल सरस संचालन संस्था के सचिव श्री चंद्रभान राही ने किया।
इस गोष्ठी की विशेषता यह रही कि उपस्थित रचनाकारों ने गद्य और पद्य की अनूठी रचनाओं का पाठ उत्साहपूर्वक रचना पाठ किया। गोष्ठी का शुभारंभ श्री अशोक व्यास और चरणजीत सिंह कुकरेजा के व्यंग्य पाठ से हुआ। जिसे श्री अनिल कोचर ने पिताजी पर केंद्रित उत्तम रचना का पाठ किया। फिर तो सरसता का निर्मल झरना बह चला। बीच में गरम भजियों की परस आ गई। स्वादिष्ट पकौड़ों की ख़ुश्बू और स्वाद में रचनाकार विचलित होने लगे तो कार्यकारी अध्यक्ष महोदय को टी-टी-ब्रेक की घोषणा करनी पड़ी। भजियों की छोटी प्लेट की जगह एक बड़ी तश्तरी में भजिये रचनाकार भाइयों में घूमने लगे। उनके लबों को चूमने लगे। गरम भजियों के साथ गाढ़े लिकर की लज़्ज़तदार चाय के क्या कहने। उसके बाद गोष्ठी का दूसरा दौर खुला तो तरन्नुम में ग़ज़ल और सुमधुर गीतों ने भावविभोर कर दिया।
भोपाल में साहित्यकार बिरादरी में निर्मल भाव से भरे श्री अशोक निर्मल द्वारा “अपने घर न बुलाया करो बात खुल जायेगी लोग इतराया करेंगे।”
गजलकार फरमान जियाई द्वारा “कैसे दिन गुजरता है कैसे रात कटती है किसने तोडा़ है दिल क्यों बतायें तुम्हे” बेहतरीन तरन्नुम में डूब कर इस तरह सुनाई कि श्रोताओं ने कुछ शेरों का साँस रोककर आनंद लिया।
श्रीसंजय कुमार द्वारा “तुम्हे कभी पाया नही था परंतु तुम्हारे खोने का मुझे डर था।”
श्री अनिल कोचर द्वारा “कांकरीट के जंगल में पीपल तलाशते पापा जी।”
श्री बिहारी लाल सोनी ‘अनुज’ जी ने भोपाली लहजे में “एक बेवड़े की कुत्ते से मुलाक़ात” सुनाकर समा बांध दिया।
तो श्री चन्द्रभान राही द्वारा मेरी तस्वीर को आंखों में बसाकर देखो का पाठ किया गया। सुदर्शन सोनी द्वारा सटीक व सामयिक व्यंग्य “सारे पते अस्पताल होकर जाते हैं ” व “सबका एक कमाऊ मस्टर रोल है” का पाठन किया। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे श्री प्रियदर्शी खैरा द्वारा “तेजाबी बादलों की छा गयी घटायें धुआँ धुआँ हो गयी यहां की हवाए” का पाठन किया।
श्री रमेश नंद, सुश्री प्रतिभा द्विवेदी व मंजूषा सीमा हरि शर्मा के मधुर गीतों ने भावविभोर किया। हरि वल्लभ शर्मा, सत्य प्रकाश चिराग द्वारा भी सशक्त रचनाओं का पाठ किया गया।
भोजपाल साहित्य के एक फाऊंडर मेम्बर श्री जगदीष किंज्लक, अनिल कोचर के पिता जी और अशोक व्यग्र जी की माता जी के देहावसान पर दो मिनट का मौन रखा गया।
हास्य कवि शम्भू शिखर ने पेश की हास्य व्यंग्य रचनाएं
तुम तोड़ो और वादा हम निभाते रहेगे,
नाराजगी हम ऐसे भी जताते रहेंगे
राजभाषा विभाग निर्माण कारखाना के द्वारा आयोजित सम्मान समारोह और एकल काव्य पाठ में हास्य कवि शम्भू ने अनेक हास्य व्यंग्य रचनाएं पेश की।
इस कार्यक्रम का संचालन श्री घनश्याम मैथिल जी ने किया।उन्होंने कवि शंभू को अपना लघुकथा संग्रह ‘एक लोहार की‘ भी भेंट किया। इस अवसर पर अखिलेश लोधी, नीतिराज चौरे, गिरिजाशंकर नीर और डा.आशीश ने भी काव्यात्मक अभिव्यक्ति की।
सोज एक सुखन के आयोजन में काव्य पाठ संपन्न
द आर्ट हाउस में सोज ए सुखन की ओर से कविता गोष्ठी में धर्मेन्द्र सिंह सोलंकी, प्रमोद पवैया, वर्षा श्रीवास्तव, महेन्द्र सिंह पवार, प्रतीक सिंह चौहान, सुभाष जाटव, शिवाजी राव, ऋषि विश्वकर्मा और शिवेन्द्र आकाश ने भाग लिया।
साहित्यकार चन्द्रभान राही को कबीर कोहिनूर सम्मान
साहित्यकार चन्द्रभान राही को लेखन के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि एवं समाज और राष्ट्र हितकारी लोकमंगल सेवाओं को दृष्टिगत रखते हुए कबीर कोहिनूर सम्मान से अलंकृत किया गया।
हिंदी भवन में अ भा कला मंदिर भोपाल की आम सभा संपन्न
श्री राजेंद्र शर्मा ‘अक्षर’
अ भा कला मंदिर भोपाल की आम सभा हिंदी भवन के नरेश मेहता कक्ष में आमसभा हुई तथा उसके पश्चात विषय मुक्त गोष्ठी का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय कला मंदिर के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ गौरी शंकर शर्मा गौरीश, मुख्य अतिथि श्री राजेंद्र शर्मा ‘अक्षर’ तथा विशिष्ट अतिथि श्रीमती साधना बलबटे थी।आम सभा में 2023 24 का बजट व कार्यक्रम की रूपरेखा पर विचार किया गया। काव्यपाठ में भारी संख्या में कवि/कवयित्रियों ने भाग लिया।
साभार – सुश्री मनोरमा पंत, भोपाल (मध्यप्रदेश)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
डॉ जवाहर कर्नावट को भारत सरकार का विश्व हिंदी सम्मान – अभिनंदन
भोपाल । नगर के प्रसिद्ध लेखक एवं वक्ता डॉ जवाहर कर्नावट को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा विश्व हिंदी सम्मान के लिए चयनित किया गया है।
वैश्विक स्तर पर भारत एवं विश्व के प्रमुख देशों के चुनिंदा हिंदी विद्वानों को प्रदान किया जाने वाला यह सम्मान उन्हें फिजी में 15 से 17 फरवरी 2023 तक आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन, फिजी में प्रदान किया जाएगा। डॉ जवाहर कर्नावट को यह सम्मान वैश्विक स्तर पर अपनी गतिविधियों से हिंदी को समृद्ध करने के साथ ही 25 देशों की 120 वर्षों की हिंदी पत्रकारिता पर गहन शोध कार्य करने के लिए दिया जा रहा है। डॉक्टर कर्नावट के पास 25 देशों से हिंदी में प्रकाशित हुई 150 से अधिक दुर्लभ पत्र-पत्रिकाओं का अनूठा संकलन है जिसे नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा पुस्तक स्वरूप में प्रकाशित किया जा रहा है । बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व महाप्रबंधक डॉक्टर कर्नावट वर्तमान में रबींद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय के प्रवासी भारतीय शोध एवं संस्कृति केंद्र में सलाहकार और हिंदी भवन ,भोपाल की प्रसिद्ध पत्रिका अक्षरा के प्रबंध संपादक भी हैं।
प्रस्तुति – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल
ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ जवाहर कर्नावटजी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈