आपल्या समुहातील ज्येष्ठ कवी श्री रवींद्र सोनावणी यांना, शब्दसेतू साहित्य मंच, पुणे आयोजित काव्यलेखन स्पर्धेत प्रथम पुरस्कार प्राप्त झाला आहे. ई- अभिव्यक्ती परिवाराकडून त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा💐
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
– २९ मई २०२४ को अहिल्यानगर (अहमदनगर) में राष्ट्रीय हिंदी लघुकथा सम्मेलन का आयोजन –
अहिल्यानगर – साहित्य समाज का दर्पण होता है। हिंदी साहित्य में लघुकथाओं के द्वारा समाज से जुड़े अनेक प्रश्न उपस्थित किए जाते हैं तथा पाठक उन पर चिंतन प्रारंभ कर देता है। साहित्य समाज को संस्कारित भी करता जाता है।
अहमदनगर में लघुकथाकारों को मंच प्रदान कराने हेतु २९ मई २०२४ के दिन, स्नेहालय पुनर्वसन संकुल, एम आय डी सी में राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी लघुकथा सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, यह जानकारी संयोजक डॉ गिरीश कुलकर्णी तथा डॉ ऋचा शर्मा द्वारा प्राप्त हुई।
स्नेहालय, डॉ शंकर केशव आडकर चैरिटेबल ट्रस्ट, आचार्य जगदीशचंद्र मिश्र लघुकथा सम्मान समिति, हिंदी सृजन सभा तथा लघुकथा शोध केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में ‘लघुकथा : वर्तमान स्वरूप और संभावनाएं’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसमें पूरे देश से लघुकथाकार, हिंदी भाषा तथा साहित्यप्रेमी शामिल हो रहे हैं।
दिनांक २९ मई को सुबह ९ बजे से शाम ५ बजे तक सम्पन्न होनेवाली संगोष्ठी में दिल्ली के वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ बलराज अग्रवाल, पुणे के डॉ दामोदर खडसे, हरियाणा करनाल के डॉ अशोक भाटिया, नागपुर के डॉ मिथिलेश अवस्थी, लघुकथा शोध केंद्र समिति भोपाल मध्यप्रदेश की निदेशक श्रीमती कांता रॉय, पुणे की श्रीमती नरेंद्र कौर छाबड़ा, आदि मान्यवरों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा ।
दोपहर के सत्र में ‘लघुकथाकार तथा पाठक’ चर्चा – सत्र सम्पन्न होगा। आचार्य जगदीशचंद्र मिश्र लघुकथा सम्मान समिति अहमदनगर की ओर से देशव्यापी लघुकथा प्रतियोगिता आयोजित की गई है। पुरस्कार प्राप्त लघुकथाकारों को पुरस्कृत तथा सम्मानित किया जाएगा ।
इस सम्मेलन में सभी साहित्यप्रेमियों का स्वागत है। यह पूर्णत: नि:शुल्क है। इस कार्यक्रम की संयोजिका डॉ ऋचा शर्मा ने राष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन में अधिक से अधिक संख्या में सहभागी होने का आवाहन किया है। अधिक जानकारी के लिए ८९९९०३९८८२ नंबर पर संपर्क करें।
संयोजिका – डॉ. ऋचा शर्मा
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001, e-mail – [email protected]मोबाईल – 09370288414.
संयोजक – लघुकथा शोध केंद्र ,अहमदनगर तथा हिंदी सृजन सभा, अहमदनगर
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका सुश्री नीला देवल यांच्या ‘अग्निशिखा’ या कादंबरीस सुचेतस् आर्टस् या संस्थेचा कै.सर्जेराव माने स्मृती कादंबरी पुरस्कार प्राप्त झाला आहे. ई अभिव्यक्ती परिवाराकडून त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा !
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
☆ हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे का वार्षिक हिंदी उत्सव और सम्मान समारोह सम्पन्न ☆
जब राजनीति लड़खड़ाती है, साहित्य उसे सहारा देता है – डॉ. राजेंद्र श्रीवास्तव
“हिंदी आंदोलन परिवार की 29 वर्ष की यात्रा गौरवशाली है। हिंआंप के आरम्भ से मैं इससे जुड़ा हूँ। इस संस्था से बहुत कुछ सीखने के लिए मिला है। पं. जवाहरलाल नेहरु और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर साथ खड़े थे। अचानक नेहरु जी लड़खड़ा गए। उन्हें थामते हुए दिनकर जी ने कहा कि जब-जब राजनीति लड़खड़ाती है, तब-तब साहित्य उसे सहारा देता है। साहित्य, धर्म, जाति व भौगौलिक सीमाओं से परे होता है। हिंआंप इसी सार्वभौम साहित्य का साकार रूप है।”
उपरोक्त उद्गार बैंक ऑफ महाराष्ट्र के राजभाषा प्रमुख डा. राजेन्द्र श्रीवास्तव के हैं। हिंदी आंदोलन परिवार के वार्षिक हिंदी उत्सव और सम्मान समारोह में उपस्थित जनो को वे कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसएनडीटी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर चंद्रकांत मिसाल ने उनत्तीस वर्षों से गतिशील हिंआंप की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने संस्था की अखंड सक्रियता का संदर्भ देते हुए ग़ज़ल के कुछ शेर सुनाए। आपने कहा कि हिंआंप का हर छोटा-बड़ा आयोजन जीवन में एक प्रेरक पाठ पढ़ने का अवसर होता है। संस्था के घोष-शब्द और घोषगीत में निहित विशद अर्थ की भी आपने चर्चा की।
हिंदी आंदोलन परिवार के संस्थापक, अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज ने कहा कि हिआंप की 29 वर्ष की यात्रा में ध्येयनिष्ठा, अविराम श्रम, अनुशासन और समर्पित कार्यकर्ताओं का बड़ा योगदान है। मासिक साहित्यिक गोष्ठियाँ संस्था की प्राणवायु हैं। विशेष बात यह कि जो ऊर्जा और आत्मविश्वास 29 वर्ष पूर्व था, वह अब भी बना हुआ है। हिंआंप अब तक 296 गोष्ठियाँ कर चुका है। ‘उबूंटू’ अर्थात हम हैं इसलिए मैं हूँ का चैतन्य प्रतीक है हिआंप। बिना किसी अनुदान के अपने सदस्यों के दम पर खड़ा यह संगठन, इस क्षेत्र के सर्वाधिक सक्रिय संगठनों में से एक है।
हिंआप के वार्षिक हिंदी उत्सव में चार दशक से हिन्दी के अध्यापन एवं प्रचार में जुटी प्रा. नीला बोर्वणकर को हिंदीभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए श्री आशु गुप्ता और बहुभाषी संचालन के सुप्रसिद्ध संचालिका श्रीमती नीरजा आपटे को हिन्दीश्री सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान में स्मृतिचिह्न, शॉल, नारियल एवं तुलसी का पौधा प्रदान किया गया। श्री संजय भारद्वाज को हाल ही में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता जीवन गौरव सम्मान मिला है। इस उपलक्ष्य में हिंदी आंदोलन परिवार के सदस्यों के प्रतिनिधि के रूप में श्रीमती वीनु जमुआर ने उन्हें सम्मानित किया।
सरस्वती वंदना से अपना वक्तव्य आरम्भ करते हुए डॉ. बोर्वणकर ने जीवन को मिली सार्थक दिशा का श्रेय उच्च स्तर पर हिंदी के अध्ययन को दिया। हिंदी का अध्ययन मातृभाषा के प्रति आपकी नींव को और दृढ़ करता है। विशेषकर भक्तिकाल के रचनाकारों से अनन्य जीवनमूल्यों की प्राप्ति का आपने उल्लेख किया। स्रोत-भाषा मराठी से लक्ष्य-भाषा हिंदी में अनुवाद कर्म में विशेष सहयोग करनेवाले संजय भारद्वाज को उन्होंने अपना गुरु कहा।
नीरजा आपटे ने कहा कि उन्हें बोलना बहुत पसंद है। सौभाग्य है कि बोलना अर्थात मंच संचालन ही उनका कार्यक्षेत्र बना। प्रतिभा तो ईश्वर प्रदत्त होती है पर अभ्यास से उसे निखारना मनुष्य का काम होता है। विविध क्षेत्र के दिग्गजों के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम का संचालन कर पाने के लिए उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया।
आशु गुप्ता जीवन के विभिन्न पड़ावों पर लेखन के बदलते रूप की चर्चा की। कुछ पा सकने के लिए गुरु के आशीर्वाद का उल्लेख किया। उन्होंने कविताओं के अंश भी प्रस्तुत किए।
अतिथियों का परिचय सुधा भारद्वाज, अपर्णा कडसकर और अरविंद तिवारी ने दिया।
कार्यक्रम के पूर्वार्द्ध में क्षितिज इंफोटेनमेंट द्वारा कबीर-दर्शन पर आधारित संगीतमय कार्यक्रम ‘बहता समीर, गाता कबीर’ प्रस्तुत किया गया। इसका लेखन- संचालन संजय भारद्वाज ने किया। गायन सतीश कुमार का था। इस प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
हिंदी उत्सव का सटीक संचालन ऋता सिंह ने किया। आभार प्रदर्शन अलका अग्रवाल ने किया। सुशील तिवारी एवं सभी विशेष सहयोगियों को स्मृतिचिह्न एवं नारियल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उल्लेखनीय संख्या में साहित्यकार, भाषा प्रेमी और अन्य गणमान्य उपस्थित थे। प्रीतिभोज के बाद आयोजन ने विराम लिया।
– साभार – क्षितिज ब्यूरो
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆अट्टहास शिखर सम्मान डॉ. सुरेश कांत और अट्टहास युवा सम्मान श्री अलंकार रस्तोगी को दिया जाएगा! – अभिनंदन ☆ प्रस्तुति – श्री जयप्रकाश पाण्डेय☆
माध्यम साहित्यिक संस्थान द्वारा इस वर्ष तैंतिसवाँ अट्टहास शिखर सम्मान दिल्ली के वरिष्ठ व्यंग्यकार सुरेश कांत और अट्टहास युवा सम्मान लखनऊ के युवा व्यंग्यकार अलंकार रस्तोगी को दिया जाएगा।
यह घोषणा अट्टहास सम्मान कथाकार बलराम की अध्यक्षता में गठित नौ सदस्यीय निर्णायक समिति ने सर्वसम्मति से की। अट्टहास सम्मान की निर्णायक समिति के अन्य सदस्यों में सर्वश्री दामोदर खड़के (महाराष्ट्र), अंजू निगम (दिल्ली), डॉ आभा सिंह (नागपुर), जयप्रकाश पांडे (जबलपुर), रजनीकान्त वशिष्ठ (लखनऊ), गोपाल मिश्र (दिल्ली), और भारती पाठक (अयोध्या) हैं। माध्यम के राष्ट्रीय अध्य्क्ष कप्तान सिंह और महासचिव अनूप श्रीवास्तव समिति के पदेन सदस्य है।
समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार रामकिशोर उपाध्याय को भी लाइफ टाइम अचीवमेन्ट सम्मान से नवाजा जाएगा।
इसके अतिरिक्त माध्यम के अध्यक्ष कप्तान सिंह द्वारा पिछले अट्टहास सम्मान से घोषित पांच साहित्यकारों को माध्यम के सरक्षक डॉ हरिवंशराय बच्चन सम्मान, डॉ शिव मंगल सिंह सुमन सम्मान, डॉ विद्या निवास मिश्र सम्मान, ठाकुर प्रसाद सिंह सम्मान, डॉ चन्द्र देव सिंह सम्मान से विभूषित किया जाएगा।
माध्यम साहित्यिक संस्थान की स्थापना 66 वर्ष पूर्व पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी के निर्देश पर डॉ हरिवंश राय बच्चन,डॉ शिव मंगल सिंह सुमन,डॉ विद्यानिवास मिश्र, ठाकुर प्रसाद सिंह और डॉ चन्द्र देव सिंह ने की थी। अनूप श्रीवास्तव को महासचिव बनाया गया था। माध्यम के अन्य पदाधिकारियो में डॉ एस सी राय,के पी सिंह,डी सी नौटियाल, सूर्य कुमार पांडे, आलोक शुक्ल, श्याम मिश्र और अरुण कुमार सी ए आदि थे।
अट्टहास शिखर सम्मान मे सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्रम और 21,000 रु की राशि दी जाती है जबकि अट्टहास युवा सम्मान में सम्मान राशि 5100 रु है।
इस वर्ष शिखर सम्मान वरिष्ठ व्यंग्यकार सुरेश कांत और युवासम्मान अलंकार रस्तोगी को दिल्ली में जून में आयोजित अट्टहास सम्मान समारोह में दिया जाएगा।
पहला अट्टहास शिखर सम्मान 1990 में हरिशंकर परसाई जी की स्वीकृति के लिए जब ठाकुर प्रसाद सिंह और अनूप श्रीवास्तव जबलपुर गए तो परसाई जी ने शरद जोशी जी को देने की संस्तुति की। लेकिन शरद जोशी जी ने मनोहर श्याम जोशी जी को देने को कहा,नतीजतन 1990 में पहला सम्मान मनोहर श्याम जोशी को और युवा सम्मान हास्य कवि प्रदीप चौबे को देने की शुरुआत की गईं।
अगला सम्मान 1991 में शरद जोशी को 1992 में गोपाल प्रसाद व्यास को, 1993 में श्रीयुत श्रीलाल शुक्ल को, 1994 में डॉ नरेंद्र कोहली को दिया गया। इसके पश्चात तदनुसार ओम प्रकाश ‘आदित्य’ (दिल्ली), श्री रविन्द्रनाथ त्यागी (देहरादून), श्री हुल्लड़ मुरादाबादी (मुम्बई), श्री माणिक वर्मा (भोपाल), पद्मश्री के. पी. सक्सेना (लखनऊ), शैल चतुर्वेदी (मुम्बई) लतीफ घोंधी (महासमुन्द), मुकुट बिहारी सरोज, (ग्वालियर)पद्मश्री अशोक चक्रधर, (दिल्ली), शंकर पुणतांबेकर (महाराष्ट्र), पद्मश्री कन्हैयालाल नन्दन (दिल्ली), गोपाल चतुर्वेदी (लखनऊ), अल्हड़ बीकानेरी (दिल्ली), गोविन्द व्यास (दिल्ली), डॉ. शेरजंग गर्ग (दिल्ली), सुरेश उपाध्याय (होशिंगाबाद), मधुप पाण्डेय (नागपुर), प्रदीप चौबे (ग्वालियर), डॉ. उर्मिल थपलियाल (लखनऊ), पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी (भोपाल), जैमिनी हरियाणवी (दिल्ली),डॉ हरि जोशी (भोपाल), श्री सुरेन्द्र शर्मा (दिल्ली), श्रीमती सूर्यबाला लाल (मुम्बई), पद्मश्री डी पी सिन्हा, श्री प्रेम जनमेजय, कथाकार बलराम अट्टहास शिखर सम्मान से नवाजे जा चुके हैं।
इसी प्रकार अट्टहास युवा सम्मान से 1990 से बिना ब्रेक के क्रमशः प्रदीप चौबे (ग्वालियर), डॉ प्रेम जनमेजय (दिल्ली), डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी (भोपाल), सुरेश नीरव (दिल्ली), सुरेन्द्र दुबे (जयपुर), ,डॉ. हरीश नवल (दिल्ली), सूर्य कुमार पाण्डेय (लखनऊ), विनोद साव (दुर्ग), डॉ. सुरेश अवस्थी (कानपुर), नीरज पुरी (बैतूल), शंभू सिंह मनहर (मुरैना), ईश्वर शर्मा (महासमुन्द), डॉ. सुरेन्द्र दुबे (रायपुर), गिरीश पंकज (रायपुर), प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), डॉ. सुनील जोगी (दिल्ली), सरदार मनजीत सिंह (हरियाणा),
तेज नारायण शर्मा ‘बेचैन’ (मुरैना), सुभाष चन्दर (दिल्ली), संजय झाला (जयपुर), आलोक पुराणिक (दिल्ली), दीपक गुप्ता (दिल्ली),अनुराग बाजपेयी (जयपुर), मुकुल महान (लखनऊ), श्री रमेश मुस्कान (आगरा), ललित लालित्य (दिल्ली), नीरज बधवार (दिल्ली), अशोक स्वतंत्र (दिल्ली), डा. वागीश सारश्वत (मुम्बई), पंकज प्रसून (लखनऊ), अनुज खरे (दिल्ली) औऱ कार्टून विधा के मर्मज्ञ सागर कुमार अट्टहास युवा सम्मान दिया जा चुका है।
माध्यम द्वारा अट्टहास सम्मान समारोह का आयोजन 1990 से प्रारम्भ किया गया था और संयोग वश अट्टहास हास्य व्यंग्य मासिक भी मई 2000 से प्रारम्भ हुआ था जो इस वर्ष मई में 24 वर्ष पूरा करके 25 वें वर्ष के पायदान पर कदम रखेगी। मई का अंक अट्टहास सम्मान से विभूषित होने वाले श्री सुरेश कांत और युवा व्यंग्यकार अलंकार रस्तोगी पर केंद्रित होगा।
प्रस्तुति – श्री जय प्रकाश पाण्डेय, जबलपुर
💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ. सुरेश कांत जी और श्री अलंकार रस्तोगी जी को इस विशिष्ट सम्मान के लिए हार्दिक बधाई 💐
– श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ राजधानी में बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र द्वारा बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” सम्मानित ☆
भोपाल। बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र भोपाल अपना 15 वां वार्षिकोत्सव एवं सम्मान समारोह, मानस भवन श्यामला हिल्स भोपाल में 9 मई 2024 को 9 बजे संपन्न हुआ।
यह गरिमामय कार्यक्रम मप्र की राजधानी के सम्मानित अतिथि महानुभावों की उपस्थिति में आयोजित किया गया हैं। इस कार्यक्रम में प्रो. खेमसिंह डहेरिया, कुलपति-अटल बिहारी वाजपेयी, हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल, श्री देवेन्द्र मोरे, अध्यक्ष, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भोपाल, डॉ. राजेश श्रीवास्तव, अध्यक्ष, रामायण केन्द्र भोपाल, श्री विकास दवे, मप्र साहित्य अकादमी भोपाल, डॉ. उषा खरे, रामायण केन्द्र, प्रिंसिपल और ब्रांड एंबेसडर स्वच्छता भोपाल के करकमलों से मानस भवन में संपन्न हुआ। जिसका संचालन प्रख्यात कवि दिनेश प्रभात ने किया हैं। इस गौरवशाली सम्मान कार्यक्रम में मास्टर श्री गेंदालाल जायसवाल, बाल साहित्यकार सम्मान, बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” को प्रदान किया गया हैं। जिसके अंतर्गत पुरस्कार स्वरूप नगद राशि, स्मृति चिन्ह, प्रतीक चिन्ह, शाल, श्रीफल, पुस्तकें आदि देकर सम्मानित किया गया।
स्मरणीय रहे कि बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र भोपाल द्वारा उन्हीं बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने अपने क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय कार्य लंबी अवधि तक किया हो। जिनके साहित्यिक कार्यों से बालहित में श्री वृद्धि हुई हो। ऐसे साहित्यकारों को सम्मानित करना ही बाल साहित्य शोध केंद्र का उद्देश्य रहा है। इस कारण इस संस्था द्वारा किसी बाल साहित्यकार का सम्मानित होना बहुत बड़ी बात मानी जाती है। यह उपलब्धि इस वर्ष ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को मिली है। जिसके लिए उन्हें साहित्यकार साथियों, ईष्ट मित्रों और सगे संबंधियों ने ढेर सारी बधाइयां और शुभकामनाएं दी है।
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ माध्यम संस्था द्वारा डॉ कुंदन सिंह परिहार जी का 85वां जन्मदिवस आयोजित ☆ प्रस्तुती – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
जबलपुर। विगत दिवस जय नगर में माध्यम,जबालि व्यंग्यम, गुंजन कला के संयुक्त तत्वावधान में ‘हास्यम् – व्यंग्यम संध्या’का आयोजन हुआ। रायपुर से पधारे व्यंग्यकार केपी सक्सेना ‘दूसरे’के मुख्य आतिथ्य में स्थानीय व्यंग्यकारों ने गद्य और पद्य में हास्य व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी संस्थाओं की ओर से मुख्य अतिथि का फूल मालाओं से स्वागत किया गया, डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’ ने सक्सेना जी का परिचय दिया, प्रतुल श्रीवास्तव ने व्यंग्य की दो पुस्तकें भेंट कीं। इसके पश्चात व्यंग्य पाठ सत्र में डॉ कुंदन सिंह परिहार, सर्वश्री प्रतुल श्रीवास्तव ,जय प्रकाश पाण्डेय,ओ पी सैनी, रमाकांत ताम्रकार, अभिमन्यु जैन, के पी पाण्डे, विजय तिवारी, डॉ एस के सिंह,आदि ने हास्य व्यंग्य रचनाएं सुनायीं। मुख्य अतिथि की आसंदी से श्री केपी सक्सेना ने हास्य व्यंग्य की बारीकियों पर चर्चा करते हुए कहा-
“व्यंग्य का मर्म इतना जाना है,
कि कुंद चाकू से गुदगुदाना है,
आप शब्दों पर मत जाएं,
देखिए ये कहां निशाना है,”
इसके अलावा उन्होंने उलटबांसियों से उपस्थित जनों को वाह वाह करने मजबूर कर दिया। संचालन यशोवर्धन ने और आभार प्रदर्शन डॉ शिव कुमार जी ने किया।
प्रस्तुती – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
संपर्क – 416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ माध्यम संस्था द्वारा डॉ कुंदन सिंह परिहार जी का 85वां जन्मदिवस आयोजित ☆ प्रस्तुती – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
माध्यम साहित्यिक संस्थान’ के सौजन्य से श्री जय प्रकाश पाण्डेय के जय नगर आवास पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ कुंदन सिंह परिहार पर केंद्रित ई-अभिव्यक्ति पत्रिका का विमोचन हुआ, साथ ही फ्लिप बुक भी रिलीज की गई। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्थान के संयोजक श्री जय प्रकाश पाण्डेय ने माध्यम संस्थान का परिचय देते हुए इसके उद्देश्य बताए।
डॉ कुंदन सिंह परिहार की 85 वीं वर्षगांठ पर उनका सम्मान किया गया, मिस्टर शरफ ने प्रभावी अंदाज में परिहार जी द्वारा लिखित आलेख का वाचन किया, व्यंग्यकार प्रतुल श्रीवास्तव ने परिहार जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आलेख पढ़ा, आलोचक कवि अनुवादक राजीव कुमार शुक्ल जी ने परिहार पर लिखे अपने संस्मरणात्मक लेख पर लम्बी चर्चा की। इसके बाद व्यंग्य पाठ के सत्र में राजीव कुमार शुक्ल, अभिमन्यु जैन, सुरेश मिश्र विचित्र, यशोवर्धन पाठक, ओ पी सैनी, गुप्तेश्वर द्वारका गुप्त, डॉ विजय तिवारी किसलय, रमाकांत ताम्रकार, श्री के पी पाण्डे, डॉ कुंदन सिंह परिहार आदि ने अपने अपने ताजे व्यंग्य लेख का वाचन किया। डॉ शिव कुमार सिंह ने आभार व्यक्त किया, व्यंग्यकार रमाकांत ताम्रकार का सहयोग उल्लेखनीय रहा।
प्रस्तुती – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
संपर्क – 416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समूहातील ज्येष्ठ लेखिका व कवयित्री सुश्री कुंदा कुलकर्णी यांना ‘पलपब‘ पब्लिकेशन्स यांच्यातर्फे “ महाराष्ट्र जीवन-गौरव पुरस्कार “ जाहीर झाला आहे. या यशाबद्दल त्यांचे आपल्या समूहातर्फे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील अशाच यशस्वी साहित्यिक वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा.
आजच्या अंकात वाचू या “ कैकयी “ या रामायणातील सुपरिचित पात्राचे त्यांनी साकारलेले माहितीपूर्ण सुंदर व्यक्तिचित्र.
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈