हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ परिहार जी का साहित्यिक संसार # 288 ☆ व्यंग्य – चुन्नीलाल की मुअत्तली ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार ☆

डॉ कुंदन सिंह परिहार

(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय  डॉ  कुन्दन सिंह परिहार जी  का साहित्य विशेषकर व्यंग्य  एवं  लघुकथाएं  ई-अभिव्यक्ति  के माध्यम से काफी  पढ़ी  एवं  सराही जाती रही हैं।   हम  प्रति रविवार  उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते  रहते हैं।  डॉ कुंदन सिंह परिहार जी  की रचनाओं के पात्र  हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं।  उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल  की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक बेहतरीन व्यंग्य – ‘चुन्नीलाल की मुअत्तली‘। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार  # 288 ☆

☆ व्यंग्य ☆ चुन्नीलाल की मुअत्तली

सुबह के साढ़े  दस बज रहे हैं और चुन्नीलाल बनियाइन और लुंगी पहने  बरामदे में गमलों में लगे फूलों को पानी दे रहा है। ज़रूर छुट्टी लिए होगा।

मैंने चिल्ला कर पूछा, ‘आज कैजुअल ले ली है क्या?’

उसने हाथ के इशारे से मुझे पास बुलाया, पास पहुंचने पर बोला, ‘क्या पूछ रहे थे?’

मैंने कहा, ‘पूछ रहा था कि आज दफ्तर नहीं जाना है क्या?’

उसके माथे पर बल पड़ गये, बोला, ‘तुम्हें नहीं मालूम?’

मैंने पूछा, ‘क्या?’

वह उसी अप्रसन्नता की मुद्रा में बोला, ‘चिराग तले अंधेरा। पूरे मुहल्ले को मालूम हो गया और तुम मुंह बाये खड़े हो। मैं सस्पेंड हो गया हूं।’

मेरा मुंह आश्चर्य से और ज़्यादा खुल गया। मैंने पूछा, ‘सस्पेंड हो गये? क्यों?’

वह भौंहें टेढ़ी करके बोला, ‘कल का अखबार पढ़ा था?’

मैंने कहा,’पढ़ा तो था।’

वह तिरस्कार के भाव से बोला, ‘खाक पढ़ा था। मेरी समझ में नहीं आता तुम लोग अखबार खरीदते ही क्यों हो। कल के अखबार में सारी घटना छपी है। मेरा नाम भी छपा है। पहली बार अखबार में मेरा नाम छपा है।’

मैंने पूछा, ‘कौन सी घटना? क्या छपा है?’

वह लापरवाही से बोला, ‘मेरे ऊपर बीस लाख की गड़बड़ी का आरोप लगा है। मेरे साथ चन्दू भी सस्पेंड हुआ है।’

घबराहट के मारे मेरी सांस जहां की तरह रह गयी। मैंने कहा, ‘बीस लाख? यह कैसे हुआ?’

वह बोला, ‘अरे भई, हम लोग बैंक से दफ्तर का पैसा लेकर लौट रहे थे। रास्ते में स्कूटर खड़ी करके लघुशंका करने लगे। रुपयों का बैग पीछे स्कूटर में लगा था। लघुशंका के बाद मुड़कर देखा तो बैग गायब था।बहुत से लोग आ जा रहे थे। किसे दोष देते ?’

मैंने कहा, ‘दोनों लोग एक साथ लघुशंका कर रहे थे?’

वह बोला, ‘हां भई।’

मैंने कहा, ‘दोनों को एक साथ लघुशंका करने की क्या ज़रूरत थी? एक थोड़ा रुक जाता।’

उसने जवाब दिया, ‘अब दोनों को एक साथ लगी तो उसमें हमारा क्या कसूर? ये जो लघुशंका वगैरह हैं इन्हें अपने चिकित्सा शास्त्र में वेग कहा जाता है। वेगों को रोकना शरीर के लिए नुकसानदेह होता है। प्राणघातक भी हो सकता है। इन्हें तुरन्त निपटा देना चाहिए।’

मैंने कहा, ‘तो एक हाथ में रुपये का बैग पकड़े रहते। जिम्मेदारी का काम था।’

वह बोला, ‘तुम भी अजीब आदमी हो। अरे भई, लक्ष्मी पवित्र होती है। लक्ष्मी हाथ में लेकर लघुशंका करता? भारी पाप लगता।’

मैंने दुखी भाव से कहा, ‘मुझे अफसोस है।’

वह कुछ नाराज़ी दिखा कर बोला, ‘अफसोस की क्या बात है? तुम्हारे साथ यही गड़बड़ है। मुझे थोड़ा आराम मिला तो तुम्हें अफसोस होने लगा। और फिर मैं तो यह मानता हूं कि जो काम करेगा उसी से गलती होगी। जो काम ही नहीं करेगा उससे क्या गलती होगी?’

मैंने कहा, ‘लेकिन अब तुम क्या करोगे?’

वह इत्मीनान से बोला, ‘करना क्या है। रोज दफ्तर जाकर दस्तखत करूंगा, वहां दोस्तों से गप लड़ाऊंगा और हर महीने आधी तनख्वाह लूंगा।’

मैंने कहा, ‘लेकिन इस केस में कुछ तो होगा।’

वह बोला, ‘हां, विभागीय जांच चलेगी। पुलिस केस भी बनेगा। कुछ परेशानी तो होगी। लेकिन आखिर में सब ठीक हो जाएगा। नौकरी में यह सब तो चलता ही है।’

मैंने कहा, ‘जब तक मामले का फैसला नहीं होगा पैसे वैसे की परेशानी तो होगी।’

वह बोला, ‘अरे तो तुम क्या यह समझते हो कि मैं हाथ पर हाथ धरे बैठा रहूंगा? साले के नाम से दो टैक्सियां डाल रहा हूं। बिजली के सामान की एक दुकान भी खोल रहा हूं। बाल- बच्चों के भविष्य का भी तो सोचना है। नौकरी में आजकल कुछ नहीं धरा है।’

मैंने ताज्जुब से पूछा, ‘लेकिन इस सबके लिए पैसा कहां से आएगा?’

वह मुस्कराया, बोला, ‘तुम घामड़ ही रहे यार। ये सब बातें तुम्हारी समझ में नहीं आएंगीं। तुम तो बस नौकरी करते रहो और हाय हाय करके जिन्दगी काटते रहो।’

मैंने कहा, ‘लेकिन तुम तो कह रहे थे कि सरकारी पैसे तुमने नहीं लिये।’

उसकी मुस्कान और चौड़ी हो गयी। बोला, ‘अब भी कह रहा हूं और आखिर तक कहता रहूंगा। चोरी कबूल करके मैं अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारूंगा क्या? कानून भी कहता है कि जब तक जुर्म साबित न हो जाए, आदमी को अपराधी न माना जाए। इसलिए मैं बिलकुल सौ प्रतिशत पाक साफ हूं ।’

मैंने कहा, ‘लेकिन यह तो देश के पैसे का दुरुपयोग है।’

वह ज्ञानियों की नाईं बोला, ‘यह तुम्हारी नासमझी है,बंधु। इस देश की आबादी एक  सौ चालीस करोड़ है। बीस लाख रुपये को एक  सौ चालीस करोड़ में बांटो तो एक आदमी पर चवन्नी का भार भी नहीं आता। लेकिन वही पैसा जब बीस लाख  रुपये के रूप में एक आदमी के हाथ में आ जाता है तो वह उससे अपना, अपने परिवार का, समाज का और देश का कल्याण कर सकता है। आया कुछ समझ में?’

मैंने कहा, ‘आया महाप्रभु।’

वह संतुष्ट होकर बोला, ‘फिलहाल तो मेरा एक ही उद्देश्य है।’

मैंने कहा, ‘वह क्या?’

वह बोला, ‘कोशिश यही करना है कि विभागीय जांच लंबी से लंबी चले। बहाल तो होना ही है, लेकिन कहीं जल्दी बहाल हो गया तो सब गड़बड़ हो जाएगा।’

मैं फिर मूढ़ की तरह पूछा, ‘बहाल होने से क्या दिक्कत हो जाएगी भैया? तुम्हारी बातें आज मेरी समझ से परे हैं। लगता है कि मेरा दिमाग कुछ कुन्द हो गया है।’

वह बोला, ‘अरे श्रीमान, मुअत्तली जितनी लंबी खिंचेगी, धंधा जमाने के लिए उतना ही ज्यादा टाइम मिलेगा। वैसे भी रिटायरमेंट के बाद कोई धंधा करना ही है। वह अभी जम जाएगा तो नौकरी तो फिर साइड बिज़नेस जैसी हो जाएगी। इसीलिए मैं वकील से सलाह ले रहा हूं कि केस कैसे लंबा लंबा खिंच सकता है। जल्दी खत्म हो जाएगा तो भारी परेशानी हो जाएगी। दूसरी बात यह है कि मुअत्तली का पीरियड जितना लंबा होगा, बहाल  होने पर उतना ही ज्यादा इकठ्ठा पैसा दफ्तर से मिलेगा। धंधे में काम आएगा।’

मैंने कहा, ‘समझ गया, भैया जी। आज मुझे बड़ा ज्ञान दिया तुमने। नौकरी में कितनी संभावनाएं हैं यह आज ही जाना।’

वह खुश होकर बोला, ‘तारीफ के लिए शुक्रिया। दो-चार दिन मेरे पास बैठो तो तुम्हें नौकरी के गुर समझा दूंगा। नौकरी तो सब करते हैं लेकिन नौकरी की खान में छिपे रत्नों को सब नहीं ढूंढ़ पाते। बिना गुरू के ज्ञान नहीं मिलता।’

मैंने हाथ जोड़कर चुन्नीलाल से कहा, ‘ज़रूर बैठूंगा, भैया। आजकल इस तरह बुला बुलाकर मुफ्त में ज्ञान देने वाले गुरू मिलते कहां हैं? फिलहाल तो मैं यह कामना करता हूं कि तुम्हारी इच्छा पूरी हो और तुम्हारी मुअत्तली लंबी से लंबी खिंचे।’

चुन्नीलाल भी हाथ जोड़कर बोला, ‘बहुत बहुत धन्यवाद। तुम सब की दुआएं रहेंगीं तो मेरे रास्ते की सब बाधाएं दूर होंगीं। वैसे मैं निर्भय हूं। जब कुछ किया ही नहीं तो चिन्ता किस बात की?’

मैं चलने लगा तो वह पीछे से बोला, ‘दो-चार दिन आ जाना तो कुछ ज्ञान दे दूंगा तुम्हें। अभी दो-चार दिन फुरसत है। बाद में बिज़ी हो जाऊंगा। मित्रों का कुछ फायदा कर सकूं तो मुझे खुशी होगी।’

© डॉ कुंदन सिंह परिहार

जबलपुर, मध्य प्रदेश

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – कथा कहानी ☆ ≈ मॉरिशस से ≈ – गद्य क्षणिका – मृत्यु – दंश… – ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

श्री रामदेव धुरंधर

(ई-अभिव्यक्ति में मॉरीशस के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर जी का हार्दिक स्वागत। आपकी रचनाओं में गिरमिटया बन कर गए भारतीय श्रमिकों की बदलती पीढ़ी और उनकी पीड़ा का जीवंत चित्रण होता हैं। आपकी कुछ चर्चित रचनाएँ – उपन्यास – चेहरों का आदमी, छोटी मछली बड़ी मछली, पूछो इस माटी से, बनते बिगड़ते रिश्ते, पथरीला सोना। कहानी संग्रह – विष-मंथन, जन्म की एक भूल, व्यंग्य संग्रह – कलजुगी धरम, चेहरों के झमेले, पापी स्वर्ग, बंदे आगे भी देख, लघुकथा संग्रह – चेहरे मेरे तुम्हारे, यात्रा साथ-साथ, एक धरती एक आकाश, आते-जाते लोग। आपको हिंदी सेवा के लिए सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम (2003) में सम्मानित किया गया। इसके अलावा आपको विश्व भाषा हिंदी सम्मान (विश्व हिंदी सचिवालय, 2013), साहित्य शिरोमणि सम्मान (मॉरिशस भारत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 2015), हिंदी विदेश प्रसार सम्मान (उ.प. हिंदी संस्थान लखनऊ, 2015), श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान (जनवरी 2017) सहित कई सम्मान व पुरस्कार मिले हैं। हम श्री रामदेव  जी के चुनिन्दा साहित्य को ई अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों से समय समय पर साझा करने का प्रयास करेंगे।

आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय गद्य क्षणिका “– मृत्यु – दंश …” ।

~ मॉरिशस से ~

☆ कथा कहानी  ☆ — मृत्यु – दंश — ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

मृत्यु उस से टकरायी। मृत्यु न ऊष्मा थी और न वह शीतलता थी। न शाम थी, न वह सुबह थी। न रोग, न चिंता थी। बिना किसी रंग के, बिना किसी चांद के, बिना किसी सूरज के, बिना किसी धरती के, बिना किसी आकाश के, बिना किसी भूख – प्यास के। तब मृत्यु क्या थी, उसे पता चल ही न पाता। वह तो हवा के बिना एक तूफान था, जिससे टकराने पर उसने जाना था यही तो मृत्यु है।

 © श्री रामदेव धुरंधर

07 – 05 – 2025

संपर्क : रायल रोड, कारोलीन बेल एर, रिविएर सेचे, मोरिशस फोन : +230 5753 7057   ईमेल : [email protected]

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 288 – अपना समुद्र, अपना मंथन ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है। साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 288 ☆ अपना समुद्र, अपना मंथन… ?

महासागर अपने आप में अथाह जगत है। जाने कबसे  अनुसंधान हो रहे हैं, तब भी महासागर की पूरी थाह नहीं मिलती।

भीतर भी एक महासागर है। इसकी लहरें निरंतर किनारे से टकराती हैं। लहरों के थपेड़े अविराम उथल-पुथल मचाए रखते हैं। भीतर ही भीतर जाने कितने ही तूफान हैं, कितनी ही सुनामियाँ हैं।

भीतर का यह महासागर, इसकी लहरें, लहरों के थपेड़े सोने नहीं देते। अक्षय व्यग्रता, बार-बार आँख खुलना, हर बार-हर क्षण भीतर से स्वर सुनाई देना-क्या शेष जीवन भी केवल साँसे लेने भर में बिताना है?

योगेश्वर ने अर्जुन से कहा था, ‘प्रयत्नाणि सिद्धंति परमेश्वर:’ प्रयत्नों से, कठोर परिश्रम से लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है, ईश्वर को भी सिद्ध किया जा सकता है। तो क्या हम कभी मथ सकेंगे भीतर का महासागर? 

मंथन इतना सरल भी तो नहीं है। देवताओं और असुरों को महाकाय पर्वत मंदराचल की नेति एवं नागराज वासुकि की मथानी करनी पड़ी थी।

समुद्र मंथन में कुल चौदह रत्न प्राप्त हुए थे। संहारक कालकूट के बाद पयस्विनी कामधेनु, मन की गति से दौड़ सकनेवाला उच्चैश्रवा अश्व, विवेक का स्वामी ऐरावत हाथी, विकारहर्ता कौस्तुभ मणि, सर्व फलदायी कल्पवृक्ष, अप्सरा रंभा, ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी, मदिरा की जननी वारुणी, शीतल प्रभा का स्वामी चंद्रमा, श्रांत को विश्रांति देनेवाला पारिजात, अनहद नाद का पांचजन्य शंख, आधि-व्याधि के चिकित्सक भगवान धन्वंतरि और उनके हाथों में अमृत कलश।

क्या हम कभी पा सकेंगे उन चौदह रत्नों को जो छिपे हैं हमारे ही भीतर?

स्वेदकणों से कमल खिला सकें तो इस पर विराजमान माता लक्ष्मी की अनुकम्पा प्राप्त होगी। धन्वंतरि का प्रादुर्भाव, हममें ही अंतर्निहित है, अर्थात  हमारा स्वास्थ्य हमारे हाथ में है। इस मंथन में कालकूट भी है और अमृत भी। जीवन में दोनों आएँगे। कालकूट को पचाने की क्षमता रखनी होगी। निजी और सार्वजनिक जीवन में अस्तित्व को समाप्त करने के प्रयास होंगे पर हमें नीलकंठ बनना होगा।

न गले से उतरा, न गले में ठहरा,

विष न जाने कहाँ जा छिपा,

जीवन के साथ मृत्यु का आभास,

मैं न नीलकंठ बन सका, न सुकरात..!

अमृतपान कल्पना नहीं है। सत्कर्मों से मनुष्य की कीर्ति अमर हो सकती है। अनेक पीढ़ियाँ उसके ज्ञान, उसके योगदान से लाभान्वित होकर उसे याद रखती हैं, मरने नहीं देतीं, यही अमृत-पान है। नेह का निर्झर किसी के होने को सतत प्रवहमान  रखता है, सूखने नहीं देता। सदा हरित रहना ही अमृत-पान है।

भूख, प्यास, रोग, भोग,

ईर्ष्या, मत्सर, पाखंड, षड्यंत्र,

मैं…मेरा, तू… तेरा के

सारे सूखे के बीच,

नेह का कोई निर्झर होता है,

जीवन को हरा किए होता है,

नेह जीवन का सोना खरा है,

वरना, मर जाने के लिए

पैदा होने में  क्या धरा है..!

अमृत-पान करना है तो महासागर की शरण में जाना ही होगा। यह महासागर हरेक के भीतर है। हरेक के भीतर चौदह रत्न हैं।… और विशेष बात यह कि हरेक को अपना समुद्र स्वयं ही मथना होता है।

मंथन आरंभ करो, संभावनाओं का पूरा महासागर प्रतीक्षा में है।

© संजय भारद्वाज 

अक्षय तृतीया, प्रातः 6:35 बजे, 30 अप्रैल 2025

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆ 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 12 अप्रैल 2025 से 19 मई 2025 तक श्री महावीर साधना सम्पन्न होगी 💥  

🕉️ प्रतिदिन हनुमान चालीसा एवं संकटमोचन हनुमन्नाष्टक का कम से एक पाठ अवश्य करें, आत्मपरिष्कार एवं ध्यानसाधना तो साथ चलेंगे ही 🕉️

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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English Literature – Poetry ☆ Bird of Destiny… ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

(Captain Pravin Raghuvanshi —an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.

We present Capt. Pravin Raghuvanshi ji’s amazing poem “~ Bird of Destiny ~.  We extend our heartiest thanks to the learned author Captain Pravin Raghuvanshi Ji (who is very well conversant with Hindi, Sanskrit, English and Urdu languages) for this beautiful translation and his artwork.) 

? ~ Bird of Destiny… ??

In fate’s dark gully,

where shadows play,

A mystical bird sits,

lost in mystic disarray

*

Gazing into void’s

hollowed maze,

With eyes holding a

haunting, endless gaze

*

The silence screams,

as dry leaves fall cold,

Their brittle whispers,

a sorrow to behold

*

Piercing the stillness,

is a deep pain,

A heart-wrenching ache,

where echoes reign

*

In darkness, it searches

for peaceful night,

But finds dark shadows,

devoid of any light

*

The bird of destiny,

a symbol so grand,

A harbinger of pain,

in a desolate land…!

~Pravin Raghuvanshi

 © Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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English Literature – Articles ☆ What’s Happening Inside You? ☆ Shri Jagat Singh Bisht ☆

Shri Jagat Singh Bisht

(Master Teacher: Happiness & Well-Being, Laughter Yoga Master Trainer, Author, Blogger, Educator, and Speaker.)

☆ What’s Happening Inside You? 

A Friendly Check-In with Your Body’s Vital Systems

Introduction: Listen to Your Body’s Whisper Before It Has to Shout

We often wait until something goes wrong before we pay attention to our health. But what if we could tune into our bodies more gently, regularly, and lovingly? Imagine your body as a community of hardworking organs—each doing its part to keep you energised, balanced and alive. In this friendly guide, we take a walk through your inner world, visiting ten key organs and systems. You’ll learn what a healthy heart, liver or pancreas feels like, how to nourish them further, and when they might be gently asking for help. This is not a science lecture, nor a fear-inducing checklist—it’s a compassionate invitation to know yourself better and care for the amazing instrument that is your body.

  1. The Heart: Your Body’s Tireless Drummer

Healthy signs & care:

A healthy heart beats steadily and rhythmically, allowing you to climb stairs or go for a walk without undue breathlessness. Good blood circulation keeps your skin pink and your mind alert. You can nurture your heart with regular exercise, a diet rich in fruits, vegetables and good fats, deep sleep, and by managing stress through yoga, laughter, or meditation.

When to seek advice:

If you feel sudden fatigue, breathlessness at rest, palpitations, swelling in feet, or tightness in the chest, your heart might be calling for attention. Don’t delay consulting your physician—early care often means easy healing.

  1. Liver: The Silent Worker

Healthy signs & care:

When your liver is in good shape, digestion feels smooth, energy is stable, and your skin appears clear. A healthy liver quietly processes nutrients, breaks down toxins, and helps your body detox naturally. Support it with moderate eating, reduced alcohol, less oily food, and herbs like turmeric and amla.

When to seek advice:

Watch out for fatigue, yellowing of eyes or skin, dark urine, bloating or discomfort in the right upper abdomen. These may be signs of liver distress and warrant medical guidance.

  1. Kidneys: The Body’s Natural Filters

Healthy signs & care:

Clear urine, good energy, and absence of swelling suggest your kidneys are working well. Staying hydrated, managing blood pressure and blood sugar, and avoiding excessive salt help your kidneys stay efficient and happy.

When to seek advice:

Cloudy or foamy urine, frequent urination at night, puffiness around the eyes, or swelling in the feet may indicate trouble. Early intervention can protect your long-term kidney health.

  1. Lungs: The Breath of Life

Healthy signs & care:

When your lungs are healthy, you breathe deeply without effort, and physical activity doesn’t leave you gasping. Fresh air, regular movement, breathing exercises and avoiding pollution or smoking go a long way in keeping your lungs young.

When to seek advice:

Persistent cough, wheezing, shortness of breath or chest tightness could be signs that your lungs need care. Early diagnosis helps avoid long-term damage.

  1. Thyroid: The Silent Regulator

Healthy signs & care:

When your thyroid is balanced, you feel energetic, your weight is stable, and your mood is even. Iodine-rich foods like seaweed, dairy, and nuts, along with stress reduction, help maintain its function.

When to seek advice:

Sudden weight gain or loss, fatigue, hair thinning, feeling unusually cold or hot, or mood swings may suggest thyroid issues. A simple blood test can help clarify things.

  1. Pancreas: The Blood Sugar Balancer

Healthy signs & care:

Steady energy throughout the day, no sugar cravings, and balanced appetite are signs your pancreas is doing well. A balanced diet with low sugar, fibre-rich foods, and regular meals supports its health.

When to seek advice:

Excessive thirst, frequent urination, blurred vision, or unexplained weight loss could be early signs of diabetes. Don’t ignore these signals—your pancreas might be overwhelmed.

  1. Stomach & Gut: The Second Brain

Healthy signs & care:

Good digestion, regular bowel movements, and a light feeling after meals point to a healthy gut. Eating slowly, choosing natural foods, and including probiotics and fermented foods nourish your digestive health.

When to seek advice:

Frequent acidity, constipation, bloating, or abdominal pain are signs that your gut needs some attention. A visit to a doctor can bring timely relief and prevent complications.

  1. Brain & Nervous System: The Command Centre

Healthy signs & care:

Clear thinking, good memory, steady emotions, and restful sleep indicate your nervous system is balanced. Mental workouts, restful breaks, meaningful conversations, and a calm routine help keep your brain sharp.

When to seek advice:

Chronic headaches, confusion, memory lapses, or persistent anxiety or depression are signs to reach out. Mental health is just as vital as physical health.

  1. Blood & Circulatory System: The Life River

Healthy signs & care:

When your blood is in good shape, you feel energised, your skin glows, and wounds heal quickly. Iron-rich foods, regular movement, hydration, and stress management all boost circulation and blood quality.

When to seek advice:

Excessive fatigue, dizziness, frequent infections, or cold extremities might indicate anaemia or circulatory issues. Don’t delay testing if these persist.

  1. Bones & Joints: The Framework of Strength

Healthy signs & care:

Flexibility, absence of joint pain, and steady posture reflect good bone health. Regular weight-bearing exercise, vitamin D, calcium-rich foods, and good posture habits keep your skeleton strong.

When to seek advice:

Persistent back or joint pain, stiffness, or loss of height may point to bone issues like arthritis or osteoporosis. Early assessment can help manage and even reverse symptoms.

Conclusion: A Journey Within

Health is not a goal—it’s a relationship with your body. When you begin to notice the subtle signs of wellness or imbalance, you grow into a more caring, aware version of yourself. This simple check-in with your organs is not about fear, but about friendship—with your body, your breath, and your life. Eat with joy, move with grace, sleep with peace, and listen gently within. And when in doubt, let your physician be your guide—not out of panic, but out of partnership.

Disclaimer:

This article offers general guidance for awareness and well-being. It is not a substitute for medical advice. Always consult a qualified physician before starting any treatment or diagnostic tests.

♥ ♥ ♥ ♥

© Jagat Singh Bisht

Master Teacher: Happiness & Well-Being, Laughter Yoga Master Trainer, Author, Blogger, Educator, and Speaker

FounderLifeSkills

A Pathway to Authentic Happiness, Well-Being & A Fulfilling Life! We teach skills to lead a healthy, happy and meaningful life.

The Science of Happiness (Positive Psychology), Meditation, Yoga, Spirituality and Laughter Yoga. We conduct talks, seminars, workshops, retreats and training.

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM

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हिंदी साहित्य – कविता ☆ || समय || ☆ डॉ जसवीर त्यागी ☆

डॉ जसवीर त्यागी

(ई-अभिव्यक्ति में  प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ जसवीर त्यागी जी का स्वागत। प्रकाशन: साप्ताहिक हिन्दुस्तान, पहल, समकालीन भारतीय साहित्य, नया पथ,आजकल, कादम्बिनी,जनसत्ता,हिन्दुस्तान, राष्ट्रीय सहारा,कृति ओर,वसुधा, इन्द्रप्रस्थ भारती, शुक्रवार, नई दुनिया, नया जमाना, दैनिक ट्रिब्यून आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ व लेख प्रकाशित।  अभी भी दुनिया में- काव्य-संग्रह। कुछ कविताओं का अँग्रेजी, गुजराती,पंजाबी,तेलुगु,मराठी,नेपाली भाषाओं में अनुवाद। सचेतक और डॉ. रामविलास शर्मा (तीन खण्ड)का संकलन-संपादन। रामविलास शर्मा के पत्र- का डॉ विजयमोहन शर्मा जी के साथ संकलन-संपादन। सम्मान: हिन्दी अकादमी दिल्ली के नवोदित लेखक पुरस्कार से सम्मानित।)

☆ कविता ☆ || समय || डॉ जसवीर त्यागी 

पातहीन पेड़

हरा हो उठता है एक दिन

 

सूखी नदी में

चमकने लगता है जल

 

भटके हुए राहगीर को

मिल जाती है मंजिल

 

सुनसान रास्तों पर

बसने लगती है आबादी धीरे-धीरे

 

समय आने पर

बंजर पड़े खेतों में

मुस्कुराने लगते हैं अंकुर

 

अंधेरे घर में

जगमगाता है दीया किसी रोज

 

असंभव और निराशा शब्दों में

छुपे होते हैं संभव और आशा

 

समय एक जैसा रहता नहीं सदा

करवट बदलता है

नींद से जागता है वह भी एक दिन।

©  डॉ जसवीर त्यागी  

सम्प्रति: प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, राजधानी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) राजा गार्डन नयी दिल्ली-110015

संपर्क: WZ-12 A, गाँव बुढेला, विकास पुरी दिल्ली-110018, मोबाइल:9818389571, ईमेल: [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 234 – नौ दोहा दीप ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक कविता – हे नारी!)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 234 ☆

☆ नौ दोहा दीप  ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

दिन की देहरी पर खड़ी, संध्या ले शशि-दीप

गगन सिंधु मोती अगिन, तारे रजनी सीप

*

दीप जला त्राटक करें, पाएँ आत्म-प्रकाश

तारक अनगिन धरा को, उतर करें आकाश

*

दीप जलाकर कीजिए, हाथ जोड़ नत माथ

दसों दिशा की आरती, भाग्य देव हों साथ

*

जीवन ज्योतिर्मय करे, दीपक बाती ज्योत

आशंका तूफ़ान पर, जीते आशा पोत

*

नौ-नौ की नव माल से, कोरोना को मार

नौ का दीपक करेगा, तम-सागर को पार

*

नौ नौ नौ की ज्योति से, अन्धकार को भेद

हँसे ठठा भारत करे, चीनी झालर खेद

*

आत्म दीप सब बालिये, नहीं रहें मतभेद

अतिरेकी हों अल्पमत, बहुमत में श्रम – स्वेद

*

तन माटी माटी दिया, लौ – आत्मा दो ज्योत

द्वैत मिटा अद्वैत वर, रवि सम हो खद्योत

*

जन-मन वरण प्रकाश का, करे तिमिर को जीत

वंदन भारत-भारती कहे, बढ़े तब प्रीत

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ अभी अभी # 678 ⇒ सामूहिक इच्छा शक्ति ☆ श्री प्रदीप शर्मा ☆

श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “सामूहिक इच्छा शक्ति।)

?अभी अभी # 678 ⇒ सामूहिक इच्छा शक्ति ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

[ COLLECTIVE WILL ]

अगर इंसान में प्रबल इच्छा शक्ति हो तो वह अपनी इच्छाओं को दबा भी सकता है, और अगर वह अपनी इच्छाओं का गुलाम बनता चला गया, तो उसकी शक्तियां भी क्षीण होती चली जाती है। जहां चाह है, वहां राह है, यहां चाह से मतलब किसी की पसंद, रुचि अथवा wish से नहीं है, यह वही दृढ़ इच्छा शक्ति है जिसे अंग्रेजी में will कहा गया है। Where there is a will, there is a way. लोग भी कम नहीं, वे वसीयत में भी रास्ते ढूंढ निकालते हैं।।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह चाहता है, उसका एक घर हो, उसका एक परिवार हो। केवल घर परिवार से ही उसका काम नहीं चलता, उसे अच्छा पास पड़ोस भी चाहिए और आसपास का वातावरण भी शुद्ध चाहिए। वह चाहता है, वह चार लोगों के बीच उठे बैठे, हंसे बोले। बस यहीं से उसे अपने साथ, अपने परिवार के साथ अपने पास पड़ोस, मोहल्ले वाले, कुनबे वाले और पूरे देश के रहने वालों के प्रति मन में रुचि और रुझान पैदा हो जाता है। किसी भी अच्छी खबर से वह प्रसन्न होता है और बुरी खबर से उसका मन खिन्न हो जाता हैं। समय के साथ रिश्ते मजबूत होते हैं और एक दूसरे के लिए अपनेपन की भावना जागृत हो जाती है।।

इंसान में अगर भावना है तो संवेदना भी है। वह अच्छी और बुरी दोनों आदतों का पुतला है। परिवार ही उसकी प्रेम की पाठशाला भी है और अच्छी और बुरी संगति का उस पर समान असर पड़ता है। एक तरफ वह परस्पर सहयोग का पाठ सीखता है तो दूसरी ओर स्वार्थ और मतलब उसमें राग द्वेष और प्रतिस्पर्धा के बीज बो देते हैं। इन्हीं गुण अवगुणों के बीच ही तो एक समाज और देश का निर्माण होता है।

एकता में बल है ! बच्चों के सामने यह उदाहरण अक्सर एक कहानी के रूप में इस तरह पेश किया जाता है ;

एक बहेलिया था, जो पक्षियों को शिकार करने के लिए जाल बिछाया करता था। किसी जगह अन्न के दाने डालकर पहले वह उन पक्षियों को ललचाता था, और फिर उन पर जाल डालकर उन्हें पकड़ लेता था। लेकिन एक बार उसकी युक्ति काम नहीं आई। पक्षी जाल में फंस तो गए, लेकिन एक समझदार पक्षी ने बुद्धिमानी से काम लिया। उसने सभी पक्षियों को जोर लगाकर जाल सहित उड़ने की सलाह दी। सभी पक्षियों ने जोर लगाया और जाल सहित आसमान में उड़ पड़े। बाद में किसी सुरक्षित स्थान पर जाकर अपनी चोंच से जाल काटकर अपने आपको मुक्त कर लिया।

गुलामी की जंजीर भी एक ऐसा ही मायाजाल है, जिसके बंधन से मुक्त होना किसी एक व्यक्ति का करिश्मा नहीं हो सकता। किसी का विचार, किसी की राय, किसी का त्याग, किसी का शुभ संकल्प, कब एक सामूहिक संकल्प बन जाता है, एक आव्हान होता है और सामूहिक संकल्प और इच्छा शक्ति से गुलामी की बेड़ियां हमेशा के लिए टूट जाती हैं। कितने पक्षियों ने बहेलिये के जाल में फंसकर अपने प्राण गवाएं होंगे। पक्षियों की क्रांति का कोई इतिहास नहीं होता। लेकिन एक पक्षी आपको प्रेरणा तो दे ही सकता है। उसकी आहुति आपके मन में उत्साह और उमंग की आग तो पैदा कर ही सकती है। हमने भी अगर अपनी सामूहिक इच्छा शक्ति को पहचाना तो हम क्या नहीं कर सकते।।

कहने को आज हम आजाद हैं लेकिन अगर हमारी इच्छाएं और इरादे नेक नहीं हुए और उन्हें पूरा करने के लिए हम एकजुट नहीं हुए तो हमारी इच्छा सदिच्छा नहीं बन पाएंगी। आपसी मनमुटाव, असहमति और राजनीतिक उठापटक के जंजाल से हमें कौन मुक्ति दिलाएगा।

जब तक हमारी शक्ति और युक्ति बंटी हुई है, तब तक हम अपनी ही इच्छाओं के जाल में उलझे हुए हैं। कौन बहेलिया हमें बहला रहा है, फुसला रहा है, हमें पता ही नहीं है। हम आने वाले खतरे से अनजान, चुपचाप आराम से अपना दाना चुग रहे हैं। आपकी सामूहिक इच्छा शक्ति बार बार आपका आव्हान कर रही है;

कौन किसी को बांध सका

सय्याद तो एक दीवाना है।

तोड़ के पिंजरा,

एक न एक दिन

पंछी को उड़ जाना है।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (12 मई से 18 मई 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (12 मई से 18 मई 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

जय श्री राम। मेरा यह भरपूर प्रयास रहता है की आपका साप्ताहिक राशिफल बिल्कुल सही हो। आप उसके अनुसार कार्य करें तो आपको लाभ हो। मै यह दावा भी करता हूं की आपको यह राशिफल कम से कम 80% सही ही मिलेगा। आपसे अनुरोध है कि अगर यह राशिफल आपको सही नहीं मिलता है तो आप मेरे मोबाइल नंबर 8959 59 4400 पर व्हाट्सएप मैसेज भेज कर बताने का कष्ट करें।

12 मई से 18 मई 2025 के सप्ताह को आपके लिए सफल बनाने हेतु मैं पंडित अनिल पांडे फिर एक बार साप्ताहिक राशिफल लेकर प्रस्तुत हूं।

इस सप्ताह सूर्य प्रारंभ में मेष राशि में रहेगा। 14 तारीख के 3:51 रात से वह वृष राशि में गोचर करेगा। गुरु प्रारंभ में वृष राशि में रहेगा तथा 15 तारीख के 7:04 प्रातः से मिथुन राशि में गमन करेगा। इसके अलावा बुध मेष राशि में, मंगल कर्क राशि में, शुक्र, शनि और बक्री राहु मीन राशि में भ्रमण करेंगे।

आईये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपके पिताजी का और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। माताजी और आपके स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। आपको मानसिक परेशानी होना संभव है। अगर आप प्रयास करेंगे तो कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। नए-नए शत्रु पैदा होंगे। भाई बहनों के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है। धन आने की थोड़ी बहुत उम्मीद की जा सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 12 और 18 तारीख है कार्यों को संपन्न करने के लिए उचित है। 13, 14 और 15 तारीख को आप दुर्घटनाओं से बच सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन चावल का दान दें और शुक्रवार को मंदिर पर जाकर सफेद वस्त्र का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपके माताजी और पिताजी का तथा जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपकी मानसिक परेशानी थोड़ा बढ़ेगी। धन आने का योग है परंतु धन आने में कई बाधाएं हैं। संभवत इन्हीं बाधाओं की वजह से आपका मानसिक क्लेश बढ़ सकता है। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक नहीं रह पाएंगे। शत्रुओं की संख्या में वृद्धि होगी। व्यापार में लाभ में कमी आएगी। इस सप्ताह आपको पूरे सप्ताह सतर्क होकर कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें तथा गायत्री मंत्र की एक माला का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। अपने से बड़े अधिकारियों से कुछ तनाव हो सकता है। आपको सलाह दी जाती है कि आप कृपया अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें। कचहरी के कार्यों में रिस्क ना लें अन्यथा घाटा होगा। आपके धन भाव में नीच का मंगल बैठा हुआ है। जिसके कारण इस सप्ताह आपको धन लाभ हो सकता है। इसी प्रकार चंद्रमा 13, 14 और 15 तारीख की दोपहर तक छठे भाव में बैठा है जिसके कारण अगर आपकी तबीयत खराब है तो आप इस अवधि में स्वस्थ होने लगेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 15 तारीख की दोपहर से लेकर 16 और 17 तारीख कार्यों को करने के लिए उत्तम है। बाकी पूरे सप्ताह आपको सतर्क रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपका भाग्य साथ देगा। भाग्य के कारण आपके कई कार्य हो सकते हैं। कार्यालय में आपकी स्थिति थोड़ा कम ठीक रहेगी। धन आने का योग है परंतु यह धन कम मात्रा में आएगा। खर्चों में वृद्धि होगी। आपको रक्त संबंधी कोई विकार हो सकता है। पिताजी के स्वास्थ्य में भी समस्या आ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 12 और 18 मई लाभदायक है। 15, 16 और 17 तारीख को आपको सतर्क रहना चाहिए। 13, 14 या 15 तारीख को आपके संतान को कुछ लाभ हो सकता है। इसी अवधि में संतान आपका सहयोग भी कर सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवारहै।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपका आपके जीवनसाथी का और आपके माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी को थोड़ी सी मानसिक समस्या हो सकती है। भाग्य के स्थान पर इस सप्ताह आप अपने परिश्रम पर विश्वास करें। दुर्घटनाओं से आप बच सकते हैं। धन आने का मामूली योग है। कचहरी के कार्यों में परिश्रम एवं सजगता बरतने पर सफलता मिल सकती है। इस सप्ताह आपको सावधान रहकर के अपने कार्य निपटाना चाहिए। कोई रिस्क का कार्य इस सप्ताह न करें। दुर्घटनाओं से आप बच सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षर स्त्रोत का कम से कम तीन बार पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आप थोड़े से प्रयास से अपने शत्रुओं को समाप्त कर सकते हैं। इस समय का आपको फायदा उठाना चाहिए। इस सप्ताह आपके पास धन आने का योग है। उसके लिए भी प्रयास करने पड़ेंगे। भाग्य से इस सप्ताह आपको कोई मदद नहीं मिलेगी। आपको अपने पुरुषार्थ पर विश्वास करना पड़ेगा। अगर आप अविवाहित हैं तो इस सप्ताह आपके पास विवाह के अच्छे प्रस्ताव आएंगे। प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी। परंतु प्रेम संबंधों के संबंध में सावधान रहें। इस सप्ताह आपके लिए 15 की दोपहर से लेकर 16 और 17 तारीख फलदायक है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक है। 13 और 14 तारीख को आपके अपने भाइयों से संबंध ठीक होगा। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। माताजी का स्वास्थ्य भी ठीक रहने की उम्मीद है। आपके जीवन साथी और पिताजी को कष्ट हो सकता है। व्यापार में बाधा आएगी। भाग्य से कोई विशेष मदद प्राप्त नहीं होगी। कार्यालय में आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। दुर्घटनाओं से इस सप्ताह आप सावधान रहें। शत्रुओं पर आप प्रयास करने के उपरांत विजय प्राप्त कर सकते हैं। नए-नए शत्रु पैदा होंगे। इस सप्ताह आपके लिए 12 और 18 तारीख कार्यों को करने के लिए लाभदायक है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक है। 13, 14 या 15 तारीख को आपको धनलक्ष्मी प्रताप प्राप्ति की संभावना हो सकती है। इस सप्ताह आप को चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका, आपके माता जी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके जीवन साथी को मानसिक या शारीरिक क्लेश हो सकता है। भाग्य से इस सप्ताह आपको कोई खास मदद नहीं मिल पाएगी। इस सप्ताह आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त हो सकता है। धन लाभ के लिए आपको अति परिश्रम करना पड़ेगा। इस सप्ताह आपके लिए 15 तारीख के दोपहर के बाद से 16, 17 और 18 तारीख थोड़ी ठीक है। 12, 13, 14 और 15 तारीख के दोपहर तक का समय कार्यों को करने के लिए उचित नहीं है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान प्रातः काल स्नान की उपरांत एक तांबे के पात्र में जल अक्षत और लाल पुष्प डालकर भगवान सूर्य को जल अर्पण करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका आपके पिताजी और माताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके जीवन साथी को थोड़ा सा कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपके माताजी को चिंताएं बहुत रहेंगी। दुर्घटनाओं से आप बच जाएंगे। शत्रुओं से आप परेशान हो सकते हैं। आपको अपने संतान से भी सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। इस सप्ताह आपके लिए 15 की दोपहर के बाद से 16 और 17 तारीख कार्यों को करने के लिए उचित है। 13, 14 और 15 की दोपहर तक का समय आपको सावधान रहने का है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपका और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके जीवनसाथी को रक्त संबंधी कोई समस्या हो सकती है। माता जी का आपको विशेष रूप से ख्याल रखना है। इस सप्ताह आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। भाई बहनों के साथ खट्टे मीठे संबंध चलते रहेंगे। आपके पेट में कुछ तकलीफ इस साल भर रहेगी। इस सप्ताह आपके लिए 12 और 18 तारीख, विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए अच्छी हैं। 13, 14 और 15 की दोपहर तक के समय में आपको धन के बारे में सतर्क रहना चाहिए। 15 की दोपहर के बाद से 16 और 17 तारीख को आपको कोई भी कार्य सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और शनिवार के दिन दक्षिण मुखी हनुमान जी के यहां जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा को का पाठ हनुमान जी के समक्ष करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपका, आपके पिताजी का और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। माता जी के स्वास्थ्य में मानसिक या शारीरिक परेशानी हो सकती है। भाइयों से आपके संबंधों में तनाव आ सकता है। धन प्राप्ति की संभावना है। आपको अपने संतान से कोई विशेष सहयोग प्राप्त नहीं होगा। इस सप्ताह अगर आप प्रयास करेंगे तो अपने दुश्मनों को पराजित कर सकते हैं। रक्त संबंधी विकार के लिए सावधान रहें। आपके गर्दन या कमर में भी दर्द हो सकता है। इस सप्ताह आपको 13, 14 तथा 15 के दोपहर तक का समय तथा 18 तारीख को सावधान रहना चाहिए। सप्ताह के बाकी दिन एक जैसे हैं। इस पूरे सप्ताह आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपके कई कार्य हो सकते हैं। अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह उत्तम है। विवाह के नए-नए और अच्छे प्रस्ताव आएंगे। प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी। भाइयों के साथ तनाव संभव है। संतान भाव में नीच के मंगल बैठे हुए हैं जिनके कारण सप्ताह आपको अपने संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त हो सकता है। भाग्य भी इस सप्ताह आपका साथ दे सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 15 तारीख के दोपहर से लेकर 16 और 17 तारीख विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए उचित है। 12 तारीख को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। 13, 14 और 15 की दोपहर तक आपको धन प्राप्ति हो सकती है। आपको भाग्य से विशेष लाभ हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ पहाट… ☆ प्रा डॉ जी आर प्रवीण जोशी ☆

प्रा डॉ जी आर प्रवीण जोशी

? कवितेचा उत्सव ?

☆ पहाट… ☆ प्रा डॉ जी आर प्रवीण जोशी ☆

फुलले गुलाब ते पहाटे पहाटे

रुततील काटे पहाटे पहाटे

*

श्रावणी मधुमास ऋतुचा महिना

भ्रमर गुंजतो पहाटे पहाटे

*

जाळीदार पाने झडे श्रावण धारा

रंगली मेहंदी पहाटे पहाटे

*

खुलला आता शुभ्र शुक्रतारा

नक्षत्रांचे देणे पहाटे पहाटे

*

पश्चिमेचा वारा मेघ जर्द निळा

आळवीत मल्हार पहाटे पहाटे

*

वर्षात भिजे तनमन पक्षी

काढून नक्षी पहाटे पहाटे

*

भिजली माती हळदी उन्हाने

सर्वांगी सजली पहाटे पहाटे

© प्रो डॉ प्रवीण उर्फ जी आर जोशी

ज्येष्ठ कवी लेखक

मुपो नसलापुर ता रायबाग, अंकली, जिल्हा बेळगाव कर्नाटक, भ्रमण ध्वनी – 9164557779 

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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