(ई-अभिव्यक्ति में मॉरीशस के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर जी का हार्दिक स्वागत। आपकी रचनाओं में गिरमिटया बन कर गए भारतीय श्रमिकों की बदलती पीढ़ी और उनकी पीड़ा का जीवंत चित्रण होता हैं। आपकी कुछ चर्चित रचनाएँ – उपन्यास – चेहरों का आदमी, छोटी मछली बड़ी मछली, पूछो इस माटी से, बनते बिगड़ते रिश्ते, पथरीला सोना। कहानी संग्रह – विष-मंथन, जन्म की एक भूल, व्यंग्य संग्रह – कलजुगी धरम, चेहरों के झमेले, पापी स्वर्ग, बंदे आगे भी देख, लघुकथा संग्रह – चेहरे मेरे तुम्हारे, यात्रा साथ-साथ, एक धरती एक आकाश, आते-जाते लोग। आपको हिंदी सेवा के लिए सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम (2003) में सम्मानित किया गया। इसके अलावा आपको विश्व भाषा हिंदी सम्मान (विश्व हिंदी सचिवालय, 2013), साहित्य शिरोमणि सम्मान (मॉरिशस भारत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 2015), हिंदी विदेश प्रसार सम्मान (उ.प. हिंदी संस्थान लखनऊ, 2015), श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान (जनवरी 2017) सहित कई सम्मान व पुरस्कार मिले हैं। हम श्री रामदेव जी के चुनिन्दा साहित्य को ई अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों से समय समय पर साझा करने का प्रयास करेंगे।
आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय गद्य क्षणिका “– बेबाकी…” ।)
~ मॉरिशस से ~
☆ गद्य क्षणिका ☆ — बेबाकी —☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆
महात्मा गांधी संस्थान में साथ काम करने वाला हमारा एक मित्र कहता था, “सभी लेखक विद्वान नहीं होते।” संस्थान में हम दो तीन लिखने वाले थे और वह लिखने वाला नहीं था। गजब यह कि वह अपनी इस बात से हम पर हावी हो जाता था। तब मेरी पक्षधरता लेखकों के लिए ही होती थी। पर अब मुझे लगता है उतनी बेबाकी से कहने वाले उस मृत आदमी की समाधि पर श्रद्धा के दो फूल चढ़ा आऊँ।
(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के लेखक श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है। साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको पाठकों का आशातीत प्रतिसाद मिला है।”
हम प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों के माध्यम से हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)
☆ संजय उवाच # 286 ☆ संवेदनशून्यता…
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में आतंकियों ने 28 निहत्थे लोगों की नृशंस हत्या कर दी। इस अमानुषी कृत्य के विरुद्ध देश भर में रोष की लहर है। भारत सरकार ने कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को घेरना शुरू कर दिया है। तय है कि शत्रु को सामरिक दंड भी भुगतना पड़ेगा।
आज का हमारा चिंतन इस हमले के संदर्भ में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर हमारी सामुदायिक चेतना को लेकर है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अपनी अभिव्यक्ति / उपलब्धियों / रचनाओं को साझा करने का सशक्त एवं प्रभावी माध्यम हैं। सामान्य स्थितियों में सृजन को पाठकों तक पहुँचाने, स्वयं को वैचारिक रूप से अभिव्यक्त करने, अपने बारे में जानकारी देने की मूलभूत व प्राकृतिक मानवीय इच्छा को देखते हुए यह स्वाभाविक भी है।
यहाँ प्रश्न हमले के बाद से अगले दो-तीन दिन की अवधि में प्रेषित की गईं पोस्ट़ों को लेकर है। स्थूल रूप से तीन तरह की प्रतिक्रियाएँ विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर देखने को मिलीं। पहले वर्ग में वे लोग थे, जो इन हमलों से बेहद उद्वेलित थे और तुरंत कार्यवाही की मांग कर रहे थे। दूसरा वर्ग हमले के विभिन्न आयामों के पक्ष या विरोध में चर्चा करने वालों का था। इन दोनों वर्गों की वैचारिकता से सहमति या असहमति हो सकती है पर उनकी चर्चा / बहस/ विचार के केंद्र में हमारी राष्ट्रीय अस्मिता एवं सुरक्षा पर हुआ यह आघात था।
एक तीसरा वर्ग भी इस अवधि में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय था। बड़ी संख्या में उनकी ऐसी पोस्ट देखने को मिलीं जिन्हें इस जघन्य कांड से कोई लेना-देना नहीं था। इनमें विभिन्न विधाओं की रचनाएँ थीं। इनके विषय- सौंदर्य, प्रेम, मिलन, बिछोह से लेकर सामाजिक, सांस्कृतिक आदि थे। हास्य-व्यंग के लेख भी डाले जाते रहे। यह वर्ग वीडियो और रील्स का महासागर भी उँड़ेलता रहा। घूमने- फिरने से लेकर हनीमून तक की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर की जाती रहीं।
यह वर्ग ही आज हमारे चिंतन के केंद्र में है। ऐसा नहीं है कि किसी दुखद घटना के बाद हर्ष के प्रसंग रुक जाते हैं। तब भी स्मरण रखा जाना चाहिए कि मोहल्ले में एक मृत्यु हो जाने पर मंदिर का घंटा भी बांध दिया जाता है। किसी शुभ प्रसंग वाले दिन ही निकटतम परिजन का देहांत हो जाने पर भी यद्यपि मुहूर्त टाला नहीं जाता, पर शोक की एक अनुभूति पूरे परिदृश्य को घेर अवश्य लेती है। पड़ोस के घर में मृत्यु हो जाने पर बारात में बैंड-बाजा नहीं बजाया जाता था। कभी मृत्यु पर मोहल्ले भर में चूल्हा नहीं जलता था। आज मृत्यु भी संबंधित फ्लैट तक की सीमित रह गई है। राष्ट्रीय शोक को सम्बंधित परिवारों तक सीमित मान लेने की वृत्ति गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
इस वृत्ति को किसी कौवे की मृत्यु पर काग-समूह के रुदन की सामूहिक काँव-काँव सुननी चाहिए। सड़क पार करते समय किसी कुत्ते को किसी वाहन द्वारा चोटिल कर दिए जाने पर आसपास के कुत्तों का वाहन चालकों के विरुद्ध व्यक्त होता भीषण आक्रोश सुनना चाहिए।
हमें पढ़ाया गया था, “मैन इज़ अ सोशल एनिमल।” आदमी के व्यवहार से गायब होता यह ‘सोशल’ उसे एनिमल तक सीमित कर रहा है। संभव है कि उसने सोशल मीडिया को ही सोशल होने की पराकाष्ठा मान लिया हो।
आदिग्रंथ ऋग्वेद का उद्घोष है-
॥ सं. गच्छध्वम् सं वदध्वम्॥
( 10.181.2)
अर्थात साथ चलें, साथ (समूह में) बोलें।
कठोपनिषद, सामुदायिकता को प्रतिपादित करता हुआ कहता है-
॥ ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥19॥
ऐसा नहीं लगता कि सोशल मीडिया पर हर्षोल्लास के पल साझा करनेवाले पहलगाम कांड पर दुखी या आक्रोशित नहीं हुए होंगे पर वे शोक की जनमान्य अवधि तक भी रुक नहीं सके। इस तरह की आत्ममुग्धता और उतावलापन संवेदना के निष्प्राण होने की ओर संकेत कर रहे हैं।
कभी लेखनी से उतरा था-
हार्ट अटैक,
ब्रेन डेड,
मृत्यु के नये नाम गढ़ रहे हम,
सोचता हूँ,
संवेदनशून्यता को
मृत्यु कब घोषित करेंगे हम?
हम सबमें सभी प्रकार की प्रवृत्तियाँ अंतर्निहित हैं। वांछनीय है कि हम तटस्थ होकर अपना आकलन करें, विचार करें, तदनुसार क्रियान्वयन करें ताकि दम तोड़ती संवेदना में प्राण फूँके जा सकें।
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
12 अप्रैल 2025 से 19 मई 2025 तक श्री महावीर साधना सम्पन्न होगी
प्रतिदिन हनुमान चालीसा एवं संकटमोचन हनुमन्नाष्टक का कम से एक पाठ अवश्य करें, आत्मपरिष्कार एवं ध्यानसाधना तो साथ चलेंगे ही
अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं।
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈
(Captain Pravin Raghuvanshi—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.
We present Capt. Pravin Raghuvanshi ji’s amazing poem “~ The Curse of Riches…~”. We extend our heartiest thanks to the learned author Captain Pravin Raghuvanshi Ji (who is very well conversant with Hindi, Sanskrit, English and Urdu languages) for this beautiful translation and his artwork.)
~ The Curse of Riches… ~
☆
In wealth’s grand palace, with comforts abound,
A restless heart still wanders, lost and unfound
*
Like bedbugs in the sheets, as our deepest fears,
Bite through the night, as worst horror appears
*
As we gather riches, and keep adorning our nest,
Yet the inner demons still refuse to peacefully rest.
*
Whispers of our soul, reverberate as troubled sea,
Reflect the turmoil and pain that we cannot flee.
*
True peace, a fleeting dream, we chase in vain
Until we face the shadows that we have gained.
*
The bedbugs of our mind, cause a festering sore
They must be confronted, and cast out, evermore.
*
In the self-reflection’s true mirror, we must gaze,
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं समाजसेवी सुश्री प्रतिभा श्रीवास्तव ‘अंश’ जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत। कई सामाजिक संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा 2016 से सतत पुरस्कृत/अलंकृत/सम्मानित। मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा पाण्डुलिपि पुरस्कार से सम्मानित। काव्य संग्रह “आवरण शब्दों का”, दर्जनों साझा संग्रह और एक सृजन समीक्षा प्रकाशित। साहित्यिक प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका का निर्वहन। नाटक हम नही सुधरेंगे’ और ‘हाँ, नही आती शर्म’ में बेहतरीन अभिनय हेतु सम्मानित। दूरदर्शन व आकाशवाणी पर काव्य प्रस्तुति। गिनीज वर्ल्ड विश्व रिकॉर्ड में “माँ”पर आधारित कविता (कुछ कहना है) चयनित। गृहशोभा – सरिता , मुक्ता, कादम्बिनी, मधुरिमा आदि सैकड़ों पत्रिकाओं व देश-प्रदेश के साथ ही विदेशी समाचार पत्रों में कविता का प्रकाशन। आज प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम भावप्रवण कविता – एक साधारण गृहिणी….।)
☆ कविता ☆ एक साधारण गृहिणी… ☆ सुश्री प्रतिभा श्रीवास्तव ‘अंश’ ☆
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक कविता – नदी काव्य…।)
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “सवेरे वाली गाड़ी…“।)
अभी अभी # 667 ⇒ सवेरे वाली गाड़ी श्री प्रदीप शर्मा
एक बोलचाल वाला कवि वही होता है, जो आपके मनोभावों को अपने शब्दों में डाल दे। हमने तब कहां शैलेंद्र का नाम तक सुना था। रेडियो पर आता जाता रहता था, लेकिन हमारा ध्यान सिर्फ धुन और गायक की आवाज तक ही सीमित रहता था।
मेहमान किस घर में नहीं आते थे तब, यह सब उन्हीं घरों की कहानी तो है।
इसे संयोग ही कहेंगे कि हमारे यहां आने वाले अक्सर मेहमान सवेरे वाली गाड़ी से ही जाया करते थे। लेकिन हमको जब बाहर जाना होता था तो हम शाम वाली मीटर गैज वाली अजमेर खंडवा से ही जाते थे। तब हमारी दौड़ भी ननिहाल तक ही तो सीमित थी। ।
आजकल तो मेहमान सिर्फ शादियों में आते हैं, और वह भी सिर्फ गार्डन, होटल अथवा रिसॉर्ट में। उनके आने की पूर्व सूचना भी जरूरी होती है, और उन्हें यह भी बोल देना पड़ता है कि रिसॉर्ट सिर्फ एक दिन के लिए लिया है। अपना आईडी प्रूफ साथ लेकर आवें। सबकी मौसा और फूफागिरी निकल गई है अब तो।
हमें अच्छी तरह याद है तब कोई मेहमान खाली हाथ नहीं आता था। सामान लेकर ही आता था, लेकिन आते ही सबसे पहले हमें अपने काम। की चीज मिल ही जाती थी। छोटी सी हमारी मुट्ठी, और बित्ती भर डिमांड। और तो और, तब हमें खुश होना भी आता था। ।
मेहमानों के मनोरंजन के लिए तब कहां टीवी मोबाइल अथवा शानदार होटलें और मॉल थे। बस बाजार घूम लिए, सराफा हो आए और हद से हद गन्ने का रस पी लिया। हां एक फिल्म जरूर परिवार साथ देखता था, जब उनके जाने की तारीख पक्की हो जाती तब।
मेहमान कब रुके हैं,
कैसे रोके जाएंगे।
कुछ ले के जाएंगे,
कुछ दे के जाएंगे ;
रात से ही माहौल बन जाता था, सवेरे वाली गाड़ी से चले जाएंगे। जब आए थे, तब भी कुछ दिया था, और अब जा रहे हैं तब भी। मां ने हमें मना कर रखा था, फिर भी मुट्ठी गर्म करके ही जाते थे। ।
दुनिया है सराय, रहने को हम आए। सराय में कुछ दिनों के लिए रहा जाता है और घर में हमेशा के लिए। कहीं घर टूट रहे हैं, कहीं परिवार बिखर रहे हैं। मेहमानों जैसा प्रेम आज घरों में कहां ! आप सवेरे वाली गाड़ी से जाएं, अथवा फ्लाइट से। आखिर आप भी तो एक मेहमान ही हैं।
लीज यानी पट्टा भी ९९ साल का ही होता है। आप भी अपना बोरिया बिस्तर बांध लें। लेकिन जाएं यहां से खाली हाथ। जितनी धन दौलत अच्छे काम में लगाना है, लगा दें, जितना प्यार बांट सकते हैं, बांट दें। निश्चल प्रेम का अकाल पड़ा हुआ है इस जगत में। ।
शैलेन्द्र एक, कोमल हृदय मार्मस्पर्शी कवि थी। उनके गीतों में आपको छल कपट नहीं मिलेगा, सिर्फ प्रेम और एकता और भाईचारे का संदेश मिलेगा। आज उनकी यह सीख किस काम की, जरा विचार करके देखिए ;
विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ?
☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (28 अप्रैल से 4 मई 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆
जय श्री राम। मैं पंडित अनिल पांडे इस बात का प्रयास करता हूं की आपको साप्ताहिक राशिफल कम से कम 80% सही रिजल्ट प्राप्त हों। अगर आपको 80% से कम सही रिजल्ट प्राप्त होता है तो आपको मेरे मोबाइल क्रमांक 8959594400 पर व्हाट्सएप के माध्यम से संदेश देना चाहिए। इसके अलावा मैं आपको आने वाले सप्ताह के सफलतादायक दिन और कम सफलता प्राप्त की उम्मीद वाले दिनों के बारे में भी बताता हूं। जिससे कि आप सप्ताह में अपने हर काम में सफल रहें। आने वाले सप्ताह में आपकी सफलता की कामना के साथ आज मैं आपको 29 अप्रैल से 4 मई 2025 तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में चर्चा करूंगा।
इस सप्ताह सूर्य मेष राशि में, मंगल कर्क राशि में, गुरु वृष राशि में, बुध, शुक्र, शनि और राहु मीन राशि में भ्रमण करेंगे।
आईये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।
मेष राशि
इस सप्ताह आपका और आपके पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके जीवन साथी और माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी तकलीफ आ सकती है। कचहरी के कार्यों में आपको सफलता का योग है। जनता में अपने प्रतिष्ठा के प्रति आपको इस सप्ताह सतर्क रहना चाहिए अन्यथा शत्रुओं के द्वारा आपकी प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाई जाएगी। कार्यालय में आपको मदद प्राप्त हो सकती है। भाग्य से आपको कोई विशेष मदद प्राप्त नहीं होगी। आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना पड़ेगा। इस सप्ताह आपके लिए 28 अप्रैल और 3 तथा 4 मई कार्यों को करने के लिए उपयुक्त हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हर-चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।
वृष राशि
इस सप्ताह आपके जीवन साथी, माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको पेट की समस्या हो सकती है। कचहरी के कार्यों में सफलता का योग है परंतु आपको सावधानी पूर्वक कार्य करना पड़ेगा। धन आने का योग है। व्यापार उत्तम चलेगा। भाग्य से भी आपको मदद मिल सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 अप्रैल अत्यंत लाभप्रद हैं। 28 अप्रैल को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन लाल मसूर की दाल का दान करें तथा मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
मिथुन राशि
इस सप्ताह आपके पास धन प्राप्ति का अच्छा योग है। कार्यालय में आपके सम्मान में वृद्धि होगी। भाग्य से आपको कोई विशेष मदद नहीं प्राप्त होगी। आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना पड़ेगा। कचहरी के कार्यों में बड़ी सावधानी बरतें अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। छात्रों की पढ़ाई में बाधा पड़ेगी। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। इस सप्ताह आपके लिए एक दो और तीन मई कार्यों को करने के लिए सफलता दायक हैं। 29 और 30 अप्रैल को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काली उड़द का दान करें तथा शनिवार को शनि मंदिर में जाकर शनि देव का पूजन करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
कर्क राशि
इस सप्ताह आपके जीवनसाथी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपको रक्त संबंधी कोई बीमारी हो सकती है। सामान्य धन आने की उम्मीद है। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। भाग्य से आपको अच्छी मदद मिलेगी। इस सप्ताह आपका व्यापार भी ठीक चलेगा। इस सप्ताह आपके लिए 28 अप्रैल तथा 4 मई कार्यों को करने के लिए उपयुक्त हैं। एक, दो और तीन मई की दोपहर तक के समय में कोई भी कार्य करने के पहले आपको पूरी सावधानी रखना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।
सिंह राशि
इस सप्ताह भाग्य से आपको अच्छी मदद मिलेगी। कचहरी के कार्यों में आपको अत्यंत सतर्क रहना चाहिए। अगर आप प्रयास करेंगे तो आप अपने शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं। दुर्घटनाओं से बचने का पूर्ण प्रयास करें। आपका, आपके जीवनसाथी का और माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कार्यालय में आपको थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 अप्रैल किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। तीन और चार मई को आपको कोई कार्य करने के पहले बहुत ही सावधानी रखना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिवा पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।
कन्या राशि
अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह उत्तम है। विवाह के अच्छे-अच्छे प्रस्ताव आएंगे। अगर दशा और अंतर्दशा अच्छी है तो विवाह तय होने के पूरे आसार हैं। प्रेम संबंधों में भी वृद्धि होगी व्यापार में वृद्धि होगी नौकरी में कष्ट हो सकता है। भाग्य सामान्य है। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई ठीक चलेगी। इस सप्ताह आपके लिए एक दो और तीन मई कार्यों को करने के लिए लाभदायक है। 28 अप्रैल को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
तुला राशि
यह सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए उत्तम है। आपके जीवनसाथी और आपके माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको थोड़ी मानसिक परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपको अपने शत्रुओं से सतर्क रहना चाहिए। इस सप्ताह नए-नए शत्रु बन सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 28 अप्रैल 2003 और 4 मैं किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है 29 और 30 अप्रैल को आपको सावधान रहना चाहिए इस सप्ताह आपको चाहिए कि आपका दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाई सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।
वृश्चिक राशि
इस सप्ताह आपका आपके माताजी और पिताजी स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाग्य भाव में बैठकर मंगल द्वारा बनाए जा रहे नीच भंग राजयोग के कारण भाग्य से इस सप्ताह आपको अच्छी मदद मिल सकती है। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा अर्थात पिछले सप्ताह जैसा ही रहेगा। आपको अपने संतान से पंचम भाव में बैठे उच्च के शुक्र के कारण अच्छी मदद मिल सकती है। परंतु इसमें इस भाव में बैठे राहु और शनि के कारण आपके संतान को कुछ कष्ट भी हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 29 तथा 30 अप्रैल विभिन्न कार्यों को करने हेतु उपयुक्त हैं। इसके अलावा पूरे सप्ताह आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।
धनु राशि
इस सप्ताह आपका आपके जीवनसाथी का माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। अर्थात पिछले सप्ताह जैसा ही रहेगा। इस सप्ताह आप दुर्घटनाओं से साफ-साफ बच जाएंगे। जनता में आपके प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार ठीक चलेगा। कोई सामान खरीदने का योग भी बन रहा है। आपके संतान को लाभ होगा। संतान आपका सहयोग करेगी। इस सप्ताह आपके लिए एक, दो और तीन तारीख की दोपहर तक का समय कार्यों को करने हेतु अनुकूल है। इसके अलावा सप्ताह के बाकी सभी दिनों में आपको सतर्क रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
मकर राशि
इस सप्ताह आपका, और आपके माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। पिताजी और जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है। आपके जीवन साथी को रक्त संबंधी व्याधि से सतर्क रहना चाहिए। इस सप्ताह आपका अपने भाई बहनों से नरम गरम चलता रहेगा। छात्रों की पढ़ाई सामान्य चलेगी। संतान से आपको कम सहयोग प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए 28 अप्रैल तथा 3 तारीख की दोपहर से और 4 तारीख कार्यों को करने हेतु अनुकूल है। एक, दो और तीन तारीख की दोपहर तक आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
कुंभ राशि
इस सप्ताह आपका, आपके जीवनसाथी का और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके माता जी का स्वास्थ्य पिछले सप्ताह जैसा ही रहेगा। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। धन आने का योग है। परंतु यह धन बगैर परिश्रम के नहीं आएगा। अगर आप इस सप्ताह प्रयास करेंगे तो आप अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 अप्रैल किसी भी कार्य को करने के लिए फलदायक है। तीन और चार मई को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवारहै।
मीन राशि
इस सप्ताह आपके जीवन में काफी उथल-पुथल रहेगी। अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह के अच्छे-अच्छे प्रस्ताव आएंगे। प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेगा। धन आने का योग है। आपके संतान को कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। भाग्य आपका थोड़ा बहुत साथ दे सकता है। बाकी आपको सभी कार्य अपने परिश्रम से ही पूर्ण करने पड़ेंगे। इस सप्ताह आपके लिए एक, दो और तीन मई कार्यों को करने हेतु उपयुक्त हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गरीब लोगों के बीच में फल का दान करें तथा बुधवार को मंदिर में जाकर पुजारी जी को हरे वस्त्रो का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।
☆ वयाने तरुण व विचारांनी म्हातारा भारत… ☆ श्री हेमंत तांबे☆
🌹 *वयानं तरुण व विचारांनी म्हातारा भारत हे चित्र आपण बदलू शकतो 🌹
🌷 गोष्ट अशी आहे, चीनमध्ये एक कृतिशील विचारवंत लाओत्से ऐंशी वर्षांचा म्हाताराच जन्माला आला. डोक्याचे केस चक्क पिकलेले आणि चेहऱ्यावर सुरकुत्या ! हा लाओत्से म्हणजे आपल्या कडील बुध्द म्हणू शकता ! पण लाओत्सेचे विचार आजही मार्गदर्शक आहेत !! तरूण आहेत !!! त्याच्या जन्माची गोष्ट अविश्वसनीय आहे, कोणीही विश्वास ठेवणार नाही, माझाही नाही……. पण आपण प्रतिकात्मक रित्या असा विचार करू शकतो……… कारण भारतीयांची मानसिकता तपासली तर या चीनी गोष्टीवर विश्वास ठेवावा लागतो.
🌷 बहुतांश भारतीय म्हातारेच जन्माला येतात, मी वयानं म्हणत नाही, तर दृष्टीनं विचारानं आचारानं ! माणसाचं शरीर जवान मर्द असू शकतं, पण मन भूतकाळात रमुन म्हातारं झालेलं असू शकतं !
🌷 आपल्याला सर्वत्र तरुण दृष्टिस पडतील, पण तरुणाईसाठी मुलभूत गोष्टींची वानवा तुम्हाला दिसेल. मी युवक त्यालाच म्हणेन ज्याची ओढ भविष्याकडे असेल. Young is that one, who is future oriented and old is that one who is past orinted !कोणत्याही वयस्कर व्यक्तीला भेटा, तो भूतकाळातील आठवणीत रमलेला दिसेल. तो पुढे म्हणजे भविष्यात पाहणार नाही, कारण त्याला मृत्यू दिसत असतो. जवान मात्र भविष्यात पाहील, कारण त्याला मृत्युची भिती नसते, काही अदम्य करण्याची इच्छा असते ! आपण रशिया, अमेरिका किंवा इतर प्रगत राष्ट्रांतील युवक पाहा. ते अंतरिक्षात यात्रा करण्याची इच्छा ठेवतात. आकाशाला गवसणी घालण्याची इच्छा बाळगून आहेत आणि भारतीय तरुण पहा भविष्याची कोणती कल्पना, योजना, Utopia नाही….. गेल्या दहा वर्षात चित्र बदलू लागलंय मात्र तरुणांची संख्या आणि त्यांची भविष्या बाबत वास्तव स्वप्नं यांचं प्रमाण अत्यंत व्यस्त आहे ! आपण भविष्यासाठी जगतो, भविष्यासाठी स्वप्नं रंगवतो….. पण जर भविष्यासाठी स्वप्न नसेल तर भविष्य अंधकारमय आहे, निश्चित समजा !
🌷 आपण भुतकाळात फार रमतो, भुतकाळ संपन्न होता हे सांगणारी पुस्तकं वाचतो, भुतकाळातील हिरो आपले आदर्श असतात. थोडक्यात आपला इतिहास सुवर्णाक्षरांनी लिहावा इतका सुंदर होता, या आठवणीतच रममाण आपण असतो. आणि यात अयोग्य काहीच नाही……… पण त्यातील समृद्ध वारशाची चर्चाच करायची, की तो अंगिकारून पुढं जायचं ? यावर आपण गप्प असतो !
🌷 लक्षात घ्या. आपण कार चालवत आहात, कारला तीन आरसे पाठी दिसायला असतात. आता जर कार पुढं न्यायची असेल, तर तुम्ही पूर्णवेळ आरशात पाहू शकत नाही, त्यानं अपघात होईल ! भुतकाळात झालेल्या चुका पाहायच्या व त्या पुन्हा होऊ नये म्हणून बोध घेऊन पुढंच जायचं, त्या चुकांचा कोळसा उगाळत बसलात तर हात काळे होतील !….. भारताचा दोन हजार वर्षांचा इतिहास असा पाठी पाहून पुढं चालण्याचा आहे, म्हणून अपघात जास्त झाले. गेल्या दोन हजार वर्षांत आपण अनेक खड्ड्यात पडलो. यशाची उत्तुंग शिखरं आपण पादाक्रांत केली नाहीत ! गुलामी, गरिबी, हीनता, कुरुपता, दिनता, अस्वस्थता पाहिली आहे !….. आजही आपल्यातील अत्यल्प तरुण भविष्यातील उत्तुंग शिखरं चढण्याची आकांक्षा बाळगतात….. मी भुतकाळ व भविष्या बद्दल फार लिहित नाही, पण एक धारणा आपण मनाशी पक्की केली आहे……… सत्ययुग होऊन गेलंय आता कलियुग आहे, कोणतीही चांगली गोष्ट घडू शकणार नाही !…. *ही महामुर्खांची मानसिकता आहे !!*
🌷 राम, कृष्ण, नानक, महावीर, बुध्द, कबिर, छ शिवाजी, म राणा जे चांगले होते ते होऊन गेले, आता होणार नाहीत. पण लक्षात ठेवा, जोपर्यंत आपण भविष्यात चांगले महानुभाव तयार करत नाही, तोपर्यंत भुतकाळात असे महानुभाव होऊन गेले हे पटवून देणं कठीण जाईल. जोपर्यंत आपण भविष्यात नवनवीन श्रेष्ठता निर्माण करू शकत नाही, तोपर्यंत भुतकाळातील श्रेष्ठता काल्पनिकच वाटणार कारण, आपली चांगल्याच्या निर्मितीची परंपरा आपण खंडित केली !
🌷 जोपर्यंत आपण भविष्यातील कृष्ण राम तयार करत नाही, तोपर्यंत राम कृष्ण हे काल्पनिकच वाटणार….. कारण चांगला मुलगाच साक्ष देऊ शकतो, की माझा बाप चांगला होता ! जर आपण भविष्यात लाचार, दरिद्री, कंगाल, भिक्षांदेही असू तर कोणीही मान्य करणार नाही, भारतात सोन्याचा धूर निघत होता !………… आपण फक्त गुंड, बदमाश, चोर, लुटारू निर्माण केले तर छ शिवाजी, छ संभाजी, महाराणा प्रताप वगैरे विभुती इथं निर्माण झाल्या यावर कोण विश्वास ठेवील ? सद्यस्थितीतील तरुणाईनं दररोज नवनवीन प्रगतीची शिखरं काबिज केली नाहीत, तर आपण या महान विभुतींचे वारसदार आहोत, यावर कोण विश्वास ठेवील ?……. आपल्यातूनच जर बाबा आमटे, प्रकाश आमटे, विकास आमटे, अभय बंग, आंबेडकर, फुले, शाहू, धोंडो कर्वे, आगरकर, कर्मयोगी पाटील, विनोबा, स्वातंत्र्यवीर, विठ्ठल रामजी शिंदे, स्वामीनाथन, विलासराव साळुंखे वगैरे वगैरे कर्मयोगी तयार झाले, हे कशाच्या आधारावर आपण म्हणू शकतो ?
🌷 आज परिस्थिती बदलतेय, ध्येय धोरणं inclusive केली जात आहेत. विश्वगुरूची स्वप्नं आपल्याला दाखवली जाताहेत. प्रगतीचे मार्ग निष्कंटक केले जात आहेत, अशावेळी दूरदृष्टीनं भविष्याचा वेध घेऊन तरुणाईनं श्रेष्ठ ध्येयाप्रत पोचण्यासाठी सर्वस्व डावावर लावणं आवश्यक आहे ! टाचणी ते विमान निर्मितीसाठी आपण दुसऱ्यावर अवलंबून होतो….. आज परिस्थिती आमुलाग्र बदलली आहे, या बदललेल्या ecosystem चा फायदा जर तरुणांनी घेतला नाही, तर या तरुणांच्या ह्रासाला तरुणच जबाबदार आहेत, दुसरं कोणी नव्हे !
🌷 आज नाही तर उद्या संपूर्ण जग आपली खिल्ली उडवणार आहे, या जगद्गुरु विषयावरून….. जेव्हा कोणी म्हणेल मी श्रीमंत होतो, तेव्हा समजून जा तो गरीब आहे, जेव्हा कोणी म्हणेल मी ज्ञानी होतो, तेव्हा समजून जा, तो अज्ञानाच्या खाईत लोटला गेला आहे, जेव्हा कोणी म्हणेल आमची शान होती, तेव्हा समजून जायचं, ती शान आता मातीमोल झाली आहे !
🌷 भुतकाळात डोकावून पाहणं योग्य असलं, तरी भुतकाळ डोक्यात साठवणं धोकादायक आहे. कारण जगणं वर्तमानात असतं !
🌷 एका गोष्टीत आपण most productive आहोत आणि ती गोष्ट म्हणजे reproduction ! आपली लोकसंख्या आपण अमर्याद वाढवली. अमेरिकेला फक्त ४०० वर्षांचा इतिहास आहे आणि भारताला किमान १२–१५ हजार वर्षांचा इतिहास आहे. मग अमेरिका एवढी समृद्ध कशी झाली ? दुनियेतील अनेक देशांमध्ये भिकारी आहेत, पण एक पूर्ण देश भिकारी म्हणून १९७२ साली जगापुढे उभा कसा राहिला ?
🌷 मी युवा त्याला म्हणतो, जो भविष्याकडे उन्मुक्त आहे आणि वयस्कर म्हातारा म्हणजे ज्याला भुतकाळाप्रती प्रेम आहे, याला वयाचं बंधन नाही. आपण एक हजार वर्षे गुलाम होतो आणि केव्हाही परत गुलाम होऊ शकतो. म्हातारा मृत्यूला घाबरतो, तर जवान मृत्युला अंगावर घेतो. म्हातारा म्हणतो जे होतं ते माझ्या भाग्यात आहे, युवा किंवा जवान म्हणेल मी माझ्या मनगटाच्या जोरावर भाग्य लिहिन. म्हातारा म्हणतो जे होतंय ते देव करतोय, जवान म्हणेल मी जे करीन त्याला ईश्वरीय आशीर्वाद असेल. जवान संघर्ष तर म्हातारा अल्पसंतुष्ट……. ही अल्पसंतुष्टता आपण घालवली नाही, तर दुष्काळ, बेरोजगारी, महामारी, परावलंबित्व यांचीच पूजा आपण करत असतो ! यालाच म्हातारपण म्हणतात !!…… भविष्यासाठी योजना बनवा, अल्पसंतुष्टता सोडून द्या, एक निर्माणाची असंतोषकारी अभिप्सा आवश्यक आहे, एक सृजनाची आस पाहिजे…. *जेव्हा आपण दुःख, अज्ञान, रोगराई, दिनता, दरिद्रता, दास्यता संपवण्याची शपथ घेतो, तेव्हा भविष्य निर्मितीला सुरूवात होते !* एक छोटीशी गोष्ट सांगून हे प्रबोधन थांबवतो.
🌷 एकदा जपान मध्ये एका छोट्या राज्यावर एका मोठ्या शत्रूनं आक्रमण केलं. ते सैन्य हद्दीवर येऊन उभं राहिलं… या छोट्या राजाचा सेनापती तरूण, साहसी, लढवय्या होता. तो जाऊन शत्रू सैन्य पाहून आला आणि राजाला म्हणाला महाराज, आपण या शत्रूशी लढून जिंकू शकत नाही, त्यांची खूप मोठी फौज आहे, आपले शिपाई कापले जातील व परत हरणं नशिबात येईल !… राजा सेनापतीला म्हणाला, तु तर जवान आहेस आणि असा म्हाताऱ्या सारखा वागतोस ?… आणि राजा नगरातील एका साधूकडे गेला आणि सर्व परिस्थिती सांगितली. अनेक वेळा राजा त्या साधूचा सल्ला घेत असे……. साधूनं राजाला सल्ला दिला, ताबडतोब त्या सेनापतीला तुरुंगात टाक. त्याची चुक झाल्येय. सेनापती मनानं हरलाय, त्यानं हार मानली आहे. आणि ज्यानं मनानं हार मानली, त्यानं प्रत्यक्षातील हार निश्चित केली !… मी युद्धासाठी निघत आहे!… राजानं सेनापतीला तुरुंगात टाकलं, पण विचार करत होता, या साधूला तर तलवार कशी धरायची हे सुध्दा माहीत नाही आणि हा युध्द कसं करणार ?
🌷 साधूनं तलवार घेतली व सर्व सैनिकांना आदेश देऊन युध्दावर निघाला. सैनिक साशंक होते. वाटेत एक देऊळ होतं. तिथं थांबून तो साधू सैनिकांना म्हणाला, मी देवाला विचारून येतो, युद्ध जिंकणार की नाही ?…. सैनिक म्हणतात, साधू महाराज, आपल्याला देवाची भाषा तर येत नाही….. साधू म्हणतो, मी हे नाणं देवाच्या पायावर ठेऊन वर उडवणार आहे. जर आपल्या राजाचा छाप वर आला, तर आपण युद्ध जिंकणार !…… आणि त्यानं तसं केलं. छाप वर आला…… साधूनं सांगितलं, आपण प्राणपणानं लढलो तर युद्ध जिंकणार आहोत, देवानं कौल दिला आहे !! आता आपण हरायचं असं ठरवलं तरी हरू शकत नाही, चला युद्ध सुरू करा, विजय आपलाच होणार आहे !!!
🌷 युध्द झालं. साधूची सेना प्राणपणानं लढली आणि जिंकली.
युध्दावरून परत येताना वाटेत ते देऊळ लागलं. साधू आपला नगराकडे निघालाय, सैनिक म्हणतात साधू महाराज, देवाचे आभार मानून पुढं जाऊया…….. साधू सांगतो, त्याची काहीच आवश्यकता नाही. नाण्याच्या दोन्ही बाजूला आपल्या राजाचाच शिक्का आहे !
🌷 ते सैनिक जिंकले होते, कारण विचार अंततः वस्तूत रुपांतरीत होतात. विचार घटना बनून जातात.
Sir Arthur Eddington – (Philosopher of science) says, “Things are thoughts and thoughts are things!“
🌷 मी भारतीय मनाला युवा, तरूण, रसरशीत, उत्फुल्ल, कृतिशील पाहू इच्छितो. कारण आपण दोन हजार वर्षे म्हाताऱ्या सारखा विचार केला. हे भारतीय जनमानसातील म्हातारपण घालवलं पाहिजे ! विचार वय विसरायला लावतात, चांगला विचार करा, आचार सुधारेल, काम तयार आहे, आपल्या काम करणाऱ्या हातांची आवश्यकता आहे !