English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media# 3 ☆ गुमनाम साहित्यकारों की कालजयी रचनाओं का भावानुवाद ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

(हम कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी द्वारा ई-अभिव्यक्ति के साथ उनकी साहित्यिक और कला कृतियों को साझा करने के लिए उनके बेहद आभारी हैं। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र कैप्टन प्रवीण जी ने विभिन्न मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा की है। वर्तमान में सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं साथ ही विभिन्न राष्ट्र स्तरीय परियोजनाओं में शामिल हैं।

स्मरणीय हो कि विगत 9-11 जनवरी  2020 को  आयोजित अंतरराष्ट्रीय  हिंदी सम्मलेन,नई दिल्ली  में  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी  को  “भाषा और अनुवाद पर केंद्रित सत्र “की अध्यक्षता  का अवसर भी प्राप्त हुआ। यह सम्मलेन इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, दक्षिण एशियाई भाषा कार्यक्रम तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय, हिंदी उर्दू भाषा के कार्यक्रम के सहयोग से आयोजित  किया गया था। इस  सम्बन्ध में आप विस्तार से निम्न लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं :

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

 ☆ Anonymous Litterateur of Social  Media # 3/ सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 3☆ 

आज सोशल मीडिया गुमनाम साहित्यकारों के अतिसुन्दर साहित्य से भरा हुआ है। प्रतिदिन हमें अपने व्हाट्सप्प / फेसबुक / ट्विटर / यूअर कोट्स / इंस्टाग्राम आदि पर हमारे मित्र न जाने कितने गुमनाम साहित्यकारों के साहित्य की विभिन्न विधाओं की ख़ूबसूरत रचनाएँ साझा करते हैं। कई  रचनाओं के साथ मूल साहित्यकार का नाम होता है और अक्सर अधिकतर रचनाओं के साथ में उनके मूल साहित्यकार का नाम ही नहीं होता। कुछ साहित्यकार ऐसी रचनाओं को अपने नाम से प्रकाशित करते हैं जो कि उन साहित्यकारों के श्रम एवं कार्य के साथ अन्याय है। हम ऐसे साहित्यकारों  के श्रम एवं कार्य का सम्मान करते हैं और उनके कार्य को उनका नाम देना चाहते हैं।

सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार तथा हिंदी, संस्कृत, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओँ में प्रवीण  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने  ऐसे अनाम साहित्यकारों की  असंख्य रचनाओं  का अंग्रेजी भावानुवाद  किया है।  इन्हें हम अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने पाठकों एवं उन अनाम साहित्यकारों से अनुरोध किया है कि कृपया सामने आएं और ऐसे अनाम रचनाकारों की रचनाओं को उनका अपना नाम दें। 

कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने भगीरथ परिश्रम किया है और इसके लिए उन्हें साधुवाद। वे इस अनुष्ठान का श्रेय  वे अपने फौजी मित्रों को दे रहे हैं।  जहाँ नौसेना मैडल से सम्मानित कैप्टन प्रवीण रघुवंशी सूत्रधार हैं, वहीं कर्नल हर्ष वर्धन शर्मा, कर्नल अखिल साह, कर्नल दिलीप शर्मा और कर्नल जयंत खड़लीकर के योगदान से यह अनुष्ठान अंकुरित व पल्लवित हो रहा है। ये सभी हमारे देश के तीनों सेनाध्यक्षों के कोर्स मेट हैं। जो ना सिर्फ देश के प्रति समर्पित हैं अपितु स्वयं में उच्च कोटि के लेखक व कवि भी हैं। वे स्वान्तः सुखाय लेखन तो करते ही हैं और साथ में रचनायें भी साझा करते हैं।

☆ गुमनाम साहित्यकार की कालजयी  रचनाओं का अंग्रेजी भावानुवाद ☆

(अनाम साहित्यकारों  के शेर / शायरियां / मुक्तकों का अंग्रेजी भावानुवाद)

ज़रा सी कैद से ही

   घुटन होने  लगी…

    तुम तो पंछी पालने

      के  बड़े  शौक़ीन थे…

 

  Just a little bit of confinement

   Made you feel so suffocated

    But keeping the birds caged

      You were so very fond of…!

§

  लगता था जिन्दगी को

  बदलने में वक्त लगेगा

    पर क्या पता था बदला

      वक्त जिन्दगी बदल देगा…!

 

  Always felt, it would take

 Time  to  change  the life…

  Never knew that changed

   time would change the life…!

§

  हालात तो कह रहे हैं

 मुलाकात नहीं मुमकिन

   पर उम्मीद कह रही है

    थोड़ा  इंतजार  कर…

 

  Circumstances are saying

    It’s not possible to meet

     But the expectation  says

       Just  wait  for a  while..!

§

अब तो तन्हाई भी

  मुझसे है कहने लगी

    मुझसे ही कर लो मोहब्बत

      मैं  तो  बेवफा नहीं…

 

  Now,  even loneliness

   has also started saying 

    Please fall in love with me

      At least I am not unfaithful…

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM




Weekly column ☆ Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 33 – Loneliness ☆ Ms. Neelam Saxena Chandra

Ms Neelam Saxena Chandra

(Ms. Neelam Saxena Chandra ji is a well-known author. She has been honoured with many international/national/ regional level awards. We are extremely thankful to Ms. Neelam ji for permitting us to share her excellent poems with our readers. We will be sharing her poems on every Thursday. Ms. Neelam Saxena Chandra ji is  an Additional Divisional Railway Manager, Indian Railways, Pune Division. Her beloved genre is poetry. Today we present her poem “Loneliness.  This poem  is from her book “The Frozen Evenings”.)

☆ Weekly column  Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 33

☆ Loneliness ☆

 

Have your friends forsaken you?

Have your dear ones

Left you and are gone

Far far away

As overripe memories of yesterday?

Do your eyes trickle down

The pain through their tears?

Do the fond remembrances

Make your knees go weak?

Are you lonely

My dear friend?

 

You are in despairing desire

Of yourself;

Please go

And shake hands with you,

A hug might help too!

 

© Ms. Neelam Saxena Chandra

(All rights reserved. No part of this document may be reproduced or transmitted in any form or by any means, or stored in any retrieval system of any nature without prior written permission of the author.)




English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media# 2 ☆ गुमनाम साहित्यकारों की कालजयी रचनाओं का भावानुवाद ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

(हम कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी द्वारा ई-अभिव्यक्ति के साथ उनकी साहित्यिक और कला कृतियों को साझा करने के लिए उनके बेहद आभारी हैं। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र कैप्टन प्रवीण जी ने विभिन्न मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा की है। वर्तमान में सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं साथ ही विभिन्न राष्ट्र स्तरीय परियोजनाओं में शामिल हैं।

स्मरणीय हो कि विगत 9-11 जनवरी  2020 को  आयोजित अंतरराष्ट्रीय  हिंदी सम्मलेन,नई दिल्ली  में  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी  को  “भाषा और अनुवाद पर केंद्रित सत्र “की अध्यक्षता  का अवसर भी प्राप्त हुआ। यह सम्मलेन इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, दक्षिण एशियाई भाषा कार्यक्रम तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय, हिंदी उर्दू भाषा के कार्यक्रम के सहयोग से आयोजित  किया गया था। इस  सम्बन्ध में आप विस्तार से निम्न लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं :

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

 ☆ Anonymous Litterateur of Social  Media # 2/ सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 2☆ 

आज सोशल मीडिया गुमनाम साहित्यकारों के अतिसुन्दर साहित्य से भरा हुआ है। प्रतिदिन हमें अपने व्हाट्सप्प / फेसबुक / ट्विटर / यूअर कोट्स / इंस्टाग्राम आदि पर हमारे मित्र न जाने कितने गुमनाम साहित्यकारों के साहित्य की विभिन्न विधाओं की ख़ूबसूरत रचनाएँ साझा करते हैं। कई  रचनाओं के साथ मूल साहित्यकार का नाम होता है और अक्सर अधिकतर रचनाओं के साथ में उनके मूल साहित्यकार का नाम ही नहीं होता। कुछ साहित्यकार ऐसी रचनाओं को अपने नाम से प्रकाशित करते हैं जो कि उन साहित्यकारों के श्रम एवं कार्य के साथ अन्याय है। हम ऐसे साहित्यकारों  के श्रम एवं कार्य का सम्मान करते हैं और उनके कार्य को उनका नाम देना चाहते हैं।

सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार तथा हिंदी, संस्कृत, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओँ में प्रवीण  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने  ऐसे अनाम साहित्यकारों की  असंख्य रचनाओं  का अंग्रेजी भावानुवाद  किया है।  इन्हें हम अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने पाठकों एवं उन अनाम साहित्यकारों से अनुरोध किया है कि कृपया सामने आएं और ऐसे अनाम रचनाकारों की रचनाओं को उनका अपना नाम दें। 

कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने भगीरथ परिश्रम किया है और इसके लिए उन्हें साधुवाद। वे इस अनुष्ठान का श्रेय  वे अपने फौजी मित्रों को दे रहे हैं।  जहाँ नौसेना मैडल से सम्मानित कैप्टन प्रवीण रघुवंशी सूत्रधार हैं, वहीं कर्नल हर्ष वर्धन शर्मा, कर्नल अखिल साह, कर्नल दिलीप शर्मा और कर्नल जयंत खड़लीकर के योगदान से यह अनुष्ठान अंकुरित व पल्लवित हो रहा है। ये सभी हमारे देश के तीनों सेनाध्यक्षों के कोर्स मेट हैं। जो ना सिर्फ देश के प्रति समर्पित हैं अपितु स्वयं में उच्च कोटि के लेखक व कवि भी हैं। वे स्वान्तः सुखाय लेखन तो करते ही हैं और साथ में रचनायें भी साझा करते हैं।

☆ गुमनाम साहित्यकार की कालजयी  रचनाओं का अंग्रेजी भावानुवाद ☆

(अनाम साहित्यकारों  के शेर / शायरियां / मुक्तकों का अंग्रेजी भावानुवाद)

ज़रा सी कैद से ही

घुटन होने  लगी…

तुम तो पंछी पालने

के  बड़े  शौक़ीन थे…

 

Just a little bit of confinement

Made you feel so suffocated

 But keeping the birds caged

 You were so very fond of…!

§

अधूरी कहानी पर ख़ामोश

लबों का पहरा है

चोट रूह की है इसलिए

दर्द ज़रा गहरा है….

 

 Silent lips are the sentinels

 Of  the  unfulfilled fairytale…

 Wound is of the spirited soul

 So the pain is rather intense….

§

हंसते हुए चेहरों को गमों से

आजाद ना समझो साहिब

मुस्कुराहट की पनाहों में भी

हजारों  दर्द  छुपे होते  हैं…

 

O’ Dear, Don’t even consider that

Laughing faces are free of sorrow

Innumerable  pains are  hidden

Even behind the walls of a smile…

§

चुपचाप चल रहे थे

ज़िन्दगी के सफर में

तुम पर नज़र क्या पड़ी

बस  गुमराह  हो  गए…

 

  Was walking peacefully

  In  the  journey of the life

  Just casting a glance on you

  Made my journey go astray…

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM




Weekly column ☆ Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 32 – Kindness ☆ Ms. Neelam Saxena Chandra

Ms Neelam Saxena Chandra

(Ms. Neelam Saxena Chandra ji is a well-known author. She has been honoured with many international/national/ regional level awards. We are extremely thankful to Ms. Neelam ji for permitting us to share her excellent poems with our readers. We will be sharing her poems on every Thursday. Ms. Neelam Saxena Chandra ji is  an Additional Divisional Railway Manager, Indian Railways, Pune Division. Her beloved genre is poetry. Today we present her poem “Kindness .  This poem  is from her book “The Frozen Evenings”.)

☆ Weekly column  Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 32

☆ Kindness ☆

Kindness is an art

You were born with,

It was tattooed all over

On your nascent body;

After all, you were a child of grief!

 

There was so much

Heartlessness around,

That you kept rinsing

Your body with cheesy dips

Of kindness!

 

You will die

On the pyre of kindness,

Life has after all

Treated you with so much of callousness

That it needs to be balanced!

 

© Ms. Neelam Saxena Chandra

(All rights reserved. No part of this document may be reproduced or transmitted in any form or by any means, or stored in any retrieval system of any nature without prior written permission of the author.)




English Literature – Poetry ☆ Let’s light a lamp… ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

(We are extremely thankful to Captain Pravin Raghuvanshi Ji for sharing his literary and artworks with e-abhivyakti.  An alumnus of IIM Ahmedabad, Capt. Pravin has served the country at national as well international level in various fronts. Presently, working as Senior Advisor, C-DAC in Artificial Intelligence and HPC Group; and involved in various national-level projects.

We present an English Version of Shri Sanjay Bhardwaj’s Hindi Poetry  “जलाएँ एक दीप  ” published previously as  ☆ संजय दृष्टि – जलाएँ एक दीप  ☆  We extend our heartiest thanks to the learned author  Captain Pravin Raghuvanshi Ji (who is very well conversant with Hindi, Sanskrit,  English and Urdu languages) for this beautiful translation.)

☆ Let’s light a lamp… ☆

Let’s light a lamp

at the door,

that is guarded by

the superstition…!

 

Let’s light a lamp

in front of the street

where hunger came

and stayed on…!

 

Let’s light a lamp

on the platform

where resides

the Indianness…!

 

Let’s light one lamp

at the rampart

where flutters the

tricolor of mine…!

 

Let’s light a lamp to

mitigate the disaster,

And one, at the tempest

of transformation…!

 

Let’s light a lamp at the

grave of  martyrs, and

reverberate the world

with deafening salutations…!

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM




English Literature – Poetry ☆ Life ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

(We are extremely thankful to Captain Pravin Raghuvanshi Ji for sharing his literary and artworks with e-abhivyakti.  An alumnus of IIM Ahmedabad, Capt. Pravin has served the country at national as well international level in various fronts. Presently, working as Senior Advisor, C-DAC in Artificial Intelligence and HPC Group; and involved in various national-level projects.

We present an English Version of Shri Sanjay Bhardwaj’s Hindi Poetry  “जीवन ”  published previously as ☆ संजय  दृष्टि – “जीवन ”     We extend our heartiest thanks to the learned author  Captain Pravin Raghuvanshi Ji (who is very well conversant with Hindi, Sanskrit,  English and Urdu languages) for this beautiful translation.)

☆ Life ☆

Dreams live

for centuries

Keeping few moments

for self,

A rare balance of

Micro and macro,

Constant union of

Mortal and God,

Life, in the face of

apprehensions, is the

Congregation of possibilities!

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM




Weekly column ☆ Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 31 – Helplessness ☆ Ms. Neelam Saxena Chandra

Ms Neelam Saxena Chandra

(Ms. Neelam Saxena Chandra ji is a well-known author. She has been honoured with many international/national/ regional level awards. We are extremely thankful to Ms. Neelam ji for permitting us to share her excellent poems with our readers. We will be sharing her poems on every Thursday. Ms. Neelam Saxena Chandra ji is  an Additional Divisional Railway Manager, Indian Railways, Pune Division. Her beloved genre is poetry. Today we present her poem Helplessness.  This poem  is from her book “The Frozen Evenings”.)

☆ Weekly column  Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 31

☆ Helplessness ☆

There are those edgy instants

When you become a heated oven

And tiny grains of excruciating anger puff up,

They hit the grey steel walls

Of the ventricles of your heart

With high velocity,

Making you lose your steadiness.

 

Before those tender grains

Flare up like pale yellow popcorns,

It’s better to freeze them

In the refrigerator of time.

 

After some point,

When you take out those icy grains,

You expect them to cool your being…

 

Unfortunately,

They blue-pencil the white ribs

Surrounding the heart

With a razor like sharpness!

 

© Ms. Neelam Saxena Chandra

(All rights reserved. No part of this document may be reproduced or transmitted in any form or by any means, or stored in any retrieval system of any nature without prior written permission of the author.)




English Literature – Poetry ☆ Inexhaustible ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

(We are extremely thankful to Captain Pravin Raghuvanshi Ji for sharing his literary and artworks with e-abhivyakti.  An alumnus of IIM Ahmedabad, Capt. Pravin has served the country at national as well international level in various fronts. Presently, working as Senior Advisor, C-DAC in Artificial Intelligence and HPC Group; and involved in various national-level projects.

We present an English Version of Shri Sanjay Bhardwaj’s Hindi Poetry  “अक्षय ”  published previously as ☆ संजय  दृष्टि – अक्षय   We extend our heartiest thanks to the learned author  Captain Pravin Raghuvanshi Ji (who is very well conversant with Hindi, Sanskrit,  English and Urdu languages) for this beautiful translation.)

☆ Inexhaustible ☆

Incessant flow colliding

with the stones,

engraves the

manuscripts of centuries

on bosom of the mountains…

Changing times and

memoirs of the seasons,

etched lastingly

on the chest of rocks…

Complimentarily,

fossils encompass the

entire encyclopedia

of the evolution…

And, you say

words are not found

to write…!

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM




English Literature ☆ Weekly Column – Abhivyakti # 12 ☆ The Market of Life! ☆ Hemant Bawankar

Hemant Bawankar

(All of the literature written by me was for self satisfaction. Now I started sharing them with you all. Every person has two characters. One is visible and another is invisible. This poem shows us mirror.  Today, I present my poem ‘The Market of Life! ’. This poem has been cited from my book “The Variegated Life of Emotional Hearts”.))

My introduction is available on following links.

☆ Weekly Column – Abhivyakti # 12 

☆ The Market of Life! ☆

The world

is a market of life!

 

New lives

born to sell.

Old lives

destroyed and thrown

away

from the throne.

 

None knows

the mentality of ones.

 

Some say

old is gold

some say

new to sold.

 

Requirement of new

was too much

so they purchased me

fully

when I was new.

 

Now,

I am feeling

I have nothing of mine.

Body and soul;

thoughts and mind;

pulse and heart;

each and everything

is of customer

My Master!

My Lord!

My God!

and… his highness!

 

I’m sold

thus

I’m soldier

… of LIFE!

 

© Hemant Bawankar, Pune

26th August 1977




English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media#1 ☆ बस रहो सिर्फ अपने घर में.. ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

(हम कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी द्वारा ई-अभिव्यक्ति के साथ उनकी साहित्यिक और कला कृतियों को साझा करने के लिए उनके बेहद आभारी हैं। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र कैप्टन प्रवीण जी ने विभिन्न मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा की है। वर्तमान में सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं साथ ही विभिन्न राष्ट्र स्तरीय परियोजनाओं में शामिल हैं।)

 ☆ Anonymous litterateur of social media / सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार ☆ 

आज सोशल मीडिया गुमनाम साहित्यकारों के अतिसुन्दर साहित्य से भरा हुआ है। प्रतिदिन हमें अपने व्हाट्सप्प / फेसबुक / ट्विटर / योर कोट्स / इंस्टाग्राम आदि पर हमारे मित्र न जाने कितने गुमनाम साहित्यकारों के साहित्य की विभिन्न विधाओं की ख़ूबसूरत रचनाएँ साझा करते हैं। कई  रचनाओं के साथ मूल साहित्यकार का नाम होता है और अक्सर अधिकतर रचनाओं के साथ में उनके मूल साहित्यकार का नाम ही नहीं होता। कुछ साहित्यकार ऐसी रचनाओं को अपने नाम से प्रकाशित करते हैं जो कि उन साहित्यकारों के श्रम एवं कार्य के साथ अन्याय है। हम ऐसे साहित्यकारों  के श्रम एवं कार्य का सम्मान करते हैं और उनके कार्य को उनका नाम देना चाहते हैं।

सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार तथा हिंदी, संस्कृत, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओँ में प्रवीण  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने  ऐसे अनाम साहित्यकारों की  असंख्य रचनाओं  का अंग्रेजी भावानुवाद  किया है।  इन्हें हम अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने पाठकों एवं उन अनाम साहित्यकारों से अनुरोध किया है कि कृपया सामने आएं और ऐसे अनाम रचनाकारों की रचनाओं को उनका अपना नाम दें। 

कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने भगीरथ परिश्रम किया है। वे इस अनुष्ठान का श्रेय अपने फौजी मित्रों को दे रहे हैं।  जहाँ नौसेना कप्तान प्रवीण रघुवंशी सूत्रधार हैं, वहीं कर्नल हर्ष वर्धन शर्मा, कर्नल अखिल साह, कर्नल दिलीप शर्मा और कर्नल जयंत खड़लीकर के योगदान से यह अनुष्ठान अंकुरित व पल्लवित हो रहा है। ये सभी हमारे देश के तीनों सेनाध्यक्षों के कोर्स मेट हैं। जो ना सिर्फ देश के प्रति समर्पित हैं अपितु स्वयं में उच्च कोटि के लेखक व कवि भी हैं। जो स्वान्तः सुखाय लेखन तो करते ही हैं और साथ में रचनायें भी साझा करते हैं।

इस सद्कार्य  के लिए कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी साधुवाद के पात्र हैं । 

इस कड़ी में आज प्रस्तुत है उनके द्वारा एक अनाम साहित्यकार की एक समसामयिक रचना  बस रहो सिर्फ अपने घर में..का अंग्रेजी भावानुवाद

☆ गुमनाम साहित्यकार की कालजयी रचना  – बस रहो सिर्फ अपने घर में..☆

 

तूफ़ां के से  हालात  हैं

 ना किसी सफर में रहो.

  पंछियों से है गुज़ारिश

   रहो सिर्फ अपने शज़र में

 

ईद का चाँद बन, बस रहो

 अपने ही घरवालों के संग,

  ये उनकी खुशकिस्मती है

   कि बस हो उनकी नज़र में…

 

माना बंजारों की तरह

 घूमते ही रहे डगर-डगर…

  वक़्त का तक़ाज़ा है अब

   रहो सिर्फ अपने ही शहर में …

 

तुमने कितनी खाक़ छानी

 हर  गली  हर  चौबारे  की,

  थोड़े  दिन की  तो बात है

   बस रहो सिर्फ अपने घर में..

 

☆  English Version  of  Classical Poem of  Anonymous litterateur of social media☆ 

☆  Keep staying in your house… by Captain Pravin  Raghuwanshi 

 

There’re stormy conditions

  Don’t set sail for any voyage

   Pleading with the avian-world

    To keep nestled in their trees

 

Even in once in blue moon,

  Don’t step out, be with family

   It’s a blissful fortune only

    That you’re before their eyes

 

Agreed, like gypsies you’ve

  Been wandering endlessly

   It’s the need of hour that

    You stay in your own town…

 

Much did you wander around

  Every nook and every corner,

   It’s a matter of few days only

    Keep staying in your house…

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM