Laughter and meditation are not opposites. Laughter opens a beautiful door to transcendence. Laughter meditation is one of the most intense and beautiful experiences that you can ever have.
A glimpse of our flagship program. ‘The Wheel of Happiness and Well-being’ is an activity based, multi dimensional, complete program on the HOW of happiness.
ध्यान कैसे करें? यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है. इस विडियो में ध्यान करने हेतु निर्देश दिए गये हैं जिन्हें सुनते हुए आप ध्यान कर सकते हैं. चार विडियो की श्रंखला में यह दूसरा विडियो है. इन वीडियोज़ के माध्यम से आप ध्यान की शुद्ध विधि क्रमशः सीख सकते हैं.
ध्यान कैसे करें? यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है. इस विडियो में ध्यान करने हेतु निर्देश दिए गये हैं जिन्हें सुनते हुए आप ध्यान कर सकते हैं. चार विडियो की श्रंखला में यह पहला विडियो है. इन वीडियोज़ के माध्यम से आप ध्यान की शुद्ध विधि क्रमशः सीख सकते हैं.
( अर्जुन की कायरता के विषय में श्री कृष्णार्जुन-संवाद )
(सांख्ययोग का विषय)
देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा ।
तथा देहान्तर प्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति ।।13।।
बचपन,यौवन,वृद्धपन ज्यों शरीर का धर्म
वैसे ही इस आत्मा का है हर युग का कर्म।।13।।
भावार्थ : जैसे जीवात्मा की इस देह में बालकपन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीर की प्राप्ति होती है, उस विषय में धीर पुरुष मोहित नहीं होता ।।13।।
Just as in this body the embodied (soul) passes into childhood, youth and old age, so also does he pass into another body; the firm man does not grieve thereat. ।।13।।
(हम प्रतिदिन इस ग्रंथ से एक मूल श्लोक के साथ श्लोक का हिन्दी अनुवाद जो कृति का मूल है के साथ ही गद्य में अर्थ व अंग्रेजी भाष्य भी प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे।)
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गुरूजन वध के बाद क्या, रूधिर सिक्त साम्राज्य ?।।5।।
भावार्थ : इसलिए इन महानुभाव गुरुजनों को न मारकर मैं इस लोक में भिक्षा का अन्न भी खाना कल्याणकारक समझता हूँ क्योंकि गुरुजनों को मारकर भी इस लोक में रुधिर से सने हुए अर्थ और कामरूप भोगों को ही तो भोगूँगा॥5॥
Better it is, indeed, in this world to accept alms than to slay the noblest teachers. But if I kill them, even in this world all my enjoyments of wealth and desires will be stained with (their) blood. ।।5।।
(हम प्रतिदिन इस ग्रंथ से एक मूल श्लोक के साथ श्लोक का हिन्दी अनुवाद जो कृति का मूल है के साथ ही गद्य में अर्थ व अंग्रेजी भाष्य भी प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे।)