हिन्दी साहित्य- कविता / दोहे ☆ आचार्य सत्य नारायण गोयनका जी के दोहे #18 ☆ प्रस्तुति – श्री जगत सिंह बिष्ट
आचार्य सत्य नारायण गोयनका
(हम इस आलेख के लिए श्री जगत सिंह बिष्ट जी, योगाचार्य एवं प्रेरक वक्ता योग साधना / LifeSkills इंदौर के ह्रदय से आभारी हैं, जिन्होंने हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए ध्यान विधि विपश्यना के महान साधक – आचार्य सत्य नारायण गोयनका जी के महान कार्यों से अवगत करने में सहायता की है। आप आचार्य सत्य नारायण गोयनका जी के कार्यों के बारे में निम्न लिंक पर सविस्तार पढ़ सकते हैं।)
आलेख का लिंक ->>>>>> ध्यान विधि विपश्यना के महान साधक – आचार्य सत्य नारायण गोयनका जी
Shri Jagat Singh Bisht
(Master Teacher: Happiness & Well-Being, Laughter Yoga Master Trainer, Author, Blogger, Educator, and Speaker.)
☆ कविता / दोहे ☆ आचार्य सत्य नारायण गोयनका जी के दोहे #18 ☆ प्रस्तुति – श्री जगत सिंह बिष्ट ☆
(हम प्रतिदिन आचार्य सत्य नारायण गोयनका जी के एक दोहे को अपने प्रबुद्ध पाठकों के साथ साझा करने का प्रयास करेंगे, ताकि आप उस दोहे के गूढ़ अर्थ को गंभीरता पूर्वक आत्मसात कर सकें। )
बाहर भीतर एक रस, सरल स्वच्छ व्यवहार ।
कथनी-करनी एक सी, यही धर्म का सार ।।
– आचार्य सत्यनारायण गोयनका
साभार प्रस्तुति – श्री जगत सिंह बिष्ट
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Master Teacher: Happiness & Well-Being; Laughter Yoga Master Trainer
Past: Corporate Trainer with a Fortune 500 company & Laughter Professor at the Laughter Yoga University.
Areas of specialization: Behavioural Science, Positive Psychology, Meditation, Five Tibetans, Yoga Nidra, Spirituality, and Laughter Yoga.
Radhika Bisht ; Founder : LifeSkills
Yoga Teacher; Laughter Yoga Master Trainer