ई-अभिव्यक्ति – संवाद ☆ 30 सप्टेंबर – संपादकीय  -जागतिक अनुवाद दिन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

 ☆ 30 सप्टेंबर- संपादकीय ☆  

?संपादकीय  -जागतिक अनुवाद दिन?

आजचा दिवस “ जागतिक अनुवाद दिन “ म्हणून गौरवला जातो. “ अनुवाद “ हा एक “साहित्यप्रकार“ म्हणून रुजवून, त्याला जागतिक साहित्यविश्वात मानाचे असे अढळपद मिळवून देणाऱ्या आणि त्या स्थानाला सातत्याने गौरव प्राप्त करून देणाऱ्या सर्व अनुवादकांना ई – अभिव्यक्ती साहित्यमंचातर्फे आदरपूर्वक प्रणाम आणि हार्दिक शुभेच्छा

 

उज्ज्वला केळकर

संपादक मंडळ ( मराठी विभाग )

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

 

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ई-अभिव्यक्ति – संवाद ☆ 27 सप्टेंबर – संपादकीय ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

 ☆ 27 सप्टेंबर- संपादकीय ☆  

? स्व कविता महाजन ?

(5 सितंबर 1967 – 27 सितंबर 2018) 

आज स्व कविता महाजन यांचाही स्मृतिदिन. त्यांचा जन्म ५ सप्टेंबर१९६७ला नांदेड इथे झाला. त्यांची लेखणी कविता, कथा, कादंबरी, लेख, बालसाहित्य, अनुवाद – लेखन आणि

संपादन अशा विविध क्षेत्रात फिरली. लेख – ग्रॅफिटी वॉल, कविता  – धुळीचा आवाज, कादंबरी ठकी आणि मर्यादित पुरुषोत्तम, बालकथा जोहानाचे रंग, वारली लोकगीतांचा संग्रह इ. पुस्तके प्रसिद्ध आहेत. एक सवेदनाशील आणि व्यवस्थेविरुद्ध लढणारी लेखिका म्हणून त्यांचा लौकिक आहे. त्यांच्या ब्र, भिन्न, कुहू या कादंबर्‍या खूप गाजल्या. ‘ब्र’चा हिन्दी, ‘भिन्न,’ चा कानडी ‘कुहू’ चा इंग्रजी मधे अनुवाद झाला. ‘रजई’या इस्मत चुगताई च्या कथासग्रहाच्या अनुवादाला साहित्य अ‍ॅकॅडमीचा पुरस्कार मिळाला, त्याचप्रमाणे त्यांच्या साहित्याला न.ची. केळकर, काकासाहेब गाडगीळ, ना. ह.आपटे, यशवंतराव चव्हाण इ. अनेक पुरस्कारही मिळाले.

      प्रस्तुती  उज्ज्वला केळकर

ई-अभिव्यक्ती संपादक मंडळ करता  

चित्र साभार – कविता महाजन – विकिपीडिया (wikipedia.org)

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

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ई-अभिव्यक्ति – संवाद ☆ 25 सप्टेंबर – संपादकीय ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

 ☆ 25 सप्टेंबर- संपादकीय ☆  

? स्व बाळकृष्ण हरी  कोल्हटकर  ?

25 सप्टेंबर – मराठीतील सुप्रसिद्ध नाटककार बाळ कोल्हटकर (बाळकृष्ण हरी  कोल्हटकर) यांचा आज जन्मदिन (जन्मदिनांक 25 सप्टेंबर 1926).  ते उत्तम नाटककार होते. दिग्दर्शक, अभिनेते होते आणि उत्तम कवीही होते. अनेक नाटकात त्यांची स्वत:ची पदे आहेत. त्यांची नाटके कौटुंबिक आणि भावनाप्रधान आहेत. 

वाहतो ही दुर्वांची जुडी, दुरितांचे तिमिर जावो, देव दीनाघरी धावला, वेगळं व्हायचय मला इ.त्यांची गाजलेली नाटके. त्यांनी 30 हून अधिक नाटके लिहिली.

त्यांच्या  दुरितांचे तिमिर जावो या अतिशय प्रसिद्ध नाटकामधील एक गीत—-

तू जपून टाक पाऊल जरा

जीवन सुख-दु:खाची जाळी

त्यास लटकले मानव कोळी

एकाने दुसर्‍यास गिळावे

हाच जगाचा न्याय खरा

हीच जगाची परंपरा 

तू जपून टाक पाऊल जरा–

जीवनातल्या मुशाफिरा ।।

 

पापपुण्य जे करशील जगती 

चित्रगुप्त मागेल पावती

पापाइतुके माप ओतुनी 

जे केले ते तसे भरा. ।।

 

निरोप जेव्हा येईल वरचा

तेव्हा होशील सर्वांघरचा  

तोवर तू या रिपू जगाचा

चुकवून मुख दे तोंड जरा।।

 

दानव जगती मानव झाला 

देवाचाही दगड बनविला 

कोण कोठला  तू तर पामर

चुकून तुझा करतील चुरा ।।

 

तू जपून टाक पाऊल जरा —–

 

प्रस्तुती – उज्ज्वला केळकर, सम्पादिका  – ई – अभिव्यक्ती (मराठी)

चित्र साभार – कोल्हटकर, बाळ (बाळकृष्ण हरी) – profiles (marathisrushti.com)

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ मनोगत – यह ई-अभिव्यक्ति परिवार……☆ श्री सूरज कुमार सिंह

श्री सूरज कुमार सिंह 

ई-अभिव्यक्ति संवाद में प्रतिभाशाली युवा लेखक श्री सूरज कुमार सिंह जी से प्राप्त उनकी मनोभावनाओं को काव्य स्वरुप में पाकर आज मैं निःशब्द हूँ। इस अपार स्नेह  को पाकर मैं अत्यंत भावुक हो गया हूँ, मेरे नेत्र नम हैं और उनके उद्गारों को उसी स्वरुप में आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। आप सब का स्नेह ही मेरी अमूल्य पूँजी है जो मुझे कठिन समय में भी पुनः उठ कर चलने के लिए प्रेरित करती है। मैं अत्यंत भाग्यशाली हूँ  कि मुझे ई-अभिव्यक्ति के सम्माननीय वरिष्ठ सदस्यों का आशीर्वाद एवं  सभी सदस्यों का स्नेह प्राप्त हो रहा है। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आप सब का स्नेह ऐसे ही मिलता रहे एवं माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे। 

? ई-अभिव्यक्ति परिवार के सभी सदस्यों का ह्रदय से आभार?   

 – हेमन्त बावनकर  

 ? मनोगत – यह ई-अभिव्यक्ति परिवार…… ?

ऐसे हैं हमारे हेमंत सर

साहित्य ही जीवन है जिनका

जिनके लेखन मे करुणा अपार है

शब्द मात्र पर्याप्त नही

इन सज्जन की अभिव्यक्ति को

मेरा नमन इन्हे बारंबार है

 

प्रिय हेमंत सर हमारे

तीक्ष्ण धूप मे हैं छाँव जैसे

इसी छाँव तले

हमारी कल्पनाएं यूँ ही पले

 

सपने न बस देखे

पर किए उन्हे साकार

इस प्रकार खड़ा हुआ

यह ई-अभिव्यक्ति परिवार

 

जीवन रहा है चुनौतियों से भरपूर

हर चुनौती को सहज स्वीकारा है

यूँ ही नही बने आदर्श हमारे

इनके संकल्प से तो

मुश्किल से मुश्किल दौर भी हारा है

 

है यह एक परिवार बड़ा

इसके मुखिया आप हैं

हम तो हैं बस इसकी कड़ियां हैं

कड़ियां जोड़ने वाली डोर आप हैं

 

आशा यह भी रखता हूं कि

जब भी मेरी कलम चले

सबसे उम्दा रचनाएं प्रस्फुटित हों

और अभिव्यक्तियों के इस उपवन मे

उनकी सुगंध घुले

 

© श्री सूरज कुमार सिंह

रांची, झारखंड 

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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मराठी साहित्य – ई-अभिव्यक्ति संवाद ☆ मनोगत – ई-अभिव्यक्तीचे दुसऱ्या वर्षात पदार्पण ☆ सौ. सुनिता गद्रे

सौ. सुनिता गद्रे

 ☆ मनोगत – ई-अभिव्यक्तीचे दुसऱ्या वर्षात पदार्पण ☆ सौ. सुनिता गद्रे ☆ 

?? हार्दिक आभार ??

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) का प्रथम वर्ष सम्पन्न ☆ 15 अगस्त 2021 से ई-अभिव्यक्ति का पुनर्प्रकाशन ☆ हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद

ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) का प्रथम वर्ष सम्पन्न ☆ 15 अगस्त 2021 से ई-अभिव्यक्ति का पुनर्प्रकाशन ☆

प्रिय मित्रों,

सादर अभिवादन,

 ई-अभिव्यक्ति (मराठी) के प्रथम वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में समस्त स्नेही सुहृदय मराठी लेखकगण एवं पाठकगण का हृदयतल से आभार। यह एक सुखद आश्चर्य है कि ई-अभिव्यक्ति वेबसाइट पर मेरी अनुपस्थिति के बावजूद संपादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ने अपनी प्रिय ई-पत्रिका को ई-अभिव्यक्ती:मराठी व्हाट्स एप्प ग्रुप के माध्यम से स्तरीय रचनाओं का प्रकाशन सतत जारी रखा। इस अभूतपूर्व सहयोग एवं समर्पण की भावना के लिए मैं आदरणीया श्रीमती उज्ज्वला केळकर, श्री सुहास रघुनाथ पंडित जी एवं  सौ. मंजुषा मुळे जी का हृदय से आभारी हूँ। 

यह शाश्वत सत्य है कि “होइहि सोइ जो राम रचि राखा”। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कुछ कठिन पल आते हैं, जो ईश्वर पर विश्वास, वरिष्ठ जनों के आशीर्वाद एवं स्नेही जनों कि शुभकामनाओं से चले भी जाते हैं। हम पुनः सुखद पलों में जीने लगते हैं। 

कुछ माह पूर्व ही मैंने एवं श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी ने कोरोना से संबन्धित स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाने में सफलता प्राप्त की। उसके पश्चात मैं गॉल ब्लैडर के स्टोन की शल्य क्रिया से गुजरा किन्तु, अब स्वस्थ हूँ।

इस बीच एक शुभ समाचार मिला कि – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी की सुपुत्री चि. सौ. अनुभा का शुभ विवाह लंदन में सानंद सम्पन्न हुआ। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी 31 जुलाई 2021 को मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कं लि, जबलपुर से अपनी समर्पित सेवाएँ पूर्ण कर सेवानिवृत्त हुए।

?? ? हम सभी की ओर से सौ. अनुभा को सुखद वैवाहिक जीवन एवं श्री विवेक रंजन जी को स्वस्थ सेवानिवृत्त जीवन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ? ??

अब हम सब सकारात्मक एवं स्तरीय साहित्य को समर्पित भावना से ससम्मान प्रकाशित करने के दृढ़ निश्चय के साथ आपके समक्ष पुनः उपस्थित हैं । हम कल स्वतन्त्रता दिवस के शुभ अवसर पर 15 अगस्त 2021 से ई-अभिव्यक्ति का प्रकाशन पुनः प्रारम्भ करने जा रहे हैं।    

आपके आशीर्वाद एवं स्नेह की अपेक्षा सहित

????

हेमन्त बावनकर

14 अगस्त 2021

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ सनम्र निवेदन ☆ हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद

ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ सनम्र निवेदन ☆

प्रिय मित्रों,

सादर अभिवादन,

ईश्वर की कृपा एवम आप सब के आत्मीय स्नेह से कोरोना से पार पा सका। मेरे एवं आपके दैनिक जीवन के अभिन्न अंग ई-अभिव्यक्ति ने पुनः गति पकड़ी ही थी कि कुछ विकट स्वास्थ्य समस्याओं ने पुनः जकड़ लिया।

“होइहि सोइ जो राम रचि राखा”

मुझे ईश्वर पर पूरा विश्वास है कि मैं शीघ्र ही स्वस्थ होकर पुनः ई-अभिव्यक्ति को नवीन तकनीकी स्वरूप में आपके समक्ष प्रस्तुत कर सकूँगा। साथ ही आपकी रचनाओं को ससम्मान वेबसाइट पर प्रकाशित कर सकूंगा।

आपके आशीर्वाद एवं स्नेह की अपेक्षा सहित

????

हेमन्त बावनकर

22 जून 2021

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ निवेदन ☆ श्रीमती उज्ज्वला केळकर

श्रीमती उज्ज्वला केळकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ निवेदन ☆ श्रीमती उज्ज्वला केळकर 

आपल्या ई-अभिव्यक्तीचे प्रमुख संपादक मा. श्री. हेमंत बावनकर यांनी आपल्या सर्वांसाठी पाठवलेला संदेश —-

सर्व सुह्रदांना नमस्कार,

ईश्वराची कृपा आणि आपल्या सर्वांचा मनापासूनचा स्नेह यामुळे मी करोनाच्या विळख्यातून सुखरूप बाहेर

येऊ शकलो माझ्या आणि आपणा सर्वांच्याच दैनंदिन जीवनाचा अविभाज्य भाग झालेल्या ई-अभिव्यक्तीचे

कामही पुन्हा नव्या जोमाने करायला लागलो होतो. इतक्यात प्रकृतीच्या काही कठीण समस्यांनी मला पुन्हा

घेरले. म्हणतात ना-

                                                           “होइहि सोइ जो राम रचि राखा”

— हेच खरं. पण परमेश्वरावर माझा पूर्ण विश्वास आहे, आणि लवकरच मी पूर्ण बरा होऊन ई- अभिव्यक्तीला

नव्या तांत्रिक स्वरूपात आपल्यासमोर प्रस्तुत करू शकेन. त्याचबरोबर आपणा सर्वांचे लिखाण वेबसाईटवर

सन्मानाने प्रकाशित करू शकेन .

आपल्या सर्वांच्या आशीर्वादाची आणि स्नेहाची अपेक्षा करत आहे. ????

हेमंत बावनकर

ई-अभिव्यक्ती मराठी विभागाचे सर्व संपादक आपल्या सर्वांच्या वतीने ईश्वर चरणी प्रार्थना करतो की श्री. बावनकर

सरांना लवकरात लवकर पूर्णपणे प्रकृतीस्वास्थ्य लाभो. ????

श्रीमती उज्ज्वला केळकर, सम्पादिका ई-अभिव्यक्ती (मराठी)

सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ आज समवेत प्रयासों की सकारात्मकता जरूरी है ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद

 

ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ आज समवेत प्रयासों की सकारात्मकता जरूरी है ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

प्रिय मित्रो,

यह सदियों में होने वाला अत्यंत दुष्कर समय है । जहाँ हम पड़ोस की किसी एक अकाल मृत्यु से विचलित हो जाते थे उसी देश मे अब तक सवा तीन लाख मृत्यु कोरोना से हो चुकीं हैं , यदि अब दुनिया को ग्लोबल विलेज मानते हैं तो आंकड़े गम्भीर हैं । और यह तो केवल मृत्यु के आंकड़े हैं । कितने ही लोग बुरी तरह से स्वास्थ्य , आर्थिक , रोजगार, चक्रवात/प्राकृतिक आपदा या अन्य तरह से महामारी से प्रभावित हैं । और इस सबका अंत तक सुनिश्चित नहीं है ।

ऐसी भयावहता में केवल सकारात्मक होना ही हमें बचा सकता है । रात के बाद सुबह जरूर होगी पर तब तक धैर्य और जीवन बचाये रखना होगा । यह तभी सम्भव है जब समाज समवेत प्रयास करे । व्यक्ति अपनी रचनात्मक वृत्तियों को एकाकार करे । जिस तरह पायल से आती मधुर झंकार में हर घुंघरू की आवाज शामिल होती है , किन्तु किस घुंघरू की आवाज का समवेत मधुर ध्वनि में क्या योगदान है कहा नही जा सकता , वैसे सकारात्मक माहौल से ही व्यक्ति व समाज इस नकारात्मकता पर विजय पा सकेगा ।

किन्तु दुखद है कि आज राजनेता आरोप प्रत्यारोप में उलझे हैं , मुनाफाखोरी कालाबाजारी चरम पर है । चिकित्सा शास्त्रों की लड़ाई हो रही हैं । राष्ट्र वर्चस्व और विस्तार की लड़ाई लड़ रहे हैं ।

ऐसे कठिन समय में साहित्य का दायित्व है कि समवेत सकरात्मकता के एकात्म का विचार विश्व में अधिरोपित करे ।

जिससे यह सुंदर विश्व पुनः सामान्य हो सके ।

आज बस इतना ही।

विवेक रंजन श्रीवास्तव

संपादक ई- अभिव्यक्ति (हिंदी)   

30 मई  2021

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ कोरोना आपदा के क्षण (लॉकडाउन, क्वारंटाइन और आइसोलेशन) ☆ हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद

ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ कोरोना आपदा के क्षण (लॉकडाउन, क्वारंटाइन और आइसोलेशन) ☆ हेमन्त बावनकर

प्रिय मित्रो,

आज हम सब जीवन के एक अत्यंत कठिन दौर से गुज़र रहे हैं। एक ऐसा कालखंड जिसकी किसी ने कभी कल्पना तक नहीं की थी।

ई-अभिव्यक्ति परिवार भी इस आपदा से सुरक्षित नहीं रह पाया। हमारे कई सम्माननीय लेखक और पाठक भी इस आपदा से ग्रसित हुए एवं अधिकतर ईश्वर की अनुकंपा से एवं आपके अपार स्नेह और दुआओं से इस आपदा से सुरक्षित निकल आए।

इस दौर से मैं स्वयं एवं श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी (संपादक – ई-अभिव्यक्ति (हिन्दी) अभी हाल ही में स्वस्थ होकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। 

यह ईश्वर की अनुकंपा एवं आप सब का अपार स्नेह ही है जो हम आप की सेवा में पुनः उपस्थित हो सके।  हमें पूर्ण विश्वास है कि हम शनैः शनैः पुनः उसी ऊर्जा के साथ स्वस्थ एवं सकारात्मक साहित्य सेवा में अपना योगदान अविरत जारी रख सकेंगे।

आज हम किसी वैज्ञानिक फंतासी में जीवाणु युद्ध के पात्रों की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं। जहां तक दृष्टि जाती है वहाँ तक ऐसा कोई परिवार, संबंधी या मित्र नहीं है जिसके निकट संबंधियों  या मित्रगणों में किसी का कोविड से निधन न हुआ हो या कोविड से ग्रस्त न हुआ हो । ऐसा कोई दिन नहीं जाता है जब सोशल मीडिया में किसी के कोविड ग्रस्त होने या निधन का संदेश नहीं मिलता। ऐसे समय सुप्रसिद्ध शायर बशीर बद्र की पंक्ति – “अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा” अक्सर याद आती हैं।  श्रद्धांजलि अर्पित करते हम सब की उँगलियाँ थक गईं है और आँसू सूख गए हैं।

वह स्वच्छंद बीता हुआ समय कब आयेगा यह भी कल्पना मात्र ही है। पता नहीं वह कभी आयेगा भी या नहीं। वह बीता हुआ एक एक क्षण स्वप्न सा लगता है।  अब तो बस ‘मास्क’ और हैंड सेनिटाइजर ही जीवन के महत्वपूर्ण अंग हो गए हैं । ऐसे में फिर बशीर बद्र की कालजयी पंक्ति  – “ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से रहा करो” आज के परिपेक्ष्य में सदा के लिए सचेत करती है।

इस आपदा के समय सभी लोग किसी न किसी रूप में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से मानवता में अपना योगदान दे रहे हैं। सबकी अपनी-अपनी सीमायें हैं। कोई व्यक्तिगत रूप से, कोई चिकित्सकीय सहायता के रूप से तो कोई आर्थिक सहायता के रूप से अपना योगदान दे रहे हैं।

ऐसे में कुछ लोग सम्पूर्ण मानवता के लिए अपना अभूतपूर्व आध्यात्मिक योगदान दे रहे हैं। उनका मानना है कि हमारी वैदिक परंपरा के अनुसार यदि हम सामूहिक रूप से प्रार्थना, श्लोकों का उच्चारण करें तो  समस्त भूमण्डल में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचरण होता है और “वसुधैव कुटुम्बकम” की अवधारणाना के अंतर्गत समस्त मानवता को इसका सकारात्मक लाभ अवश्य मिलता है। इस आध्यात्मिक अभियान के प्रणेता श्री संजय भारद्वाज जी के हम हृदय से आभारी हैं जिन्होंने हमारी जिज्ञासा स्वरुप ह्रदय में उत्पन्न कुछ प्रश्नों का उत्तर एक साक्षात्कार स्वरुप दिया है। इस सकारात्मकता का अनुभव मैंने स्वयं अपने “होम आइसोलेशन” के समय प्राप्त किया है।

हमें पूर्ण विश्वास है कि वर्तमान परिस्थितयों में आपदा के इन क्षणों (लॉकडाउन, क्वारंटाइन और आइसोलेशन) में अध्यात्म द्वारा स्वयं एवं अपने आसपास सकारात्मक ऊर्जा के संचरण के लिए आपकी भी अध्यात्म सम्बन्धी जिज्ञासाओं की पूर्ति आध्यात्मिक अभियान “आपदां अपहर्तारं” के इस साक्षात्कार के माध्यम से पूर्ण हो सकेगी।

विदित हो कि इस आध्यात्मिक अभियान “आपदां अपहर्तारं” एक आज एक वर्ष पूर्ण हो जायेंगे और आपके ही एक और अभियान “हिंदी आंदोलन” ने इस वर्ष अपने सफल 26 वर्ष पूर्ण किये हैं। इस निःस्वार्थ वैश्विक एवं आध्यात्मिक मानव सेवा के लिए इन दोनों अभियानों के प्रणेताओं श्री संजय भारद्वाज जी एवं श्री सुधा भारद्वाज जी को हार्दिक शुभकामनायें।

हमारी इस अनुपस्थिति के दौर में भी ई-अभिव्यक्ति (मराठी) के संपादक मण्डल के हम हृदय से आभारी हैं जिन्होने इस यात्रा को अपने व्हाट्स  एप ग्रुप में जारी रखा। इस समर्पण, उत्साह, अपार स्नेह एवं सहयोग की भावना वास्तव में अनुकरणीय तथा सराहनीय कदम है। इस समर्पण की भावना एवं जिजीविषा को सादर नमन।

ई-अभिव्यक्ति परिवार की ईश्वर से करबद्ध प्रार्थना है कि जो वर्तमान में कोविड से जूझ रहे हैं उन्हें इस आपदा/पीड़ा को सहन करने की शक्ति प्रदान करे ताकि वे पुनः अपने परिवार के साथ सामान्य जीवन यापन कर सकें, दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करे एवं उनके परिजनों को इस आकस्मिक दुःख को सहन करने की असीमित शक्ति प्रदान करें।

हमारा पूर्ण प्रयास है कि हम इस रविवार 23 अप्रैल से आपकी सेवा में पुनः अविरत उपस्थित हो सकें। 

आपका प्रतिसाद और अपार स्नेह ही हमारा सम्बल है।

आज बस इतना ही।

हेमन्त बावनकर

19 मई  2021

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