ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 52 ☆ पिता का होना या न होना ! ☆ हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद–52

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 52 ☆ पिता का होना या न होना !

प्रिय मित्रो,

किसी भी रिश्ते का एहसास उसके होने से अधिक उसके खोने पर होता है।

अनायास ही मन में विचार आया कि – साहित्य, सिनेमा और रिश्तों में ‘पिता’ को वह स्थान क्यों नहीं मिल पाया जो ‘माँ’ को मिला है? आखिर इसका उत्तर भी तो आप के ही पास है और आपकी संवेदनशीलता के माध्यम से मुझे उस उत्तर को सबसे साझा भी करना है।

जरा कल्पना कीजिये कैसा लगता होगा? जब किसी को समाचार मिलता है कि वह ‘पिता’ बन गया, ‘पिता’ नहीं बन सकता, बेटे का पिता बन गया, बेटी का पिता बन गया, दिव्याङ्ग का पिता बन गया, थर्ड जेंडर का पिता बन गया। फिर बतौर संतान इसका विपरीत पहलू भी हो सकता है। कैसा लगा है जब हम सुनते हैं – संतान ने पिता खो दिया या पिता ने संतान खो दिया।  यदि ‘पिता’ शब्द का संवेदनाओं से गणितीय आकलन करें तो उससे संबन्धित कल्पनीय और अकल्पनीय विचारों और संवेदनाओं के कई क्रमचय (Permutation) और संचय (Combination) हो सकते हैं। चलिये यह आपके संवेदनशील हृदय पर छोड़ते हैं।

आपसे बस अनुरोध यह कि – ‘पिता’ शब्द / रिश्ते पर आधारित आपकी सर्वाधिक प्रिय रचना साहित्य की किसी भी विधा में जैसे कविता / लघुकथा / कथा / आलेख और व्यंग्य (यदि हो तो)) ईमेल [email protected] पर प्रेषित करें।

शीर्षक / विषय – ‘पिता’

चित्र एवं संक्षिप्त जीवन परिचय (अधिकतम  250 शब्दों में)

अधिकतम शब्द – सीमा 1000 शब्द

भाषा – हिन्दी, मराठी एवं अङ्ग्रेज़ी

अंतिम तिथि – 10 मार्च 2021

साथ में  यह आशय कि –

रचना स्वरचित है। ई-अभिव्यक्ति को किसी भी माध्यम में प्रकाशित / प्रसारित करने का अधिकार / अनुमति है।  

यह कोई प्रतियोगिता नहीं अपितु आपकी संवेदनाओं को प्रबुद्ध पाठकों से साझा करने का प्रयास मात्र है और ई-अभिव्यक्ति ऐसे संवेदनशील प्रयोग हेतु कटिबद्ध है।  

आज बस इतना ही।

हेमन्त बावनकर

24 फ़रवरी 2021

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं ☆ श्री जयप्रकाश पाण्डेय/श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव – संपादक द्वय (हिन्दी) ☆

ई-अभिव्यक्ति -संवाद

प्रिय मित्रो,

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता

एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों…

दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियाँ हमें हमारे जीवन और कर्म को नई दिशा प्रदान करती है।

यह ई-अभिव्यक्ति परिवार ( ई- अभिव्यक्ति – हिन्दी/मराठी/अंग्रेजी) के परिश्रम  एवं आपके भरपूर प्रतिसाद तथा स्नेह का फल है जो इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आपकी अपनी वेबसाइट पर 3,50,500+ विजिटर्स अब तक विजिट कर चुके हैं।

( ई-अभिव्यक्ति (हिन्दी) संपादक मण्डल के संपादक-द्वय मित्रों  श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी एवं श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के सम्पादकीय उद्बोधन)

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी   की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है।  – हेमन्त बावनकर, ब्लॉग सम्पादक

ई-अभिव्यक्ति की दिनों दिन बढ़ती लोकप्रियता और लगातार बढ़ती पाठकों की संख्या इस बात को साबित करती है कि कवि, व्यंंग्यकार श्री हेमन्त बावनकर के जूनून, कड़ी मेहनत और तकनीकी ज्ञान ने कवि, लेखकों को अभिव्यक्ति के लिए सम्मानजनक मंच दिया है।

जीवन की ऊहापोह की दर्द भरी दास्तां लिए 2020 बीत गया, धरती पर जिंदगी की जद्दोजहद के बीच कोरोना वायरस ने बिलखती मानवता को नये अर्थ दिये।

2020 आपकी सारी समस्याओं, बीमारी, क्षोभ, कुण्ठाओं, असामयिक मृत्यु, शर्म, अपमान, एकाकीपन, नैराश्य, विफलता, और तिरस्कार के साथ विदा ले रहा है।

श्रीमान 2021 जी ने मुझे आपको सूचित करने के लिए कहा कि, वह आपको दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, धन-सम्पदा, प्रेम, प्रचुर आशीर्वाद, शान्ति, खुशी, धार्मिक सद्भाव, संवर्धन, समृद्धि की क्षतिपूर्ति करने आ रहे हैं।

ई-अभिव्यक्ति के प्रति आपकी प्रतिबद्धता ने हमें बहुत कुछ नया करने का संबल प्रदान किया है, सभी लेखकों का हार्दिक अभिनन्दन।

बधाई !

जय प्रकाश पाण्डेय (संपादक – ई-अभिव्यक्ति – हिन्दी)

[email protected]

 

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है।  उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। – हेमन्त बावनकर, ब्लॉग संपादक )

नवल वर्ष के धवल दिवस अब,  साथी सबको मंगलमय हो

कीर्ति मान यश से परिपूरित, जीवन का आलोक अमर हो

नये साल के पहले दिन सूरज की पहली किरण हम सबके जीवन में, सारे विश्व के लिए शांति, सुरक्षा, प्रसन्नता, समृद्धि और उन्नति लेकर आये यही कामनायें हैं.

विगत वर्ष कोरोना को समर्पित लगभग पूरी तरह दुनियां भर के लिये बाधित वर्ष के रूप में रहा. कोरोना जनित स्थितियां अप्रत्याशित, अभूतपूर्व थीं. सब स्तंभित थे. सेरकारें, यू एन ओ, लोग सभी किंकर्तव्यविमूढ़ थे. इस विडम्बना में जो फंस गये वे भुक्तभोगी बन गये. कितने ही लोगों के अंतिम संस्कार तक परिजन नहीं कर सके. पूजा स्थल तक बंद करने पड़े. आइये सब मनायें कि ऐसी परिस्थितियां दोबारा कभी न बनें.

ई अभिव्यक्ति आपके साहित्यिक रचना कर्म, अध्ययन के साथ  सतत सहगामी है, व सबके लिए शुभकामनाएं संजोए, शुभेक्षाये, विश्व के मङ्गल की कामना करता है

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (संपादक – ई-अभिव्यक्ति – हिन्दी)  

[email protected]

 

2020 वर्ष ने हमें जिंदगी जीना सीखा दिया और यह संदेश दे दिया कि जाति, धर्म और रंगभेद के सर्वोपरि मानवता है।

2020 वर्ष ने साहित्यकारों को नए डिजिटल/तकनीकी आयाम दिए हैं।

ईश्वर से कामना है की आने वाला वर्ष एक खुशनुमा और ख़ुशबुओं से भरा मुस्कुराहट लिए गुलदस्ता लेकर आएगा। प्रबुद्ध पाठकों को प्रबुद्ध लेखकों का सकारात्मक स्वस्थ साहित्य आत्मसात करने के लिए हमें नवीन अवसर प्रदान करेगा।

Bouquet on Samsung One UI 2.5

हेमन्त बावनकर 

 

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ ई-अभिव्यक्ति के 2रे जन्मदिवस – सफर तीन लाख का और विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें ☆

☆ ई-अभिव्यक्ति के 2रे जन्मदिवस – सफर तीन लाख का और विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें ☆

प्रिय मित्रो,

अक्टूबर माह और आज का दिन ई- अभिव्यक्ति परिवार के लिए कई अर्थों में महत्वपूर्ण है।  इसी माह 15 अक्टूबर 2018 को हमने अपनी यात्रा प्रारम्भ की थी। मुझे यह साझा करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि 2 वर्ष 10 दिनों के इस छोटे से सफर में आपकी अपनी वेबसाइट पर 3 लाख से अधिक विजिटर्स विजिट कर चुके हैं।

आज मैं अपने नहीं आपके ही विचार आपसे साझा करने का प्रयास कर रहा हूँ।

जगत सिंह बिष्ट

प्रिय भाई हेमन्त जी,

सर्वप्रथम, ई-अभिव्यक्ति पर 3,00,000 विजिटर्स के कीर्तिमान हेतु हार्दिक बधाई। निश्चित रूप से, किसी भी पैमाने पर, 2 वर्ष के कम समय में यह एक मील का पत्थर है।

यह मेरा परम सौभाग्य है कि इस यात्रा की परिकल्पना के समय से ही मुझे इसका एक महत्वपूर्ण सहयात्री और क्षण-क्षण का प्रत्यक्षदर्शी बनने का अवसर प्राप्त हुआ है। सच कहूँ तो मुझे यह यात्रा अद्भुत, अविश्वसनीय और अप्रतिम लगी है।

परिकल्पना, परिश्रम, निरंतरता, विकास और चलायमान बने रहना अपने-आप में सफलता का द्योतक है। यह सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता, सिर्फ भगीरथ प्रयास करने वाले, आत्मविश्वासी और अडिग पुरुषों को ही मिलता है।

अंग्रेजी और मराठी भाषा को जोड़कर आपने अभिव्यक्ति को एक नया आयाम दिया है। आप इसी तरह निःस्वार्थ भाव से परिश्रम की पराकाष्ठा करते रहें, यही कामना है, यही प्रार्थना है। बहुत-बहुत साधुवाद और अनेकानेक शुभकामनाएं। – सदैव आपका

डॉ कुंदन सिंह परिहार

 

आपने बिना भेद -भाव के, बिना किसी निहित स्वार्थ के, समर्पित भाव से पत्रिका का संपादन किया है।आप अपने स्वभाव के अनुसार सबको आदर देते हैं।इसीलिए आपकी दर्शक संख्या इतनी बढ़ी है और इतने लोग आपसे जुड़े हैं।आपका काम दूसरों के लिए अनुकरणीय है।

डॉ.  मुक्ता

नमस्कार, मात्र दो वर्ष से कम कि अवधि में तो न लाख लोगों का वेबसाइट का विज़िट करना स्वयं में महान् उपलब्धि है।इसका पूर्ण श्रेय आपके परिश्रम, लग्न व निरंतर कर्त्तव्य-निष्ठता को जाता है।

अशेष शुभ कामनाएं।

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

एक शिक्षक को सबसे अधिक प्रसन्नता तब होती है , जब उसके विद्यार्थी उसे सम्मान देते हैं । उम्र के इस पड़ाव पर मेरे विद्यार्थी सारे विश्व मे फैले हुए हैं । इंटरनेट के जरिये ढेर से पुराने शिष्यों ने मेरे पुत्र चि विवेक के माध्यम से ढूंढ कर सम्पर्क रखा है । हेमंत जी मेरे प्रिय शिष्यों में से एक हैं । सबसे बड़ी बात है कि वे एक बेहद अच्छे इंसान हैं , तकनिकज्ञ हैं , साहित्य अनुरागी हैं । मेरी रचना साधिकार उनकी हैं , वे उन्हें क्रमिक रूप से पोर्टल पर स्वस्फूर्त प्रकाशित करते हैं ।
तीन लाख दुनियाभर में फैले पाठकों का विशाल परिवार हम लेखकों, व पोर्टल की थाथी है । मेरी समस्त मंगल कामना उनके संग हैं । शुभेस्तु

श्री अमरेन्द्र नारायण

ई अभिव्यक्ति एक ऐसा पटल है जिसमें स्तरीय रचनायें पढ़ने को मिलती हैं।उत्तम रचनाओं को पटल पर उपलब्ध कराने में श्री हेमन्त बावनकर जी के परिश्रम और साहित्य की उनकी परख का महत्वपूर्ण योगदान है।
अपने प्रयास को नेपथ्य में रख कर साहित्य की श्री वृद्धि हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहना हेमंत जी की प्रतिभा और साहित्य साधना का परिचय देता है।
हर्ष की बात है कि सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी का मार्गदर्शन और सहयोग ई अभिव्यक्ति को मिल रहा है।
ई अभिव्यक्ति की इतने कम समय में प्रशंसनीय उपलब्धि के लिए हेमंत जी और उनके सहयोगियों को हार्दिक बधाई।श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी ई अभिव्यक्ति के माध्यम से आदरणीय बाबूजी की रचनायें हमें उपलब्ध करा रहे हैं,उन्हें हार्दिक धन्यवाद और पूज्य बाबू जी को सादर प्रणाम।
हमारी शुभेच्छा है कि ई- अभिव्यक्ति निरंतर प्रगति करता रहे।
उल्लेखनीय है कि ई अभिव्यक्ति ने एकता व शक्ति के आयोजन प्रसार को नियमित स्तम्भ के रूप में स्थान दिया , इसके लिए हेमंत जी का विशेष आभार व्यक्त करता हूँ
हम सब इस उत्कृष्ट पटल को अपना सहयोग दें,इस आग्रह और नवरात्रि की शुभकामना के साथ- अमरेन्द्र नारायण????

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

ई अभिव्यक्ति के फाउंडर डिजाइनर हिंदी, अंग्रेजी, मराठी के साहित्य रसिक भाई हेमंत बावनकर जी से मेरा आत्मीयता का प्रगाढ़ रिश्ता है । याद आता है कि एक आयोजन में वे भी रानी दुर्गावती संग्रहालय के हाल जबलपुर में वे भी उपस्थित थे , और मैं भी पिताजी के साथ वहीं था । जैसे ही आयोजन पूर्ण हुआ वे हमारे पास आये और पिताजी को पहचान गए । दरअसल मेरे पिताश्री प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव जी केंद्रीय विद्यालय जबलपुर के संस्थापक प्राचार्य हैं , और हेमंत जी उनके विद्यार्थी थे । यह भावना भरी भेंट थी गुरु शिष्य की ।

फिर एक दिन हेमंत जी हमारे घर पधारे ई अभिव्यक्ति को लेकर विशद चर्चाएं हुई । पिताजी की भगवत गीता के श्लोक व अनुवाद को क्रमशः प्रतिदिन प्रस्तुत करने की योजना से हम इस शुद्ध साहित्यिक पोर्टल से जुड़े । फिर स्तम्भ के रूप में मेरी पुस्तक चर्चा, व्यंग्य भी पाठकों द्वारा पसन्द किया जाने लगा । धीरे धीरे हिट्स बढ़ते गए । हेमंत भाई को सबसे बड़े उम्र के सोलो पोर्टल डिजाइनर के रूप में बुक ऑफ रिकार्ड्स के द्वारा सम्मानित किया गया । हम प्रायः पोर्टल के विकास हेतु चर्चा करते रहते । प्रतिदिन प्रातः उठते साथ चुनिंदा पोस्ट का 2014 से चल रहे साहित्यम व्हाट्सएप ग्रुप में इंतजार रहता, मित्रो में ई अभिव्यक्ति चर्चा का केंद्र बनता गया ।

हेमंत जी ने मुझे संपादक मण्डल में शामिल कर लिया । एकता व शक्ति ग्रुप के आयोजनों में पोर्टल सहभागी बना । नए नए पाठक पोर्टल से जुड़ते जा रहे हैं । हेमंत भाई समर्पित सारस्वत साधना में लगे हुए हैं , मुझे प्रसन्नता है कि मैं इसका छोटा सा हिस्सा बन सका ।

श्री सुहास रघुनाथ पंडित

हम सब के लिये यह एक आनंददायी वार्ता है/ हम आप से सिर्फ दो महीनोंसे जुडे हुए है/ लेकिन आप तो दो साल से यह अक्षरपालखी उठा रहे है/ इसलिए यह आपके योगदान का फलित है/यह हमारा सौभाग्य है की हम इस कार्य मे अल्प सा हाथ बटा सके/
हम इस अंक मे भिन्न भिन्न प्रकार मे साहित्य उपलब्ध कर रहे हैं/ हो सकता है कि इसी कारण लोकप्रियता बढ रही हैं/ क्योंकि विभिन्न वाचक वर्ग अपनी अपनी पसंद का पढ रहा है/अपनी नयी उपक्रमशीलता हमारा वाचकवर्ग और बढा देगी यह आशा और विश्वास है /

श्री आशीष कुमार

हेमंत सर के विषय में शब्दों में लिखना बहुत ही मुश्किल है उन्होंने e-अभिव्यक्ति के माध्यम से मेरे जैसे कितने ही मंच वहीन और हीन सामान्य व्यक्तियों को एक ऐसा माध्यम प्रदान किया है जो किसी संजीवनी से कम नही। मैंने अपनी पूरी जिंदगी में उनके जैसे सहज व्यक्तित्व को विरला ही पाया है। वो एक गुरु की तरह समय समय पर मुझे स्मरण कराते है की आप अपना कोई अन्य लेख प्रकाशित करने के लिए दे सकते है । उनकी सरलता तो देखिए एक बार उनके और मेरे बीच किसी एक विषय को लेकर वार्तलाप चल रहा था वो एक ऐसा विषय था जिसके संदर्भ में मेरा ज्ञान अल्प था किन्तु हेमंत सर को पूर्ण ज्ञान थ। फिर भी मैं उन्हे उस विषय में बता रहा था और वो बहुत आराम से सुन रहे थे। मुझे बाद में ज्ञात हुआ की हेमंत सर तो उस विषय में पूर्णता पाए हुए है।

उम्र के इस पड़ाव पर भी हर सुबह गर्मी, सर्दी , बरसात आदि मौसमो में बिना किसी रुकवाट के निरंतर हमारे शब्दों को जीवन देना वे सच में हमारा प्रेरणा स्रोत है। ईश्वर से आपके स्वास्थ्य की कामना करते हुए आपको बधाई देता हूँ ।

……….. और सतत शुभकामनाओं और बधाइयों का तांता लगा है।

मैं अभिभूत हूँ आपके अथाह प्रेम, स्नेह और ई-अभिव्यक्ति को इतना प्रतिसाद देने के लिए। ईश्वर की अनुकम्पा और आपका स्नेह ऐसा ही यथावत रहे।

इसी कामना के साथ।

पुनः विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं ? 

आपका अपना ही

हेमन्त बावनकर 

25 अक्टूबर 2020

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 52 ☆ प्रेरणास्रोत श्रीमती उज्ज्वला केळकर जी के 78 वें जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें ☆

ई-अभिव्यक्ति -संवाद

☆ ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 52 ☆प्रेरणास्रोत श्रीमती उज्ज्वला केळकर जी के 78वें जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें 

प्रिय मित्रो,

सुप्रसिद्ध वरिष्ठ मराठी साहित्यकार श्रीमति उज्ज्वला केळकर जी मराठी साहित्य की विभिन्न विधाओं की सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपके कई साहित्य का हिन्दी अनुवाद भी हुआ है। इसके अतिरिक्त आपने काफी हिंदी साहित्य का मराठी अनुवाद भी किया है। आप कई पुरस्कारों/अलंकारणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। आपकी अब तक 60 सेअधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें बाल वाङ्गमय -30 से अधिक, कथा संग्रह – 4, कविता संग्रह-2, संकीर्ण -2 ( मराठी )। इनके अतिरिक्त हिंदी से अनुवादित कथा संग्रह – 16, उपन्यास – 6, लघुकथा संग्रह – 6, तत्वज्ञान पर – 6 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हाल ही में आपकी दो पुस्तकें और प्रकाशित हुई हैं जिनकी जानकारी हम शीघ्र ही आपसे साझा करेंगे।

जीवन के इस पड़ाव में भी आपका सीधा सादा सरल एवं मृदु स्वभाव, सक्रिय एवं स्वस्थ जीवन तथा साहित्य के प्रति समर्पण हमें सदैव प्रेरणा देता है।

आपने ई-अभिव्यक्ति के मराठी संस्करण के सम्पादन के मेरे आग्रह को स्वीकार किया एवं श्री सुहास रघुनाथ पंडित जी के साथ उसे नवीन स्वरुप देकर मराठी साहित्य के पाठकों तक सकारात्मक साहित्य साझा करने में अभूतपूर्व सहयोग प्रदान किया। इसके लिए मैं आपका हृदय से आभारी हूँ।

अक्टूबर का माह हमारे लिए विशेष महत्व रखता है। 5 अक्टूबर को हमने हमारे मराठी सम्पादक मंडल के मित्र श्री सुहास रघुनाथ पंडित जी का जन्मदिवस मनाया और आप सभी के अगाध स्नेह से 15 अक्टूबर को ई-अभिव्यक्ति के दो वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं।  हमें पूर्ण विश्वास है कि हमें इसी प्रकार भविष्य में भी आप सभी का अगाध स्नेह एवं प्रतिसाद मिलता रहेगा।

ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से हम सबकी प्रेरणा स्रोत श्रीमती उज्ज्वला केळकर जी को 78 वें जन्मदिवस की अशेष हार्दिक शुभकामनायें।

हेमन्त बावनकर

9 अक्टूबर 2020

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ई-अभिव्यक्ति – संवाद ☆ ई-अभिव्यक्ति का आज का अंक अग्रज एवं वरिष्ठ मराठी साहित्यकार स्व प्रभाकर महादेवराव धोपटे जी को समर्पित ☆ हेमन्त बावनकर

स्व प्रभाकर महादेवराव धोपटे

?  ?अश्रुपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि  ?  ?

ई- अभिव्यक्ति का आज का अंक अग्रज एवं वरिष्ठ मराठी साहित्यकार स्व प्रभाकर महादेवराव धोपटे जी को समर्पित

(विदर्भ क्षेत्र से सुप्रसिद्ध वरिष्ठ मराठी साहित्यकार एवं अग्रज  स्व प्रभाकर महादेवराव धोपटे जी का कल दिनांक 20 अगस्त 2020 को प्रातः साढ़े सात बजे हृदय विकार के कारण चंद्रपुर में आकस्मिक निधन हो गया। आपका निधन हम सबके लिए एक अपूरणीय क्षति है। हमने एक विनोदी स्वभाव के मिलनसार एवं सेवाभावी अग्रज साहित्यकार को खो दिया। संयोगवश विगत मार्च में लॉक डाउन पूर्व एक पारिवारिक कार्यक्रम में नागपुर में आपसे मिला था, जो मेरे लिए अविस्मरणीय है।  

हमारे सम्माननीय पाठक ई-अभिव्यक्ति केअंतरराष्ट्रीय पटल पर आपके साप्ताहिक स्तम्भ – स्वप्नपाकळ्या को  कभी विस्मृत नहीं कर सकते ।

आप मराठी साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर थे। वेस्टर्न  कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड, चंद्रपुर क्षेत्र से सेवानिवृत्त अधिकारी  थे ।  अब तक आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दो काव्य संग्रह एवं एक आलेख संग्रह (अनुभव कथन) प्रकाशित हो चुके हैं। एक विनोदपूर्ण एकांकी प्रकाशनाधीन हैं । कई पुरस्कारों /सम्मानों से पुरस्कृत / सम्मानित। आपके समय-समय पर आकाशवाणी से काव्य पाठ तथा वार्ताएं प्रसारित होती रहती थी । प्रदेश में विभिन्न कवि सम्मेलनों में आपको निमंत्रित कवि के रूप में सम्मान प्राप्त  था।  इसके अतिरिक्त आप विदर्भ क्षेत्र की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे  थे । अभी हाल ही में आपका एक काव्य संग्रह – स्वप्नपाकळ्या, संवेदना प्रकाशन, पुणे से प्रकाशित हुआ  था। आपके अपने साप्ताहिक स्तम्भ का शीर्षक  भी इस काव्य संग्रह  “स्वप्नपाकळ्या” से प्रेरित  था।

प्रत्येक साहित्यकार का साहित्य सदैव अमर रहता है। अतः हमने निर्णय लिया है कि आपने  जितनी भी अग्रिम रचनाएँ प्रेषित की हैं उन्हें हम प्रत्येक रविवार को ससम्मान प्रकाशित करते रहेंगे। 

ई-अभिव्यक्ति परिवार स्व प्रभाकर महादेवराव धोपटे जी  के परिवार के साथ इस दुखद वेला में व्यक्तिगत रूप से सहभागी है।

?  ?अश्रुपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि  ?  ?

हेमन्त बावनकर

21 अगस्त 2020

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 51 ☆ ई- अभिव्यक्ति मित्र संपादक मंडल का स्वागत ☆ हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद–51

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 51 ☆ ई- अभिव्यक्ति का परिवर्तित स्वरुप – मित्र संपादक मंडल का स्वागत

प्रिय मित्रो,

सर्वप्रथम  स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी जी को विनम्र श्रद्धांजलि। आप से विनम्र अनुरोध है कि कृपया निम्न लिंक पर जाकर श्रद्धांजलि स्वरुप मेरी कविता अवश्य पढ़ें।

☆ गीत नया गाता था, अब गीत नहीं गाऊँगा ☆

इन दो वर्षों  से भी कम समय में प्राप्त आप सबके स्नेह एवं प्रतिसाद से मैं पुनः अभिभूत हूँ और इन पंक्तियों को पुनः लिखना मेरे जीवन के अत्यंत भावुक क्षणों में से एक है। विभिन्न उपलब्धियों ने मुझे असीमित ऊर्जा प्रदान की एवं एक जिम्मेदारी का अहसास भी कि आपको और अधिक स्तरीय सकारात्मक साहित्य दे सकूं। ईश्वर ने ई-अभिव्यक्ति संवाद के माध्यम से मुझे आप सबसे जुड़ने के ऐसे कई अवसर प्रदान किये हैं जिसके लिए मैं उनका सदैव कृतज्ञ हूँ ।

इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आपकी अपनी वेबसाइट को  2 वर्ष से भी कम समय में 2,53,500+ विजिटर्स मिल सकेंगे इसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। यह हमारे सम्माननीय लेखक गण का सतत प्रयास है जो हमारे प्रबुद्ध पाठकों को जोड़ने में सफल रहे हैं और  सतत रहेंगे ऐसी ईश्वर से कामना है। मैं आप दोनों के मध्य एक निमित्त मात्र हूँ, जिसके जिम्मेवारी संभवतः ईश्वर ने मुझे दी है ऐसी मेरी कल्पना है। यह प्रयास यह भी सिद्ध करता है कि सकारात्मक और स्तरीय साहित्य की अभी भी आवश्यकता बनी हुई है।

इस महायज्ञ में मैंने अपने-अपने क्षेत्र के सुविख्यात एवं प्रतिष्ठित साहित्यकारों से सम्पादन में सहयोग का आग्रह किया था जिसे उन्होंने निःस्वार्थ भाव से सहर्ष स्वीकार किया। मैं उन सबका ह्रदय से आभारी हूँ एवं उनकी जानकारी आप सब से साझा कर रहा हूँ । मित्र संपादक मंडल के सदस्यों की विस्तृत जानकारी के लिए आप About us पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

 ☆ मित्र संपादक मंडल का स्वागत

☆ हिन्दी साहित्य 
श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’, जबलपुर 

संपर्क – बंगला नम्बर ए १ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर ४८२००८

ईमेल –  [email protected]

 

श्री जय प्रकाश पाण्डेय, जबलपुर 

सम्पर्क – 416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

ईमेल – [email protected]

☆ English Literature 

Captain Pravin Raghuvanshi, NM, Pune

ईमेल –  [email protected]

☆ मराठी साहित्य ☆

श्रीमती उज्ज्वला अनंत केळकर, सांगली 

सम्पर्क – १७६/२  `गायत्री ‘ प्लॉट नं १२ , वसंत दादा साखर कामगारभवनजवळ सांगली ४१६४१६  फोन नं – ०२३३ – २३१००२०,   मो. – ९४०३३,१०१७०

ईमेल –  [email protected]

 

श्री सुहास रघुनाथ पंडित, सांगली 

मो –  9421225491

ईमेल – [email protected]

☆ International Literature & Culture ☆

Dr. Radhika Pawar Bawankar, Germany

Email – [email protected]

इस बीच तकनीकी संवर्धन की प्रक्रिया में हमने ई – अभिव्यक्ति की प्रत्येक प्रकाशित रचना के अंत में Please share your Post! के नीचे लिंक्स उपलब्ध किये हैं जिसके द्वारा आप आपकी अथवा मित्र लेखकों की रचनाएँ अपने फेसबुक, ट्विटर, ईमेल, फेसबुक मैसेंजर, शार्ट लिंक एवं व्हाट्सएप्प के माध्यम से साझा कर सकते हैं । 

आज बस इतना ही।

हेमन्त बावनकर

16 अगस्त  2020

 

नोट – रचनाओं की अधिकता एवं आपके whatsapp मेमोरी का ध्यान रखते हुए सामूहिक लिंक प्रेषित करने का निर्णय लिया है। आप शॉर्ट लिंक्स को कॉपी पेस्ट कर शेयर कर सकते हैं अथवा व्हाट्सेप्प ग्रुप www.e-abhivyakti .comअथवा  ई- अभिव्यक्ति का फेसबुक पेज https://www.facebook.com/hemant.bawankar.3  से भी  कॉपी कर सकते हैं। सहयोग की अपेक्षा के साथ ?

 

 

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हिन्दी साहित्य – ई-अभिव्यक्ति संवाद ☆ अतिथि संपादक की कलम से ……. अब तक 365 !….✍️ ☆ – श्री संजय भारद्वाज

श्री संजय भारद्वाज 

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। ) 

मैं अत्यंत कृतज्ञ हूँ सम्माननीय श्री संजय भरद्वाज जी का जिन्होंने जाने अनजाने में मेरे ह्रदय में ज्ञान एवं अध्यात्म को ज्योति को प्रज्ज्वलित किया। मैंने सन्देश दिया था कि ई- अभिव्यक्ति के अंक का प्रकाशन अगले 7 दिनों तक व्यक्तिगत एवं तकनीकी कारणों से स्थगित रहेगा किन्तु, श्री संजय भारद्वाज जी की एक आत्मीय पोस्ट ने मेरे अंतर्मन को झकझोर दिया और ईश्वर ने एवं आपके स्नेह ने मुझे इसे गतिशील बनाने रखने हेतु साहस प्रदान किया। मैंने निर्णय लिया कि जब तक सब कुछ व्यवस्थित नहीं हो जाता तब तक निम्न तीन  ब्लॉग पोस्ट सतत जारी रखूंगा

  1. गुरुवर प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित  – श्रीमद्भगवद्गीता पद्यानुवाद  ( जीवन का सार ) 
  2. श्री संजय भारद्वाज जी के अध्यात्म से परिपूर्ण प्रेरक संजय दृष्टि एवं संजय उवाच ( जीवन जीने की  अद्भुत दृष्टि )
  3.  महाभारत के सुविख्यात चरित्र परम आदरणीय भीष्म पितामह के चरित्र पर आधारित धारावाहिक उपन्यास “युगांत” ( जीवन का अद्भुत प्रेरक चरित्र ) 

सम्माननीय श्री संजय भारद्वाज जी की आत्मीय पोस्ट एक  रचना ही नहीं अपितु ऐसी सम्पादकीय ओजस्वी एवं प्रेरक रचना है जिसे संभवतः मेरी लेखनी भी उस ऊंचाई को स्पर्श नहीं कर पाती।  अतः सादर प्रस्तुत है  आदरणीय श्री संजय भारद्वाज जी की लेखनी से अतिथि सम्पादकीय……

-हेमन्त बावनकर

☆ ई-अभिव्यक्ति संवाद -अतिथि संपादक की कलम से ……. अब तक 365 !….✍️  ☆ 

आज 25 जुलाई है। इस दिनांक के साथ मेरे लेखकीय जीवन का एक महत्वपूर्ण प्रसंग भी जुड़ा हुआ है।

प्रसंग यह है कि गत लगभग दो-अढ़ाई वर्ष से लेखन नियमित-सा रहा है। कविता, लघुकथा, आलेख, संस्मरण, व्यंग्य और ‘उवाच’ के रूप में अभिव्यक्ति जन्म लेती रही। जून 2019 में ‘ई-अभिव्यक्ति’ ने ‘संजय उवाच’ को साप्ताहिक रूप से प्रकाशित करना आरम्भ किया।

फिर सम्पादक आदरणीय बावनकर जी का एक पत्र मिला। पत्र में उन्होंने लिखा था, “आपकी रचनाएँ इतनी हृदयस्पर्शी हैं कि मैं प्रतिदिन उदधृत करना चाहूँगा। जीवन के महाभारत में ‘संजय उवाच’ साप्ताहिक कैसे हो सकता है?”

‘संजयकोश’ में यों भी लिखना और जीना पर्यायवाची हैं। फलत: इस पत्र की निष्पत्तिस्वरूप ठीक एक वर्ष पहले अर्थात 25 जुलाई 2019 से सोमवार से शनिवार ‘संजय दृष्टि’ के अंतर्गत ‘ई-अभिव्यक्ति’ ने इस अकिंचन के ललित साहित्य को दैनिक रूप से प्रकाशित करना आरम्भ किया। रविवार को ‘संजय उवाच’ प्रकाशित होता रहा।

आज पीछे मुड़कर देखने पर पाता हूँ कि इस एक वर्ष ने बहुत कुछ दिया। ‘नियमित-सा’ को नियमित होना पड़ा। अलबत्ता नियमित लेखन की अपनी चुनौतियाँ और संभावनाएँ भी होती हैं। नियमित होना अविराम होता है। हर दिन शिल्प और विधा की नई संभावना बनती है तो पाठक को प्रतिदिन कुछ नया देने की चुनौती भी मुँह बाए खड़ी रहती है। अनेक बार पारिवारिक, दैहिक, भावनात्मक कठिनाइयाँ भी होती हैं जो शब्दों के उद्गम पर कुंडली मारकर बैठ जाती हैं। विनम्रता से कहना चाहता हूँ कि यह कुंडली, भीतर की कुंडलिनी को कभी प्रभावित नहीं कर पाई। माँ शारदा की अनुकंपा ऐसी रही कि लेखनी हाथ में आते ही पथ दिखने लगा और शब्द पथिक बन गए।

अनेक बार यात्रा के बीच पोस्ट लिखी और भेजी। कभी किसी आयोजन में मंच पर बैठे-बैठे रचना भीतर किल्लोल करने लगी, तभी लिखी और भेजी। ड्राइविंग में कुछ रचनाओं ने जन्म पाया तो कुछ ट्रैफिक के चलते प्रसूत ही नहीं हो पाईं।

तब भी जो कुछ जन्मा, पाठकों ने उसे अनन्य नेह और अगाध ममत्व प्रदान किया। कुछ टिप्पणियाँ तो ऐसी मिलीं कि लेखक नतमस्तक हो गया।

नतमस्तक भाव से ही कहना चाहूँगा कि लेखन का प्रभाव रचनाकार मित्रों पर भी देखने को मिला। अपनी रचना के अंत में दिनांक और समय लिखने का आरम्भ से स्वभाव रहा। आज प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से जुड़े 90 प्रतिशत से अधिक रचनाकारों ने अपनी रचना का समय और दिनांक लिखना आरम्भ कर दिया है। अनेक मित्रों ने इसका श्रेय दिया तो अनेक कंजूसी भी बरत गए। लेकिन ‘ नो हार्ड फीलिंग्स।’ जाकी रही भावना जैसी..! हाँ इतना अवश्य है कि रेकॉर्डकीपिंग की यह आदत भविष्य में मित्रों को अपनी रचनाधर्मिता की यात्रा के पड़ाव खंगालने में सहायक सिद्ध होगी।

विनम्रता से एक और आयाम की चर्चा करना चाहूँगा। लेखन की इस नियमितता से प्रेरणा लेकर अनेक मित्र नियमित रूप से लिखने लगे। किसी लेखक के लिए यह अनन्य और अद्भुत पारितोषिक है।

आदरणीय हेमंत जी इस नियमितता का कारण और कारक बने। उन्हें हृदय की गहराइयों से अनेकानेक धन्यवाद। नियमित रूप से अपनी प्रतिक्रिया देनेवाले पाठकों के प्रति आभार। ‘आप हैं सो मैं हूँ।’ मेरा अस्तित्व आपका ऋणी है।

दो हाथोंवाला
साधारण मनुष्य था मैं मित्रो!
तुम्हारी आशा और
विश्वास ने
मुझे सहस्त्रबाहु कर दिया!

आप सबके ऋण से उऋण होना भी नहीं चाहता। घोर स्वार्थी हूँ। चाहता हूँ कि समय के अंत तक लिखता रहूँ। चाहता हूँ कि समय के अंत तक हज़ार हाथों से रचता रहूँ।

 

संजय भारद्वाज

(लिखता हूँ सो जीता हूँ।)

[email protected]

24 जुलाई 2020, रात्रि 1:31 बजे

☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार  सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय  संपादक– हम लोग  पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

 

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 50 ☆ ई- अभिव्यक्ति का आज का अंक अनुजवत मित्र स्वर्गीय आनंद लोचन दुबे जी को समर्पित ☆☆ हेमन्त बावनकर

प्रिय आनंद 

?  ?अश्रुपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि  ?  ?

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 50 ☆ ई- अभिव्यक्ति का आज का अंक अनुजवत मित्र स्वर्गीय आनंद लोचन दुबे जी को समर्पित

प्रिय मित्रों,

 वैसे तो इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति एक विशिष्टता लेकर आता है और चुपचाप चला जाता है। फिर छोड़ जाता है वे स्मृतियाँ जो जीवन भर हमारे साथ चलती हैं। लगता है कि काश कुछ दिन और साथ चल सकता । किन्तु विधि का विधान तो है ही सबके लिए सामान, कोई कुछ पहले जायेगा कोई कुछ समय बाद। किन्तु, आनंद तुमसे यह उम्मीद नहीं थी कि इतने जल्दी साथ छोड़ दोगे। अभी 19 मई को ही तो तुमसे लम्बी बात हुई थी जिसे मैं अब भी टेप की तरह रिवाइंड कर सुन सकता हूँ। और आज दुखद समाचार मिला कि 20 मई 2020 की रात हृदयाघात से तुम चल बसे।

प्रिय मित्रों, आप जानना नहीं चाहेंगे यह शख्सियत कौन है ? आपके लिए मित्र आनंद, भारतीय स्टेट बैंक, सिमरिया, कटनी शाखा का शाखा प्रबंधक था। किन्तु, मेरे लिए मेरा अभिन्न अनुजवत मित्र था।  हमारे 1984 में  मित्रवत सम्बन्ध बनायें कब अनुजवत बन गए हम समझ ही नहीं  पाए और मैं सारी जिंदगी अग्रज का सम्बन्ध निभाता चला गया। उसने भी ताउम्र वह अनुजवत सम्बन्ध  बड़ी संजीदगी से निभाया रक्त संबंधों से भी अधिक संजीदगी से। पुत्र पुत्री के विवाह के समय से लेकर प्रत्येक सुख दुःख में एक रिश्तेदार से भी अधिक संजीदगी से निभाया रिश्ता कैसे भूल सकता हूँ।? जब भी सुख के क्षण थे तो दूर रहकर भी ह्रदय के पास साथ ही रहकर हमनें खुशियां बांटी और तुम सदैव दुःख के क्षणों में मेरा सम्बल बने। हर समय मुस्कराते रहे, खुशियां बाँटते रहे और अपना दुःख बिना किसी से साझा किये अपने ह्रदय में जोड़ते रहे और शायद यह इसी की परिणीति हो, पता नहीं ऐसा क्यों मेरा ह्रदय कहता है ? मैं कहता था वीआरएस ले लो तो तुम कहते बस गुड़िया की शादी हो जाए फिर वीआरएस लेकर मिलेंगे बैठेंगे, गपशप करेंगे, घूमेंगे फिरेंगे और आराम से जिंदगी गुजारेंगे। आखिर वे क्षण कल्पना में ही रहे और तुम्हारे साथ ही चले गए. ऐसे में मुझे वह अंग्रेजी कहावत याद आती है “man proposes and god disposes”.

प्रिय आनंद, तुमसे ही सीखा था रिश्ते और दोस्ती के मायने फिर तुम्हारे लिए एक कविता लिखी, किन्तु, साहस जुटा कर बता न पाया कि वह कविता तुम्हारे लिए ही थी। एक दिन फेसबुक पर पोस्ट किया और तुमने दो शब्दों में प्रत्युत्तर दिया “सुन्दर विचार”।  इन दो शब्दों को संजो कर रखा है,  जिसका अर्थ मेरे और तुम्हारे सिवाय कोई नहीं जान सकता। आप सब से साझा कर रहा हूँ वह रचना

 ?   रिश्ते और दोस्ती  ?  

सारे रिश्तों के मुफ्त मुखौटे मिलते हैं जिंदगी के बाजार में

बस अच्छी दोस्ती के रिश्ते का कोई मुखौटा ही नहीं होता

 

कई रिश्ते निभाने में लोगों की तो आवाज ही बदल जाती है

बस अच्छी दोस्ती में कोई आवाज और लहजा ही नहीं होता

 

रिश्ते निभाने के लिए लोग ताउम्र लिबास बदलते रहते हैं

बस अच्छी दोस्ती निभाने में लिबास बदलना ही नहीं होता

 

बहुत फूँक फूँक कर कदम रखना पड़ता है रिश्ते निभाने में

बस अच्छी दोस्ती में कोई कदम कहीं रखना ही नहीं होता

 

जिंदगी के बाज़ार में हर रिश्ते की अपनी ही अहमियत है

बस अच्छी दोस्ती को किसी रिश्ते में रखना ही नहीं होता

 

किन्तु, मैं आप सबसे यह सब क्यों कह रहा हूँ ? संभवतः इसलिए कि यदि पहचान सकें तो पहचानने का प्रयास करें अपने आस पास अपने ऐसे ही किसी प्रिय मित्र को। आपको हर तरह के सम्बन्ध बहुत मिलेंगे किन्तु ऐसे अनुज अथवा अग्रज मित्रवत सम्बन्ध शायद न मिल सके। और यदि वास्तव में आपके ऐसे मित्र हैं तो उन्हें धर्म, जाति या समुदाय से परे संजो कर रखें। उन्हें खोइयेगा मत मेरे ये शब्द नहीं मेरे अनुभव हैं।

संयोगवश डॉ मुक्ता जी का आज प्रकाशित आलेख आज ज़िंदगी : कल उम्मीद पठनीय है।

बस इतना ही।

हेमन्त बावनकर

22 मई  2020

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 48 ☆ ई- अभिव्यक्ति को अपार स्नेह एवं प्रतिसाद के लिए आप सबका ह्रदय से आभार ☆ हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद–45

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 49 ☆ ई- अभिव्यक्ति को अपार स्नेह एवं प्रतिसाद के लिए आप सबका ह्रदय से आभार

प्रिय मित्रों,

इन दो महीनों में प्राप्त आप सबके स्नेह एवं प्रतिसाद से मैं पुनः अभिभूत हूँ और इन पंक्तियों को पुनः लिखना मेरे जीवन के अत्यंत भावुक क्षणों में से एक हैं। अप्रैल माह में हमने दो महत्वपूर्ण उपलब्धियां आपसे साझा की थीं।  इन उपलब्धियों ने मुझे असीमित ऊर्जा प्रदान की एवं एक जिम्मेदारी का अहसास भी कि आपको और अधिक स्तरीय सकारात्मक साहित्य दे सकूं। ईश्वर ने ई-अभिव्यक्ति संवाद के माध्यम से मुझे आप सबसे जुड़ने के ऐसे कई अवसर प्रदान किये हैं ।

आपकी अपनी वेबसाइट को  2 वर्ष से भी कम समय में 2,00,500+ विजिटर्स मिल सकेंगे इसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। यह हमारे सम्माननीय लेखक गण का सतत प्रयास है जो हमारे प्रबुद्ध पाठकों को जोड़ने में सफल रहे हैं और सतत रहेंगे ऐसी ईश्वर से कामना है। मैं आप दोनों के मध्य एक निमित्त मात्र हूँ, जिसके जिम्मेवारी संभवतः ईश्वर ने मुझे दी है ऐसी मेरी कल्पना है। यह प्रयास यह भी सिद्ध करता है कि सकारात्मक और स्तरीय साहित्य की अभी भी आवश्यकता बनी हुई है।

इन सद्प्रयासों के पीछे स्वर्गीय पिताश्री टी डी बावनकर, गुरुवर डॉ राजकुमार तिवारी ‘ सुमित्र’ जी  एवं मेरे प्रथम प्राचार्य प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव  जी का वरद हस्त सदैव रहेगा ऐसी मनोभावना है।

इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में नाम दर्ज होना और ई – अभिव्यक्ति को बेस्ट इंडियन ब्लॉग साइट्स की डाइरेक्टरी में स्थान पाना एक अविस्मरणीय क्षण था।

मेरी प्रसन्नता यहीं समाप्त नहीं होती।  आज एक और व्यक्तिगत प्रसन्नता के क्षण आपसे साझा करना चाहूंगा।  आज ही मेरा एक काव्य संग्रह “तो कुछ कहूँ ……..” का ई बुक संस्करण अमेज़न किंडल लाइव हुआ है, जिसे आप अमेजन की साईट से अपने मोबाईल/ डेस्कटॉप / एप्पल आईफोन में सीधे डाउनलोड कर पढ़ सकते हैं । इसके पूर्व आपको Google Playstore से Amazon Kindle App फ्री डाउन लोड करना पड़ेगा।

अमेज़न लिंक  >>>> तो कुछ कहूँ ……..

मेरी अन्य ई बुक्स आप इस अमेजन लिंक पर पढ़ सकते हैं >>>>> हेमन्त बावनकर की अन्य पुस्तकें

आशा है आपका स्नेह एवं आशीर्वाद ऐसा ही बना रहेगा एवं आप सब के सहयोग से हम सब मिलकर डिजिटल माध्यम में साहित्य सेवा के क्षेत्र में नए आयाम गढ़ सकेंगे।

हम ई-अभिव्यक्ति में नवीन सकारात्मक तकनीकी एवं साहित्यिक प्रयोगों के लिए कटिबद्ध हैं।

इन उपलब्धियों के लिए आपका ह्रदय तल से आभार ।  

 ?  ?  ?

☆ मानवता का अदृश्य शत्रु कोरोना ☆ 

आज विश्व में मानवता अत्यंत कठिन दौर से गुजर रही है।  विश्व के समस्त मानव जिनमें साहित्यकार / कलाकार / रंगकर्मी भी संवेदनशील मानवता के अभिन्न अंग हैं और  अत्यंत विचलित हैं ‘ कोरोना’ जैसी विश्वमारी य महामारी जैसे प्रकोप /त्रासदी से । इतनी सुन्दर सुरम्य प्रकृति, हरे भरे वन-उपवन, नदी झरने,  घाटियां, पर्वत श्रृंखलाएं और कहीं कहीं तो  शांत बर्फ की सफ़ेद चादर और भी न जाने क्या क्या हमें  प्रकृति ने उपहारस्वरूप दिया है ।

हम सदैव मानवीय आधारों पर सकारात्मक साहित्य देने हेतु कटिबद्ध हैं।

ई – अभिव्यक्ति कभी भी किसी भी प्रकार की किसी भी पुष्ट अथवा अपुष्ट वैज्ञानिक जानकारी एवं अफवाहों पर कदापि कोई विमर्श नहीं करता।  इस वैश्विक एवं राष्ट्रीय आपदा में आप सबसे निवेदन है कि सरकार द्वारा तय नियमों का कठोरता से पालन करें। इसी में हम सबकी भलाई है, मानवता की भलाई है।

बस इतना ही।

हेमन्त बावनकर

8 मई  2020

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 48 ☆ ई- अभिव्यक्ति India Book of Records और  Directory of Most Popular Blogs in India में दर्ज ☆ हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद–45

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 48 ☆ ई- अभिव्यक्ति India Book of Records और  Directory of Most Popular Blogs in India में दर्ज 

प्रिय मित्रों,

मैं अभिभूत हूँ और इन पंक्तियों को लिखना मेरे जीवन के अत्यंत भावुक क्षणों में एक हैं। 1 ½ वर्ष  पूर्व जब गुरुवर डॉ राजकुमार तिवारी ‘ सुमित्र’ जी के निम्न आशीर्वचन से ई-अभिव्यक्ति का शुभारम्भ किया था जिसे मैंने गुरुमंत्र की तरह लिया और प्रयास करता हूँ कि उसका सतत पालन करूँ –

सन्दर्भ : अभिव्यक्ति 

संकेतों के सेतु पर, साधे काम तुरन्त ।
दीर्घवायी हो जयी हो, कर्मठ प्रिय हेमन्त ।।

काम तुम्हारा कठिन है, बहुत कठिन अभिव्यक्ति।
बंद तिजोरी सा यहाँ,  दिखता है हर व्यक्ति ।।

मनोवृत्ति हो निर्मला, प्रकट निर्मल भाव।
यदि शब्दों का असंयम, हो विपरीत प्रभाव।।

सजग नागरिक की तरह, जाहिर  हो अभिव्यक्ति।
सर्वोपरि है देशहित, बड़ा न कोई व्यक्ति ।।

–  डॉ राजकुमार “सुमित्र”

यह वेबसाइट मैंने स्वान्तः सुखाय बिना किसी अपेक्षा के प्रारम्भ की जिसका साक्षी आपका अपार  स्नेह तथा प्रतिसाद है, जिसे मैं सदैव अपने ह्रदय में संजो कर रखूंगा । यह आपका स्नेह ही है जिसने इस सप्ताह ई- अभिव्यक्ति परिवार को दो सर्वोच्च उपलब्धियां प्रदान की हैं। मैं इन उपलब्धियों को अक्षरशः उद्धृत करने का प्रयास कर रहा हूँ।

India Book of Records

Congratulations, your claim has been finalized as a record titled, ‘ Oldest man to develop a website ’ under India Book of Records 2021. We appreciate the effort and patience shown by you. Your skills have been acknowledged and as per the verification done by the Editorial Board of ‘India Book of Records’, only the best has been selected and approved by us.

The title and content has been created as per our verification and is given below.

RECORD TITLE & DESCRIPTION

Oldest man to develop a website
The record for being the oldest to design and develop a website was set by a 62 year old Hemant Bawankar (born on June 2, 1957) of Pune, Maharashtra. He developed a unique website named e-abhivyakti.com that publishes daily blogs/articles in Hindi, Marathi, and English, as confirmed on April 13, 2020.

दूसरी महत्वपूर्ण उपलब्धि है Directory of Most Popular Blogs in India  में स्थान पाना एक गौरवपूर्ण क्षण है जिसके लिए निम्न चिन्ह एवं लिंक हमारी वेबसाइट के होम पेज पर प्रदान किया गया है  –

Indian Blog Directory – Directory of Most Popular Blogs in India

IndiBlogHub Connecting Top Indian Bloggers with Brands

Hello Hemant Bawankar,

Congratulations! Your blog has been approved! (e-abhivyakti) on IndiBlogHub.

हम ई-अभिव्यक्ति में नवीन सकारात्मक तकनीकी एवं साहित्यिक प्रयोगों के लिए कटिबद्ध हैं।

इन उपलब्धियों के लिए आपका ह्रदय तल से आभार ।  

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☆ मानवता का अदृश्य शत्रु कोरोना ☆ 

आज विश्व में मानवता अत्यंत कठिन दौर से गुजर रही है।  विश्व के समस्त मानव जिनमें साहित्यकार / कलाकार / रंगकर्मी भी संवेदनशील मानवता के अभिन्न अंग हैं और  अत्यंत विचलित हैं ‘ कोरोना’ जैसी विश्वमारी य महामारी जैसे प्रकोप /त्रासदी से । इतनी सुन्दर सुरम्य प्रकृति, हरे भरे वन-उपवन, नदी झरने,  घाटियां, पर्वत श्रृंखलाएं और कहीं कहीं तो  शांत बर्फ की सफ़ेद चादर और भी न जाने क्या क्या हमें  प्रकृति ने उपहारस्वरूप दिया है ।

हम सदैव मानवीय आधारों पर सकारात्मक साहित्य देने हेतु कटिबद्ध हैं।

ई – अभिव्यक्ति कभी भी किसी भी प्रकार की किसी भी पुष्ट अथवा अपुष्ट वैज्ञानिक जानकारी एवं अफवाहों पर कदापि कोई विमर्श नहीं करता।  इस वैश्विक एवं राष्ट्रीय आपदा में आप सबसे निवेदन है कि सरकार द्वारा तय नियमों का कठोरता से पालन करें। इसी में हम सबकी भलाई है, मानवता की भलाई है।

 

बस इतना ही।

हेमन्त बावनकर

26 अप्रैल 2020

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