॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग # 18 (26 – 30) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -18
सुत हिरण्याभ अति दीघ्रबाहु को सौंप राज्य का सकलभार।
वल्कलधारी बन गया ‘विश्वसह’, पितरों के ऋण का त्याग भार।।26।।
उस रविकुल भूषण हिरण्याभ का चंदा सा नयनाभिराम।
जो पुत्र हुआ उसका उसने रक्खा सुन्दर कौशल्य नाम।।27।।
वह कीर्तिमान कौसल्य आप जो ब्रह्मलोक तक हुआ ख्यात।
ज्ञानी आत्मज ‘ब्रह्मिष्ठ’ को देकर राज्य ब्रह्म को हुआ प्राप्त।।28।।
राजा ब्रहिष्ठ के सुखदायी शासन से जन जन दीर्घकाल।
पोषित, आनंदित प्रमुदित था, मन में न किसी के था मलाल।।29।।
तब ‘पुत्र’ नाम का पुत्र हुआ जो विष्णु रूप सा कमल नयन।
जिसने अपनी सेवा से जीता सहज पिता का प्रेमल मन।।30।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈