मराठी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 38 – वाचन संस्कृती ☆ श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे

श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

 

(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना  एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से  जुड़ा है  एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है।  निश्चित ही उनके साहित्य  की अपनी  एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज  प्रस्तुत है  मात्र विद्यार्थियों के लिए ही नहीं अपितु उनके पालकों के लिए भी आपकी एक अतिसुन्दर कविता   “वाचन संस्कृती”)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य # 38 ☆ 

 ☆ वाचन संस्कृती 

 

वाचन संस्कृती । बाणा नित्य नेमे । आचरावी प्रेमे । जीवनात ।1।

 

संपन्न जीवना । ज्ञान एक धन । सुसंस्कृत मन । वाचनाने ।2।

 

शब्दांचे भांडार । समृद्धी अपार । चढतसे धार । बुद्धीलागी ।3।

 

मधुमक्षी परी । वेचा ज्ञान बिंदू । जीवनाचा सिंधू । होई पार ।4।

 

अज्ञान अंधारी । लावा ज्ञान ज्योती । वाचन संस्कृती । तरणोपाय ।5।

 

ज्ञानाची संपत्ती । लूटू वारेमाप । चातुर्य अमाप । गवसेल ।6।

 

वाचा आणि वाचा । ध्यानी ठेवा मंत्र । व्यासंगाचे तंत्र । फलदायी ।7।

 

जपा जिवापाड । वाचन संस्कृती । नुरेल विकृती । जीवनात ।8।

 

©  रंजना मधुकर लसणे

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105

 

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – कविता ☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 1 – स्वप्नपाकळ्या ☆ ☆ श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे

श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे

ई-अभिव्यक्ति में श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे जी  के साप्ताहिक स्तम्भ – स्वप्नपाकळ्या को प्रस्तुत करते हुए हमें अपार हर्ष है। आप मराठी साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वेस्टर्न  कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड, चंद्रपुर क्षेत्र से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। अब तक आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दो काव्य संग्रह एवं एक आलेख संग्रह (अनुभव कथन) प्रकाशित हो चुके हैं। एक विनोदपूर्ण एकांकी प्रकाशनाधीन हैं । कई पुरस्कारों /सम्मानों से पुरस्कृत / सम्मानित हो चुके हैं। आपके समय-समय पर आकाशवाणी से काव्य पाठ तथा वार्ताएं प्रसारित होती रहती हैं। प्रदेश में विभिन्न कवि सम्मेलनों में आपको निमंत्रित कवि के रूप में सम्मान प्राप्त है।  इसके अतिरिक्त आप विदर्भ क्षेत्र की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। अभी हाल ही में आपका एक काव्य संग्रह – स्वप्नपाकळ्या, संवेदना प्रकाशन, पुणे से प्रकाशित हुआ है, जिसे अपेक्षा से अधिक प्रतिसाद मिल रहा है। इस साप्ताहिक स्तम्भ का शीर्षक इस काव्य संग्रह  “स्वप्नपाकळ्या” से प्रेरित है । आज प्रस्तुत है होली के अवसर पर उनकी कविता “होळीचा रंग “.) 

(दिनांक २३-०२-२०२०ला राज्यस्तरीय साहित्य व संस्कृती महोत्सव २०२०चे कवि कट्टा मंचाचे अध्यक्ष पद स्विकारतांना , कविंना प्रमाणपत्र व सन्मानचिन्ह प्रदान करतांना श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  – स्वप्नपाकळ्या # 1 ☆

☆ कविता – होळीचा रंग  ☆ 

रंग खेळू, रंग उधळू, उधळू गुलाल

रंगात रंगू या, निळ्या पिवळ्या लाल ।।

 

काही रंग ओले, काही सुकलेले रंग

जीवनाच्या अंतरंगी, वेगळे  तरंग

माणुसकीचे काही, काही चवचाल।।

रंगात रंगू या…….

 

होळीच्या निमित्ताने, खरे खरे बोलू

रंगलेल्या चेह-याची, आज पोल खोलू

मानू नका वाईट, ही होळीची धमाल।।

रंगात रंगू या…….

 

मित्रांनो धुता येईल, तन रंगलेले

कसे धुता येईल हो, मन मळलेले

होळीच्या गुलालात, आहे ही कमाल ।।

रंगात रंगू या…..

 

©  प्रभाकर महादेवराव धोपटे

मंगलप्रभू,समाधी वार्ड, चंद्रपूर,  पिन कोड 442402 ( महाराष्ट्र ) मो +919822721981

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तंभ –केल्याने होतं आहे रे # 25 ☆ माझा कृष्ण ☆ – श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे

श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे

(वरिष्ठ  मराठी साहित्यकार श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे जी का धार्मिक एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने के कारण आपके साहित्य में धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्कारों की झलक देखने को मिलती है. इसके अतिरिक्त  ग्राम्य परिवेश में रहते हुए पर्यावरण  उनका एक महत्वपूर्ण अभिरुचि का विषय है।  श्रीमती उर्मिला जी के    “साप्ताहिक स्तम्भ – केल्याने होतं आहे रे ” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है  उनकी एक अभंग रचना  “माझा कृष्ण”उनकी मनोभावनाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए अनुकरणीय है।  ऐसे सामाजिक / धार्मिक /पारिवारिक साहित्य की रचना करने वाली श्रीमती उर्मिला जी की लेखनी को सादर नमन। )

☆ साप्ताहिक स्तंभ –केल्याने होतं आहे रे # 25 ☆

☆ माझा कृष्ण ☆ 

(काव्य प्रकार:-अभंग )

कृष्ण माझी माता

कृष्ण माझा पिता

कृष्णची कविता

होय माझी!!१!!

 

यशोदेचा नंद

वाढे गोकुळात

उचली पर्वत

गोवर्धन !!२!!

 

कृष्ण नटखट

सोन्यासम कान्ती

ईश्र्वराची शक्ती

त्याच्या अंगी !!३!!

 

मुरली हातात

कधी तो धरितो

लोणीही तो खातो

पेंद्यासंगे !!४!!

 

गुरे राखायाला

जाईं मित्रांसवे

सोडा हेवेदावे

हेचि सांगे !!५!!

 

एकत्र बसोनी

सोडूनि शिदोरी

खातसे दुपारी

कृष्ण काला !!६!!

 

द्रौपदी बहीण

कृष्णाने मानिली

अब्रू राखियेली

तिची त्याने !!७!!

 

संत कवी यांना

प्रेरणा कृष्णाची

दाविली भक्तीची

वाट त्यांना !!८!!

 

सांगे कृष्णदेव

आम्हा सामान्यांस

ठेवा हो विश्र्वास

माझ्यावरी !!९!!

 

सांगे आम्हा कृष्ण

नका मानू जात

गरीब श्रीमंत

असे काही !!१०!!

 

©®उर्मिला इंगळे

सतारा

!!श्रीकृष्णार्पणमस्तु!!

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य ☆ कविता ☆ संत गाडगे महाराज जयंती विशेष ☆ देवदूत ☆ कविराज विजय यशवंत सातपुते

कविराज विजय यशवंत सातपुते

(समाज , संस्कृति, साहित्य में  ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले  कविराज विजय यशवंत सातपुते जी  की  सोशल मीडिया  की  टेगलाइन माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। कुछ रचनाये सदैव सामयिक होती हैं। आज प्रस्तुत है संत गाडगे महाराज  की जयंती के अवसर पर आधारित आपकी एक भावप्रवण कविता देवदूत )

 ☆  देवदूत ☆

(फेब्रुवारी २३, १८७६ – २० डिसेंबर इ.स. १९५६)

चिंध्या पांघरोनी बाबा

धरी मस्तकी गाडगे

डेबुजी या बालकाने

दिले स्वच्छतेचे धडे. . . . !

 

विदर्भात कोते गावी

जन्मा आली ही विभूती.

हाती खराटा घेऊन

स्वच्छ केली रे विकृती. . . !

 

वसा लोकजागृतीचा

केला समाज साक्षर

श्रमदान करूनीया

केला ज्ञानाचा जागर.

 

झाडूनीया माणसाला

स्वच्छ केले  अंतर्मन.

धर्मशाळा गावोगावी

दिले तन, मन, धन. . . . !

 

देहश्रम पराकाष्ठा

समतेची दिली जोड

संत अभंगाने केली

बोली माणसाची गोड.. . !

 

धर्म, वर्ण, नाही भेद

सदा साधला संवाद

घरी दारी, मनोमनी

गोपालाचा केला नाद. . . !

 

स्वतः कष्ट करूनीया

सोपी केली पायवाट

संत गाडगे बाबांचा

वर्णीयेला कर्मघाट .. . . !

 

असा देवदूत जनी

मन ठेवतो निर्मळ

त्यांच्या आठवात आहे

प्रबोधन परीमल.. . . !

 

© विजय यशवंत सातपुते

यशश्री, 100 ब दीपलक्ष्मी सोसायटी,  सहकार नगर नंबर दोन, पुणे 411 009.

मोबाईल  9371319798.

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुजित साहित्य # 36 – आठवण ☆ श्री सुजित कदम

श्री सुजित कदम

(श्री सुजित कदम जी  की कवितायेँ /आलेख/कथाएँ/लघुकथाएं  अत्यंत मार्मिक एवं भावुक होती हैं. इन सबके कारण हम उन्हें युवा संवेदनशील साहित्यकारों में स्थान देते हैं। उनकी रचनाएँ हमें हमारे सामाजिक परिवेश पर विचार करने हेतु बाध्य करती हैं. मैं श्री सुजितजी की अतिसंवेदनशील  एवं हृदयस्पर्शी रचनाओं का कायल हो गया हूँ. पता नहीं क्यों, उनकी प्रत्येक कवितायें कालजयी होती जा रही हैं, शायद यह श्री सुजितजी की कलम का जादू ही तो है! आज प्रस्तुत है  उनकी एक भावप्रवण  एवं संवेदनशील  कविता “आठवण ”। अक्सर जीवन के भागदौड़ में  कई बार हम किसी  कथन के पीछे छिपे एहसास को समझ नहीं पाते । किन्तु, यह कविता पढ़ कर आप निश्चित ही विचार करेंगे, ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है ।) 

☆ साप्ताहिक स्तंभ – सुजित साहित्य #36☆ 

☆ आठवण ☆ 

माझी माय मला नेहमी

म्हणते की..

तू ना तुझ्या बा सारखाच दिसतोस

तोंड नाक डोळे सगळ कस …

बा सारखंच..,

बोलणं सुध्दा

मला प्रश्न पडतो…

मी खरच बा सारखा दिसतो

का मायेला बा ची आठवण येते..,

© सुजित कदम, पुणे

7276282626

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ श्री अशोक भांबुरे जी यांची कविता अभिव्यक्ती #39 – वेदवाणी ☆ श्री अशोक श्रीपाद भांबुरे

श्री अशोक श्रीपाद भांबुरे

(वरिष्ठ मराठी साहित्यकार श्री अशोक श्रीपाद भांबुरे जी का अपना  एक काव्य  संसार है । आप  मराठी एवं  हिन्दी दोनों भाषाओं की विभिन्न साहित्यिक विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं।  आज साप्ताहिक स्तम्भ  –अशोक भांबुरे जी यांची कविता अभिव्यक्ती  शृंखला  की अगली  कड़ी में प्रस्तुत है एक भावप्रवण कविता “वेदवाणी।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – अशोक भांबुरे जी यांची कविता अभिव्यक्ती # 39☆

☆ वेदवाणी ☆

 

वेद आता वाचण्याचे वेड नाही

चार वेदांना जगी या तोड नाही

 

संपवाया वेद सारे जे निघाले

येत त्यांची का तुम्हाला चीड नाही ?

 

वेद सांगे सूक्ष्म गणना या जगाला

संकृतीची त्या तरीही चाड नाही

 

वेद म्हणजे बहरलेला वृक्ष वेड्या

ते झुडुप वा बाभळीचे झाड नाही

 

वेदवाणी जीवनाचा ज्ञान सागर

कोणतेही ज्ञान इतके गोड नाही

 

वाचलेला वेद नाही तो बरळतो

माणसाची चांगली ही खोड नाही

 

जीवनाच्या सागराचा मार्ग खडतर

आणि माझ्या गलबताला शीड नाही

 

© अशोक श्रीपाद भांबुरे

धनकवडी, पुणे ४११ ०४३.

[email protected]

मो. ८१८००४२५०६, ९८२२८८२०२८

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 37 – विज्ञानाची ओळख   ☆ श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे

श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

 

(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना  एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से  जुड़ा है  एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है।  निश्चित ही उनके साहित्य  की अपनी  एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज  प्रस्तुत है  मात्र विद्यार्थियों के लिए ही नहीं अपितु उनके  पालकों के लिए भी आपकी एक अतिसुन्दर कविता   “विज्ञानाची ओळख”)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य # 37 ☆ 

 ☆ विज्ञानाची ओळख  

 

विज्ञानाच्या ओळखीने

विश्व कल्याण साधुया।

जगण्याचा मंत्र नवा

आज जगाला देऊया।

 

अंधश्रद्धा सोडूनिया

अभ्यासावे ग्रह , तारे।

प्रयोगाने पडताळू

जुने सिद्धांतही सारे।

 

चमत्कारी दुनियेचे

वैज्ञानिक गूढ जाणू।

अज्ञानास तिलांजली

तर्कनिष्ठा अंगी बाणू।

 

भविष्याचा वेध घेण्या

ज्ञान विज्ञान सोबती।

वापरावी सूर्य शक्ती

टाळण्याला अधोगती।

 

घेऊ गगन भरारी

प्रगतीचे पंख नवे।

हव्यासाने होई ऱ्हास

वास्तवाचे भान हवे।

 

जुन्या नव्याशी सांगड

परंपरा भारताची।

चंद्र , तारे पूजताना

जिद्द अंगी उड्डाणाची।

 

©  रंजना मधुकर लसणे

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य ☆ कविता ☆ याल का राजे*? ☆ कविराज विजय यशवंत सातपुते

कविराज विजय यशवंत सातपुते

(समाज , संस्कृति, साहित्य में  ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले  कविराज विजय यशवंत सातपुते जी  की  सोशल मीडिया  की  टेगलाइन माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। कुछ  रचनाये सदैव सामयिक होती हैं। आज प्रस्तुत है  उनकी ऐसी ही एक भावप्रवण कविता  याल का राजे? )

 ☆  याल का राजे? ☆

हाल माझ्या या  देशाचे लोकशाहीचे पाहाल का राजे

पुन्हा एकदा राज्य कराया परत  याल का राजे!!धृ!!

 

माय जिजाऊ , कुठे दिसेना, रक्त सांडले ताजे

जीथे झुंजली मावळमाती तिथे दीनता साजे

स्वराज्य व्हावे श्री इच्छेचे स्वप्नी मनीषा गाजे

स्वप्नाला साकार कराया परत याल का राजे ? !!

 

स्वैर माजली भाऊबंदकी, पैशाचा व्यापार नवा

माता,भगिनी,पिडीत महिला अत्याचारा मिळे हवा

नितीमत्ता भ्रष्ट जाहली, नारी दिसता शेज सजे

नारीजातीला सबल कराया परत याल का राजे ? !!

 

माय जिजाऊ कुठे दिसेना पिसाट वृत्ती माजे

संस्कारांचे फिरले वारे कुणी कुणा ना लाजे

शरमेचे अवशेष पायदळी त्यावर पाऊल वाजे

मर्द मराठा रूप दावण्या परत याल का राजे ?

 

मावळ्यांचे वंशज तेही नशाधुंद जाहले

परकीयांचे नको आक्रमण स्वकीयांना लुटले

खान दान ते विकले गेले उरले पडके वाडे

त्या वाड्याचा आब राखण्या परत याल का राजे ?

 

कसली प्रगती, विनाश काले विपरीत बुद्धी

पैशासाठी हपापलेली मुजोर यांची सद्दी

पुन्हा एकदा गनिमी कावा शौर्य पाहू द्या ताजे

स्वराज्य तोरण मनी बांधण्या परत याल का राजे ?

 

© विजय यशवंत सातपुते

यशश्री, 100 ब दीपलक्ष्मी सोसायटी,  सहकार नगर नंबर दोन, पुणे 411 009.

मोबाईल  9371319798.

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तंभ # 24 ☆ नवदुर्गांचीऔषधी नऊ रुपे ☆ – श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे

श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे

(वरिष्ठ  मराठी साहित्यकार श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे जी का धार्मिक एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने के कारण आपके साहित्य में धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्कारों की झलक देखने को मिलती है। श्रीमती उर्मिला जी के    “साप्ताहिक स्तम्भ ” में आज प्रस्तुत है  नौ देवियों के नवदुर्गा के औषधी रूप  कविता   “नवदुर्गांची औषधी नऊ रुपे”।  उनकी मनोभावनाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए अनुकरणीय है।  ऐसे सामाजिक / पारिवारिक साहित्य की रचना करने वाली श्रीमती उर्मिला जी की लेखनी को सादर नमन। )

☆ नवदुर्गांचीऔषधी नऊ रुपे ☆ 

 

उपासना नवरात्री

आदिमाया देवीशक्ती

महालक्ष्मी महाकाली

बुद्धी दात्री सरस्वती !!१!!

 

नवरात्री तिन्हीदेवी

युक्त असे नऊ रुपे

औषधांच्याच रुपात

जगदंबेची ही रुपे !!२!!

 

श्रीमार्कण्डेय चिकित्सा

नवु गुणांनी युक्त ती

श्रीब्रह्मदेवही त्यास

दुर्गा कवच म्हणती !!३!!

 

नवु दुर्गांची रुपे ही

युक्त आहेत औषधी

उपयोग करुनिया

होती हरण हो व्याधी!!४!!

 

शैलपुत्री ती पहिली

रुप दुर्गेचे पहिले

हिमावती हिरडा ही

मुख्य औषधी म्हटले!!५!!

 

हरितिका म्हणजेच

भय दूर करणारी

हितकारक पथया

धष्टपुष्ट करणारी!!६!!

 

अहो कायस्था शरीरी

काया सुदृढ करीते

आणि अमृता औषधी

अमृतमय करीते !!७!!

 

हेमवती ती सुंदर

हिमालयावर दिसे

चित्त प्रसन्नकारक

तीच चेतकीही असे!!८!!

 

यशदायी ती श्रेयसी

शिवा ही कल्याणकारी

हीच औषधी हिरडा

सर्व शैलपुत्री करी !!९!!

 

ब्रह्मचारिणी दुसरी

स्मरणशक्तीचे वर्धन

ब्राह्मी असे वनस्पती

करी आयुष्य वर्धन!!१०!!

 

मन व मस्तिष्क शक्ती

करिते हो प्रदान ही

नाश रुधीर रोगाचा

मूत्र विकारांवर ही!!११!!

 

रुप तिसरे दुर्गेचे

चंद्रघण्टा नाम तिचे

चंद्रशूर, चमशूर

करी औषध तियेचे !!१२!!

 

चंद्रशूरच्या पानांची

भाजी कल्याणकारिणी

चर्महन्ती नाव तिचे

असे ती शक्तीवर्धिनी !!१३!!

 

चंद्रशूर, चंद्रचूर

कमी लठ्ठपणा करी

अहो हृदय रोगाला

हे औषध लयी भारी !!१४!!

 

रुप चवथे दुर्गेचे

तिला म्हणती कुष्माण्डा

आयुष्य वाढविणारी

तीच कोहळा कुष्माण्डा!!१५!!

 

पेठा मिठाई औषधी

पुष्टीकारी असे तीही

बल वीर्यास देणारी

युक्त हृदयासाठी ही !!१६!!

 

वायू रोग दूर करी

कोहळा सरबत ही

कफ पित्त पोट साफ

खावा कुष्माण्ड पाकही!!१७!!

 

रुप दुर्गेचे पाचवे

ही उमा पार्वती माता

हीच जवस औषधी

कफनाशी स्कंदमाता !!१८!!

 

रुप सहा कात्यायनी

म्हणे अंबाडी,मोईया

कण्ठ रोग नाश करी

हीच अंबा,अंबरिका !!१९!!

 

हिला मोईया म्हणती

हीच मात्रिका शोभते

कफ वात पित्त कण्ठ

नाश रोगांचा करीते !!२०!!

 

रुप दुर्गेचे सातवे

विजयदा,कालरात्री

नागदवण औषधी

प्राप्त विजय सर्वत्री !!२१!!

 

मन मस्तिष्क विकार

औषध विषनाशिनी

कष्ट दूर करणारी

सुंदर सुखदायिनी !!२२!!

 

रुप दुर्गेचे आठवे

नाम तिचे महागौरी

असे औषधी तुळस

पूजताती घरोघरी !!२३!!

 

रक्तशोधक तुळशी

काळी दवना,पांढरी

कुढेरक,षटपत्र

हृदरोग नाश करी!!२४!!

 

रुप दुर्गेचे नववे

बलबुद्धी विवर्धिनी

हिला शतावरी किंवा

अहो म्हणा नारायणी !!२५!!

 

बलवर्धिनी हृदय

रक्त वात पित्त शोध

महौषधी वीर्यासाठी

योग्य हेच हो औषध !!२६!!

 

दुर्गादेवी नऊ रुपे

अंतरंग भक्तीमय

करु औषधी सेवन

होऊ सारे निरामय !!२७!!

 

साभार:- लेख:-विवेक वि.सरपोतदार

लेखक भारतीय विद्येचे  lndologist व आयुर्वेद अभ्यासक.

संकलन :- सतीश अलोणी.

 

©®उर्मिला इंगळे

 

!!श्रीकृष्णार्पणमस्तु !!

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य ☆ जन्म दिवस विशेष – स्व विष्णु वामन शिरवाडकर ‘कुसुमाग्रज’ पुण्य स्मरण ☆ सुश्री स्वप्ना अमृतकर

स्व विष्णु वामन शिरवाडकर

जन्म : 27  फ़रवरी 1912, पुणे
निधन : 10 मार्च 1999, नाशिक

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित सुप्रसिद्ध मराठी  साहित्यकार (कवी , लेखक, नाटककार, कथाकार व समीक्षक) स्व विष्णु वामन शिरवाडकर अपने  उपनाम कुसुमाग्रज के नाम से जाने जाते हैं। आपको 1987 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विश्व में  आपके जन्मदिवस को मराठी भाषा गौरव दिन अथवा मराठी राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस सन्दर्भ में सुश्री ज्योति  हसबनीस जी का स्व विष्णु वामन शिरवाडकर ‘ कुसुमाग्रज ‘  जी  पर आधारित आलेख को  निम्न लिंक पर क्लिक कर अवश्य पढ़ें। यह मेरा सादर आग्रह है। 

☆साप्ताहिक स्तम्भ – काव्य दिंडी # 6  – अनाम वीरा  – कुसुमाग्रज  ☆ 

ई-अभिव्यक्ति उनके जन्मदिवस पर उनके गौरवपूर्ण साहित्य सृजन के लिए स्व विष्णु वामन शिरवाडकरजी का  पुण्य स्मरण एवं उन्हें नमन करता है।

इस अवसर पर ई-अभिव्यक्ति से सम्बद्ध युवा साहित्यकार स्वप्ना अमृतकर की भावनाएं हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ साझा करना चाहते हैं। 

☆ जन्म दिवस विशेष – स्व विष्णु वामन शिरवाडकर ‘कुसुमाग्रज’ पुण्य स्मरण – सुश्री स्वप्ना अमृतकर☆

आज दि. २७ फेब्रुवारी २०२० हा दिवस प्रतिभासंपन्न महान कवी, लेखक श्री. वि.वा.शिरवाडकर सरांचा जन्मदिवस आहे, त्यांच्यावर मी काही माझ्या शब्दांत माझे भावतरंग मांडण्याचा प्रयत्न केला आहे.

मनातले भावतरंग श्री.वि.वा.शिरवाडकरांसाठी:

व्यक्त अव्यक्त विचारांची खोल दरी ओलांडूनी नितळ मनाच्या काठावर येवून सुरेख शब्दांचासाठा लेवूनी महान शब्दसखा कवितेच्या प्रवासात कवितेलाच बालपणांत, यौवनांत रूजवून अनेक रूपरंगांत काळीजकूपीतून अत्तरासम शब्दांना कवितांमध्ये पसरवूनी हलकीशी जागा देत देत आशयबद्धतेत मोहरून कवितेची प्रतिभा मराठी साहित्य जगतात उंचावून, प्रतिभासंपन्न कवी श्री वि. वा. शिरवाडकर सरांनी स्वत:ची ओळख लेखणीतून भक्कम करून मराठी भाषेला सन्मान देण्यात यशस्वी ठरले होते.
त्यांना शतश:नमन ..

स्वप्ना अमृतकर (पुणे)..

Please share your Post !

Shares
image_print