श्री अशोक श्रीपाद भांबुरे
(वरिष्ठ मराठी साहित्यकार श्री अशोक श्रीपाद भांबुरे जी का अपना एक काव्य संसार है । साप्ताहिक स्तम्भ अशोक भांबुरे जी यांची कविता अभिव्यक्ती शृंखला की अगली कड़ी में प्रस्तुत है कविता में – हिन्दी एवं मराठी मिश्रित रचना का एक नया प्रयोग ।”हिन्दी आणि मराठीतली मिश्र रचना…”। )
☆ अशोक भांबुरे जी यांची कविता अभिव्यक्ती # 2 ☆
☆ हिंदी आणि मराठीतली मिश्र रचना.. ☆
अभी बज गये रात के बारा
आल्या रिमझिम पाऊस धारा
चमकी बिजली खूब नजारा
मिठीचाच या तिला सहारा
समझ में आया उसे माजरा
अंगावरती तिच्या शहारा
कहां मिलेंगे फिर दोबारा
गाली होता भाव लाजरा
गगन के पिछे छुपा सवेरा
पदरा मागे जसा चेहरा
समझ न आया हमें दायरा
जागोजागी सक्त पहारा
© अशोक श्रीपाद भांबुरे
धनकवडी, पुणे ४११ ०४३.
मो. ८१८००४२५०६, ९८२२८८२०२८