हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 207 ☆ आदि शक्ति दुर्गा वंदना ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है नवरात्रि पर्व पर विशेष आदि शक्ति दुर्गा वंदना…।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 207 ☆

☆ आदि शक्ति दुर्गा वंदना ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आदि शक्ति जगदम्बिके, विनत नवाऊँ शीश.

रमा-शारदा हों सदय, करें कृपा जगदीश….

*

पराप्रकृति जगदम्बे मैया, विनय करो स्वीकार.

चरण-शरण शिशु, शुभाशीष दे, करो मातु उद्धार…..

*

अनुपम-अद्भुत रूप, दिव्य छवि, दर्शन कर जग धन्य.

कंकर से शंकर रचतीं माँ!, तुम सा कोई न अन्य..

परापरा, अणिमा-गरिमा, तुम ऋद्धि-सिद्धि शत रूप.

दिव्य-भव्य, नित नवल-विमल छवि, माया-छाया-धूप..

जन्म-जन्म से भटक रहा हूँ, माँ ! भव से दो तार.

चरण-शरण जग, शुभाशीष दे, करो मातु उद्धार…..

*

नाद, ताल, स्वर, सरगम हो तुम. नेह नर्मदा-नाद.

भाव, भक्ति, ध्वनि, स्वर, अक्षर तुम, रस, प्रतीक, संवाद..

दीप्ति, तृप्ति, संतुष्टि, सुरुचि तुम, तुम विराग-अनुराग.

उषा-लालिमा, निशा-कालिमा, प्रतिभा-कीर्ति-पराग.

प्रगट तुम्हीं से होते तुम में लीन सभी आकार.

चरण-शरण शिशु, शुभाशीष दे, करो मातु उद्धार…..

*

वसुधा, कपिला, सलिलाओं में जननी तव शुभ बिम्ब.

क्षमा, दया, करुणा, ममता हैं मैया का प्रतिबिम्ब..

मंत्र, श्लोक, श्रुति, वेद-ऋचाएँ, करतीं महिमा गान-

करो कृपा माँ! जैसे भी हैं, हम तेरी संतान.

ढाई आखर का लाया हूँ,स्वीकारो माँ हार.

चरण-शरण शिशु, शुभाशीष दे, करो मातु उद्धार

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१८-४-२०१४

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of social media # 207 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of social media # 207 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 207) ?

Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.

Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.

He is also an IIM Ahmedabad alumnus.

His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..! 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 207 ?

☆☆☆☆☆

काश मिल जाये हमें भी

कोई किसी आईने की तरह

जो हँसे भी साथ साथ

और रोये भी साथ साथ…

☆☆

Wish I could also have

Someone like a mirror

Who could laugh together

And  even  cry together …

☆☆☆☆☆

उन्हें  ठहरे…

समुंदर  ने  डुबोया

जिन्हें  तूफ़ाँ  का…

अंदाज़ा  बहुत  था…

☆☆

Calm seas…

drowned them only…

Who claimed to have great 

experience of braving the storms

☆☆☆☆☆

तकलीफ खुद ही

कम हो गई…

जब अपनों से…

उम्मीद कम हो गई..

☆☆

The suffering itself got

conclusively reduced,

When expectations from

the loved ones minimized…

☆☆☆☆☆

पत्तों सी होती है कई रिश्तों

की उम्र, आज हरे कल सूखे….

क्यों  न  हम जड़ों  से  ही

उम्र भर रिश्ते निभाना सीखें…

☆☆

Age of many relationships is like

leaves; today green, tomorrow dried… 

Why don’t we learn from roots

To maintain the relationship …

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (7 अक्टूबर से 13 अक्टूबर 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (7 अक्टूबर से 13 अक्टूबर 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

आप सभी को पंडित अनिल पांडे का नमस्कार आज मैं आपको 7 अक्टूबर से 13 अक्टूबर 2024 अर्थात विक्रम संवत 2081 शक संवत 1946 केअश्विनी शुक्ल पक्ष के पंचमी से अश्विनी शुक्ल पक्ष के एकादशी तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल को बताने जा रहा हूं।

इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेगा। 8 तारीख को 12:38 रात से चंद्रमा धनु राशि में प्रवेश करेगा। चंद्रमा 11 तारीख को 7:23 प्रातः से मकर राशि में गोचर करेगा और 13 तारीख को 11:55 दिन से कुंभ राशि का हो जाएगा।

इस पूरे सप्ताह सूर्य कन्या राशि में और मंगल मिथुन राशि में रहेगा। बुद्ध प्रारंभ में कन्या राशि में रहेगा तथा 10 तारीख के 10: 53 दिन से तुला राशि में प्रवेश करेगा। गुरु प्रारंभ में वृष राशि में रहेगा तथा 9 अक्टूबर के 8:50 रात से वृष राशि में बक्री हो जाएगा। शुक्र प्रारंभ में तुला राशि में रहेंगे तथा 12 अक्टूबर के 4:02 से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।। वक्री शनि पूरे सप्ताह कुंभ राशि में और बक्री राहु पूरे सप्ताह मीन राशि में गोचर करेंगे।

आईये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपके व्यापार में वृद्धि होगी। प्रेम प्रसंग ठीक चलेंगे। अविवाहित जातकों के लिए विवाह के प्रस्ताव आएंगे। भाई बहनों के साथ तनाव हो सकता है। धन आने की मात्रा में कमी आएगी। इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 अक्टूबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त हैं। सात और 8 अक्टूबर को आपको कुछ अच्छी सूचना प्राप्त हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपको अपने संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई में प्रगति होगी। धन आने की उम्मीद है। शत्रुओं से आपको सावधान रहना चाहिए। कार्यालय में भी आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 13 अक्टूबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 7 और 8 अक्टूबर को आपको अपने जीवनसाथी के स्वास्थ्य के प्रति सतर्क होना चाहिए। 9 और 10 अक्टूबर को आपको सचेत रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके सुख में वृद्धि होगी। कार्यालय में आपका व्यर्थ का वाद विवाद हो सकता है। आपको अपने संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार अच्छा चलेगा। आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 अक्टूबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। सात और 8 अक्टूबर को आपके स्वास्थ्य में थोड़ी तरक्की होगी। 11 और 12 तारीख को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपका, आपके जीवनसाथी का तथा माताजी का स्वास्थ्य ठीक-ठाक रहेगा। भाई बहनों के साथ आपका उत्तम सहयोग रहेगा। भाग्य से आपको कोई मदद नहीं मिल पाएगी। इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए अनुकूल है। सप्ताह के बाकी दिन आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। 7 और 8 तारीख को आपके संतान को कुछ प्राप्त हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपको धन की प्राप्ति हो सकती है। व्यापार में उन्नति होगी। लाभ में कमी आएगी। आपके जीवनसाथी को शारीरिक कष्ट हो सकता है। आपको अपनी संतान से सहयोग प्राप्त हो सकता है। भाग्य से आपको मदद प्राप्त हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 13 अक्टूबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 7 और 8 तारीख को आपके सुख में कमी आ सकती है या आपके माताजी को कष्ट हो सकता है। 11 और 12 तारीख को आपको कोई भी कार्य बड़े सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। व्यापार में उन्नति होगी। धन की प्राप्ति होगी। भाग्य साथ देगा। शत्रु शांत रहेंगे। कार्यालय में आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 13 अक्टूबर को आपको सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कचहरी के कार्यों में सफलता प्राप्त होने का योग है। व्यापार ठीक चलेगा। भाग्य से कोई विशेष प्राप्ति नहीं हो पाएगी। शरीर के निचले अंग में परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए अनुकूल है। 7 और 8 तारीख को आपके प्रयासों से धन प्राप्ति हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मसूर की दाल का दान करें और मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपके व्यापार में उन्नति होगी। आपका स्वास्थ्य पहले जैसा ही रहेगा। कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। धन आने का योग है। आपके संतान को कष्ट हो सकता है। माता जी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। आपके सुख में बाधा पड़ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 13 अक्टूबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 7 और 8 तारीख को आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह कार्यालय में आपको अच्छी सफलता मिल सकती है। धन आने के अच्छे योग भी बनेंगे। आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में समस्या हो सकती है। भाई बहनों के साथ पहले जैसा ही संबंध रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। सात और आठ तारीख को आपको कचहरी के कार्यों में आपके प्रयास के कारण सफलता मिल सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन गुरुवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपके व्यापार में उन्नति होगी। भाग्य आपका साथ देगा। शत्रु पराजित होंगे। संतान को कष्ट हो सकता है। भाई बहनों के साथ तनाव हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। सात और आठ तारीख को धन प्राप्त होने का योग बन सकता है। 9 और 10 तारीख को आपको सचेत रहकर कोई भी कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य पिछले सप्ताह जैसा ही रहेगा। इस सप्ताह भाग्य आपका साथ देगा। आपके पराक्रम में कमी आएगी। सुख में भी कमी आ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 13 अक्टूबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 7 और 8 अक्टूबर को आपको कार्यालय के कार्यों में सावधान रहना चाहिए। 11 और 12 अक्टूबर को आपको कोई भी कार्य सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काले तिल का दान करें और शनिवार को शनि मंदिर में जाकर भगवान शनि की पूजा अर्चना करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके सुख में थोड़ी कमी आ सकती है। भाई बहनों के साथ तनाव हो सकता है। कचहरी के कार्यों में रिस्क ना लें। इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 अक्टूबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 7 और 8 तारीख को भाग्य आपका साथ दे सकता है। 13 तारीख को आपको कोई भी कार्य बड़े सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और शनिवार को दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम पांच बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

 

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको किसी अच्छे ज्योतिषी से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – विविधा ☆ अक्षर… ☆ प्रा डॉ जी आर प्रवीण जोशी ☆

प्रा डॉ जी आर प्रवीण जोशी

🌸 विविधा 🌸

☆ अक्षर…  ☆ प्रा डॉ जी आर प्रवीण जोशी 

विश्वातील अनादी काळापासून, अक्षरशः अक्षर निर्मिती ! न क्षरती इति 

अक्षर ! ज्याचा नाश कधीच होत नाही असे अक्षर ! अक्षर कुठून तयार झाली ? भाषा व लिपी कोणती जरी असली तरी , अक्षर ही प्रथम नाद निर्माण करतात ! नाद हा परत दोन प्रकारचा आहत आणि अनाहत !  आहत नाद 

मुखातून वा कोणत्याही आघातजन्य पदार्थापासून निर्मित असतो अनित्य असतो. अनाहत नाद हा स्वर्गीय नित्य असतो. मुखातील जिव्हा, टाळू, दंत ओष्ट, नासिक ह्यांच्या आघातामुळे नाद किंवा अक्षर तयार होत असते. 

अ उ म – म्हणजेच ओम  हा आकार, उकार, मकार ह्या तीन धातूंपासून तयार झाला आहे . 

अक्षर हे मानवाचे प्राण आहे ! बघा हं विचित्र वाटेल पण त्रिकालाबाधित सत्य आहे ! जन्मतः प्रसव झाल्यापासून को s हं ? किंवा को अहं ! ह्या अक्षरांना किती महत्व आहे हे तुम्ही जाणताच . बाळ रडले ह्याचा अर्थ त्याचा पहिला श्वास चालू झाला ! रडणे म्हणजेच श्वास घेणे आणि सोडणे , म्हणजेच त्याचा श्वासोच्छ्वास चालू झाला ! ह्यांचाच अर्थ त्याचे फुफ्फुसे व ह्रदय क्रिया चालू झाली !त्याला जीव प्राप्त झाला ! मंडळी  हाच तो अनाहत नाद ! इथे कुठलाच आघात न होता अक्षर तयार झाले ! ईश्वर निर्मित नाद ! अक्षरे देऊन गेला ! प्राण व्यानं उदान ह्या वायूची गती इथे प्राप्त झाली .  प्राण ह्रदयस्थित व्यानं फुफ्फुस स्थित , उदान कंठ स्थित !

आपण बोलताना वरील तिन्ही वायूंचे चलनवलन होत असतेच . अपान वायू मलमूत्र विसर्ग होत असताना कार्य करते . तर समान वायू 

अग्निवर्धन करून अन्न पचन करते. आघात होण्यासाठी वायू व आकाश ह्याची गरज आघात मुखात होतो व तोंडातील वा श्वास मार्गातील पोकळी किंवा अवकाश अक्षर , शब्द निर्मिती करत असते . माणूस सजीव असेपर्यंत अक्षर आवाज जन्मापासून मृत्यू पर्यंत अव्याहतपणे चालू असते ! आघात अक्षर शब्द हे जेव्हा थांबतील तेव्हा जीव नाहीसा होतो ! जीव जात  असताना पण घश्यात घुरघुर लागते व श्वास थांबतो – त्यालाच मृत्यू म्हणतात ! 

अनेक अक्षर मिळून शब्द तयार होतो , परा – पश्चन्ती मध्यमा – वैखरी ही त्याचे सूक्ष्म रूपे होत ! बेंबीच्या देठापासून ते कंठातून – मुखापासून बाहेर पडण्याच्या क्रियेला खरतर फुफ्फुसे व कंठ श्वासपटल मुख ही सर्व कार्यरत असतात ! त्यासाठी वरील तिन्ही वायूचे साक्षात प्राणाचे कार्य अव्याहतपणे चालू असते . शरीरांतर्गत ह्या सूक्ष्म क्रिया असतात . तो सजीव बोलत असतो आहत नादामुळे , मुखातील आघातामुळे ! ह्याच आघातामुळे नादमय संगीत पण तयार होत असते .

अक्षर ही सरस्वती कृत निर्मित ! तर चौदा विद्या चौसस्ट कला ह्या श्री गणेशाधीन श्री गणपती ही त्याची देवता . मग सरस्वती पूजन का ? सरस्वती ही प्रत्येक्ष्यात प्रतिभा ! उत्स्फूर्तता ! सृजनशील ! वाक् – बोलणे , ईश्वरी – अनाहत नाद निर्माण करणारी बीज मंत्र !

अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ आं 

यरळवष श स हं ळ क्ष ज्ञ 

क ख ग ग इत्यादी मुळाक्षरे 

काही भाषेत बाराखडी, तर काही भाषेत चौदाखडी

उदा. कानडी भाषा चौदाखडी ( ह्रस्व आणि दीर्घ ए ) असो. 

पाणिनीला मात्र वेगळीच बीजमंत्र मिळाले . शंकराच्या डमरूतुन त्याला चौदा शब्द समुच्चय मिळाला ! त्यावरच पाणिनीने लघुसिद्धांत कौमुदी हे व्याकरण शास्त्राचे नवीन प्रबंध निर्माण केला . जे आजही व्याकरण शास्त्राचे आधारभूत ग्रंथ म्हणून पाहिले जाते . चार चार अक्षरांचा चौदा समूह तयार करून त्यांनी , अक्षरपट मांडला . विस्तार भयास्तव येथे देत नाही ! तरीपण ह्या शास्त्राला नाद संरचना ( phoneticks ) म्हणून जगात मान्यता आहे ! 

कर्ण बधिर शास्त्रात उपयोग केला गेला ! महत्वाचे म्हणजे मला अस प्रश्न पडतो की ? 

सुदृढ माणूस ऐकू शकतो , बोलू शकतो . मूक बधिरांचं काय ? ? अक्षर समूह म्हणजे शब्द , शब्द समूह म्हणजे वाक्य . नाम क्रियापद कर्म , इत्यादी . 

ही मुळाक्षरे, तसेच संगीत शास्त्रातील , “सा रे ग म प ध नी सा”  सप्तसूर कोमल स्वर 

“मंद्र मध्य तार सप्तक” ह्यांचा  कंठातून होणारा आघात – नादमय ध्वनी इथे मुळाक्षरे सप्तस्वरच राज्य करतात !

अस असलेतरी मुखातून आलेला ध्वनी कर्ण पटलावरच कार्य करतात, किंबहुना कर्ण अबाधित असेलतरच ह्याचे ज्ञान होणार . 

मुळाक्षरे जशी आहेत तशीच बिजाक्षरे पण वेदानी प्रमाणभूत मानली आहेत. हीच बिजाक्षरे देवांच्या प्राण प्रतिष्ठासाठी ग्राह्य मानली जातात. 

आपण वार्षिक गणपतीचा उत्सव दहा दिवस आनंदाने साजरा करतो . दहा दिवस  आपण मनोभावे पूजा करतोच बाजारातून   आणलेला गणपती, घरी पूजेसाठी ज्यावेळी मांडतो त्यावेळी, बिजाक्षरानी त्यात प्राण व्यान उदान अक्षरांनी प्रतिष्ठा केली जाते. ती अक्षरे खालीलप्रमाणे.

ओं आं ह्रिम क्रोम् । 

अं यं रं लं वं शम वं सं हं लं इत्यादी — सर्व अनुनासिक अक्षर 

जन्मतः बाळ रडत ते पण अनुनासिक अक्षर !

को ss हं किंवा टँहै टँह्या ही अशी अनादी अनंत प्रक्रिया सृष्टीत अव्याहत चालू आहेच. बऱ्याच वनस्पतीमध्ये पण ही क्रिया चालू असतेच उदा. केळीचा कोका ज्यावेळी बाहेर पडतो त्यावेळी आवाज येतो. तो अक्षरशः अक्षरांनी. तस बरेच काही अक्षराबद्दल सांगता येईल. ह्या जगात तुम्ही आम्ही असू वा नसू पण अक्षरे ही अबाधित असतील एवढं मात्र खरे !

तेच प्रांजळ सत्य आहे . 

© प्रो डॉ प्रवीण उर्फ जी आर जोशी

ज्येष्ठ कवी लेखक

मुपो नसलापुर ता रायबाग, अंकली, जिल्हा बेळगाव कर्नाटक, भ्रमण ध्वनी – 9164557779 

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – चित्रकाव्य ☆ हसरी जोडी… ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

सुश्री नीलांबरी शिर्के

?️?  चित्रकाव्य  ?️?

☆ हसरी जोडी… ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के

बुट म्हणून जन्मापासून

हसत असते यांची जोडी

पाय अडकवता  विश्रांती

मिळे हास्या आपसूक थोडी

*

माती चिखल दगड धोंडे

इमानाने तुडवत जातात

पायापासून मुक्त होताच

हास्यमुद्रा आपसूक होतात

*

 जे करायच ते प्रामाणिकपणे

 हसत हसत करत जावं 

 बुटाची  जोडी  शिकवते

 कण्हत की गाणं म्हणत जगावं 

     

©  सुश्री नीलांबरी शिर्के

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आलेख ☆ स्मृति शेष राजुरकर राज : एक ज़िद्दी स्वप्न दृष्टा ☆ श्री सुरेश पटवा ☆

श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। आज प्रस्तुत है  स्व राजुरकर राज जी  पर आपका आलेख )

(२७ सप्टेंबर १९६१ – १५ फेब्रुवारी २०२३)

? आलेख ☆ स्मृति शेष राजुरकर राज : एक ज़िद्दी स्वप्न दृष्टा ☆ श्री सुरेश पटवा ?

हमारा वीर सिपाही इस बात को जानता था कि स्वप्न देखना आसान है लेकिन उसे सच की ज़मीन पर उतरना अत्यंत दुष्कर काम होता है। नामचीन साहित्यकारों की पांडुलिपियाँ, दैनिक उपयोग की चीजें, आवाजों के नमूने और न जाने क्या-क्या समेटने के जुनून ने घर में चीजों का ढेर लगाना शुरू कर दिया, और घर भी क्या डेढ़ कमरे का मकान जिसमें बैठक, शयन कक्ष, रसोई, गुसलख़ाना सब कुछ शामिल। चीजों का ढेर लगता जा रहा था। पति-पत्नी दोनों नौकरीशुदा। घर-गृहस्थी सम्भालना मुश्किल होता है तो इन बाहरी चीजों का ढेर लगाना झुँझलाहट और तकरार को जन्म देता था।

राजुरकर जानते थे कि स्वप्न वह नहीं जो सोते हुए नींद में देखे जाते हैं, बल्कि स्वप्न वह होता है जो आपकी नींद ही उड़ा दे। वे रात-रात भर जाग कर बहुमूल्य चीजों को व्यवस्थित करते। उन्हें इस तरह देखते जैसे कोई माँ अपने सोते बच्चे के मासूम चेहरे को निहार कर गर्व से भर जाती है। 

उसके लिए संघर्ष का एक लम्बा रास्ता तय करना था।  गृहस्थी और नौकरी की परेशानियाँ के बीच रास्ता आसान नहीं था।  इसमें कदम-कदम पर कठिनाइयाँ उनका स्वागत करतीं।  वास्तव में रास्ता तनावभरा होता। वो जानते थे कि जो इन रास्तों पर चलते हैं, उनकी राह में मुश्किलें आती ही हैं, पर उन्हें आसान रास्ता कतई पसंद नहीं था। वे सदैव नए रास्तों की तलाश में होते। यह जानते हुए भी कि यह नया रास्ता तनाव भरा होगा, फिर भी वे चल पड़ते अपना रास्ता स्वयं बनाते हुए एक तयशुदा मंजिल की ओर….। राजुरकर राज उन्हीं विरले लोगों में से हैं, जिन्हें अपना रास्ता स्वयं तलाशने और बनाने की ज़िद होती है, उन्हें उसी में आनंद आता था।

इस मुश्किल राह पर उनका साथ देने आये अशोक निर्मल। जिनकी अध्यक्षता में एक अनौपचारिक समिति गठित हुई। उन्हें दुष्यंत कुमार जी की पत्नी श्रीमति राजेश्वरी त्यागी जी का सहयोग मिलने लगा। दुष्यंत जी से जुड़ी चीजें क़रीने से रखी जाने लगीं। उन्होंने उस डेढ़ कमरे के मकान में “दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय” नाम का पौधा रोप दिया। दोनों उस पौधे को देखते, उसकी नाज़ुक पत्तियों की सहलाते, उसे धूप और पानी देते और बारिश में अति पानी और गर्मी के दिनों में धूल से बचाते। जब चीजों को सहेजने हेतु कमरा छोटा पड़ने लगा तो बड़ा मकान लेने की बात पर विचार हुआ। उन्होंने सितम्बर 1999 में नेहरू नगर स्थित उद्धवदास मेहता परिसर में एक मकान ले लिया। घर के सामान के साथ संग्रहालय भी नये आवास में घर के सदस्य की भाँति छोटे ट्रक पर लद कर पहुँच गया। नये आवास में घर के बाक़ी सदस्य अपनी-अपनी चीजों को व्यवस्थित करके बैठ गए। संग्रहालय की चीजों का ढेर राजुरकर राज का मुँह चिढ़ाता रहा। उन्होंने रात-रात भर जागकर चीजों को क़रीने से ज़माना शुरू किया। जगह की क़िल्लत ने झिकझिक और तकरार को जन्म दिया। लेकिन स्वप्न दृष्टा अडिग था। अपनी बनाई राह पर चलता रहा।

समिति का पंजीयन कराया। कार्यकारिणी गठित की। यह सब आसान नहीं होता। समिति का विधान बनाना, नियमित बैठक करना, सरकारी महकमे को प्रतिवेदन भेजना, आवश्यक धन की व्यवस्था करना और समिति में उपजते अंतर्विरोधों को सुलझाना, विघ्नसंतोषियों की चालों को काटना, ग़लत आलोचनाओं और निंदा को अनदेखा करना। राजुरकर की ज़िद अशोक निर्मल का साथ मिलने से इन सबका सामना करते हुए तय मंज़िल की तरफ़ बढ़ती रही।  

यह एक छोटा-सा पौधा था, जिसे सपनों ने रोपा और जिसे अपनों का सम्बल मिला, वह आज सघन बटवृक्ष बन गया है। ढेर सारी उपलब्धियों के बीच राजुरकर भले ही अपने स्वास्थ्य को लेकर धीमे कदमों से चलते रहे, पर सच तो यह है कि उनके कदम सधे हुए थे। अपनी मिलनसारिता के चलते दोस्तों के साथ गति बनी रही। इस दौरान कई आपदाएँ भी आई, सभी का बहादुरी से सामना किया।

कितना बलिदान, कितना श्रम, कितना धन, कितनी पीड़ा व कितना समर्पण, इन सबसे  गुजरकर राजुरकर ने अपना तन मन धन अर्पित कर अपने भीतर संजोये स्वप्न को ग्लेशियर के पिघलने की गति से साकार किया। अपने दो कमरे के आवास का एक कमरा “संग्रहालय“ बना दिया था। बाक़ी पूरा परिवार एक कमरे में गुज़ारा करता था।

राजुरकर राज के इस कार्य में प्रमुख रूप से सहयोग करने वालों में कुछ नाम का उल्लेख  वो हमेशा करते थे, अशोक निर्मल, बाबूराव गुजरे, घनश्याम मैथिल, आर एस तिवारी, श्रीमती करुणा राजुरकर।  बाद में पुत्रवत संजय राय आ जुड़े। जिनके सहयोग के बिना ये दुष्कर कार्य संभव नहीं हो सकता था।

कई साथी इस सफर में शामिल हुए, तो कई बिछुड़ भी गए। मिलने और बिछुड़ने के इस क्रम में भाई राजुरकर का स्वास्थ्य भी उनका साथ छोड़ने लगा था। अपनों का प्यार और कुछ कर गुज़रने मी ज़िद उन्हें वापस अपने कर्मपथ पर ले आता था। दुर्लभ, अनोखी और अनमोल धरोहर के बीच राजुरकर भी अनमोल होते चले गए। उनके ख़्वाब को पंख तो लग गये लेकिन मुश्किलें कम नहीं थीं। 1997 से यह सफर शुरू हुआ, 2023 तक न जाने कितने पड़ाव तय किए। सबका लेखा जोखा नहीं किया जा सकता। 

© श्री सुरेश पटवा 

भोपाल, मध्य प्रदेश

*≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 133 ☆ मुक्तक – ।।नवरात्रि महिमा।। हे माँ दुर्गा पापनाशनी,तेरा वंदन बारम्बार है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 133 ☆

☆ मुक्तक ।।नवरात्रि महिमा।। हे माँ दुर्गा पापनाशनी,तेरा वंदन बारम्बार है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

[1]

सुबह शाम की   आरती  और माता का जयकारा।

सप्ताह का हर दिन बन  गया शक्ति  का  भंडारा।।

केसर चुनरी चूड़ी रोली हे माँ करें तेरा सब श्रृंगार।

सिंह पर सवार माँ दुर्गा आयी बन भक्तों का सहारा।।

[2]

तेरे नौं रूपों में  समायी  शक्ति बहुत  असीम  है।

तेरी भक्ति से बन जाता व्यक्ति संस्कारी  प्रवीण है।।

हे वरदायनी  पपनाशनी   चंडी रूपा  कल्याणी तू।

लेकर तेरे नाम मात्र से हो जाता व्यक्ति दुखविहीन है।।

[3]

नौं दिन की   नवरात्रि  मानो कि ऊर्जा का  संचार है।

भक्ति में लीन तेरे   भजनों   की नौ दिन भरमार है।।

कलश सकोरा  जौ  और   पानी आस्था के   प्रतीक।

हे जगत पालिनी माँ  दुर्गा   तेरा वंदन बारम्बार है।।

।।शारदीय नवरात्रि की अनन्त असीम शुभकामनाओं सहित।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 197 ☆ माँ दरशन की अभिलाषा ले हम द्वार तुम्हारे आये हैं… ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित – “माँ दरशन की अभिलाषा ले हम द्वार तुम्हारे आये हैं। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।) 

☆ काव्य धारा # 197 ☆ माँ दरशन की अभिलाषा ले हम द्वार तुम्हारे आये हैं☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

माँ दरशन की अभिलाषा ले हम द्वार तुम्हारे आये हैं

एक झलक ज्योती की पाने सपने ये नैन सजाये हैं 

*

पूजा की रीति विधानों का माता है हमको ज्ञान नही 

पाने को तुम्हारी कृपादृष्टि के सिवा दूसरा ध्यान नहीं 

फल चंदन माला धूप दीप से पूजन थाल सजाये हैं 

दरबार तुम्हारे आये हैं, मां  द्वार तुम्हारे आये हैं 

*

जीवन जंजालों में उलझा, मन द्विविधा में अकुलाता है 

भटका है भूल भुलैया में निर्णय नसही कर पाता है 

मां आँचल की छाया दो हमको, हम माया में भरमाये हैं

दरबार तुम्हारे आये हैं, हम द्वार तुम्हारे आये हैं 

*

जिनका न सहारा कोई माँ, उनका तुम एक सहारा हो 

दुखिया मन का दुख दूर करो, सुखमय संसार हमारा हो 

आशीष दो मां उन भक्तों को जो, तुम से आश लगाये हैं 

दरबार तुम्हारे आये हैं, सब  द्वार तुम्हारे आये हैं 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य #252 ☆ कविता – वजूद औरत का… ☆ डॉ. मुक्ता ☆

डॉ. मुक्ता

(डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य” के माध्यम से  हम  आपको प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी की स्त्री जीवन पर आधारित एक भावप्रवण कविता वजूद औरत का…। यह डॉ मुक्ता जी के जीवन के प्रति गंभीर चिंतन का दस्तावेज है। डॉ मुक्ता जी की  लेखनी को  इस गंभीर चिंतन से परिपूर्ण आलेख के लिए सादर नमन। कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य  # 252 ☆

वजूद औरत का… 

काश! इंसान समझ पाता

वजूद औरत का

वह अबला नारी नहीं

नारायणी है,दुर्गा है,काली है

समय आने पर कर सकती

वह शत्रुओं का मर्दन

छुड़ा सकती है उनके छक्के

और धारण कर सकती है

मुण्डों की माला

 

वह सबला है

असीम शक्तियां संचित हैं उसमें

कठिन परिस्थितियों में

पर्वतों से टकरा सकती

आत्मसम्मान पर आंच आने पर

वह अहंनिष्ठ पुरुष को

उसकी औक़ात दिखला सकती

 

बहुत कठिन होता है

विषम परिस्थितियों से

समझौता करना

दिल पर पत्थर रखकर जीना

सुख-दु:ख में सम रहना

सकारात्मक सोच रख

निराशा के गहन अंधकार को भेद

आत्मविश्वास का दामन थामे

निरंतर संघर्षशील रहना

यही सार ज़िंदगी का

 

यदि मानव इस राह को

जीवन में अपनाता

तो लग जाते खुशियों के अंबार

चलती अलमस्त मलय बयार

और ज़िंदगी उत्सव बन जाती

●●●●

© डा. मुक्ता

माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत, पूर्व निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी

संपर्क – #239,सेक्टर-45, गुरुग्राम-122003 ईमेल: drmukta51@gmail.com, मो• न•…8588801878

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिंदी साहित्य – कविता ☆ “पूजा का फल…” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆

श्री प्रतुल श्रीवास्तव 

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक श्री प्रतुल श्रीवास्तव, भाषा विज्ञान एवं बुन्देली लोक साहित्य के मूर्धन्य विद्वान, शिक्षाविद् स्व.डॉ.पूरनचंद श्रीवास्तव के यशस्वी पुत्र हैं। हिंदी साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतुल श्रीवास्तव का नाम जाना पहचाना है। इन्होंने दैनिक हितवाद, ज्ञानयुग प्रभात, नवभारत, देशबंधु, स्वतंत्रमत, हरिभूमि एवं पीपुल्स समाचार पत्रों के संपादकीय विभाग में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया। साहित्यिक पत्रिका “अनुमेहा” के प्रधान संपादक के रूप में इन्होंने उसे हिंदी साहित्य जगत में विशिष्ट पहचान दी। आपके सैकड़ों लेख एवं व्यंग्य देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। आपके द्वारा रचित अनेक देवी स्तुतियाँ एवं प्रेम गीत भी चर्चित हैं। नागपुर, भोपाल एवं जबलपुर आकाशवाणी ने विभिन्न विषयों पर आपकी दर्जनों वार्ताओं का प्रसारण किया। प्रतुल जी ने भगवान रजनीश ‘ओशो’ एवं महर्षि महेश योगी सहित अनेक विभूतियों एवं समस्याओं पर डाक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्माण भी किया। आपकी सहज-सरल चुटीली शैली पाठकों को उनकी रचनाएं एक ही बैठक में पढ़ने के लिए बाध्य करती हैं।

प्रकाशित पुस्तकें –ο यादों का मायाजाल ο अलसेट (हास्य-व्यंग्य) ο आखिरी कोना (हास्य-व्यंग्य) ο तिरछी नज़र (हास्य-व्यंग्य) ο मौन

आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “पूजा का फल… “ की समीक्षा)

☆ “पूजा का फल…” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव

जगतजायनी की पूजा का

फल केवल वह पाता है,

अपनी जन्मदायनी के प्रति

जो कर्तव्य निभाता है ।

 *

तेरे कटु वचनों से तेरी

  जन्मदायनी यदि रोए,

फिर तेरे भजनों से कैसे

जगतजायनी खुश होए ?

 *

तेरे दुर्व्यवहार से तेरी

जन्मदायनी दुख ढोए,

फिर तेरी सेवा से कैसे

जगतजायनी खुश होए ?

 *

तेरी तंगदिली से भूखी

जन्मदायनी यदि सोए,

कैसे तेरे भोग – प्रसाद से

जगतजायनी खुश होए ?

 *

वस्त्र अभाव में तेरी माता

यदि अपनी लज्जा खोए,

फिर तेरी लाल चुनरिया से

क्यों जगतजायनी खुश होए ?

 *

जगतजायनी की पूजा का

फल केवल वह पाता है,

अपनी जन्मदायनी के प्रति

जो कर्तव्य निभाता है ।

© श्री प्रतुल श्रीवास्तव 

संपर्क – 473, टीचर्स कालोनी, दीक्षितपुरा, जबलपुर – पिन – 482002 मो. 9425153629

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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