हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ अभिनव गीत # 229 – “आज आँगन के थके हाथों…” ☆ श्री राघवेंद्र तिवारी ☆

श्री राघवेंद्र तिवारी

(प्रतिष्ठित कवि, रेखाचित्रकार, लेखक, सम्पादक श्रद्धेय श्री राघवेंद्र तिवारी जी  हिन्दी, दूर शिक्षा, पत्रकारिता व जनसंचार,  मानवाधिकार तथा बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं शोध जैसे विषयों में शिक्षित एवं दीक्षित। 1970 से सतत लेखन। आपके द्वारा सृजित ‘शिक्षा का नया विकल्प : दूर शिक्षा’ (1997), ‘भारत में जनसंचार और सम्प्रेषण के मूल सिद्धांत’ (2009), ‘स्थापित होता है शब्द हर बार’ (कविता संग्रह, 2011), ‘​जहाँ दरक कर गिरा समय भी​’​ ( 2014​)​ कृतियाँ प्रकाशित एवं चर्चित हो चुकी हैं। ​आपके द्वारा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए ‘कविता की अनुभूतिपरक जटिलता’ शीर्षक से एक श्रव्य कैसेट भी तैयार कराया जा चुका है। आज प्रस्तुत है आपका एक अभिनव गीत “आज आँगन के थके हाथों...)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 229 ☆।। अभिनव गीत ।। ☆

☆ “आज आँगन के थके हाथों...” ☆ श्री राघवेंद्र तिवारी 

चुप रहो कि तनिक दूरी पर

रुकी घबराहटें

पास में आती हुई सहमी

सुरों की आहटें ॥

 

घर नहीं बोला यहाँ कुछ

सहन कर मजबूरियों को

पीठ पर लादे समय की

अनगिनत कुछ दूरियों को

 

कई मुखड़ों में बनी हैं

कष्ट की ताजा धुने क्यों

मुस्कराते इन कपोलों में

कहीं कुछ सलवटें  ॥

 

आज आँगन के थके हाथों

छपा इतिहास सारा

कहरहा भूगोल कैसे क्या

यहाँ पर हो गुजारा

 

कुटुम का मुखिया समाजों

की युगों से छानता है

गुम हुई परिवार की

ताजातरीं वो तलछटें ॥

 

अब बची परिपक्व होती

हुई केवल एक आशा

किन्तु ओढे हुये है

गृहस्वामिनी भीषण निराशा

 

देह जिसकी सहन न

कर पा रही थी जो उसीके

कठिन हिस्से आपड़ी

दुर्दांत गतिमय करवटें हैं ॥

©  श्री राघवेन्द्र तिवारी

14 – 03 – 2025 

संपर्क​ ​: ई.एम. – 33, इंडस टाउन, राष्ट्रीय राजमार्ग-12, भोपाल- 462047​, ​मोब : 09424482812​

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 211 ☆ # “इस होली में…” # ☆ श्री श्याम खापर्डे ☆

श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता इस होली में…”।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 211 ☆

☆ # “इस होली में…” # ☆

अबीर गुलाल लगाओ इस होली में

गीत खुशी के गाओ इस होली में

 

अमराई में कोयल गाती

भ्रमरों को कलियाँ मदमाती

आम्र वृक्ष सा बौराओ इस होली मे

अबीर गुलाल लगाओ इस होली में

 

भीगी है रंगों से चोली

फूट रही अंगों से बोली

कामबाण से देह बचाओ इस होली में

अबीर गुलाल लगाओ इस होली में

 

दया नहीं अधिकार चाहिए

तिरस्कार नहीं प्यार चाहिए

मानवता का अलख जगाओ इस होली में

अबीर गुलाल लगाओ इस होली में

 

बिखर गए हैं सारे सपने

बिछड़ गए हैं हमसे अपने

नफरत की दीवार गिराओ इस होली में

अबीर गुलाल लगाओ इस होली में     

 

तपिश सूर्य की पी जाओ

मधुर चांदनी जग में लाओ

धरती को ही स्वर्ग बनाओ इस होली में

अबीर गुलाल लगाओ इस होली में

 

अबीर गुलाल लगाओ इस होली में

गीत खुशी के गाओ इस होली में /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  ≈

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हिन्दी साहित्य – कथा कहानी ☆ लघुकथा – त्यौहार… ☆ श्री राजेन्द्र तिवारी ☆

श्री राजेन्द्र तिवारी

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी जबलपुर से श्री राजेंद्र तिवारी जी का स्वागत। इंडियन एयरफोर्स में अपनी सेवाएं देने के पश्चात मध्य प्रदेश पुलिस में विभिन्न स्थानों पर थाना प्रभारी के पद पर रहते हुए समाज कल्याण तथा देशभक्ति जनसेवा के कार्य को चरितार्थ किया। कादम्बरी साहित्य सम्मान सहित कई विशेष सम्मान एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा वार्ताएं प्रसारित। हॉकी में स्पेन के विरुद्ध भारत का प्रतिनिधित्व तथा कई सम्मानित टूर्नामेंट में भाग लिया। सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहा। हम आपकी रचनाएँ समय समय पर अपने पाठकों के साथ साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय लघुकथा त्यौहार।)

☆ लघुकथा – त्यौहार☆ श्री राजेन्द्र तिवारी ☆

चौराहे पर, अपनी छोटी बच्ची को लिए, वह गुलाल के पैकेट बेच  रही थी। जो भी कार, लाल सिग्नल पर रुकती थी, वह कार के पास पहुंच जाती और शीशे पर उंगली की दस्तक कर वह गुलाल पैकेट लेने का आग्रह करती।  जो चाहते, उससे ले लेते, कुछ लोग शीशा ही नहीं खोलते थे, और चले जाते थे।  वह फिर भी आस लगाए, हर कार वाले के पास जाकर, पैकेट गुलाल ले लो, कह कर उन्हें मनाया करती। एक परिवार कार में था, पति-पत्नी, उनकी माताजी और उनकी बेटी जो कॉलेज में पढ़ती थी। उसके पास भी गुलाल बेचने वाली ने शीशे पर दस्तक दे कर, गुलाल लेने का आग्रह किया। उनकी बेटी ने गुलाल का पैकेट लिया और उस बेचने वाली को भी क्योंकि होली के उत्सव पर जिसने गुलाल नहीं लगाई थी, उसको और उसकी बच्ची को गुलाल लगा दिया। वह महिला चिल्लाने लगी कि मुझे गुलाल लगाने की हिम्मत कैसे हुई? क्यों गुलाल लगाया मुझे? परिवार ने कहा-  आप गुलाल आप बेच रही थी, और क्योंकि आपने आज होली का गुलाल नहीं लगाया था इसलिए, आपको और आपकी  बच्ची को, जिसे आप लिए हैं उसे थोड़ा सा गुलाल लगा दिया।  वह गुस्से में चिल्लाई कि हम तुम्हारे मजहब के नहीं हैं तुमने हमें गुलाल क्यों लगाया? हमारे मजहब में गुलाल नहीं खेलते, रंग नहीं लगाते है, शोर हो गया, काफी हंगामा हो रहा था। कार में बैठे परिवार ने बाहर निकल कर उससे माफी मांगी कि-  बहन हमें माफ करो हम आपका मजहब नहीं जानते थे, मगर आप गुलाल बेच रही थी, इसलिए बिटिया ने गुलाल लगा दिया।

वो महिला कुछ शांत हुई और रोने लगी और कहने लगी- कि रंग किसी भी मजहब में बुरे नहीं होते, मगर हम नहीं खेल सकते। पति की मृत्यु के बाद हम, हर त्यौहार पर, उस त्यौहार में काम आने वाली सामग्री बेच तो सकते हैं, मगर हर त्यौहार मना नहीं सकते। कोई भी धर्म आपस में लड़ना नहीं सिखाता और… । अपने पल्लू से अपना और इन सब बातों से अनजान अपनी बच्ची का रंग पोंछते हुए रो पड़ी। उसकी आंखों से आंसू बरसने लगे।

सच है कोई भी धर्म आपस में लड़ने की बात नहीं करता, लड़ते तो वे हैं जो धर्म ग्रंथो का सार ही नहीं समझ पाए जो जीवन के लिए आवश्यक है।

© श्री राजेन्द्र तिवारी  

संपर्क – 70, रामेश्वरम कॉलोनी, विजय नगर, जबलपुर

मो  9425391435

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ परिहार जी का साहित्यिक संसार # 280 ☆ व्यंग्य – दुख की होली ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार ☆

डॉ कुंदन सिंह परिहार

(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय  डॉ  कुन्दन सिंह परिहार जी  का साहित्य विशेषकर व्यंग्य  एवं  लघुकथाएं  ई-अभिव्यक्ति  के माध्यम से काफी  पढ़ी  एवं  सराही जाती रही हैं।   हम  प्रति रविवार  उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते  रहते हैं।  डॉ कुंदन सिंह परिहार जी  की रचनाओं के पात्र  हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं।  उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल  की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक सार्थक एवं सटीक व्यंग्य – ‘दुख की होली‘। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार  # 280 ☆

☆ व्यंग्य ☆ दुख की होली

खन्ना परिवार की होली दुख की होली हो गयी है। भ्रम में न पड़ें, उनके यहां कोई ग़मी नहीं हुई है। बात यह है कि उनके यहां काम करने वाली सभी बाइयां छुट्टी लेकर गांव चली गई हैं। उनके घर में तीन बाइयां खाना बनाने से लेकर झाड़ू-पोंछा तक का काम करती हैं। उनमें से दो के परिवार में कोई मृत्यु हो गई थी, इसलिए वे दुख की होली मनाने गांव चली गयी हैं। उनके हफ्ते भर से पहले लौटने की उम्मीद नहीं है। बाकी एक है, लेकिन उसने भी तीन दिन की छुट्टी ली है। खन्ना परिवार के लिए मुश्किल वक्त है।

मिसेज़ खन्ना बहुत सफाई-पसन्द हैं। बाई सफाई करती है तो वे सिर पर खड़ी रहती हैं। उंगली चला चला कर धूल की पर्त बताती हैं। बाई को चैन से बैठने नहीं देतीं। इसीलिए बाइयों की छुट्टी उनके लिए मुसीबत का सबब बनती है।

घर का काम मिसेज़ खन्ना के लिए मुसीबत है। उनका वज़न ज़्यादा है, रक्तचाप की दवा लेनी पड़ती है। घुटनों में भी पीड़ा रहती है। चलना मुश्किल होता है। किचिन में ज़्यादा देर खड़ी नहीं रह सकतीं। इसीलिए बाइयों के चले जाने पर घर में दिन भर चिड़चिड़ होती है, पति और बच्चों पर गुस्सा निकलता है।

बाइयों की अनुपस्थिति के पहले दिन मिसेज़ खन्ना ने रो-झींक कर दोपहर का खाना बना दिया। लेकिन उसके बाद वे, निढाल, पलंग पर लेट गयीं। पति से बोलीं, ‘मैं शाम  का खाना नहीं बनाऊंगी। आई एम टोटली एक्ज़्हास्टेड। घुटने इतना ‘पेन’ कर रहे हैं। शाम का खाना होटल से बुलवा लेना। इट इज़ बियोंड मी।’

बच्चों ने सुना तो खुश हो गये ।बाहर से खाना आना है तो पिज़्ज़ा-बर्गर, नूडल्स आना चाहिए। बाहर से आना है तो फिर घर जैसा खाना क्यों? पिता के सामने फरमाइश पेश होने लगी।

अब मिस्टर खन्ना बैठे हिसाब लगा रहे हैं। पिज़्ज़ा-बर्गर आएगा तो एक दिन का बिल ही दो ढाई हज़ार पर पहुंचेगा। अभी तो पांच छः दिन काटना है। तब तक कितने का चूना लगेगा?

अब मिसेज़ खन्ना के साथ-साथ मिस्टर खन्ना की होली भी दुख  की होली हो गयी है।

© डॉ कुंदन सिंह परिहार

जबलपुर, मध्य प्रदेश

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – कथा कहानी ☆ ≈ मॉरिशस से ≈ – लघुकथा – अनबोलते जानवर – ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

श्री रामदेव धुरंधर

(ई-अभिव्यक्ति में मॉरीशस के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर जी का हार्दिक स्वागत। आपकी रचनाओं में गिरमिटया बन कर गए भारतीय श्रमिकों की बदलती पीढ़ी और उनकी पीड़ा का जीवंत चित्रण होता हैं। आपकी कुछ चर्चित रचनाएँ – उपन्यास – चेहरों का आदमी, छोटी मछली बड़ी मछली, पूछो इस माटी से, बनते बिगड़ते रिश्ते, पथरीला सोना। कहानी संग्रह – विष-मंथन, जन्म की एक भूल, व्यंग्य संग्रह – कलजुगी धरम, चेहरों के झमेले, पापी स्वर्ग, बंदे आगे भी देख, लघुकथा संग्रह – चेहरे मेरे तुम्हारे, यात्रा साथ-साथ, एक धरती एक आकाश, आते-जाते लोग। आपको हिंदी सेवा के लिए सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम (2003) में सम्मानित किया गया। इसके अलावा आपको विश्व भाषा हिंदी सम्मान (विश्व हिंदी सचिवालय, 2013), साहित्य शिरोमणि सम्मान (मॉरिशस भारत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 2015), हिंदी विदेश प्रसार सम्मान (उ.प. हिंदी संस्थान लखनऊ, 2015), श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान (जनवरी 2017) सहित कई सम्मान व पुरस्कार मिले हैं। हम श्री रामदेव  जी के चुनिन्दा साहित्य को ई अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों से समय समय पर साझा करने का प्रयास करेंगे।

आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय एवं हृदयस्पर्शी लघुकथा “– अनबोलते जानवर –” ।

~ मॉरिशस से ~

☆ कथा कहानी  ☆ — अनबोलते जानवर — ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

बछिया गौशाला के एक किनारे में बंधी होती थी। दूसरे किनारे में वह गाय बंधी हुई थी जो वर्षों से दूध देती आयी। यह बछिया उसी से पैदा हुई थी। गाय दूध से खाली हो गयी और उसे कसाई के हाथों बेच दिया गया। तत्काल बछिया को उस किनारे से खोल कर गाय की खूँट से बांध दिया गया। बछिया ने खूँट के इस अंतर से जाना वह दूध देगी और फिर उसका हश्र उसकी माँ जैसा होगा।

— समाप्त  —

© श्री रामदेव धुरंधर

15 – 03 – 2025

संपर्क : रायल रोड, कारोलीन बेल एर, रिविएर सेचे, मोरिशस फोन : +230 5753 7057   ईमेल : [email protected]

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 280 – मिलें होली, खेलें होली… ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है। साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 280 मिलें होली, खेलें होली… ?? 

क्यों बाहर रंग तलाशता मनुष्य/

अपने भीतर देखो रंगों का इंद्रधनुष..,

जिसकी अपने भीतर का इंद्रधनुष देखने की दृष्टि विकसित हो ली, बाहर की दुनिया में उसके लिए नित मनती है होली। रासरचैया उन आँखों में  हर क्षण रचाते हैं रास, उन आँखों का स्थायी भाव बन जाता है फाग।

फाग, गले लगने और लगाने का रास्ता दिखाता है पर उस पर चल नहीं पाते। जानते हो क्यों? अहंकार की बढ़ी हुई तोंद अपनत्व को गले नहीं लगने देती। वस्तुत:  दर्प, मद, राग, मत्सर, कटुता का दहन कर उसकी धूलि में नेह का नवांकुरण है होली।

नेह की सरिता जब धाराप्रवाह बहती है तो धारा न रहकर राधा हो जाती है। शाश्वत प्रेम की शाश्वत प्रतीक हैं राधारानी। उनकी आँखों में, हृदय में, रोम-रोम में प्रेम है, श्वास-श्वास में राधारमण हैं।

सुनते हैं कि एक बार राधारमण गंभीर रूप से बीमार पड़े। सारे वैद्य हार गए। तब भगवान ने स्वयं अपना उपचार बताते हुए कहा कि उनकी कोई परमभक्त गोपी अपने चरणों को धो कर यदि वह जल उन्हें पिला दे तो वह ठीक हो सकते हैं। परमभक्त सिद्ध न हो पाने भय, श्रीकृष्ण को चरणामृत देने का संकोच जैसे अनेक कारणों से कोई गोपी सामने नहीं आई। राधारानी को ज्यों ही यह बात पता लगी, बिना एक क्षण विचार किए उन्होंने अपने चरण धो कर प्रयुक्त जल भगवान के प्राशन के लिए भेज दिया।

वस्तुत: प्रेम का अंकुरण भीतर से होना चाहिए। शब्दों को  वर्णों का समुच्चय समझने वाले असंख्य आए, आए सो असंख्य गए। तथापि जिन्होंने शब्दों का मोल, अनमोल समझा, शब्दों को बाँचा भर नहीं बल्कि भरपूर  जिया, प्रेम उन्हीं के भीतर पुष्पित, पल्लवित, गुंफित हुआ। शब्दों का अपना मायाजाल होता है किंतु इस माया में रमनेवाला मालामाल होता है। इस जाल से सच्ची माया करोगे, शब्दों के अर्थ को जियोगे तो सीस देने का भाव उत्पन्न होगा। जिसमें सीस देने का भाव उत्पन्न हुआ, ब्रह्मरस प्रेम का उसे ही आसीस मिला।

प्रेम ना बाड़ी ऊपजै / प्रेम न हाट बिकाय/

राजा, परजा जेहि रुचै / सीस देइ ले जाय…

बंजर देकर उपजाऊ पाने का सबसे बड़ा पर्व है धूलिवंदन। शीश देने की तैयारी हो तो आओ सब चलें, सब लें प्रेम का आशीष..!

इंद्रधनुष का सुलझा गणित / रंगी-बिरंगी छटाएँ अंतर्निहित / अंतस में पहले सद्भाव जगाएँ /नित-प्रति तब  होली मनाएँ।….

मिलें होली, खेलें होली!.. शुभ होली। ? 

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆ 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

🕉️💥 श्री शिव महापुराण का पारायण सम्पन्न हुआ। अगले कुछ समय पटल पर छुट्टी रहेगी। जिन साधकों का पारायण पूरा नहीं हो सका है, उन्हें छुट्टी की अवधि में इसे पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। 💥 🕉️ 

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of social media # 227 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM

 

? Anonymous Litterateur of social media # 227 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 227) ?

Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.

Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.

He is also an IIM Ahmedabad alumnus.

His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..! 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 227 ?

☆☆☆☆☆

एक नफरत ही नहीं

दुनिया में  दर्द का सबब ….

मोहब्बत भी सकूँ वालों को

बड़ी तकलीफ़ देती है….

☆☆

Hatred  is  not  only  the

Cause of pain in this world

Love  also  hurts  a lot to

those who live in peace…!

☆☆☆☆☆

हर किसी के नसीब में

कहाँ लिखी होती हैं चाहतें

कुछ लोग दुनिया में आते हैं

सिर्फ तन्हाइयों के लिए…

☆☆

When do the wishes ever get

materialised in everyone’s fate

Some  people  just  come to

the world to be  loners only…

☆☆☆☆☆

कोई तो जुर्म रहा होगा…

जिस में हर शख़्स था शामिल

तभी  तो  हर  शख़्सियत

मुँह छुपाए फिर रही है..!

☆☆

There musta been some crime

Which had everyone  involved

Why  else  every person here

would  be  hiding  his  face ..!

☆☆☆☆☆

वक़्त के नाखून

बहुत गहरा नोंचते हैं दिल को

तब जाके कुछ जख़्म

तज़ुर्बा बनके नज़र आते हैं…

☆☆

Talons of the time tear up

The heart too deep then only

Some wounds manifest as

An experienced wisdom…

☆☆☆☆☆

~ Pravin Raghuvanshi

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 226 – जोगी जी! ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक कविता – जोगी जी!)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 226  ☆

☆ जोगी जी! ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

सदाचार का डालिए,

चौक रंगीला द्वार।

सद्भावों की फाग गा,

मेटें सब तकरार।।

जोगी जी सा रा रा रा

बाधाओं की लकड़ियाँ,

दें होरी में बार।

पीर गुलेरी सब जलें,

बचे न एकऊ खार।।

जोगी जी सारा रा रा

राजनीति की होलिका,

करे नहीं तकरार।

नेता-अफसर कर सकें,

लोकनीति से प्यार।।

जोगी जी सारा रा रा

भुज भरकर मिलिए गले,

बढ़े खूब अपनत्व।

संसद से दूरी मिटे,

बढ़े खूब बंधुत्व।।

जोगी जी सा रा रा रा

सुख पिचकारी दें भिगा,

रंग हर्ष का, डाल।

मस्तक पर शोभित रहे,

यश का लाल गुलाल।।

जोगी जी सा रा रा रा

हिंदी मैदा माढ़िए,

उर्दू मोयन डाल।

देशज मेवाएँ भरें,

गुझिया बने कमाल।।

जोगी जी सा रा रा रा

परंपरा बेसन बने,

नवाचार हो तेल।

खांय-खिलाएँ पपड़ियाँ,

जी भर होली खेल।।

जोगी जी सा रा रा रा

कविता पिचकारी बना,

भरें छंद का रंग।

रस-लय की ठण्डाई पी,

करें गीत गा जंग।।

जोगी जी सा रा रा रा

फाग कबीरा गाइए,

भर मस्ती में झूम।

ढोल-मँजीरा बजाएँ,

खूब मचाएँ धूम।।

जोगी जी सा रा रा रा

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१३.३.२०२५

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

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 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (17 मार्च से 23 मार्च 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (17 मार्च से 23 मार्च 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

जय श्री राम। इस सप्ताह में 19 मार्च को रंग पंचमी है। आप सभी को रंग पंचमी की हार्दिक बधाई।

वक्त अच्छा था, वक्त अच्छा है

आगे भी अच्छा वक्त आएगा।

गम ना कर, शुक्रिया कर भगवान का।

जिसने तेरा वक्त अच्छा बनाया।

आपका अच्छा समय ईश्वर की कृपा से ही मिलता है। परंतु आपको अच्छे समय का उपयोग करना चाहिए जिससे आगे का समय भी अच्छे ढंग से बीते। अगले सप्ताह अर्थात 17 मार्च से 23 मार्च 2025 तक के सप्ताह को अच्छा बिताने के लिए मैं पंडित अनिल पांडे आपके पास इस साप्ताहिक राशिफल को लेकर आ रहा हूं।

इस सप्ताह सूर्य, वक्री बुध, वक्री शुक्र तथा बक्री राहु मीन राशि में गोचर करेंगे इनके अलावा मंगल मिथुन राशि में, गुरु वृष राशि में और शनि कुंभ राशि में विचरण करेंगे।

आइये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह सूर्य, वक्री शुक्र, वक्री बुध तथा वक्री राहु यह चारों ग्रह आपकी द्वादश भाव में है। राहु को छोड़कर शुक्र और बुध दोनों ग्रह अस्त भी है। इनके अलावा एकादश भाव में स्थित शनि भी अस्त है। इन सभी ग्रहों के कारण आपके खर्च और आए दोनों में कमी आएगी। कचहरी के कार्यों में आप सावधानी पूर्वक कार्य करने पर सफलता भी पा सकते हैं। आपका आपके जीवनसाथी का और माताजी पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाई बहनों के साथ आपके संबंध थोड़े तनावपूर्ण हो सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 फरवरी कार्यों को करने के लिए उपयुक्त है। 19, 20 और 21 तारीख को आपको सफलता मिलने में काफी परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। धन आने की उम्मीद की जा सकती है। अस्त होने के कारण बक्री बुध और शुक्र धन लाभ में बाधक नहीं बन पाएंगे। गलत रास्ते से भी धन आने का योग है। कार्यालय में आपकी स्थिति सामान्य रहेगी। इस सप्ताह आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए 19, 20 और 21 तारीख तनावपूर्ण हो सकते हैं। प्रेम संबंधों के लिए भी ये तारीख ठीक नहीं है। इस पूरे सप्ताह आपको सतर्क रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का प्रतिदिन दूध और जल से अभिषेक करें तथा प्रतिदिन रुद्राष्टक का भी पाठ करें। सप्ताह के सभी दिन एक जैसे हैं।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। भाग्य से भी आपको मदद मिल सकती है। कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक-ठाक रहेगी। खर्चों में वृद्धि हो सकती है। अगर आप प्रयास करेंगे तो नीच के चंद्रमा के षठ भाव में होने के कारण अपने शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 मार्च विभिन्न अनुकूल है। 19, 20 और 21 को अगर आप प्रयास करेंगे तो आप अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन लाल मसूर की दाल का दान करें और मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपका आपके जीवनसाथी का और माता जी तथा पिता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपकी संतान का आपको अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। भाग्य से कभी मदद मिलेगी और कभी नहीं मिल पाएगी। इस सप्ताह आपके भाग्य भाव में तीन वक्री ग्रह होने के कारण भाग्य से मदद मिलने में थोड़ी कमी आएगी। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 मार्च लाभदायक है। आपकी संतान को 19, 20 और 21 तारीख को कुछ नुकसान हो सकता है। 22 और 23 मार्च को आपको सतर्क रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपका आपके जीवनसाथी का, माता जी और पिताजी का तथा संतान का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको कमर या गर्दन में दर्द हो सकता है। इस सप्ताह आपके अष्टम भाव में राहु के साथ-साथ वक्री बुध और वक्री शुक्र भी हैं। इस कारण से आपको दुर्घटनाओं के प्रति सतर्क रहना चाहिए। कार्यालय में आपकी स्थिति सामान्य रहेगी। इस सप्ताह आपको 19, 20 और 21 तारीख को अपने प्रतिष्ठा के प्रति सर्तक रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्व शीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपका, आपके जीवनसाथी का और आपके माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। आपके राज्य भाव में अपनी शत्रु राशि में मंगल बैठा हुआ है, जिसके कारण आपको अपने कार्यालय में थोड़ी बहुत परेशानी आ सकती है। भाग्य आपका सामान्य रूप से साथ देगा। आपका पराक्रम चंद्रमा के नीच भंग राजयोग के कारण बढ़ जाएगा। भाई बहनों के साथ आपके संबंध भी अच्छे हो जाएंगे। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 मार्च किसी भी कार्य को करने के लिए लाभदायक है। सप्ताह के बाकी दिन ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपका आपकी माताजी, पिताजी का और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। छठे भाव में बैठे सूर्य के कारण अगर आप प्रयास करेंगे तो आप अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। शत्रु क्षैत्रीय मंगल के कारण भाग्य से आपको काम मदद मिल पाएगी। आपको अपने परिश्रम पर ज्यादा विश्वास करना होगा। आपको अपने संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 मार्च परिणाम दायक है। 19, 20 और 21 तारीख को आपको धन की कमी हो सकती है। सप्ताह के बाकी दिन ठीक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। धन आने की संभावना है। आपको जनता में प्रतिष्ठा प्राप्त होगी। दुर्घटनाओं से आपको बचने का प्रयास करना चाहिए। अगर आप चाहेंगे तो आपको भाई बहनों से सहयोग प्राप्त हो सकता है। 19, 20 और 21 तारीख को आपको स्वास्थ्य की थोड़ी समस्या हो सकती है। सप्ताह के बाकी दिन ठीक हैं। 17 और 18 तारीख को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके जीवन साथी को रक्त संबंधी कोई समस्या हो सकती है। आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। भाई बहनों का आपके सहयोग प्राप्त होगा। कार्यालय में आपको थोड़ा बहुत सम्मान प्राप्त हो सकता है। आपको पेट संबंधी समस्या भी हो सकती है। इस सप्ताह 22 और 23 मार्च कार्यों को करने के लिए परिणाम दायक हैं। 19, 20 और 21 तारीख को अगर आप प्रयास करेंगे तो आपको कचहरी के कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करें सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपके परिवार के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाग्य आपका साथ देगा। लंबी यात्रा का योग भी बन सकता है। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेगा। छात्रों की पढ़ाई ठीक चलेगी। आप अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं परंतु इसके लिए आपको अत्यंत परिश्रम करना पड़ेगा। कचहरी के कार्यों पर अगर आप ध्यान देंगे तो सफलता प्राप्त हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 मार्च कार्यों को करने के लिए अनुकूल हैं। 19, 20 और 21 तारीख को आपको चाहिए कि आप धन संबंधी मामले को सावधानी के साथ निपटाएं अन्यथा नुकसान हो सकता है। 22 और 23 तारीख को आपको कोई भी कार्य सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। इस सप्ताह, सप्ताह के सभी दिन एक जैसे हैं।

कुंभ राशि

यह सप्ताह आपके पास धन आने का अच्छा योग है। आपका तथा आपके माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आपके जीवनसाथी के गरदन या कमर में दर्द हो सकता है। आपको अपने संतान से कम सहयोग मिलेगा। इस सप्ताह 19, 20 और 21 तारीख को कार्यालय में आपको सतर्क होकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काली उड़द की दाल का दान करें और शनिवार को शनि मंदिर में जाकर शनि देव की आराधना करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह सामान्य रूप से आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। आपके माता जी को इस सप्ताह कष्ट हो सकता है। आपकी प्रतिष्ठा में गिरावट भी संभव है। 19, 20 और 21 मार्च को भाग्य आपका विशेष रूप से साथ दे सकता है। कचहरी के कार्यों में सावधान रहें। आपके जीवनसाथी को कष्ट संभव है। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 मार्च कार्यों को करने के लिए लाभप्रद हैं। 17 और 18 मार्च को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मसूर की दाल का दान करें और मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  ≈

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हिन्दी साहित्य – कथा चर्चा ☆ क्लासिक किरदार – “ओ हरामजादे” – लेखक – स्व. भीष्म साहनी ☆ चर्चा – श्री कमलेश भारतीय ☆ ☆

श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी , बी एड , प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । यादों की धरोहर हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह -एक संवाददाता की डायरी को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह-महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

पुनर्पाठ में आज प्रस्तुत है स्व भीष्म साहनी जी की एक कालजयी रचना “ओ हरमजादे” पर श्री कमलेश भारतीय जी की कथा चर्चा।

☆ कथा चर्चा ☆ क्लासिक किरदार – “ओ हरामजादे” – लेखक – स्व. भीष्म साहनी  ☆ चर्चा – श्री कमलेश भारतीय ☆

यह दैनिक ट्रिब्यून का एक रोचक रविवारीय स्तम्भ था – “क्लासिक किरदार“। यानी किसी कहानी का कोई किरदार आपको क्यों याद रहा ? क्यों आपका पीछा कर रहा है? – कमलेश भारतीय

प्रसिद्ध कथाकार भीष्म साहनी की कहानी ओ हरामजादे मुझे इसलिए बहुत पसंद है क्योंकि जब मैं अपने शहर से सिर्फ सौ किलोमीटर दूर चंडीगढ़ में नौकरी करने नया नया आया तब एक शाम मैं बस स्टैंड पर अपने शहर को जाने की टिकट लेने कतार में खड़ा था कि पीछे से आवाज आई – केशी, एक टिकट मेरी भी ले लेना। यह मेरे बचपन के दोस्त सतपाल की आवाज थी।

कितना रोमांचित हो गया था मैं कि चंडीगढ़ के भीड़ भाड़ भरे बस स्टैंड में किसी ने मेरे निकनेम से पुकारा। आप सोचिए कि हजारों मील दूर यूरोप के किसी दूर दराज के इलाके में बैठा कोई हिंदुस्तानी कितना रोमांचित हो जाएगा यदि उसे कोई दूसरा भारतीय मिल जाए ।

ओ हरामजादे कहानी यहीं से शुरू होती है जब मिस्टर लाल की पत्नी नैरेटर को इंडियन होने पर अपने घर चलने की मनुहार लगाती है और घर में अपने देश और शहर को नक्शों में ढूंढते रहने वाले पति से मिलाती है। लाल में कितनी गर्मजोशी आ जाती है और वह सेलिब्रेट करने के लिए कोन्याक लेकर आ जाता है। फिर धीरे-धीरे कैसे लाल रूमानी देशप्रेम से कहीं आगे निकल जालंधर की गलियों में माई हीरां गेट के पास अपने घर पहुंच जाता है। जहां से वह भाई की डांट न सह पाने के कारण भाग निकला था और विदेश पहुंच कर एक इंजीनियर बना और आसपास खूब भले आदमी की पहचान तो बनाई लेकिन कोई ओ हरामजादे की गाली देकर स्वागत् करने वाला बचपन का दोस्त तिलकराज न पाकर उदास हो जाता। इसलिए वह कभी कुर्ता पायजामा तो कभी जोधपुरी चप्पल पहन कर निकल जाता कि हिंदुस्तानी हूं, यह तो लोगों को पता चले ।

आखिर वह जालंधर जाता क्यों नहीं ? इसी का जवाब है : ओ हरामजादे । लाल एक बार अपनी विदेशी मेम हेलेन को जालंधर दिखाने गया था। तब बच्ची मात्र डेढ़ वर्ष की थी। दो तीन दिन लाल को किसी ने नहीं पहचाना तब उसे लगा कि वह बेकार ही आया लेकिन एक दिन वह सड़क पर जा रहा था कि आवाज आई : ओ हरामजादे, अपने बाप को नहीं पहचानता ? उसने देखा कि आवाज लगाने वाला उसके बचपन का दोस्त तिलकराज था । तब जाकर लाल को लगा कि वह जालंधर में है और जालंधर उसकी जागीर है । तिलकराज ने लाल को दूसरे दिन अपने घर भोजन का न्यौता दिया और वह इनकार न कर सका । पत्नी हेलेन को चाव से तैयार करवा कर पहुंच गया। तिलकराज ने खूब सारे सगे संबंधी और कुछ पुराने दोस्त बुला रखे थे। हेलेन बोर होती गयी। पर दोस्त की पत्नी यानी भाभी ने मक्की की रोटी और साग खिलाए बिना जाने न दिया। लाल ने भी कहा कि ठीक है फिर रसोई में ही खायेंगे। पंजाबी साग और मक्की की रोटी नहीं छोड़ सकता। वह भाभी को एकटक देखता रहा जिसमें उसे अपनी परंपरागत भाभी नजर आ रही थी पर घर लौटते ही पत्नी हेलेन ने जो बात कही उससे लाल ने गुस्से में पत्नी को थप्पड़ जड़ दिया क्योंकि हेलेन ने कहा कि तुम अपने दोस्त की पत्नी के साथ फ्लर्ट कर रहे थे। उस घटना के तीसरे दिन वह लौट आया और फिर कभी भारत नहीं लौटा। फिर भी एक बात की चाह उसके मन में अभी तक मरी नहीं है।

इस बुढ़ापे में भी मरी नहीं कि सड़क पर चलते हुए कभी अचानक कहीं से आवाज आए – ओ हरामजादे । और मैं लपककर उस आदमी को छाती से लगा लूं यह कहते हुए  उसकी आवाज फिर से लड़खड़ा गयी। लाल आंखों से ओझल नहीं होता। पूरी तरह भारतीयता और पंजाबियत में रंगा हुआ जो अभी तक इस इंतजार में है कि कहीं से बचपन का दोस्त कोई तिलकराज उसे ओ हरामजादे कह कर सारा प्यार और बचपन लौटा दे। कैसे भीष्म साहनी के इस प्यारे चरित्र को भूल सकता है कोई ?  कम से कम वे तो नहीं जो अपने शहरों से दूर रहते हैं चाहे देश चाहे विदेश में। वे इस आवाज़ का इंतजार करते ही जीते हैं।

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क : 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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