श्री आशिष मुळे
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 15 ☆
☆ कविता ☆ “जंग…” ☆ श्री आशिष मुळे ☆
बादलों के ये रंग देखें
सितारे जंग में जलते देखें
जहां सुलगते चांद चमके
वहीं बुझते सूरज देखें
प्यार में कोई पागल देखें
बिगड़े इश्क़ में बनते देखें
कहीं मोहब्बत फूल महके
कहीं मजनुओं के जनाजे देखें
घर में सैकड़ों गिरफ्तार देखें
कोई बन में बसते देखें
फूल छांव में बेबस खिले
कहीं धूप सेकते कांटे देखें
भेस में ख़ुदा के शैतान देखें
कभी शैतानों के इरादे नेक देखें
बैठें कहीं अस्ल शरमाते
कहीं झूठ पर खिलते जोबन देखें
जिंदगी के जहर मीठे देखें
मौत में कड़वे अमृत देखें
यहां मसीहों पर कांटे सजते
कहीं फूलों पर भी कहर देखें
दुनिया के ये मेले देख ले
मेले की ये जंग समझ ले
हक़ की तू समशीर उठा ले
खुद से लड़ लड़ के फ़तह पा ले….
© श्री आशिष मुळे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈