सुजित शिवाजी कदम
(सुजित शिवाजी कदम जी की कवितायेँ /आलेख/कथाएँ/लघुकथाएं अत्यंत मार्मिक एवं भावुक होती हैं. इन सबके कारण हम उन्हें युवा संवेदनशील साहित्यकारों में स्थान देते हैं। उनकी रचनाएँ हमें हमारे सामाजिक परिवेश पर विचार करने हेतु बाध्य करती हैं. मैं श्री सुजितजी की अतिसंवेदनशील एवं हृदयस्पर्शी रचनाओं का कायल हो गया हूँ. पता नहीं क्यों, उनकी प्रत्येक कवितायें कालजयी होती जा रही हैं, शायद यह श्री सुजित जी की कलम का जादू ही तो है! आज प्रस्तुत है उनकी एक भावप्रवण कविता “सांगावा ”। आप प्रत्येक गुरुवार को श्री सुजित कदम जी की रचनाएँ आत्मसात कर सकते हैं। )
☆ सुजित साहित्य – सांगावा ☆
मोठा अभंग
किती खोलवर जीवनाचा वार
संकटांचा भार काळजात .. . . !
शब्दांनीच सुरू शब्दांनी शेवट
चालू वटवट दिनरात.. . . . !
चार शब्द कधी देतात आधार
वास्तवाचा वार होऊनीया.. . . !
प्रेमामधे होई संवाद हा सुरू
अनुभव गुरू जीवनाचा.
नात्यांमधे शब्द पावसाळी मेघ
नशिबाने रेघ मारलेली. . . . . !
एखादी कविता मावेना शब्दात
सांगावा काव्यात सांगवेना . . . !
© सुजित शिवाजी कदम
दिनांक 5/3/2019
पुणे, महाराष्ट्र
मो.७२७६२८२६२६