सूचनाएँ/Information ☆ व्यंग्य लोक द्वारा – “व्यंग्य लोक स्व. जयप्रकाश पाण्डेय स्मृति व्यंग्य सम्मान” की घोषणा  ☆ साभार – श्री रामस्वरूप दीक्षित ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ व्यंग्य लोक द्वारा – “व्यंग्य लोक स्व. जयप्रकाश पाण्डेय स्मृति व्यंग्य सम्मान” की घोषणा  ☆ साभार – श्री रामस्वरूप दीक्षित

मित्रो

हमारे व्यंग्यकार साथी स्व. जयप्रकाश पांडेय जी की स्मृति को अक्षुण्य बनाए रखने के लिए हमने एक निर्णय लिया है।

व्यंग्य लोक पत्रिका की तरफ से हर वर्ष उनकी स्मृति में 5000 ₹ (पांच हजार रुपये ) का एक पुरस्कार, किसी व्यंग्यकार को दिया जाएगा।

💐 स्व. जयप्रकाश पाण्डेय 💐

पुरस्कार का नाम होगा – व्यंग्य लोक स्व. जयप्रकाश पांडेय स्मृति व्यंग्य सम्मान

पहला पुरस्कार पांडेय जी के शहर जबलपुर में एक गरिमामय समारोह आयोजित कर दिया जाएगा।

यह उनके प्रति व्यंग्य लोक की विनम्र श्रद्धांजलि समझी जाए।

साभार – श्री रामस्वरूप दीक्षित

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ पाथेय साहित्‍य कला अकादमी का आयोजन – डॉ. तनूजा चौधरी को मिला डॉ. गायत्री कथा सम्‍मान ☆ साभार – डॉ भावना शुक्ल ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ पाथेय साहित्‍य कला अकादमी का आयोजन – डॉ. तनूजा चौधरी को मिला डॉ. गायत्री कथा सम्‍मान ☆ साभार – डॉ भावना शुक्ल

पाथेय साहित्‍य कला अकादमी का आयोजन – समाजोपयोगी होता है मूल्‍य परक सृजन… 

जबलपुर। डॉ. तनूजा चौधरी का समग्र लेखन सामाजिक संचेतना का प्रतीक है। उनकी कहानियॉ नई पीढ़ी के भटकाव समाज और जीवन की बिडम्‍वना, स्‍त्री अस्मिता के प्रति चिंता प्रकट करती हैं। कथा लेखिका स्‍व. डॉ. गायत्री तिवारी की रचनाओं में भी ऐसा ही प्रेरक प्रभावी चिंतन है। डॉ. तिवारी ने समाज के अंतिम वर्ग की रक्षा के लिए सृजन किया।ऐसा सृजन जिससे सामाजिक जागृति और मूल्‍यों की रक्षा हो,वह समाज और राष्‍ट्र के लिए उपयोगी होता है।

तदाशय के उद्गार पाथेय साहित्‍य कला अकादमी द्वारा आयोजित गायत्री कथा सम्‍मान समारोह में अतिथियों ने कला वीथिका व्‍यक्‍‍त किए। वर्ष 2024 के गायत्री कथा सम्‍मान से डॉ. तनूजा चौधरी को नगद राशि अलंकरण, मानपत्र, शाल से अतिथियों सहित डॉ. भावना शुक्‍ल, प्रेमनारायण शुक्‍ल, नोएडा, डॉ. कामना कौस्तुभ, जगदीश कन्‍थारिया, किशनगढ़, डॉ. हर्ष तिवारी, मोहिनी तिवारी, आराध्या तिवारी ‘प्रियम’ ने सम्‍मानित किया।

इस अवसर पर विविध क्षेत्रों में क्रियाशील श्री राजेन्‍द्र मिश्रा, श्री नीलेश रावल, डॉ. नीना उपाध्याय, इंजी दुर्गेश व्‍यौहार दर्शन, श्री समर सिंह, डॉ. मंजू गोरे, दीपचंद विनोदिया, मेहेर प्रकाश उपाध्‍याय, रामकिशोर सोनी को उनकी बहुआयामी सेवाओं एवं उपलब्धियों के लिए गायत्री विविधा सम्मान से अलंकृत किया गया। साथ ही ब्राह्मण स्‍वयंवर संस्‍कार महासभा एवं सुप्रभातम संस्‍था के पदाधिकारियों को सामाजिक जागृति के लिए सम्‍मानित किया।

डॉ राजेश पाठक प्रवीण ने सम्‍मानितजनों के व्‍यक्तित्‍व-कृतित्‍व पर प्रकाश डाला।

समारोह की मुख्‍य अतिथि डॉ. स्‍वाति सदानंद गोडवोले पूर्व महापौर रहीं। अध्‍यक्षता महाकवि आचार्य भगवत दुबे ने की। सारस्‍वत अतिथि डॉ हरिशंकर दुबे, डॉ. स्‍मृति शुक्‍ला प्राचार्य मानकुंवर महाविद्यालय थीं।

अध्‍यक्षता कर रहे महाकवि आचार्य भगवत दुबे ने कहा कि सम्‍मान देना संस्‍कारधानी की गौरवशाली परम्‍परा है। इससे सकारात्‍मक कार्यों की प्रेरणा मिलती है।

प्रारंभ में अतिथियों का स्‍वागत मथुरा जैन, यशोवर्धन पाठक, सुभाष शलभ, संतोष नेमा, विजय अनुज, विनोद नयन, गणेश प्‍यासा, अर्चना मलैया, डॉ सलमा जमाल, छाया त्रिवेदी, सलपनाथ यादव, साधना उपाध्याय, निर्मिला तिवारी, डॉ.मृदुला सिंह, डॉ छाया सिंह, डॉ. संजय तिवारी, गणेश प्यास, डॉ. सलपनाथ यादव, ने किया। संचालन राजेश पाठक प्रवीण एवं आभार डॉ. भावना शुक्‍ल ने व्‍यक्‍त किया।

साभार – डॉ. भावना शुक्‍ल

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – संस्थाएं ☆ “लिटरेरी वॉरियर्स: साहित्य का वैश्विक मंच”/”सृजन का कारवां: लिटरेरी वॉरियर्स” ☆ साभार – सुश्री नीलम सक्सेना ☆

☆ संस्थाएं ☆ “लिटरेरी वॉरियर्स: साहित्य का वैश्विक मंच”/”सृजन का कारवां: लिटरेरी वॉरियर्स” ☆ साभार – सुश्री नीलम सक्सेना ☆

विश्व विख्यात लेखिका कवियित्री और लिम्का बुक्स ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर नीलम सक्सेना जी द्वारा नवंबर, 2011 में POETS AND WRITERS DEN नामक समूह की स्थापना की गई। उस समय फेसबुक भी धीरे-धीरे प्रचलित हो रहा था इस समूह को स्थापित करने का उस समय एकमात्र उद्देश्य था साहित्य में रुचि लेने वाले उनके सहपाठी और मित्रों को एक मंच प्रदान करना। प्रारंभिक दिनों में इस समूह में केवल उनके महाविद्यालय के सहपाठी ही थे । समूह को प्रारंभ करते हुए कविता लेखन और कुछ साहित्यिक प्रतियोगिताएं और गतिविधियां आयोजित की गई। धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता गया ……जैसा कि मजरूह सुल्तानपुरी साहब ने कहा है कि

मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर,

लोग साथ आते गए कारवां बढ़ता गया

इसी तरह यह कारवां बढ़ते बढ़ते हजारों तक पहुंच गया समूह के ईमानदार प्रयासों से इसकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई और समान रुचि वाले साहित्य प्रेमी जुड़ते चले गए।

फिर आया 2020 जब संपूर्ण विश्व को आपदा का सामना करना पड़ा। कोरोनाकाल में जब सभी इस महामारी से जूझ रहे थे, तब जन्म हुआ साहित्यिक सिपाहियों की ऑनलाइन गतिविधियों का। इस तरह POETS AND WRTERS DEN तब्दील हो गया लिटरेरी वॉरियर्स ग्रुप में। उस समय जब सभी लोग महामारी से जूझ रहे थे तो कठिन मानसिक दौर से जूझने के लिए रचनात्मकता सबसे बेहतरीन माध्यम थी। यह आवश्यक था कि जीवन को सकारात्मक बनाए रखने के लिए रचनात्मकता से जुड़ा जाए। इसी उद्देश्य के साथ फेसबुक पेज पर ऑनलाइन कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। आज जब पीछे मुड़कर देखते हैं तब लगता है कि कुछ सहपाठियों द्वारा शुरू किया गया यह छोटा सा समूह आज विश्व विख्यात है। इसमें लगभग 300000 फॉलोअर्स है और पेज की व्यूअरशिप भी लगभग लाखों तक पहुंच गई है। इस समूह से न केवल भारत के साहित्य प्रेमी बल्कि विदेश में बसे भारतीय साहित्य प्रेमी भी जुड़ते जा रहे हैं।

आज तक लिटरेरी वॉरियर्स ग्रुप के तहत बहुत सारे कार्यक्रम साहित्यिक समारोह आयोजित किए हैं जिसमें प्रमुख हैं साहित्य अकादमी दिल्ली में आयोजित लिटरेचर फेस्टिवल जो कि नवंबर 2023 में आयोजित किया गया था। इसी प्रकार प्रतिष्ठित NCPA सभागृह में लिटरेरी वॉरियर्स ग्रुप के सफल कार्यक्रम आयोजित किया जा चुके हैं। इसके अलावा विश्व पुस्तक मेला लखनऊ में 11 पुस्तकों का विमोचन भी हमारे समूह द्वारा किया गया जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। हाल ही में पुणे के प्रतिष्ठित CME सभागार, पुणे में लिटरेरी वॉरियर्स ग्रुप के दूसरे लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया गया। दो दिन के इस समारोह में संपूर्ण भारत से आए साहित्य प्रेमियों ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया और इस कार्यक्रम को सफल बनाया। कार्यक्रम के दौरान पुस्तक विमोचन, चित्रकला प्रदर्शनी, कविता पाठ और विभिन्न प्रतियोगिताओं के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन किया गया।

हम सब ने मिलकर अपने आप को साहित्य के योद्धा घोषित कर दिया है। देखा जाए तो हम सब सिपाही ही थे जो कोरोनाकाल के उस गंभीर दौर में नकारात्मकता से लड़ रहे थे। कलम और भावनाओं का सुहाना सफर यूं ही जारी रहे यही उम्मीद है।

और अंत में…

Here is the story of LWG from our very own Anup Jalan Ji who made this video despite his ill health.

Literary Warriors Group or LWG is a brainchild of well-known author and poetess, Neelam Saxena Chandra, who wanted to bring Indian authors together under the same roof and create a platform for budding writers and poets to express themselves, learn and grow.
Author and translator Anup Jalan Ji was one of the first six members of the group and has seen it grow from six to an amazing 1,300 members.

LITERARY WARRIORS GROUP की कहानी श्री अनूप जालान जी की जुबानी

Instagram Link 👉 https://www.instagram.com/reel/DC_BflhtMqY/?utm_source=ig_web_copy_link&igsh=MzRlODBiNWFlZA==

साभार – सुश्री नीलम सक्सेना 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – अभिनंदन – सुश्री दीप्ती कुलकर्णी – आणि त्यांची एक कविता ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

 

सुश्री दीप्ती कुलकर्णी

☆ 💐 अभिनंदन 💐 सुश्री दीप्ती कोदंड कुलकर्णी – आणि त्यांची एक कविता. ☆

दिल्ली येथे होणाऱ्या ९८ व्या अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनातील “कवी-कट्टा” साठी आपल्या समूहातील ज्येष्ठ लेखिका व कवयित्री सुश्री दीप्ती कुलकर्णी यांच्या कवितेची निवड झाली असून, २२ फेब्रुवारी २०२५ रोजी संध्याकाळी या ‘ कवि-कट्टा ‘ मध्ये कविता-सादरीकरणासाठी त्यांना आमंत्रित करण्यात आले आहे.

माझी माय मराठी“ ही त्यांची कविता त्यासाठी निवडली गेली आहे. विशेष सांगायचे म्हणजे  कविता – सादरीकरणाच्या या खास कार्यक्रमासाठी एकूण १३४६ कविता प्राप्त झाल्या होत्या व त्यापैकी फक्त ३०० कवितांची निवड करण्यात आली आहे, आणि त्यात दीप्तीताईंची ही कविता आहे.  ही त्यांच्यासाठी आणि आपल्या समूहासाठीही अतिशय आनंदाची आणि अभिमानास्पद गोष्ट आहे. 

 आपल्या सर्वांतर्फे दीप्तीताईंचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि या विशेष सादरीकरणासाठी असंख्य शुभेच्छा. आणखी एक विशेष बाब म्हणजे अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनात कविता सादर करण्याची अशी संधी त्यांना तिसऱ्यांदा मिळते आहे… या ‘हॅटट्रिक’ साठीही त्यांचे खूप अभिनंदन. 

 आजच्या अंकात वाचू या त्यांची ही विशेष कविता… 

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

☆ माझी माय मराठी ☆

माझी माय मराठी 

अभिमाने येते ओठी ||धृ ||

 *

कवितेसह हर्षे येते

भारुड,गवळण गाते

पोवाड्यांतुनी ही रमते

ओव्यामधुनी ती सजते ||१||

 *

विश्वात कथेच्या फुलते

शब्दालंकारे खुलते

तेजोन्मेषे नि पांडित्ये

मोहिनी जणू घालिते ||२||

 *

कधी कादंबरी ही बनते

अन शब्दांसह डोलते

भेदक ,वेधक ती ठरते

सकलांना काबिज करते ||३||

 *

लालित्ये ही मांडते

संवादानी उलगडते

नाट्यातुनी ही प्रगटते

नवरसातुनी दर्शविते ||४||

 *

सारस्वतांसी जी स्फुरते

विश्वाला स्पर्शही करते ||

 कवयित्री : दीप्ती कोदंड कुलकर्णी, हैदराबाद. 

 Mobile No-9552448461.

💐 ई-अभिव्यक्ती परिवारातर्फे सुश्री दीप्ती कुलकर्णी यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा. 💐

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

 

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सूचना/Information ☆ संपादकीय निवेदन ☆ सौ.उज्वला सुहास सहस्त्रबुद्धे – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

‘सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

सौ.उज्वला सुहास सहस्त्रबुद्धे

💐 संपादकीय निवेदन 💐

💐 अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन! 💐

तितीक्षा इंटरनॅशनल पुणे आयोजित दशदिवशीय नवरात्र काव्य लेखन स्पर्धेत आपल्या समूहातील ज्येष्ठ लेखिका व कवयित्री सुश्री उज्ज्वला सहस्रबुद्धे यांना प्रथम क्रमांक प्राप्त झाला आहे. विशेष म्हणजे नवरात्रातील प्रत्येक दिवसासाठी एक आणि दसऱ्यासाठी एक अशा एकूण दहा काव्यरचना स्पर्धेसाठी मागवलेल्या होत्या, आणि सगळ्या रचना विचारात घेऊन क्रमांक ठरवण्यात आले. उज्ज्वलाताईंचे आपल्या सर्वांतर्फे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील अशाच यशस्वी साहित्यिक वाटचालीसाठी असंख्य हार्दिक शुभेच्छा. 

– आजच्या अंकात वाचूया त्यातील त्यांची एक पुरस्कारप्राप्त कविता – “सीमोल्लंघन करू…”

– संपादक मंडळ

ई – अभिव्यक्ती, मराठी विभाग

?कवितेचा उत्सव  ?

सीमोल्लंघन करू… ☆ सौ.उज्वला सुहास सहस्त्रबुद्धे ☆

‌ नवरात्रीचे दिवस, 

 आगमन दसऱ्याचे !

 रंग,रूप नव रीती,

 जगी या आचरण्याचे !..१

*

 सीमोल्लंघन करू या,

 दुष्ट अनिष्ट प्रथांचे !

 स्वागत आपण करू,

 नित्य नूतन जगाचे !….२

*

 देवी शारदे स्फूर्ती दे,

 साहित्य नवे लिहावे !

 उदासी मनाची जावी,

 कार्य नवे आचरावे !…३

*

  रामायण ते दाखवी ,

  अन्यायाचे निर्दालन!

  महाभारत शिकवी ,

  दुष्टांचे व्हावे दमन !…४

*

  इतिहासातून घ्यावा ,

  बोध मनी घटनांचा !

  दुष्ट शक्तींना मारून,

  विजय व्हावा सत्याचा !…५

*

 सीमोल्लंघन करूनी,

 वाट पुढील पहावी !

 आयुष्यात प्रत्येकाच्या,

 नवीन पहाट व्हावी !…६

© सौ. उज्वला सुहास सहस्रबुद्धे

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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सूचना/Information ☆ संपादकीय निवेदन ☆ सौ. सुरेखा सुरेश कुलकर्णी – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

✒️सौ.सुरेखा सुरेश कुलकर्णी  – अभिनंदन ✒️

💐 संपादकीय निवेदन 💐

मराठी साहित्य मंडळ आयोजित आठवे साहित्य संमेलन कोरेगाव (सातारा) येथे रविवार दिनांक. २४\११\२०२४ रोजी संपन्न झाले. यात प्रतिष्ठेचा राज्य स्तरीय सावित्रीबाई फुले साहित्य भूषण पुरस्कार सातारा येथील सौ.सुरेखा सुरेश कुलकर्णी यांच्या ‘गुंफण शब्दांची नात्याची’ या पहिल्या काव्य संग्रहाला देण्यात आला.

💐 सौ. सुरेखा कुलकर्णी यांचे ई अभिव्यक्ती परिवारातर्फे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी हार्दिक शुभेच्छा. 💐

– संपादक मंडळ

ई – अभिव्यक्ती, मराठी विभाग

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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सूचनाएँ/Information ☆ श्री विजय कुमार ‘श्री रोहित सरदाना स्मृति कृति पुरस्कार’ से सम्मानित  – अभिनंदन ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री विजय कुमार श्री रोहित सरदाना स्मृति कृति पुरस्कारसे सम्मानित  – अभिनंदन ☆

साहित्य सभा, कैथल द्वारा आरकेएसडी कॉलेज, कैथल में सम्मान समारोह पुस्तक/पत्रिका लोकार्पण कार्यक्रम एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

भव्य समारोह में अंबाला छावनी ‘कहानी लेखन महाविद्यालय’ के प्रबंधक एवं मासिक पत्रिका ‘शुभ तारिका’ के सह-संपादक श्री विजय कुमार को ‘श्री रोहित सरदाना स्मृति कृति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डॉक्टर चंद्र त्रिखा (अध्यक्ष) और हरियाणा संस्कृत साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर चितरंजन दयाल कौशल (विशिष्ट अतिथि), साहित्य सभा, कैथल के संरक्षक डॉ. संजय गोयल, प्रधान अमृतलाल मदान एवं महासचिव डॉ. प्रद्युम्न भल्ला द्वारा शॉल, स्मृति चिह्न एवं नकद राशि देकर श्री विजय कुमार को सम्मानित किया गया।

इससे पूर्व भी श्री विजय कुमार को हिमालय और हिंदुस्तान फाउंडेशन, ऋषिकेश (उत्तराखंड), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलांग (मेघालय) भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ उत्तर प्रदेश (सहारनपुर), सखी साहित्य परिवार, गुवाहाटी (असम) भारतीय लघुकथा विकास मंच, पानीपत, हिंदी साहित्य प्रेरक संस्था, जींद (हरियाणा), हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच, सिरसा, ‘नारी अस्मिता’, वडोदरा (गुजरात) द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

श्री विजय कुमार की रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी से भी हो चुका है। इनकी रचनाएं पश्चिम बंगाल राज्य सरकार द्वारा तीसरी कक्षा के पाठ्यक्रम में ली गई हैं। इनकी रचनाओं का अनुवाद अंग्रेजी, मराठी, बांग्ला एवं असमिया भाषाओं में भी हो चुका है। इनके द्वारा वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियन ‘द ग्रेट खली’ (दिलीप सिंह राणा) पर लिखा गया ‘महाबली खली ने मचाई खलबली’ लेख इंटरनेट ‘विकिपीडिया’ पर देखा जा सकता है।

कार्यक्रम में लगभग 20 पुस्तकों का विमोचन एवं पिछले 52 वर्षों से नियमित प्रकाशित हो रही मासिक पत्रिका ‘शुभ तारिका’ के ‘हरियाणा विशेषांक’ का विमोचन भी किया गया।

दिल्ली, पंजाब, चंडीगढ़ सहित प्रदेश के 22 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बहुभाषाई काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया, जिसमें आमंत्रित अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया।

💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री विजय कुमार जी को इस विशिष्ट उप्लब्धि के लिए हार्दिक बधाई 💐

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ संपादकीय निवेदन ☆ दि. २८/११/२४ ते रविवार दि. १/१२/२४ अंक बंद – सूचना ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

💐 संपादकीय निवेदन 💐

📖  दि. २८/११/२४ ते रविवार दि. १/१२/२४ अंक बंद – सूचना 📖

काही अपरिहार्य कारणामुळे गुरुवार दि. २८/११/२४ ते रविवार दि. १/१२/२४ असे चार दिवस आपला दैनिक अंक प्रकाशित केला जाणार नाही. सोमवार दि. २/१२/२४ पासून अंक पुन्हा नियमित प्रकाशित केला जाईल.

— कृपया सर्वांनी नोंद घ्यावी ही विनंती.

– संपादक मंडळ

ई – अभिव्यक्ती, मराठी विभाग

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य को समर्पित पत्रिका “व्यंग्य लोक” का लोकार्पण – रपट – सुश्री आरती शर्मा ☆ साभार -श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ साहित्य को समर्पित पत्रिका “व्यंग्य लोक” का लोकार्पण ☆  

13 नवम्बर 2024, नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित एक भव्य समारोह में साहित्य को समर्पित एक नई पत्रिका “व्यंग्य लोक” का लोकार्पण हुआ।

वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ प्रेम जनमेजय की अध्यक्षता और मुख्य अतिथि डॉ लक्ष्मी शंकर बाजपेयी तथा डॉ बजरंग बिहारी तिवारी एवं डॉ रमेश तिवारी के विशिष्ट आतिथ्य में इस पत्रिका का लोकार्पण हुआ। पत्रिका के संपादक श्री राम स्वरूप दीक्षित ने पत्रिका के प्रकाशन की पृष्ठभूमि बताई और साहित्य को समृद्ध करने की आवश्यकता पर बल दिया।

मंचस्थ अतिथियों के अतिरिक्त श्री राजेंद्र सहगल, श्री वेदप्रकाश भारद्वाज तथा श्री रामकिशोर उपाध्याय ने भी अपनी बात रखी।

प्रायः सभी वक्ताओं ने “व्यंग्य लोक’ के प्रकाशन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए साहित्य के विकास में पत्रिकाओं की सार्थक भूमिका पर अपने-अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए। साथ ही व्यंग्य लोक के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।

कार्यक्रम के अध्यक्ष और व्यंग्य यात्रा के संपादक डॉ प्रेम जनमेजय ने कहा कि पत्रिका का नियमित प्रकाशन एक चुनौती है और धन की कमी आड़े आती है पर यदि आप अपने काम में ईमानदारी से लगे हैं तो तन, मन और धन से साथ देने वालों की कमी नहीं है। लोग आपको रचनात्मक सहयोग तो करते ही हैं, धन से भी सहयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि व्यंग्य लोक से यही अपेक्षा रहेगी कि यह पत्रिका व्यंग्य को और अधिक धार देने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य के विकास में पत्रिकाओं की भूमिका से कोई इनकार नहीं कर सकता। व्यंग्य लोक की सार्थकता इसी बात में होगी कि वह अपने पाठकों के अंदर विरोध का भाव भरे ताकि विसंगत समय में व्यक्ति नपुंसक होने से बचे। डॉ जनमेजय ने इस पत्रिका के प्रकाशन के लिए शुभकामनाएं दी और साथ ही सहयोग के रूप में अंशदान का लिफाफा भी भेंट किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद वरिष्ठ साहित्यकार और कवि डॉक्टर लक्ष्मी शंकर बाजपेई ने कहा कि आज का समय विसंगतियों से भरा है। भारत के इतिहास में शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा कि अपराधी का धर्म देखकर अपराधी के पक्ष में लोग खड़े हो जाएं। यह बहुत बड़ी विसंगति है। और ऐसे समय में ही व्यंग्यकार को, साहित्यकार को आगे आकर विसंगतियों को उजागर करने की जरूरत है। लोग बलात्कारियों के समर्थन में आगे आ रहे हैं, यह बहुत बड़ी चिंता की बात है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि व्यंग्य लोक भी इस कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेगा और अपनी रचनाओं से, अपनी रचनाओं की धार से लोगों को यथास्थितिवादी होने से बचाएगा।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद वरिष्ठ साहित्यकार और जाने माने दलित चिंतक डॉ बजरंग बिहारी तिवारी ने एक कविता की पंक्तियां उद्धृत करते हुए अपने वक्तव्य की शुरुआत की और कहा कि न्यायालय में अभियोग चल रहा है और मुख्य समस्या न्याय की है। बिना नीति से जुड़े न्याय का क्या मतलब ? यह पत्रिका लगातार निकले, सभी चुनौतियों के बावजूद निकले यही उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की। उन्होंने पत्रिकाओं की भूमिका को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह व्यंग्य लोक पत्रिका एक दृष्टि के साथ निकल रही है, इसलिए इसकी उपयोगिता और सार्थकता स्वाभाविक है।

विशिष्ट अतिथि डॉ रमेश तिवारी ने कहा की जितनी भी महत्वपूर्ण रचनाएं हैं, शत-प्रतिशत न सही, परंतु 70-80 प्रतिशत महत्वपूर्ण रचनाएं पत्रिकाओं के माध्यम से ही वजूद में आती हैं और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुंचती हैं। उन्होंने कहा कि लघु पत्रिकाएं उन पगडंडियों की तरह हैं जो हमें हमारे देहरी तक ले जाती हैं। राजमार्गों के दौर में भी आपको घर तक जाने के लिए, अपनी संवेदनाओं को बचाए रखने के लिए यदि पगडंडी पर उतरना पड़े तो समझिए की साहित्यिक यात्रा में जो काम पगडंडियां करती हैं, वही काम लघु पत्रिकाएं करती रही हैं। उन्होंने कई पत्रिकाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जो भी लिखा-पढ़ा जा रहा है या जो भी लिखने-पढ़ने वाला समाज है, उनके लिए पत्रिकाएं संवाद का एक सार्थक मंच तैयार करती हैं, समाज में मानवीय मूल्यों को बचाए रखती हैं। उन्होंने आशा जताई की निस्संदेह व्यंग्य लोक भी मानवीय मूल्यों को बचाए रखने का काम करेगा।

वरिष्ठ साहित्यकार रामकिशोर उपाध्याय ने कहा कि दुनिया में जितनी भी बड़ी-बड़ी क्रांतियां हुई हैं, उनमें अखबारों-पत्रिकाओं का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा की पत्रिकाएं व्यक्ति को, लेखक को अपना सम्मानजनक स्थान दिलाती हैं। निरंतर प्रकाशन एवं गुणवत्ता को बनाए रखते हुए यह पत्रिका लंबे समय तक चले, यही उन्होंने कामना व्यक्त की।

वरिष्ठ व्यंग्यकार वेद प्रकाश भारद्वाज ने कहा कि पत्रिकाएं निकालना मतलब अपना घर फूंकना है  और रामस्वरूप जी ने यह चुनौती ली है तो उनकी जितनी प्रशंशा की जाय कम है। उन्होंने कहा कि पहले निकलने वाली लघु पत्रिकाओं ने साहित्य को जिंदा रखा और साहित्य के विकास में ऐसी पत्रिकाओं का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने उम्मीद जताई कि व्यंग्य लोक पत्रिका भी इस परंपरा को बनाए रखेगी और कंटेंट अच्छा हो एवं गुणवत्ता के साथ समझौता न हो तो पत्रिका का भविष्य उज्जवल है।

इस मौके पर वरिष्ठ व्यंग्यकार राजेंद्र सहगल ने कहा कि इसके पूर्व भी व्यंग्य लोक के दो अंक सॉफ्ट कॉपी में हमारे सामने आए हैं और अब यह तीसरा अंक मुद्रित रूप में हमारे सामने आया है। उन्होंने आशा जताई कि व्यंग्य को और आगे बढ़ाने, उसे समृद्ध करने के लिए व्यंग्य लोक बेहतर काम करेगी ऐसी अपेक्षा है। उन्होंने भूत एवं वर्तमान में प्रकाशित हो रही कई महत्वपूर्ण पत्रिकाओं का उल्लेख किया और आशा व्यक्त की कि अपनी उत्कृष्ट सामग्री से व्यंग्य लोक भी अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाएगी।

इससे पूर्व व्यंग्य लोक पत्रिका के संपादक रामस्वरूप दीक्षित ने कहा कि समकालीन व्यंग्य समूह में कई बड़े साहित्यकार सदस्य हैं और सभी सदस्यों के सहयोग एवं मार्गदर्शन से यह समूह चल रहा है, व्यंग्य लोक का यह तीसरा मुद्रित अंक भी इसी सहयोग का परिणाम है। उन्होंने कहा कि हमने इस तरह से काम करना शुरू किया है जैसे हर अंक अंतिम अंक हो। उन्होंने सभा में उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों तथा श्रोताओं, साहित्य प्रेमियों के प्रति भी अपना आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि कोशिश यही रहेगी कि व्यंग्य लोक व्यंग्य के साथ-साथ साहित्य की अन्य विधाओं को स्थान दे और  पाठकों के समक्ष उत्कृष्ट सामग्री पहुंचे। इसी अपेक्षा के साथ यह पत्रिका शुरू की गई है और आशा है आप सभी का सहयोग इसी तरह मिलता रहेगा।

वरिष्ठ कवयित्री एवं पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ धीरा खंडेलवाल ने अपने सारगर्भित उद्बोधन से विशिष्ट अतिथियों एवं सभागार में उपस्थित सभी प्रबुद्ध श्रोताओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि व्यंग्य की मारक क्षमता बहुत ही व्यापक है और व्यंग्य की धार कुंद न हो यही कोशिश की जानी चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन युवा साहित्यकार रणविजय राव ने किया। उन्होंने कहा कि पत्रिकाओं की भीड़ में व्यंग्य लोक अपनी अलग पहचान और स्थान बनाएगी।

कार्यक्रम का आरंभ वरिष्ठ कवयित्री स्नेहा साक्षी द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि साहित्य को बचाए रखना ही व्यंग्य लोक का उद्देश्य है।

पत्रिका की सहायक संपादक आरती शर्मा ने  सभी विशिष्ट अतिथियों को मंच पर आमंत्रित किया और अंगवस्त्र एवं पुष्प गुच्छ से अतिथियों और कवियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस व्यंग्य लोक पत्रिका के माध्यम से समकालीन व्यंग्य समूह ने एक कदम बढ़ाया है।

विशिष्ट वक्ताओं के उद्बोधन के उपरांत सभागार में उपस्थित कुछ वरिष्ठ कवियों-कवयित्रियों ने अपनी-अपनी प्रतिनिधि कविताओं का पाठ भी किया। वरिष्ठ कवि श्री नरेश शांडिल्य, सुशांत सुप्रिय, उपासना दीक्षित, प्रेमलता मुरार, मनमोहन सिंह तन्हा और सुधीर अनुपम ने अपनी कविताओं-गज़लों से सभा में उपस्थित श्रोताओं को भावविभोर किया। 

इस मौके पर भोपाल, इलाहाबाद, मेरठ के अतिरिक्त दिल्ली और एनसीआर से आए कई साहित्यकार, पत्रकार, साहित्य प्रेमी कार्यक्रम के अंत तक मौजूद रहे। इनमें निर्मल गुप्त, राकेश मिश्र, उपेन्द्रनाथ, प्रभात कुमार, कुमार सुबोध, आशीष मिश्र, अमित कुमार, मनीष सिन्हा, प्रदीप कुमार, रेखा सिंह, सर्वेश कुमारी उल्लेखनीय हैं।

कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा।

रपट : सुश्री आरती शर्मा

साभार -श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ डॉ. मीना श्रीवास्तव द्वारा प्रो हेमंत सामंत के मूल लेखों से अनुवादित दो हिंदी पुस्तकें ज्येष्ठ स्वतंत्रता सेनानी डॉ. जी. जी. परिख के हाथों लोकार्पित☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

डॉ. मीना श्रीवास्तव

☆ डॉ. मीना श्रीवास्तव द्वारा प्रो हेमंत सामंत के मूल लेखों से अनुवादित दो हिंदी पुस्तकें ज्येष्ठ स्वतंत्रता सेनानी डॉ. जी. जी. परिख के हाथों लोकार्पित ☆

१७ नवंबर २०२४ को महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय के स्मृति दिवस के दिन प्रो. हेमंत सामंत द्वारा अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों और उनके कार्यक्षेत्र से संबंधित मराठी लेखों पर आधारित डॉ मीना श्रीवास्तव द्वारा अनूदित “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनदेखे समरांगण” और “भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अनकही कहानियां” इन दो हिंदी अनुवादित पुस्तकों का विमोचन  हुआ।  प्रत्येक पुस्तकों में ३८ अध्याय हैं, जो न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी क्रांतिकारियों द्वारा किये हुए स्वतंत्रता संघर्ष को दर्शाते हैं।

लेखक और अनुवादक के लिए यह बड़े ही गर्व की बात थी कि उम्र का शतक पार कर चुके बुजुर्ग स्वतंत्रता सेनानी डॉ. जी. पारिख ने मुंबई के ग्रांट रोड स्थित अपने आवास पर इन दोनों पुस्तकों का विमोचन किया। उनके प्राकृतिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, केवल कुछ व्यक्ति ही इस कार्यक्रम में शामिल हो पाए। हिंदी में  अनुवादित पुस्तकों की लेखिका डॉ. मीना श्रीवास्तव, मूल लेखक प्रो. हेमंत सामंत एवं लुपिन कंपनी के मॅन्युफॅक्चरिंग ऑपरेशन्स के अध्यक्ष श्री राजेंद्र चुनोडकर विमोचन के कार्यक्रम में उपस्थित थे। साथ ही लेखक द्वय के परिवारजन भी इस अवसर पर उपस्थित थे| उल्लेखनीय बात यह है कि इन दोनों पुस्तकों की प्रस्तावना ई-अभिव्यक्ति – www.e-abhivyakti.com के संपादक श्री हेमन्त बावनकर ने लिखी है|

इस अवसर पर संक्षिप्त मार्गदर्शन व्यक्त करते हुए श्री पारिख ने बिगड़ते पर्यावरण और जल के अपव्यय पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने अहम संदेश देते हुए कहा कि “समाज की सेवा के लिए सत्ता की जरूरत नहीं है, बल्कि देशभक्ति की भावना को प्रदीप्त करने की जरूरत है।” कुल मिलाकर, पुस्तक विमोचन का यह कार्यक्रम अनूठा रहा।

💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ. मीना श्रीवास्तव जी को इस विशिष्ट उप्लब्धि के लिए हार्दिक बधाई 💐

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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