☆ कथाकार डॉ अशोक शुक्ल का सम्मान – अभिनंदन ☆ प्रस्तुति – श्री जयप्रकाश पाण्डेय ☆
जबलपुर । ‘नंदिनी का पर्स’ और ‘छड़ी’ जैसी चर्चित कहानियां लिखने वाले कथा जगत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ अशोक शुक्ल का ‘व्यंग्यम परिवार’ और माडेलियन 73 जबलपुर की ओर से सम्मान किया गया। अशोक शुक्ल का एक कहानी संग्रह प्रकाशित ही हुआ था कि सरकारी ड्यूटी में रहते हुए तबियत खराब हुई, 17 साल पहले मुंबई में ब्रेन सर्जरी की गई, बच तो गए पर लकवाग्रस्त होकर पिछले सोलह साल से बिस्तर में हैं, ऐसे समय ‘व्यंग्यम’ का सामाजिक दायित्व है कि ऐसे साहित्यकार को जो मुख्य धारा से अलग अकेलेपन का जीवन जी रहा हो उसकी रचनाधर्मिता को याद करते हुए उन्हें सम्मानित कर उनके जीवन में उत्साह और उमंग का संचार भरे।
डॉ अशोक शुक्ल हिंदी के अपनी तरह के अनूठे कथाकार हैं । वे बिजली की कौंध की तरह परिदृश्य में आये और अपनी कुछ कहानियों के मार्फत कथा जगत में अपना स्थान बनाया। उनकी एक कहानी पर चर्चित टेलीफिल्म भी बनी थी।
प्रस्तुति – श्री जय प्रकाश पाण्डेय, जबलपुर
💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से कथाकार डॉ अशोक शुक्ल जी को इस विशिष्ट सम्मान के लिए हार्दिक बधाई 💐
– श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
सांगलीच्या ज्येष्ठ साहित्यिका आणि लोकसाहित्याच्या अभ्यासक श्रीमती तारा भवाळकर यांना महाराष्ट्र फाउंडेशन अमेरिका यांचा 2023 सालासाठीचा दिलीप वि.चित्रे स्मृती साहित्य जीवनगौरव पुरस्कार जाहीर करण्यात आला आहे.
💐 ई अभिव्यक्ती परिवाराकडून श्रीमती भवाळकर यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन !!! 💐
श्रीमती भवाळकर यांच्या साहित्यिक कारकिर्दीविषयी सविस्तर मुलाखत आपण यापूर्वी ई अभिव्यक्तीमध्ये वाचली आहे.
पुनश्च अभिनंदन, अभिनंदन !! 💐 संपादक मंडळ
ई-अभिव्यक्ती मराठी.
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
नालंदा बिहार में मिला डॉ निशा अग्रवाल को राष्ट्रकवि दिनकर काव्य साधना सम्मान
बिहार की पावन धरा राजगीर (नालंदा) में 9,10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर द्विदिवसीय साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम पद्म श्री सम्मानित आचार्य श्री चंदना श्री ( श्री ताई मां) के मुख्य आतिथ्य एवं नवादा सांसद श्री चंदन सिंह के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित हुआ।
कार्यक्रम में देश विदेश के सैंकड़ों वरिष्ठ साहित्यकार, कवि शामिल हुए। विभिन्न सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम की रूपरेखा ने रोचक और आनंद से भर दिया।
कार्यक्रम में शोध पत्र वाचन, लघु कथा, गज़ल, कविता आदि ने मंच को ऊर्जावान बनाया। पुस्तकों की समीक्षा का सत्र राव शिवराज पाल की अध्यक्षता में प्रभावी रूप से संपन्न हुआ। देश विदेश से आए साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। डॉ निशा अग्रवाल को राष्ट्रकवि दिनकर काव्य साधना सम्मान से नवाजा गया। काव्य संध्या का बेहद प्रभावी और आकर्षक संचालन जयपुर से शामिल हुई डॉ निशा अग्रवाल द्वारा किया गया। कवि सम्मेलन के इस सत्र में कवियों ने अपनी मधुर वाणी और अपनी जादुई कलम से समां बांध दिया। राजगीर के भव्य कार्यक्रम के लिए कार्यक्रम संयोजक श्री ओंकार कश्यप एवं समस्त टीम को हार्दिक बधाई देते हुए एक जुट हुए समस्त साहित्यकारों ने आभार प्रकट किया।
मगध की पुरातन राजधानी रही राजगीर के पर्यटन स्थल सनातन, बौद्ध, जैन धर्म के संगम का दर्शन किया। हजारों वर्ष पूर्व हिंदुस्तान के गौरव रहे अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के राज कण को छूकर देश भर के हजारों साहित्यकार गौरवान्वित हुए। धर्म, शिक्षा और इतिहास के शाश्वत परिवेश में यह आयोजन एक मिसाल है। प्रेरणा है। ज्योति है।
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
सुश्री प्रभा सोनवणे आणि सौ.अर्चना देशपांडे – अभिनंदन
साहित्यप्रेमी भगिनी मंडळ – पुणे यांचे पुरस्कार नुकतेच जाहीर झाले असून, ई-अभिव्यक्तीच्या कवयित्री सुश्रीप्रभा सोनवणे यांना ज्येष्ठ कवयित्री योगिनी जोगळेकर स्मरणार्थ काव्यातील योगदानाबद्दल काव्ययोगिनी हा पुरस्कार मिळाला आहे, तर मंडळाने घेतलेल्या कथास्पर्धेत आनंदीबाई लिमये लघुकथा पुरस्कार, सौ. अर्चना देशपांडे या आपल्या ई-अभिव्यक्तीच्या लेखिकेला मिळाला आहे. या स्पर्धेत त्यांना पहिल्या क्रमांकाचा पुरस्कार मिळाला आहे.
सुश्री प्रभा सोनवणे आणि सौ. अर्चना देशपांडे यांचे ई-अभिव्यक्तीतर्फे हार्दिक अभिनंदन! व पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा
संपादक मंडळ
ई-अभिव्यक्ती मराठी.
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
आपल्या ई-अभिव्यक्ती समूहाच्या लेखिका सौ. ज्योत्स्ना तानवडे यांना आरती दिवाळी अंकाच्या काव्यस्पर्धेत पुरस्कार मिळाला, तसेच सर्वसाक्षी दिवाळी अंकाच्या कथास्पर्धेत डॉ. शैलजा करोडे आणि सौ. सुचित्रा पवार यांना पुरस्कार मिळाला.
ई–अभिव्यक्तीतर्फे या तीनही लेखिकांचे हार्दिक अभिनंदन !
संपादक मंडळ
ई-अभिव्यक्ती मराठी.
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका व कवयित्री सौ. उज्वला सहस्त्रबुद्धे यांना तितिक्षा इंटरनॅशनल या संस्थेतर्फे आयोजित लेखन स्पर्धेत, प्रथम क्रमांक व विशेष प्राविण्य असे दोन पुरस्कार प्राप्त झाले आहेत.
सौ. उज्वला सुहास सहस्त्रबुद्धे यांचे ई–अभिव्यक्तीतर्फे मनःपूर्वक अभिनंदन!
संपादक मंडळ
ई-अभिव्यक्ती मराठी.
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
☆ लिटरेरी वॉरियर ग्रुप द्वारा आयोजित लिटफेस्ट संपन्न ☆
लिटरेरी वॉरियर ग्रुप द्वारा आयोजित लिटफेस्ट 18 नवंबर 2023 को साहित्य अकादमी हॉल, नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। लिटरेरी वॉरियर ग्रुप की संस्थापिका नीलम सक्सेना ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। विशिष्ट अतिथियों में अकादमी पुरस्कार विजेता माननीय वर्षा दास, आई.सी.सी.आर. के डिप्टी डायरेक्टर जनरल श्री अभय के, साक्षी एनजीओ की संस्थापिका डॉ. मृदुला टंडन, विख्यात लेखिका और कवयित्रीयाँ नंदिनी साहू एवम् पद्मजा आइंगर – पैडी थे। इनके अलावा अनेक लेखक, कवि, कवयित्रियों और श्रोताओं ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
सन् 2011 में बने कवियों और लेखकों के एक छोटे से ग्रुप ने 2019 में लिटरेरी वॉरियर ग्रुप को जन्म दिया। कोविड काल में कवियों को अपने मन के भाव व्यक्त करने के लिए इस ग्रुप ने अनेक नवोदित कवियों को मार्गदर्शन और प्रोत्साहन दिया। उन्हें अपनी प्रतिभा को विस्तार देने के लिए उनके फेसबुक पेज https://www.facebook.com/NeelamSaxenaPoet द्वारा अनेक काव्यगोष्ठियाँ आयोजित कर मंच प्रदान किया। साथ ही सदस्यों की पुस्तकों का विमोचन और उन पर चर्चा के कार्यक्रम भी आयोजित किए। 300 से अधिक सदस्यों वाले इस ग्रुप ने मुम्बई के एन.सी.पी.ए. जैसे कई सुप्रसिद्ध मंचों पर ऐसे कार्यक्रम करने के बाद पहली बार दिल्ली के साहित्य अकादमी हॉल के मंच पर यह लिटफेस्ट आयोजित किया।
कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन डॉ रेणु मिश्रा एवम् जूही गुप्ते ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अपर्णा प्रधान द्वारा स्वरचित सरस्वती वंदना के गायन से हुई। 18 पुस्तकों का विमोचन माननीय विशिष्ट अतिथियों तथा नीलम सक्सेना द्वारा किया गया। इनमें मीरा भंसाली, वहीदा हुसैन, डॉ. मैत्रीय जोशी, निवेदिता रॉय, डॉ. अंशु शर्मा, डॉ. अपर्णा प्रधान, जूही गुप्ते, माला अग्रवाल (माधवी), सुरेखा साहू, यू.बी. तिवारी, डॉ. सिग्मा सतीश, डॉ. कोयल बिस्वास, डॉ. दिवाकर पोखरियाल, अनूप पांडे, गार्गी सरखेल बागची, और डॉ. रेणु मिश्रा की पुस्तकों के अलावा नीलम सक्सेना की नई पुस्तक बिनीथ द डेड स्किन (Beneath the Dead Skin) भी थी। पुस्तक विमोचन के उपरांत सभी लेखक और लेखिकाओं ने अपनी पुस्तक का संक्षिप्त परिचय दिया।
सब को इवेंट पार्टनर हाइब्रो स्क्राइब्स पब्लिकेशन द्वारा प्रायोजक मेडल्स से सम्मानित किया गया।
उसके बाद कवि-कवियत्रियों ने काव्य पाठ किया। मीरा भंसाली, वहीदा हुसैन, डॉ. मैत्रीय जोशी, डॉ. अंशु शर्मा, डॉ. अपर्णा प्रधान, माला अग्रवाल (माधवी), जूही गुप्ते, सीमा जैन, सुनील चौधरी, ऋत्विका शर्मा, सुरेखा साहू, डॉ. कोयल बिस्वास, गायत्री जोशी अरुणिमा, अनूप पांडे, डॉ. सिग्मा सतीश, मिसना चानू, सरिता त्रिपाठी, पद्मजा आइंगर – पैडी और सीमा श्रीवास्तव ने स्वरचित कविताएं सुनाई जिन्हें विशिष्ट अतिथियों एवं श्रोताओं ने बहुत सराहा।
कार्यक्रम के अंत में विभिन्न श्रेणियों के पुरस्कार दिए गए, जैसे कि सर्वश्रेष्ठ महिला लेखिका, सर्वश्रेष्ठ हिंदी काव्य पुस्तक, सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी कविता संग्रह, सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी फिक्शन पुस्तक, सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिक्शन पुस्तक, सर्वश्रेष्ठ नॉन-फिक्शन पुस्तक, इत्यादि। इन पुरस्कारों के विजेता सीमा जैन, सुरेखा साहू, यू. बी. तिवारी, डॉ. मैत्रीय जोशी, निवेदिता रॉय, सुनील चौधरी, डॉ. अपर्णा प्रधान, माधवी अग्रवाल, हरप्रीत कौर, वीना विज, गार्गी सारखेल बागची, रूपम, वहीदा हुसैन, डॉ. कोयल बिस्वास, डॉ. दिवाकर पोखरियाल, ऋत्विक शर्मा, मीरा भंसाली, मंदिरा घोष, और सौमित रहे। नीलम सक्सेना को लीला रमन अनुकरणीय, असाधारण और प्रबुद्ध साहित्यिक प्रतिभा अवार्ड पद्मजा आइंगर – पैडी ने प्रदान किया। इसके अलावा निवेदिता रॉय, पद्मजा आइंगर – पैडी, और रित्विका को कविता वाचन के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए।
कार्यक्रम के खुशनुमा लम्हों को सुनील चौधरी जी ने अपने कैमरे में कैद किया। मीडिया पी.डी.पी. प्रोडक्शन के सौजन्य से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण फेसबुक पर हुआ और उन्होंने तस्वीरें भी खींची।
प्रस्तुति – सुश्री अपर्णा प्रधान एवम् श्री अनुप जालान
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ श्री अनूप श्रीवास्तव को व्यंग्य का भारतेंदु हरिश्चंद्र शीर्षस्थ सम्मान – अभिनंदन ☆
वरिष्ठ व्यंग्यकार एवम अट्टहास हास्य व्यंग्य मासिक के प्रधान संपादक श्री अनूप श्रीवास्तव को युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच द्वारा भारतेंदु हरिश्चंद्र शीर्षस्थ सम्मान से सम्मानित किया गया।
यह सम्मान दिल्ली में युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच ने अपने दसवें अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव के सम्मान सम्मारोह -2023 के अंतर्गत अनूप जी को छः दशकों के अधिक समय से हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट मौलिक लेखन और पत्रकारिता के शाश्वत मूल्यों के सतत संरक्षण में अप्रतिम योगदान के लिए गांधी प्रतिष्ठान के भव्य सभागार में दिया गया। यह सम्मान समारोह के अध्यक्ष प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ प्रेम जनमेजय, मुख्य अतिथि एवम भारत सरकार के पूर्व रक्षा सचिव योगेंद्र नारायण, विशिष्ट अतिथि कथाकार बलराम और युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम किशोर उपाध्याय ने संयुक्त रूप से दिया।
अनूप जी को स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्र, सम्मान पत्र के साथ ही ग्यारह हजार रुपयों की सम्मान राशि से अलंकृत किया गया।
इसके साथ ही समारोह में श्रीमती शारदा मदरा को महादेवी वर्मा सम्मान (7100रु), श्री राजकिशोर मिश्र (महाराष्ट्र) को अमीर खुसरो सम्मान (5100 रु),डॉ जमुना कृष्णराज (चेन्नई, तमिलनाडु) को सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान (5100रु), श्री किशोर जैन (असम) को श्रीमती कमलेश प्रशांत (जयपुर, राजस्थान) को स्मृति सम्मान (5100रु), डॉ कंचना सक्सेना को रामकिशोरी स्मृति सम्मान (5100रु), डॉ रश्मि कौशल (बिहार) को डॉ देवेंद्र स्मृति सम्मान (5100 रु),डॉ कृपा शंकर मिश्र को मुंशी प्रेम चंद सम्मान (5100रु), श्रीमती अंशु विनोद गुप्ता (दिल्ली) को स्व.डी पी चतुर्वेदी सम्मान (5100रु) से सम्मानित किया गया। दिल्ली के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों राजस्थान, चंडीगढ़, पंजाब, हिमांचल, आन्ध्र प्रदेश, प.बंगाल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तरा खण्ड, से पधारे साहित्य कारो को भीअंग वस्त्रम, स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय ने पूर्व रक्षा सचिव योगेंद्र नारायण को लाइफ टाइम अचीव मेन्ट सम्मान पत्र, अंगवस्त्रम, पुष्प, माला देकर सम्मान किया। सम्मान पत्र में “पूर्व आई ए एस” लिखा देखकर उन्होंने कटाक्ष किया – अरे भाई! मुझे एक्स आई ए एस क्यो लिखरहे है आप ? मेरी कई किताबें है। कविता संकलन भी है । इस पर तालियां बजी। मंचासीन मीरा शलभ ने कहा- वह मारा!
मीरा शलभ ने अट्टहास हास्य व्यंग्य मासिक पर भी चुटकी ली कि यह तो व्यंग्य की भागवत है।
समारोह के मुख्य अतिथि भारत सरकार के पूर्व रक्षा सचिव योगेंद्र नारायण ने अनूप जी के साहित्यिक और पत्रकारिता के अवदान की चर्चा करते हुए कहा मेरी उनकी पचास सालों की मित्रता है। उनकी कलम में आज भी वही पैनापन है, आज भी जीवन के शाश्वत मूल्यों से जुड़े हुए है। अनूप जी को सम्मानित करके युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच को बधाई देता हूँ। अनूप जी का साहित्यिक अवदान मील का पत्थर बने यह मेरी कामना है।
समारोह के अध्यक्ष और व्यंग्ययात्रा के सम्पादकडॉ प्रेम जनमेजय ने कहा जब मै पहली बार अनूप जी से मिला था मेरी आयु 41 वर्ष की थी और अनूप जी 47 वर्ष के थे। वे उस समय भी अपनी आयु से अधिक ऊर्जावान थे और आज भी है। अपनी साठ वर्षो के लंबे के साहित्यिक सेवा काल मे मंचीय कविता और इतर गद्य लेखन तथा व्यंग्य लेखन को स्थापित करने में सेतु का काम किया है। उनमें सजग पत्रकार और व्यंग्यलेखन का सजग गुण मौजूद है। यह इनके व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण पक्ष है। अट्टहास के माध्यम से अनूप जी ने हजारों साहित्यकारों को व्यंग्य से जोड़ा है। वे छत्तीस से अधिक वर्षो तक स्वतंत्रभारत अखबार के अत्यंत लोकप्रिय कॉलम काँव काँव के साथ ही घाघ लखनवी, तीरंदाज, आराम कुर्सी के छझम नामों से सत्ताधीशों की बखिया उधेड़ते रहे हैं। इस संस्था ने अपना शीर्षस्थ सम्मान देकर हम सभी को सम्मानित किया है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि कथाकार बलराम ने कटाक्ष किया कि आज अगर नामवर सिंह जी यहाँ होते तो वे भी चुटकी लिए बिना नही रहते कि जिंदगी भर दूसरों को सम्मानित करने वाला आज स्वयम सम्मानित हो रहा है। अनूप जी का अवदान अतुलनीय है यह सन्मान वस्तुतः अनूप जी लम्बी साहित्यिक सेवा के प्रति कृतज्ञता का द्योतक है। युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच ने भारत के विभिन्न राज्यों से साहित्यकारों को आमंत्रित करके अद्भुत सांगठनिक क्षमता का परिचय दिया है। सैकड़ो की संख्या में हिंदी अहिन्दी क्षेत्रों से पधारे साहित्य मनीषियों को देख कर मुझे लघु भारत के दर्शन हो रहे हैं
व्यंग्यकार अनूप श्रीवास्तव ने सम्मानित किये जाने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा “आंख कितनी ही छोटी क्यों न हो ताकत उसमे पूरा आसमान देखने की होती है। उन्होंने कहा -जिंदगी एक हसीन ख्वाब है जिसे जीने की ताकत होनी चाहिए। गम खुद ही खुशी में बदल जायेगा। आप ठहाका लगाएंगे तो सारा जमाना अट्टहास करने लगेगा। उन्होंने मंच के अध्यक्ष राम किशोर उपाध्याय से आग्रह किया कृपया यह राशि अट्टहास हास्य व्यंग्य मासिक के बैंक खाते मे ही जमा कर दें, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
सम्मान समारोह राष्ट्रीय अध्यक्ष उपाध्याय के लिए भी विशेष रहा जब देश के विभिन्न राज्यो से पधारने वाले साहित्यकारों में उल्टे उन्हें भी सम्मानित करने की होड़ लग गयी। उपाध्याय जी को
अभिभूत होकर मंच से उतर कर कृतज्ञता ज्ञापन किया। भारतीय साहित्य कला परिषद ग्वालियर, मध्य प्रदेश की ओर से शायर डॉ मनोज फगवाड़वी, महासचिव और प्रियांक बैनीवाल ने उन्हेंअवार्ड ऑफ़ एक्सीलेंस / लाईफ़ टाईम अचीवमेंट अवार्ड देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर पुरस्कार गृहण करने के बाद सभी साहित्यकारों ने अपने विचार व्यक्त किये। चेन्नई, तमिलनाडु से पथारी डॉ जमुना कृष्णराज ने मंच के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा सुदूर चेन्नई में बैठ हिंदी के लेखन कार्य कर रहे मुझको हिंदी साहित्य जगत में मान्यता मिलना मेरे लिए निश्चय ही अचरज की बात है। अपने यहां हिंदी में बात करना-घर हो या बाहर असंभव है। ऐसेमाहौल में रहते हुए मैं लिखती हूं तो केवल आप लोगों के लिए ही। यही कारण है कि अपने लक्ष्य पाठक वर्ग से मिलने की उत्सुकता मेरे मन में बढ़ी और इस दूरी को नज़रंदाज़ करती हुई में पुरस्कार की आपकी सूचना पाते ही दिल्ली चल आई। तोंद वाले गणपति’ नामक मेरी अनूदित बाल कविताओं की कृति भी जब आपके द्वारा पुरस्कृत हुई तो मैंने समझा मेरा लेखन का प्रयास फलीभूत हुआ। हाल में संयोगवश दीपावली के दिन तिरुपति में पद्मावती देवी मंदिर में आयोजित ब्रह्मोत्सव का टीटीडी चैनल के सीधा प्रसारण के लिए जब मुझे हिंदी उद्घोषिका बनने के लिए बुलाया आया तो इस दैवी संकल्प से मेरा मन अभिभूत हो उठा। यद्यपि यह मेरा पहला अनुभव था, ईश्वर की कृपा से देवी का गुणगान कर मैं इस कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न कर पाई।
गुवाहाटी, असम से पधारे साहित्यकार किशोर कुमार जैन ने कहा कि असम से हिन्दी भाषी होकर असमिया साहित्य में अवदान देने हेतु सम्मानित हुआ। आज यहाँ दिल्ली से असमिया भाषी होकर हिन्दी भाषी साहित्युकार के रूप में सम्मानित होकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। असम साहित्य सभा के अधिवेशन में शताधिक पुस्तकों के विमोचन होते हैं। एक अदना सा साहित्यकार देश के इतने बड़े मंच पर पुरस्कार प्राप्त कर आभारी हूँ। सभी को असम में आमंत्रित करता हूँ। डॉ रश्मि कौशल ने अपने विचार रखते हुए कहा कि युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के दसवें अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव-२०२३, में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ। मुझे उत्कृष्ट काव्य विधा के लिए जो डॉ देवेंद्र शर्मा स्मृति सन्मान मिला, आज इस समान ने मुझे फिर से लिखने के लिए प्रेरित किया है | श्री विजय प्रशांत ने प्रथम सत्र के अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
भोजन अवकाश के उपरांत दूसरे सत्र की अध्यक्षता अट्टहास हास्य व्यंग्य मासिक के सम्पादक अनूप जी ने की, में अनेक कवियों / कवयित्रियों तथा मंचस्थ अतिथियों ने काव्य पाठ किया। इस अवसर पर तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, उप्र, दिल्ली, हरियाणा के सम्मानित साहित्यकारों ने अपने उद्गार व्यक्त किए। द्वितीय सत्र दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शारदा मदरा ने उपस्थित समस्त आगंतुकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया | मंच का सञ्चालन डॉ. पुष्पा जोशी ने किया। यह संस्था गत नो वर्षों से हिंदी साहित्य सेवा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान हेतु देश भर से चयनित साहित्यकारों को सम्मानित करती चली आ रही है।
प्रस्तुति – श्री जय प्रकाश पाण्डेय, जबलपुर
💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री अनूप श्रीवास्तव जी को इस विशिष्ट सम्मान के लिए हार्दिक बधाई 💐
– श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
विशेषतः वैज्ञानिक विषयांवर अतिशय माहितीपूर्ण आणि उत्तम लेख लिहिणारे आपल्या समूहातील लेखक श्री. राजीव पुजारी यांना “मराठी विज्ञान परिषद“ या मान्यवर संस्थेने आयोजित केलेल्या विज्ञान निबंध स्पर्धेत दक्षिण महाराष्ट्र विभागात द्वितीय क्रमांक प्राप्त झाला आहे. या स्पर्धेसाठी “पंचाहत्तर वर्षातील भारताची वैज्ञानिक प्रगती“ हा मोठा आवाका असणारा विषय देण्यात आला होता. श्री. पुजारी यांना मिळालेल्या या यशाबद्दल ई-अभिव्यक्ती समूहातर्फे त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि त्यांना उत्तरोत्तर असेच यश मिळत रहावे यासाठी हार्दिक शुभेच्छा.
यावर्षीच्या ई-अभिव्यक्ती दिवाळी विशेषांकात त्यांचा हा निबंध लेखस्वरूपात प्रकाशित करण्यात आलेला आहे.
18 वाँ बहुभाषी नाट्य महोत्सव 2023 – उद्घाटन से समापन पुरस्कार वितरण समारोह तक – एक दृष्टि ☆ श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी“
☆ निर्णायक की कलम से – भव्य प्स्तुति का आकलन – श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी“ ☆
☆ बहुभाषी नाट्य प्रतियोगिता का भव्य उद्घाटन संपन्न। 29/10/2023 ☆
विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन और सुप्रसिध्द नाट्य कला संस्था कला सागर के तत्वावधान में अठारहवां बहुभाषी सात दिवसीय नाट्य सम्मेलन का भव्य शुभारंभ संपन्न हुआ। अतिथि द्वय नागपुर और बालीवुड के सुप्रतिष्ठित फिल्म डायरेक्टर श्री रजनीश कॉलीन्स और आरोही बिजनेसमैन शिक्षा विद डॉ डी आर जैसवाल ने उद्घाटन किया। निर्णायक त्रयी हेमलता मिश्र “मानवी”, बुद्धिजीवी वरिष्ठ नाटककार शक्ति रतन और प्राध्यापक दीपक कडू ने आयोजन में विचार व्यक्त किए।
संस्थापक श्री पदमनायर अध्यक्ष श्री गिल्लूरकर सचिव डॉ श्री बारस्कर कोषाध्यक्ष श्री सुरेश सांगोलकर और सहसचिव डॉ श्रीमती कटोच की मुख्य उपस्थिति रही।
45 वर्ष पूर्व बीजरूप स्थापित कलासागर आज नाट्यकला के क्षेत्र में वट-वृक्ष बन चुका है संस्थापक ने प्रतिपादित किया। सुंदर बौद्धिक संचालन प्राध्यापक प्रीति दुबे हर्ष ने किया। वर्तमान संस्थापक ने प्रतिदिन आयोजन हेतु दर्शक दीर्घा को आमंत्रित किया। और संस्थापक स्वर्गीय उमेश बाबू की पुण्य स्मृतियों को सादर प्रणाम किया।
अत्यंत खूबसूरत मराठी नाटिका “नकोशी” मंचन हुआ। कलाकारों की संपूर्णता समर्पण और कला-संपन्नता मंच पर सहज साकारित हुई और आगामी नाटकों की झलक ही आकर्षित कर गयी इस संदेशप्रद नाटिका के साथ।
मैं हेमलता मिश्र “मानवी” पिछले अनेक वर्षों से कलासागर के अतिथ निर्णायक दायित्व से जुड़ी हूँ। बाबूजी उमेश चौबेजी और पदम नायर जी ने यह आत्मीय सद्भाव मुझे सौंपा था। सुधिजनों ने आयोजन में सक्रिय सहभाग लिया।
☆ सरस्वती आराधना के – – – वो सात दिन!! ☆
जी हां मित्रो। सात-दिवसीय बहुभाषी नाट्य प्रतियोगिता में सम्मानित निर्णायक दायित्व के साथ सामाजिक साहित्यिक सांस्कृतिक और शैक्षणिक मानस का आल्हाद भी तो साथ था। दीप प्रज्वलन के साथ ही प्रतिदिन तीन या चार नाटकों की प्रस्तुति और हम निर्णायक-त्रयी का आपसी मंथन–मनभेद नहीं कुछ मतभेद का चेहरा आंदोलित करता लेकिन सहमति बन ही जाती। प्रतिदिन नाट्य संध्या चलती रही और निर्णायक-त्रयी का निर्णय तैयार होता रहा। पूरे 18 नाटको के 17 पुरस्कार। सर्वश्रेष्ठ नाटक सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सर्वश्रेष्ठ लेखक सर्वश्रेष्ठ कलाकार पुरुष सर्वश्रेष्ठ कलाकार महिला सर्वश्रेष्ठ हास्य-व्यंग्य नाटक सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार और इन सभी के द्वितीय तृतीय पुरस्कार।
सिर्फ़ यही नहीं हरेक कलाकार को मोमेंटो और प्रमाणपत्र। सचमुच साधुवाद के पात्र हैं कलासागर के प्रणेता संस्थापक श्री पदम नायर जी।
☆ समापन की ओर::परिणाम जानने की चरम जिज्ञासा :पुरस्कारों की ललक ☆
दिनांक 04/11/2023 समापन समारोह और पुरस्कार वितरण की सुरमयी सुनहरी साँझ ने कहा– जीना इसी का नाम है। जी हाँ – -साथियों। – हर ओर एक अनूठा जोश उत्सुक उल्लास।। “क्या पाया” – – प्रतिभागी नाटक टीमों के चेहरों पर लिखे भाव बनते बिगड़ते प्रारूप।।
समस्त गहमागहमी के बीच प्रमुख अतिथियों और अध्यक्ष श्री विनोद गिल्लूरकर कलासागर के संस्थापक आदरणीय पदम नायर जी अतिथि निर्णायक और कलासागर के समस्त पदाधिकारी गणों के महिमामय सानिध्य में सरस्वती पूजन वंदन के साथ समापन समारोह का पावन शुभारंभ। कलासागर की परिचय पुस्तिका में आदरणीय बाबूजी स्व उमेश चौबेजी को भावपूर्ण श्रद्धांजली – – अभिभूत था हर स्नेही ह्दय। सरस्वती पूजन और स्नेह वंदन की अनूठी परंपरा तथा अतिथियों का अंग वस्त्र श्वेत उत्तरीय से स्वागत।
तदनंतर महोत्सव का गीत-संगीतमय सफर–कलासागर के धीर-गंभीर मगर उत्साही अध्यक्ष मधुर गायकी के हरदिल अजीज रविशेखर गिल्लूरकर की टीम ने सरस गीतों की सुरीली फुहारों से हर ह्दय को मधुरिमा से भर दिया। एंकरिंग – – वाह क्या कहें कितना कहें – – सुशील तिवारी भारतीय रेल्वे के अधिकारी – – अपने नाटकों के लिए दिल्ली स्तर तक पुरस्कृत अभिनेता लेखक दिग्दर्शक – – गर्व है सुशील– अनुज हम लोगों की निगाह में नागपुर के गौरव हैं–निःसंदेह।
– – और वह चिरप्रतीक्षित क्षण पुरस्कार वितरण। सभी विजेता रहे हम निर्णायक-त्रयी की निगाहों में – – पर हाँ परंपरा का निर्वहण तो अवश्यंभावी है – अतः सर्वोत्कृष्ट नाटक से लेकर सर्वोत्तम बाल कलाकार तक लगभग 30 ट्राफी और 17 नाटकों के सौ से अधिक कलाकारों को खूबसूरत गरिमामय प्रमाणपत्र। वाह वाह कलासागर की संवेदनशीलता कि हर एक को सराहा हर एक को उसका दाय दिया – – कि हर एक “कलाकार” सच्चा कलाकार है जिसने इस मंच को अपनी कला का प्रतिदान दिया। हाँ प्रथम द्वितीय तृतीय की उन्नीसी-बीसी – – “चलता है भाई व्यर्थ दिमाग नहीं खपाने का।”
हर एक निर्णय के साथ दर्शक-दीर्घा से जोर से हे हे हुर्रे अहाहाहा। क्या समा–क्या खुशी भरी किलकारियाँ – – एक दूसरे की पीठ पर धौल जमते – – चल – -अरे मित्रा– दोस्त चल मंच पर।
सचमुच सारे एक से बढ़कर एक कलाकार जो एक दूसरे की खुशी में सरोबार हो रहे हैं। लाईट संगीत तथा तकनीकी भी पुरस्कृत। पुरस्कार लेकर अतिथियों और निणायकों के चरणस्पर्श करते ये सांस्कृतिक दूत से व्यक्तित्व – – साधुवाद है मेरे भारत की संस्कृति जहाँ गुरुजनों के प्रति ऐसा सम्मान और सहिष्णुता आज भी है। कौन कहता है कि मेरा देश कहीं पिछड़ रहा है कहीं बिगड़ रहा है–नहीं मेरा भारत महान है विश्व गुरु है – – सदैव रहेगा। साहित्य संगीत और अपनी जीवंत कला-संस्कृतियों के साथ अजर-अमर है। आभार प्रदर्शन में विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रति आस्था और सम्मान – – कुर्सियां लगाने वाले कार्यक्रम से लेकर चाय बाँटने वाले तक सभी का आभार – – इसे कहते हैं रखो सबका स्वाभिमान करो अपना स्वयं का सम्मान।। साधुवाद कलासागर।
बहुत बहुत बधाईयाँ अभिनंदन और ढेरों शुभाकाँक्षा साधुवाद कलासागर ऐसे भव्य उर्वरा बहुपयोगी सांस्कृतिक महायज्ञ के आयोजन के लिए।
इतना इतना इतना न जाने कितना लिखना चाहती है – -भरे-भरे ह्दय के साथ मचल रही लेखनी के इस लेखन आग्रह को परे करते हुए समाप्त करती हूँ – – कि पाठकों की भी अपनी सीमाएं हैं अनदेखी अनकही कथाओं से आनंद पाने की— मानस की सद्भावी सुधियों के साथ जुडने की–इसलिए शेष फिर कभी – – –
प्रस्तुति – श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी ”
वरिष्ठ साहित्यकार नाटककार संपादिका
नागपुर, महाराष्ट्र 440010
≈ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈