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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
18 वाँ बहुभाषी नाट्य महोत्सव 2023 – उद्घाटन से समापन पुरस्कार वितरण समारोह तक – एक दृष्टि ☆ श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी“
☆ निर्णायक की कलम से – भव्य प्स्तुति का आकलन – श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी“ ☆
☆ बहुभाषी नाट्य प्रतियोगिता का भव्य उद्घाटन संपन्न। 29/10/2023 ☆
विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन और सुप्रसिध्द नाट्य कला संस्था कला सागर के तत्वावधान में अठारहवां बहुभाषी सात दिवसीय नाट्य सम्मेलन का भव्य शुभारंभ संपन्न हुआ। अतिथि द्वय नागपुर और बालीवुड के सुप्रतिष्ठित फिल्म डायरेक्टर श्री रजनीश कॉलीन्स और आरोही बिजनेसमैन शिक्षा विद डॉ डी आर जैसवाल ने उद्घाटन किया। निर्णायक त्रयी हेमलता मिश्र “मानवी”, बुद्धिजीवी वरिष्ठ नाटककार शक्ति रतन और प्राध्यापक दीपक कडू ने आयोजन में विचार व्यक्त किए।
संस्थापक श्री पदमनायर अध्यक्ष श्री गिल्लूरकर सचिव डॉ श्री बारस्कर कोषाध्यक्ष श्री सुरेश सांगोलकर और सहसचिव डॉ श्रीमती कटोच की मुख्य उपस्थिति रही।
45 वर्ष पूर्व बीजरूप स्थापित कलासागर आज नाट्यकला के क्षेत्र में वट-वृक्ष बन चुका है संस्थापक ने प्रतिपादित किया। सुंदर बौद्धिक संचालन प्राध्यापक प्रीति दुबे हर्ष ने किया। वर्तमान संस्थापक ने प्रतिदिन आयोजन हेतु दर्शक दीर्घा को आमंत्रित किया। और संस्थापक स्वर्गीय उमेश बाबू की पुण्य स्मृतियों को सादर प्रणाम किया।
अत्यंत खूबसूरत मराठी नाटिका “नकोशी” मंचन हुआ। कलाकारों की संपूर्णता समर्पण और कला-संपन्नता मंच पर सहज साकारित हुई और आगामी नाटकों की झलक ही आकर्षित कर गयी इस संदेशप्रद नाटिका के साथ।
मैं हेमलता मिश्र “मानवी” पिछले अनेक वर्षों से कलासागर के अतिथ निर्णायक दायित्व से जुड़ी हूँ। बाबूजी उमेश चौबेजी और पदम नायर जी ने यह आत्मीय सद्भाव मुझे सौंपा था। सुधिजनों ने आयोजन में सक्रिय सहभाग लिया।
☆ सरस्वती आराधना के – – – वो सात दिन!! ☆
जी हां मित्रो। सात-दिवसीय बहुभाषी नाट्य प्रतियोगिता में सम्मानित निर्णायक दायित्व के साथ सामाजिक साहित्यिक सांस्कृतिक और शैक्षणिक मानस का आल्हाद भी तो साथ था। दीप प्रज्वलन के साथ ही प्रतिदिन तीन या चार नाटकों की प्रस्तुति और हम निर्णायक-त्रयी का आपसी मंथन–मनभेद नहीं कुछ मतभेद का चेहरा आंदोलित करता लेकिन सहमति बन ही जाती। प्रतिदिन नाट्य संध्या चलती रही और निर्णायक-त्रयी का निर्णय तैयार होता रहा। पूरे 18 नाटको के 17 पुरस्कार। सर्वश्रेष्ठ नाटक सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सर्वश्रेष्ठ लेखक सर्वश्रेष्ठ कलाकार पुरुष सर्वश्रेष्ठ कलाकार महिला सर्वश्रेष्ठ हास्य-व्यंग्य नाटक सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार और इन सभी के द्वितीय तृतीय पुरस्कार।
सिर्फ़ यही नहीं हरेक कलाकार को मोमेंटो और प्रमाणपत्र। सचमुच साधुवाद के पात्र हैं कलासागर के प्रणेता संस्थापक श्री पदम नायर जी।
☆ समापन की ओर::परिणाम जानने की चरम जिज्ञासा :पुरस्कारों की ललक ☆
दिनांक 04/11/2023 समापन समारोह और पुरस्कार वितरण की सुरमयी सुनहरी साँझ ने कहा– जीना इसी का नाम है। जी हाँ – -साथियों। – हर ओर एक अनूठा जोश उत्सुक उल्लास।। “क्या पाया” – – प्रतिभागी नाटक टीमों के चेहरों पर लिखे भाव बनते बिगड़ते प्रारूप।।
समस्त गहमागहमी के बीच प्रमुख अतिथियों और अध्यक्ष श्री विनोद गिल्लूरकर कलासागर के संस्थापक आदरणीय पदम नायर जी अतिथि निर्णायक और कलासागर के समस्त पदाधिकारी गणों के महिमामय सानिध्य में सरस्वती पूजन वंदन के साथ समापन समारोह का पावन शुभारंभ। कलासागर की परिचय पुस्तिका में आदरणीय बाबूजी स्व उमेश चौबेजी को भावपूर्ण श्रद्धांजली – – अभिभूत था हर स्नेही ह्दय। सरस्वती पूजन और स्नेह वंदन की अनूठी परंपरा तथा अतिथियों का अंग वस्त्र श्वेत उत्तरीय से स्वागत।
तदनंतर महोत्सव का गीत-संगीतमय सफर–कलासागर के धीर-गंभीर मगर उत्साही अध्यक्ष मधुर गायकी के हरदिल अजीज रविशेखर गिल्लूरकर की टीम ने सरस गीतों की सुरीली फुहारों से हर ह्दय को मधुरिमा से भर दिया। एंकरिंग – – वाह क्या कहें कितना कहें – – सुशील तिवारी भारतीय रेल्वे के अधिकारी – – अपने नाटकों के लिए दिल्ली स्तर तक पुरस्कृत अभिनेता लेखक दिग्दर्शक – – गर्व है सुशील– अनुज हम लोगों की निगाह में नागपुर के गौरव हैं–निःसंदेह।
– – और वह चिरप्रतीक्षित क्षण पुरस्कार वितरण। सभी विजेता रहे हम निर्णायक-त्रयी की निगाहों में – – पर हाँ परंपरा का निर्वहण तो अवश्यंभावी है – अतः सर्वोत्कृष्ट नाटक से लेकर सर्वोत्तम बाल कलाकार तक लगभग 30 ट्राफी और 17 नाटकों के सौ से अधिक कलाकारों को खूबसूरत गरिमामय प्रमाणपत्र। वाह वाह कलासागर की संवेदनशीलता कि हर एक को सराहा हर एक को उसका दाय दिया – – कि हर एक “कलाकार” सच्चा कलाकार है जिसने इस मंच को अपनी कला का प्रतिदान दिया। हाँ प्रथम द्वितीय तृतीय की उन्नीसी-बीसी – – “चलता है भाई व्यर्थ दिमाग नहीं खपाने का।”
हर एक निर्णय के साथ दर्शक-दीर्घा से जोर से हे हे हुर्रे अहाहाहा। क्या समा–क्या खुशी भरी किलकारियाँ – – एक दूसरे की पीठ पर धौल जमते – – चल – -अरे मित्रा– दोस्त चल मंच पर।
सचमुच सारे एक से बढ़कर एक कलाकार जो एक दूसरे की खुशी में सरोबार हो रहे हैं। लाईट संगीत तथा तकनीकी भी पुरस्कृत। पुरस्कार लेकर अतिथियों और निणायकों के चरणस्पर्श करते ये सांस्कृतिक दूत से व्यक्तित्व – – साधुवाद है मेरे भारत की संस्कृति जहाँ गुरुजनों के प्रति ऐसा सम्मान और सहिष्णुता आज भी है।
कौन कहता है कि मेरा देश कहीं पिछड़ रहा है कहीं बिगड़ रहा है–नहीं मेरा भारत महान है विश्व गुरु है – – सदैव रहेगा। साहित्य संगीत और अपनी जीवंत कला-संस्कृतियों के साथ अजर-अमर है। आभार प्रदर्शन में विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रति आस्था और सम्मान – – कुर्सियां लगाने वाले कार्यक्रम से लेकर चाय बाँटने वाले तक सभी का आभार – – इसे कहते हैं रखो सबका स्वाभिमान करो अपना स्वयं का सम्मान।। साधुवाद कलासागर।
बहुत बहुत बधाईयाँ अभिनंदन और ढेरों शुभाकाँक्षा साधुवाद कलासागर ऐसे भव्य उर्वरा बहुपयोगी सांस्कृतिक महायज्ञ के आयोजन के लिए।
इतना इतना इतना न जाने कितना लिखना चाहती है – -भरे-भरे ह्दय के साथ मचल रही लेखनी के इस लेखन आग्रह को परे करते हुए समाप्त करती हूँ – – कि पाठकों की भी अपनी सीमाएं हैं अनदेखी अनकही कथाओं से आनंद पाने की— मानस की सद्भावी सुधियों के साथ जुडने की–इसलिए शेष फिर कभी – – –
प्रस्तुति – श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी ”
वरिष्ठ साहित्यकार नाटककार संपादिका
नागपुर, महाराष्ट्र 440010
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈