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संपादक मंडळ
ई-अभिव्यक्ती मराठी.
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
श्रीमती सुशीलादेवी केशवराम क्षत्रिय स्मृति बाल प्रतियोगिता- 2022 परिणाम घोषित – अभिनंदन
बालकहानी प्रतियोगिता के परिणाम घोषित – अलका प्रमोद लखनऊ को मिला प्रथम स्थान-
देशभर के बालकथाकारों से बालकहानियां प्रतियोगिता-श्रीमती सुशीलादेवी केशवराम क्षत्रिय स्मृति बाल प्रतियोगिता- 2022 के लिए आमंत्रित की गई थीं। जिसमें विभिन्न बालसाहित्यकारों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। इस कारण इस प्रतियोगिता में 55 से अधिक कहानियां प्रविष्ठियाँ के तौर पर प्राप्त हुई थीं। प्रतियोगिता के निम्नानुसार इन सभी कहानियों पर से रचनाकारों के नाम हटाकर कहानी के शीर्षक के साथ निर्णायक और प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ दिनेश कुमार पाठक ‘शशि’ को मूल्यांकन के लिए भेजा गया था।
निर्णायक महोदय ने कहानी का अध्ययन, मनन और चिंतन करके प्रथम स्थान- महंगी पड़ी शरारत, रचनाकार- अलका प्रमोद लखनऊ, द्वितीय स्थान- कहानी मिली की, रचनाकार- इंद्रजीत कौशिक बीकानेर, तृतीय स्थान- मछली जल की रानी, रचनाकार- नीलम राकेश लखनऊ की कहानी को प्रदान किया गया।
इसी तरह प्रथम 10 कहानियों में अपना स्थान बनाने वाली कहानी और रचनाकार का नाम इस प्रकार है- सब्जी लोक में टिंकू- अलका अग्रवाल जयपुर, लैपटॉप- मधुलिका श्रीवास्तव भोपाल, कौन जीता कौन हारा- मीनू त्रिपाठी नोएडा, इफ्तारी- डॉक्टर लता अग्रवाल भोपाल, मिंकु पिंकू- वंदना पुणतांबेकर इंदौर, अनुशासन का महत्व- विनीता राहुरिकर भोपाल, खेल खेल में- अंजली खेर भोपाल, मंगलवन में अमंगल ललित शौर्य पिथौरागढ़ , नन्ना गोलू- संध्या गोयल सुगम्या राजनगर गाजियाबाद को प्राप्त हुआ है।
इन सभी विजेताओं को पुरस्कार राशि व सम्मानपत्र श्रीमती सुशीलादेवी केशवराम क्षत्रिय स्मृति बाल प्रतियोगिता- 2022 के आयोजक प्रसिद्ध बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ द्वारा प्रदान किए जाएंगे।
☆ ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को ‘विद्या वाचस्पति’ की उपाधि ☆
रतनगढ़ । ‘ई-अभिव्यक्ति’ परिवार के वरिष्ठ साहित्यकार श्रीओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, गाँधीनगर, भागलपुर ने आपकी सुदीर्घ हिंदी सेवा, सारस्वत साधना, कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ, शैक्षिक प्रदेयों, महनीय शोधकार्य तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के आधार पर ‘विद्यावाचस्पति’ सारस्वत सम्मान प्रदान किया है । स्मरणीय रहे कि- यह सम्मानोपाधि पीएचडी के समकक्ष है।
‘ई-अभिव्यक्ति’ परिवार की ओर से ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को उनकी उपलब्धि पर हार्दिक साधुवाद !
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समूहातील ज्येष्ठ लेखिका सुश्री कुंदा कुलकर्णी यांनी लिहिलेले “।।भगवान वेदव्यास ।। “ हे अतिशय अभ्यासपूर्ण पुस्तक नुकतेच प्रकाशित झाले आहे. त्याबद्दल सुश्री कुलकर्णी यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन, आणि अशीच आणखी माहितीपूर्ण पुस्तके त्यांच्या हातून लिहिली जावीत आणि वाचकांपर्यंत पोहोचावीत यासाठी त्यांना हार्दिक शुभेच्छा.
या पुस्तकाविषयीचे लेखिकेचे मनोगत वाचू या आजच्या “ मनमंजुषा “ या सदरात.
ज्यांना हे पुस्तक हवे असेल त्यांनी लेखिकेच्या – ९१-९५२७४ ६०२९० या मोबाईल नंबरवर संपर्क साधावा असे त्यांनी कळवले आहे.
💐 ई- अभिव्यक्ती कडून त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन.💐
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≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
शुक्रवार दि. 20 मे 2022 रोजी सांगली येथे सौ.उज्वला केळकर यांच्या ‘हिरव्या हास्याचा कोलाज’ आणि श्री.अमोल केळकर यांच्या ‘माझी टवाळखोरी’ या पुस्तकांचा प्रकाशन समारंभ संपन्न झाला.
💐 ई-अभिव्यक्ती समुहातर्फे श्रीमती उज्ज्वला केळकर आणि श्री अमोल केळकर यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि शुभेच्छा 💐
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≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
श्री अमोल केळकर यांच्या “माझी टवाळखोरी” तसेच श्रीमती उज्ज्वला केळकर यांच्या “हिरव्या हास्याचा कोलाज” या पुस्तकांचे प्रकाशन श्री अरविंद मराठे यांच्या शुभहस्ते आणि श्री नितीन खाडिलकर यांच्या अध्यक्षतेखाली, शुक्रवार दिनांक २० मे रोजी सिटी हायस्कूल, सांगली येथे संध्याकाळी ४ वाजता होणार आहे.
आपण सर्वांनी या सोहळ्यास उपस्थित राहून लेखकांना शुभेच्छा द्याव्यात व आनंद द्विगुणीत करावा ही विनंती 🙏
💐 ई-अभिव्यक्ती समुहातर्फे श्रीमती उज्ज्वला केळकर आणि श्री अमोल केळकर यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि शुभेच्छा 💐
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≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
भारतीय साहित्य व संस्कृती मंच, बीड यांचेतर्फे आयोजित मुक्तकाव्य लेखन स्पर्धेत आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखक व कवी श्री.रविंद्र सोनावणी यांना प्रथम क्रमांक प्राप्त झाला आहे.
💐 ई-अभिव्यक्ती समुहातर्फे श्री.रविंद्र सोनावणी यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि शुभेच्छा 💐
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≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
☆ लघु पत्रिकाओं के महत्त्व व योगदान पर सम्मेलन – कमलेश भारतीय ☆
लघु पत्रिका सम्मेलन, दिनेशपुर (उत्तराखंड)
अभी आया हूं दिनेशपुर से जो उत्तराखंड का एक छोटा सा गांव है। जहां न कोई बड़ा होटल है और न कोई गेस्ट हाउस लेकिन पलाश विश्वास का हौसला देखिए कि दो दिन का सम्मेलन रख दिया देश की लघुपत्रिकाओं के योगदान और उनकी भूमिका को लेकर। कितने ही रचनाकार /संपादक दूर दराज से, देश के कोने कोने से पहुंचे और जमकर चर्चा हुई दो दिन। जनता का साहित्य, जनता की संस्कृति और जनता का मीडिया यह विषय रहा चर्चा परिचर्चा के लिए। प्रसिद्ध रचनाकार मदन कश्यप ने बहुत बढ़िया बात कही -देशहित और जनहित में इतना विरोध क्यों है? बाजार और विचार के बीच खाई क्यों है? बाजार और विचार की लड़ाई बड़ी है और इन दोनों के बीच खाई भी बढ़ती जा रही है। विचारहीनता का संकट बढ़ता जा रहा है देश में। सत्य को समझने, पहचानने और अभिव्यक्त करने की चुनौती बढ़ती जा रही है। हम संस्कृति से विमुख करने वालों के लिए चुनौती बन सकें यह बहुत जरूरी हो गया है। देवशंकर नवीन ने कहा कि चेतना को प्रबुद्ध करने की जरूरत है। उन्होंने एक लघुकथा से समझाया कि जिन्होंने रावण के पाप को झेला वो भी कसूरवार होते हैं बराबर के। हमें वैकल्पिक मीडिया बनाना है। ये लघुपत्रिकायें ही हैं जिन्होंने हर आंदोलन को जन्म दिया।
मैंने हरियाणा की ओर से गये इकलौते प्रतिनिधि के रूप में कहा कि कोई पत्र पत्रिका लघु नहीं होता। यदि ऐसा होता तो छत्रपति के पूरे सच ने जो काम कर दिखाया वह बड़े बड़े अखबार नहीं कर सके। लघु पत्रिका ‘वामन के तीन डग’ भरतीं आसमान तक नाप जाती हैं।
पाश ने कहा भी था कि
सबसे खतरनाक होता है
सब कुछ देखकर भी चुप रहना
और सुरजीत पातर ने भी कहा था :
कुज्ज किहा तां हनेरा जरेगा किवें,,,
जी हां। हनेरा यानी अंधकार यानी तानाशाह कभी सहता नहीं विरोध और यह विरोध हमें करना है। इन लघु पत्रिकाओं को करना है क्योंकि मीडिया बिकाऊ होता जा रहा है और बड़े संस्थानों से कोई आस नहीं बची।
‘आजकल’ के संपादक राकेश रेणु ने कहा कि जितने बड़े आंदोलन देश में हुए सबमें लघु पत्रिकाओं का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है लेकिन जिस स्तर पर और जितनी गहरी बहस होनी चाहिए वह होनी चाहिए। इसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है।
सम्मेलन में ‘समयांतर’ के संपादक पंकज बिष्ट, ‘नैनीताल समाचार’ के संपादक राजीव लोचन साह, शेखर पाठक,कौशल किशोर, बेबी हालदार, कपिलेश भोज, अमृता पांडे, मीन अरोड़ा, गीता पपोला, रूपेश कुमार सिंह, नगीना खान, कितने जाने अनजाने मित्रों ने इसे गरिमा प्रदान की।
रूपेश कुमार सिंह द्वारा लिखित ‘मास्साब’ पुस्तक का विमोचन किया गया जिसमें मास्टर मास्टर प्रताप सिंह के जीवन की घटनाओं को समेटने की कोशिश की गयी है। सम्मेलन में देश के अनेक स्थानों से प्रकाशित हो रही पत्रिकाओं व पुस्तकों की प्रदर्शनी व बिक्री भी खूब हुई और दोनों शाम कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम व नाटक प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम का मुख्य संचालन हेतु भारद्वाज ने किया और इसे पटरी से उतरने से बार बार सही जगह लाने पर बीच में आते रहे।
इस पूरे आयोजन के लिए पलाश विश्वास और प्रेरणा अंशु को बधाई देता हूं। संयोग से प्रेरणा अंशु के प्रकाशन का यह 36 वां गौरवशाली वर्ष भी था।
प्रेरणा अंशु को भी बहुत बहुत बधाई। एक छोटे से गांव दिनेशपुर से जो अलख जगी है, वह बहुत दूर तक जायेगी, पूरी आशा है, विश्वास है।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
☆ प्यार और कुर्बानी के इलावा माँ के मसलों को भी याद करें – वानप्रस्थ (वरिष्ठ नागरिकों की संस्था) का आयोजन ☆
हिसार। मई 9.
मैं सीता नहीं बनूंगी, किसी को अपनी पवित्रता का प्रमाण पत्र नहीं दूंगी , आग पर चल कर…..
मैं राधा नहीं बनूंगी, किसी की आंख की किरकिरी बन कर…
मैं यशोधरा भी नहीं बनूंगी, इंतज़ार करती हुई, ज्ञान की खोज में निकल गए किसी बुद्ध का..
मैं गांधारी भी नहीं बनूंगी, नेत्रहीन पति की साथी बनूंगी पर आंखों पर पट्टी बांध कर नहीं..
प्रो राज गर्ग ने यह कविता सुनाते हुए कहा कि आज की नारी बदल रही है, वह देवी रूप नहीं चाहती, केवल समानता और सम्मान चाहती है।
विश्व मातृत्व दिवस पर रविवार की शाम वानप्रस्थ संस्था द्वारा आयोजित वेबिनार में एक तरफ जहां माँ के असीम प्यार और कुर्बानी को याद किया गया, वहीं मां के उन मसलों को भी उल्लेखित किया गया जिन्हें लेकर सन 1908 में एक अमेरिकी महिला ने इसकी शुरुआत की थी।
प्रो सुनीता श्योकंद का कहना था कि मां अनथक रोबोट या मशीन नहीं है जो हर वक्त सेवा में लगी रहे, वह भी इंसान है, उसे भी आराम की जरूरत है और उसके भी सपने हैं।
इसी तरह माँ से जुड़े मुद्दे अन्य ने भी उठाए। कुरुक्षेत्र से जुड़े प्रो दिनेश दधीचि ने कहा,
घर घर चूल्हा चौका करती, करती सूट सिलाई माँ,
बच्चों खातिर जोड़ रही है, देखो पाई पाई माँ,
घटते घटते आज बची है, केवल एक तिहाई माँ
सिरसा से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार बी के दिवाकर ने कहा,
माँ मरी ते रिश्ते मुक गए,
पेके हुंदे मावां नाल
माँ पर शायरी करने वाले मुन्नवर राणा की शायरी का भी खूब जिक्र हुआ।
अजीत सिंह ने तरन्नुम में उनकी ग़ज़ल के कुछ शेर पढ़े।
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है, माँ बहुत गुस्से में होती है, तो रो देती है
प्रो स्वराज कुमारी ने पार्टीशन की पृष्ठभूमि पर लिखा राणा का यह शेर पढ़ा,
बीवी को तो ले आए,
मां को छोड़ आए हैं..
प्रो सुरेश चोपड़ा ने भी राणा के कई शेर पढ़े..
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
मां दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है
डी पी ढुल ने भी मां पर एक मार्मिक कविता पढ़ी।
युगों युगों से मां ने तो भगवानों को भी पाला है,
उसकी गोद जन्नत है,
गिरजाघर और शिवाला है
कुरुक्षेत्र से जुड़ी प्रो शुचि स्मिता का गीत था,
मां सुना दो मुझे वो कहानी,
जिसमें राजा न हो न हो रानी
प्रो शमीम शर्मा की कविता थी,
मां बुहारे हुए आंगन का सबूत,
मां अंधेरे में मुंडेर पर टंगा सूरज है
वेबीनार में शामिल बहुत से सदस्यों ने मां पर आधारित फिल्मी गीत भी सुनाए।
रोहतक से जुड़े प्रो हुकम चंद ने मान की लोरी पेश की। चंदा ओ चंदा, किसने चुराई तेरी मेरी निंदिया, जागे सारी रैन, तेरे मेरे नैन…
प्रो एस एस धवन का गीत था, मां तेरी सूरत से अलग, भगवान की सूरत क्या होगी
डॉ सत्या सावंत ने गाया, चलो चलें मां, सपनों की छांव में..
पुणे से जुड़ी दीपशिखा पाठक की प्रस्तुति थी, तू कितनी अच्छी है, तू कितनी भोली है, ओ मां, ओ मां
वीणा अग्रवाल पंजाबी गीत, मांवां ते धीयां रल बैठियां नी माए.. गाते हुए भावुक हो गईं, उनका गला रुंध गया और वे गीत पूरा न कर सकीं।
(मदर डे पर आयोजित वानप्रस्थ की गोष्ठी का दृश्य)
लगभग तीन घंटे चली वैब गोष्ठी में करीबन 30 सदस्यों ने भाग लिया तथा एक से बढ़कर एक माँ केंद्रित रचनाएं प्रस्तुत की। दूरदर्शन हिसार के पहले डायरेक्टर रहे एस एस रहमान अजमेर से गोष्ठी में जुड़े और हिसार निवास की यादों को ताज़ा किया।