सूचना/Information ☆ विश्व हिन्दी दिवस पर हुआ प्रवासी कवि सम्मेलन ☆ क्षितिज इंफोटेन्मेन्ट, पुणे का आयोजन

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ विश्व हिन्दी दिवस पर हुआ प्रवासी कवि सम्मेलन

विश्व हिन्दी दिवस पर क्षितिज इंफोटेन्मेन्ट द्वारा प्रवासी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अमेरिका, इंग्लैंड, नीदरलैंड, सिंगापुर, बांग्लादेश के प्रवासी हिंदी साहित्यकारों ने सम्मेलन में अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।

नीदरलैंड की वरिष्ठ प्रवासी रचनाकार प्रो. डॉ. पुष्पिता अवस्थी ने अपनी रचना का पाठ करते हुए स्त्री जीवन की विसंगति को कुछ इस तरह शब्द दिए-

औरत बढ़ती रहती है

सीमाओं में जीती रहती है, जैसे नदी..,

औरत फलती फूलती है

पर सदा भूखी रहती है, जैसे वृक्ष..,

औरत बनाती है घर

पर हमेशा रहती है बेघर, जैसे पक्षी..!

प्रवासी के घर लौटने की प्रतीक्षा करते माता-पिता की व्यथा को सिंगापुर की प्रवासी कवयित्री आराधना झा श्रीवास्तव ने यूँ अभिव्यक्त किया-

किंतु घर की ड्योढ़ी पर

बिना सवारी को उतारे हुए

गुज़र जाता है रिक्शा,

जिसका निर्मोही टायर

निर्ममता से फोड़ देता है

उनकी आस का नारियल!

बांग्लादेश के प्रवासी रचनाकार ज्ञानेश त्रिपाठी ने अपनी एक ग़ज़ल में विभिन्न रंगों को पेश किया-

ज़िदें अपनी ये शायद छोड़ने की फिर कभी सोचें

ये अक्सर इश्क़ को सरहद पे लाकर छोड़ देते हैं

अजब हुलिया है लोगों का यहाँ मेरे मोहल्ले में

निगाहें छोड़कर, चेहरे पे चादर ओढ़ लेते हैं

अमेरिका की प्रवासी रचनाकार रमणी थापर ने अपनी कविता में हिंदी के प्रति अपने भाव को स्वर दिया,

मुझे ज्ञान मिला है हिंदी से

पहचान मिली है हिंदी से,

मेरी सोच समझ लिखना पढ़ना

अभिव्यक्ति सभी है हिंदी में।

कार्यक्रम के संयोजक – संचालक हिन्दी आंदोलन के अध्यक्ष संजय भारद्वाज ने अपनी एक रचना में कविता की यात्रा को यूँ परिभाषित किया-

कविता तो दौड़ी चली आती है

नन्ही परी-सी रुनझुन करती,

आँखों में आविष्कारी कुतूहल

चेहरे पर अबोध सर्वज्ञता के भाव

एक हथेली में ज़रा-सी मिट्टी

और दूसरी में कल्पवृक्ष का बीज लिए..

देश-विदेश के साहित्य-प्रेमियों और साहित्यकारों ने इस वर्चुअल कवि सम्मेलन का आनंद लिया। प्रो. पुष्पिता अवस्थी के शब्दों में यह कवि सम्मेलन शब्दचित्र के रूप में हर श्रोता के ह्रदय में अंकित हो गया है।

 – साभार क्षितिज ब्यूरो

 ≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे का वार्षिक हिंदी उत्सव सम्पन्न ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री संजय भारद्वाज, अध्यक्ष हिंदी आंदोलन परिवार 

? हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे का वार्षिक हिंदी उत्सव सम्पन्न ? 

भारतीय भाषाएँ बचेंगी तो ही संस्कृति और जीवनशैली बचेंगी। जीवन के हर क्षेत्र में भाषा का निरंतर प्रयोग करना ही उसे जीवित और उपयोगी रखता है। मौलिक विचार और अनुसंधान केवल अपनी भाषा में ही हो सकता है। गत 27 वर्ष से हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में हिन्दी आंदोलन परिवार सक्रिय है। बिना किसी अनुदान के अपने सदस्यों के दम पर खड़ा यह संगठन, इस क्षेत्र के सर्वाधिक सक्रिय संगठनों में से एक है। आप हैं तो हिंआंप है।

उपरोक्त विचार हिंदी आंदोलन परिवार के संस्थापक, अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज के हैं। संस्था के वार्षिक हिंदी उत्सव और सम्मान समारोह में उपस्थित जनो को वे कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में संबोधित कर रहे थे।

हिंआप के वार्षिक हिंदी उत्सव में हिन्दी के दो तपस्वी प्रचारकों श्री जयराम गंगाधर फगरे एवं श्री तानाजी काशीनाथ सूर्यवंशी को हिंदीभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। साहित्यकार ऋता सिंह, प्रस्तर कला की मर्मज्ञ अनिता दुबे को हिन्दीश्री सम्मान प्रदान किया गया। हिन्दी रंगमंच के प्रसार के लिए श्री युवराज शाह, श्री अभिजीत चौधरी एवं श्रीमती धनश्री हेबलीकर को हिंदीश्री सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान में स्मृतिचिह्न, शॉल, नारियल एवं तुलसी का पौधा प्रदान किया गया।

अपने उद्बोधन में श्री जयराम फगरे ने कहा कि गांधीजी ने अपने पुत्र को हिंदी प्रचार के लिए दक्षिण भारत भेजकर परिक्रमा आरम्भ की थी। अब प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया भर में हिंदी को पहुँचाकर उस परिक्रमा को पूरा किया है।

श्री तानाजी सूर्यवंशी ने अपनी यात्रा में स्व. गो.म. दाभोलकर की प्रेरणा को याद किया। अपने गुरुतुल्य मार्गदर्शक फगरे जी की उपस्थिति में सम्मान प्राप्त होने को उपलब्धि बताया। अपने सहकर्मियों के सहयोग को आठ संस्थाएँ संचालित कर पाने की नींव बताया। उन्होंने हिंदी आंदोलन परिवार की संस्थापक भारद्वाज दंपति के कार्य को आदर्श बताया। संजय भारद्वाज के साहित्यिक अवदान की विशेष चर्चा की।

श्रीमती ऋता सिंह ने उनके योगदान को मान्यता देने के लिए हिंआंप का धन्यवाद किया। अपनी साहित्यिक यात्रा में हिंआंप की प्रेरणा और मार्गदर्शन को उन्होंने मील का पत्थर बताया। श्रीमती अनिता दुबे ने कहा कि प्रस्तर कला के लिए प्रशंसा तो मिली पर पहला पुरस्कार आज हिंआंप से मिला। उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी यात्रा को उपहास से उल्लास की यात्रा का नाम दिया।

श्री युवराज शाह ने कहा कि उनका सारा जीवन विभिन्न आंदोलनों में बीता है। रंगमंच भी इसी आंदोलनधर्मिता की एक कड़ी है। श्री अभिजीत चौधरी ने स्वतंत्र थियेटर द्वारा पंद्रह वर्ष पूर्व हिन्दी नाटक आरम्भ करने की चुनौतियाँ का उल्लेख किया। हिन्दीश्री का श्रेय आपने थियेटर की सफलता को दिया। श्रीमती धनश्री हेबलीकर ने स्वतंत्र थियेटर के विकास में हिंआंप और भारद्वाज दंपति के सहयोग का उल्लेख किया। उन्होंने सामुदायिक थियेटर पर भी प्रकाश डाला। अपने वक्तव्य में शारदा स्तवन भी प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं स्वागत वक्तव्य सुधा भारद्वाज ने किया। कोविडकाल और हिंआंप पर स्वरांगी साने ने संस्था की भूमिका रखी। अतिथियों का परिचय अपर्णा कडसकर, डॉ.लतिका जाधव, डॉ. मंजु चोपड़ा ने दिया। आभार प्रदर्शन अलका अग्रवाल ने किया।

कार्यक्रम के आरम्भ में कोविडकाल में दिवंगत हुए संस्था के सदस्यों एवं हितैषियों को श्रद्धांजलि दी गई। तत्पश्चात क्षितिज द्वारा प्रस्तुत श्री संजय भारद्वाज द्वारा लिखित समूहनाटक ‘जल है तो कल है’ का मंचन किया गया। विश्वभर में घट रहे भूजल की समस्या और संभावित समाधान पर नुक्कड़ नाटक शैली में इसे प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसका निर्देशन श्री अभिजीत चौधरी एवं रचनात्मक निर्देशन श्रीमती धनश्री हेबलीकर ने किया है। सहयोग श्री युवराज शाह का है। मंचन के बाद कलाकारों को सम्मानित किया गया।

हिंदी उत्सव का संचालन समीक्षा तैलंग ने किया। सुशील तिवारी, अरविंद तिवारी, वीनु जमुआर, माया मीरपुरी, नंदिनी नारायण, आशु गुप्ता, कृतिका, जाह्नवी, साराक्षी ने विशेष सहयोग किया। कार्यक्रम में उल्लेखनीय संख्या में साहित्यकार और भाषा प्रेमी उपस्थित थे। प्रीतिभोज के बाद आयोजन ने विराम लिया।

साभार –  क्षितिज ब्यूरो 

 

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई ?

?अ भि नं द न?

आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका व कवयित्री  श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई यांच्या ‘झाड म्हणजे’ या कवितेची, नाशिक येथे संपन्न झालेल्या 94व्या अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनात वाचनासाठी निवड झाली होती व वाचन झाले होते.

या निवडीबद्द्ल त्यांचे समुहातर्फे  ? मनःपूर्वक अभिनंदन ? 

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई  का आयोजन नुक्कड़ नाटक “जल है तो कल है” – लेखक श्री संजय भारद्वाज ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री संजय भारद्वाज

? महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई  का आयोजन नुक्कड़ नाटक “जल है तो कल है” ?  

आज़ादी का अमृत महोत्सव और नदी उत्सव

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव और नदी उत्सव के अंतर्गत प्रस्तुत विश्वभर में घट रहे भूजल की समस्या और संभावित समाधान पर आधारित नुक्कड़ नाटक ‘जल है तो कल है‘ का मंचन कल 24 दिसम्बर 2021 को संध्या 7 बजे किया गया जिसे सम्पूर्ण विश्व ने यूट्यूब लिंक पर देखा। आप भी इस नाटक को निम्न यूट्यूब लिंक पर देख सकते हैं। 

कृपया नाटक देखने के लिए इस यूट्यूब लिंक पर क्लिक करें  >>  जल है तो कल है

विश्वभर में घट रहे भूजल की समस्या और संभावित समाधान पर महाराष्ट्र शासन (सांस्कृतिक कार्य विभाग), महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव और नदी उत्सव के अंतर्गत आयोजित क्षितिज की प्रस्तुति स्वतंत्र थियेटर की निर्मिति ‘जल है तो कल है’ का लेखन श्री संजय भरद्वाज, अध्यक्ष, हिंदी आंदोलन, पुणे द्वारा किया गया एवं निर्देशन श्री अभिजीत चौधरी जी द्वारा किया गया।

प्रसंगवश ई-अभिव्यक्ति में  नाटक ‘जल है तो कल है’ का प्रकाशन 5 भागों में 3 जून 2020 से 8 जून 2020 तक प्रकाशित किया गया था जिसे आप निम्न लिंक्स पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।    

 

हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि ☆ नुक्कड़ नाटक – जल है तो कल है – 1 ☆ श्री संजय भारद्वाज

हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि ☆ नुक्कड़ नाटक – जल है तो कल है – 2 ☆ श्री संजय भारद्वाज

हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि ☆ नुक्कड़ नाटक – जल है तो कल है – 3 ☆ श्री संजय भारद्वाज

हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि ☆ नुक्कड़ नाटक – जल है तो कल है – 4 ☆ श्री संजय भारद्वाज

हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि ☆ नुक्कड़ नाटक – जल है तो कल है – 5 ☆ श्री संजय भारद्वाज

 

? इस विचारणीय नाटक के मंचन के लिए आयोजकों, रचनाकार एवं कलाकारों को साधुवाद ?

 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ “अट्टहास शिखर सम्मान 2020” से डॉ प्रेम जनमेजय होंगे सम्मानित – अभिनंदन ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? “अट्टहास शिखर सम्मान 2020” से डॉ प्रेम जनमेजय होंगे सम्मानित – अभिनंदन ☆?  

हिंदी व्यंग्य का विश्वविद्यालय कहे जाने वाले डॉ प्रेम जनमेजय को ‘अट्टहास शिखर सम्मान – 2020′ देने की घोषणा से हिंदी जगत ही नहीं विभिन्न विधाओं के रचनाधर्मी भी प्रसन्न हुए हैं।

व्यंग्य को एक गंभीर कर्म तथा सुशिक्षित मस्तिष्क के प्रयोजन की विधा मानने वाले डॉ प्रेम जनमेजय ने पिछले लगभग दो दशक से ‘व्यंग्य यात्रा ‘के सम्पादन द्वारा व्यंग्य विमर्श का एक सुदृढ़ मंच तैयार किया है। प्रेम जनमेजय की चर्चा के बिना हिंदी व्यंग्य पर बातचीत अधूरी है। शरद जोशी के बाद व्यंग्य नाट्य लेखन के खालीपन को उन्होंने भरा है। मुम्बई, गुजरात आदि विश्विद्यालयों के पाठ्यक्रम में इनकी रचनाएँ सम्मिलित हुई हैं। बर्दमान विश्विद्यालय, दक्षिण हिंदी प्रचार सभा, उच्च शिक्षा विभाग मद्रास, पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, जीवाजी विश्विद्यालय ग्वालियर आदि में शोध हो चुके हैं/हो रहे हैं।

हरिशंकर परसाई स्मृति सम्मान, शरद जोशी, व्यंग्यश्री, दुष्यंत अलंकरण जैसे अनेक महत्वपूर्ण सम्मानों से सम्मानित डॉ प्रेम जनमेजय को 1990 में अट्टहास युवा सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

2020 का “अट्टहास युवा सम्मान” प्रखर युवा साहित्यकार श्री अनुज खरे जी को दिया जाएगा।

? ई-अभिव्यक्ति की ओर से इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए डॉ प्रेम जनमेजय जी का अभिनंदन एवं हार्दिक बधाई ?

 

साभार – श्री कमलेश भारतीय / श्री रणविजय राव

 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सुश्री दीप्ती कुलकर्णी – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

?  सुश्री दीप्ती कुलकर्णी  ?

?अ भि नं द न?

 

आपल्या समुहातील लेखिका व कवयित्री  सुश्री दीप्ती कुलकर्णी यांना नाशिक येथे झालेल्या 94वे अ.भा. मराठी साहित्य संमेलनात ‘कवीकट्टा’ मध्ये निमंत्रित कवयित्री म्हणून कविता वाचन करण्याची संधी मिळाली. “वृक्षसंदेश” ही कविता आपण आज वाचणार आहोत.

 

? ई-अभिव्यक्ती समुहातर्फे त्यांचा मनःपूर्वक अभिनंदन?

 

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – आत्मकथन – मी…प्रभा… सुश्री प्रभा सोनवणे ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ सम्पादकीय निवेदन ☆ 

सुश्री प्रभा सोनवणे 

आज मंगळवार, २१/१२/२१. आजपासून दर मंगळवारी “मी … प्रभा …“ हे सुश्री प्रभा सोनावणे यांचे आत्मकथन, वेगवेगळ्या लेखांच्या स्वरूपात आम्ही प्रकाशित करत आहोत. दि. ८/१२/२१ ला पहिला लेख प्रकाशित झाल्यानंतर काही कारणाने मध्ये खंड पडला होता. आता आजपासून हे लेख दर मंगळवारी नियमित प्रकाशित केले जातील. 

 

संपादक मंडळ (ई अभिव्यक्ती)

मराठी विभाग

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – श्री श्रीशेल चौगुले – अ भि नं द न !☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ सम्पादकीय निवेदन ☆ 

? श्री श्रीशेल चौगुले ?

? अ भि नं द न?

आपल्या समुहातील कवी व लेखक श्री श्रीशेल चौगुले यांना त्यांच्या लाल पठार या कथासंग्रहासाठी राष्ट्रीय संत नामदेव कथा पुरस्कार प्राप्त झाला आहे. हा पुरस्कार हिंगोली येथील समृद्धी प्रकाशन या संस्थेकडून जाहीर करण्यात आला आहे.

?श्रीशैल चौगुले यांचे समुहातर्फे हार्दिक हार्दिक अभिनंदन! ?

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – ‘वेद व पुराण काळातील महत्वपूर्ण स्त्रिया’ – सौ. कुंदा कुलकर्णी ग्रामोपाध्ये ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ सम्पादकीय निवेदन ☆ 

? सौ. कुंदा कुलकर्णी ग्रामोपाध्ये ?

 

आज पासून आम्ही ‘वेद व पुराण काळातील महत्वपूर्ण स्त्रिया’ हे नवे सदर सुरू करत आहोत.हे सदर दर गुरुवारी प्रसिद्ध होईल व त्याचे लेखन सौ. कुंदा कुलकर्णी ग्रामोपाध्ये या करतील.

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ श्री कमलेश भारतीय ‘पंजाब कला एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित – अभिनंदन ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? श्री कमलेश भारतीय ‘पंजाब कला एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित – अभिनंदन ?

इस अवसर पर डाॅ प्रेम जनमेजय, लालित्य ललित, रणबीर पुष्प, डाॅ बुला कार, सीमा जैन ,रमा सिंह , शील कौशिक, प्रकाश बादल, नलिनी विभा सहित अनेक साहित्यकार सम्मानित हुए। समारोह में सतनाम माणक, डाॅ अजय शर्मा, डाॅ सरला भारद्वाज, सत्य प्रकाश ठाकुर, डाॅ तरसेम गुजराल, सुरेश सेठ,मोहन सपरा, रणविजय राव, बलविंद्र अत्री, आशा शैली, नीलम जुल्का, नीलम भारती, रश्मि आदि  की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। 

पंजाब कला साहित्य अकादमी के रजत जयंती समारोह पर इस सम्मान के लिए सभी सम्मानित साहित्यकारों की और से  सुश्री सिमर सदोष जी एवं डाॅ जगजीत सिंह जी   का हार्दिक आभार।

? ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री कमलेश भारतीय जी एवं सम्माननीय साहित्यकारों का अभिनंदन एवं हार्दिक बधाई ?

 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares