सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

Sahitya Sammelan

☆ सम्पादकीय नि वे द न ☆

९४व्या अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनाचे अध्यक्ष म्हणून ज्येष्ठ वैज्ञानिक आणि विज्ञानलेखक डॉ जयंत नारळीकर यांची सन्मानपूर्वक निवड करण्यात आली आहे.  यानिमित्ताने यंदाचा  विज्ञान दिवस (दि.28 फेब्रुवारी) साजरा कराण्यासाठी विज्ञान कथा, कविता अपेक्षित आहे.

आपले साहित्य दि. 26/02/2021 पर्यंत पाठवावे,ही विनंती.

संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती.मराठी.

श्रीमती उज्ज्वला केळकर 

Email- [email protected] WhatsApp – 9403310170

श्री सुहास रघुनाथ पंडित 

Email –  [email protected]WhatsApp – 94212254910

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित  ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ शनिवार की शाम लेखक के नाम – श्री सुरेश पटवा ☆ आयोजन – लैंडमार्क – इंद्रा पब्लिशिंग हाउस, भोपाल

सूचनाएँ/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ शनिवार की शाम लेखक के नाम – श्री सुरेश पटवा ☆

!!!…अवसर है पुस्तक “तलवार की धार” के लेखक, अध्ययन और पर्यटन के शौक़ीन एवं स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त सहायक-महाप्रबंधक “सुरेश पटवा” जी से मिलने का…!!!

? किताब के बारे में ?
? तलवार की धार ?

संविधान सभा में विचार किया गया था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में व्यापक लोकहित सुनिश्चित करने हेतु संस्थाओं की स्वायत्तता सबसे महत्वपूर्ण कारक होगी ताकि संस्थाएँ सम्भावित तानाशाही पूर्ण राजनीतिक दबाव और मनमानेपन से बचकर जनहित कारी नीतियाँ बनाकर पेशेवराना तरीक़ों से लागू कर सकें। इसलिए भारतीय स्टेट बैंक का निर्माण करते समय सम्बंधित अधिनियम में संस्था को स्वायत्त बनाए रखने की व्यवस्था की गई थी। तलवार साहब ने भारतीय दर्शन के रहस्यवादी आध्यात्म की परम्परा को अपने जीवन में उतारकर सिद्धांत आधारित प्रबन्धन तरीक़ों से प्रशासकों की एक ऐसी समर्पित टीम बनाई जिसने स्टेट बैंक को कई मानकों पर विश्व स्तरीय संस्था बनाने में सबसे उत्तम योगदान दिया। आज भारत को हरमधारी साधु-संतो की ज़रूरत नहीं है अपितु आध्यात्मिक चेतना से आप्लावित तलवार साहब जैसे निष्काम कर्मयोगी नेतृत्व की आवश्यकता है जो भारतीय संस्थाओं को विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा में खरी उतरने योग्य बनाने में सक्षम हों। यह पुस्तक ऐसे ही निष्काम कर्मयोगी के कार्य जीवन की कहानी है। जो आपको यह बताएगी कि मूल्यों से समझौता किए बग़ैर सफल, सुखद और शांत जीवन यात्रा कैसे तय की जा सकती है।

दिनाँक : 20 फरवरी 2021

समय : 4:00 pm – 5:00 pm

मिलने का स्थान : लैंडमार्क द बुक स्टोर, ई-5/21, अरेरा कॉलोनी, हबीबगंज पुलिस स्टेशन रोड, भोपाल

फोन : 0755-2465238/4277445

? नीचे दिये फेसबुक लिंक के माध्यम से आप इस कार्यक्रम में जुड़कर लेखक के साथ अपने विचार-विमर्श कर सकते हैं –

शनिवार की शाम लेखक के नाम  –  श्री सुरेश पटवा

ई- अभिव्यक्ति पर विशेष आलेख पढ़ने के लिए लिंक

हिन्दी साहित्य – संस्मरण ☆ तलवार की धार: सैद्धान्तिक नेतृत्व की साहसिक दास्तान ☆ – श्री सुरेश पटवा 

इस लिंक के माध्यम से आप यह पुस्तक खरीद सकते हैं :

अमेज़न लिंक >>>> तलवार की धार: सैद्धान्तिक नेतृत्व की साहसिक दास्तान

!!!…इस अवसर को जाने न दें…!!!

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सौ. दीप्ती कुलकर्णी – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ सम्पादकीय निवेदन 

? सौ. दीप्ती कुलकर्णी – अभिनंदन ?

? अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन! ?

ई–अभिव्यक्तीच्या लेखिका सौ. दीप्ती कुलकर्णी यांना आज श्री साई प्रकाशन मिरज यांच्या वतीने आयोजित केलेल्या साहित्य संमेलनात, या संस्थेतर्फे नवरत्न साहित्य पुरस्काराने गौरवण्यात येत आहे.

त्यांची चैतन्य (काव्यसंग्रह), असे शोध: असे संशोधक – भाग १ आणि भाग २ ही पुस्तके प्रसिद्ध आहेत. याशिवाय विविध पुस्तकातून, मासिकातून त्यांचे लेख, निबंध, कथा इ. प्रकाशित झाल्या आहेत. काही निबंधांना विविध संस्थाचे पुरस्कारही मिळाले आहेत. बालकुमार साहित्य सभा – कोल्हापूर संस्थेमध्येही त्या सक्रीय आहेत.

पुरस्काराबद्दल त्यांचे ई–अभिव्यक्तीतर्फे अभिनंदन व पुढील वाटचालीसाठी शुभेच्छा.

 

संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती (मराठी)

श्रीमती उज्ज्वला केळकर 

Email- [email protected] WhatsApp – 9403310170

श्री सुहास रघुनाथ पंडित 

Email –  [email protected]WhatsApp – 94212254910

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित  ≈

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सूचना/Information ☆ संपादकीय ☆ ‘आजोपिझ्झा’ दुसर्‍या आवृत्तीचे प्रकाशन – सौ सावित्री जगदाळे ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ ‘आजोपिझ्झा’ दुसर्‍या आवृत्तीचे प्रकाशन – सौ सावित्री जगदाळे ☆

सौ. सावित्री जगदाळे

?? अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन! ??

☆ संपादकीय ☆

ई–अभिव्यक्तीच्या लेखिका सौ. सावित्री जगदाळे यांच्या आजोपिझ्झा या बालकथेच्या दुसर्‍या आवृत्तीचे प्रकाशन 26 डिसेंबर रोजी झाले.

आजच्या अंकात या पुस्तकाविषयीचे त्यांचे मनोगत वाचा.

? त्यांचे ई–अभिव्यक्तीतर्फे अभिनंदन व पुढील वाटचालीसाठी शुभेच्छा ?

 

सम्पादक मंडळ (मराठी) 

श्रीमती उज्ज्वला केळकर  

Email- [email protected] WhatsApp – 9403310170

श्री सुहास रघुनाथ पंडित 

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सूचना/Information ☆ संपादकीय ☆ स्व गझलकार स्व इलाही जमादार..श्रद्धांजली ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

(जन्म – 1 मार्च 1946 मृत्यु – 31 जनवरी 2021)

?? गझलकार स्व इलाही जमादार..श्रद्धांजली ??

☆ संपादकीय ☆

ज्येष्ठ गझलकार स्व इलाही जमादार यांचे दि 31/1/2021 रोजी दुःखद निधन झाले.

?? आपल्या ई अभिव्यक्ती परिवाराकडून  त्यांना भावपूर्ण श्रद्धांजली.!! ??

 

सम्पादक मंडळ (मराठी) 

श्रीमती उज्ज्वला केळकर  

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श्री सुहास रघुनाथ पंडित 

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन –  कवी विकास जोशी – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ सम्पादकीय निवेदन 

? कवी विकास जोशी – अभिनंदन ?

स्वरवसंत ट्रस्ट,सांगली यांचे तर्फे दरवर्षी पं.भीमसेन जोशी संगीत महोत्सव साजरा केला जातो. महोत्सवाचे हे सातवे वर्ष आहे.

आपल्या समुहातील कवी आणि संगीततज्ञ श्री विकास जोशी (संगीत अलंकार), यांना यावर्षीचा पं. वसंत नाथबुवा गुरव स्मृती पुरस्कार या महोत्सवात दि. 24/01/2021 रोजी प्रदान करण्यात येणार आहे.

पुरस्कार प्राप्ती बद्द्ल श्री विकास जोशी यांचे समुहातर्फे हार्दिक अभिनंदन आणि शुभेच्छा .

संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती (मराठी)

श्रीमती उज्ज्वला केळकर 

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ सम्पादकीय निवेदन 

आपल्या समुहातील लेखिका व कवयित्री सौ.सुमती पवार  यांचे दोन बाल कविता संग्रह नुकतेच प्रकाशित झाले आहेत.’चंदन’ आणि ‘चांदणं ‘

प्रा. सौ. सुमती पवार

समुहातील सर्वांकडक त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन ??

आज त्या स्वतः आपल्याला ‘चांदण’ या काव्यसंग्रहाविषयी सांगत आहेत.

संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती.मराठी.

श्रीमती उज्ज्वला केळकर 

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श्री सुहास रघुनाथ पंडित 

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सूचना/Information ☆ निवेदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ सम्पादकीय निवेदन 

आपल्या समुहातील लेखिका व कवयित्री सौ.ज्योत्स्ना तानवडे यांच्या ‘मन’ या कवितेस ,मध्यवर्ती “ज्येष्ठ नागरिक संघटना, पुणे (अॅस्काॅन, पुणे)” यांनी आयोजित केलेल्या काव्यलेखन स्पर्धेत प्रथम क्रमांक (विभागून) मिळाला आहे.आपल्या समुहातर्फे त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन. ??

आज आपण त्या कवितेचा आनंद घेणार आहोत.

आपल्या समुहातील लेखिका व कवयित्री  सौ.ज्योत्स्ना तानवडे याचे ‘ई अभिव्यक्ती’ परिवारातर्फे

?    हार्दिक  अभिनंदन    ?

संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती.मराठी.

श्रीमती उज्ज्वला केळकर 

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श्री सुहास रघुनाथ पंडित 

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सूचना/Information ☆ “वानप्रस्थ में संगीत के रंग, प्रो शुचिस्मिता के संग” – वानप्रस्थ (वरिष्ठ नागरिकों की संस्था) का आयोजन ☆ श्री अजीत सिंह

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

(श्री अजीत सिंह, पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन)

☆ “वानप्रस्थ में संगीत के रंग, प्रो शुचिस्मिता के संग” – वानप्रस्थ (वरिष्ठ नागरिकों की संस्था) का आयोजन

हिसार। जनवरी १८, संगीत के मनोविज्ञान का अध्ययन करने के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एक शोध परियोजना चलाई गई जिसके चमत्कारी परिणाम मिले हैं। विभाग की मुखिया व संगीत विदुषी प्रो शुचि स्मिता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत विद्यार्थियों के एक ग्रुप को 40 दिन तक रोज़ाना 15 मिनट के लिए वीना वादक विश्वमोहन भट की एक रचना ‘रिलैक्सेशन’ सुनाई गई। इसके बाद उनका मनोवैज्ञानिक टेस्ट लिया गया। वे अधिक तरोताजा और ऊर्जावान पाए गए।

“संगीत एकाग्रता बढ़ाता है। चंचल मन को शांत करता है। जीवन की भागदौड़ में जीवन की  लय बिगड़ जाती है। संगीत इसे फिर से ठीक कर देता है”, प्रो शुचि स्मिता का कहना था। वे अभी तक 29 शोधार्थियों को पीएचडी करा चुकी हैं।

प्रो शुचि स्मिता / वानप्रस्थ की वेब गोष्ठी का दृश्य

वानप्रस्थ द्वारा आयोजित वेब गोष्ठी में उन्होंने संगीत की विभिन्न विधाओं का परिचय और फिर गीतों, ग़ज़लों और भजनों के इलावा हरियाणा व पंजाब के लोकगीतों की प्रस्तुति दी। गोष्ठी में हिसार, कुरुक्षेत्र, जम्मू, दुबई, लखनऊ, गुरुग्राम, दिल्ली, पूना, फरीदाबाद व भोपाल से लगभग 35 संगीत प्रेमी वरिष्ठ नागरिकों व अन्य ने भाग लिया।

प्रो स्मिता मुश्किल से मुश्किल राग रचना भी बड़े ही सहज भाव से गा लेती हैं। संगीत की प्रेरणा अपनी माता संतोष नारंग को नमन करते हुए उन्होंने गाया,

“मां सुनाओ मुझे वो कहानी, जिसमें राजा न हो, न हो रानी”।

स्मिता के पिता प्रो जी एल नारंग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में ही इंगलिश विभाग के प्रोफेसर थे। उनकी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर की पढ़ाई भी वहीं हुई और जॉब भी वहीं संगीत विभाग में लग गई।

“हरियाणा दिवस से पहले चार दिवसीय रत्नावली प्रोग्राम होता रहा है जहां हरियाणवी संस्कृति और लोकसंगीत को भी संवारा सजोया जा रहा था। मैं और मेरे छात्र छात्राएं हर बार इसमें  बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे। उसी समय का एक लोकगीत प्रस्तुत करते हुए उन्होंने गाया,

 “पाणी ल्यावण जा रही, हे मेरी सासड़ रानी, सात जणी का साथ।

कोए स्याणी, कोए याणी,  भर भर पाणी, ल्या रही हे मेरी सासड़ रानी, सात जणी का साथ”।

साथ ही उन्होने बन्ना बनड़ी के एक पंजाबी लोकगीत की भी प्रस्तुति दी।

“मत्थे ते चमकण वाल, मेरे बनड़े दे।”

प्रो शुचि स्मिता कहती हैं, सत्संग और कव्वाली जैसी संगीत विधाएं एक लय व स्वर में सामूहिक गान का अनुभव देती हैं जो सभी भागीदारों में प्रेम और एकता बढ़ाता है। यह अनुभव रिश्ते निभाने में भी काम आता है। जीवन भी सुर मिलाने से ही चलता है।

“राग भीम प्लासी” अवसाद यानि डिप्रेशन को दूर करता है।

मेरे पिता अक्सर गाते थे,

 ‘ जलते हैं जिसके लिए, तेरी आंखों के दीये,

ढूंढ लाया हूं वही, गीत मैं तेरे लिए”।

साथ ही उन्होंने राग यमन का यह गीत भी गाया,

“रंजिश ही सही, दिल दुखाने के लिए आ,

आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ।”

रागों  का परिचय देते हुए उन्होंने कहा कि हर राग को हर गायक अलग ढंग से गाता हैं और एक ही गायक भी अलग समय पर एक ही राग को अलग ढंग से गाता है।

ग़ज़ल की बारी आई तो प्रो स्मिता ने जगजीत सिंह की गाई सुदर्शन फाकीर की रचना को चुना।

“आज के दौर में ऐ दोस्त, ये मंज़र क्यूँ है,

ज़ख़्म हर सर पे, हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है?”

फिर उन्होंने पंकज उदास की इस ग़ज़ल को गाया,

“झील में चांद नज़र आए, थी हसरत उसकी,

कब से आंखों में लिए बैठे हैं, सूरत उसकी”।

इसके बाद प्रो स्मिता ने  मीरा का भजन उन्होंने गाया ,” मेरो मन राम ही राम रटे रे”।

करीबन पौने तीन घंटे चली इस वेब गोष्ठी में पहली बार एक और संगीत विदुषी भोपाल से भारती वैद्यानाथन भी जुड़ी और उन्होंने एक मीठी प्रस्तुति दी, “हरि तेरो भजन कियो ना जाए”।

नोएडा से ऑनलाइन जुड़े आकाशवाणी के पूर्व सह निदेशक अरुण कुमार पासवान ने अटारी शीर्षक से एक कविता पेश की जिसमें भारत-पाक सीमा पर स्थित इस कस्बे द्वारा देखे गए नर संहार, लूट कसोट और भागम भाग की त्रासदी का भावपूर्ण वर्णन किया गया था।

वानप्रस्थ के स्थानीय सदस्यों प्रो शामसुंदर धवन, प्रो आर के सैनी, योगेश सुनेजा, डॉ प्रज्ञा कौशिक, पूनम परिणीता व प्रो राज गर्ग ने भी इस अवसर पर गीत व कविताओं की प्रस्तुति दी।

गोष्ठी का संचालन दूरदर्शन के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह ने किया। टेक्निकल कोऑर्डिनेशन प्रो सुरेश चोपड़ा ने किया।

वानप्रस्थ क्लब के महासचिव प्रो जे के डांग ने बताया कि आगामी शनिवार 23 दिसंबर को होने वाली साप्ताहिक मंगल मिलन वेब गोष्ठी में गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के प्रो जीतेंद्र कुमार “मानसिक संतुलन कैसे बनाए रखें”, इस विषय पर आख्यान देंगे।

©  श्री अजीत सिंह

पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन

संपर्क: 9466647037

ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचना/Information ☆ पुस्तक पखवाड़ा -2021 – लघुकथा शोध केंद्र एवं अपना प्रकाशन, भोपाल का आयोजन ☆ प्रस्तुति – श्री घनश्याम मैथिल ‘अमृत’

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ पुस्तक पखवाड़ा -2021 –  लघुकथा शोध केंद्र एवं अपना प्रकाशन, भोपाल का आयोजन

अच्छा लेखक बनने के लिए पहले अच्छा पाठक बनें – सुरेश पटवा

पुस्तक सँस्कृति को समृद्ध करने के लिए युवाओं को पुस्तकों से जोड़ना ज़रूरी – राज बोहरे

पुस्तक पढ़ने की प्रवृत्ति आज पुनः जागृत करना बहुत ज़रूरी – डॉ आशीष कंधवे

समीक्षक, पुस्तक और पाठक के मध्य सेतु का कार्य करता है  – डॉ जवाहर कर्नावट

भोपाल। अच्छा लेखक बनने के लिए सबसे पहले अच्छा पाठक बनना ज़रूरी है, पुस्तकों से पाठकों को जोड़ने के लिए पाठक मंच स्थापित करने की आवश्यकता है,आज विचार करने की आवश्यकता है कि पाठक पुस्तक क्यों पढ़े ? आज साहित्य की कम साहित्य से इतर योग, ज्योतिष, स्वास्थ्य, पाक-कला, की पुस्तकें अधिक बिकती हैं,आप शास्वत मूल्य देखना चाहते हैं या सामयिक लेखक और पाठक का रिश्ता क्या है यह भी विचारणीय है यह उदगार हैं वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश पटवा के जो लघुकथा शोध केंद्र, भोपाल द्वारा आयोजित ‘पुस्तक पखवाड़े’ के समापन अवसर पर अपना अध्यक्षीय वक्तव्य दे रहे थे|

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ कथाकार राज बोहरे ने कहा कि -‘पुस्तक सँस्कृति को समृद्ध और विकसित करने के लिए पाठक मंचों का गठन किया जाए , सायबर क्रांति के दौर में हाथों में मोबाइल की जगह किताबें कैसे थमाई जाएं यह एक विचारणीय प्रश्न है, हमें युवा लोगों को खास तौर से विद्यार्थियों को पाठक मंच के माध्यम से साहित्य से जोड़ा जाए |’

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ आशीष कंधवे ने इस आयोजन को वैश्विक महत्व का आयोजन बताते हुए अन्य संस्थाओं को भी ऐंसा आयोजन करने की सलाह दी, साथ ही उन्होंने ‘राम-अयन ‘ कृति पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए राम को सृष्टि, सृष्टा, दृष्टि और दृष्टा बताया और इस महत्वपूर्ण पुस्तक हेतु बहुत बहुत बधाई डॉ राजेश श्रीवास्तव को दी |

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ व्यंग्यकार ग़ज़लकार अनिल मीत ने कहा कि -‘ यह आयोजन निश्चित सराहनीय और अनुकरणीय है और पुस्तक लेखन और प्रकाशन के साथ ही पुस्तक चर्चा और विमर्श का आयोजन भी बहुत आवश्यक है इस आयोजन ने विश्व पुस्तक मेले की कमी को बहुत हद तक पूरा किया है |

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार और निदेशक (हिंदी भवन मध्यप्रदेश, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति) डॉ जवाहर कर्नावट ने कहा कि ‘ यह आयोजन ऐतिहासिक हुआ है और लंबे समय तक हिंदी साहित्य में इसकी चर्चा होगी, पुस्तक विमर्श पाठकों और पुस्तकों के मध्य सेतु का कार्य करते हैं।

पुस्तक पखवाड़े के समापन अवसर पर डॉ राजेश श्रीवास्तव की कृति “राम अयन ” पर विमर्श में भाग लेते हुए मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार गौकुल सोनी ने इस कृति को हमारी संस्कृति और संस्कार से जुड़ी महत्वपूर्ण पुस्तक बताया जिसमें श्रीराम और उनसे जुड़ी कथाएं के विविध नव आयाम दृष्टिगोचर हुए हैं उन्होंने सम्पूर्ण पुस्तक पर गम्भीर विवेचना प्रस्तुत की।

कार्यक्रम में लघुकथाशोध केंद्र की निदेशक कांता राय ने आयोजन की पृष्ठभूमि और उसकी आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए भविष्य में भी ऐंसे आयोजन किये जाने की बात कही | और केंद्र के सभी सहयोगियों एवं अतिथियों तथा पत्रकार बन्धुओं का बहुत बहुत आभार प्रकट किया कार्यक्रम के अंत में ‘राम अयन ‘ कृति के लेखक डॉ राजेश श्रीवास्तव ने सभी लोगों का आभार प्रकट किया एवम पुस्तक सृजन के अपने अनुभवों को पाठकों से साझा किया | कार्यक्रम के संयोजक लघुकथाकार मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी ने पन्द्रह दिन की इस सुखद यात्रा को यादगार सफर बताते हुए इसे कभी न भूलने वाला अनुभव बताया जिससे न सिर्फ पुस्तकों पर सार्थक चर्चा हुई वहीं आपस में एक दूसरे को निकट से जानने समझने का अवसर मिला |

कार्यक्रम का संचालन घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने किया उन्होंने सफदर हाशमी की यह पंक्तियां उद्धरत करते हुए कार्यक्रम प्रारम्भ किया –

‘किताबें बातें करती हैं बीते जमाने की

दुनियां की इंसानोँ की

आज की कल की

एक एक पल की

खुशियों की गमों की

फूलों की बमों की

जीत की हार की

क्या तुम नहीं सुनोगे इन किताबों की बातें

किताबें कुछ कहना चाहती हैं

तुम्हारे पास रहना चाहती हैं |

इस आयोजन में श्री बी.एल.आच्छा, अरुण अर्णव खरे, शशि बंसल, गोविंद शर्मा, विपिन बिहारी वाजपेयी, डॉ कुमकुम गुप्ता, डॉ ओ पी बिल्लोरे, अशोक नायक,अशोक धमेनिया, अंजू खरे, बिहारी लाल सोनी, पवन जैन, डॉ गिरजेश सक्सेना, मुज्ज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी,अंजू खरबंदा, शेख शहज़ाद उस्मानी, जया आर्य, डॉ रंजना शर्मा, शेफालिका श्रीवास्तव, मधुलिका सक्सेना, सरिता बघेला सहित देश प्रदेश के अनेक साहित्यकार और पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे |

 – श्री घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ जी की फेसबुक वाल से साभार  

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