सूचना/Information ☆ संपादकीय निवेदन ☆ श्री आनंदहरी – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? श्री आनंदहरी – अभिनंदन ?

💐 संपादकीय निवेदन 💐

सांगली जिल्हा नगरवाचनालयातर्फे ‘उत्कृष्ट कथालेखनासाठी‘ दिला जाणारा “श्री. दा. पानवलकर स्मृती पुरस्कार“ आपल्या समूहातील सुप्रसिद्ध ज्येष्ठ लेखक श्री. आनंदहरी यांना नुकताच प्रदान करण्यात आला आहे. त्याबद्दल श्री. आनंदहरी यांचे आपल्या सर्वांतर्फे मनःपूर्वक अभिनंदन. आणि पुढील अशाच यशस्वी आणि बहारदार साहित्यिक वाटचालीसाठी असंख्य हार्दिक शुभेच्छा.💐

आजच्या अंकात वाचूया त्यांची एक सुरेख कथा… प्रश्न ???

संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती (मराठी)

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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सूचना/Information ☆ हिन्दी शिक्षक-प्रचारक सम्मेलन पुणे में सम्पन्न ☆ साभार – श्री संजय भारद्वाज ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

हिन्दी शिक्षक-प्रचारक सम्मेलन पुणे में सम्पन्न ☆ साभार – श्री संजय भारद्वाज ☆

महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा आयोजित एक दिवसीय हिन्दी शिक्षक-प्रचारक सम्मेलन रविवार 18 अगस्त को पुणे में सम्पन्न हुआ।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए समिति के वयोवृद्ध संचालक श्री ज.गं. फगरे ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सभी से हिन्दी में हस्ताक्षर करने का संकल्प लेने का भी आह्वान किया।

सम्मेलन के संयोजक श्री संजय भारद्वाज जी ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिंदी की आवश्यकता और महत्व को प्रतिपादित किया। उन्होंने कहा कि किसी भूभाग के नागरिकों की भाषा का नष्ट होना, वहाँ की सभ्यता और संस्कृति का नष्ट होना है। उन्होंने शिक्षकों से मानक वर्तनी एवं व्याकरण के विभिन्न पक्षों की भी चर्चा की। साथ ही जीवन के हर क्षेत्र में हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रयोग पर बल दिया।

सोलापुर ज़िला समिति के अध्यक्ष डॉ. बंडोपंत पाटील ने संस्था की परीक्षाओं और उनकी सरकारी मान्यता पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने समिति की परीक्षाओं के आयोजन की प्रक्रिया से उपस्थितों का अवगत कराया।

कोल्हापुर ज़िला समिति के अध्यक्ष श्री प्रकाश सुतार ने नए परीक्षा केंद्र आरंभ करने में आने वाली कठिनाइयों और उनके समाधान की चर्चा की।

इस एक दिवसीय सम्मेलन का संचालन डॉ. निर्मला राजपूत और स्नेहसुधा सुश्री कुलकर्णी ने किया। सुश्री उर्मिला पवार ने आभार प्रदर्शन किया। आयोजन में बड़ी संख्या में शिक्षक और प्रचारक उपस्थित थे।

इस सम्मेलन के लिए समिति के वरिष्ठ सदस्यों श्री संजय लेले, श्री मधुमिलिंद मेहेंदले ने मार्गदर्शन किया। सुश्री विनया जोशी, सुश्री संगीता वालूसकर,  श्री प्रताप गोखले, श्री अजय वाणी, श्री विजय सप्तर्षी आदि ने विशेष परिश्रम किया।

साभार – श्री संजय भारद्वाज  

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत, [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ प्रवासी भारतीयों द्वारा आयोजित स्वतन्त्रता दिवस 🇮🇳 समारोह में सहभागिता – बाम्बेर्ग, जर्मनी ☆ प्रस्तुती – हेमन्त बावनकर ☆

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☆ प्रवासी भारतीयों द्वारा आयोजित स्वतन्त्रता दिवस 🇮🇳 समारोह में सहभागिता – बाम्बेर्ग, जर्मनी ☆ प्रस्तुती – हेमन्त बावनकर ☆

स्वतन्त्रता दिवस का राष्ट्रीय पर्व विदेश में बसे हम प्रवासी भारतीयों को अपनी पुरानी यादों से रूबरू तो कराता ही है साथ ही आपस में जोड़ने का कार्य भी करता है। हम लोग इस महत्वपूर्ण दिन की वर्ष भर प्रतीक्षा करते हैं। ध्वजारोहण करते हैं और साथ में मिल बैठ कर जीवन की खुशियाँ साझा करते हैं। ये विचार हैं, जर्मनी के छोटे से शहर बाम्बेर्ग में स्थित Café Zafran – Indisches Restaurant के मालिक फरहान शेख जी के। जाफरान रेस्तरां के प्रांगण में चार मित्र (फरहान शेख (छतरपुर मध्यप्रदेश), श्री जयदीप तिवारी (जबलपुर, मध्यप्रदेश), श्री आयुष श्रीवास्तव (सतना, मध्यप्रदेश) और श्री सुदीप मोहराना (भुवनेश्वर, उड़ीसा)) 2019 से लगातार स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण करते आए हैं। इस वर्ष संयोग से मेरा बाम्बेर्ग जाना हुआ और वरिष्ठ होने के कारण मुझे ध्वजारोहण करने का यह सम्मान प्राप्त हुआ। इस अवसर पर बाम्बेर्ग शहर के कई प्रवासी परिवार उपस्थित थे।

यह स्मृति मेरे साथ आजीवन रहेगी और इसके लिए मैं इन चारों मित्रों का हृदय से आभारी हूँ। यह हमारी पीढ़ी के लिए गर्व की बात है कि हमारी अगली पीढ़ी विदेश में रहकर भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है।

💐 ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से सभी प्रवासी भारतीयों को स्वतन्त्रता दिवस की अशेष हार्दिक शुभकामनाएं 💐

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार का व्यंग्य संकलन  ‘मर्ज लाइलाज’  लोकार्पित – डॉ कुंदन सिंह और श्री रमाकांत ताम्रकार जी सम्मानित ☆ साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

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☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार का व्यंग्य संकलन  ‘मर्ज लाइलाज’  लोकार्पित – डॉ कुंदन सिंह और श्री रमाकांत ताम्रकार जी सम्मानित ☆

माध्यम साहित्यिक संस्थान, जबालि व्यंग्यम एवं गुंजन के संयुक्त तत्वावधान में जय नगर, जबलपुर स्थित पाण्डेय निवास में व्यंग्य पाठ गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें डॉ कुंदन सिंह परिहार के नये प्रकाशित व्यंग्य संकलन ‘मर्ज लाइलाज’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर नगर के व्यंग्यकारों ने डॉ परिहार जी को मिले भवभूति अलंकरण पर खुशी जाहिर करते हुए उनका शाल श्रीफल से सम्मान किया।

हम सबके बीच के व्यंग्यकार श्री रमाकांत ताम्रकार जी को भी विगत दिवस लोकमत समाचार समूह द्वारा भव्य आयोजन में सम्मानित किया गया था। इस पर भी खुशी जाहिर करते हुए सभी व्यंंग्यकारों ने उन्हें भी शाल श्रीफल से सम्मानित किया गया।

इसके बाद श्री ओ पी सैनी, श्री अभिमन्यु जैन, श्री यशोवर्धन पाठक, श्री सुरेश मिश्र विचित्र, रमाकांत ताम्रकार,जय प्रकाश पाण्डेय, डॉ विजय तिवारी किसलय, डॉ कुंदन सिंह परिहार ने व्यंग्य पाठ किया।

कार्यक्रम का संचालन श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी ने और आभार प्रदर्शन श्री यशोवर्धन पाठक जी ने किया।

साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय – 416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ डॉ सुरेश कान्त अट्टहास शिखर सम्मान से सम्मानित ☆ साभार – सुश्री शिल्पा श्रीवास्तव ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ डॉ सुरेश कान्त अट्टहास शिखर सम्मान से सम्मानित ☆ साभार – सुश्री शिल्पा श्रीवास्तव ☆

☆ अट्टहास सम्मान “व्यंग्य का  मानक बना”- डॉ अशोक चक्रधर ☆

नई दिल्ली, अट्टहास सम्मान व्यंग्य का मानक बन गया है, अट्टहास का शिखर सम्मान और युवा सम्मान व्यंग्य के क्षेत्र में दिये जाने वाले सम्मानों में “आईएसआई” के मानक सरीखा है। इसे देश भर के व्यंग्य से जुड़े साहित्यकारों ने न केवल हाथों हाथ लिया और सम्मानित व्यंग्यकारों ने अपने बायोडेटा में सम्मान स्थान दिया है।

 यह उद्गार माध्य्म साहित्यिक संस्थान के हिंदी भवन (दिल्ली)में आयोजित 33 वें अट्टहास सम्मान समारोह में पद्मश्री डॉ अशोक चक्रधर, डॉ हरि जोशी, कथाकार बलराम, आलोक पुराणिक और सुभाष चन्दर ने व्यक्त किये

माध्यम साहित्यिक संस्थान, लखनऊ एवं युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में बहु प्रतीक्षित 33 वाँ अट्टहास सम्मान समारोह सम्पन्न हो गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष इंजीनियर कप्तान सिंह ने की। मंचस्थ अतिथियों के स्वागत एवं उनके द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के बाद माध्यम साहित्यिक संस्थान के अध्यक्ष कप्तान सिंह ने संस्था की ओर से सभी आमंत्रित अतिथियों, सदस्यों एवं सम्मानित होने वाले साहित्यकारों का अभिनन्दन किया।

श्री अलंकार रस्तोगी

माध्यम साहित्यिक संस्थान के अध्यक्ष कप्तान सिंह अध्यक्षता एवं माध्यम के महासचिव अनूप श्रीवास्तव के सानिध्य में देश के कोने -कोने से आये साहित्यकारों, साहित्य प्रेमियों और व्यंग्य पाठकों से खचाखच भरे सभागार में मुख्य अतिथि पद्म डॉ.अशोक चक्रधर तथा प्रमुख अतिथि व्यंग्यकार डॉ हरि जोशी, ख्यात लेखक / उपन्यासकार / कथाकार बलराम, सुभाष चंदर के अतिरिक्त वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ.आलोक पुराणिक ने वरिष्ठ व्यंग्यकार सुरेश कांत को शाल/माला तथा इक्कीस हज़ार की पुरस्कार राशि प्रदान कर ‘अट्टहास शिखर सम्मान‘ से सम्मानित किया। तत्पश्चात लखनऊ के व्यंग्यकार अलंकार रस्तोगी को शाल/माला तथा पांच हज़ार की पुरस्कार राशि प्रदान कर ‘अट्टहास युवा रचनाकार सम्मान’ से नवाजा गया।

सम्मानों की इस श्रंखला में वरिष्ठ व्यंग्यकार रामकिशोर उपाध्याय को शाल/माला तथा ग्यारह  हज़ार की पुरस्कार राशि प्रदान कर हरिशंकर परसाई सम्मान’ से सम्मानित किया गया। तत्पश्चात प्रख्यात कवयित्री -डॉ कीर्ति काले को सुश्री प्रमिला भारती की ओर से ‘वाणी वाग्धारा सम्मान’ एक पौशाक तथा ग्यारह  हज़ार की पुरस्कार राशि  देकर अलंकृत किया गया। आगरा के प्रसिद्ध उपन्यास कार और इतिहास विद राजगोपाल सिंह वर्मा  को डॉ हरिवंश राय बच्चन सम्मान (पुरस्कार राशि इक्कीस सौ रूपये) से, जम्मू कश्मीर के चर्चित व्यंग्य कार केवल कुमार’केवल’ को डॉ शिव मंगल सिंह सुमन सम्मान (पुरस्कार राशि इक्कीस सौ रूपये) से सम्मानित किया गया। प्रसिद्ध कवि और गजलकार सत्येंद्र रघुवंशी के अकस्मात अस्पताल में भर्ती हो जाने से “विद्या निवास मिश्र सम्मान”अट्टहास पत्रिका की सम्पादक शिल्पा श्रीवास्तवा ने ग्रहण किया। शरद जोशी सम्मान से अलंकृत किये जाने वाले भोपाल के व्यंग्य लेखक मुकेश नेमा और जबलपुर के जय प्रकाश पांडे का वाग्धारा सम्मान उनके ग्रह जनपद में जाकर देने की घोषणा की गई।

 माध्य्म की ओर से, श्रीअरुण अर्णव खरे (कर्नाटक), डॉ प्रमिला भारती (दिल्ली), डॉ आभा सिंह (महाराष्ट्र), भारती पाठक (अयोध्या), मधु श्रीवास्तव(कानपुर),   राजेश कुमार सिंह (लखनऊ), ओम प्रकाश शुक्ल (दिल्ली), संजय कुमार गिरी (दिल्ली), अभिलाषा (नोएडा) को उनकी साहित्य सेवाओं के लिए ‘वाग्धारा सम्मान’ से अलंकृत किया गया।

इस बार अट्टहास सम्मान समारोह में  लाइफ टाइम अचीव मेन्ट सम्मान से वरिष्ठ पत्रकार अश्वनी भटनागर और प्रो प्रदीप माथुर को भी करतल ध्वनि के बीच सम्मानित किया गया। उन्हें उनकी सुदीर्घ साहित्यिक /पत्रकारिता सेवाओं के लिए ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ प्रदान किया गया।

इस अवसर पर माध्यम के महासचिव अनूप श्रीवास्त्तव को विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा कवयित्री पूनम झा (दिल्ली) ने शाल और उपहार देकर सम्मानित किया।

अट्टहास के प्रबंध संपादक अनूप श्रीवास्तव, संपादिका शिल्पा श्रीवास्तव एवं कार्यकारी संपादक रामकिशोर उपाध्याय की गरिमामयी उपस्थिति में मासिक व्यंग्य पत्रिका ‘अट्टहास’ के पच्चीसवें वर्ष के पहले अंक, रामकिशोर उपाध्याय के व्यंग्य संग्रह ‘दस हाथ वाला आदमी’, अलंकार रस्तोगी के व्यंग्य संग्रह – घातक कथाएं, डॉ आभा सिंह के व्यंग्य संग्रह – ‘टूटी टांग’ तथा केवल कुमार ‘केवल’ के व्यंग्य कविता संग्रह –‘पूँछ’ का भव्य लोकार्पण हुआ।

इस अवसर पर रायपुर, छत्तीसगढ़ से पधारे कार्टूनिस्ट सागर कुमार ने अनूप श्रीवास्तव, कप्तान सिंह, डॉ हरि जोशी, अशोक चक्रधर, रामकिशोर उपाध्याय, डॉ कीर्ति काले, अलोक पुराणिक, सुभाष चंदर, भारती पाठक  तथा अश्विनी कुमार के शानदार कैरीकेचर भेंट किये। डॉ कीर्ति काले ने काव्य पाठ किया।

अट्टहास शिखर सम्मान प्राप्त करने के बाद अत्यंत भावुक सुरेश कान्त ने कुछ अधिक न बोलते हुए अट्टहास पत्रिका एवं चयन कर्ताओं का आभार व्यक्त कर अपना स्थान ग्रहण कर लिया। अलंकार रस्तोगी ने कहा कि यह सम्मान प्राप्त करके उन्हें बहुत ख़ुशी हो रही है। यह उनका चौदह वर्ष पुराना सपना था जो आज साकार हो गया है। सम्मान की सार्थकता तभी है जब लेखक लेखन के प्रति अपने दायित्व को समझे।

रामकिशोर उपाध्याय ने कहा कि आज मुझे हरिशंकर परसाई सम्मान ग्रहण करते हुए आनंद के साथ गर्व की अनुभूति हो रही है कि पुरस्कार के लिए मेरा नाम हिंदी व्यंग्य के पुरोधा और व्यंग्य लेखन की प्रेरणा स्रोत हरिशंकर परसाई के साथ जुड़ गया है। मैं इसके लिये अनूप श्रीवास्तव एवं समस्त चयनकर्ताओं का हार्दिक आभार एवं कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। व्यंग्य लेखन के विषय में हरिशंकर परसाई के कथन “जो क़ौमें भूखे मारे जाने पर सिनेमा में जाकर बैठ जाए, वह अपने दिन कैसे बदलेगी ” को रेखांकित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि क्या हम हरिशंकर परसाई जैसा ऐसा लिख रहे है ? उन्होंने अट्टहास पत्रिका के समक्ष आर्थिक चुनौतियों का भी जिक्र कर सभी से इसके निरंतर प्रकाशन हेतु सहयोग की अपील भी की।

मुख्य अतिथि अशोक चक्रधर ने अपने चिर परिचित संबोधन में कहा कि सर्वप्रथम मंच संचालकों का नाम लेना चाहिए जो इतना बढ़िया सञ्चालन कर रहे हैं। अट्टहास सम्मान एवं अन्य सम्मान प्राप्त करने वाले लेखकों को बधाई देते हुएउन्होंने कहा कि माध्यम साहित्यिक संस्थान सम्मान देने में साहित्यकारों के साथ कभी भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता है। सभी पुरस्कार-ग्रहीताओं को एक प्रकार का शाल और अन्य सामग्री प्रदान की गई, यह इस बात का परिचायक है। उत्कृष्ट लेखन के लिए सम्मानित लेखकों को बंद लिफाफे की गई सम्मान की धन राशि के विषय में उन्होंने कहा कि न तो संस्था दरिद्र है और न ही हमारी भाषा हिंदी दरिद्र है। यदि पुरस्कार की राशि कम हो भी जाए तब भी अट्टहास सम्मान के स्तर में कोई कमी नहीं आएगी। यही अट्टहास सम्मान की विशेषता है जो अनूप श्रीवास्तव की असंदिग्ध लगन और तप का परिणाम है। उन्होंने  सम्मान के लिए जो मानक तय किए हैं उनसे लेखक ही सम्मानित नहीं होते हैं बल्कि पुरस्कार प्रदाता भी सम्मानित होते हैं। लोकार्पित पुस्तकों के विषय में भी उन्होंने अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई और शुभकामनायें प्रदान की।

विशिष्ट अतिथि डॉ हरि जोशी ने अंगेजी साहित्यकार बायरन की निम्नांकित पक्तियों —I should write, I would publish right or wrong /But culprit are …., Satire are my song. का उल्लेख करते हुए कहा कि व्यंग्यकार को अपने लेखन में ‘कल्प्रिट’  को ढूँढना चाहिए। उसके लिए यदि व्यंग्य लेखक को जोखिम भी उठाना पड़े तो वह भी उठाना चाहिए। इतने वर्षों तक इन लेखकों ने श्रम किया तब आज पुरस्कार मिला। निश्चित ही ये सभी लेखक बधाई के पात्र है। उन्होंने सम्मानित होने वाले लेखकों के प्रति भी आभार व्यक्त किया। वे अपना करीकेचर बनाने वाले कार्टूनिस्ट सागर कुमार का धन्यवाद करना भी नहीं भूले।

अट्टहास सम्मान प्राप्त करने पर सुरेश कान्त, अलंकार रस्तोगी को बधाई देते हुए प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य लेखक सुभाष चंदर ने कहा कि ‘ब से बैंक’ उपन्यास से लेकर सुरेश कान्त ने व्यंग्य में बहुत काम किया है। कई अख़बारों और पत्रिकाओं में आपके लेख छप चुके हैं। अलंकार रस्तोगी के विषय में उन्होंने कहा कि उन्हें मॉडलिंग में जाना चाहिए था, लेकिन पत्नी ने नहीं जाने दिया। यदि वहां चले भी जाते तो व्यंग्य लेखन जितना बढिया कार्य ही करते। दस /बारह वर्ष पूर्व जब उनकी पहली पुस्तक का विमोचन करने गया था तब उन्हें एक सलाह दी थी कि खूब पढ़े तब लिखे। यही सलाह आज के युवा लेखकों को देना नहीं भूलता हूँ। उन्होंने ही निश्चित ही सलाह पर अमल किया है तभी उन्हें अट्टहास का यह अति महत्वपूर्ण सम्मान मिला।

वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ आलोक पुराणिक ने सभी पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं को बधाई देते हुए बताया कि  गत दिनों वह एक सम्मान समारोह में गए थे जहाँ 178 लोगों को सम्मानित किया गया। आयोजकों ने बताया कि यहाँ उपस्थित सभी 176 साहित्यकारों के अतिरिक्त एक चाय वाला और एक समोसे वाले को भी सम्मानित किया है। आयोजकों ने यह भी कहा – ‘ आप कहो तो आपको भी सम्मानित किया जा सकता है, ’ कहकर उन्होंने इस तरह के सम्मान आयोजनोँ  पर  चुटकी लीं। लेकिन अट्टहास सम्मान  की बात बिलकुल अलग है। ‘अट्टहास  सम्मान  वास्तव ISI मार्क सरीखे खरे हैं, ’ कहकर अपनी बात समाप्त की।

संस्था के महासचिव अनूप श्रीवास्तव ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब वह अस्सी वर्ष से अधिक आयु को प्राप्त कर चुके हैं। अतः इस पत्रिका को संभालने के लिए लोग आगे आये ताकि यह निरंतर चलती रहे 

समारोह की अध्यक्षता कर रहे कप्तान सिंह ने कहा  -‘जिन विद्वानों को आज पुरस्कृत किया गया है उन्हें मैं बधाई देता हूँ कि उन्होंने उत्कृष्ट सृजन किया है जिसके लिए हमारी इस संस्था ने आज उन्हें सम्मानित किया है। मैं आप सभी का आभार प्रकट करता हूँ। साहित्यकार की समाज के प्रति बड़ी जिम्मेदारी होती है। जब-जब समाज में विकृति आती है तब-तब साहित्यकार उसे बताने का कार्य करता है। साहित्यकार को जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए कार्य करना चाहिए। व्यंग्य जीवन में चेतना लाता है। मैंने देश में काफी भ्रमण किया है लेकिन देश में स्थिति आज भी ठीक नहीं है। व्यवस्था परिवर्तन के लिए आप जैसे विद्वान लिखेंगे तो उसका प्रभाव अवश्य पड़ेगा। ’ अंत में  सभी आमंत्रित अतिथियों और अन्य सभी उपस्थित साहित्य प्रेमियों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के कोषाध्यक्ष हीरा लाल का जन्मदिन केक काटकर मनाया गया। चार घंटे तक चले इस सम्मान समारोह का मंच -संचालन माध्यम साहित्यिक संस्थान के उपाध्यक्ष आलोक शुक्ल और युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय ने संयुक्त रूप से। किया।

साभार – सुश्री शिल्पा श्रीवास्तव, सम्पादक अट्टहास हास्य व्यंग्य मासिक, 9335276946

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ ‘राष्ट्रीय अंगदान दिवस’ के अवसर पर अंगदान जागरूकता कार्यक्रम ☆ साभार – श्री सुनील देशपांडे ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ दि फेडरेशन ऑफ ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन और ज्युपिटर हॉस्पिटल ☆

☆ ‘राष्ट्रीय अंगदान दिवस’ के अवसर पर अंगदान जागरूकता कार्यक्रम ☆ साभार – श्री सुनील देशपांडे ☆

श्री सुनील देशपांडे

दि फेडरेशन ऑफ ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन और ज्युपिटर हॉस्पिटल ने संयुक्त रूप से 3 अगस्त 2024 को ‘राष्ट्रीय अंगदान दिवस’ के अवसर पर एक अंगदान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया है।  इस मौके पर हम एक और कार्यक्रम इसमें शामिल कर रहे हैं।

इस कार्यक्रम में हम, संस्था के उपाध्यक्ष श्री सुनील देशपांडे के हिंदी चारलाइना का संग्रह – ‘अंगदान की चार लाइना’

इस  ई-बुक का विमोचन कर रहे हैं।  इसी कार्यक्रम में हम श्री सुनील देशपांडे द्वारा रचित‘अंगदान की गूंज’

 यह हिंदी गानों का एक संग्रह (एल्बम) जारी कर रहे हैं।

इस संग्रह के गाने डॉ भक्ति दातार द्वारा गाये है और इसका संगीत नियोजन डॉ. समीर दातार द्वारा किया गया है।

इसी के साथ ज्युपिटर हॉस्पिटल की तरफसे अंगदान प्रबोधन हेतू विशेष पोस्टर का विमोचन हो रहा है।

हम इस खूबसूरत आयोजन में आप जैसे लोगों की सुखद उपस्थिति की आशा करते हैं।  हमारा विनम्र अनुरोध है कि आप हमारा निमंत्रण स्वीकार करें और पधारें।

आपके अपने,

दि फेडरेशन ऑफ ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन के सभी पदाधिकारी एवं सहयोगी
श्री सुनील देशपांडे  – उपाध्यक्ष – +91 9657709640
श्री श्रीकांत कुलकर्णी – सचिव – +91 9422089052
श्री प्रशांत पगनिस  – संयुक्त सचित – +91 8530085054

साभार  – श्री सुनील देशपांडे 

पुणे , मो – 9657709640 ईमेल : [email protected]

https://www.organdonation.net.in या  ईमेल करें : [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ गुरुत्वाकर्षण ही गुरु की पहचान ☆ साभार – प्रो.शरद नारायण खरे ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

गुरुत्वाकर्षण ही गुरु की पहचान ☆ साभार – प्रो.शरद नारायण खरे ☆

मंडला- शासकीय ज.मु.चौधरी महिला महाविद्यालय में गुरु-वंदना उत्सव उत्साह,उल्लास व श्रद्धा के साथ प्राचार्य प्रो.शरद नारायण खरे के मार्गदर्शन व डॉ अंजली पंड्या के संयोजन-संचालन में मनाया गया। विशेष आमंत्रित स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज,महंतसूर्य मंदिर,नावघाट की दिव्य उपस्थिति नें मनाया गया।रोटरी क्लब की पदाधिकारी गीता काल्पीवार  विशेष आमंत्रित रहीं।

सरस्वती पूजन,स्वागत गीत के बाद डीके रोहितास ने गुरु की महत्ता को सांस्कृतिक मूल्यों के साथ चित्रित किया।डॉ अंजली पंड्या ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।डॉ प्रदीप सोनी ने जीवन-निर्माण में गुरुओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।

विस्तृत व्याख्यान देते हुए प्राचार्य प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे ने वैदिक आख्यानों के माध्यम से कहा कि गुरु वह है जो गुरुत्वाकर्षण से परिपूर्ण होता है,तथा जो शिष्य को अँधेरे से प्रकाश की ओर ले जाता है।उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को सुरक्षित रखकर शिष्यों को आध्यात्मिक ज्ञान देकर उनके जीवन को तेजत्व प्रदान करने में संत, महात्माओं, आचार्यों व गुरुओं की भूमिका को दृष्टांतों सहित व्याख्यायित किया।उन्होंने सिकंदर के गुरु अरस्तु, चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य व शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास के संदर्भ भी प्रस्तुत किए। गुरु-वंदना में गीत गाये गए।इस अवसर पर छात्राओं ने उत्साहपूर्वक अपने गुरु  इतिहास के प्राध्यापक व महाविद्यालय के वर्तमान‌ प्राचार्य प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे का भी स्वागत -सम्मान किया।

पधारी हुईं विभूतियों को बुके,अंगवस्त्रम् व श्रीफल से सम्मानित किया गया।आचार्य व महंत स्वामी सच्चिदानंद महाराज जी ने आत्मा की पवित्रता, सदाचरण व सत्कर्मों की बात कहकर गुरुओं की गरिमा को परिभाषित किया तथा मोक्ष तक ले जाने में गुरु की श्रेष्ठता को प्रभावशाली शैली में वर्णित किया। समाजसेवी गीता काल्पीवार ने गुरु पूर्णिमा की पवित्रता को आत्मसात करने का संदेश दिया ।

डॉ अंजुसिंह ने आभार प्रदर्शन किया।डॉ एसपी धूमकेती,मंजु श्रीवास,सावित्री उरैती,राशि तिवारी, अनिल वाजपेयी,जयप्रकाश वाजपेयी,शैलेंद्र तिवारी, रामेश्वर यादव सहित छात्राओं की व्यापक उपस्थिति रही।अत्यंत उल्लासपूर्वक गुरु पूर्णिमा समारोह मनाया गया।

साभार – प्रो.शरद नारायण खरे

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ भावनाओं के आकाश में बाल विदुषी – ‘आराध्या तिवारी’ ☆ प्रस्तुती – श्री हेमन्त बावनकर ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ भावनाओं के आकाश में बाल विदुषी – ‘आराध्या तिवारी’ ☆ प्रस्तुती – श्री हेमन्त बावनकर ☆

यदि उच्च संस्कृति और संस्कार का सानिध्य भी जुड़ जाए तो निश्चित ही नई प्रतिभा रोशनी बनकर संभावनाओं के आकाश में झिलमिलाने लगती है। आज हम ऐसी ही अद्भुत प्रतिभा की धनी बाल विदुषी यानि आराध्या तिवारी की बात कर रहे हैं। स्मॉल वंडर सीनियर सेकेंडरी स्कूल की एक सचमुच की स्मॉल वंडर कक्षा पांचवी की छात्रा आराध्या तिवारी ने बेहद कम उम्र में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं और यह सिलसिला अभी भी बदस्तूर जारी है। बाल भवन, मध्यप्रदेश सरकार, जबलपुर के माध्यम से संगीत का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। जिसके संचालक श्री गिरीश बिल्लौरे जी हैं। भातखंडे संगीत महाविद्यालय में नृत्य का भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। स्वयं के चैनल “प्रियम प्रियम और सिर्फ प्रियम” का संचालन तो करती ही हैं साथ में जबलपुर के विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों में कविता पाठ करती आई हैं। फिजिकल एक्टिविटी के प्रति भी आराध्या का बड़ा रुझान है। वे नित्य योग, स्केटिंग का अभ्यास करती हैं। खेलों में निरंतर सक्रिय रहते हुए आराध्या ने राइफल शूटिंग, सिललिंग शॉट एवं कराटे की विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक एवम अनेक प्रमाण पत्र नन्ही सी उम्र में प्राप्त किए हैं। बात कविता, कहानी, या गीत लेखन में रुचि की हो तो ये संस्कार उनको अपने दादा तथा ख्यातिलब्ध वरिष्ठ कवि, गीतकार, साहित्यकार, लेखक, पत्रकार एवं मेरे गुरु डॉ. श्री राजकुमार तिवारी सुमित्र जी से विरासत में मिले हैं। डॉ. सुमित्र जी की परंपरा को निभाते हुए आराध्या कविता, गीत कहानी लेखन में भी धीरे-धीरे पारंगत हो रही हैं।

एक साक्षात्कार पोती के प्रश्न और दादा के उत्तर

संस्कारधानी जबलपुर मध्यप्रदेश की बाल पत्रकार आराध्या तिवारी प्रियम ने अपने दादा प्रख्यात साहित्यकार डॉ राजकुमार तिवारी सुमित्र से लिया साक्षात्कार आइए देखें आराध्या के प्रश्न और दादा के उत्तर क्या स्वप्न उन्होंने बचपन में देखा था क्या वे वैसा बन पाए डॉक्टर सुमित्र ने… बाल पत्रकार आराध्या के प्रश्नों के उत्तर दिये एक अनोखा और अद्भुत इंटरव्यू

प्रतिभाशाली आराध्या तिवारी प्रियम की कुछ विशेष उपलब्धियाँ –

  • रिकॉर्ड होल्डर्स रिपब्लिक इंडिया (RHR) द्वारा सर्टिफिकेट ऑफ एक्ससिलैंस से सम्मानित।
  • देश के पहले साहित्यक चैनल डायनामिक संवाद टी वी में 2018 से निरंतर एंकरिंग कर सराहना व सुर्खियां बटोर रही हैं।
  • कोरोना काल में कोरोना सहायतार्थ निगम प्रशासन को अपनी गुल्लक से 5000 रुपए प्रदान किये।
  • विवेचना रंग मंडल के थिएटर वर्कशॉप में सहभागिता निभाई और प्रख्यात नृत्य निर्देशिका डॉ. उपासना उपाध्याय की लघु फिल्म जो कि सुप्रसिद्ध कवयित्री स्व. सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कविता पर निर्देशित लघु फ़िल्म में सराहनीय अभिनय किया।

  • आपका यूट्यूब पर अपना चैनल है “प्रियम प्रियम और सिर्फ प्रियम” जिसकी दर्शक संख्या लगातार बढ़ रही है। 
  • जबलपुर नगर निगम के स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में सबसे कम उम्र की ब्रांड एंबेसडर चुना गया है।

  • बहुत छोटी सी उम्र से ही कराटे, योग शिक्षा, स्केटिंग राइफल, शूटिंग, सीलिंग शॉट में अपना हुनर बखूबी दिखाया है और बहुत सारे मेडल और शील्ड अपने नन्हे हाथों से हासिल किए हैं।
  • बाल भवन जबलपुर से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा डॉ. शिप्रा सुल्लेरे से प्राप्त कर रही हैं।
  • इंटरनेशनल बुक ऑफ़ रिकार्ड्स प्रमाण पत्र से सम्मानित।
  • बाल पत्रकार के रूप में आपको जिला प्रशासन द्वारा भी प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।
  • साहित्यिक संस्था वर्तिका द्वारा भी आपको श्रेष्ठ एंकरिंग के लिए भी सम्मानित किया गया है।
  • जबलपुर के लोकप्रिय सांसद राकेश सिंह जी का साक्षात्कार लिया है, जो सोशल मीडिया पर बहुत चर्चित रहा है। इसके साथ ही अनेक राजनीतिक एवं साहित्यिक व्यक्तित्व का साक्षात्कार भी लिया है। https://www.facebook.com/share/v/QSRLGDz7zeSCd9xm/

आराध्या अपनी समस्त उपलब्धियों का श्रेय अपने स्व. दादा जी दादी जी, माता पिता, स्कूल के शिक्षक शिक्षिकाओं, स्कूल प्रबंधन को देती हैं। आराध्या का मानना है कि घर के बाद मेरी पहली पाठशाला स्कूल है जहां से मैं अपने गुरुजनों से निरंतर सीख रही हूं। जहां मुझे जीवन में कुछ बड़ा करने का संकल्प भी प्राप्त हुआ है और निरंतर शक्ति भी।

वर्तमान में आराध्या तिवारी संस्कारधानी के छोटे-छोटे बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। आराध्या तिवारी का स्वप्न है कि वह भी बड़े होकर अपने दादा की तरह एक कामयाब लेखक और पत्रकार बने।  संस्कारधानी जबलपुर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ज्ञान-मनीषी ओशो से लेकर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई और बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान की कर्मभूमि हमेशा से प्रेरणा का स्रोत रही है। जबलपुर शहर की हवा में संस्कार गुंजित होते रहते हैं। इन्ही संस्कारों की नन्ही कोंपल अब आराध्या तिवारी के रूप में सुरभित हो रही है। और शहर की साहित्यिक परंपरा को ध्वजा  को आगे बढ़ा रही हैं। 

ई-अभिव्यक्ति परिवार के सदस्य आराध्या के उज्ज्वल भविष्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।

प्रस्तुती – श्री हेमन्त बावनकर, सम्पादक ई-अभिव्यक्ति, पुणे

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ Poem of Capt. Pravin Raghuvanshi is to be recited in the BYRON 200 Poetry event at Nottingham, U K ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ Capt. Pravin Raghuvanshi, NM ☆

💐 Poem of Capt. Pravin Raghuvanshi is to be recited in the BYRON 200 Poetry event at Nottingham, U K 💐

☆ Bicentennary Celebration of Lord Byron – BYRON 200 Poetry Event by Kavyrang ☆ 

It is with great pride and pleasure, We would like to inform that poem लावण्यपूर्ण रात्रि अभिसारिका (Lavanya poorn Ratri Abhisarika) of Capt. Pravin Raghuvanshi has been chosen to be recited in the BYRON 200 Poetry Event, which is being organised by Kavya Rang with NAAC as a part of Multilingual Poetry Event to commemorate the Bicentennary Celebrations of Lord Byron in Nottingham, England. This poem is based on Lord Byron’s legendary poem She Walks in Beauty.

Byron 200 is a varied programme of exhibitions, events and activities that celebrate the sensational life and legacy of Lord Byron through the year, focussed at Newstead Abbey, his inspirational home.

Date: Saturday 27th July 2024, 1pm-4pm

Venue: Newstead Abbey, Nottingham, U K

इस सन्दर्भ में हम आपसे एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा करना चाहेंगे। डॉ विजय कुमार मल्होत्रा जी (पूर्व निदेशक (राजभाषा), रेल मंत्रालय,भारत सरकार) को इसी जून  2023 में  यूनाइटेड किंगडम  के प्रसिद्ध शहर  नॉटिंघम  जाने का अवसर मिला। प्रवास के दौरान उन्हें हिन्दी कवयित्री और काव्यरंग की अध्यक्षा श्रीमति जय वर्मा जी ने अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध कवि लॉर्ड बायरन की विरासत से भी परिचित कराया. रॉबिनहुड और लॉर्ड बायरन के नाम से प्रसिद्ध इस शहर में महात्मा गाँधी भी कुछ समय तक रुके थे. जहाँ बायरन ने  Don Juan जैसी कविताएँ लिखीं, वहीं  She Walks in Beauty जैसी प्रेम और प्रकृति की मिली-जुली कल्पनाओं पर आधारित कविताएँ भी लिखीं.

डॉ विजय कुमार मल्होत्रा जी के ही शब्दों में “कालजयी रचनाओँ को हिंदी-अंग्रेज़ी में अनूदित करने का बीड़ा उठाने वाले मेरे मित्र कैप्टन प्रवीण रघुवंशी ने “चलती-फिरती सौंदर्य प्रतिमा” शीर्षक से इसका हिंदी में अनुवाद भी कर दिया. मैंने पावर-पॉइंट (PPT) के माध्यम से दी गई अपनी प्रस्तुति में इस कविता को मूल अंग्रेज़ी के साथ-साथ हिंदी में भी प्रतिभागियों को सुनाया. सभी ने इसके हिंदी अनुवाद की भूरि-भूरि प्रशंसा की.”

 

यह अनुवाद इंग्लैंड में हिन्दी प्रोफेसरों को बहुत पसंद आया था। उन्होने कई देशों में इसका अपने भाषणों में उपयोग भी किया है जिसका सबसे सहृदय प्रतिसाद प्राप्त हुआ।

 

आइए…हम लोग भी इस कविता का मूल अंग्रेज़ी के साथ-साथ हिंदी में भी रसास्वादन करें और अपनी प्रतिक्रियाओं से इसके हिंदी अनुवादक कैप्टन प्रवीण रघुवंशी  को परिचित कराएँ.   

Original English Poem By Lord Byron

☆ She Walks in Beauty 

She walks in beauty, like the night

Of cloudless climes and starry skies;

And all that’s best of dark and bright

Meet in her aspect and her eyes;

Thus mellowed to that tender light

Which heaven to gaudy day denies.

 

One shade the more, one ray the less,

Had half impaired the nameless grace

Which waves in every raven tress,

Or softly lightens o’er her face;

Where thoughts serenely sweet express,

How pure, how dear their dwelling-place.

 

And on that cheek, and o’er that brow,

So soft, so calm, yet eloquent,

The smiles that win, the tints that glow,

But tell of days in goodness spent,

A mind at peace with all below,

A heart whose love is innocent!

 – Lord Byron

 

लार्ड बायरन की मूल कविता का कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी द्वारा हिंदी अनुवाद  

☆ लावण्यपूर्ण रात्रि-अभिसारिका ☆

अप्सरा की भाँति, वो  सौन्दर्य-प्रतिमा,

बादलों से विहीन, तारों भरी रात्रि में

अतिशय प्रकाश की अप्रतिम छटा लिये

वो निरंतर चहलकदमी करती रही…

 

आकर्षक डील-डौल, मृगनयनी चक्षु

भीनी-भीनी चाँदनी में पिघलता यौवन

ऐसी लावण्यपूर्ण वो दिव्य अनामिका

वो रमनीय सौन्दर्य जो कदापि 

ईश्वर प्रदत्त भी संभव नहीं,

 

एक स्वर्गिक रंगीन छटा लिए,

लहराती स्याह वेणियां से युक्त

अर्ध-प्रच्छादित मुखाकृति को

और भी निखारती हुई…

अभिलाषा की वो परम उत्कटेच्छा…

 

जहाँ विचार मात्र ही मधु-सुधा टपकाते…

कितना पवित्र, कितना प्यारा उसका संश्रय…!

दैवीय कपोलों, के मध्यास्थित,

उन वक्र भृकुटियों  में वो इतनी निर्मल, शांत,

फिर भी नितांत चंचल एक विजयी मुस्कान लिए!

 

वो दैदीप्यमान आभा,

सौम्यता में व्यतीत क्षणों को

अभिव्यक्त करते हुए

एक शांतचित्त मन

एक निष्कपट प्रेम परितृप्त

वो कोमल हृदय धारिणी नवयौवना…!

–  कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, पुणे

💐 The e-abhivyakti family congratulates Capt. Pravin Raghuvanshi ji for this great achievement. 💐

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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सूचना/Information ☆ संपादकीय निवेदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

💐 संपादकीय निवेदन 💐

ई अभिव्यक्ती ग्रुपमधील सर्वांनी कृपया नोंद घ्यावी ——आपले संपादक श्री.सुहास पंडित हे पुढील काही दिवस या ग्रुपसाठी उपलब्ध असणार नाहीत. त्यामुळे “ कवितेचा उत्सव ( कविता ),” “ काव्यानंद ‘ (रसग्रहण ) “ आणि “ विविधा “ या सदरांसाठीचे साहित्य पुढील सूचना येईपर्यंत श्री. पंडित यांच्याकडे न पाठवता मंजुषा मुळे यांच्याकडे पाठवावे. तसेच याआधी श्री पंडित यांना पाठवलेले पण अजून प्रकाशित न झालेले साहित्यही पुन्हा एकदा मंजुषा मुळे यांच्याकडे पाठवावे. म्हणजे ते प्रकाशित केले जाईल. या तात्पुरत्या बदलासाठी सर्वांचे सहकार्य अपेक्षित आहे.

सौ मंजुषा मुळे – मो. नं. ९८२२८४६७६२.

 संपादक मंडळ

ई-अभिव्यक्ती (मराठी)

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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