ई-अभिव्यक्ती समुहातील सर्व साहित्यिक आणि रसिक वाचकांना कळविण्यात येते की, काही तांत्रिक कारणास्तव, आपल दैनिक अंक २०|०७|२०२४ ते २२|०७|२०२४ असे तीन दिवस प्रकाशित होऊ शकणार नाही. मंगळवार दि.२३ जुलैपासून अभिव्यक्ती पुन्हा प्रकाशित होईल.
कृपया सर्वांनी नोंद घ्यावी ही विनंती.
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
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≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
🌸 स्व. शंकरराव कानिटकर हिंदी विभागीय ग्रंथालय और हिंदी भाषा प्रयोगशाला का उद्घाटन समारोह संपन्न 🌸
प्रोग्रेसिव एज्युकेशन सोसायटी के संस्थापक गुरूवर्य शंकरराव कानिटकर जी की 136 वीं जयंती के अवसर पर हिंदी विभाग, मॉडर्न महाविद्यालय में दो नूतन विभागों का उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। गुरूवर्य शंकरराव कानिटकर जी के नाम से हिंदी विभाग द्वारा निर्मित स्वतंत्र ग्रंथालय और हिंदी भाषा प्रयोगशाला का उद्घाटन प्रोग्रेसिव एजुकेशन सोसाइटी की सहकार्यवाह डॉ. ज्योत्स्ना एकबोटे जी के हाथों संपन्न हुआ।
हिंदी विभाग मॉडर्न महाविद्यालय ने हिंदी के विभिन्न प्राध्यापक और लेखकों से लगभग 5000 से अधिक किताबें इकट्ठा की है और उसका एक सुंदर ग्रंथालय तैयार हुआ। इसके अलावा हिंदी भाषा प्रयोगशाला में चार लाख से अधिक डिजिटल किताबों का संकलन किया गया है। इस भाषा प्रयोगशाला का भी उद्घाटन आज प्रोग्रेसिव एज्युकेशन सोसायटी की सहकार्यवाह डॉ. ज्योत्स्ना एकबोटे के शुभ करकमलों से संपन्न हुआ। डॉ. ज्योत्स्ना एकबोटे ने यह बताया कि हिंदी विभाग के लिए ये दो विभाग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और विद्यार्थियों की हिंदी विषय में रुचि बढ़ाने के लिए यह उपयोगी सिद्ध होंगे। हिंदी के विद्वान लेखक कवि डॉ दामोदर खडसे इस कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि के रूप में मौजूद थे। डॉ. दामोदर खडसे ने कहा कि “हिंदी वैश्विक भाषा है और हिंदी भाषा और साहित्य क्षेत्र में अगणित रोजगार के अवसर आज उपलब्ध हो गए हैं। इसलिए हिंदी की व्यापकता को समझते हुए उस प्रकार से शिक्षा में भी बदलाव लाने चाहिए। उस दृष्टि से हिंदी विभाग कार्यरत दिखाई दे रहा है। इसलिए उन्होंने हिंदी विभाग की प्रशंसा की। मंच पर उपस्थित मॉडर्न महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेंद्र झुंजारराव जी ने हिंदी विभाग की महत्वपूर्ण गतिविधियों की सराहना की और प्रोग्रेसिव एजुकेशन सोसाइटी के सचिव प्रा. शामकांत देशमुख ने हिंदी के नए-नए क्षेत्रों से अवगत कराया और हिंदी विभाग की सक्रियता पर प्रसन्नता व्यक्त की।
उद्घाटन समारोह के पश्चात हिंदी विभागीय ग्रंथालय को पुस्तकें प्रदान करने वाले महानुभावों का सम्मान समारोह संपन्न हुआ। प्रभा माथुर, इंदिरा पूनावाला, डॉ रमेश मिलन, डॉ. कांतिदेवी लोधी, उद्धव महाजन, प्रा. रामचंद्र पाटील, अलका अग्रवाल, शरदेंदु शुक्ला, डॉ विठ्ठल भालेराव, स्वरांगी साने जी को गुलदस्ता और सम्मानचिन्ह देकर सम्मानित किया गया। पुणे के इन विद्वान हिंदी लेखक- प्राध्यापकों ने हिंदी विभागीय ग्रंथालय के लिए बड़ी संख्या में अपनी पुस्तक प्रदान की है।
हिंदी विभागप्रमुख डॉ. प्रेरणा उबाळे ने प्रस्तुत कार्यक्रम का संयोजन और संचालन किया। दिसंबर 2021 से हिंदी विभागीय ग्रंथालय और भाषा प्रयोगशाला निर्माण का कार्य आरंभ हुआ था और अब यह कार्य संपन्न होते हुए देखकर हिंदी विभागप्रमुख डॉ. प्रेरणा उबाळे ने कहा कि यह एक स्वप्न पूर्ण होने जैसा है। इस समारोह के आयोजन में हिंदी विभाग के प्रा. विनोद सूर्यवंशी, प्रा. मुमताज पठाण, प्रा. सूरज बिरादार, प्रा. सबीना शेख, प्रा. रेश्मा कांबळे ने सहायता की।
बहुत ही शानदार तरीके से यह कार्यक्रम स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर सभागृह में संपन्न हुआ।
साभार – डॉ. प्रेरणा उबाळे
अध्यक्ष, हिंदी विभागाध्यक्षा
संपर्क – मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर, पुणे ०५ मो – 7028525378 /
संस्कारधानी जबलपुर के विजयनगर में अग्रसेन मंडपम में योगाचार्य रमाकांत पलहा जी ने डा कुंवर प्रेमिल जी का सम्मान किया। वहीं प्रेमिल जी ने अब तक प्रकाशित एक दर्जन पुस्तकों में से कुछेक योगा क्लास में वितरित कर यह संदेश दिया कि योगा से तन की शुद्धि होती है वहीं अच्छे साहित्य से मन की। किताबें पढ़ने की कम होती रुचि को बरकरार रखने के लिए साहित्य को अपना सच्चा मित्र बनाएं।
कार्यक्रम के उपरांत ‘जज्बा’ लघुकथा का पाठ कर, लघुकथाओं के प्रति सम्मोहन बनाए रखने के लिए लघुकथा की पुस्तकें भी वितरण की गई।
संदर्भवश डॉ प्रेमिल द्वारा पठित लघुकथा आपके लिए सादर प्रस्तुत है –
☆ लघुकथा – जज्बा ☆
(16 दिसंबर से पहले)
शहर के पार्क में कुछ महिलाएं, कुछ युवतियां सुबह-सुबह इकट्ठे होकर योगाभ्यास किया करती।
सब कुछ ठीक-ठाक होता पर सिंह आसन में जीभ बाहर निकाल कर हुंकार भरने के प्रयत्न में कमजोर पड़ जाती। मैं अक्सर सोचता कि सिंह आसन में यह सब शेरनी जैसा दमखम कहां से लाएंगी भला। मुंह से करारी आवाज़ निकलेगी तब ना। महिलाएं पुरुषों जैसा जज्बा कहां से लाएंगी आखिर।
(16 दिसंबर के बाद)
कुछ दिनों बाहर रहने के बाद पुनः शहर लौटा तब तक दिल्ली में निर्भया के साथ वह भीषण वहशी कांड हो चुका था। उस रूह कंपकंपाने वाली दास्तान से पूरा देश उबल रहा था। महिलाओं ने एकजुट होकर अपनी ताकत दिखा दी थी।
मैं फिर एक दिन इस पार्क में था। महिलाओं का सिंह आसन चल रहा था। अपनी लंबी जीभ निकाले यह वामा दल शेरनियों में तब्दील हो चुका था। अत्याचारियों को फ़ाड़कर खा जाने वाला जज्बा उन में आ चुका था। मानो, किसी ने इन्हें छेड़ने की हिमाकत की तो यह सब चीर फाड़ कर रख देंगीं। निर्भया के बलिदान ने इन्हें इतना निर्भय तो कर ही दिया था।
– और तब मेरा हाथ इन्हें सलाम करने की मुद्रा में अपने आप ऊपर उठ गया था।
– डा कुंवर प्रेमिल
प्रस्तुति – श्री जय प्रकाश पाण्डेय, जबलपुर
ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डा कुंवर प्रेमिल जी को इस विशिष्ट सम्मान के लिए हार्दिक बधाई
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार भोपाल में भवभूति अलंकरण से सम्मानित – अभिनंदन ☆ प्रस्तुति – श्री जयप्रकाश पाण्डेय ☆
मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के नीलम जयंती समारोह का भव्य आयोजन मायाराम सुरजन भवन, भोपाल में प्रदेश अध्यक्ष श्री पलाश सुरजन जी के रचनात्मक नेतृत्व में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर साहित्य सम्मेलन का प्रतिष्ठित भवभूति अलंकरण वर्ष 2024 के लिए सुविख्यात व्यंग्यकार/कथाकार डॉ कुंदन सिंह परिहार, जबलपुर को हिंदी साहित्य सम्मेलन भोपाल के ‘नीलम शब्द उत्सव’ के गरिमामय समारोह में प्रदान किया गया।
कवि, कथाकार, कलाविद श्री प्रयाग शुक्ल, ‘लमही’ के संपादक श्री विजय राय व हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष श्री पलाश सुरजन ने डॉ परिहार का सम्मान करते हुए शाल श्रीफल एवं चैक प्रदान किये। उल्लेखनीय है कि इस प्रतिष्ठापूर्ण अलंकार के निर्णायक मंडल में श्री राजेश जोशी, डॉ उर्मिला शिरीष तथा डॉ निरंजन श्रोत्रिय शामिल थे।
देश भर से आए रचनाकारों के बीच ख्यातिलब्ध कवि चिंतक श्री प्रयाग शुक्ल ने अपने उद्बोधन में कहा कि – ‘साहित्य,संस्कृति का यह विराट अनुष्ठान है जिससे जुड़कर हम सब खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।नाम में ही बहुत कुछ रखा है।सम्मेलन के पुरस्कारों के नाम हमारी विरासत के प्रतीक हैं।’
डॉ परिहार को भवभूति अलंकरण मिलने की खुशी में माध्यम साहित्यिक संस्था जबलपुर ईकाई के सचिवश्री जय प्रकाश पाण्डेय, कहानी मंच के श्री रमाकांत ताम्रकार, विवेचना के श्री हिमांशु राय, प्रलेस के श्री तरुण गुहा नियोगी के अलावा ‘जबालि व्यंग्यम परिवार‘ एवं संस्कारधानी की अनेक संस्थाओं की ओर से बधाई और शुभकामनाएं।
प्रस्तुति – श्री जय प्रकाश पाण्डेय, जबलपुर
ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ कुंदन सिंह परिहारजी को इस विशिष्ट सम्मान के लिए हार्दिक बधाई
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समुहातील कथाकार लेखक श्री दीपक तांबोळी यांचे आतापर्यंत अनेक कथासंग्रह प्रकाशित झालेले असून सर्वच कथासंग्रहांना अनेक राज्यस्तरीय पुरस्कार प्राप्त झाले आहेत.
अलिकडेच त्यांचा ‘वाटणी’ हा कथासंग्रह प्रकाशित झाला आहे.या कथासंग्रहालाही सात पुरस्कार प्राप्त झाले आहेत.
श्री.दीपक तांबोळी यांच्या या यशस्वी कारकिर्दीबद्दल ई-अभिव्यक्ती मराठी तर्फे त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा !
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
☆ ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ लघुकथा लेखन सर्टिफिकेट से सम्मानित – अभिनंदन ☆
भोपाल, 20 जून, 2024: ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, मानविकी एवं उदार कला संकाय, प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र द्वारा आयोजित लघुकथा लेखन कौशल, सर्टिफिकेट कोर्स त्रैमासिक पाठ्यक्रम (01.11.2023-30.01.2024) पूर्ण करने के उपरांत यह लघुकथा लेखन सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।
यह सर्टिफिकेट उन्हें भोपाल में आयोजित केरबींद्रनाथ टैगोर दीक्षांत समारोह में प्रदान किया गया। श्री क्षत्रिय ने वर्ष 2024 की परीक्षा 91% अंकों के साथ उत्तीर्ण की थी। दीक्षांत समारोह का आयोजन रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की कथा भवन में किया गया था। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुल उपकुलपति डॉक्टर संगीता जौहरी, मानविकी की सभापति रुचि मिश्रा तिवारी, कोर्स के प्रवक्ता डॉक्टर अशोक भाटिया, कोर्स की कोऑर्डिनेटर कांता राय, आई सेक्ट प्रभारी सहित पूरी टीम उपस्थित थी। समारोह में भारत भर से पधारे हुए विद्यार्थी भी शामिल हुए।
यह उल्लेखनीय है कि रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भारत का एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसने लघुकथा लेखन में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है। ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ के बारे में:
ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ एक हिंदी लेखक, बाल साहित्यकार और उपन्यासकार हैं। वे रतनगढ़, नीमच, मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जिनमें बाल साहित्यकार मास्टर श्री गेंदालाल जायसवाल बाल साहित्यकार सम्मान 2024, नेपाल-भारत साहित्य सेतु सम्मान-2018, नेपाल-भारत अंतरराष्ट्रीय रत्न सम्मान-2018 (बीरगंज नेपाल) और विशिष्ट प्रतिभा सम्मान 2019 शामिल हैं।
यह सम्मान ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और उनके साहित्यिक क्षेत्र में किए गए योगदान को दर्शाता है।
ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी को इस विशिष्ट उप्लब्धि के लिए हार्दिक बधाई
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समुहातील कवयित्री सौ जयश्री पाटील यांच्या बालजगत’ या कवितासंग्रहाने, अ.भा.शब्दमंथन साहित्य समुह, स्वदेशी भारत सन्मान पुरस्कार, प्रज्ञा बहुउद्देशीय संस्था पुरस्कार, तितिक्षा इंटरनॅशनल आणि अमरेंद्र भास्कर बालकुमार साहित्य संस्था पुणे यांचा पुरस्कार असे पाच पुरस्कार प्राप्त केले आहेत.सौ. जयश्री पाटील यांच्या या यशाबद्दल त्यांचे ई-अभिव्यक्ती समुहाकडून मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा.!
संपादक मंडळ
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≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
महाराष्ट्र शासनाचा उपक्रम व सांगली मिरज कुपवाड महानगरपालिका यांच्या संयुक्त विद्यमाने आणि लोकमान्य टिळक स्मारक मंदिर सांगली यांनी आयोजित केलेल्या निबंध स्पर्धेत, आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका सौ.पुष्पा प्रभुदेसाई यांना प्रथम पुरस्कार मिळाला आहे. निबंधाचा विषय होता “नदीचे प्रदूषण थांबविण्यासाठी वैयक्तिक व सामाजिक जबाबदारी”.
समुहातर्फे त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि शुभेच्छा !💐
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
– सद्मार्ग मिशन, खड़की, पुणे द्वारा रामोत्सव आयोजित – ☆ साभार – श्री संजय भारद्वाज –
अनन्य होकर भी राम सहज हैं, अतुल्य होकर भी राम सरल हैं, अद्वितीय होकर भी राम हरेक को उपलब्ध हैं। डाकू रत्नाकर ने ‘मरा-मरा’ जपना शुरू किया और राम-राम तक आ पहुँचा। व्यक्ति जब सत्य भाव और करुण स्वर से ‘मरा-मरा’ जपने लगे तो उसके भीतर करुणासागर राम आलोकित होने लगते हैं।
राम का शाब्दिक अर्थ हृदय में रमण करने वाला है। राम का विस्तार शब्दातीत है। यह विस्तार लोक के कण-कण तक पहुँचता है और राम अलौकिक हो उठते हैं। कहा गया है, ‘रमते कणे कणे, इति राम:’.. जो कण-कण में रमते हों, वही श्रीराम हैं।
ये विचार ज्ञानमार्ग के पथिक, तत्वश्री संजय भारद्वाज के हैं। खडकी स्थित श्रीराम मंदिर में सद्मार्ग मिशन ने ‘रामोत्सव’ का आयोजन किया था। वे उत्सव में श्रीराम के जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रबोधन कर रहे थे।
इस अवसर पर श्रीराम स्तुति, श्रीरामरक्षास्तोत्रम् एवं हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ हुआ। श्रीमती मधु शर्मा ने भजन प्रस्तुत किए। श्री आशु गुप्ता ने साज-संगत की। श्री सुरेन्द्र बढ़े और अनिरुद्ध स्वामी सत्संग मंडल ने विशेष सहयोग किया।
इस उत्सव को सफल बनाने के लिए श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र बागनाईक, सदस्य स्नेहल पृथ्वीराज, पं. हरीश पांडेय, कृतिका भारद्वाज ने विशेष परिश्रम किया।
रामोत्सव को व्यापक जनसमर्थन मिला। अनेक क्षेत्रों के गणमान्य उत्सव में उपस्थित थे।
साभार – श्री संजय भारद्वाज
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
– विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर – अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ –
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ हेतु प्रविष्टियाँ आमंत्रित की जा रही हैं। वर्ष २०२३-२४ में अलंकरणों हेतु निम्नानुसार प्रविष्टियाँ (पुस्तक की २ प्रतियाँ, पुस्तक तथा लेखक संबंधी संक्षिप्त विवरण प्रथक कागज पर तथा सहभागिता निधि ३०० रु., संयोजक आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’, सभापति, विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान, ४०१, विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१, वाट्सऐप ९४२५१८३२४४ पते पर आमंत्रित हैं।
प्रविष्टि प्राप्ति हेतु अंतिम तिथि ३० जून २०२४ है।
संस्था के निर्णायक मण्डल का निर्णय स्वीकार्य होने पर ही प्रविष्टि भेजें। सहभागिता निधि वाट्सऐप ९४२५१८३२४४ पर भेज कर स्नैपशॉट भेजिए। प्रविष्टि हेतु पुस्तक के साथ लेखक का सूक्ष्म परिचय तथा पुस्तक संबंधी जानकारी अलग कागज पर भेजें तथा संस्थान द्वारा घोषित निर्णय मान्य होने की सहमति भी अंकित करें।
०२. परम ज्योति देवी हिन्दी रत्न अलंकरण, ११,००१ रु.समग्र अवदान, गद्य। सौजन्य : इं. ॐ प्रकाश यति,नोएडा।
०३. शकुंतला अग्रवाल नवांकुर अलंकरण,५५०१ रु. प्रथम कृति (वर्ष २०२२ से २०२४)। सौजन्य : श्री अमरनाथ अग्रवाल जी, लखनऊ।
०४. राजधर जैन ‘मानस हंस’ अलंकरण, ५००१ रु., समीक्षा, मीमांसा । सौजन्य : डाॅ. अनिल जैन जी, दमोह।
०५. जवाहर लाल चौरसिया ‘तरुण’ हिंदी भूषण अलंकरण,५१०० रु., निबंध / संस्मरण / यात्रावृत्त। सौजन्य : सुश्री अस्मिता शैली जी, जबलपुर।
०६. धीरेन्द्र खरे स्मृति हिंदी भूषण अलंकरण, ५१०० रु., उपन्यास। सौजन्य : श्रीमती वसुधा वर्मा, श्री रचित खरे, श्री विभोर खरे।
०७. कमला शर्मा स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., हिंदी गजल (मुक्तिका, गीतिका, तेवरी, सजल, पूर्णिका आदि)। सौजन्य : श्री बसंत कुमार शर्मा जी, बिलासपुर।
०८. सिद्धार्थ भट्ट स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., कहानी/लघु कथा (लघुकथा, बोध कथा, बाल कथा, दृष्टांत कथा आदि)। सौजन्य : श्रीमती मीना भट्ट जी, जबलपुर।
०९. डाॅ. शिवकुमार मिश्र स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., छंद (भारतीय/अभारतीय)। सौजन्य : डाॅ. अनिल वाजपेयी जी, जबलपुर।
१०. सुरेन्द्रनाथ सक्सेना स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., गीत, नवगीत । सौजन्य : श्रीमती मनीषा सहाय जी, जबलपुर।
११. डॉ. अरविन्द गुरु स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१०० रु., कविता। सौजन्य : डॉ. मंजरी गुरु जी, रायगढ़।
१२. विजय कृष्ण शुक्ल स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१०० रु., व्यंग्य लेख। सौजन्य : डॉ. संतोष शुक्ला।
१३. शिवप्यारी देवी-बेनीप्रसाद स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१०० रु.। बाल साहित्य (गद्य,पद्य), सौजन्य : डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर।
१४. डॉ. सोम भूषण लाल स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१०० रु.।
१५. सत्याशा साहित्य श्री अलंकरण, ११०० रु., बुंदेली साहित्य। सौजन्य : डा. साधना वर्मा जी, जबलपुर।
१६. रायबहादुर माताप्रसाद सिन्हा साहित्य श्री अलंकरण, ११०० रु., राष्ट्रीय देशभक्ति साहित्य। सौजन्य : सुश्री आशा वर्मा जी, जबलपुर।
१७. कवि राजीव वर्मा स्मृति कला श्री अलंकरण, ११०० रु., गायन-वादन-चित्रकारी आदि। सौजन्य : आर्किटेक्ट मयंक वर्मा, जबलपुर।
१८. सुशील वर्मा स्मृति समाज श्री अलंकरण, ११०० रु., वानिकी, पर्यावरण व समाज सेवा। सौजन्य : श्रीमती सरला वर्मा भोपाल।
१९. अतुल श्रीवास्तव स्मृति साहित्य श्री अलंकरण, ११०० रु., धर्म, अध्यात्म, दर्शन। सौजन्य : श्रीमती तनुजा श्रीवास्तव, रायगढ़।
साक्षात्कार, व्याकरण, पुरातत्व, पर्यटन, आत्मकथा, तकनीकी लेखन, आध्यात्मिक/धार्मिक लेखन, विधि, चिकित्सा, कृषि आदि क्षेत्रों की श्रेष्ठ कृतियों पर अलंकरण तथा पुस्तकोपहार प्रदान किए जाएँगे।
अलंकरण स्थापना
अनुवाद, तकनीकी लेखन, विधि, चिकित्सा, आध्यात्म, हाइकु (जापानी छंद), सोनेट, रुबाई, कृषि, ग्राम विकास, जन जागरण तथा अन्य विधाओं में अपने पूज्यजन /प्रियजन की स्मृति में अलंकरण स्थापना हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। अलंकरणदाता अलंकरण निधि के साथ ११००/- (अलंकरण सामग्री हेतु) जोड़कर ९४२५१८३२४४ पर भेज कर सूचित करें।
टीप : उक्त अनुसार किसी अलंकरण हेतु प्रविष्टि न आने अथवा प्रविष्टि स्तरीय न होने पर वह अलंकरण अन्य विधा में दिया अथवा स्थगित किया जा सकेगा। अंतिम तिथि के पूर्व तक नए अलंकरण जोड़े जा सकेंगे।
पुस्तक प्रकाशन
कृति प्रकाशित कराने, भूमिका/समीक्षा लेखन हेतु पांडुलिपि सहित संपर्क करें। संस्था की संरक्षक सदस्यता (सहयोग निधि १ लाख रु.) ग्रहण करने पर एक १५० पृष्ठ तक की एक पांडुलिपि का तथा आजीवन सदस्यता (सहयोग निधि २५ हजार रु.) ग्रहण करने पर ६० पृष्ठ तक की एक पांडुलिपि का प्रकाशन समन्वय प्रकाशन, जबलपुर द्वारा किया जाएगा। संरक्षकों का वार्षिकोत्सव में सम्मान किया जाएगा।
पुस्तक विमोचन
कृति विमोचन हेतु कृति की ५ प्रतियाँ, सहयोग राशि २१०० रु. रचनाकार तथा किताब संबंधी जानकारी ३० जुलाई तक आमंत्रित है। विमोचित कृति की संक्षिप्त चर्चा कर, कृतिकार का सम्मान किया जाएगा।
वार्षिकोत्सव, ईकाई स्थापना दिवस, किसी साहित्यकार की षष्ठि पूर्ति, साहित्यिक कार्यशाला, संगोष्ठी अथवा अन्य सारस्वत अनुष्ठान करने हेतु इच्छुक ईकाइयाँ / सहयोगी सभापति से संपर्क करें।
नई ईकाई
संस्था की नई ईकाई आरंभ करने हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। नई ईकाई हेतु कम से कम ११ सदस्य होना अनिवार्य है। वार्षिक सदस्यता सहयोग निधि ११००/-, हर ईकाई १००/- प्रति वर्ष प्रति सदस्य केंद्र को भेजेगी। केंद्र ईकाई द्वारा वार्षिकोत्सव या अन्य कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु केन्द्रीय पदाधिकारी भेजेगा। केन्द्रीय समिति के कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु ईकाई से प्रतिनिधि आमंत्रित किए जाएँगे।
सभापति- आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
अध्यक्ष- बसंत शर्मा
उपाध्यक्ष- जय प्रकाश श्रीवास्तव, मीना भट्ट
सचिव – छाया सक्सेना, अनिल बाजपेई, मुकुल तिवारी
कोषाध्यक्ष – डॉ. अरुणा पांडे
प्रकोष्ठ प्रभारी – अस्मिता शैली, मनीषा सहाय।
जबलपुर, १५.५.२०२४
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈