श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
चतुर्दश अध्याय
गुणत्रय विभाग योग
(सत्, रज, तम- तीनों गुणों का विषय)
सत्त्वं सुखे सञ्जयति रजः कर्मणि भारत ।
ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे सञ्जयत्युत ।।9।।
सतगुण प्राणी को सुखद, रजगुण कर्म में युक्त
तमगुण ढकता ज्ञान को, कर प्रमाद में सिक्त ।।9।।
भावार्थ : हे अर्जुन! सत्त्वगुण सुख में लगाता है और रजोगुण कर्म में तथा तमोगुण तो ज्ञान को ढँककर प्रमाद में भी लगाता है।।9।।
Sattwa attaches to happiness, Rajas to action, O Arjuna, while Tamas, shrouding knowledge, attaches to heedlessness only! ।।9।।
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
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