श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

चतुर्दश अध्याय

गुणत्रय विभाग योग

(सत्, रज, तम- तीनों गुणों का विषय)

 

रजस्तमश्चाभिभूय सत्त्वं भवति भारत ।

रजः सत्त्वं तमश्चैव तमः सत्त्वं रजस्तथा ।।10।।

 

सतगुण होता है सजग,रज औं तम को जीत

सत तम को जीत रज, सत, रज को तम जीत।।10।।

 

भावार्थ :  हे अर्जुन! रजोगुण और तमोगुण को दबाकर सत्त्वगुण, सत्त्वगुण और तमोगुण को दबाकर रजोगुण, वैसे ही सत्त्वगुण और रजोगुण को दबाकर तमोगुण होता है अर्थात बढ़ता है।।10।।

 

Now Sattwa prevails, O Arjuna, having overpowered Rajas and Tamas; now Rajas, having overpowered Sattwa and Tamas; and now Tamas, having overpowered Sattwa and Rajas!।।10।।

 

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए १, शिला कुंज, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

[email protected]

मो ७०००३७५७९८

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