श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
दशम अध्याय
( फल और प्रभाव सहित भक्तियोग का कथन )
अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते ।
इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विताः ।।8।।
मैं ही कारण जगत का मुझसे सब गतिमान
ज्ञानी ऐसा समझ नित ,भावित श्रद्धावान।।8।।
भावार्थ : मैं वासुदेव ही संपूर्ण जगत्की उत्पत्ति का कारण हूँ और मुझसे ही सब जगत्चेष्टा करता है, इस प्रकार समझकर श्रद्धा और भक्ति से युक्त बुद्धिमान्भक्तजन मुझ परमेश्वर को ही निरंतर भजते हैं।।8।।
I am the source of all; from Me everything evolves; understanding thus, the wise, endowed with meditation, worship Me.।।8।।
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर