ई-अभिव्यक्ति: संवाद–42
☆ ई-अभिव्यक्ति की प्रथम वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनायें ☆
15 अक्तूबर 2018 की रात्रि एक सूत्रधार की मानिंद जाने अनजाने मित्रों, साहित्यकारों को एक सूत्र में पिरोकर कुछ नया करने के प्रयास से एक छोटी सी शुरुआत की थी। आप सब की शुभकामनाओं से अब लगता है कि सूत्रधार का कर्तव्य पूर्ण करने के लिए जो प्रयास प्रारम्भ किया था उसका सार्थक एवं सकारात्मक परिणाम फलीभूत हो रहा है. कभी कल्पना भी नहीं थी कि इस प्रयास में इतने सम्माननीय वरिष्ठ साहित्यकार, मित्र एवं पाठक जुड़ जाएंगे और इतना प्रतिसाद मिल पाएगा.
यदि मजरूह सुल्तानपुरी जी के शब्दों में कहूँ तो –
मैं अकेला ही चला था ज़ानिब-ए-मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।
“अभिव्यक्ति” शब्द को साकार करना इतना आसान नहीं था। जब कभी अभिव्यक्ति की आज़ादी की राह में रोड़े आड़े आए तो डॉ. राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ जी के आशीर्वाद स्वरूप निम्न पंक्तियों ने संबल बढ़ाया –
सजग नागरिक की तरह
जाहिर हो अभिव्यक्ति।
सर्वोपरि है देशहित
बड़ा न कोई व्यक्ति।
इस यात्रा में कई अविस्मरणीय पड़ाव आए जो सदैव मुझे कुछ नए प्रयोग करने हेतु प्रेरित करते रहे। कई तकनीकी एवं साइबर समस्याओं का सामना भी करना पड़ा. इनकी चर्चा हम समय समय पर आपसे करते रहेंगे। मित्र लेखकों एवं पाठकों से समय-समय पर प्राप्त सुझावों के अनुरूप वेबसाइट में साहित्यिक एवं अपने अल्प तकनीकी ज्ञान से वेबसाइट को बेहतर बनाने के प्रयास किए।
इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में ई-अभिव्यक्ति की नींव डालने में कई सम्माननीय वरिष्ठ साहित्यकारों, मित्रों, लेखकों एवं पाठकों का सहयोग प्राप्त हुआ. उनके सम्मान की इस वेला में में किसी एक का नाम भी छूटना मेरे लिए कष्टप्रद होगा. अतः मैं प्रयास कर रहा हूँ कि सभी से व्यक्तिगत संवाद बना कर धन्यवाद दे सकूँ.
इस संवाद के लिखते तक मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि 15 अक्तूबर 2018 से आज तक एक वर्ष में कुल 1905 रचनाएँ प्रकाशित की गईं। उन रचनाओं पर 1606 कमेंट्स प्राप्त हुए और इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 75300 से अधिक सम्माननीय लेखक/पाठक विजिट कर चुके हैं।
ई-अभिव्यक्ति की प्रथम वर्षगांठ पर आप सबको पुनः हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.
हेमन्त बावनकर
15 अक्टूबर 2019
हृदय की अतल गहराइयों से हार्दिक मुबारकबाद व अशेष शुभ कामनाएं।यह सुहाना सफ़र निरंतर चलता रहे और कारवां बढ़ता रहे।आपके जज़्बे को सलाम और लेखनी को नमन। शुभाशीष।
सम्माननीय श्री बावनकर जी,
नमस्कार
एक सकारात्मक सोच का धनी व्यक्तित्व जब लेखनी चलाता है तो मानव कल्याणकारी सृजन की भेंट समाज प्राप्त करता है और जब ऐसे हेमंत जी के विचार विस्तार लेते हैं तो निश्चित रूप से ई-अभिवयक्ति जैसा माध्यम बनता है जो हमारे अंतस को सकारात्मक ऊर्जा एवं स्फूर्ति से सदैव भरे रखता है।
हम भाई हेमंत जी के स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए ई-अभिव्यक्ति की सफलता पर बधाई देते हैं।
– विजय तिवारी “किसलय”, जबलपुर
धन्यवाद एवम आभार
आभार
‘ई अभिव्यक्ति’ की प्रथम वर्षगांठ पर हृदय से बधाई।साथ ही भविष्य के लिए शुभकामनाएँ। चरैवेति-चरैवेति।
सम्माननीय श्री बावनकर जी,
नमस्कार
एक सकारात्मक सोच का धनी व्यक्तित्व जब लेखनी चलाता है तो मानव कल्याणकारी सृजन की भेंट समाज प्राप्त करता है और जब ऐसे हेमंत जी के विचार विस्तार लेते हैं तो निश्चित रूप से ई-अभिवयक्ति जैसा माध्यम बनता है जो हमारे अंतस को सकारात्मक ऊर्जा एवं स्फूर्ति से सदैव भरे रखता है।
हम भाई हेमंत जी के स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए ई-अभिव्यक्ति की सफलता पर बधाई देते हैं।
– विजय तिवारी “किसलय”, जबलपुर
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ई-अभिव्यक्ति की सालगिरह पर। उच्च आदर्शों के साथ ई-अभिव्यक्ति डेली साहित्यिक पत्रिका ने कई क्षेत्रों में नये आयाम कायम किए। आपकी मेहनत को साधुवाद। लगे रहो भाई ।
ई-अभिव्यक्ति पत्रिका की सालगिरह पर बधाइयाँ और शुभकामनाएं ।उच्च आदर्शों के साथ ई-अभिव्यक्ति डेली साहित्यिक पत्रिका ने डिजिटल दुनिया में अल्प समय में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाई है। बधाई। मराठी, हिन्दी, अग्रेंजी भाषाओं के हर विधा से जुड़े महत्वपूर्ण साहित्यकारों को एक मंच पर लाकर पाठकों को नयी नयी रचनाओं का स्वाद दिया है। आपकी मेहनत और लगन समर्पण को सलाम।
आप सबका हृदयतल से आभार। आप सब के स्नेह एवम सहयोग के बिना यह यात्रा असंभव है। कृपया स्नेह बनाये रखें।