ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 36 

 

ई-अभिव्यक्ति में बढ़ती हुई आगंतुकों की संख्या हमारे सम्माननीय लेखकों एवं हमें प्रोत्साहित करती हैं।  हम कटिबद्ध हैं आपको और अधिक उत्कृष्ट साहित्य उपलब्ध कराने  के लिए। आपको यह जानकार प्रसन्नता होगी कि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक इतने कम समय में 36,000 से अधिक आगंतुक गण  ई-अभिव्यक्ति में  विजिट कर चुके होंगे।  इसके लिए हम अपने सम्माननीय लेखकों एवं पाठकों के हृदयतल से आभारी हैं।

ई-अभिव्यक्ति एक ऐसा मंच है जिस पर नवोदित से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिलब्ध साहित्यकारों द्वारा हम पर अपना विश्वास प्रकट कर अपनी रचनाएँ पाठकों से साझा की गई हैं।  हम पर वरिष्ठ साहित्यकारों का आशीर्वाद बना हुआ है जो हमें समय-समय पर मार्गदर्शन देते रहते हैं।

हम प्रयासरत हैं ताकि साहित्यिक एवं तकनीकी रूप से आगामी अंकों को और नए संवर्धित स्वरूप में प्रस्तुत किया जा सके।

प्रासंगिक तौर पर यह उल्लेख करना मेरा कर्तव्य है कि हमारे नियमित स्तम्भ श्री जगत सिंह बिष्ट जी की “योग साधना” में श्री अनुपम खेर का हास्य योग पर विडियो एवं प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव जी का श्रीमद भगवत गीता के भावानुवाद के अतिरिक्त  आप जिन तीन वरिष्ठ लेखकों की रचनाएँ पढ़ने जा रहे हैं वे भी अपने अपने क्षेत्र के सशक्त हस्ताक्षर हैं।

डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’  हिन्दी साहित्य की विभिन्न  विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं।  आपकी  लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9th की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में  सम्मिलित है।

सुश्री प्रभा सोनवणे जी  मराठी साहित्य की वरिष्ठ साहित्यकारा हैं , जो मराठी साहित्य की लगभग सभी विधाओं की सशक्त हस्ताक्षर हैं।  आप कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से अलंकृत हैं जिनमें कवी कालिदास, राष्ट्रगौरव, मदर तेरेसा साहित्य पुरस्कार, कवी केशवकुमार, लळित साहित्य (मृगचांदणीला), बंधुता प्रतिष्ठान साहित्य गौरव, साहित्य गौरव, गझलगौरव, काव्यदीप (साहित्यदीप संस्था), शिवांजली साहित्य गौरव, प्रियदर्शनी इंदिरा (लेखिका पुरस्कार) आदि प्रमुख हैं। 

श्रीमति समीक्षा तैलंग जी  हिन्दी साहित्य में व्यंग्य विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं। इसके अतिरिक्त वे  हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में दक्ष हैं । आपका पत्रकारिता में भी विशेष योगदान रहा है। श्रीमति समीक्षा तैलंग कुछ समय पूर्व ही  अबू धाबी से पुणे शिफ्ट हुई हैं।

हम अपने सभी सम्माननीय साहित्यकारों के आभारी हैं जो हिन्दी साहित्य, मराठी साहित्य एवं अङ्ग्रेज़ी साहित्य की उत्कृष्ट रचनाओं को हमारे सम्माननीय पाठकों से साझा कर रहे हैं।

इस सफर में मुझे अपनी निम्न पंक्तियाँ याद आती हैं:

 

अब तक का सफर तय किया, इक तयशुदा राहगीर की मानिंद।

आगे का सफर पहेली है, इसका एहसास न तुम्हें है न मुझको ।

आज बस इतना ही।

 

हेमन्त बवानकर 

10 जुलाई 2019

(अपने सम्माननीय पाठकों से अनुरोध है कि- प्रत्येक रचनाओं के अंत में लाइक और कमेन्ट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें और हाँ,  ये रचनाओं के शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा।)

 

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समीक्षा तैलंग

हेमंत जी साहित्य के प्रति आपकी रुचि को नमन। संवाद 36 में 36हजार पार…। छत्तीस का आंकडा आपके लिए बडी उपलब्धि रही। और मुझे इस आंकड़े में शामिल होकर सुखद अनुभूति हो रही है। मान बढ़ाने के लिए हृदय से आभार। ई अभिव्यक्ति दिन दुगुनी तरक्की अनवरत करती रहे। बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको और सभी साहित्यकारों, लेखकों को जो इस पत्रिका में अपना योगदान दे रहे हैं।

Prabha Sonawane

धन्यवाद हेमंतजी, मै आपकी शुक्रगुजार हूँ, अपने मुझे इस साहित्य कारवाँ मे शामिल किया है । ई अभिव्यक्ती को मेरी बहुत सारी शुभकामनाएँ ।

Prabha Sonawane

आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।