डाॅ. निशिकांत श्रोत्री 

? इंद्रधनुष्य ?

☆  ॥ निर्वाण षटकम्॥ – आद्य शंकराचार्य — मराठी भावानुवाद. ☆ डाॅ. निशिकांत श्रोत्री ☆

॥ निर्वाण षटकम्॥—मराठी भावानुवाद

संस्कृत स्तोत्र : आद्यशंकराचार्य

मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहम् 

न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे

न च व्योम भूमिर् न तेजॊ न वायु: 

चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥१॥

मन, बुद्धी मी ना अहंकार चित्त 

कर्ण ना जिव्हा, न नासा न नेत्र

व्योम न धरित्री, नसे तेज वायू

चिदानंदरुपी मी शिवस्वरूपी ||१||

न च प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायु: 

न वा सप्तधातुर् न वा पञ्चकोश:

न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थपायू 

चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥२॥

न मी चेतना ना असे पंचवायू

नसे पंचकोष मी ना सप्तधातु

मी वाचा न हस्त ना पादोऽन्य गात्र

चिदानंदरुपी मी शिवस्वरूपी ||२||

न मे द्वेष रागौ न मे लोभ मोहौ 

मदो नैव मे नैव मात्सर्य भाव:

न धर्मो न चार्थो न कामो ना मोक्ष: 

चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥३॥

न संतापी द्वेषी नसे लोभ मोह

नसे ठायी मत्सर ना मी मदांध

धन-धर्म-काम  ना मी मोक्षातीत

चिदानंदरुपी मी शिवस्वरूपी ||३||

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खम् 

न मन्त्रो न तीर्थं न वेदा: न यज्ञा:

अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता 

चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥४॥

न मी पुण्य-पाप न सौख्य न दुःख

नसे मंत्र, तीर्थ न वेद ना यज्ञ

नसे अन्न वा ना भरविता न भोक्ता

चिदानंदरुपी मी शिवस्वरूपी ||४||

न मृत्युर्न शंका न मे जातिभेद: 

पिता नैव मे नैव माता न जन्म

न बन्धुर् न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य: 

चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥५॥

मज मृत्युभय ना न जाणे मी जाती 

मला ना पिता-माता मी तर अजन्मी

नसे बंधू स्नेही गुरु शिष्य नसती

चिदानंदरुपी मी शिवस्वरूपी ||५||

अहं निर्विकल्पॊ निराकार रूपॊ 

विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्

न चासंगतं नैव मुक्तिर्न मेय: 

चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥६॥

विकल्पाविना  मी न आकार मजला 

मी सर्वव्यापी  इन्द्रियात वसला

बंध मला ना मज नाही मुक्ती

चिदानंदरुपी मी शिवस्वरूपी ||६||

अनुवादक : © डॉ. निशिकान्त श्रोत्री

एम.डी., डी.जी.ओ.

मो ९८९०११७७५४

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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