कविराज विजय यशवंत सातपुते
(समाज , संस्कृति, साहित्य में ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले कविराज विजय यशवंत सातपुते जी की सोशल मीडिया की टेगलाइन “माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। कुछ रचनाये सदैव समसामयिक होती हैं। आज प्रस्तुत है मातृ दिवस के अवसर पर आपकी विशेष कविता “आई तुझे रुप” )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विजय साहित्य ☆
☆ मातृ दिवस विशेष – आई तुझे रुप ☆
आई नाव देई
जगण्या आधार
आई तुझे रूप
वात्सल्य साकार.. . !
आई तुझा शब्द
पारीजात फूल
सेवेमध्ये तुझ्या
होऊ नये भूल.. . !
आई तुझे रूप
आदिशक्ती वास
घराचे राऊळ
ईश्वराचा भास. . . . !
आई तुझे स्थान
सदा अंतरात
अन्नपूर्णा वसे
तुझ्या भोजनात.. !
आई तुझे रूप
चिरंतन पाया
स्नेहमयी गंगा
अंतरीची माया.. . !
*विजय यशवंत सातपुते,