सौ. वंदना अशोक हुळबत्ते

? कवितेचा उत्सव ?

☆ वारी… ☆ सौ. वंदना अशोक हुळबत्ते ☆ 

ओढ ग लागली | विठूच्या भेटीची |

निघाली ग वारी | ऐक सखी ||

*

फुक्या संसाराची | किती आस धरी |

हिशेब कर्माचा | देवादारी ||

*

वारी आली दारी | नको ग घोटाळू |

चल वारी करू | जिवेभावे ||

*

अंगणात विठू | भाकरीत विठू |

संसार ग माझा | विठूमय ||

*

नामा, तुका सांगे | भक्ती मार्ग श्रेष्ठ |

चरणाशी लीन | लेकरू हे ||

*

विठू नाम घेता  | सार्थक जीवन |

उणे काय माझ्या | संसारात ||

© सौ.वंदना अशोक हुळबत्ते

मो.९६५७४९०८९२

सांगली

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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