श्रीमति उज्ज्वला केळकर
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ मराठी साहित्यकार श्रीमति उज्ज्वला केळकर जी मराठी साहित्य की विभिन्न विधाओं की सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपके कई साहित्य का हिन्दी अनुवाद भी हुआ है। इसके अतिरिक्त आपने कुछ हिंदी साहित्य का मराठी अनुवाद भी किया है। आप कई पुरस्कारों/अलंकारणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। आपकी अब तक दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं एवं 6 उपन्यास, 6 लघुकथा संग्रह 14 कथा संग्रह एवं 6 तत्वज्ञान पर प्रकाशित हो चुकी हैं। हम श्रीमति उज्ज्वला केळकर जी के हृदय से आभारी हैं कि उन्होने साप्ताहिक स्तम्भ – उत्सव कवितेचा के माध्यम से अपनी रचनाएँ साझा करने की सहमति प्रदान की है। आज प्रस्तुत है ‘काही कणिका’ शीर्षक से कुछ भावप्रवण कणिकाएं।आप प्रत्येक मंगलवार को श्रीमति उज्ज्वला केळकर जी की रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – उत्सव कवितेचा – # 4 ☆
☆ काही कणिका ☆
1.
तप्त रस सोनियाचा
खाली आला फुफाटत
सारा शांतला
फुलाफुलांच्या देहात
2.
किती कशा भाजतात
उन्हाळ्याच्या ऊष्ण झळा
तरी झुलतात संथ
बहाव्याच्या फुलमाळा
3.
मिठी मातीला मारून
पाने ढाळितात आसू
वर हासतात फुले
शाश्वताचं दिव्य हसू
4.
किती आवेग फुलांचे
वेल हरखून जाते
काया कोमल तरीही
उभ्या उन्हात जाळते.
5.
किती किती उलघाल
होते काहिली काहिली
एक लकेर गंधाची
सारे निववून गेली.
© श्रीमति उज्ज्वला केळकर
176/2 ‘गायत्री ‘ प्लॉट नं12, वसंत साखर कामगार भवन जवळ , सांगली 416416 मो.- 9403310170
कणिका म्हणजे काय हे सांगू शकाल please…..