श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे
(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से जुड़ा है एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। निश्चित ही उनके साहित्य की अपनी एक अलग पहचान है। आज प्रस्तुत है आपका एक अत्यंत भावप्रवण कविता ” आम्ही भाग्यवंत”। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। )
☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 50 ☆
☆ आम्ही भाग्यवंत ☆
नुरलिसे जीवा खंत।
धन्य आम्ही भाग्यवंत।।१।।
प्रेम संस्काराने न्हालो
यशवंत आम्ही झालो ।।२।।
ओठी अमृताची गोडी
जन मना नित्य जोडी।।३।।
संगे गोपाळांचा मेळा
विठू जणू हा सावळा।।४।।
लुटे ज्ञानाची शिदोरी
वसे शिष्यांच्या आंतरी।।५।।
घाली मायेची पाखर।
बाणा परि कणखर ।।६।।
यशवंत भविष्याची।
गुरुकिल्ली शिक्षणाची ।।७।।
उभा पाठी हिमालय।
बाबा जणू देवालय ।।८।।
प्रेम कोष उधळून।
गेला निर्मोही सोडून ।।९।।
साद घाली वेडे मन
यावे तोडुनी बंधन।।१०।।
माय पित्याविन दीन
होऊ कशी पायी लीन।।११।।
रंजना लसणे
आखाडा बाळापूर
© रंजना मधुकर लसणे
आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली
9960128105