श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे
(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से जुड़ा है एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। निश्चित ही उनके साहित्य की अपनी एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है संध्या -वंदना पर आधारित कविता/चारोळी – “सांजवात”। )
साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य #- 14
कविता/चारोळी -सांजवात
सांजवातीचा प्रकाश
जिजाऊनीं सार्थ केला।
शिवबांच्या संस्कारात
महाराष्ट्र उजळला।
सांजवात लावूनिया
जपू थोर परंपरा ।
देऊ संस्कार शिदोरी
ज्ञान विज्ञान उद्धारा।
बीज संस्काराचे पेरू
सांजवातीच्या साक्षीने।
ज्योत ज्ञानाची पेटवू
विज्ञानाच्या सोबतीने।
घरोघरी प्रकाशावी
सद्विचारी सांजवात।
धुरा देशाची पेलण्या
संस्कारीत हवे हात।
© रंजना मधुकर लसणे
आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली
9960128105