शिरीष पै” यांच्या 15 नोव्हेम्बर वाढदिवस निमित्त
सुश्री स्वपना अमृतकर
ई-अभिव्यक्ति की ओर से स्वर्गीय शिरीष व्यंकटेश पै जी को सादर नमन।
प्रख्यात मराठी कवी, लेखिका और नाटककार स्वर्गीय शिरीष व्यंकटेश पै जी आचार्य अत्रे जी की पुत्री थी। उनका जन्म 15 नवम्बर 1924 को हुआ और देहांत 2 सितंबर 2017 को मुंबई में हुआ था।
सुश्री स्वपना अमृतकर जी ने अपनी आदर्श स्व. शिरीष व्यंकटेश पै जी को हायकू विधा में जन्मदिवस पर काव्यांजलि समर्पित की है। सुश्री स्वप्ना अमृतकर जी के ही शब्दों में –
ज्येष्ठ हायकूकार स्व. शिरीष पै जी का का जन्म 15 नवम्बर 1929 को हुआ था। आदरणीय गुरू माँ हम सबके लिए बहूत सारा महत्वपूर्ण हायकू साहित्य की रचना कर के अनंत यात्रा पर चली गई । उनकी यह हायकू साहित्य की तपस्या, हर एक के लिए प्रेरणादायी बन गई हैं। आज भी उनकी लिखीं हुई पुस्तकें नये-पुराने हायकू समावेशकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। इनमें प्रमुख हैं :-
१. हे ही हायकू,
२. हे का हायकू,
३. फक्त हायकू
और बहूत सारी हायकू पुस्तके हमे पढ़ने को आज भी मिलती हैं । मुझे काव्य की इस विधा में अभिरुचि का एकमात्र कारण है आदरणीया “शिरीष पै” जी का प्रकाशित हायकू साहित्य। उनसे मिलने की इच्छा तो अधूरी रह गई पर उन्होंने हायकू की जो राह दिखाई है, उसमे प्रयास करके चलते रहने की ख्वाहिश जरूर पूरा करने का साहस जुटा रहीं हूँ। इस अद्भुत काव्य विधा की पहचान बनी आदरणीया “शिरीष पै” जी के लिए उनके जन्मदिन पर मैने अपने शब्दों मे हायकू काव्य विधा में बधाई देने का एक छोटा सा प्रयास किया है ।
पुढील हायकू स्वरचित काव्यरचना ज्येष्ठ हायकूकार – “शिरीष पै” यांच्या 15 नोव्हेम्बर वाढदिवस निमित्त :
☆ “शिरीष पै” यांच्या 15 नोव्हेम्बर वाढदिवस निमित्त ☆
काव्यांजलि – शिरीष पै
हायकू :
कवी जीवाला
हायकू पायवाट
छंद मनाला , १
हायकू ऋतू
निसर्गात जन्मतो
शीळ घालतो , २
हायकू काव्य
अल्प शब्द सोहळे
जगावेगळे , ३
साथ गुरूंची
लिखाणांतून भासे
वाढ ज्ञानाची , ४
पुन्हा नव्याने
हायकूंचे दिवस
ताजेतवाने, ५
जन्मदिवस
शिरीष पैंचा आज
हर्ष मनांस , ६
शुभेच्छांचीच
हायकूची हो खोळ
सदा निर्मळ , ७
© स्वप्ना अमृतकर , पुणे