श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे
(वरिष्ठ मराठी साहित्यकार श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे जी का धार्मिक एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने के कारण आपके साहित्य में धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्कारों की झलक देखने को मिलती है. इसके अतिरिक्त ग्राम्य परिवेश में रहते हुए पर्यावरण उनका एक महत्वपूर्ण अभिरुचि का विषय है। श्रीमती उर्मिला जी के “साप्ताहिक स्तम्भ – केल्याने होत आहे रे ” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है उनके द्वारा रचित एक और लग्न गीत “गंध प्राजक्ताचा”। आज भी पिछली पीढ़ियों ने विवाह संस्कार तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में गीतों के माध्यम से विरासत में मिले संस्कारों को जीवित रखा है। हम श्रीमती उर्मिला जी द्वारा रचित इस लग्न गीत के लिए उनके आभारी हैं। निश्चित ही यह गीत आवश्यक्तानुसार परिवर्तित कर भविष्य में विवाह संस्कारों में नववधू के गृह प्रवेश के समय में गाये जायेंगे।
विगत 1-2-2020 को उनके पौत्र चिरंजीव अवधूत जी का विवाह सौ प्राजक्ता के साथ संपन्न हुआ। इस सुन्दर लग्न गीत की रचना उन्होंने सौ प्राजक्ता के गृह प्रवेश की परिकल्पना करते हुए रचित किया था। इस अतिसुन्दर रचना के लिए श्रीमती उर्मिला जी की लेखनी को नमन।)
☆ साप्ताहिक स्तंभ –केल्याने होतं आहे रे # 20 ☆
☆ गंध प्राजक्ताचा ☆
माझी नातसून आली
आली सोन्याच्या पावली
पावलाने ओलांडून
माप घरात ती आली !!१!!
लावा हळद नि कुंकू
तिला औक्षण करुनी
गृहप्रवेश करुया
सगळ्यांनी आनंदुनी !!२!!
आली थाटात प्राजक्ता
शालू नेसुनी हिरवा
भरजरी पैठणीचा
रंग खुलतो बरवा !!३!!
जरीकाठी नऊवारी
खुले तिच्या अंगावरी
दिसे कशी गोडवाणी
माझी सुंदर नवरी !!४!!
शकुनाच्या गं पाऊली
आनंदाने घरी आली
सत्वगुणी तुझं येणं
मांगल्याच्या गं पावली !!५!!
माझी आली नातसून !
तिचे करुया स्वागत !
तिच्या आगमने होई !
घरा आनंदी आनंद !!६!!
झुले सुखाचा हिंदोळा
हिंदोळा गं तिच्या मनीं
आई-बाबांची लाडकी
लाडकी गं त्यांची सोनी !!७!!
माझ्या अवधूतसंगे
आनंदाची पखरण
व्होवो तुझ्या जीवनात
बांधू सुंदर तोरण !!८!!
माझ्या सुरेख अंगणीं दरवळला प्राजक्त
त्याने आसमंत सारा झाला मंद सुगंधित !!९!!
©®उर्मिला उद्धवराव इंगळे
दिनांक:- १-२-२०२०
!! श्रीकृष्णार्पणमस्तु !!
खूपच सुंदर