सुश्री स्वप्ना अमृतकर
(सुप्रसिद्ध युवा कवियित्रि सुश्री स्वप्ना अमृतकर जी का अपना काव्य संसार है । आपकी कई कवितायें विभिन्न मंचों पर पुरस्कृत हो चुकी हैं।  आप कविता की विभिन्न विधाओं में  दक्ष हैं और साथ ही हायकू शैली की सशक्त हस्ताक्षर हैं। आज प्रस्तुत है सुश्री स्वप्ना जी की  हायकू शैली में कविता “आधारवड ”। )

सुश्री स्वप्ना अमृतकर यांची कविता अभिव्यक्ती – आधारवड  ☆ 

(७रचना)

(Photo by icon0.com from Pexels)

निसर्ग छाया

आश्रितांना आधार

अर्पितो माया       १,

आधार वड

केवढा चमत्कार

प्रेम अपार         २,

विस्तार मोठा

पारंब्या हो अनंत

भासतो संथ        ३,

आधार वड

सावलीच्या छायेत

घेतो कवेत         ४,

छान घरटे

पशुपक्षी बांधती

आधार वाटे        ५,

सोशीक फार

उभा आधारवड

झेलतो भार        ६,

 

दुर्लक्ष होते

आधारवड तरी

सदा हासते        ७..

© स्वप्ना अमृतकर , पुणे

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